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​मीरा कुमार


मीरा कुमार अपना नाम Meera न लिखकर Meira मेइरा कुमार क्यों लिखती हैं ..

जानिए जरा ..!!
सोनिया के दरबार में जितने भी खान्ग्रेसी हैं ..

उनको दरबार में तभी एंट्री मिलती है जब वे ईसाई बन चुके होते हैं 
अनेक खान्ग्रेसी नेता …

सत्ता के लिए हिन्दू धर्म छोड़कर ईसाई बन चुके हैं 
ये अपना नाम थोड़ा सा ट्विस्ट करके लिखते हैं 

ताकि हिन्दू सा भी लगे और ईसाई जैसा भी 

हिन्दू मूर्ख बनते रहें 
इनके नाम की ट्विस्टिंग देखिये …
जैसे शीला दीक्षित Sheela न Sheila लिखती हैं 

शोभा ओझा जो शोभा थॉमस ओजा है 

Ojha को Oza लिखती है 

म_नीच तिवारी Tiwari को Tewary लिखता है 
ये सभी गौ माँस खाने वाले 

बीफ खाने वाले ईसाई हैं 
मेइरा Meira भी कन्वर्टेड ईसाई है 

न कि हिन्दू दलित
ऐसे लोग ईसाई बन चुके हैं 

फिर भी ये अनुसूचित जाति के बने रहकर 

हिन्दू दलितों का अधिकार मार रहे हैं 
ईसाईयों में कोई जाति व्यवस्था होती ही नहीं 

इसलिए अगर मेइरा कुमार ईसाई हैं तो इनको दलित कैसे कहा जा सकता है

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राजा रैवतक की पुत्री का नाम रेवती था।


 

राजा रैवतक की पुत्री का नाम रेवती था। वह सामान्य कद के पुरुषों से बहुत लंबी थी, राजा उसके विवाह योग्य वर खोजकर थक गये और चिंतित रहने लगे।…… थक-हारकर वो योगबल के द्वारा पुत्री को लेकर ब्रह्मलोक गए।

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राजा जब वहां पहुंचे तब गन्धर्वों का गायन समारोह चल रहा था, राजा ने गायन समाप्त होने की प्रतीक्षा की।
गायन समाप्ति के उपरांत ब्रह्मदेव ने राजा को देखा और पूछा- कहो, कैसे आना हुआ?
राजा ने कहा-हे ब्रह्मदेव….. मेरी पुत्री के लिए किसी वर को आपने बनाया अथवा नहीं??????
ब्रह्मा जी जोर से हँसे और बोले- जब तुम आये तबतक तो नहीं…… पर जिस कालावधि में तुमने यहाँ गन्धर्वगान सुना उतनी ही अवधि में पृथ्वी पर 27 चतुर्युग बीत चुके हैं और 28 वां द्वापर समाप्त होने वाला है….अब तुम वहाँ जाओ…… और कृष्ण के बड़े भाई बलराम से इसका विवाह कर दो… अच्छा हुआ की तुम रेवती को अपने साथ लाए जिससे इसकी आयु नहीं बढ़ी।
अब विज्ञान की ओर आइए…. प्रसिद्ध वैज्ञानिक आइंस्टीन की एक थ्योरी पढ़ाई जाती है… थ्योरी आफ रिलेटिविटी ….

आर्थर सी क्लार्क ने आइंस्टीन की थ्योरी ऑफ़ रिलेटिविटी की व्याख्या में एक पुस्तक लिखी है- मैन एंड स्पेस, उसमे गणना है की यदि 10 वर्ष का बालक यदि प्रकाश की गति वाले यान में बैठकर एंड्रोमेडा गैलेक्सी का एक चक्कर लगाये…. तो वापस आनेपर उसकी आयु मात्र 66 वर्ष की होगी जबकि धरती पर 40 लाख वर्ष बीत चुके होंगे।….

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अब आप स्वयं सोचिए…. जो बात वैज्ञानिकों को जानने में इतना समय लगा… वो हमारे देश में, सनातन धर्म में… काफी पहले ही पुराणों में लिख दिया गया था….
और इस महान सनातन धर्म के होते हुए धरती को चपटी बताने वाले मजहब के लोग अपने धर्म को श्रेष्ठ बताए तो इससे बड़ा मजाक कुछ नहीं हो सकता….

शैलेश कुमार ओजा

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ऋषिकेश में गंगा जी के किनारे एक संत रहा करते


ऋषिकेश में गंगा जी के किनारे एक संत रहा करते।। वह जन्मांध थे ।
और उनका नित्य का एक नियम था कि वह शाम के समय ऊपर गगन चुंबी पहाड़ों में भृमण करने के लिये निकल जाते और हरी नाम का संकीर्तन करते जाते।।
एक दिन उनके एक शिष्य ने उनसे पूछा
बाबा आप हर रोज इतने ऊंचे ऊंचे पहाड़ों पर भृमण हेतु जाते हैं
वहां बहुत गहरी गहरी खाइयां भी हैं और आपको आंखों से दिखलाई नहीं देता।।
क्या आपको डर नहीं लगता ?
अगर कभी पांव लड़खड़ा गये तो ?
बाबा ने कुछ नहीं कहा और शाम के समय शिष्य को साथ ले चले।।
पहाड़ों के मध्य थे तो बाबा ने शिष्य से कहा जैसे ही कोई गहरी खाई आये तो बताना।।
दोनों चलते रहे और जैसे ही गहरी खाई आयी

शिष्य ने बताया कि बाबा गहरी खाई आ चुकी है।।
बाबा ने कहा मुझे इसमें धक्का दे दे।।
अब तो शिष्य इतना सुनते ही सकपका गया।।

उसने कहा बाबा मैं आपको धक्का कैसे दे सकता हूँ।।
मैं ऐसा हरगिज नहीं कर सकता।।
आप तो मेरे गुरुदेव हैं
मैं तो किसी अपने शत्रु को भी इस खाई में नहीं धकेल सकता।।
बाबा ने फिर कहा
मैं कहता हूं कि मुझे इस खाई में धक्का दे दो।।
यह मेरी आज्ञा है
और मेरी आज्ञा की अवहेलना करोगे तो नर्क गामी होगे।।

शिष्य ने कहा बाबा मैं नर्क भोग लूंगा मगर आपको हरगिज इस खाई में नहीं धकेल सकता।।
तब बाबा ने शिष्य से कहा
रे नादान बालक
जब तुझ जैसा एक साधारण प्राणी मुझे खाई में नहीं धकेल सकता तो बता
मेरा मालिक भला कैसे मुझे खाई में गिरने देगा।।
उसे तो सिर्फ गिरे हुओं को उबारना आता है
गिरे हुओं को उठाना आता है
वह कभी भी किसी को गिरने नहीं देता।।
वह पल पल हमारे साथ है
बस हमें विश्वास रखना होगा उस पर।

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बृजमोहन ओजा दधीच