Posted in संस्कृत साहित्य

हिन्दू” शब्द का यथार्थ 


“हिन्दू” शब्द का यथार्थ !!
पश्चिमी देशों में भूख मिटाने,नींद लाने,

यहां तक कि खुशी महसूस करने के लिए

भी दवा का प्रयोग किया जाता है,जबकि

भारत में मानसिक और ज्यादातर शारीरिक

रोगों का समाधान ध्यान और योग में

तलाशने की परंपरा है।
सनातन धर्म में ईश्वर को पाने का एक

मार्ग ध्यान और योग भी बताया गया है।
इसलिए यह मात्र धर्म ही नहीं है,बल्कि

जीने की कला है,सनातन धर्म का अर्थ

होता है-जीवन जीने की शाश्वत शैली।
सनातन को मानने वाले ‘हिन्दू’ कहलाये, 

हिन्दू शब्द को ले के स्वयं हिन्दू ही नहीं

अपितु दूसरे मतों के लोगो का भी यही

मानना है की “हिन्दू’ शब्द ईरानियों की

देन है।
ये भ्रान्ति प्रचलित है की ”हिन्दू’ शब्द

सनातन के किसी भी शास्त्र में नहीं है,

हिदुत्व कोई धर्म नहीं है,भोगोलिक स्थिति

के कारण इसका नाम हिंदुस्तान रखा गया

है,हिंदुस्तान में रहने वाले सब धर्म के लोग

हिन्दू हैं…. इत्यादि।
परन्तु क्या ये सच है ?

क्या ‘हिन्दू’ शब्द विदेशियों का दिया

हुआ नाम है ?

क्या हिन्दू नाम का कोई धर्म नहीं ?
इन्ही सब प्रश्नों के उत्तर खोजते हुए

कुछ तथ्य प्रस्तुत हैं जो ये दर्शाते हैं

कि “हिन्दू’” शब्द ईरानियों के आने

से बहुत पहले ही सनातन धर्म में

प्रयोग होता था।
सनातन धर्म को मानने वालों को

“हिन्दू” कहा जाता था,ईरानियों ने

तो बस केवल इसे प्रचलित किया।
कुछ उदाहरण देखते है सनातन में

हिन्दू शब्द के बारे में …
१-ऋग वेद में एक ऋषि का नाम

‘सैन्धव’था जो बाद में “ हैन्दाव/

हिन्दव ” नाम से प्रचलित हुए।
 २- ऋग वेद के बृहस्पति आगम में

हिन्दू शब्द आया है;
हिमालयं समारभ्य यावत इन्दुसरोवरं।

तं देवनिर्मितं देशं हिन्दुस्थानं प्रचक्षते।।

 

(हिमालय से इंदु सरोवर तक देव

निर्मित देश को हिन्दुस्थान कहते हैं।)
 ३- मेरु तंत्र( शैव ग्रन्थ)में हिन्दू शब्द,

‘हीनं च दूष्यत्येव हिन्दुरित्युच्चते प्रिये’

(जो अज्ञानता और हीनता का त्याग

करे उसे हिन्दू कहते हैं।)

 

४- यही मन्त्र शब्द कल्पद्रुम में भी

दोहराई गयी है

‘हीनं दूष्यति इति हिन्दू ’

 

५-पारिजात हरण में “हिन्दू” को कुछ

इस प्रकार कहा गया है;
हिनस्ति तपसा पापां

दैहिकां दुष्टमानसान।

हेतिभिः शत्रुवर्गं च स

हिंदुरभिधियते।।

 

६- माधव दिग्विजय में हिन्दू,
ओंकारमंत्रमूलाढ्य पुनर्जन्म दृढाशयः।

गोभक्तो भारतगुरूर्हिन्दुर्हिंसनदूषकः॥

(वो जो ॐकार को ईश्वरीय ध्वनि माने,

कर्मो पर विश्वाश करे,गौ पालक,बुराइयों

को दूर रखे वो हिन्दू है।)

 

७- ऋग वेद (८:२:४१) में ‘विवहिंदु’

नाम के राजा का वर्णन है जिसने

४६००० गएँ दान में दी थी।
विवहिंदु बहुत पराक्रमी और दानी

राजा था ऋग वेद मंडल ८ में भी

उसका वर्णन है।

 

 हिंदुत्व क्या है…
दुनिया की सबसे पुरानी आध्यात्मिक

और नैतिक परंपरा ही हिंदुत्व है। 
इसके अनुसार,ईश्वर सर्वत्र सर्वदा

सर्वकाल में उपस्थित हैं।
ईशोपनिषदके पहले मंत्र के अनुसार,

संपूर्ण ब्रह्मांड में ईश्वरीय शक्ति

विराजमान है।
ऐसी सभी चीजें,जो दृश्य और अदृश्य

हैं,जिनका हम स्पर्श कर पाते हैं या नहीं

कर पाते हैं या फिर हर अच्छी और बुरी

चीज भी सर्वशक्तिमान का ही अंश है।
ईश्वर हमारे अंदर भी हैं,आवश्यकता है

तो इसे अनुभव करने की।

 

हिंदुत्व हमें बताता है कि किसी भी व्यक्ति

की प्रकृति या स्वभाव बुरा नहीं होता है।
यदि वह स्वयं को नहीं समझ पाता है

या उसके शरीर और मन-मस्तिष्क में

सही तालमेल नहीं हो पाता है,तभी वह

बुरे कर्म करता है।
स्वयं को नहीं समझ पाने के कारण व्यक्ति

लोभ,क्रोध,मोह आदि का शिकार होता है।

 

आज हिन्दू अपने ही धर्म शास्त्रों का

ज्ञान न होने के कारण आसानी से

दूसरे के बहकावे में आ जाता है।
उसकी इस अज्ञानता का मुख्य कारण

कथित हिन्दू धर्म के तथाकथित ठेकेदार

हैं जिन्होंने अपने निजी लाभ के कारण

शास्त्रों के सही ज्ञान को जनमानस तक

नहीं पहुचने दिया।
सनातन धर्म ही हिंदुत्व है तथा हिंदुत्व

ही सनातन धर्म है,दोनों एक दूसरे के

पर्याय हैं,दोनों एक दुसरे के पूरक हैं।
सनातन धर्म के बिना हिंदुत्व नही,

हिंदुत्व के बिना सनातन धर्म नही।

#साभार_संकलित;

ॐ नमो नारायण,
जयति पुण्य सनातन संस्कृति,

जयति पुण्य भूमि भारत,
सदा सर्वदा सुमंगल,

हर हर महादेव,

ॐ विष्णवे नमः,

जय भवानी,

जय श्रीराम,
विजय कृष्ण पांडेय

Posted in छोटी कहानिया - १०,००० से ज्यादा रोचक और प्रेरणात्मक

पिता बेटे को डॉक्टर बनाना चाहता था ।


Parents के लिए………
पिता बेटे को डॉक्टर बनाना चाहता था । बेटा इतना मेधावी नहीं था कि  PMT क्लियर कर लेता । इसलिए दलालों से MBBS की सीट खरीदने का उपक्रम हुआ । जमीन, जायदाद जेवर गिरवी रख के 35 लाख दलालों को दिए । वहाँ धोखा हो गया । 
फिर किसी रूसी देश में लड़के का एडमीशन कराया गया । वहाँ भी चल नहीं पाया । फेल होने लगा ।  Depression में रहने लगा ।

रक्षाबंधन पर घर आया और यहाँ फांसी लगा ली । 

20 दिन बाद माँ बाप और बहन ने भी कीटनाशक खा के आत्म हत्या कर ली ।

अपने mediocre बेटे को डॉक्टर बनाने की झूठी महत्वाकांक्षा और आत्मश्लाघा ने पूरा परिवार लील लिया । माँ बाप अपने सपने , अपनी महत्वाकांक्षा अपने बच्चों से पूरी करना चाहते हैं …
मैंने देखा कि कुछ माँ बाप अपने बच्चों को

Topper बनाने के लिए इतना ज़्यादा अनर्गल दबाव डालते हैं कि बच्चे का स्वाभाविक विकास ही रुक जाता है । आधुनिक स्कूली शिक्षा बच्चे की evaluation और grading ऐसे करती है जैसे सेब के बाग़ में सेब की की जाती है । पूरे देश के करोड़ों बच्चों को एक ही syllabus पढ़ाया जा रहा है ।

जंगल में सभी पशुओं को एकत्र कर सबका

 इम्तहान लिया जा रहा है और पेड़ पर चढ़ने की क्षमता देख के  Ranking निकाली जा रही है । यह शिक्षा व्यवस्था ये भूल जाती है कि इस प्रश्नपत्र में तो बेचारा  हाथी का बच्चा फेल हो जाएगा और बन्दर First आ जाएगा ।
अब पूरे जंगल में ये बात फ़ैल गयी कि कामयाब वो जो झट से कूद के पेड़ पर चढ़ जाए । बाकी सबका जीवन व्यर्थ है ।
सो उन सब जानवरों ने जिनके बच्चे कूद के झटपट पेड़ पर न चढ़ पाए, उनके लिए कोचिंग Institute खुल गए ……..यहाँ पर बच्चों को पेड़ पर चढ़ना सिखाया जाता है ।
और चल पड़े हाथी, जिराफ, शेर और सांड़, भैंसे और समंदर की सब मछलियाँ चल पड़ीं अपने बच्चों के साथ ,Coaching institute की ओर …….. हमारा बिटवा भी पेड़ पर चढ़ेगा और हमारा नाम रोशन करेगा ।
हाथी के घर लड़का हुआ ……. 

तो उसने उसे गोद में ले के कहा ……. हमरी जिनगी का एक्के मक़सद है ……. हमार बिटवा पेड़ पर चढ़ेगा । और जब बिटवा पेड़ पर नहीं चढ़ पाया , तो हाथी ने सपरिवार ख़ुदकुशी कर ली ।
अपने बच्चे को पहचानिए । वो क्या है , ये जानिये । हाथी है कि शेर ,चीता, लकडबग्घा , जिराफ ऊँट है कि मछली , या फिर हंस , मोर या कोयल ……… क्या पता वो चींटी ही हो ……..
 और यदि चींटी है आपका बच्चा , तो हताश निराश न हों ……. चींटी धरती का सबसे परिश्रमी जीव है और अपने खुद के वज़न की तुलना में एक हज़ार गुना ज़्यादा वज़न उठा सकती है….
इसलिए उसे चींटी समझ धिक्कारिये मत.

पहचानिए वह ईश्वर की अमूल्य और अप्रतिम रचना है.

Posted in हिन्दू पतन

जला डालो ऐसी किताबो को जहा ये लिखा है की अकबर महान था,


जला डालो ऐसी किताबो को जहा ये लिखा है की अकबर महान था, फाड़ दो उन पृष्ठों को जो कहते है की बाबर बहुत शक्तिशाली था, फेंक दो उन दस्तावेजो को जो कहते है…की औरंगजेब ने लाखो कश्मीरी पंडितो के जनेऊ उतरवाए पर किसी हिन्दू ने प्रतिकार नहीं किया,

सच तो यह है की :-
1.) अफगानिस्तान के अटक से लेकर कटक तक और दक्षिण से दिल्ली तक मुस्लीम सत्ता को हिंदू वीरो ने महावीरो ने परास्त कर चूर चूर कर दिया | ये इतिहास आपको वामपंथी कभी नही बतायेंगे….
2.) अफगानिस्तान पर आक्रमण करके मराठा सेना ने ४५०००/- पठानो को काट फेका और ८०० वर्षो बाद गांधार पर भगवा झंडा लहराया .
3.) सोमनाथ मंदिर तोड़ने वाला भी कुत्ते की तरह टुकड़े टुकड़े कर के चील गिद्धों को खिला दिया गया था इसी देश में यह कोई नहीं बताएगा…
4.) शिवाजी महाराज के सेनापति हम्बिराव ने ३ घंटे मैं ६०० मुल्लो को काट डाला था यह कोई नहीं बताएगा ||
5.) दिल्ली का गौरी शंकर मंदिर आज भी उस वीर हिदू गाथा का गवाह है जब वीर हिन्दू नायक बाजी राव पेशवा प्रथम ने मुगलों की ईंट से ईंट बजा कर दिल्ली पर भगवा झंडा फहराया था और 800 पुराने गौरी शंकर मंदिर का पुनर्निर्माण करवाया था…
6.) ये वो शुरमे थे जिनके नाम मात्र से मुग़ल सेना काँप जाती थी | और यह इतिहास हमें इसलिए नही पढाया जाता की कहीं हिन्दू फिर से तलवार लेकर खड़ा हो गया तो सारे गद्दार काट काट कर मारे जायेंगे और बचने को कोई रास्ता नही मिलेगा |

*……..✍विकास खुराना♈🚩*

Posted in भारत का गुप्त इतिहास- Bharat Ka rahasyamay Itihaas

ब्राह्मण के क्रोध और आत्मसम्मान का प्रतीक हे कुलधरा.


ब्राह्मण के क्रोध और आत्मसम्मान का प्रतीक हे कुलधरा.
राजस्थान के जैसलमेर शहर से 18 किमी दूर स्थित कुलधरा गाव आज से 500 साल पहले 600 घरो और 85 गावो का पालीवाल ब्रह्मिनो का साम्राज्य ऐसा राज्य था जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती हे…

रेगिस्तान के बंजर धोरो में पानी नहीं मिलता वहा पालीवाल ब्रह्मिनो ने ऐसा चमत्कार किया जो इंसानी दिमाग से बहुत परे थी.
उन्होंने जमीन पे उपलब्ध पानी का प्रयोग नहीं किया,न बारिश के पानी को संग्रहित किया बल्कि रेगिस्तान के मिटटी में मोजूद पानी के कण को खोजा और अपना गाव जिप्सम की सतह के ऊपर बनाया,उन्होंने उस समय जिप्सम की जमीन खोजी ताकि बारिश का पानी जमीन सोखे नहीं.
और आवाज के लिए गाव ऐसा बंसाया की दूर से अगर दुश्मन आये तो उसकी आवाज उससे 4 गुना पहले गाव के भीतर आ जाती थी.

हर घर के बीच में आवाज का ऐसा मेल था जेसे आज के समय में टेलीफोन होते हे.
जैसलमेर के दीवान और राजा को ये बात हजम नहीं हुई की ब्राह्मण इतने आधुनिक तरीके से खेती करके अपना जीवन यापन कर सकते हे तो उन्होंने खेती पर कर लगा दिया पर पालीवाल ब्रह्मिनो ने कर देने से मना कर दिया.
उसके बाद दीवान सलीम सिंह को गाव के मुख्या की बेटी पसंद आ गयी तो उसने कह दिया या तो बेटी दीवान को दे दो या सजा भुगतने के लिए तयार रहे.

ब्रह्मिनो को अपने आत्मसम्मान से समझोता बिलकुल बर्दास्त नहीं था इसलिए रातो रात 85 गावो की एक महापंच्यात बेठी और निर्णय हुआ की रातो रात कुलधरा खाली करके वो चले जायेंगे.
रातो रात 85 गाव के ब्राह्मण कहा गए केसे गए और कब गए इस चीज का पता आजतक नहीं लगा.पर जाते जाते पालीवाल ब्राह्मण शाप दे गए की ये कुलधरा हमेसा वीरान रहेगा इस जमीन पे कोई फिर से आके नहीं बस पायेगा.
आज भी जैसलमेर में जो तापमान रहता हे गर्मी हो या सर्दी,कुलधरा गाव में आते ही तापमान में 4 डिग्री की बढ़ोतरी हो जाती हे.विज्ञानिको की टीम जब पहुची तो उनके मशीनो में आवाज और तरगो की रिकॉर्डिंग हुई जिससे ये पता चलता हे की कुलधरा में आज भी कुछ शक्तिया मोजूद हे जो इस गाव में किसी को रहने नहीं देती.मशीनो में रिकॉर्ड तरंग ये बताती हे की वहा मोजूद शक्तिया कुछ संकेत देती हे.

आज भी कुलधरा गाव की सीमा में आते हे मोबाइल नेटवर्क और रेडियो कम करना बंद कर देते हे पर जेसे ही गाव की सीमा से बाहर आते हे मोबाइल और रेडियो शुरू हो जाते हे..
आज भी कुलधरा शाम होते ही खाली हो जाता हे और कोई इन्सान वहा जाने की हिम्मत नहीं करता.जैसलमेर जब भी जाना हो तो कुलधरा जरुर जाए.

ब्राह्मण के क्रोध और आत्मसम्मान का प्रतीक हे कुलधरा.
*……….✍विकास खुराना ♈🚩*

Posted in छोटी कहानिया - १०,००० से ज्यादा रोचक और प्रेरणात्मक

नाम जप की महत्ता


*((((नाम जप की महत्ता))))*

*एक बार की बात है सम्राट अकबर एवं बीरबल ने मार्ग में किसी ब्राह्मण को भीख माँगते देखा।*

*राजा ने बीरबल से पूछा-: यह क्या, एक ब्राह्मण होकर भी ये भीख मांग रहा है?*

*बीरबल ने तत्काल उतर दिया-: महाराज! ये पंडित भूला हुआ है।*

*अकबर ने कहा-: तो इस पंडित को रास्ते पे लाओ।*

*बीरबल ने कहा-: आ जायेगा राजन, थोड़ा समय लगेगा। कृप्या तीन माह की अवधि दीजिये। राजा ने स्वीकृति दे दी।*

*शाम को बीरबल ब्राह्मण के घर गया और ब्राह्मण से विद्वान होकर भीख मांगने का कारण पूछा। ब्राह्मण के बताने पर बीरबल ने कहा-: कल से प्रात: आप ४ बजे जाग जायँ और मेरे लिये दो घण्टे;*

*_॥हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे॥_*

*_॥हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥_*

*नाम जप करें, शाम को एक स्वर्ण मुद्रा रोज आपके घर पहुँचा दी जायेगी।*

*ब्राह्मण को पहले तो यह सुन कर आश्चर्य हुआ, किंतू मन ही मन सोचा कि ऐसा करने में क्या हर्ज है? जप करना  स्वीकार कर लिया। पिछले जन्म के उनके पूरे कुल के सँस्कार शुभ थे। ४ बजे उठने और नाम जप करने में कोई कठिनाई भी नहीँ हुई। रोज शाम को एक स्वर्ण मुद्रिका मिल जाने से धीरे धीरे ब्राह्मण धनवान हो गया। राम नाम का अभ्यास करते करते, उनके दिव्य सँस्कारोँ ने दबे सुसंस्कारों को उभारा।*

*एक दिन ब्राह्मण ने सोचा कि यदि बीरबल के लिय नाम-जप ने धनाढ्य बना दिया तो स्वयं के लिये जपने से तो लोक और परलोक दोनो धनाढ्य हो जायेँगे! ऐसा सोच कर रोज दो घण्टे खुद के लिये भी जपने लगा।  भगवन नाम की ऐसी कृपा हुई की ब्राह्मण की कामनायेँ खत्म होने लगी और एक दिन ब्राह्मण ने बीरबल से कहा-आप कृप्या सोने की मुद्रिका ना भेजेँ मैं अब केवल अपने लिये ही जप करूगा।*

*राम नाम की उपासना ने मेरा विवेक एवं वैराग्य जाग्रत कर दिया, कृष्ण भक्ति की लग्न लग गयी है अब मुझे।*

*एक दिन ब्राहमण ने अपनी पत्नी से कहा-: श्री हरी कृपा से अपनी गरीबी दूर हो गयी है। सब ठीक हो गया अब आप अनुमति दें तो मैं एकान्त में रहकर राम नाम जप की साधना करना चाहता हूँ। पत्नी साध्वी थी, अत: उसने तुरंत स्वीकृति दे दी।*

*अब ब्राह्मण देवता सतत प्रभु स्मरण में रंग गये। साधना फलने फूलने लगी। लोग दर्शनार्थ पधारने लगे, धीरे धीरे बात राजा तक पहुँची तो अकबर भी एक दिन बीरबल के साथ महात्मा के दर्शन करने पधारे। वापिस लौटते समय अकबर ने कहा महात्मन, मैं भारत का बादशाह अकबर आपसे प्रार्थना करता हूँ-: यदि आपको किसी चीज की जरूरत पड़े तो नि:संकोच संदेश भिजवाईयेगा, तत्काल वह चीज़ आपको मिल जाएगी।*

*ब्राह्मण देवता मुस्कुराये और बोले-: राजन आपके पास ऐसा कुछ भी नही है, जिसकी मुझे जरूरत हो। हाँ यदि आपको कुछ चाहिये तो माँगने में संकोच न करना।*

*बीरबल ने कहा-: राजन, आपने पहचाना इनको? ये वही ब्राह्मण हैं जो तीन माह पूर्व भीख माँग रहे थे। राम नाम के जप ने एक भिखारी को सच्चा दानी बना दिया है! यह सुनकर अकबर बड़े आश्चर्य में पड़ गए।*

*दोस्तों, सच मुच, यह महत्व है भगवान के पवित्र नामों का! अगर आप भी भौतिक इच्छाओं से परे होना चाहते हैं, तो हर रोज़ पहला काम यह करें; राम नाम का जप। यह भगवन नाम आप को भी अमीर बना देगा!!*

*_चाह गई चिंता मिटी, मन हुआ बेपरवाह।_*

*_जिनको कछु न चाहिये, वे शाहन के शाह॥_*

👉  *ये है राम नाम जप का प्रभाव जो एक भिखारी को भी सच्चा दानी बना देता है।*

*राम नाम की जय, कृष्ण नाम की जय, हरी नाम की जय जय जय!!*

🙏🏼🙏🏼🙏🏼🌹🙏🏼🙏🏼🙏🏼

बृजमोहन ओजा दधीचि

Posted in भारत का गुप्त इतिहास- Bharat Ka rahasyamay Itihaas

इतिहास का सबसे दुस्साहसी मिशन : एन्तेबे


इतिहास का सबसे दुस्साहसी मिशन : एन्तेबे

=================================
अब से 41 साल पहले 27 जून 1976 को तेल अवीव से पेरिस जा रही एयर फ़्रांस की फ़्लाइट 139 ने एथेंस में रुकने के बाद फिर से उड़ान भरी ही थी कि चार यात्री एकदम से उठे. उनके हाथों में पिस्टल और ग्रेनेड थे.

उन्होंने विमान पर नियंत्रण करने के बाद पायलट को लीबिया के शहर बेनग़ाज़ी चलने का आदेश दिया. इन चार अपहरणकर्ताओं में दो फ़लस्तीनी थे और दो जर्मन.

उस विमान में सफ़र कर रहे जियान हारतुव याद करते हैं कि उन चारों में से एक महिला ब्रिजेत कुलमान ने हैंड ग्रेनेड की पिन निकालकर सारे यात्रियों को धमकाया कि अगर किसी ने भी प्रतिरोध करने की कोशिश की तो वो विमान में धमाका कर देगी.

बेनग़ाज़ी में सात घंटे रुकने और ईंधन लेने के बाद अपहरणकर्ताओं ने पायलट को आदेश दिया कि विमान को युगांडा के एन्तेबे हवाई अड्डे ले जाया जाए.

उस समय युगांडा में तानाशाह इदी अमीन का शासन था. उनकी पूरी सहानुभूति अपहरणकर्ताओं के साथ थी. एन्तेबे हवाई अड्डे पर चार और साथी उनसे आ मिले.

उन्होंने यहूदी बंधकों को अलग कर दिया और दुनिया के अलग अलग देशों की जेलों में रह रहे 54 फ़लस्तीनी कैदियों को रिहा करने की मांग की और धमकी दी कि ऐसा नहीं किया गया तो वे यात्रियों को एक-एक करके मारना शुरू कर देंगे.

एन्तेबे इसराइल से करीब 4000 किलोमीटर दूर था, इसलिए किसी बचाव मिशन के बारे में सोचा तक नहीं जा सकता था. यात्रियों के संबंधियों ने तेल अवीव में प्रदर्शन करने शुरू कर दिए थे.

बंधक बनाए गए लोगों में से कुछ इसराइली प्रधानमंत्री रबीन के क़रीबी भी थे. उन पर बहुत दबाव था कि बंधकों को हर हालत में छुड़ाया जाए

बंधकों में से एक सारा डेविडसन याद करती हैं कि अपहरणकर्ताओं ने बंधकों को दो समूहों में बांट दिया था, ”उन्होंने लोगों के नाम पुकारे और उन्हें दूसरे कमरे में जाने के लिए कहा. थोड़ी देर बाद पता चल गया कि वो सिर्फ यहूदी लोगों के नाम पुकार रहे हैं.”

इस बीच अपहरणकर्ताओं ने 47 ग़ैर यहूदी यात्रियों को रिहा कर दिया. उन्हें एक विशेष विमान से पेरिस ले जाया गया. वहाँ मोसाद के जासूसों ने उनसे बात कर एन्तेबे के बारे में छोटी से छोटी जानकारी जुटाने की कोशिश की.

मोसाद के एक एजेंट ने कीनिया में एक विमान किराए पर लेकर एन्तेबे के ऊपर उड़ान भरकर उसकी बहुत सारी तस्वीरें खींची. दिलचस्प बात यह थी कि एन्तेबे हवाई अड्डे के टर्मिनल को जहाँ बंधकों को रखा गया था, एक इसराइली कंपनी ने बनाया था.

कंपनी ने उस टर्मिनल का नक्शा उपलब्ध कराया और रातों रात इसराइल में एक नकली टर्मिनल खड़ा कर लिया

इसराइली सेना के 200 सर्वश्रेष्ठ सैनिकों को इस मिशन के लिए चुना गया. कमांडो मिशन में सबसे बड़ी अड़चन इस बात की थी कि कहीं एन्तेबे हवाई अड्डे के रनवे की बत्तियाँ रात में बुझा तो नहीं दी जाएंगी और इदी अमीन के सैनिक विमान को उतरने से रोकने के लिए रनवे पर ट्रक तो नहीं खड़ा कर देंगे.

इस बीच इसराइल की सरकार ने संकेत दिया कि वो अपहरणकर्ताओं से बातचीत करने के लिए तैयार है ताकि कमांडोज़ को तैयारी के लिए थोड़ा समय मिल जाए. इदी अमीन के दोस्त समझे जाने वाले पूर्व सैनिक अधिकारी बार लेव को उनसे बात करने के लिए लगाया गया.

उन्होंने अमीन से कई बार फ़ोन पर बात की लेकिन वो बंधको को छुड़ा पाने में असफल रहे. इस बीच इदी अमीन अफ़्रीकी एकता संगठन की बैठक में भाग लेने के लिए मॉरिशस की राजधानी पोर्ट लुई चले गए जिससे इसराइल को और समय मिल गया.

पूरे मिशन की बड़ी दिक्कत ये थी कि 4000 किलोमीटर जाकर 4000 किलोमीटर वापस भी आना था. इसलिए हवा में ही उड़ते विमान से दूसरे विमान में ईधन भरा गया.

ब्रिगेडियर जनरल डैम शॉमरॉन को पूरे मिशन की ज़िम्मेदारी दी गई, जबकि लेफ़्टिनेंट कर्नल योनाथन नेतन्याहू को फ़ील्ड ऑपरेशन का इंचार्ज बनाया गया.
इसराइल के पास तीन विकल्प थे. पहला हमले के लिए विमानों का सहारा लिया जाए. दूसरा नौकाओं से वहाँ पहुंचा जाए और तीसरा कीनिया से सड़क मार्ग से युगांडा में घुसा जाए.

अंतत: तय हुआ कि एन्तेबे पहुंचने के लिए विमानों का इस्तेमाल होगा और युगांडा के सैनिकों को ये आभास दिया जाएगा कि इन विमानों में राष्ट्रपति अमीन विदेश यात्रा से लौट रहे हैं.

4 जुलाई को इसराइल के साइनाइ बेस से चार हरक्यूलिस जहाज़ों ने उड़ान भरी. सिर्फ़ 30 मीटर की ऊंचाई पर उड़ते हुए उन्होंने लाल सागर पार किया ताकि मिस्र, सूडान और सऊदी अरब के रडार उन्हें न पकड़ पाएं. रास्ते में इसराइली कमांडोज़ ने युगांडा के सैनिकों की वर्दी पहन ली.

विमानों के उड़ान भरने के बाद ही प्रधानमंत्री राबीन ने इस मिशन की जानकारी मंत्रिमंडल को दी.

सात घंटे लगातार उड़ने के बाद रात के एक बजे पहला हरक्यूलिस विमान एन्तेबे के ऊपर पहुंचा.

उसके पास लैंड करने और अपहरणकर्ताओं पर काबू पाने के लिए सिर्फ छह मिनट का समय था.

उस समय रनवे की लाइट जल रही थी. लैंड करने से आठ मिनट पहले ही हरक्यूलिस के रैंप खोल दिए गए ताकि कम से कम समय जाया हो.

लैंड करते ही पायलट ने विमान को रनवे के बीचोंबीच रोक लिया ताकि पैराट्रूपर्स के एक दल को नीचे उतारा जा सके और वो रनवे पर पीछे आ रहे विमानों के लिए एमरजेंसी लाइट लगा सकें.
जहाज़ से एक काली मर्सिडीज़ कार उतारी गई. यह उस कार से बहुत मिलती-जुलती थी जिसे राष्ट्रपति अमीन इस्तेमाल किया करते थे.

उसके पीछे कमांडोज़ से भरी हुई दो लैंड रोवर गाड़ियाँ भी उतारी गईं. इन वाहनों ने तेज़ी से टर्मिनल की तरफ बढ़ना शुरू किया.

कमांडोज़ को आदेश थे कि वो तब तक गोली न चलाएं जब तक वो टर्मिनल तक नहीं पहुंच जाते.

इसराइली उम्मीद कर रहे थे कि काली मर्सिडीज़ कार देखकर युगांडा के सैनिक समझेंगे कि इदी अमीन बंधकों से मिलने आए हैं.

लेकिन इसराइलियों को पता नहीं था कि कुछ दिन पहले ही अमीन ने अपनी कार बदल दी थी और अब वो सफेद मर्सिडीज़ का इस्तेमाल कर रहे थे.

यही वजह थी कि टर्मिनल के बाहर खड़े युगांडा के सैनिकों ने अपनी राइफ़लें निकाल लीं. इसराइली कमांडोज़ ने उन्हें साइलेंसर लगी बंदूकों से वहीं उड़ा दिया. उनका भेद खुल चुका था.

गोली चलते ही कमांडर ने आदेश दिया कि वाहनों से उतरकर पैदल ही उस टर्मिनल के भवन पर धावा बोल दिया जाए जहाँ यात्रियों को रखा गया था. कमांडोज़ ने बुल हॉर्न के ज़रिए बंधकों से अंग्रेज़ी और हिब्रू में कहा कि वो इसराइली सैनिक हैं और उन्हें बचाने के लिए आए हैं.

उन्होंने यात्रियों से फ़ौरन लेट जाने के लिए कहा. उन्होंने यात्रियों से हिब्रू में पूछा कि अपहरणकर्ता कहाँ हैं.

यात्रियों ने मुख्य हॉल में खुलने वाले दरवाज़े की तरफ़ इशारा किया. कमांडोज़ हैंड ग्रेनेड फेंकते हुए हॉल में घुसे. इसराइली कमांडोज़ को देखते ही अपहरणकर्ताओं ने गोलियाँ चलाना शुरू कर दिया.

गोलियों के आदान-प्रदान में सभी अपहरणकर्ता मारे गए. माता-पिता अपने बच्चों को बचाने के लिए उनके ऊपर लेट गए.

तीन बंधक भी गोलियों का निशाना बने. इस बीच दो और इसराइली विमान वहाँ उतर चुके थे. उनमें भी इसराइली सैनिक थे.

चौथा विमान पूरी तरह से खाली था ताकि उसमें बचाए गए बंधकों को ले जाया जा सके.

एन्तेबे पर उतरने के बीस मिनटों के भीतर ही बंधकों को लैंडरोवर्स में भरकर खाली विमान में पहुंचाया जाने लगा था. इस बीच युगांडाई सैनिकों ने गोलियाँ चलानी शुरू कर दी थी और पूरे हवाई अड्डे की बत्ती गुल कर दी गई थी.

चलने से पहले हर एक सैनिक की गिनती की गई. इस पूरे अभियान में इसराइल का सिर्फ एक सैनिक मारा गया. कंट्रोल टॉवर के ऊपर से चलाई गई एक गोली लेफ़्टिनेंट कर्नल नेतन्याहू के सीने में लगी और वो वहीं गिर गए

सैनिकों ने घायल नेतन्याहू को विमान में डाला और एन्तेबे में लैंड करने के 58 मिनट बाद बचाए गए यात्रियों को विमान में लाद वहाँ से टेक आफ़ किया. इससे पहले उन्होंने एन्तेबे पर खड़े 11 मिग जहाज़ों को नष्ट कर दिया ताकि वो उनका पीछा नहीं कर सकें.

नेतन्याहू ने वापसी उड़ान के दौरान दम तोड़ दिया. इस मिशन में सभी सात अपहरणकर्ता और 20 युगांडाई सैनिक मारे गए. एक बंदी डोरा ब्लॉक को वापस नहीं लाया जा सका क्योंकि वो हमले के समय कंपाला के मुलागो अस्पताल में थी.

बाद में युगांडा के अटॉर्नी जनरल ने वहाँ के मानवाधिकार आयोग को बताया कि इस मिशन के बाद इदी अमीन के आदेश पर दो सैनिक अफ़सरों ने डोरा ब्लॉक की अस्पताल के पलंग से खींचकर हत्या कर दी थी.
4 जुलाई की सुबह बचाए गए 102 यात्री और इसराइली कमांडो नैरोबी होते हुए तेल अवीव पहुंचे. इस पूरे अभियान को इसराइल के इतिहास का सबसे दुस्साहसी मिशन माना गया.
इंटरनेट पर उपलब्ध लेखों के आधार पर

Posted in छोटी कहानिया - १०,००० से ज्यादा रोचक और प्रेरणात्मक

असली गुरू दक्षिणा


नमस्कार ! सुप्रभात !!

असली गुरू दक्षिणा:-

गंगा तट पर एक ऋषि का आश्रम था, जिसमें अनेक छात्र शिक्षा प्राप्त करते थे। जब शिष्यों की शिक्षा पूरी हो जाती और वे अपने घर वापस जाने लगते तो ऋषि से पूछते कि गुरु दक्षिणा में क्या दें?

ऋषि कहते कि तुमने जो पाया है, समाज में जाकर उस पर अमल करो,अपने पैरों पर खड़े हो, सच्ची कमाई करो और फिर एक साल बाद तुम्हारा जो दिल चाहे वह दे जाना।

आश्रम छोड़कर जाने के बाद शिष्य अलग-अलग पेशे अपनाते। अपने पेशे, अपने कामकाज से जिसे जो कमाई होती, उसका कुछ हिस्सा वे श्रद्धापूर्वक ऋषि को दे दिया करते थे।

एक बार आश्रम में एक अत्यंत सीधा-सादा शिष्य आया। वह साधारण गृहस्थ था। वह दिन भर मेहनत करके अपने परिवार का पालन पोषण करता था लेकिन उसके अंदर कुछ सीखने की तीव्र इच्छा थी इसलिए वह आश्रम में चलाआया था। उसने अपने व्यवहार से सबका दिल जीत लिया। ऋषि उसे स्नेहपूर्वक पढ़ाया करते थे। जो कुछ उसे सिखाया जाता, उस पर वह मनोयोग से अमल करता था।

जब उसकी शिक्षा पूरी हुई तो उसने भी पूछा, ‘गुरु जी दक्षिणा में क्या दूं?’ ऋषि ने उससे भी वही कहा जो वह और शिष्यों से कहा करते थे। वह चला गया और एक साल बाद लौटा। बोला, ‘दक्षिणा देने आया हूं।’

ऋषि उसे देखकर बड़े खुश हुए,फिर उन्होंने पूछा, ‘क्या लेकर आए हो बेटा?’ उस शिष्य ने दस लोगों को खड़ा कर दिया, जो उसके गांव के थे। उसने कहा, *’मैं गुरु दक्षिणा में ये दस नए शिष्य लाया हूं।’*

ऋषि ने पूछा, ‘किसलिए?’

उसने कहा, *’जो शिक्षा आपने मुझे दी थी,मैंने उसे इन तक पहुंचाया। उतने से ही इनका जीवन संवर गया। अब आप इन सब को अपना शिष्य बना लें ताकि इतने लोग और आपके बताए रास्ते पर सही तरीके से चल सकें।*

‘ऋषि ने प्रसन्न होकर कहा, ‘तुमने मुझे अब तक की सबसे अच्छी गुरु दक्षिणा दी है।

“यः क्रियावान् स पण्डितः”

अर्थात् – *अच्छी विद्या प्राप्तकर के जो कल्याणार्थ उसे दूसरों में बाँटे ,वही सच्ची गुरु दक्षिणा है ।*

* आज का दिन आप के लिए शुभ एवं मंगलमय हो। *

Posted in छोटी कहानिया - १०,००० से ज्यादा रोचक और प्रेरणात्मक

मीराबाई कृष्णप्रेम में डूबी


*मीराबाई कृष्णप्रेम में डूबी, पद गा रही थी , एक संगीतज्ञ को लगा कि वह सही राग में नहीं गा रही है!*

*वह टोकते हुये बोले: “मीरा, तुम राग में नहीं गा रही हो।*

*मीरा ने बहुत सुन्दर उत्तर दिया: “मैं राग में नहीं, अनुराग में गा रही हूँ।*

*राग में गाउंगी तो दुनियां मुझे सुनेगी*

*अनुराग में गाउंगी तो मेरा कान्हा मुझे सुनेगा।*

*मैं दुनियां को नही, अपने श्याम को रिझाने के लिये गाती हूँ।*

*रिश्ता होने से रिश्ता नहीं बनता,*

*रिश्ता निभाने से रिश्ता बनता है।*

*”दिमाग” से बनाये हुए “रिश्ते”*

*बाजार तक चलते है,,,!*

*”और “दिल” से बनाये “रिश्ते”*

*आखरी सांस तक चलते है,*.
🙏🍁‼ *जय श्री कृष्ण*‼🍁🙏

Posted in छोटी कहानिया - १०,००० से ज्यादा रोचक और प्रेरणात्मक

जानवरों के डॉक्टर के पास एक Lady आई


जानवरों के डॉक्टर के पास एक Lady आई जिनके साथ एक high breed का कुत्ता था।
कहने लगी….
“मेरे कुत्ते के साथ अजीबो गरीब problem हो गई है।
मेरा कुत्ता बड़ा हठी (Disobidient) हो गया है…..
इसे अपने पास बुलाती हूँ तो ये दूर भाग जाता है।
Please कुछ करें.. I am very attached to him. I can not tolerate his indifference.”
डॉक्टर ने कुत्ते को ग़ौर से देखा। पन्द्रह मिनट examin करने के बाद मैं  कहा…
ये कुत्ता एक रात के लिए मेरे पास छोड़ दें। मैं इसका observation कर के इलाज करूँ गा।
उसने बेदिली से हामी भर ली।

~~~~~~~~~~~~~

सब चले गए…..
डॉक्टर ने अपने assistant को आवाज़ दी…और कहा कि इसे भैंसों के साथ बांध दो और हर आधे घंटे पर इसे केवल पानी देना और इसको चमड़े के हन्टर से मारना।
डॉक्टर का assistant जट् आदमी था।
रात भर कुत्ते के साथ हन्टर ट्रीटमेंट करता रहा।
दूसरे दिन लेडी आ धमकीं।
——–Sir what about my pup?

Doctor said_____ Hope your pup has missed you too
डॉक्टर का assistant कुत्ते को ले आया_____
ज्यों ही कुत्ता कमरे मे आया..छलांग लगा के madam की गोद मे आ बैठा, लगा दुम हिलाने, मुंह चाटने_______!!!!
Madam कहने लगीँ: सर, आपने इसके साथ क्या किया कि अचानक इसका यह हाल है_________???
डॉक्टर ने कहा: बड़े से एयर कंडीशनर कमरे, रोज़ अति स्वादिष्ट भोजन खा खाके ये अपने को मालिक समझ बैठा था और अपने मालिक की पहचान भूल बैठा था____
बस इसका यही वहम उतारने के लिए थोड़ा

Psychological plus physical treatment की ज़रूरत थी_____ वह दे दी,—– now he is Okay…
*सारांश*~~
“बस यही ट्रीटमेंट अगर देश के अन्दर भारत माता को गाली देने वाले और पाकिस्तान जिन्दाबाद कहने वालों के साथ हो तो कश्मीर ही नहीं पूरे देश से आतंकवाद और नक्सलवाद समाप्त हो जायेगा…”

Posted in छोटी कहानिया - १०,००० से ज्यादा रोचक और प्रेरणात्मक

हरिशयनी ( पद्या ) एकादशी व्रत कथा


*हरिशयनी ( पद्या ) एकादशी व्रत कथा*

*4 जुलाई 2017 – दिन – मंगलवार*

🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹

धर्मराज युधिष्ठिर ने कहा- हे केशव! आषाढ़ शुक्ल एकादशी का क्या नाम है? इस व्रत के करने की विधि क्या है और किस देवता का पूजन किया जाता है? श्रीकृष्ण कहने लगे कि हे युधिष्ठिर! जिस कथा को ब्रह्माजी ने नारदजी से कहा था वही मैं तुमसे कहता हूँ। एक समय नारजी ने ब्रह्माजी से यही प्रश्न किया था।
तब ब्रह्माजी ने उत्तर दिया कि हे नारद तुमने कलियुगी जीवों के उद्धार के लिए बहुत उत्तम प्रश्न किया है। क्योंकि एकादशी का व्रत सब व्रतों में उत्तम है। इस व्रत से समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं और जो मनुष्य इस व्रत को नहीं करते वे नरकगामी होते हैं।
इस व्रत के करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं। इस एकादशी का नाम पद्मा है। अब मैं तुमसे एक पौराणिक कथा कहता हूँ। तुम मन लगाकर सुनो। सूर्यवंश में मांधाता नाम का एक चक्रवर्ती राजा हुआ है, जो सत्यवादी और महान प्रतापी था। वह अपनी प्रजा का पुत्र की भाँति पालन किया करता था। उसकी सारी प्रजा धनधान्य से भरपूर और सुखी थी। उसके राज्य में कभी अकाल नहीं पड़ता था।
एक समय उस राजा के राज्य में तीन वर्ष तक वर्षा नहीं हुई और अकाल पड़ गया। प्रजा अन्न की कमी के कारण अत्यंत दु:खी हो गई। अन्न के न होने से राज्य में यज्ञादि भी बंद हो गए। एक दिन प्रजा राजा के पास जाकर कहने लगी कि हे राजा! सारी प्रजा त्राहि-त्राहि पुकार रही है। क्योंकि समस्त विश्व की सृष्टि का कारण वर्षा है।
वर्षा के अभाव से अकाल पड़ गया है और अकाल से प्रजा मर रही है। इसलिए हे राजन! कोई ऐसा उपाय बताअओ जिससे प्रजा का कष्ट दूर हो। राजा मांधाता कहने लगे कि आप लोग ठीक कह रहे हैं, वर्षा से ही अन्न उत्पन्न होता है और आप लोग वर्षा न होने से अत्यंत दु:खी हो गए हैं। मैं आप लोगों के दु:खों को समझता हूँ। ऐसा कहकर राजा कुछ सेना साथ लेकर वन की तरफ चल दिया। वह अनेक ऋषियों के आश्रम में भ्रमण करता हुआ अंत में ब्रह्माजी के पुत्र अंगिरा ऋषि के आश्रम में पहुँचा। वहाँ राजा ने घोड़े से उतरकर अंगिरा ऋषि को प्रणाम किया।
मुनि ने राजा को आशीर्वाद देकर कुशलक्षेम के पश्चात उनसे आश्रम में आने का कारण पूछा। राजना ने हाथ जोड़कर विनीत भाव से कहा कि हे भगवन! सब प्रकार से धर्म पालन करने पर भी मेरे राज्य में अकाल पड़ गया है। इससे प्रजा अत्यंत दु:खी है। राजा के पापों के प्रभाव से ही प्रजा को कष्ट होता है, ऐसा शास्त्रों में कहा है। जब मैं धर्मानुसार राज्य करता हूँ तो मेरे राज्य में अकाल कैसे पड़ गया? इसके कारण का पता मुझको अभी तक नहीं चल सका।

अब मैं आपके पास इसी संदेह को निवृत्त कराने के लिए आया हूँ। कृपा करके मेरे इस संदेह को दूर कीजिए। साथ ही प्रजा के कष्ट को दूर करने का कोई उपाय बताइए। इतनी बात सुनकर ऋषि कहने लगे कि हे राजन! यह सतयुग सब युगों में उत्तम है। इसमें धर्म को चारों चरण सम्मिलित हैं अर्थात इस युग में धर्म की सबसे अधिक उन्नति है। लोग ब्रह्म की उपासना करते हैं और केवल ब्राह्मणों को ही वेद पढ़ने का अधिकार है। ब्राह्मण ही तपस्या करने का अधिकार रख सकते हैं, परंतु आपके राज्य में एक शूद्र तपस्या कर रहा है। इसी दोष के कारण आपके राज्य में वर्षा नहीं हो रही है।
इसलिए यदि आप प्रजा का भला चाहते हो तो उस शूद्र का वध कर दो। इस पर राजा कहने लगा कि महाराज मैं उस निरपराध तपस्या करने वाले शूद्र को किस तरह मार सकता हूँ। आप इस दोष से छूटने का कोई दूसरा उपाय बताइए। तब ऋषि कहने लगे कि हे राजन! यदि तुम अन्य उपाय जानना चाहते हो तो सुनो।
आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की पद्मा नाम की एकादशी का विधिपूर्वक व्रत करो। व्रत के प्रभाव से तुम्हारे राज्य में वर्षा होगी और प्रजा सुख प्राप्त करेगी क्योंकि इस एकादशी का व्रत सब सिद्धियों को देने वाला है और समस्त उपद्रवों को नाश करने वाला है। इस एकादशी का व्रत तुम प्रजा, सेवक तथा मंत्रियों सहित करो।
मुनि के इस वचन को सुनकर राजा अपने नगर को वापस आया और उसने विधिपूर्वक पद्मा एकादशी का व्रत किया। उस व्रत के प्रभाव से वर्षा हुई और प्रजा को सुख पहुँचा। अत: इस मास की एकादशी का व्रत सब मनुष्यों को करना चाहिए। यह व्रत इस लोक में भोग और परलोक में मुक्ति को देने वाला है। इस कथा को पढ़ने और सुनने से मनुष्य के समस्त पाप नाश को प्राप्त हो जाते हैं।

🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹

हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे।

हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे।

🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

नवेन्दु त्रिवेदी