राम चन्द्र आर्य
‘वयं राष्ट्रे जागृयाम पुरोहिताः
प्रधानमंत्री मोदी ने आज यजुर्वेद की एक सूक्ति के साथ अपने संबोधन को विराम दिया।
यह सूक्ति ‘वयं राष्ट्रे जागृयाम पुरोहिताः’ यजुर्वेद के नौवें अध्याय की २३वीं कांडिका से ली गई है। इसका अर्थ है, ‘हम पुरोहित राष्ट्र को जीवंत और जाग्रत बनाए रखेंगे।’
पुरोहित: – पुर एनं दधति -निरुक्त २/१२
इसका अर्थ है जो इस पुर का , शरीर का अथवा संसार का हित करता है। प्राचीन भारत में ऐसे व्यक्तियों को ही पुरोहित कहते थे, जो राष्ट्र का दूरगामी हित समझकर उसकी प्राप्ति की व्यवस्था करते थे। पुरोहित में चिन्तक और साधक दोनों के गुण होते हैं, जो उचित परामर्श दे सकें।
जो समाज का अग्रणी हो, उसे पुरोहित कहते हैं अर्थात् जो समाज को आगे ले जाने का सामर्थ्य रखे, उसे पुरोहित कहते हैं। जिसे अपने पुरुषार्थ व विद्या पर पूर्ण विश्वास हो कि वह यजमान को यज्ञफल दिला सकेगा, उसे पुरोहित कहते हैं।
कोरोना से लड़ाई में पीएम मोदी भी यही काम कर रहे हैं। उन्हें विश्वास है कि भारत को सारी कठिनाइयों से उबारा जा सकता है।
विशेष बात यह है कि इस सूक्ति से मोदी जी ने ‘पुरोहिताः’ शब्द हटा दिया। उन्होंने कहा ‘वयं राष्ट्रे जागृयाम:’। इसका अर्थ हुआ, ‘हम सब राष्ट्र को जीवंत और जाग्रत बनाए रखेंगे।’
इस प्रकार राष्ट्र जागरण में प्रधानमंत्री मोदी ने एक बार पुनः हम सभी का साथ मांगा है ।