भारत की राजनीति में नेताओं के जन्म दिन मनाए जाने की बड़ी प्राचीन परम्परा है.
जमाने थे राजीव जी प्रधान मंत्री होते थे. जन्म दिवस पर सरकारी हवाई जहाज़ से द्वीप पर ज़ाया जाता था सैकड़ों मित्र रिश्तेदारों के साथ. देश विदेश से चुनिंदा दारू मीट भोजन आता था सरकारी खर्च पर. बॉलीवुड से लेकर हॉलीवुड पहुँचता था मनोरंजन करने सरकारी खर्च पर. आख़िर भारत भाग्य विधाता का जन्म दिवस है.
हमारे यहाँ जब बहन जी मुख्य मंत्री थीं तो एक सार्वजनिक सभा होती थी. उसमें बहन जी को छोटे लोग नोटों की गड्डियाँ चढ़ाते थे और बड़े लोग दसियो लाख नोटों की माला पहनाते थे. पूरे साल बहन जी के बर्थ डे के लिए वसूली कार्यक्रम चलता था. सरकारी अधिकारी से लेकर इंजीनियर तक सबको बर्थ्डे गिफ़्ट में नोट चढ़ाने होते थे, ना नूकुर करने पर उराई में एक जूनियर इंजीनियर को विधायक जी ने पीट पीट कर मार डाला था. आख़िर जनता का फ़र्ज़ है कमा कर महारानी का बर्थ्डे में गिफ़्ट दे.
अखिलेश भैय्या की सरकार का अलग ही सिस्टम था. वह पहले ही इतना कमा लेते थे कि बर्थ डे आदि के लिए अलग से वसूली न होती थी. बर्थ डे अर्थात् सेलब्रेशन. नेता जी के बर्थ डे के लिए इंग्लैंड से बग्घी इंपोर्ट कर मंगाई जाती थी महारानी वाली. 75 फ़ीट का केक काटा जाता था जिसे बाद में फेंक फेंक कर बाँटा जाता था. करोड़ों उड़ाए जाते थे. ज़िले ज़िले में नाचने वाली बुलाई जाती थीं, पूरी सरकार जन्म दिन पर स्वर्गिक सुख अनुभव करती थी.
हा दुर्भाग्य अब एक ऐसा फ़क़ीर गद्दी पर बैठा है जिसे पता ही नहीं कि गद्दी पर जन्म दिवस में कैसे पैसे लुटाने चाहिए. जन्म दिवस वाले दिन को सेली ब्रेट करना हो तो है कि देश की जनता का रेकर्ड वैक्सिनेशन हो. आज मोदी जी के जन्म दिवस पर देश में दो करोड़ से जयादा लोगों को कोविड वैक्सीन लगा कर विश्व रेकर्ड बना सेली ब्रेट किया गया है.
सरकार के जन्म दिन पर नेता जी के नोटों की माला पहनने से लेकर जनता को वैक्सीन का विश्व रेकर्ड तक का जो बदलाव है यही मोदी के बदलते भारत की तशवीर है.
Nitin Tripathi