सब लोग भगवान से मांगते है . बुरा नहीं है . लेकिन हम को भगवान से हमारी हेसियत के अनुसार मिलता है। रिस्ता बना के भगवान से मांगोगे तो उसमे सुगंध रहेगी। जैसे गाड़ी मे सेठ बैठा है और बाहर भिखारी कुछ पैसा मांगता है तो सेठ गाड़ी का काँच तोडा नीचे करके उनको एक रुपिया दे देता है।… वही सेठ के पास उसका लड़का पैसे मांगता है तो कहना नहीं पड़ता मुनीम से कह कर ले लेता है। दोनो मे फर्क देखो. आप भगवान से कौन सा रिस्ता बना के मांगोगे ?
कृष्णा ने गीता मे कहा है आप किनसे भी मांगोगे तो सब विनंती मेरे पास ही आती है। आप की पत्नी आप से साडी मांगती है सायद उसको अगले महीने देना चाहते है तो वो पड़ोसी के भाई से मांगती है तो आपको कैसा लगेगा ? आप भगवान को छौड कर दरगाह और साई के पास मांगोगे मतलब पत्नी का पड़ोसी के पास मांगना. एक बार दरगाह का इतिहास तो पढ़ो …साई का इतिहास तो पढ़ो।…..फिर माथा टेकना. मेरा ये कहना है आज लोग भगवान राम और कृष्णा से मांगना चाहिये रिस्ता बनाके। पति होते हुए पड़ोसी से मॅग्ना मतलब। कोई दरगाह मे जाके माथा टेकना। साई के पास मांगना…
