Posted in हिन्दू पतन

सेकुलरों द्वारा फैलाया गया महाझूठ 👉 “अमरनाथ गुफा एक मुसलमान चरवाहे ने खोजी” 😂 

सच जानिये…..👇

इन लोगों के अनुसार 1850 में एक मुस्लिम ने अमरनाथ गुफा की खोज की  और उससे  पहले अमरनाथ गुफा भी कोई जगह है, जहाँ भगवान शिव का प्रतिक यानि बर्फ का शिवलिंग बनता है ये हिन्दुओ को पता ही नहीं था, और कोई बाबा बर्फानी के दर्शन करने नहीं  जाता था 

1850 के बाद ही हिन्दू बाबा बर्फानी के बारे में जान सके और एक मुसलमान के कारण ऐसा हो सका …
अब आपको हम जो जानकारी देने वाले है उसे ध्यान से पढ़िए, और सिर्फ आप ही नहीं बल्कि पुरे देश को सेकुलरों के महाझूठ से बचाइए 👇👇😊
* 12वी शदी में महाराज अनंगपाल ने अमरनाथ गुफा की यात्रा की थी महारानी सुमन देवी के साथ जी हां, 1850 से सदियों पहले ही हिन्दू महाराजा ने अमरनाथ यात्रा की अपनी पत्नी के साथ 
* और इस बात का जिक्र 16वी सदी में लिखी गयी की किताब “वंशचरितावली” में है, ये किताब आज  भी मौजूद है 

* इसके अलावा कल्हण की “राजतरंगिनी तरंग द्वितीय” में उल्लेख मिलता है कि कश्मीर के राजा सामदीमत शिव के भक्त थे और वे पहलगाम के वनों में स्थित बर्फ के शिवलिंग की पूजा करने जाते थे! बर्फ का शिवलिंग कश्मीर को छोड़कर विश्व में कहीं भी नहीं है!
* इसके अलावा “बृंगेश संहिता, नीलमत पुराण, कल्हण की राजतरंगिनी” आदि में अमरनाथ तीर्थ का बराबर उल्लेख मिलता है! ये सारे किताब 1850 से पहले लिखे गए ,बृंगेश संहिता में कुछ महत्वपूर्ण स्थानों का उल्लेख है!
जहां तीर्थयात्रियों को अमरनाथ गुफा की ओर जाते समय धार्मिक अनुष्ठान करने पड़ते थे!

उनमें अनंतनया (अनंतनाग)

माच भवन (मट्टन)

गणेशबल (गणेशपुर)

मामलेश्वर (मामल)

चंदनवाड़ी (2,811 मीटर)

सुशरामनगर (शेषनाग, 3454 मीटर)

पंचतरंगिनी (पंचतरणी, 3,845 मीटर)

और अमरावती शामिल हैं!
इन मीडियो वालो और सेकुलरों ने भी झूठ को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाने में एक कसर न छोड़ी! इनके महाझूठ से पुरे देश को बचाये, 1850 से भी पहले हिन्दू बाबा बर्फानी के दर्शन करते रहे है।
जय भोलेनाथ🚩

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यमुनोत्री यानि यमुना के जन्म की कथा


🌼यमुनोत्री यानि यमुना के जन्म की कथा 🌼🌼🌼🌼🌼
भारत की सबसे पवित्र और प्राचीन नदियों में यमुना का स्मरण गंगा के साथ ही किया जाता है। इन नदियों के किनारे और दोआब की पुण्यभूमि में ही भारतीय संस्कृति का जन्म हुआ और विकास भी। यमुना केवल नदी नहीं है। इसकी परंपरा में प्रेरणा, जीवन और दिव्य भाव समाहित है। हिंदू पौराणिक ग्रंथों के अनुसार यमुना नदी, यमराज की बहन है। जिसका नाम यमी भी है।
यमराज और यमी के पिता सूर्य हैं। यमुना नदी का जल पहले साफ, कुछ नीला, कुछ सांवला था, इसलिए इन्हें ‘काली गंगा’ भी कहते हैं। असित एक ऋषि थे। सबसे पहले यमुना नदी को इन्होंने ही खोजा था। तभी से यमुना का एक नाम ‘असित’ संबोधित किया जाने लगा। कहते हैं कि सूर्य की एक पत्नी छाया थी। छाया दिखने में श्यामल थी। इसी वजह से उनकी संतान यमराज और यमुना भी श्याम वर्ण पैदा हुए। यमराज ने यमुना को वरदान दिया था कि यमुना में स्नान करने वाला व्यक्ति को यमलोक नहीं जाना पड़ेगा।
संवत्सर शुरु होने के छह दिन बाद यमुना अपने भाई को छोड़ कर धरा धाम पर आ गई थी। सूर्य की पत्नी का नाम ‘संज्ञा देवी’ था। इनकी दो संतानें, पुत्र यमराज तथा कन्या यमुना थी। संज्ञा देवी पति सूर्य की उद्दीप्त किरणों को न सह सकने के कारण उत्तरी ध्रुव प्रदेश में छाया बन कर रहने लगीं। उसी छाया से ताप्ती नदी तथा शनीचर का जन्म हुआ।
इधर छाया का ‘यम’ तथा ‘यमुना’ से विमाता सा व्यवहार होने लगा। इससे खिन्न होकर यम ने अपनी एक नई नगरी यमपुरी बसाई, यमपुरी में पापियों को दण्ड देने का कार्य सम्पादित करते भाई को देखकर यमुनाजी गो लोक चली आईं। कृष्णावतार के समय भी कहते हैं यमुना वहीं थी। यमुना नदी का उद्गम यमुनोत्री से है। जिस पहाड़ से यमुना निकलतीं हैं उसका एक नाम कालिंद है इसलिए यमुना को कालिंदी भी कहते हैं.
अपने उद्गम से आगे कई मील तक विशाल हिमगारों और हिम मंडित कंदराओं में अप्रकट रूप से बहती हुई पहाड़ी ढलानों पर से अत्यन्त तीव्रतापूर्वक उतरती हुई इसकी धारा दूर तक दौड़ती बहती चली जाती है। ब्रज में यमुना का महत्त्व वही है जो शरीर में आत्मा का। यमुना के बिना ब्रज की संस्कृति का कोई महत्त्व ही नहीं है।

🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼
विकाश खुराना

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भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं । भर्गो देवस्य धीमहि, धीयो यो न: प्रचोदयात्।


यजुर्वेद अध्याय 36 मंत्र 3
भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं । भर्गो देवस्य धीमहि, धीयो यो न: प्रचोदयात्।
अनुवाद:- (भूः) स्वयंभू परमात्मा है (भवः) सर्व को वचन से प्रकट करने वाला है (स्वः) सुख धाम सुखदाई है। (तत्) वह (सवितुः) सर्व का जनक परमात्मा है। (वरेणीयम) सर्व साधकांे को वरण करने योग्य अर्थात् अच्छी आत्माओं के भक्ति योग्य है। (भृगो) तेजोमय अर्थात् प्रकाशमान (देवस्य) परमात्मा का (धीमहि) उच्च विचार रखते हुए अर्थात् बड़ी समझ से (धी यो नः प्रचोदयात) जो बुद्धिमानों के समान विवेचन करता है, वह विवेकशील व्यक्ति मोक्ष का अधिकारी बनता है।
भावार्थ: परमात्मा स्वयंभू है, सर्व का सृजनहार है। उस उज्जवल परमेश्वर की भक्ति श्रेष्ठ भक्तों को यह विचार रखते हुए करनी चाहिए कि जो पुरुषोत्तम (सर्व श्रेष्ठ परमात्मा) है, जो सर्व प्रभुओं से श्रेष्ठ है, उसकी भक्ति करें जो सुखधाम अर्थात् सर्वसुख का दाता है।
वेद मंत्र में कहीं भी ॐ नहीं लिखा है। ये अज्ञानी संतो की अपनी सोच से लगाया गया है। आज से दो सौ वर्ष पुर्व किसी ने इस मन्त्र का उच्चारण विशेष रूप से परमात्मा की स्तुति के लिये नही किया । वेद वाचन और मनन के अतिरिक्त इस मन्त्र को साधना बता कर जोडना परमात्मा के विधान की सीधे तोर पर खण्डन करना ही है क्युकीं परमात्मा द्वारा रचित मन्त्र को किसी भी तरह तोड मरोड करना परमात्मा मे कमी बताना ही है , वेद मन्त्रो का अनुवाद करना अलग विषय है ।
वेदवती दास

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अनजाने कर्म का फल


*अनजाने कर्म का फल*

एक राजा ब्राह्मणों को लंगर में महल के आँगन में भोजन करा रहा था ।

राजा का रसोईया खुले आँगन में भोजन पका रहा था ।

उसी समय एक चील अपने पंजे में एक जिंदा साँप को लेकर राजा के महल के उपर से गुजरी ।

तब पँजों में दबे साँप ने अपनी आत्म-रक्षा में चील से बचने के लिए अपने फन से ज़हर निकाला ।

तब रसोईया जो लंगर ब्राह्मणो के लिए पका रहा था, उस लंगर में साँप के मुख से निकली जहर की कुछ बूँदें खाने में गिर गई ।

किसी को कुछ पता नहीं चला ।

फल-स्वरूप वह ब्राह्मण जो भोजन करने आये थे उन सब की जहरीला खाना खाते ही मौत हो गयी ।

अब जब राजा को सारे ब्राह्मणों की मृत्यु का पता चला तो ब्रह्म-हत्या होने से उसे बहुत दुख हुआ ।

ऐसे में अब ऊपर बैठे यमराज के लिए भी यह फैसला लेना मुश्किल हो गया कि इस पाप-कर्म का फल किसके खाते में जायेगा …. ???

(1) राजा …. जिसको पता ही नहीं था कि खाना जहरीला हो गया है ….

या

(2 ) रसोईया …. जिसको पता ही नहीं था कि खाना बनाते समय वह जहरीला हो गया है ….

या

(3) वह चील …. जो जहरीला साँप लिए राजा के उपर से गुजरी ….

या

(4) वह साँप …. जिसने अपनी आत्म-रक्षा में ज़हर निकाला ….

बहुत दिनों तक यह मामला यमराज की फाईल में अटका रहा ….

फिर कुछ समय बाद कुछ ब्राह्मण राजा से मिलने उस राज्य मे आए और उन्होंने किसी महिला से महल का रास्ता पूछा ।

उस महिला ने महल का रास्ता तो बता दिया पर रास्ता बताने के साथ-साथ ब्राह्मणों से ये भी कह दिया कि “देखो भाई ….जरा ध्यान रखना …. वह राजा आप जैसे ब्राह्मणों को खाने में जहर देकर मार देता है ।”

बस जैसे ही उस महिला ने ये शब्द कहे, उसी समय यमराज ने फैसला ले लिया कि उन मृत ब्राह्मणों की मृत्यु के पाप का फल इस महिला के खाते में जाएगा और इसे उस पाप का फल भुगतना होगा ।

यमराज के दूतों ने पूछा – प्रभु ऐसा क्यों ??

जब कि उन मृत ब्राह्मणों की हत्या में उस महिला की कोई भूमिका भी नहीं थी ।

तब यमराज ने कहा – कि भाई देखो, जब कोई व्यक्ति पाप करता हैं तब उसे बड़ा आनन्द मिलता हैं । पर उन मृत ब्राह्मणों की हत्या से ना तो राजा को आनंद मिला …. ना ही उस रसोइया को आनंद मिला …. ना ही उस साँप को आनंद मिला …. और ना ही उस चील को आनंद मिला ।

पर उस पाप-कर्म की घटना का बुराई करने के भाव से बखान कर उस महिला को जरूर आनन्द मिला । इसलिये राजा के उस अनजाने पाप-कर्म का फल अब इस महिला के खाते में जायेगा ।

बस इसी घटना के तहत *आज तक जब भी कोई व्यक्ति जब किसी दूसरे के पाप-कर्म का बखान बुरे भाव से करता हैं तब उस व्यक्ति के पापों का हिस्सा उस बुराई करने वाले के खाते में भी डाल दिया जाता हैं !*

अक्सर हम जीवन में सोचते हैं कि *हमने जीवन में ऐसा कोई पाप नहीं किया, फिर भी हमारे जीवन में इतना कष्ट क्यों आया….??*

ये कष्ट और कहीं से नहीं, बल्कि लोगों की बुराई करने के कारण उनके पाप-कर्मो से आया होता हैं जो बुराई करते ही हमारे खाते में ट्रांसफर हो जाता हैं ..🌷🙏🌷..

*A very deep philosophy of Karma*
R K Neekhara

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माँ जगदम्बा दुर्गा के नौ रूप मनुष्य को शांति,सुख,वैभव,निरोगी काया एवं भौतिक आर्थिक इच्छाओं को पूर्ण करने वाले हैं।


माँ जगदम्बा दुर्गा के नौ रूप मनुष्य

को शांति,सुख,वैभव,निरोगी काया

एवं भौतिक आर्थिक इच्छाओं को

पूर्ण करने वाले हैं।
माँ अपने बच्चों को हर प्रकार का

सुख प्रदान कर अपने आशीष की

छाया में बैठाकर संसार के प्रत्येक

दुख से दूर करके सुखी रखती है।
प्रस्तुत है नवदुर्गा के नौ रूप औषधियों

के रूप में कैसे कार्य करते हैं एवं अपने

भक्तों को कैसे सुख पहुँचाते हैं।
सर्वप्रथम इस पद्धति को मार्कण्डेय

चिकित्सा पद्धति के रूप में दर्शाया

परंतु गुप्त ही रहा।
इस चिकित्सा प्रणाली के रहस्य को

ब्रह्माजी ने अपने उपदेश में दुर्गाकवच

कहा है।
नौ प्रमुख दुर्गा का विवेचन किया है।

ये नवदुर्गा वास्तव में दिव्य गुणों वाली

नौ औषधियाँ हैं।
प्रथमं शैलपुत्री च द्वितीयं ब्रह्मचारिणी,

तृतीयं चंद्रघण्टेति कुष्माण्डेती चतुर्थकम।।

पंचम स्कन्दमा‍तेति षुठ कात्यायनीति च।

सप्तमं कालरात्रीति महागौ‍र‍ीति चाष्टम।।

नवमं सिद्धिदात्री च नवदुर्गा प्रकीर्तिता।
ये औषधियाँ प्राणियों के समस्त रोगों

को हरने वाली और रोगों से बचाए

रखने के लिए कवच का काम करने

वाली है।
ये समस्त प्राणियों की पाँचों ज्ञानेंद्रियों

व पाँचों कमेंद्रियों पर प्रभावशील है।
इनके प्रयोग से मनुष्य अकाल मृत्यु

से बचकर सौ वर्ष की आयु भोगता है।
ये आराधना मनुष्य विशेषकर नवरात्रि,

चैत्रीय एवं अगहन (क्वार) में करता है।
इस समस्त देवियों को रक्त में विकार

पैदा करने वाले सभी रोगाणुओं को

काल कहा जाता है।
प्रथम शैलपुत्री (हरड़) –
प्रथम रूप शैलपुत्री माना गया है।

इस भगवती देवी शैलपुत्री को

हिमावती हरड़ कहते हैं।
यह आयुर्वेद की प्रधान औषधि है

जो सात प्रकार की होती है।
हरीतिका (हरी) जो भय को हरने

वाली है।
पथया – जो हित करने वाली है।

कायस्थ – जो शरीर को बनाए रखने

वाली है।
अमृता (अमृत के समान) हेमवती (हिमालय पर होने वाली)।
चेतकी – जो चित्त को प्रसन्न करने

वाली है।

श्रेयसी (यशदाता) शिवा – कल्याण

करने वाली ।
द्वितीय ब्रह्मचारिणी (ब्राह्मी) –
दुर्गा का दूसरा रूप ब्रह्मचारिणी को

ब्राह्मी कहा है।
ब्राह्मी आयु को बढ़ाने वाली स्मरण

शक्ति को बढ़ाने वाली,रूधिर विकारों

को नाश करने के साथ-साथ स्वर को

मधुर करने वाली है।
ब्राह्मी को सरस्वती भी कहा जाता है।

क्योंकि यह मन एवं मस्तिष्क में शक्ति प्रदान करती है।

यह वायु विकार और मूत्र संबंधी

रोगों की प्रमुख दवा है।

यह मूत्र द्वारा रक्त विकारों को बाहर निकालने में समर्थ औषधि है।

अत: इन रोगों से पीड़ित व्यक्ति

को ब्रह्मचारिणी की आराधना करना चाहिए।
तृतीय चंद्रघंटा (चन्दुसूर) –
दुर्गा का तीसरा रूप है चंद्रघंटा, इसे चनदुसूर या चमसूर कहा गया है।

यह एक ऐसा पौधा है जो धनिये के

समान है।

(इस पौधे की पत्तियों की सब्जी बनाई जाती है।

ये कल्याणकारी है।

इस औषधि से मोटापा दूर होता है।

इसलिए इसको चर्महन्ती भी कहते हैं।

शक्ति को बढ़ाने वाली,खत को शुद्ध

करने वाली एवं हृदयरोग को ठीक

करने वाली चंद्रिका औषधि है।

अत: इस बीमारी से संबंधित रोगी

को चंद्रघंटा की पूजा करना चाहिए।
चतुर्थ कुष्माण्डा (पेठा) –
दुर्गा का चौथा रूप कुष्माण्डा है।

ये औषधि से पेठा मिठाई बनती है।

इसलिए इस रूप को पेठा कहते हैं।

इसे कुम्हडा भी कहते हैं।
यह कुम्हड़ा पुष्टिकारक वीर्य को बल

देने वाला (वीर्यवर्धक) व रक्त के विकार

को ठीक करता है।

एवं पेट को साफ करता है।
मानसिक रूप से कमजोर व्यक्ति के

लिए यह अमृत है।

यह शरीर के समस्त दोषों को दूर कर

हृदय रोग को ठीक करता है।

कुम्हड़ा रक्त पित्त एवं गैस को दूर

करता है।
यह दो प्रकार की होती है।

इन बीमारी से पीड़ित व्यक्ति ने पेठा

का उपयोग के साथ कुष्माण्डा देवी

की आराधना करना चाहिए।
पंचम स्कंदमाता (अलसी) –
दुर्गा का पाँचवा रूप स्कंद माता है।

इसे पार्वती एवं उमा भी कहते हैं।

यह औषधि के रूप में अलसी के

रूप में जानी जाती है।

यह वात,पित्त,कफ,रोगों की नाशक

औषधि है।
अलसी नीलपुष्पी पावर्तती स्यादुमा क्षुमा।

अलसी मधुरा तिक्ता स्त्रिग्धापाके कदुर्गरु:।।

उष्णा दृष शुकवातन्धी कफ पित्त विनाशिनी।
इस रोग से पीड़ित व्यक्ति को

स्कंदमाता की आराधना करना

चाहिए।
षष्ठम कात्यायनी (मोइया) –

दुर्गा का छठा रूप कात्यायनी है।

इस आयुर्वेद औषधि में कई नामों

से जाना जाता है।
जैसे अम्बा,अम्बालिका,अम्बिका

इसको मोइया अर्थात माचिका भी

कहते हैं।
यह कफ,पित्त,अधिक विकार एवं

कंठ के रोग का नाश करती है।
इससे पीड़ित रोगी ने कात्यायनी की माचिका प्रस्थिकाम्बष्ठा तथा अम्बा,

अम्बालिका,अम्बिका,खताविसार

पित्तास्त्र कफ कण्डामयापहस्य।
सप्तम कालरात्रि (नागदौन) –
दुर्गा का सप्तम रूप कालरात्रि है जिसे महायोगिनी, महायोगीश्वरी कहा गया है।

यह नागदौन औषधि के रूप में जानी जाती है।
सभी प्रकार के रोगों की नाशक सर्वत्र विजय दिलाने वाली मन एवं मस्तिष्क

के समस्त विकारों को दूर करने वाली

औषधि है।
इस पौधे को व्यक्ति अपने घर में लगा

ले तो घर के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं।

यह सुख देने वाली एवं सभी विषों की नाशक औषधि है।

इस कालरात्रि की आराधना प्रत्येक

पीड़ित व्यक्ति को करना चाहिए।
अष्टम महागौरी (तुलसी) –
दुर्गा का अष्टम रूप महागौरी है।

जिसे प्रत्येक व्यक्ति औषधि के रूप

में जानता है क्योंकि इसका औषधि

नाम तुलसी है जो प्रत्येक घर में लगाई

जाती है।
तुलसी सात प्रकार की होती है।

सफेद तुलसी,काली तुलसी,मरुता,

दवना,कुढेरक,अर्जक,षटपत्र।

ये सभी प्रकार की तुलसी रक्त को

साफ करती है।

रक्त शोधक है एवं हृदय रोग का नाश करती है।
तुलसी सुरसा ग्राम्या सुलभा बहुमंजरी।

अपेतराक्षसी महागौरी शूलघ्‍नी देवदुन्दुभि:

तुलसी कटुका तिक्ता हुध उष्णाहाहपित्तकृत् ।

मरुदनिप्रदो हध तीक्षणाष्ण: पित्तलो लघु:।
इस देवी की आराधना हर सामान्य एवं रोगी व्यक्ति को करना चाहिए।
नवम सिद्धदात्री (शतावरी) –
दुर्गा का नवम रूप सिद्धिदात्री है।

जिसे नारायणी या शतावरी कहते हैं।

शतावरी बुद्धि बल एवं वीर्य के लिए

उत्तम औषधि है।
रक्त विकार एवं वात पित्त शोध

नाशक है।

हृदय को बल देने वाली महाऔषधि है।

सिद्धिधात्री का जो मनुष्ट नियमपूर्वक

सेवन करता है,

उसके सभी कष्ट स्वयं ही दूर हो

जाते हैं।
इससे पीड़ित व्यक्ति को सिद्धिदात्री

देवी की आराधना करना चाहिए।
इस प्रकार प्रत्येक देवी आयुर्वेद की

भाषा में मार्कण्डेय पुराण के अनुसार

नौ औषधि के रूप में मनुष्य की प्रत्येक

बीमारी को ठीक कर रक्त का संचालन

उचित एवं साफ कर मनुष्य को स्वस्थ

करती है।
अत: मनुष्य को इनकी आराधना एवं

सेवन करना चाहिए।

—#प्रत्यंचा_सनातन_संस्कृति,,,

-#सन्दर्भ_मार्कंडेय_पुराण;
प्रथमं शैलपुत्री च द्वितीयं ब्रह्मचारिणी,

तृतीयं चंद्रघण्टेति कुष्माण्डेती चतुर्थकम।।

पंचम स्कन्दमा‍तेति षुठ कात्यायनीति च।

सप्तमं कालरात्रीति महागौ‍र‍ीति चाष्टम।।

नवमं सिद्धिदात्री च नवदुर्गा प्रकीर्तिता।
ॐ अम्बे अम्बिकेऽम्बालिके

न मा नयति कश्चन।

ससस्त्यश्चकः सुभद्रिकां

काम्पीलवासिनीम्।।
पत्तने नगरे ग्रामे

विपिने पर्वते गृहे।

नानाजातिकुलेशानीँ

दुर्गामावाहयाम्यहम्।।
या देवि सर्वभूतेषु

मातृरुपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै

नमस्तस्यै नमो नमः।।
मन्त्रहीनं क्रियाहीनं

भक्तिहीनं सुरेश्वरि।

यत्पूजितं मया देवि

परिपूर्णँ तदस्तु मे।।
समस्त चराचर प्राणियों एवं

सकल विश्व का कल्याण करो

मातु भवानी,,
करो कृपा जग जननी भवानी,

भव सागर तर जाएँ हम,,
ॐ श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नमः,

ॐ नमश्चण्डिकाये !
जयति पुण्य सनातन संस्कृति,,,

जयति पुण्य भूमि भारत,,,
सदा सर्वदा सुमंगल,,,

जय भवानी,,,

जय श्री राम,,
विजय कृष्णा पांडेय

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ममता का खतरनाक खेल 

जो लोग ये समझते है की ममता बनर्जी कोई अर्ध शिक्षित , उज्जड ,सनकी महिला है , वे गलत समझते है। ममता बनर्जी एक काफी पढ़ी लिखी, बेहद चालाक और अति महत्वाकांक्षी शातिर महिला है और वे हर काम सोच समझ कर करती है। उनकी सत्ता की प्यास अपार है, और सत्ता के लिए कुछ भी कर सकती है. यु समझिये की वे अरविन्द केजरीवाल की बड़ी बहन है।

सत्ता के लिए उन्होंने बीजेपी से भी हाथ मिलाया था. अटल जी की सरकार में वे मंत्री थी। जब उन्हें लगा की NDA छोड़ने से ज्यादा फायदा है , तो उस फर्जी तहलका कांड का बहाना बना कर NDA छोड़ा , और जाते –जाते जॉर्ज फ़र्नाडिस जैसे ईमानदार और जुझारू नेता पर भी आरोप लगाने से नहीं चुकी. फिर कांग्रेस का साथ किया , UPA में मंत्री रही , और जब देखा की अकेले कोम्मिनिस्तो से निपट सकती है , कांग्रेस को भी डंप कर दिया.स्पष्ट है की ममता का कोई सिधांत नहीं है , सिर्फ सत्ता प्राप्त करने के सिवा। 

अब प्रश्न ये है की ममता सत्ता क्यों चाहती है. उनके पिछले वर्षो के शासन से ये स्पष्ट है की देश /समाज का भला करने के लिए तो बिलकुल नहीं। चूँकि निसंतान है , तो परिवार के लिए भी नहीं. धन की लालची भी नहीं लगती ( मायावती के सामान , जिनका पैसा कमाना ही ध्येय है). फिर सत्ता प्राप्ति का उदैस्य? 

दरअसल ममता का ध्येय बंगाल का CM, या देश का PM बनना भी नहीं है. उनका असली उदैस्य एक नए देश को बनाना है , ठीक जिन्ना की तरह, और वो देश है महाबंगाल। 

देश के विभाजन के पूर्व ही , बंगाल के मुस्लिम नेता जैसे सुहरावर्दी एक स्वतंत्र महा बंगाल बनाना चाहते थे क्यों की उसमे मुसलमान बहुमत में थे , और सत्ता उनके पास ही रहती. वे बंगाल का विभाजन नहीं चाहते थे. इस योजना को जिन्ना का भी समर्थन था। गांधीजी जैसे बहुत से हिन्दू नेता भी हिन्दू –मुस्लिम एकता के नाम पर इस बात पर सहमत हो गए थे , लेकिन भारतीय जनसंघ के संस्थापक श्री श्यामा प्रसाद मुखर्जी के प्रबल विरोध के कारन ये षड़यंत्र विफल हो गया था. लेकिन मुस्लिम नेताओ की एक मुस्लिम बहुल, मुस्लिम शासित, महा बंगाल की इक्षा बरक़रार रही। 

अब ममता इसको पूरा कर रही है. बांग्लादेश में मुस्लमान 85% है. पशिम बंगाल में 25%. योजना ये है , की बांग्लादेश से घुसपैठिये पश्चिम बंगाल में बसाये जाय, और मुस्लिम आबादी बड़ाई जाय। जिस दिन मुस्लिम आबादी 51% हो जाय , उस दिन पशिम बंगाल को मुस्लिम राष्ट्र घोषित कर उसका विलय बांग्लादेश में कर दिया जाय। 

वैसे भी ममता सिर्फ नाम की हिन्दू है. मैंने अब तक उनकी दुर्गा पूजा मनाते कोई फोटो नहीं देखी , लेकिन इबादत करते , इफ्तार करते कई फोटो देखी है।

ममता  ने MA भी इस्लामिक हिस्ट्री में किया है। इस्लाम से उनका लगाव पुराना है। मुस्लिम में वे लोकप्रिय भी है। मुस्लमान बन जाने के बाद एक मुस्लिम बहुल महा बंगाल का PM बनने से उन्हें कौन रोक सकता है. चुकी इस्लाम में कम्युनिज्म बैन है ( कम्युनिस्ट ईस्वर को नहीं मानते . और इस्लामिक देश में ये कहना की ईस्वर नहीं है , संगीन जुर्म है जिसकी सजा मौत है ), इसलिए ममता को वहा कोई मुकाबला देने वाला भी नहीं होगा  यही उनका प्लान।

विजय मिश्रा

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भगवान को भेंट


*भगवान को भेंट*
पुरानी बात है, एक सेठ के पास एक व्यक्ति काम करता था ।

सेठ उस व्यक्ति पर बहुत विश्वास करता था l

जो भी जरुरी काम हो सेठ हमेशा उसी व्यक्ति से कहता था।

वो व्यक्ति भगवान का बहुत बड़ा भक्त था l

वह सदा भगवान के चिंतन भजन कीर्तन स्मरण सत्संग आदि का

लाभ लेता रहता था ।

.

🔸 एक दिन उस ने सेठ से श्री जगन्नाथ धाम यात्रा करने के लिए कुछ दिन की छुट्टी

मांगी सेठ ने उसे छुट्टी देते हुए

कहा भाई मैं तो हूं संसारी आदमी

हमेशा व्यापार के काम में व्यस्त रहता हूं जिसके कारण

कभी तीर्थ गमन का लाभ

नहीं ले पाता ।

🔹 तुम जा ही रहे हो तो यह लो 100

रुपए मेरी ओर से श्री जगन्नाथ प्रभु के

चरणों में समर्पित कर देना । भक्त सेठ से सौ रुपए लेकर

श्री जगन्नाथ धाम यात्रा पर निकल गया.. .

🔸 कई दिन की पैदल यात्रा करने के बाद वह

श्री जगन्नाथ पुरी पहुंचा ।

मंदिर की ओर प्रस्थान करते समय उसने रास्ते में देखा

कि बहुत सारे संत , भक्त जन, वैष्णव जन, हरि नाम

संकीर्तन बड़ी मस्ती में कर

रहे हैं ।

🔹 सभी की आंखों से अश्रु धारा बह

रही है । जोर-जोर से हरि बोल, हरि बोल

गूंज रहा है । संकीर्तन में बहुत आनंद आ

रहा था । भक्त भी वहीं रुक कर

हरिनाम संकीर्तन का आनंद लेने लगा ।

.

🔸 फिर उसने देखा कि संकीर्तन करने वाले भक्तजन

इतनी देर से संकीर्तन करने के कारण

उनके होंठ सूखे हुए हैं वह दिखने में कुछ भूखे

भी प्रतीत हो रहे हैं उसने सोचा

क्यों ना सेठ के सौ रुपए से इन भक्तों को भोजन करा दूँ।

.

🔹 उसने उन सभी को उन सौ रुपए में से भोजन

की व्यवस्था कर दी। सबको भोजन कराने में

उसे कुल 98 रुपए खर्च करने पड़े ।

.

🔸 उसके पास दो रुपए बच गए उसने सोचा चलो अच्छा हुआ दो

रुपए जगन्नाथ जी के चरणों में सेठ के नाम से चढ़ा दूंगा l

जब सेठ पूछेगा तो मैं कहूंगा पैसे चढ़ा दिए । सेठ

यह तौ नहीं कहेगा 100 रुपए चढ़ाए । सेठ

पूछेगा पैसे चढ़ा दिए मैं बोल दूंगा कि , पैसे चढ़ा दिए ।

झूठ भी नहीं होगा और काम

भी हो जाएगा ।

.

🔹 भक्त ने श्री जगन्नाथ जी के

दर्शनों के लिए मंदिर में प्रवेश किया श्री जगन्नाथ

जी की छवि को निहारते हुए

अपने हृदय में उनको विराजमान कराया ।

अंत में उसने सेठ के दो

रुपए श्री जगन्नाथ जी के चरणो में चढ़ा दिए ।

और बोला यह दो रुपए सेठ ने भेजे हैं ।

.

🔸 उसी रात सेठ के पास स्वप्न में श्री

जगन्नाथ जी आए आशीर्वाद दिया और बोले

सेठ तुम्हारे 98 रुपए मुझे मिल गए हैं यह कहकर

श्री जगन्नाथ जी अंतर्ध्यान हो गए ।

.

🔹 सेठ जाग गया सोचने लगा मेरा नौकर तौ बड़ा ईमानदार है ,

पर अचानक उसे क्या जरुरत पड़ गई थी उसने दो रुपए

भगवान को कम चढ़ाए? उसने दो रुपए का क्या खा लिया ?

उसे ऐसी क्या जरूरत पड़ी ?

ऐसा विचार सेठ करता रहा ।

.

🔸 काफी दिन बीतने के बाद भक्त वापस

आया और सेठ के पास पहुंचा। सेठ ने कहा कि मेरे पैसे

जगन्नाथ जी को चढ़ा दिए थै ? भक्त बोला हां मैंने

पैसे चढ़ा दिए ।

.

🔹 सेठ ने कहा पर तुमने 98 रुपए क्यों चढ़ाए दो रुपए किस काम

में प्रयोग किए । तब भक्त ने सारी बात बताई

की उसने 98 रुपए से संतो को भोजन करा दिया था । और

ठाकुर जी को सिर्फ दो रुपए चढ़ाये थे ।

.

🔸 सेठ सारी बात समझ गया व बड़ा खुश हुआ तथा

भक्त के चरणों में गिर पड़ा और बोला आप धन्य हो

आपकी वजह से मुझे श्री जगन्नाथ

जी के दर्शन यहीं बैठे-बैठे हो

गए l

सन्तमत विचार-

भगवान को आपके धन की कोई

आवश्यकता नहीं है । भगवान को वह 98

रुपए स्वीकार है जो जीव मात्र

की सेवा में खर्च किए गए और उस दो रुपए का कोई

महत्व नहीं जो उनके चरणों में नगद चढ़ाए गए l
आज का दिन शुभ एवम मंगलमय हो l

श्री राम कृपा हम सभी पर सदा बनी रहे l

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R K Nakeera

Posted in मातृदेवो भव:

बर्तनों की आवाज़ देर रात तक आ रही थी

रसोई का नल चल रहा है

माँ रसोई में है….

तीनों बहुऐं अपने-अपने कमरे में सो चुकी

माँ रसोई में है…

माँ का काम बकाया रह गया था

पर काम तो सबका था

पर माँ तो अब भी सबका काम अपना ही मानती है

दूध गर्म करके

ठण्ड़ा करके

जावण देना है…

ताकि सुबह बेटों को ताजा दही मिल सके…

सिंक में रखे बर्तन माँ को कचोटते हैं

चाहे तारीख बदल जाये, सिंक साफ होना चाहिये ।

बर्तनों की आवाज़ से 

बहु-बेटों की नींद खराब हो रही है

बड़ी बहु ने बड़े बेटे से कहा ” तुम्हारी माँ को नींद नहीं आती क्या ? ना खुद सोती है ना सोने देती है”

मंझली ने मंझले बेटे से कहा ” अब देखना सुबह चार बजे फिर खटर-पटर चालु हो जायेगी, तुम्हारी माँ को चैन नहीं है क्या?”

छोटी ने छोटे बेटे से कहा ” प्लीज़ जाकर ये ढ़ोंग बन्द करवाओ, कि रात को सिंक खाली रहना चाहिये”

माँ अब तक बर्तन माँज चुकी थी ।

झुकी कमर

कठोर हथेलियां

लटकी सी त्वचा

जोड़ों में तकलीफ

आँख में पका मोतियाबिन्द

माथे पर टपकता पसीना

पैरों में उम्र की लड़खडाहट

मगर….

दूध का गर्म पतीला

वो आज भी अपने पल्लु से उठा लेती है

और…

उसकी अंगुलियां जलती नहीं है, क्यों कि

वो माँ है ।

दूध ठण्ड़ा हो चुका…

जावण भी लग चुका…

घड़ी की सुईयां थक गई…

मगर…

माँ ने फ्रिज में से भिण्ड़ी निकाल ली

और…

काटने लगी

उसको नींद नहीं आती है, क्यों कि

वो माँ है ।

कभी-कभी सोचता हूं कि माँ जैसे विषय पर

लिखना, बोलना, बनाना, बताना, जताना

कानुनन बन्द होना चाहिये….

क्यों कि यह विषय निर्विवाद है

क्यों कि यह रिश्ता स्वयं कसौटी है ।

रात के बारह बजे सुबह की भिण्ड़ी कट गई…

अचानक याद आया कि गोली तो ली ही नहीं…

बिस्तर पर तकिये के नीचे रखी थैली निकाली..

मूनलाईट की रोशनी में 

गोली के रंग के हिसाब से मुंह में रखी और 

गटक कर पानी पी लिया…

बगल में एक नींद ले चुके बाबुजी ने कहा ” आ गई”

“हाँ, आज तो कोई काम ही नहीं था” 

माँ ने जवाब दिया ।

और… लेट गई, कल की चिन्ता में

पता नहीं नींद आती होगी या नहीं पर 

पर सुबह वो थकान रहित होती हैं, क्यों कि

वो माँ है ।

सुबह का अलार्म बाद में बजता है

माँ की नींद पहले खुलती है 

याद नहीं कि कभी भरी सर्दियों में भी

माँ गर्म पानी से नहायी हो

उन्हे सर्दी नहीं लगती, क्यों कि

वो माँ है ।

अखबार पढ़ती नहीं, मगर उठा कर लाती है

चाय पीती नहीं, मगर बना कर लाती है

जल्दी खाना खाती नहीं, मगर बना देती है….

क्यों कि वो माँ है ।
माँ पर बात जीवनभर खत्म ना होगी..

शेष अगली बार…..

साभार -मिन्टू सिंघाई

Posted in काश्मीर - Kashmir

कश्मीर कुछ अनकही कुछ अनसुनी बातें 

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नेपाल में राजशाही ख़त्म होने के बाद प्रजातंत्र आया।  डेमोक्रेटिक तरीके से सरकार की स्थापना हुई और शासन चलाने के लिए संविधान बना।  नेपाल की मुख्य पार्टियों में नेपाल कांग्रेस , प्रचन दा की नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी और बाकी छोटी छोटी पार्टियां हैं।  नेपाल में हिल और तराई क्षेत्र दो मुख्य इलाके हैं।  
तराई में रहने वाले मधेशी कहलाते हैं जिनके भारत से अभिन्न सम्बन्ध रहे हैं।  मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद नेपाल से भारत के सम्बन्ध बिगड़े।  क्योंकि नेपाली सरकार का आरोप था की नेपाल में चलते मधेशियों के आंदोलन को भारत की मोदी सरकार हवा दे रही है , भड़का रही है।  नेपाल की सरकार को  झुकाने के लिए अघोषित ब्लॉकेड कर रही है।  
सवाल ये है की मधेशियो का आंदोलन क्या था ? वो अपनी ही सरकार के खिलाफ क्यों थे ? इतने खिलाफ की महीनो उन्होंने ब्लॉकेड रखा।  अन्न जल पेट्रोल डीजल हर चीज की किल्लत होने दी।  
डेमोक्रेसी के बाद जब संविधान बना. साथ में चुनाव करवा कर सरकार की स्थापना के लिए नेपाल को चुनावी क्षेत्रो में बांटा गया।  संसदीय सीटें। 
उस समय की सरकार में कम्युनिस्ट ज्यादा थे जो हिली एरिया से बिलोंग करते थे।  आबादी ज्यादा तराई इलाको में थी।  मधेशी ज्यादा थे।  
लेकिन संसदीय सीटें इस तरह निर्धारित की गयी ताकि हिल रीजन से ज्यादा सांसद चुने जाएँ और तराई इलाकों से कम।  
इससे सत्ता में हमेशा पहाड़ी लोगों का वर्चस्व रहेगा।  सरकार उनकी रहेगी।  
और  यही नेपाल में अशांति का कारन बना।  आज तक असंतोष है और मधेशी आंदोलनरत हैं।  
कम जनसँख्या, कम इलाका  होते हुए भी नेपाल में एक वर्ग ने सत्ता पर पकड़ हासिल कर ली।  
क्या पहले भी ऐसा हुआ है कभी।  जब ऐसी ही किसी तरकीब से किसी वर्ग ने सत्ता पर अपनी पकड़ मजबूत की हो ? 
नीचे सलंग्न तस्वीर देखिये।  ये नक्शा जम्मू कश्मीर का है।  कुल इलाका २ लाख वर्ग किलोमीटर।  जिसमे करीब 1 लाख भारत के पास है , 78 हजार पाकिस्तान के  पास और शेष चीन के पास।  
भारतीय जम्मू कश्मीर प्रदेश के तीन रीजन हैं। 
लद्दाख जो सबसे बड़ा डिवीजन है , जिसमे दो जिले हैं।  ये बौद्ध बहुल इलाका है।  
 जम्मू दूसरा बड़ा डिवीजन जिसमे दस जिले हैं , ये हिन्दू बहुल है और कुछ जिले मुस्लिम बहुल।  
कश्मीर जिसका कुल एरिया 15 हजार किलोमीटर है दस जिले हैं और मुस्लिम प्रधान है।  कश्मीर का कुल एरिया लद्दाख के कारगिल जिले के बराबर है और लेह जिला कश्मीर एरिया का तिगुना है।  
जम्मू एरिया से कुल 37 विधायक चुने जाते हैं।  लद्दाख से 4 और कश्मीर से 46 . 
कुल 87 विधायकों में 46 विधायक कश्मीर से।  सबसे छोटे इलाके से।  
फिर अचरज की क्या बात की जम्मू कश्मीर को हम कश्मीरी राजनीती से ही जानते हैं।  महबूबा मुफ़्ती , फारूख बाप बेटा , गुलाम नबी आजाद।  यही जम्मू कश्मीर को रिप्रेजेंट करते हैं।  
जम्मू कश्मीर की कुल आबादी में 68 % मुस्लिम हैं।  और इसीलिए गुलाम नबी आजाद ने पिछले चुनाव में कहा था की जम्मू कश्मीर में कोई मुख्य मंत्री बनेगा तो वो मुस्लिम ही होगा।  
लेकिन क्या आबादी में बहुलता ही सब कुछ है ? 
एरिया छोटा बड़ा महत्वपूर्ण नहीं है।  लद्दाख के हिस्से में 4 विधायक संतोषजनक हैं।  जिनमे एक विधायक का एरिया 35 हजार वर्ग किलोमीटर हैं।  कश्मीर का ढाई गुना।  क्या ये जस्टिफाइड है ? 
और प्रदेशों में आबादी कम होते हुए भी ज्यादा सीटें नहीं हैं ? 
प्रदेश की राजनीति , सत्ता पर अपनी पकड़ बनाये रखने का ये बेहद आसान तरीका है।  
कब कैसे ये विधानसभा सीटें निश्चित हुईं ? किसने किया , किसने साजिश रची , मालूम नहीं ? 
कश्मीर को लेकर फैली तमाम उत्तेजना में कुछ सवाल कभी नहीं पूछे गए।  
लेकिन अब वो सवाल सामने आएंगे जरूर।

Posted in कविता - Kavita - કવિતા

सुल्तान फिल्म देखने के बाद हमे लगा कि एक कविता इसी बेस पर लिख ही देनी चाहिए ।

तो लीजिए हाजिर है 
बेबी को बेस पसंद है ।
शहर की छोरी को फेस पसंद है ।

गाव की छोरी को  भैस पसंद है ।

    दुकानदार को कैश पसंद है ।।

पर हमको तो भारत देश पसंद है ।।
बेबी को बेस पसंद है ।

गंजो को केश पसंद है ।

सास बहू मे टेस पसंद है ।

बच्चों को तो नयी ड्रेस पसंद है ।।
हा  बेबी को बेस पसंद है ।
विश्वनाथन आनंद को चेस पसंद है ।

   मार्टीना हिंगिस को पेस पसंद है ।

      मोदी जी को तो विदेश पसंद है ।

पर हमको तो अपना भारत देश पसंद है ।।
हाँ  बेबी को बेस पसंद है ।
बेबी को बेस पसंद है ।

स्मृति ईरानी को बेमतलब का तैश पसंद है।

सपाइयो को उनका उत्तर प्रदेश पसंद है ।

आतंकियो को मोहम्मद ए जैश पसंद है ।।

     पर हमको तो भारत देश पसंद है ।।
हाँ बेबी को बेस पसंद है ।

मोदी जी को रोज नयी नयी ड्रेस पसंद है ।

मायावती जी को तो चुनावी कैश पसंद है ।

सोनिया जी को राहुल का तैश पसंद है।

मुलायम सिंह यादव जी को चुनावी रेस पसंद है ।

पर आजम खाँ को बस अपनी भैस पसंद है ।।
हाँ बेबी को बेस पसंद है ।
विद्यार्थीयो को पेपर का गेस पसंद है ।

एथलीटो को मैंदान मे रेस पसंद है ।

हास्टलरो को भाई बढिया मेस पसंद है ।

   पर हमको तो भारत देश पसंद है ।।
हाँ बेबी को बेस पसंद है ।
सपाइयो को उत्तर प्रदेश पसंद है ।

उत्तर प्रदेश को अब अखिलेश पसंद है ।

मुझको तो पूरा देश पसंद है।।
पर बेबी को केवल बेस पसंद है ।।

R K Neekhara