कोई तन दुखी, कोई मन दुखी, कोई धन बिन रहत उदास।
थोड़े-थोड़े सब दुखी, सुखी राम के दास ।।
एक भी व्यक्ति संसार में ऐसा नहीं है जिसके बारे में आप यह कह सकें कि यह सुखी है, कोई भी व्यक्ति संसार में ऐसा नहीं है जो छाती पर हाथ धर कर कहे कि मैं सुखी हूँ, दो-दो हजार करोड़ का टर्नओवर हर महीने कर रहे है, पाँच-पाँच हजार करोड़ का टर्नओवर हर महीने कर रहे है, लेकिन खाते क्या है? मूँग की दाल के साथ रूखा फुल्का।
एक ऐसे ही अरबपति सेठजी से पूछा ये क्या भोजन? इतना सब वैभव और मूँग की दाल के साथ रूखा फुल्का, बोले क्या करें डॉक्टर ने मना किया है, रोटी चुपडकर खा लूंगा तो ब्लड प्रेशर हाई हो जायेगा, सम्पत्ति अरबों की है लेकिन खाते हैं रूखा फुल्का, किसी को किसी बात की कमी नहीं है, अनन्त सम्पत्ति है, बड़ी-बड़ी इंडस्ट्रीयाँ है लेकिन मानसिक चिंता भयानक रूप से व्याप्त हैं।
पिताजी चाहते थे अच्छे खानदान से सम्बन्ध करूँगा, बड़े संस्कारी खानदान में बेटे का विवाह होगा, बड़े प्रतिष्ठित परिवार से विवाह करूँगा मेरे बेटे का, और बेटा घर की नौकरानी को लेकर भाग गया, कोर्टमेरिज कर ली, अब पिताजी चाहे कुछ भी करो, बेटे ने तो कर ली शादी, सब कुछ है लेकिन मन में बड़ी बेचैनी है, कभी बेटी नहीं सुनती, कभी बेटा नहीं सुनता, कभी ऐसा चाहते थे, कभी वैसा चाहते थे।
और ••• कोई धन बिन रहत उदास ••• बेचारा दिनभर मजदूरी करता है, बड़ी-बड़ी मल्टी स्टोर बिल्डिंग बनाता है, पुताई करता है, डिस्टंबर करता है, इतनी जान जोखिम में डाल कर काम करता है, शाम को सौ रुपये मजदूरी के मिले, क्या बेटे को खिलावे, क्या पत्नी को खिलावे और क्या खुद खायें, किसी को भी सुख नहीं है, सुख किसको है तो सुख तो भैया केवल राम के दासों को है, सुख तो केवल भगवत्-कीर्तन में हैं।
कबीरा सब जग निर्धन धनवंता नहीं कोय।
धनवंता सोई जानिये जाको राम नाम धन होय।।
धनी तो वहीं है जिसके पास राम नाम (दूसरा मुख्य नाम ॐ) का धन है, प्रभु के नाम का धन जिसने कमा लिया वही एकमात्र धनी है, और कौन धनी है? अधिदैहिक ताप, अधिदैविक ताप तथा अधिभौतिक ताप तीनों को विनष्ट करने की जिस परमात्मा के नाम (ॐ या राम) में शक्ति है, ऐसे परमात्मा के सगुण रूप सद्गुरु को हम प्रणाम करते हैं।
||ॐ श्री परमात्मने नमः||
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दिनेश केडल
श्री कृष्ण ठाकुर जी महाराज की जय बहुत सुंदर
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