Posted in छोटी कहानिया - १०,००० से ज्यादा रोचक और प्रेरणात्मक

लेने से बड़ा देने वाला – 


लेने से बड़ा देने वाला –
दोस्तों, एक बार एक शिक्षक संपन्न परिवार से सम्बन्ध रखने वाले एक युवा शिष्य के साथ कहीं टहलने निकले . उन्होंने देखा की रास्ते में पुराने हो चुके एक जोड़ी जूते उतरे पड़े हैं , जो संभवतः पास के खेत में काम कर रहे गरीब मजदूर के थे जो अब अपना काम ख़त्म कर घर वापस जाने की तयारी कर रहा था .शिष्य को मजाक सूझा उसने शिक्षक से कहा , “ गुरु जी क्यों न हम ये जूते कहीं छिपा कर झाड़ियों के पीछे छिप जाएं ; जब वो मजदूर इन्हें यहाँ नहीं पाकर घबराएगा तो बड़ा मजा आएगा !”
शिक्षक गंभीरता से बोले , “ किसी गरीब के साथ इस तरह का भद्दा मजाक करना ठीक नहीं है . क्यों ना हम इन जूतों में कुछ सिक्के डाल दें और छिप कर देखें की इसका मजदूर पर क्या प्रभाव पड़ता है !!”शिष्य ने ऐसा ही किया और दोनों पास की झाड़ियों में छुप गए.
मजदूर जल्द ही अपना काम ख़त्म कर जूतों की जगह पर आ गया . उसने जैसे ही एक पैर जूते में डाले उसे किसी कठोर चीज का आभास हुआ , उसने जल्दी से जूते हाथ में लिए और देखा की अन्दर कुछ सिक्के पड़े थे , उसे बड़ा आश्चर्य हुआ और वो सिक्के हाथ में लेकर बड़े गौर से उन्हें पलट -पलट कर देखने लगा . फिर उसने इधर -उधर देखने लगा , दूर -दूर तक कोई नज़र नहीं आया तो उसने सिक्के अपनी जेब में

डाल लिए . अब उसने दूसरा जूता उठाया , उसमे भी सिक्के पड़े थे …मजदूर भावविभोर हो गया , उसकी आँखों में आंसू आ गए , उसने हाथ जोड़ ऊपर देखते हुए कहा – “हे भगवान् , समय पर प्राप्त इस सहायता के लिए उस अनजान सहायक का लाख -लाख धन्यवाद , उसकी सहायता और दयालुता के कारण आज मेरी बीमार पत्नी को दावा और भूखें बच्चों को रोटी मिल सकेगी .”
मजदूर की बातें सुन शिष्य की आँखें भर आयीं . शिक्षक ने शिष्य से कहा – “ क्या तुम्हारी मजाक वाली बात की अपेक्षा जूते में सिक्का डालने से तुम्हे कम ख़ुशी मिली ?” शिष्य बोला , “ आपने आज मुझे जो पाठ पढाया है , उसे मैं जीवन भर नहीं भूलूंगा . आज मैं उन शब्दों का मतलब समझ गया हूँ जिन्हें मैं पहले कभी नहीं समझ पाया था कि लेने की अपेक्षा देना कहीं अधिक आनंददायी है . देने का आनंद असीम है!

आचार्य विकाश शर्मा

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भारतीय नदी


*भारतीय नदी–
*1 सिन्धु नदी* :-

•लम्बाई: (2,880km)

• उद्गम स्थल: मानसरोवर झील के निकट

• सहायक नदी:(तिब्बत) सतलुज, व्यास,

झेलम, चिनाब,

रावी, शिंगार,

गिलगित, श्योक जम्मू और कश्मीर, लेह

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*2 झेलम नदी*

•लम्बाई: 720km

•उद्गम स्थल: शेषनाग झील,

जम्मू-कश्मीर

•सहायक नदी: किशन, गंगा, पुँछ लिदार,करेवाल,

सिंध जम्मू-कश्मीर,

कश्मीर

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*3 चिनाब नदी*

•लम्बाई: 1,180km

•उद्गम स्थल: बारालाचा दर्रे के निकट

•सहायक नदी: चन्द्रभागा जम्मू-कश्मीर

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*4 रावी नदी*

•लम्बाई: 725 km

•उद्गम स्थल:रोहतांग दर्रा,

कांगड़ा

•सहायक नदी :साहो, सुइल पंजाब

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*5 सतलुज नदी*

•लम्बाई: 1440 (1050)km •उद्गमस्थल:मानसरोवर के निकट राकसताल

•सहायक नदी : व्यास, स्पिती,

बस्पा हिमाचल प्रदेश, पंजाब

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*6 व्यास नदी*

•लम्बाई: 470

•उद्गम स्थल: रोहतांग दर्रा •सहायक नदी:तीर्थन, पार्वती,

हुरला

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*7 गंगा नदी*

•लम्बाई :2,510 (2071)km •उद्गम स्थल: गंगोत्री के निकट गोमुख से

• सहायक नदी: यमुना, रामगंगा,

गोमती,

बागमती, गंडक,

कोसी,सोन,

अलकनंदा,

भागीरथी,

पिण्डार,

मंदाकिनी, उत्तरांचल,

उत्तर प्रदेश,

बिहार,

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*8 यमुना नदी*

•लम्बाई: 1375km

•उद्गम स्थल: यमुनोत्री ग्लेशियर

•सहायक नदी: चम्बल, बेतवा, केन,

टोंस, गिरी,

काली, सिंध,

आसन

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*9 रामगंगा नदी*

•लम्बाई: 690km

•उद्गम स्थल:नैनीताल के निकट एक हिमनदी से

• सहायक नदी:खोन

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*10 घाघरा नदी*

•लम्बाई: 1,080 km

•उद्गम स्थल:मप्सातुंग (नेपाल)

• सहायक नदी:हिमनद शारदा, करनली,

कुवाना, राप्ती,

चौकिया,

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*11 गंडक नदी*

•लम्बाई: 425km

•उद्गम स्थल: नेपाल तिब्बत सीमा पर मुस्ताग के निकट •सहायक नदी :काली गंडक,

त्रिशूल, गंगा

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*12 कोसी नदी*

•लम्बाई: 730km

•उद्गम स्थल: नेपाल में सप्तकोशिकी

(गोंसाईधाम)

•सहायक नदी: इन्द्रावती,

तामुर, अरुण,

कोसी

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*13 चम्बल नदी*

•लम्बाई: 960 km

•उद्गम स्थल:मऊ के निकट जानापाव पहाड़ी से

•सहायक नदी :काली सिंध,

सिप्ता,

पार्वती, बनास

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*14 बेतवा नदी*

•लम्बाई: 480km

•उद्गम स्थल: भोपाल के पास उबेदुल्ला गंज के पास मध्य प्रदेश

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*15 सोन नदी*

•लम्बाई: 770 km

•उद्गमस्थल:अमरकंटक की पहाड़ियों से

•सहायक नदी:रिहन्द, कुनहड़

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*16 दामोदर नदी*

•लम्बाई: 600km

•उद्गम स्थल: छोटा नागपुर पठार से दक्षिण पूर्व

•सहायक नदी:कोनार,

जामुनिया,

बराकर झारखण्ड,

पश्चिम बंगाल

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*17 ब्रह्मपुत्र नदी*

•लम्बाई: 2,880km

•उद्गम स्थल: मानसरोवर झील के निकट (तिब्बत में सांग्पो)

•सहायक नदी: घनसिरी,

कपिली,

सुवनसिती,

मानस, लोहित,

नोवा, पद्मा,

दिहांग अरुणाचल प्रदेश, असम

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*18 महानदी*

•लम्बाई: 890km

•उद्गम स्थल: सिहावा के निकट रायपुर

•सहायक नदी: सियोनाथ,

हसदेव, उंग, ईब,

ब्राह्मणी,

वैतरणी मध्य प्रदेश,

छत्तीसगढ़,

उड़ीसा

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*19 वैतरणी नदी*

• लम्बाई: 333km

•उद्गम स्थल:क्योंझर पठार उड़ीसा

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*20 स्वर्ण रेखा*

•लम्बाई: 480km

•उद्गम स्थल ;छोटा नागपुर पठार उड़ीसा,

झारखण्ड,

पश्चिम बंगाल

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*21 गोदावरी नदी*

•लम्बाई: 1,450km

•उद्गम स्थल: नासिक की पहाड़ियों से

•सहायक नदी:प्राणहिता,

पेनगंगा, वर्धा,

वेनगंगा,

इन्द्रावती,

मंजीरा, पुरना महाराष्ट्र,

कर्नाटक,

आन्ध्र प्रदेश

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*22 कृष्णा नदी*

•लम्बाई: 1,290km

•उद्गम स्थल: महाबलेश्वर के निकट

•सहायक नदी: कोयना, यरला,

वर्णा, पंचगंगा,

दूधगंगा,

घाटप्रभा,

मालप्रभा,

भीमा, तुंगप्रभा,

मूसी महाराष्ट्र,

कर्नाटक,

आन्ध्र प्रदेश

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*23 कावेरी नदी*

•लम्बाई: 760km

•उद्गम स्थल: केरकारा के निकट ब्रह्मगिरी

•सहायक नदी:हेमावती,

लोकपावना,

शिमला, भवानी,

अमरावती,

स्वर्णवती कर्नाटक,

तमिलनाडु

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*24 नर्मदा नदी*

•लम्बाई: 1,312km

•उद्गम स्थल :अमरकंटक चोटी

•सहायक नदी: तवा, शेर, शक्कर,

दूधी, बर्ना मध्य प्रदेश,

गुजरात

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*25 ताप्ती नदी*

•लम्बाई: 724km

•उद्गम स्थल: मुल्ताई से (बेतूल)

•सहायक नदी: पूरणा, बेतूल,

गंजल, गोमई मध्य प्रदेश,

गुजरात

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*26 साबरमती*

•लम्बाई: 716km

•उद्गम स्थल: जयसमंद झील

(उदयपुर)

•सहायक नदी:वाकल, हाथमती राजस्थान,

गुजरात

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*27 लूनी नदी*

•उद्गम स्थल: नाग पहाड़ •सहायक नदी:सुकड़ी, जनाई,

बांडी राजस्थान,

गुजरात,

मिरूडी,

जोजरी

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*28 बनास नदी*

•उद्गम स्थल: खमनौर पहाड़ियों से

•सहायक नदी :सोड्रा, मौसी,

खारी कर्नाटक,

तमिलनाडु

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*29 माही नदी*

•उद्गम स्थल: मेहद झील से •सहायक नदी:सोम, जोखम,

अनास, सोरन मध्य प्रदेश,

गुजरात

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*30 हुगली नदी*

•उद्गम स्थल: नवद्वीप के निकट

•सहायक नदी: जलांगी

—————————————

*31 उत्तरी पेन्नार*

•लम्बाई: 570km

•उद्गम स्थल: नंदी दुर्ग पहाड़ी •सहायक नदी:पाआधनी,

चित्रावती,

सागीलेरू

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*32 तुंगभद्रा नदी*

•उद्गम स्थल: पश्चिमी घाट में गोमन्तक चोटी

•सहायक नदी:कुमुदवती, वर्धा,

हगरी, हिंद, तुंगा,

भद्रा

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*33 मयूसा नदी*

•उद्गम स्थल: आसोनोरा के निकट

•सहायक नदी: मेदेई

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*34 साबरी नदी*

•लम्बाई: 418km

•उद्गम स्थल: सुईकरम पहाड़ी •सहायक नदी:सिलेरु

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रावती नदी*

•लम्बाई: 531km

•उद्गम स्थल :कालाहाण्डी,

उड़ीसा

•सहायक नदी: नारंगी, कोटरी

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*36 क्षिप्रा नदी*

•उद्गम स्थल: काकरी बरडी पहाड़ी, इंदौर

•सहायक नदी: चम्बल नदी

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*37 शारदा नदी*

•लम्बाई: 602km

•उद्गम स्थल: मिलाम हिमनद,

हिमालय, कुमायूँ

•सहायक नदी:घाघरा नदी

—————————————*38 तवा नदी*

•उद्गम स्थल: महादेव पर्वत,

पंचमढ़ी

•सहायक नदी:नर्मदा नदी

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*39 हसदो नदी*

•सहायक नदी: सरगुजा में कैमूर पहाड़ियाँ

•सहायक नदी:महानदी

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*40 काली सिंध नदी*

•लम्बाई: 416 km

•उद्गम स्थल:बागलो, ज़िला देवास,विंध्याचल पर्वत

•सहायक नदी:यमुना नदी

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*41 सिन्ध नदी*

•उद्गम स्थल: सिरोज, गुना ज़िला

•सहायक नदी: चम्बल नदी

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*42 केन नदी*

•उद्गम स्थल: विंध्याचल श्रेणी •सहायक नदी:यमुना नदी

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*43 पार्वती नदी*

•उद्गम स्थल: विंध्याचल, मध्य प्रदेश

•सहायक नदी :चम्बल नदी

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*44 घग्घर नदी*

•उद्गम स्थल: कालका,

हिमाचल प्रदेश

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*45 बाण गंगा नदी*

•लम्बाई: 494km

•उद्गम स्थल: बैराठ पहाड़ियाँ, जयपुर

•सहायक नदी:यमुना नदी

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*46 सोम नदी*

•उद्गम स्थल: बीछा मेंड़ा,

उदयपुर

•सहायक नदी: नजोखम, गोमती,

सारनी

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*47 आयड़ या बेडच नदी* •लम्बाई :190km

•उद्गम स्थल:गोमुण्डा पहाड़ी, उदयपुर

•सहायक नदी:बनास नदी

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*48 दक्षिण पिनाकिन*

•लम्बाई: 400km

•उद्गम स्थल: चेन्ना केशव पहाड़ी,

कर्नाटक

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*49 दक्षिणी टोंस*

•लम्बाई: 265km

•उद्गम स्थल: तमसा कुंड, कैमूर पहाड़ी

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*50 दामन गंगा नदी*

•उद्गम स्थल: पश्चिम घाट

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Posted in मंत्र और स्तोत्र

रुद्र – सूक्तम्


रुद्र – सूक्तम्
नमस्ते रुद्र मन्यवऽ उतोतऽ इषवे नम :
बाहुभ्यामुत

ते नम : ॥१॥
हे रुद्र । आपको नमस्कार है , आपके क्रोध

को नमस्कार है , आपके वाण को नमस्कार है और

आपकी भुजाओं को नमस्कार है ।
या ते रुद्र शिवा तनूरघोरापापकाशिनी ।

तया नस्तन्वा शन्तमया गिरिशन्तभिचाकशीहि ॥

२॥
हे गिरिशन्त अर्थात् पर्वत पर स्थित होकर सुख

का विस्तार करने वाले रुद्र ।
आप हमें अपनी उस

मङ्गलमयी मूर्ति द्वारा अवलोकन करें

जो सौम्य होने के कारण केवल पुण्यों का फल

प्रदान करने वाली है ।
यामिषुङ्गिरिशन्त हस्ते विभर्ष्यस्तवे ।

शिवाङ्गिरित्र तां कुरु मा हि सी :

पुरुषञ्जगत् ॥३॥
हे गिरिशन्त । हे गिरित्र अर्थात् पर्वत पर

स्थित होकर त्राण करने वाले । आप प्रलय करने

के लिए जिस बाण को हाथ में धारण करते हैं उसे

सौम्य कर दें और जगत् के जीवों की हिंसा न

करें ।
शिवेन वचसा त्वा गिरिशाच्छावदामसि ।

यथा न : सर्वमिज्जगदयक्ष्म सुमनाऽ असत् ॥४॥
हे गिरिश । हम आपको प्राप्त करने के लिए

मंगलमय स्तोत्र से आपकी प्रार्थना करते हैं ।

जिससे हमारे यह सम्पूर्ण जगत् रोग रहित एवं

प्रसन्न हो ।
अध्यवोचदधिवक्ता प्रथमो दैव्यो भिषक् ।

अहींश्च सर्वाञ्जम्भयन्त्सर्वाश्च

यातुधान्योधराची : परासुव ॥५॥
शास्त्र सम्मत बोलने वाले , देव हितकारी ,

परमरोग नाशक , प्रथम पूज्य रुद्र हमें श्रेष्ठ कहें

और सर्पादिका विनाश करते हुए

सभी अधोगामिनी राक्षसियों आदि को भी हमसे

दूर करें ।
असौ यस्ताम्रोऽ अरुणऽ उत बब्भ्रु : सुमङ्गल : ।

ये चैन रुद्रा अभितो दिक्षु श्रिता :

सहस्त्रशो वैषा हेडऽ ईमहे ॥६॥
ये जो ताम्र , अरुण और पिङ्ग वर्ण वाले मंगलमय

सूर्य रूप रुद्र हैं और जिनके चारों ओर जो ये

सहस्त्रों किरणों रूप रुद्र हैं , हम

भक्ति द्वारा उनके क्रोध का निवारण करते हैं


असौ योवसर्पति नीलग्रीवो विलोहित : ।

उतैनं गोपाऽ अदृश्रन्नदृश्रन्नुदहार्य :

सदृष्टो मृडयाति न : ॥७॥
ये जो विशेष रक्तवर्ण सूर्य रूप नीलकण्ठ रुद्र

गतिमान हैं , जिन्हें गोप देखते हैं , जल

वाहिकाएं देखती हैं वह हमारे देखे जाने पर

हमारा मङ्गल करें ।
नमोस्तु नीलग्रीवाय सहस्त्राक्षाय मीढुषे ।

अथो येऽ अस्य सत्त्वानोहन्तेभ्यो करन्नम : ॥८॥
सेचनकारी सहस्त्रों नेत्रों वाले पर्जन्य रूप

नीलकण्ठ रूद्र को हमारा नमस्कार है और इनके

जो अनुचार है उन्हें भी हमारा नमस्कार है ।
प्रमुञ्च धन्वनस्त्वमुभयोरात्क्रर्योर्ज्याम् ।

याश्च ते हस्तऽ इषव : पराता भगवो व्वप ॥९॥
हे भगवन् । आपके धनुष की कोटियों के मध्य यह

जो ज्या है उसे आप खोल दें और आपके हाथ में ये

जो वाण हैं उन्हें आप हटा दें और इस प्रकार

हमारे लिए सौम्य हो जांयँ ।
विज्यन्धनु : कपर्दिनो विशल्यो वाणवाँ २॥

ऽउत।

अनेशन्नस्य याऽ इषवऽ आभुरस्य निषङ्गधि : ॥

१०॥
जटाधारी रूद्र का धनुष ज्यारहित , तूणीर

फलकहीन वाणरहित , वाण दर्शन रहित और

म्यान खंगरहित हो जाय अर्थात् ये सौम्य

हो जाएं ।
या ते हेतिर्म्मीढुष्टम हस्ते बभूव ते धनु : ।

तयास्मान्विश्वतस्त्वमयक्ष्मया परिभुज ॥११॥
हे संतृप्त करने वाले रुद्र । आपके हाथ में जो आयुध

है और आपका जो धनुष है उपद्रव रहित उस आयुध

या धनुष द्वारा आप हमारी सब ओर से

रक्षा करें ।
परिते धन्विनो हेतिरस्मान्वृणक्तु विश्वत : ।

अथो यऽ इषुधिस्तवारेऽ अस्मन्निधेहि तम् ॥१२॥
आप धनुर्धारी का यह जो आयुध है वह

हमारी रक्षा करने के लिए हमें चारों ओर से घेरे

रहे किन्तु यह जो आपका तरकस है उसे आप हमसे

दूर रखें ।
अवतत्त्यधनुष्ट्व सहस्त्राक्ष शतेषुधे ।

निशीर्य्य शल्यानाम्मुखा शिवो न :

सुमना भव ॥१३॥
हे सहस्त्रों नेत्रों वाले , सैकडों तरकस वाले रुद्र

। आप अपने धनुष को ज्या रहित और वामों के

मुखों को फलक रहित करके हमारे लिए सुप्रसन्न

एवं कल्याणमय हो जांयँ ।
नमस्त ऽआयुधायानातताय धृष्णवे ।

उभाभ्यामुत ते नमो बाहुभ्यान्तव धन्नवने ॥१४॥
हे रुद्र । धनुष पर न चढाये गये आपके वाण

को नमस्कार है , आपकी दोनों भुजाओं

को नमस्कार है एवं शत्रु – संहारक आपके धनुष

को नमस्कार है ।
मा नो महान्तमुत मा नोऽ अर्ब्भकम्मा न

उक्षन्तमुत मा नऽ उक्षितम् ।

मा नो व्वधी : पितरम्मोत मातरम्मा न :

प्रियास्तन्वो रुद्र रीरिष : ॥१५॥
हे रुद्र हमारे बडों को मत मारो । हमारे

बच्चों को मत मारो । हमारे तरुणों को मत

मारो । हमारे भ्रूणों को मत मारो । हमारे

पिताओं की हिंसा न करो ।

हमारी माताओं की हिंसा न करो ।
मानस्तोके तनये मा नऽ आयुषि मा नो गोषु

मा नोऽ अश्वेषु रीरिष : ।

मा नो वीरान्नरुद्र

भामिनो वधीर्हविष्मन्त :

सदमित्त्वा हवामहे ॥१६॥
हे रुद्र । हमारे पुत्रों पर और हमारे पौत्रों पर

क्रोध न करें । हमारी गायों पर और हमारे

घोडों पर क्रोध न करें । हमारे क्रोधयुक्त

वीरों को न मारें । हम हविष्य लिए हुए

निरन्तर यज्ञार्थ आपका आवाहन करते हैं ।
हर हर महादेव
बृजमोहन ओजा दधीचि

Posted in संस्कृत साहित्य

दोस्तों, कुछ दिनों पहले मुंबई जाना हुआ।


दोस्तों, कुछ दिनों पहले मुंबई जाना हुआ।

वहाँ एक मित्र ल् के घर रुका। उनकी छोटी बहन अमरीका में रहती हैं। छुट्टियों में घर आई हुई थीं। बातों बातों में बताने लगीं कि अमरीका में *”बहुत गरीब मजदूर वर्ग”* McDonald , KFC और Pizza Hut का burger पिज़्ज़ा और chicken खाता है।
जबकि अमरीका और Europe के *”रईस, धनाढ्य करोड़पति लोग”* ताजे फल एवं सब्जियाँ खाते हैं,

ताज़े गुँथे आटे की गर्मा गर्म रोटी खाना वहाँ बहुत बड़ी luxury है!

ताज़े फलों और सब्जियों का Salad तो वहाँ नसीब वालों को नसीब होता है…

ताजी हरी पत्तेदार सब्जियाँ वहाँ, अमीर लोग ही Afford कर पाते हैं!
गरीब लोग Packaged food खाते हैं।

हफ़्ते / महीने भर का Ration अपने तहखानों में रखे Freezer में रख लेते हैं और उसी को Micro Wave Oven में गर्म कर-कर के खाते रहते हैं।
आजकल भारतीय शहरों के *नव धनाढ्य लोग* अपने बच्चों का हैप्पी बड्डे मकडोनल में मनाते हैं!

उधर अमरीका में कोई ठीक-ठाक सा मिडल class आदमी, McDonalds में अपने बच्चे का हैप्पी बड्डे मनाने की सोच भी नहीं सकता… कि

लोग क्या सोचेंगे ? इतने बुरे दिन आ गए ? इतनी गरीबी आ गयी ? कि

अब बच्चों का हैप्पी बड्डे मकडोनल में मनाना पड़ रहा है ?
जबकि भारत में अमीर एवं धनाढ्य तो क्या, गरीब से गरीब आदमी को भी ताजे फल, सब्जी, सलाद, ताजा भोजन सहज ही उपलब्ध रहता है।

लेकिन हमारे यहाँ, लोगों के दिलोदिमाग पर, गुलामी की मानसिकता  इस कदर हावी होती जा रही है कि जहाँ एक ओर Europe अमरीका,  हमारी तरह ताज़ा भोजन करने को तरस रहा है तो वहीं दूसरी ओर हम हैं कि Fridge में रखा बासी packaged food खाने की ओर बड़े ही शान-ओ-शौकत से  अग्रसर हो रहे हैं! अमरीकियों की Luxury (यानि ताजे, फल, सब्जी, सलाद), जो हमें Regional, Seasonal & Original सहज ही प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हैं, हम *उन्हें भूल* दरिद्रता अपनाने के लिए मरे जाते हैं।
ताज़े फल-सब्जी खाने हों तो फसल चक्र के हिसाब से दाम घटते बढ़ते रहते है ।

इसके विपरीत डिब्बाबंद Packaged Food के दाम साल भर स्थिर रहते है बल्कि समय के साथ सस्ते होते जाते हैं। जैस-जैस Expiry date नज़दीक आती जाती है, डिब्बाबंद भोजन सस्ता होता जाता है…

और एक दिन वो भी आ जाता है उसे Stores के बाहर रख दिया जाता है, कि लो भाई ले जाओ, मुफ्त में!

हर रात 11:00 बजे Stores के बाहर जहाँ-तहाँ, सैकड़ों हजारों की तादाद में लोग इंतज़ार करते हैं…. *Expiry date वाले भोजन का*
125 करोड़ लोगों की विशाल जनसंख्या वाला हमारा यह देश जिसमें दुनिया के अन्य देशों की तुलना में, ताज़े फल, सब्जी, भोजन की पर्याप्त उपलब्धता रहती है ।

ताज़े भोजन की एक तमीज़, एक तहज़ीब होती है।

ताज़े भोजन की उपलब्धता का एक चक्र होता है।

ताज़ा भोजन समय के साथ महँगा-सस्ता होता रहता है।

आजकल समाचार माध्यमों में टमाटर और हरी सब्जियों के बढ़ते दामों के लेकर जो हाय-तौबा मची है वो गुलाम मानसिकता का विलाप है…

जो अपनी ऐतिहासिक सांस्कृतिक विरासत को भूल अपनी गुलामी का विलाप कर रही है!
इसे दुर्भाग्य नहीं तो और क्या कहा जाए कि जो भारत देश, “आदि-अनादि काल” से तप-सेवा-सुमिरन जैसी अतुलनीय एवं अवर्णनीय साधना का जनक स्थल हो, उसी भारत देश का बाल, युवा एवं वृद्ध वर्ग, आज बहुत तेज़ी से,

ताजे भोजन की समृद्धि को त्याग, डिब्बेबन्द भोजन की दरिद्रता की ओर अग्रसर है।                                                                                                              *GOD BLESS INDIA*

🙏✍🙏

~(योगिअंश रमेश चन्द्र भार्गव)

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एक बार एक संत ने अपने दो      भक्तों को बुलाया और कहा आप      को यहाँ से पचास कोस जाना है।


👉एक बार एक संत ने अपने दो

भक्तों को बुलाया और कहा आप

को यहाँ से पचास कोस जाना है।

👉एक भक्त को एक बोरी खाने के

सामान से भर कर दी और कहा जो
लायक मिले उसे देते जाना

👉और एक को ख़ाली बोरी दी उससे

कहा रास्ते मे जो उसे अच्छा मिले

उसे बोरी मे भर कर ले आए।

👉दोनो निकल पड़े जिसके कंधे पर

समान था वो धीरे चल पा रहा था

👉ख़ाली बोरी वाला भक्त आराम से

जा रहा था

👉थोड़ी दूर उसको एक सोने की ईंट

मिली उसने उसे बोरी मे डाल लिया

👉थोड़ी दूर चला फिर ईंट मिली उसे

भी उठा लिया

👉जैसे जैसे चलता गया उसे सोना

मिलता गया और वो बोरी मे भरता

हुआ चल रहा था

👉और बोरी का वज़न। बढ़ता गया

उसका चलना मुश्किल होता गया

और साँस भी चढ़ने लग गईं

👉एक एक क़दम मुश्किल होता

गया ।

👉दूसरा भक्त जैसे जैसे चलता गया

रास्ते मै जो भी मिलता उसको

बोरी मे से खाने का कुछ समान

देता गया धीरे धीरे बोरी का वज़न

कम होता गया

👉और उसका चलना आसान होता

गया।

👉जो बाँटता गया उसका मंज़िल

तक पहुँचना आसान होता गया

👉जो ईकठा करता रहा वो रास्ते मे

ही दम तोड़ गया

👉दिल से सोचना हमने जीवन मे

क्या बाँटा और क्या इकट्ठा किया

हम मंज़िल तक कैसे पहुँच पाएँगे।
👉जिन्दगी का कडवा सच…👈

👉आप को 60 साल की उम्र के बाद

कोई यह नहीं पूछेंगा कि आप का

बैंक बैलेन्स कितना है या आप के

पास कितनी गाड़ियाँ हैं….?
👉दो ही प्रश्न पूछे जाएंगे …👈

1-आप का स्वास्थ्य कैसा है…..?

और

2-आप के बच्चे क्या करते हैं….?
👉 आपको भी अच्छा लगे तो औरों को भी भेजें
👉क्या पता किसी की कुछ सोच बदल जाये।
👉प्यार बाटते रहो यही विनती है।

M P Avasthi

Posted in आओ संस्कृत सीखे.

महाराष्ट्र मराठी के साथ हिंदी बोलता है ।


महाराष्ट्र मराठी के साथ हिंदी बोलता है ।

गुजरात गुजराती के साथ हिंदी बोलता है ।

पंजाब पंजाबी के साथ हिंदी बोलता है ।

जम्मू कश्मीर में भी हिंदी में बात लोग करते हैं ।

अरुणाचल, असम में भी लोग हिंदी में बात करते हैं ।

इसके अलावा मध्य प्रदेश, उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड, राजस्थान, छत्तीसगढ़, बिहार, झारखंड, हरियाणा, हिमाचल, दिल्ली आदि में अपनी क्षेत्रीय भाषाओं/ बोलियों के होते हुए भी लोग हिंदी में काम करते हैं तथा हिंदी अच्छे से समझते हैं ।

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अब दिक्कत बस तमिलनाडु, कर्नाटक, केरला और बंगाल के कुछ राजनैतिक लोगों को ही हैं क्योंकि उन्हें लगता है के उनकी जनता यदि हिंदी सीख गई तो वो अलगाववाद की राजनीति से दूर होकर बाकी के भारत के साथ एकाकार हो जाएगी , इससे क्षेत्रीय नेताओं की दुकान बंद हो जाएगी ।

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कुछ लोगो को अंग्रेजो की गुलामी की भाषा अंग्रेजी से कोई दिक्कत नही है । पर देश के अधिकतर क्षेत्रो तथा 60 % से ज्यादा लोगो द्वारा बोली जाने वाली भाषा हिंदी से इन्हें नफरत है । अजीब लोग हैं, इनमे से कुछ अभी भी कमेंट में मुझे ज्ञान बांटने आ सकते हैं । पर हिंदी का विरोध करने वाले स्वयं ही अपने आप को देश की आधी जनता से काटने का कार्य कर रहे हैं , यह एक तथ्य है जिसे नकारा नही जा सकता ।

आर्य शुभम वर्मा

Posted in नहेरु परिवार - Nehru Family

क्या है सोनिया गाँधी का सच?


क्या है सोनिया गाँधी का सच? कैसे अपने फायदे के लिए सोनिया ने बेटी प्रियंका की शादी रोबर्ट वाड्रा से कराई? सच आपको हिला देगा…

रॉबर्ट और प्रियंका की शादी सन 1997 में हुई थी .लेकिन अगर कोई रॉबर्ट को ध्यान से देखे तो यह बात सोचेगा कि सोनिया ने रॉबर्ट जैसे कुरूप और साधारण व्यक्ति से प्रियंका की शादी कैसे करवा दी? क्या उसे प्रियंका के लिए कोई उपयुक्त वर नहीं मिला ? और यह शादी जल्दी में और चुप चाप क्यों की गयी??? वास्तव में सोनिया ने रॉबर्ट से प्रियंका की शादी अपनी पोल खुलने के डर से की थी. क्योंकि जिस समय # सोनिया इंगलैंड में एक कैंटीन में # बार गर्ल थी . उसी समय उसी जगह रोबट की माँ # मौरीन(Maureen) भी यही काम करती थी. मौरीन को # सोनिया_और_माधव_ राव_सिंधिया की रास लीला की बात पता थी.

मौरीन यह भी जानती थी कि किन किन लोगों के साथ सोनिया के अवैध सम्बन्ध थे .

जब सोनिया राजीव से शादी करके दिल्ली आ गयी , तो कुछ समय बाद मौरीन भी दिल्ली में बस गयी . मौरीन जानती थी कि सोनिया सत्ता के लिए कुछ भी कर सकती है, क्योंकि जो भी व्यक्ति उसके खतरा बन सकता था सोनिया ने उसका पत्ता साफ कर दिया. जैसे संजय, माधव राव, पायलेट जितेन्द्र प्रसाद. यहाँ तक लोगों को यह भी शक है कि राजीव की हत्या में सोनिया का भी हाथ है , वर्ना वह अपने पति के हत्यारों को माफ़ क्यों कर देती?

चूँकि मौरीन का पति और रॉबर्ट का पिता राजेंदर वडरा पुराना जनसंघी था , और सोनिया को डर था कि अगर अपने पति के दवाब ने मौरीन अपना मुंह खोल देगी तो मुझे भारत पर हुकूमत करने और अपने # नालायकु_कुपुत्र _राहुलको प्रधानमंत्री बनाने में सफलता नहीं मिलेगी . इसीलिए # सोनिया ने मौरीन के लडके रॉबर्ट की शादी प्रियंका से करवा दी.

रोबर्ट वाड्रा ने भारत के सबसे बड़े राजनीतिज्ञ खानदान में शादी की क्या कीमत चुकाई और क्या इनाम पाए???  कैसे एक एक करके रोबर्ट के सभी जान पहचान वाले मरते चले गए???

………शादी के बाद-की कहानी -……….

राजेंद्र वडरा के दो पुत्र , रिचार्ड और रॉबर्ट

और एक पुत्री मिशेल थे . और प्रियंका की शादी के बाद सभी एक एक कर मर गए

या मार दिएगए . जैसे , # मिशेल( Michelle ) सन 2001 में # कार_दुर्घटनामें मारी गयी , # रिचार्ड( Richard ) ने सन 2003 में # आत्महत्या कर ली . और प्रियंका के # ससुर सन 2009 में एक # मोटेल में मरे हुए पाए गए थे . लेकिन इनकी मौत के कारणों की कोई जाँच नहीं कराई गयी|

और इसके बाद सोनिया ने रॉबर्ट को राष्ट्रपति और प्रधान मंत्री के बराबर का दर्जा SPG इनाम के तौर पर दे दिया .

इस रॉबर्ट को कोई पडोसी भी नहीं जानता था , उसने मात्र तीन वर्षो में करोड़ों की संपत्ति कैसे बना ली और कई कंपनियों का मालिक बन गया, साथ ही सैकड़ों एकड़ कीमती जमीनें भी हथिया ली.

अमिताभ दिक्सित

Posted in संस्कृत साहित्य

पिछले दिनों मुंबई जाना हुआ । 


पिछले दिनों मुंबई जाना हुआ ।

वहां एक मित्र  के घर रुका । उनकी छोटी बहन अमरीका में रहती हैं । छुट्टियों में घर आई हुई थीं । बातों बातों में बताने लगी कि
अमरीका में बहुत गरीब मजदूर वर्ग McDonald , KFC और Pizza Hut का burger पिज़्ज़ा और chicken खाता है ।
अमरीका और Europe के रईस धनाढ्य करोड़पति लोग ताज़ी सब्जियों उबाल के खाते हैं ,

ताज़े गुंधे आटे की गर्मा गर्म bread/रोटी खाना बहुत बड़ी luxury है ।

ताज़े फलों और सब्जियों का Salad वहां नसीब वालों को नसीब होता है …….. ताजी हरी पत्तेदार सब्जियां अमीर लोग ही Afford कर पाते हैं ।
गरीब लोग Packaged food खाते हैं । हफ़्ते / महीने भर का Ration अपने तहखानों में रखे Freezer में रख लेते हैं और उसी को Micro Wave Oven में गर्म कर कर के खाते रहते हैं ।
आजकल भारतीय शहरों के नव धनाढ्य लोग अपने बच्चों का हैप्पी बड्डे mcdonlds में मनाते हैं ।
उधर अमरीका में कोई ठीक ठाक सा मिडल किलास आदमी McDonalds में अपने बच्चे का हैप्पी बड्डे मनाने की सोच भी नही सकता ……… लोग क्या सोचेंगे ? इतने बुरे दिन आ गए ? इतनी गरीबी आ गयी कि अब बच्चों का हैप्पी बड्डे मकडोनल में मनाना पड़ रहा है ?😂
*भारत का गरीब से गरीब आदमी भी ताजी सब्जी , ताजी उबली हुई दाल भात खाता है*……… ताजा खीरा ककड़ी खाता है । *अब यहां गुलामी की मानसिकता हमारे दिल दिमाग़ पे किस कदर तारी है ये इस से समझ लीजे कि Europe अमरीका हमारी तरह ताज़ा भोजन खाने को तरस रहा है और हम हैं कि Fridge में रखा बासी packaged food खाने को तरस रहे हैं* ।
अमरीकियों की Luxury जो हमें सहज उपलब्ध है हम उसे भूल उनकी दरिद्रता अपनाने के लिए मरे जाते हैं ।
ताज़े फल सब्जी खाने हो तो फसल चक्र के हिसाब से दाम घटते बढ़ते रहते है ।

इसके विपरीत डिब्बाबंद Packaged Food के दाम साल भर स्थिर रहते है बल्कि समय के साथ सस्ते होते जाते हैं । जस जस Expiry date नज़दीक आती जाती है , डिब्बाबंद भोजन सस्ता होता जाता है और एक दिन वो भी आ जाता है कि Store के बाहर रख दिया जाता है , लो भाई ले जाओ , मुफ्त में । हर रात 11 बजे Stores के बाहर सैकड़ों लोग इंतज़ार करते हैं ……. Expiry date वाले भोजन का ।
125 करोड़ लोगों की विशाल जनसंख्या का हमारा देश आज तक किसी तरह ताज़ी फल सब्जी भोजन ही खाता आया है ।
ताज़े भोजन की एक तमीज़ तहज़ीब होती है । ताज़े भोजन की उपलब्धता का एक चक्र होता है । ताज़ा भोजन समय के साथ महंगा सस्ता होता रहता है ।
*आजकल समाचार माध्यमों में टमाटर और हरी सब्जियों के बढ़ते दामों के लेकर जो चिहाड़ मची है वो एक गुलाम कौम का विलाप है*…….. जो अपनी ऐतिहासिक सांस्कृतिक विरासत को भूल अपनी गुलामी का विलाप कर रही है ।
भारत बहुत तेज़ी से ताजे भोजन की समृद्धि को त्याग डिब्बेबन्द भोजन की *दरिद्रता* की ओर अग्रसर है ।

Posted in रामायण - Ramayan

The King Ram Khamhaeng Inscription


The King Ram Khamhaeng Inscription

Documentary heritage submitted by Thailand and recommended for inclusion in the Memory of the World Register in 2003.

© The National Museum Bangkok
stele of King Ram Khamhaeng

The King Ram Khamhaeng Inscription (RK) of 1292 A.D. is considered a major documentary heritage of world significance because it gives valuable information on several major themes of world history and culture. It not only records the invention of Thai language scripts that are the foundation of the modern scripts used in Thailand by 60 million people, its rare detailed description of the 13th century Thai state of Sukhothai also reflects universal values shared by many states in the world today. Those values include good governance, the rule of law, economic freedom, and religious morality, in this case Buddhism, one of the world’s major religions. The inscription’s value as a historical document has already been evident when it was used to support Thailand’s successful proposal to inscribe the Historic Town of Sukhothai and Associated Historic Towns on the World Heritage List in 1991.

  • Year of submission: 2003
  • Year of inscription: 2003
  • Country: Thailand
Posted in श्रीमद्‍भगवद्‍गीता

मजारों पर जाकर माथा रगड़ने वाले सनातनी ध्यान दें.


मजारों पर जाकर माथा रगड़ने वाले सनातनी ध्यान दें.
‘यान्ति देवव्रता देवान् पितृन्यान्ति पितृव्रताः भूतानि यान्ति भूतेज्या यान्ति मद्याजिनोऽपिमाम्”
गीता में भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि भूत प्रेत, मूर्दा (खुला या दफ़नाया हुआ अर्थात् कब्र) को सकामभाव से पूजने वाले स्वयं मरने के बाद भूत-प्रेत ही बनते हैं.
इस लिए मजारों पर कब्रों पर जाकर माथा रगड़ने से पहले यह सोच लें.