Posted in छोटी कहानिया - १०,००० से ज्यादा रोचक और प्रेरणात्मक

बूढ़ा पिता


((((((((  बूढ़ा पिता  ))))))))

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किसी गाँव में एक बूढ़ा व्यक्ति अपने बेटे और बहु के साथ रहता था । परिवार सुखी संपन्न था किसी तरह की कोई परेशानी नहीं थी ।

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बूढ़ा बाप जो किसी समय अच्छा खासा नौजवान था आज बुढ़ापे से हार गया था, चलते समय लड़खड़ाता था लाठी की जरुरत पड़ने लगी, चेहरा झुर्रियों से भर चूका था बस अपना जीवन किसी तरह व्यतीत कर रहा था।

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घर में एक चीज़ अच्छी थी कि शाम को खाना खाते समय पूरा परिवार एक साथ टेबल पर बैठ कर खाना खाता था ।

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एक दिन ऐसे ही शाम को जब सारे लोग खाना खाने बैठे । बेटा ऑफिस से आया था भूख ज्यादा थी सो जल्दी से खाना खाने बैठ गया और साथ में बहु और उसका एक बेटा भी खाने लगे ।

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बूढ़े हाथ जैसे ही थाली उठाने को हुए थाली हाथ से छिटक गयी थोड़ी दाल टेबल पे गिर गयी ।

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बहु बेटे ने घृणा द्रष्टि से पिता की ओर देखा और फिर से अपना खाने में लग गए।

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बूढ़े पिता ने जैसे ही अपने हिलते हाथों से खाना खाना शुरू किया तो खाना कभी कपड़ों पे गिरता कभी जमीन पर ।

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बहु चिढ़ते हुए कहा – हे राम कितनी गन्दी तरह से खाते हैं मन करता है इनकी थाली किसी अलग कोने में लगवा देते हैं , बेटे ने भी ऐसे सिर हिलाया जैसे पत्नी की बात से सहमत हो । उनका बेटा यह सब मासूमियत से देख रहा था ।

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अगले दिन पिता की थाली उस टेबल से हटाकर एक कोने में लगवा दी गयी । पिता की डबडबाती आँखे सब कुछ देखते हुए भी कुछ बोल नहीं पा रहीं थी।

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बूढ़ा पिता रोज की तरह खाना खाने लगा , खाना कभी इधर गिरता कभी उधर । छोटा बच्चा अपना खाना छोड़कर लगातार अपने दादा की तरफ देख रहा था ।

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माँ ने पूछा क्या हुआ बेटे तुम दादा जी की तरफ क्या देख रहे हो और खाना क्यों नहीं खा रहे ।

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बच्चा बड़ी मासूमियत से बोला – माँ मैं सीख रहा हूँ कि वृद्धों के साथ कैसा व्यवहार करना चाहिए, जब मैं बड़ा हो जाऊँगा और आप लोग बूढ़े हो जाओगे तो मैं भी आपको इसी तरह कोने में खाना खिलाया करूँगा ।

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बच्चे के मुँह से ऐसा सुनते ही बेटे और बहु दोनों काँप उठे शायद बच्चे की बात उनके मन में बैठ गयी थी क्युकी बच्चा ने मासूमियत के साथ एक बहुत बढ़ा सबक दोनों लोगो को दिया था ।

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बेटे ने जल्दी से आगे बढ़कर पिता को उठाया और वापस टेबल पे खाने के लिए बिठाया और बहु भी भाग कर पानी का गिलास लेकर आई कि पिताजी को कोई तकलीफ ना हो ।

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तो मित्रों , माँ बाप इस दुनियाँ की सबसे बड़ी पूँजी हैं आप समाज में कितनी भी इज्जत कमा लें या कितना भी धन इकट्ठा कर लें लेकिन माँ बाप से बड़ा धन इस दुनिया में कोई नहीं है।

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((((((( जय जय श्री राधे )))))))

~~~~~~~~~~~~~~~~~मनु कुमार

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मङ्गलं भगवान् विष्णुः


मङ्गलं भगवान् विष्णुः

मङ्गलं गरूडध्वजः।

मङ्गलं पुण्डरीकाक्षः

मंगलायतनो हरिः॥
भगवान् विष्णु मंगल हैं,गरुड वाहन वाले

मंगल हैं,कमल केसमान नेत्र वाले मंगल हैं,

हरि मंगल के भंडार हैं ।

मंगल अर्थात् जो मंगलमय हैं,शुभ हैं,

कल्याणप्रद हैं,जैसे समझ लें ।
भगवान विष्णु का एक नाम चक्रधर है।
इनका यह नाम इसलिए है क्योंकि इनकी

उंगली में सुदर्शन नामक चक्र घूमता रहता है।
इस चक्र के विषय में कहा जाता है कि यह

अमोघ है और जिस पर भी इसका प्रहार

होता है उसका अंत करके ही लौटता है।
भगवान विष्णु ने जब श्री कृष्ण रुप में

अवतार लिया था तब भी उनके पास

यह चक्र था।

इसी चक्र से इन्होंने जरासंध को पराजित

किया था,शिशुपाल का वध भी इसी चक्र

से किया गया था।
श्री कृष्ण अवतार में यह चक्र भगवान श्री

कृष्ण को परशुराम जी से प्राप्त हुआ था

क्योंकि रामावतार में परशुराम जी को

भगवान राम ने चक्र सौंप दिया था और

कृष्णावातार में वापस करने के लिए

कहा था।
लेकिन भगवान विष्णु के पास यह चक्र

कैसा इसकी बड़ी ही रोचक कथा है।
वामन पुराण में बताया गया है श्रीदामा

नामक एक असुर था।

इसने सभी देवताओं को पराजित कर

दिया था।
इसके बाद भगवान विष्णु के श्रीवत्स को

छीनने की योजना बनाई।
इससे भगवान विष्णु क्रोधित हो गए और

श्रीदामा को दंडित करने के लिए भगवान

शिव की तपस्या में करने लगे।
भगवान विष्णु की तपस्या से प्रसन्न होकर

शिव जी ने भगवान विष्णु को एक चक्र प्रदान

किया जिसका नाम सुदर्शन चक्र था।
भगवान शिव ने कहा कि यह अमोघ है,

इसका प्रहार कभी खाली नहीं जाता।
भगवान विष्णु ने कहा कि प्रभु यह अमोघ

है इसे परखने के लिए मैं सबसे पहले इसका

प्रहार आप पर ही करना चाहता हूं।
भगवान शिव ने कहा अगर आप यह चाहते

हैं तो प्रहार करके देख लीजिए।
सुदर्शन चक्र के प्रहार से भगवान शिव के

तीन खंड हो गए।

इसके बाद भगवान विष्णु को अपने किए

पर प्रयश्चित होने लगा और शिव की

आराधना करने लगे।
भगवान शिव प्रकट हुए और उन्होंने कहा

कि सुदर्शन चक्र के प्रहार से मेरा प्राकृत

विकार ही कटा है।

मैं और मेरा स्वभाव क्षत नहीं हुआ है।

यह तो अच्छेद्य और अदाह्य है।
भगवान शिव विष्णु से कहा कि आप निराश

न होइये।

मेरे शरीर के जो तीन खंड हुए हैं अब वह

हिरण्याक्ष,सुवर्णाक्ष और विरूपाक्ष महादेव

के नाम से जाना जाएगा।
भगवान शिव अब इन तीन रुपों में भी पूजे

जाते हैं।
इसके बाद भगवान विष्णु ने श्रीदामा से युद्घ

किया और सुदर्शन चक्र से उसका वध कर

दिया।

इसके बाद से सुदर्शन चक्र भगवान विष्णु के

साथ सदैव रहने लगा।
विष्णु वंदना ;
प्रवक्ष्याम्यधुना ह्येतद्वैष्णवं पञ्जरं शुभम्।

नमो नमस्ते गोविन्द चक्रं गृह्य सुदर्शनम्।।

प्राच्यां रक्षस्व मां विष्णो त्वामहं शरणं गत:।

गदां कौमोदकीं गृह्य पद्मनाभ नमोस्तु ते।।
याम्यां रक्षस्व मां विष्णो त्वामहं शरणं गत:।

हलमादाय सौनन्दं नमस्ते पुरुषोत्तम।।

प्रतीच्यां रक्ष मां विष्णो त्वामहं शरणं गत:।

मुसलं शातनं गृह्य पुण्डरीकाक्ष रक्ष माम्।।
उत्तरस्यां जगन्ननाथ भवन्तं शरणं गत:।

खड्गमादाय चर्माथ अस्त्रशस्त्रादिकं हरे।।

नमस्ते रक्ष रक्षोघ्र ऐशान्यां शरणं गत:।

पाञ्चजन्यं महाशङ्खमनुघोष्यं च पङ्कजम्।।
प्रगृह्य रक्ष मां विष्णो आग्रेय्यां यज्ञशूकर।

चन्द्रसूर्य समागृह्य खड्गं चान्द्रमसं तथा।।

नैर्ऋत्यां मां च रक्षस्व दिव्यमूर्ते नृकेसरिन्।

वैजयन्ती सम्प्रगृह्य श्रीवत्संकण्ठभूषणम्।।
वायव्यां रक्ष मां देव हयग्रीव नमोस्तुते।

वैनतेयं समरुह्य त्वन्तरिक्षे जनार्दन।।

मां रक्षस्वाजित सद नमस्तेस्त्वपराजित।

विशालाक्षं समारुह्य रक्ष मां तवं रसातले।।
अकूपार नमस्तुभ्यं महामीन नमोस्तु ते।

करशीर्षाद्यङ्गलीषु सत्य त्वंबाहुपञ्जरम्।।

कृत्वा रक्षस्व मां विष्णो नमस्ते पुरुषोत्तम।

एतदुक्तं शङ्काराय वैष्णवं पञ्जरं महत्।।
पुरा रक्षार्थमीशान्यां: कात्यायन्या वृषध्वज।

नाशयामास सा येन चामरं महिषासुरम्।।

दानव रक्तबीजं च अन्यांश्च सुरकण्टकान्।

एतज्जपन्नरो भक्तया शत्रून् विजयते सदा।।
समस्त चराचर प्राणियों एवं सकल

विश्व का कल्याण करो प्रभु,,,,
अधर्म का नाश हो,,

धर्म की स्थापना हो,,,,

ॐ नमो नारायणाय

ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
जयति पुण्य सनातन संस्कृति,,

जयति पुण्य भूमि भारत,,,
सदा सर्वदा सुमंगल,,

हर हर महादेव,,

ॐ विष्णवे नम:

जय लक्ष्मी भवानी,,,

जय श्री राम —
विजय कृष्णा पांडेय

Posted in हास्यमेव जयते

*मुख* और *जीभ* का *व्यायाम*
1. *कच्चा पापड़, पक्का पापड़*
सबसे ज़्यादा फेमस और हमारे दिल के सबसे क़रीब. एक बार में 15 बार बोल के दिखाओ तो जानें.
 

2. *फालसे का फासला*
चैलेंज है कि 20 बार बिना रुके बोल कर दिखाओ.
 

3. *पीतल के पतीले में पपीता पीला पीला*
मुस्कुरा का रहे हो, 12 बार इसे बोल कर दिखाओ.
 

4. *पके पेड़ पर पका पपीता पका पेड़ या पका पपीता*
मेरी जीभ तो लगभग फ्रैक्चर होते-होते बची है.
 

5. *ऊंट ऊंचा, ऊंट की पीठ ऊंची. ऊंची पूंछ ऊंट की*
क्या हुआ? 
6. *समझ समझ के समझ को समझो, समझ समझना भी एक समझ है. समझ समझ के जो न समझे, मेरे समझ में वो ना समझ है.*
इसे एक बार ही बोल के दिखाएँ 
 

7. *दूबे दुबई में डूब गया*
अच्छा ठीक है.ज़्यादा ख़ुश मत हों. ये आपकी फूलती सांसों को आराम देने के लिए था.
 

8. *चंदु के चाचा ने चंदु की चाची को, चांदनी चौक में, चांदनी रात में, चांदी के चम्मच से चटपटी चटनी चटाई*
अब चाहे जो कुछ भी करना, मगर अपने बाल मत नोंचना.
 

9. *जो हंसेगा वो फंसेगा, जो फंसेगा वो हंसेगा*
आपको ये आसान लग रहा है. जरा इसे 10 बार से ज़्यादा बार बोल कर दिखाइए.
 

10. *खड़क सिंह के खड़कने से खड़कती हैं खिड़कियां, खिड़कियों के खड़कने से खड़कता है खड़क सिंह*
 मेरे तो पूरे बदन में खड़कन हो रही है.
 

11. *मर हम भी गए, मरहम के लिए, मरहम न मिला. हम दम से गए, हमदम के लिए, हमदम न मिला*
बोलो-बोलो मुंह मत चुराओ.
 

12. *तोला राम ताला तोल के तेल में तल गया, तला हुआ तोला तेल के तले हुए तेल में तला गया*
ऐसे देख का रहे होे? 
 

13. *डाली डाली पे नज़र डाली, किसी ने अच्छी डाली, किसी ने बुरी डाली, जिस डाली पर मैने नज़र डाली वो डाली किसी ने तोड़ डाली*
बोलो बोलो… 
 

14. *पांच आम पंच चुचुमुख-चुचुमुख, पांचों मुचुक चुचुक पंच चुचुमुख*
😇😇😇😇😇😇😇😇😇😇😇😇😇😇😇
Ek baar try kar ke Dekho … 🌺🌺👍👍🙏🏻🙏🏻

Posted in छोटी कहानिया - १०,००० से ज्यादा रोचक और प्रेरणात्मक

एक घर के पास काफी दिन से एक बड़ी इमारत का काम चल रहा था। 


*Positive attitude*
एक घर के पास काफी दिन से एक बड़ी इमारत का काम चल रहा था।

वहां रोज मजदूरों के छोटे-छोटे बच्चे एक दूसरे की शर्ट पकडकर रेल-रेल का खेल खेलते थे।
*रोज कोई बच्चा इंजिन बनता और बाकी बच्चे डिब्बे बनते थे…*
*इंजिन और डिब्बे वाले बच्चे रोज बदल  जाते,*

पर…
केवल चङ्ङी पहना एक छोटा बच्चा हाथ में रखा कपड़ा घुमाते हुए रोज गार्ड बनता था।
*एक दिन मैंने देखा कि* …
उन बच्चों को खेलते हुए रोज़ देखने वाले एक व्यक्ति ने कौतुहल से गार्ड बनने वाले बच्चे को पास बुलाकर पूछा….
*”बच्चे, तुम रोज़ गार्ड बनते हो। तुम्हें कभी इंजिन, कभी डिब्बा बनने की इच्छा नहीं होती?”*
इस पर वो बच्चा बोला…

*”बाबूजी, मेरे पास पहनने के लिए कोई शर्ट नहीं है। तो मेरे पीछे वाले बच्चे मुझे कैसे पकड़ेंगे… और मेरे पीछे कौन खड़ा रहेगा….?*

*इसीलिए मैं रोज गार्ड बनकर ही खेल में हिस्सा लेता हूँ।*
*”ये बोलते समय मुझे उसकी आँखों में पानी दिखाई दिया।*
*आज वो बच्चा मुझे जीवन का एक बड़ा पाठ पढ़ा गया…*
*अपना जीवन कभी भी परिपूर्ण नहीं होता। उसमें कोई न कोई कमी जरुर रहेगी….*
वो बच्चा माँ-बाप से ग़ुस्सा होकर रोते हुए बैठ सकता था। परन्तु ऐसा न करते हुए उसने परिस्थितियों का समाधान ढूंढा।
*हम कितना रोते हैं?*

कभी अपने *साँवले रंग* के लिए, कभी *छोटे क़द* के लिए,

कभी पड़ौसी की *बडी कार,*

कभी पड़ोसन के *गले का हार,* कभी अपने *कम मार्क्स,*

कभी *अंग्रेज़ी,*

कभी *पर्सनालिटी,*

कभी *नौकरी की मार* तो

कभी *धंदे में मार*…

हमें इससे बाहर आना पड़ता है….

*ये जीवन है… इसे ऐसे ही जीना पड़ता है।*

*चील की ऊँची उड़ान देखकर चिड़िया कभी डिप्रेशन में नहीं आती,*

*वो अपने आस्तित्व में मस्त रहती है,*

*मगर इंसान, इंसान की ऊँची उड़ान देखकर बहुत जल्दी चिंता में आ जाते हैं।*

*तुलना से बचें और खुश रहें ।*

*ना किसी से ईर्ष्या, ना किसी से कोई होड़..!!!*

*मेरी अपनी हैं मंजिलें, मेरी अपनी दौड़..!!!*

🐚☀🐚

🐾 *स्नेह वंदन*  🐾

 

*”सदा हसते रहिये”*

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​मेहनत के आगे भविष्यवाणी भी है विफल ।


मेहनत के आगे भविष्यवाणी भी है विफल ।

एक गांव में ज्योतिषियों ने भविष्यवाणी की, कि आने वाले 12 साल तक उनके गांव में पानी नहीं बरसेगा। यह सुनकर दुःखी हो गए और घर छोड़कर जाने लगे। लेकिन एक किसान गांव को छोड़कर नहीं गया। वह अपने गांव से बेहद प्रेम करता था। उसने सोचा कि 12 साल तक बारिश तो होने वाली नहीं है तो फिर हल का क्या काम? उसने उन्हें उठाकर एक ओर रख दिया।

7 दिन तक वह इसी सोच-विचार में बैठा रहा कि, बिना पानी के वह गुजारा कैसे करेगा। काफी सोच-विचार के बाद उसने एक निर्णय लिया और अपना हल उठाकर खेत जोतने लगा।

किसान कई दिनों तक वह लगातार खेत जोतता रहा। तभी एक बादल आसमान से गुजरा। आसमान से ही बादल ने कहा, ‘किसान भाई, तुमने सुना नहीं कि यहां पर 12 साल तक पानी नहीं बरसेगा, फिर तुम क्यों बेवजह मेहनत कर रहे हो।

बादल की बात पर किसान बोला, ‘मत बरसो, मैं तो खेत इसलिए जोतता हूं कि कहीं 12 साल बाद मैं खेत जोतना ही न भूल जाऊं।’ किसान की बात सुनकर बादल हैरान हो गई और वह सोचने लगा कहीं 12 सालों में मैं भी बरसना ही न भूल जाऊं। और वह बरसने लगा। उसे बरसते देख अन्य बादल भी वहां इकट्ठे हो गए और बादल की की तरह बरसने लगे। इस तरह भविष्यवाणी भी झूठी हो गई।

रतनलाल जी जिंगर

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​एक  नगर  में  एक  मशहूर  चित्रकार  रहता था । 


एक  नगर  में  एक  मशहूर  चित्रकार  रहता था । 

चित्रकार  ने  एक  बहुत  सुन्दर तस्वीर  बनाई 

और उसे  नगर  के  चौराहे  मे  लगा  दिया 

 और   नीचे  लिख  दिया  कि  जिस किसी  को , 

जहाँ  भी   इस में  कमी  नजर  आये  वह  वहाँ  निशान  लगा  दे ।

जब  उसने  शाम  को  तस्वीर देखी   उसकी  पूरी  तस्वीर  पर  निशानों  से  ख़राब  हो  चुकी थी । 

यह  देख  वह  बहुत  दुखी हुआ ।

 उसे कुछ  समझ  नहीं  आ  रहा  था  कि  अब  क्या  करे  वह  दुःखी  बैठा  हुआ  था  । 

 तभी  उसका एक मित्र  वहाँ  से  गुजरा  उसने  उस  के  दुःखी होने  का  कारण  पूछा  तो  उसने  उसे  पूरी  घटना बताई ।

  उसने कहा  एक  काम  करो कल दूसरी  तस्वीर  बनाना  और  उस मे  लिखना  कि जिस  किसी  को  इस  तस्वीर  मे जहाँ  कहीं  भी कोई  कमी  नजर  आये  उसे  सही  कर  दे  ।

   उसने  अगले  दिन  यही  किया  ।  शाम  को  जब उसने  अपनी  तस्वीर  देखी  तो  उसने  देखा  की  तस्वीर  पर  किसी  ने  कुछ  नहीं  किया ।                                                                               वह  संसार  की रीति  समझ गया ।   
“कमी  निकालना ,  निंदा  करना ,   बुराई  करना आसान   लेकिन  उन  कमियों  को  दूर  करना  अत्यंत  कठिन  होता  ह                     This is life……..
जब दुनिया यह कहती है कि 

      ‘हार मान लो’

 तो आशा धीरे से कान में कहती है  कि.,,,,

 ‘एक बार फिर प्रयास करो’

      और यह ठीक भी है..,,,

 “जिंदगी आईसक्रीम की तरह है, टेस्ट करो तो भी पिघलती है;.,,,

 वेस्ट करो तो भी पिघलती है,,,,,,

 इसलिए जिंदगी को टेस्ट करना  सीखो, 

    वेस्ट तो हो ही रही है.,,,,

          

      ÷÷÷÷ ™÷÷÷
    Life is very beautiful !!!

आशीष मौर्य

Posted in भारत का गुप्त इतिहास- Bharat Ka rahasyamay Itihaas

तीसरा विश्वयुद्ध कैसे होगा और इसमें भारत और मोदी की क्या भूमिका होगी, दुर्गेश दुबे


अगर आपने ये पोस्ट नहीं पढ़ा तो आपका FB चलाना बेकार है..

तीसरा विश्वयुद्ध कैसे होगा और इसमें भारत और मोदी की क्या भूमिका होगी और ये मोदी देश को जलता छोड़कर बार-२ विदेश में काहे को जाता है जैसे सवालों का जवाब देता SAVE करके रखने योग्य वो लेख जो जिसने नहीं पढ़ा उसने ” कल क्या होने वाला है ” को आज ही जानने का अवसर खो देगा ..

——— ” The Great Game ” ——–

अगर आप इतिहास को गौर से देखेंगे तो पायेंगे कि वर्तमान में विश्व की महाशक्तियों में एक उसी प्रकार की आपाधापी और लेनदेन का खेल चल रहा है जैसा कि 15वीं – 16वीं शताब्दी में यूरोपीय शक्तियों में उपनिवेशीकरण को लेकर विश्व की बंदरबांटको लेकर चला था । उपनिवेशीकरण ने औद्यौगिक क्रांति को सफल बनाकर पश्चिम को आर्थिक रूप से तो शक्तिशाली बना दिया परंतु औद्योगिक क्रांति और पूँजीवाद के फलस्वरूप ‘ बाजार और मांग ‘ की आवश्यकता ने एक ऐसे भस्मासुर को जन्म दिया जिसके कारण पृथ्वी के असीम संसाधन भी कम पड़ने लगे हैं । इस भस्मासुर का नाम है ‘ उपभोक्तावाद ‘ और ये एक ऐसा असुर भी है जिसकी भूख अगर शांत ना की जाये तो यह मानव सभ्यता को ही निगल लेगा और सबसे बुरी बात ये है कि इसके उदर में जितना भोजन डाला जाता है , इसकी भूख उतनी ही बढती जाती है जिसके कारण पृथ्वी के संसाधन चुकते जा रहे हैं और पृथ्वी एक गंभीर ‘ Ecological crisis ‘ से गुजर रही है जिसका नाम है ‘ Decline Carrying Capacity ‘ जिसे सरल शब्दों में कहूँ तो अपने अपने क्षेत्र ( देशों ) में जनसंख्या को जिंदा बनाये रखने के लिये आवश्यक संसाधनों की क्षमता में कमी ।

उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार रूस के पास ‘ साइबेरिया ‘ के रूप में अगले 150 सालों के लिये पर्याप्त खनिज संसाधन है और साथ ही उसने अंटार्कटिका पर अपना दावा ठोक दिया है जिसमें भारी मात्रा में खनिज संसाधन दबे हुए हैं ।

इसी तरह अमेरिका ने भी अगले 150 – 200 साल के लिये खनिजों और तेल का तो बंदोबस्त किया हुआ है और फिलहाल वह ‘ दूसरों के माल ‘ पर डाका डालकर एश कर रहा है ।

विश्व की तीसरी सबसे बड़ी शक्ति चीन ने भी तनिक बदले हुये रूप में यह पॉलिसी बना रखी है कि वह भारत जैसे बेवकूफ और कई भ्रष्ट देशों से भारी मात्रा में अयस्क खरीदकर खनिजों के सुरक्षित भंडार बना रहा है ।

अब रहा ‘भोजन ‘ जिसके लिये अमेरिका बिल्कुल चिंतित नहीं क्योंकि उसके पास पर्याप्त से भी कई गुना भूमि व कृषि संसाधन हैं और ऑस्ट्रेलिया व कनाडा के रूप में विश्वस्त मित्र हैं और सच कहा जाये तो ये अमेरिका की परछांई हैं जिनके द्वारा अपार मात्रा में दूध ,मछली व मांस की आपूर्ति की गारंटी है । 

दूसरी तरफ रूस के लिये भोजन व गर्म पानी के बंदरगाह उसकी सबसे बड़ी कमजोरी है इसी कारण रूस यूक्रेन जिसे यूरोप का ‘ अन्न भंडार ‘ कहा जाता है , को किसी भी हालात में अपने शिकंजे में बनाये रखना चाहता है और ” क्रीमिया विवाद ” की जड़ यही है ।

चीन के सामने भी भोजन के लिये कृषिभूमि की कमी व समुद्र में कमजोरी मुख्य संकट है जिसके लिये उसने अजीब हल निकाला है । उसने एक ओर तो हिंद महासागर में ” पर्ल स्ट्रिंग ” का निर्माण शुरू किया है और दूसरी ओर अफ्रीका में हजारों एकड़ जमीन को लीज पर लेना शुरू किया है ताकि वहां वह व्यापारिक फसलों को उगा सके और खुद अपनी भूमि पर खाद्यान्न फसलों को ।

विशेषज्ञों की मानें तो पृथ्वी के संसाधन अब चुक रहे हैं जिसमें फिलहाल दो चीजें सबसे मुख्य हैं —

…………..” पैट्रोल और पानी “……………

वर्तमान जंग पैट्रोल की है और भविष्य का संघर्ष पानी को लेकर होगा और इसमें दो धड़े होंगे —

———– चीन v / s अमेरिका ———

-अब इसमें शेष विश्व और भारत की क्या स्थिति है ? -विश्व राजनीति की शतरंज में महाशक्तियां अपने -क्या क्या मोहरे चल रहीं हैं ?

-भारत की स्थिति क्या है ? 

-क्यों मोदी ताबड़तोड़ विदेश दौरे कर रहे हैं ?

*

संसाधनों की इस होड़ में हम कहाँ हैं ? 

आपको बुरा लगेगा पर सत्य ये है कि कहीं नहीं ।

क्यों ?

क्योंकि आजादी के बाद के 15 साल हमने नेहरू की बेवकूफाना आदर्शवादी विदेशनीति की भेंट चढ़ा दिये और तिब्बत जैसे कीमती संसाधन को खो दिया वरना आज चारों ओर से भारत से घिरा नेपाल भारत का हिस्सा बन चुका होता और हिमालय के पूरे संसाधनों पर हमारा कब्जा होता । इसके बाद से शास्त्री जी के लघु शासनकाल को छोड़कर शेष समय सरकारें विशेषतः गांधी खानदान बिना भविष्य की ओर देखे सिर्फ ” प्रशासन के लिये शासन ” करते रहे जिसमें जनता सिर्फ चुनिंदा लोगों के लिये वोटों की संख्या और उनकी विलासिता के लिये ‘ उत्पादक ‘ मात्र थी ।

दूसरी ओर विशाल और बढती हुई जनसंख्या जिसके लिये इतने संसाधन जुटाना असंभव भी है खासतौर पर जब देश में बहुसंख्यकों के प्रति शत्रु मानसिकता रखने वाली 20 करोड़ से ज्यादा की जनसंख्या एक छोटा पर बहुत प्रभावी कुटिल बिका हुआ देशद्रोही बुद्धिजीवी वर्ग हो जो राष्ट्रहित की प्रत्येक नीति में रोड़े अटकाता हो ।

भारत की स्थिति : तो कुल मिलाकर भारत इस 

समय अभूतपूर्व खतरे का सामना कर रहा है ।

— दक्षिण में हिंद महासागर की तरफ से भारत सुरक्षित है पर यह स्थिति दिएगो गर्सिया पर काबिज अमेरिका पर निर्भर है |

— पश्चिम में पाकिस्तान 

— पूर्व में बांग्लादेश 

— उत्तर में स्वयं चीन

— ‘ पांचवीं दिशा ‘ का खतरा सबसे भयानक है और भारत के अंदर ही मौजूद है । 20 करोड़ की भारत विरोधी सेना ।

— कश्मीर में पूरी तरह बढ़त में , केरलमें निर्णायक ,

— पूर्वोत्तर , असम व बंगाल में प्रबल स्थिति में ,

— उत्तरप्रदेश और बिहार में वे कांटे की टक्कर देने की स्थिति में है । 

–शेष भारत में भी वे विभिन्न स्थानों पर परेशानी खड़ा करने की स्थिति में हैं ।

**** केरल में तो वे ” पॉपुलर फ्रंट ” के नाम से वे सैन्य रूप भी ले चुके हैं ।

ये वामपंथी , ये अरुंधती टाइप के साहित्यकार , भांड टाइप के अभिनेता और महेश भट्ट जैसे एडेलफोगैमस लोग , बिंदी गैंग आदि सऊदी पैट्रो डॉलर्स और चीन के हाथों बिके हुये वे लोग हैं जो मोदी का रास्ता रोकने के लिये देशविरोधी घरेलू और विदेशी शक्तियों का ‘ हरावल दस्ता ‘ है ताकि मोदी की गति कम करके इस ‘ Great Game ‘ में पछाड़ जा सके ।

Now great game is near to start —–

भारत को छोड़कर शेष विश्व इस्लामिक आतंकवाद के खिलाफ खड़ा हो चुका है और अब वो मृतप्रायः है इस्लाम का संकुचन अरब देशों में पैट्रोल के खतम होते ही प्रारम्भ हो जायेगा ।

अब मारामारी शुरू होगी पानी के ऊपर और दुर्भाग्य से इसकी शुरूआत भारत से ही होगी क्योंकि चीन ना केवल ब्रह्मपुत्र नदी पर अपनी निर्णायक पकड़ बना चुका है बल्कि यह तक कहा जा रहा है कि हिमालय क्षेत्र के मौसम और ग्लेशियरों को प्रभावित करने की टेक्नोलॉजी विकसित कर चुका है । 

चीन की तीन कमजोरी हैं —

1–निर्यात आधारित अर्थव्यवस्था 

2–टेक्नोलॉजी 

3–हिंद महासागर

पहली कमजोरी से निबटने के लिये चीन ने विदेशी मुद्रा का बड़ा भंडार और ट्रेजरी बॉन्ड खरीद रखे हैं जिसके जरिये वह अमेरिका के डॉलर को अंतर्राष्ट्रीय बाजार में दो दिन में कौड़ियों के भाव का कर सकता है परंतु भारत के संदर्भ में उसका कदम उल्टा बैठेगा और साथ ही भारत चीन के माल पर किसी भी ‘ बहाने ‘ से रोक लगाकर उसकी अर्थव्यवस्था को गड्ढे में धकेल सकता है । इसलिये आर्थिक मोर्चे पर तो सभी पक्ष ” रैगिंग वाली रेल ” बने रहेंगे जिसमें झगड़ा बस इस बात का है कि ” इंजन ” कौन बनेगा और ” पीछे वाला डिब्बा ” कौन रहेगा । 

( मेहरबानी करके रैगिंग की रेल का मतलब ना पूछियेगा )

अब बात टेक्नोलॉजी की जिसमें चीन दिनरात एक किये हुए है पर मिसाइल और न्यूक्लियर टेक्नीक को छोड़कर वह पश्चिम के सामने कहीं नहीं टिकता विशेषतः सामरिक तकनीक के क्षेत्र में । इसीलिये चीन ” पश्चिम की सामरिक तकनीक के गले की नस ” अर्थात टेलीकम्यूनिकेशन को बर्बाद करने के लिये ” सैटेलाइट किलर मिसाइल्स ” का सफल परीक्षण कर चुका है जिसके जवाब में अमेरिका ने ” नैनो सैटेलाइट ” लॉन्च किये हैं ।यानि इस क्षेत्र में पश्चिम अभी भी भारी बढ़त में है परंतु चीन और पश्चिम दोनों ही जानते हैं कि टैक्नोलॉजी से चीन को रोका तो जा सकता है पर निर्णायक रूप से परास्त नहीं किया जा सकता ।

अब तीसरी कमजोरी ‘ हिंदमहासागर ‘ और उसमे भारत , अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया का प्रभुत्व जिसके तोड़ के रूप में चीन ने ” पर्ल स्ट्रिंग ” विकसित की है जिसका एक सिरा पाकिस्तान स्थित ‘ ग्वादर बंदरगाह ‘ है तो दूसरा सिरा ‘ सेशेल्स ‘ में है । इसके बावजूद भारत अंडमान स्थित नौसैनिक अड्डे से पूरे हिंदमहासागर में चीन पर बढ़त में है और बाकी का काम मोदी ने ताबड़तोड़ विदेश दौरों और सफल कूटनीति से कर दिया । जरा याद कीजिये विदेश दौरों में देशों का क्रम और अबऑस्ट्रेलिया ,जापान , विएतनाम , भारत , दक्षिण अफ्रीका और अमेरिका के साथ एक हिंदमहासागरीय संगठन बनाने की कोशिश हो रही है जो चीन की ‘ पर्ल स्ट्रिंग ‘ का मुंहतोड़ जवाब होगी ।हालांकि ऑस्ट्रेलिया की झिझक के कारण इसका सैन्यस्वरूप विकसित नहीं हो पाया है ।

इस तरह चीन को घेरने के बावजूद अपनी ” हान जातीयता ” पर आधारित विशाल जनशक्ति के कारण पश्चिम उसपर निर्णायक विजय हासिल नहीं कर सकता । उसपर विजय पाने का एकमात्र तरीका जमीन के रास्ते से हमला करना ही है जिसके मात्र तीन रास्ते हैं । 

1- रूस द्वारा मध्य एशिया की ओर से 

2- पाकिस्तान के रास्ते 

3- भारत की ओर से

–अब आपको समझ आ गया होगा कि चीन रूस की खुशामद क्यों कर रहा है और क्यूँ अपनी पूर्वनीति के विपरीत सीरिया में रूस के साथ कंधे से कंधा मिलाकर ‘ एयर स्ट्राइक ‘ में भाग लेने को तैयार हो गया है । चीन का पूरा पूरा प्रयास रूस  रूस की खुशामद क्यों कर रहा है और क्यूँ अपनी पूर्वनीति के विपरीत सीरिया में रूस के साथ कंधे से कंधा मिलाकर ‘ एयर स्ट्राइक ‘ में भाग लेने को तैयार हो गया है । चीन का पूरा पूरा प्रयास रूस के साथ गठ बंधन करने का या कम से कम उसे ‘ न्यूट्रल ‘ रखने का होगा ताकि रूस की ओर से निश्चिंत हो सके । 

–पाकिस्तान की तरफ के रास्ते को चीन POK में सैन्य जमावड़ा करके और ग्वादर तक अबाध सैन्यसप्लाई की व्यवस्था द्वारा बंद कर चुका है । अगर सियाचिन पाकिस्तान के कब्जे में पहुंच गया तो चीन इस पूरे क्षेत्र को पूरी तरह ” लॉक ” कर देगा । 

–भारत के संदर्भ में दोनों पक्ष जानते हैं कि समझौता संभव नहीं क्योंकि ‘ तिब्बत की फांस ‘ दोनों के गले में अड़ी है । भारत को हतोत्साहित करने और सामरिक रूप से निर्णायक महत्वपूर्ण स्थानों को कब्जा करने हेतु ही वह अक्सर सीमा उल्लंघन करता रहता है ।

तो कुल मिलाकर ‘ भारत ‘ ही है जो चीन को रोकने के लिये पश्चिम का ‘ प्रभावी हथियार ‘ बन सकता है और यही कारण है कि पश्चिमी देशभारत में इतना ‘ इंट्रेस्ट ‘ दिखा रहे हैं । 

पश्चिम की इस विवशता को मोदी ने पकड़ लिया है इसीलिये संघर्ष से पूर्व ‘अर्थववस्था और सैन्य टेक्नोलॉजी ‘ की दृष्टि से सक्षम बना देना चाहते हैं इसीलिये उनके दौरों में निरंतर दो बातें परिलक्षित हो रहीं हैं – आर्थिक निवेश और हथियारों की ताबड़तोड़ खरीदी के साथ सैन्य टेक्नोलॉजी का हस्तांतरण । 

इसी तरह कूटनीतिक विदेश दौरों के द्वारा लामबंद करते हुए चीन विरोधी पूर्वी देशों का संगठित करने की कोशिश करते हुए चीन के ‘ पर्ल स्ट्रिंग ‘ को तोड़ दिया है जिससे चिढकर ही चीन ने नेपाल में मधेशियों के विरुद्ध माहौल खड़ाकर भारत के नेपाल में बढ़ते प्रभाव को रोका है और इसका असर मोदी पर इंग्लैंड दौरे के दौरान दिखाई दिया ।

भारत की तैयारियां —

1– भारी मात्रा में निवेश को आमंत्रित करना । 

2– आर्थिक मोर्चे पर सुदृढ़ता हासिल करना । 

( सेनायें भूखे पेट युद्ध नहीं कर सकतीं )

3– नौसेना का आधुनिकीकरण 

4– वायुसेना को एशिया में सर्वश्रेष्ठ बनाना और उज़्बेकिस्तान में भारत के सैन्य हवाई ठिकाने को मजबूत बनाना 

5– अंतरमहाद्वीपीय तथा मल्टीपल वारहैड मिसाइलों का विकास व आणविक शस्त्रागारों का विकास । 

6– बलूचिस्तान व अफगानिस्तान में भारत के प्रभाव को बढ़ाना । 

7– इलैक्ट्रोनिक वार के लिए ” काली 5000 ” जैसी तकनीक का उन्नतीकरण ।

8– अंतरिक्षीय संसाधनों के उपयोग की संभावनाओं के मुद्देनजर ” मार्स मिशन ” व अन्य ” अंतरिक्ष कार्यक्रमों ” का संचालन ।

पर इतनी तैयारियों के बावजूद अभी भी भारत बहुत पिछड़ा हुआ है और पश्चिमी शक्तियों के ऊपर निर्भर है और उसे निर्भर रहना पड़ेगा ।

अब कल्पना कीजिये कि भारत में किसी भी मुद्दे पर देशव्यापी दंगे शुरू हो जाते हैं और उसी समय पाकिस्तान भी अघोषित हमला शुरू कर देता जिसे समर्थन देते हुये चीन भी अपने दावे के अनुसार अरुणाचल पर कब्जा कर लेता है और लद्दाख में भी घुस जाता है । अब बताइये भारत क्या करेगा ? 

भारत के पास ले देकर 11 लाख रेगुलर आर्मी और 32 लाख रिजर्व आर्मी है जबकि चीन की वास्तविक सैन्य संख्या हमारी कल्पना से परे है । और फिलहाल चीन अपने खरीदे हुए भारतीय बुद्धिजीवियों द्वारा और सऊदी फंड से प्रायोजित मुस्लिमों व ‘ सैक्यूलर राजनेताओं ‘ द्वारा भारत में ही भारत के विरुद्ध ‘ अप्रत्यक्ष युद्ध ‘ छेड़ चुका है और इसका अगला कदम होगा ‘ गृह युद्ध ‘ जिसका एक लघुरूप हम पश्चिमी उत्तरप्रदेश में देख चुके है । अगर ये गृहयुद्ध शुरू होता है और यकीन मानिये वो होगा ही ‘ और यह होगा संसाधनों ‘ के लिये परंतु ‘ धर्म ‘ के नाम पर होगा । इस स्थिति का फायदा उठाने से पाकिस्तान नहीं चूकेगा और ऐसी स्थिति में अगर चीन भी मैदान में उतरा तो अमेरिका व पश्चिम को भी हस्तक्षेप करना पड़ेगा और यह तीसरे विश्वयुद्ध की शुरूआत होगी

तो पूरा परिदृश्य क्या हो सकता है —

एक तरफ चीन + पाकिस्तान + अरब देश 

दूसरी ओर अमेरिका + इजरायल +यूरोप +जापान

रूस संभवतः तटस्थ रहेगा लेकिन अगर वह चीन के साथ कोई गुट बनाता है , चाहे वह आर्थिक गुट ( शंघाई सहयोग संगठन ) या सैन्य गुट ( जिसकी शुरूआत सीरिया में दिख रही है ) तो चीन बहुत भारी पड़ेगा । 

इस परिस्थिति में भारत के सामने अमेरिका के सहयोग करने के अलावा कोई चारा नहीं और ना ही पश्चिम के पास भारत जैसी विशाल मानव शक्ति है और यही कारण है कि पश्चिमी शक्तियां आज मोदी की तारीफों के पुल बांध रही हैं , भारी निवेश कर रहीं हैं ( बुलेट ट्रेन में जापान की उदार शर्तों के बारे में पढ़िये ) और सैन्य तकनीक का हस्तांतरण कर रहीं हैं जबकि इजरायल द्वारा चीन को ” अवाक्स राडार ” देने से मना कर दिया जाता है ।

मोदी की कोशिश है कि इस स्थिति के आने से पूर्व ही भारत को पश्चिम की ‘आर्थिक व सैन्य मजबूरी ‘ बना दिया जाये और मोदी की सारी व्याकुलता , बैचैनी और तूफानी विदेश दौरे उसी ” महासंघर्ष ” की तैयारी के लिये हैं ना कि ‘ तफ़रीह ‘ के लिये । मोदी की कोशिश चीन से त्रस्त वियतनाम , म्यामां , मंगोलिया , इंडोनेशिया , जापान आदि देशों के साथ मिलकर आक्रामक तरीके से घेरने की भी है और पहली बार भारत ने चीन को विएतनाम सागर जिसे चीन दक्षिण चीन सागर कहता है , में दबंगई से अंगूठा दिखाया है । ये है मोदी की विदेश दौरों की कूटनीति का परिणाम ।

तो मोदी के नादान और अधीर समर्थको , समझ गये ना कि मोदी विदेश दौरे पर दौरे क्यों कर रहे हैं ?

तो दोस्तो —

– रामलला को कुछ दिन और तंबू में रह लेने दो 

– कुछ दिन और गायमाता का दर्द बर्दाश्त कर लो 

– कुछ दिन और समान संहिता का इंतजार कर लो 

– कुछ दिन और कश्मीरी पंडितों की तकलीफ झेलो

– कुछ दिन और महंगी रोटी पैट्रोल से गुजारा करो

क्योंकि —

–पहले, भारत को आर्थिक रूप से सुदृढ़ करना है 

–दूसरा , भारत को सैन्य महाशक्ति बंन जाने दो 

— तीसरा , भारत को आंतरिक शत्रुओं से निबटने लायक क्षमता हासिल करने दो । 

— चौथे , तुम खुद अपने आपको गृहयुद्ध की स्थिति में दोहरे आक्रमण का प्रतिरोध करने लायक तैयार कर लो

क्योंकि

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क्योंकि

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क्योंकि

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You are also an important player of this —

************ ” Great Game ” *********

Copied

Posted in हिन्दू पतन

कल मैंने कहा कि पाकिस्तान के पास जो सबसे बड़ा हथियार है वह उसका परमाणु बम नहीं, बल्कि वे बीस करोड़ मुसलमान हैं जो हमारे देश में रह रहे हैं.

कुछेक मित्रों ने नाराजगी जताई. तो एक बात और साफ कर दूँ, यह मेरी कही बात नहीं है. यह स्ट्रेटेजिक डॉक्ट्राइन 80 के दशक में जनरल जिया-उल-हक ने दी थी. उसने कहा था कि जब भारत में पाकिस्तान से ज्यादा मुसलमान हैं तो हमें अपने फौजी लड़ने के लिए भेजने की क्या जरूरत है? तब से पाकिस्तान ने भारत के मुसलमानों को रेडिकलाइज करने में इन्वेस्ट करना शुरू किया. भारत की अपनी सरकारों ने भी आगे इस आग में खूब घी डाला. 

आज एक सबसे कन्जर्वेटिव आकलन से भी कम से कम दस प्रतिशत मुसलमानों का तो रेडिकलाइजेशन हो ही चुका है. संख्या में ये कितने हुए? दो करोड़. यानि पूरे भारत की फौजों से पंद्रह-बीस गुना ज्यादा. 

अब अगर पाकिस्तान इन्हें भारत में दंगे-फसाद फैलाने का सिग्नल दे दे, तो आप कैसे संभालोगे? और बाकी के अठारह करोड़ आपके साथ खड़े होकर इसका विरोध करते नहीं दिखेंगे. वे या तो मूक दर्शक बनकर हवा का रुख भांपेंगे, या शोर मचाएँगे कि मुसलमानों के साथ कितना अत्याचार हो रहा है. अगर दो-चार प्रतिशत मुसलमान सचमुच इसके विरोध में भी होंगे तो वे वैसे ही अप्रासंगिक होंगे जैसे 1947 के पहले थे. 
पिछले कुछ समय से भारत के अलग-अलग शहरों में किसी ना किसी बहाने से पचास हजार-एक लाख मुसलमान जुटे हैं, हिंसक प्रदर्शन किए हैं. कभी किसी हिन्दू त्योहार के मौके पर, या कहीं पैगम्बर से गुस्ताखी के विरोध के बहाने से. यह सब उसी मारक हथियार की मिकेनिज्म को टेस्ट करने की प्रक्रिया भर थी. 

आतंकी हमलों के विरोध में पाकिस्तान पर आस्तीनें चढ़ाना अपनी जगह है. पर कोई लड़ाई छेड़ने से पहले यह सोच लीजिए कि उनके इस हथियार का आपके पास क्या जवाब है? बिना पूरी तैयारी के जंग में कूदना मूर्खता के अलावा कुछ नहीं होता. यह समय पाकिस्तान पर कारवाई की माँग करने के बजाय उस टेरर नेटवर्क को नष्ट करने की माँग करने का है जो हमारे अपने देश में फैला है.

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गजेंद्र पाल

Posted in छोटी कहानिया - १०,००० से ज्यादा रोचक और प्रेरणात्मक

​એક વખત એક રાજાએ પોતાના ત્રણ મંત્રીઓને બોલાવ્યા. , કર્મ


એક વખત એક રાજાએ પોતાના ત્રણ મંત્રીઓને બોલાવ્યા. મંત્રીઓ આવ્યા એટલે રાજાએ કહ્યુ , ” મારે આજે તમને પ્રજા માટે એક નાનું કામ સોંપવું છે.તમે આપણા બગીચામાં જાવ અને સારા સારા ફળનો એક કોથળો ભરીને લઇ આવો. આ કોથળો ભરીને તમે જે ફળ લાવશો એ હું જરુરીયાત વાળા લોકોને અપાવી દઇશ.

            “પ્રથમ મંત્રીએ વિચાર્યુ કે રાજા માત્ર ભરેલો કોથળો જ જોવાના છે એમાં શું છે.એ જોવાની રાજાને ક્યાં ફુરસદ હશે.માટે એણે તો ઘાસ-કચરો જે મળ્યુ તે ભેગુ કરીને કોથળો ભરી દીધો.

           બીજો મંત્રી પણ બગીચામાં ગયો અને વિચારવા લાગ્યો, ” હું મહેનત કરીને જો ફળ એકઠા કરીશ તો એ ફળ રાજા ક્યાં ખાવાના છે એ તો પ્રજામાં વેંચી દેવાના છે.તો પછી ખોટી મહેનત શું કરવી.” એણે ઝાડ પર ચડીને ફળો તોડવાને બદલે નીચે પડેલા અને સડી ગયેલા ફળો એકઠા કરીને પોતાનો કોથળો ભરી લીધો.

          ત્રીજો મંત્રી બગીચામાં ગયો. એને રાજાની આજ્ઞાનું પાલન કરીને પ્રજા માટે સારા-સારા ફળો એકઠા કર્યા આ માટે એને ખુબજ મહેનત કરવી પડી પણ રાજાની આજ્ઞા હતી આથી એણે પ્રજા માટે પાકા અને સારા ફળો ભેગા કર્યા.

              ત્રણે મંત્રીઓ પોતાના કોથળાઓ ઉપાડીને દરબારમાં ગયા એટલે રાજાએ હુકમ કર્યો કે હવે દરેક મંત્રીને એમના કોથળા સાથે જુદા જુદા ઓરડાઓમાં બંધ કરી દો.  એક મહિના સુધી આ મંત્રીઓના ઓરડાના દરવાજાઓ ખોલવાના નથી અને એને કંઇ જ ખાવાનું પણ આપવાનું નથી પ્રજા માટે ભેગા કરેલા ફળો હવે એમને જ ખાવાના છે.
મિત્રો , ભગવાન પણ એ જ રાજા છે અને આપણે બધા એના મંત્રીઓ આપણા કર્મ રૂપી ફળો એકઠા કરવા આ જગત રૂપી બગીચામાં આપણને મોકલ્યા છે કેવા ફળ ભેગા કરવા એ આપણે નક્કી કરવાનું છે પણ એટલુ તો પાક્કુ જ છે કે આપણે ભેગા કરેલા ફળનો કોથળો આપણને મળવાનો છે.તો જાજુ વિચારીને જ  સારું કર્મ કરીયે ને સુખની પ્ર!પ્તિ કરીયે…….

મને ખૂબ ગમ્યું , આપને પણ ગમશે…

Posted in सुभाषित - Subhasit

मोक्ष कहॉ है ? – Pramod Kumar


मोक्ष कहॉ है ?

इस पूरी धरती पर ऐसा कोई जलमय तीर्थ नहीं , कोई ऐसा धाम नहीं , जहॉ जाकर आपको सद्यो मोक्ष मिले । न गंगा , न यमुना , सरस्वती , कोई नदी आपको सद्यो मोक्ष नहीं प्रदान कर सकती क्योंकि मोक्ष तीर्थ से नहीं वरन् #ज्ञान से मिलता है ।

किन्तु इसका अभिप्राय तीर्थ की महत्वहीनता भी नहीं क्योंकि
तीर्थ चित्तशुद्धि का साधन होता है , जिससे ज्ञानप्राप्ति की योग्यता आती है ।

आत्मा ही नदी है, संयम और पुण्य इसके तीर्थ हैं। इसमें सत्य का जल बह रहा है। यह सदाचार और शांति आदि से युक्त है। इस आत्मा रूपी नदी में जो स्नान करता है , वह पवित्र हो जाता है। जल से अन्तरात्मा शुद्ध नहीं होता।

आत्मा नदी संयमपुण्यतीर्था, सत्योदका शीलशमादियुक्ता।
तस्यां स्नातः पुण्यकर्मा पुनाति न वारिणा शुद्धयति चान्तरात्मा।
[ श्रीवामनपुराणम् ४३/२५]