Posted in भारत का गुप्त इतिहास- Bharat Ka rahasyamay Itihaas

भारत में बलात्कार की मानसिकता;-

मुगलों की देन ?
मुगलों से पूर्व बलात्कार का उल्लेख

किसी भी पुस्तक में नहीं मिलता है !!!
पूरा पोस्ट अवश्य पढ़ें,,,
किसी भी  समाज में  किसी  भी स्त्री

का बलात्कार होना केवल उस स्त्री के

साथ अन्याय नहीं वरन उस समाज के

सभ्य होने पर भी सवालिया निशान

खड़ा करता है।
तीन चार वर्ष पूर्व हुई दिल्ली में एक

लड़की का अमानवीय  बलात्कार

और फिर उसकी मौत देश में स्त्रियों

की हालत बयाँ करते हैं।
ऐसा नहीं ये पहली और आखरी घटना

थी,देश में  लभग हर 20 मिनट मे एक

महिला का बलात्कार होता है।
ये तो वो आकडे हैं जो पीड़ित द्वारा

पुलिस में शिकायत की जाती है,

सोचिये ..

ये आकडे इससे कही  ज्यादा होंगे

क्यों कि अभी भी 80% स्त्रियाँ लोक -लाज,गरीब,असहाय  या अशिक्षित

होने के कारण थाने तक पहुँच ही

नहीं पाती  होंगी।
क्या ऐसे में भारत को सभ्य कहा जा

सकता है?
पर क्या कारण है की महान भारत जो

कि स्त्री को देवी कह कर पूजता था,

जिसने  स्त्रियों को ”या देवी सर्वभूतेषु”

कह कर उसे पूजनीय बनाया,पुरुषो

द्वारा लिखे गए वेदों में भी उसे इतना

सम्मान दिया कि,

”यत्र नार्यस्तु पूजयन्ते रमन्ते तत्र देवता”

तक कह दिया गया।
वेदों,रामायण,महाभारत किसी में भी

किसी भी स्त्री का ’बलात्कार‘ होने का

उल्लेख नहीं है।
राम ने लंका पर विजय प्राप्त की पर

न ही उन्होंने और न  किसी सेना ने

पराजित लंका की स्त्रियों को हाथ

लगाया।
महाभारत में पांड्वो की जीत हुयी

लाखो कौरव मारे गए,उनकी स्त्रियाँ

विधवा हुयी पर किसी भी पांडव

सैनिक ने किसी भी कौरव सेना

की विधवा स्त्रियों को हाथ तक

नही लगाया।
फिर अचानक क्या हुआ की इसी

भारत में स्त्रियों की इतनी दयनीय

स्थिति हो गयी,उनके बलात्कार

होने लगे ?
इसके लिए हम को इतिहास में

झांकना होगा …
ये तो सभी जानते हैं की भारत पर

समय -समय पर विदेशी आक्रमण

होते रहे हैं कुछ प्रमुख आक्रमण

कारियों के इतिहास को देखते हैं …
सिकंदर :-

सिकंदर ने भारत पर लगभग

326-327 ई.पू आक्रमण किया,

पुरु और सिकंदर का  भयंकर युद्ध

हुआ,हजारो -लाखो सैनिक मारे गए।
युद्ध सिकंदर द्वारा जीत लिया गया,

युद्ध जीतने  के बाद भी राजा पुरु की

बहादुरी से प्रभावित होक जीता हुआ

राज्य भी पुरु को देदिया और बेबिलोन

वापस  चला गया।
विजेता होने के बाद भी सिकंदर की

सेनाओं ने किसी भी भारतीय महिला

के साथ बलत्कार नहीं किया और न

तो धर्म परिवर्तन करवाया ।
कुषाण :- (1शताब्दी से 2 शताब्दी)

ये आक्रमणकारी मूल रूप से चीन

से आये हुए माने जाते थे,शाक्यो को

परास्त करते हुए ये अफगानिस्तान

के दर्रो को पार करते हुए ये भारत

में पहुचे और भारत पर कब्ज़ा किया।
इतिहास में कही भी शायद ऐसे नहीं

लिखा की इन्होने पराजित सैनिको

अथवा  स्त्रियों  का बलात्कार

किया हो।
हूण :- (520 AD)

परसिया को जितने के बाद ये

अफगानिस्तान से होते हुए भारत

में आये और यहाँ पर राज किया।
बलात्कार इन्होने भी नहीं किया किसी

भी स्त्री का क्यों की इतिहासकारों ने

इसका कही उल्लेख नहीं कियाहै।
और भी आक्रमणकारी थे जिन्होंने

भारत में बहुत मार काट मचाई जैसे

शक्य(शक)आदि,पर बलात्कार शब्द

तब तक शायद किसी को नहीं पता था।
अब आते हैं मध्यकालीन भारत में …

जहाँ से शुरू होता है इस्लामिक

आक्रमण,और शुरू हुआ भारत

में बलात्कार का  प्रचलन ।
मुहम्मद बिन कासिम :-
सबसे पहले मुस्लिम आक्रमण हुआ

711 ई.में मुहामद बिन कासिम द्वारा

सिंध पर,राजा दाहिर को हराने के बाद

उसकी दोनों बेटियों का बलात्कार कर

के उन्हें दासियों के रूप में  खलीफा को

भेंट कर दिया।

तब शायद ये भारत की स्त्रीओं का

पहली बार बलात्कार जैसे कुकर्म

से  सामना हुआ  जिसमें हारे हुए

राजा की बेटियों और साधारण

स्त्रियों का जीती हुयी सेना द्वारा

बुरी तरह से बलात्कार  हुआ।
(पाठक मित्र और अधिक जानकारी

के लिए इतिहासकार प्रो.S.G.Shevde

की पुस्तक ‘भारतीय संस्कृति ” पेज

35-36 देखे)
मुहम्मद  गजनी :-

गजनी ने पहला भारत पर आक्रमण

1001 ई में किया,इसके बारे में ये

कहा जाता है की इसने इस्लाम को

फ़ैलाने के  ही आक्रमण किया था।
सोमनाथ के मंदिर को तोड़ने के

बाद उसके साथ  हजारो हिन्दू

स्त्रियों को अफगानिस्तान ले गया

और  उन्हके साथ बलात्कार करके

दासो के बाजारों में उन्हें बेच दिया गया ।
मुहम्मद गौरी :-

गौरी ने 1175 में सबसे पहले मुल्तान

पर आक्रमण किया,मुल्तान में इस्लाम

फ़ैलाने के बाद उसने भारत की तरफ

रुख किया।

पृथ्वी राज को युद्ध(1192) में हराने

के बाद उसने पृथ्वी राज को इस्लाम

कबूल करने के लिए कहा पर जब

पृथ्वी राज ने इंकार  तो उसने न कि

पृथ्वी राज को अमानवीय यातनाये

दी बल्कि उन लाखो हिन्दू पुरुषो को

मौत के घाट उतर दिया और अनगिनत

हिन्दू स्त्रियों के साथ उसकी सेना ने

बलात्कार की जिन्होंने इस्लाम कबूल

करने से मना  कर दिया था।
इतिहासकार श्री आशीर्वादी लाल श्रीवास्तव की पुस्तक ” दिल्ली सल्तनत

-711 से 1526 तक के पेज न.85 पर

आप देख सकते हैं की किस प्रकार गौरी

ने इस्लाम न कबूल करने वाले हिन्दुओं

और स्त्रियों पर क्या क्या अत्याचार।
ये  सूचि बहुत लम्बी है,पर मेरे कहने

का बस इतना तात्पर्य है कि मध्यकालीन

में मुगलों द्वारा पराजित हिन्दू राजाओं की

स्त्रियों का और साधारण हिन्दु स्त्रियों का

बलात्कार करना एक आम बात थी,

क्यों की वो इसे अपनी जीत या जिहाद

का इनाम थे।
धीरे -धीरे ये बलात्कार करने की रुग्ण

मानसिकता भारत के पुरुषो में भी फैलने

लगी,और आज इसका ये भयानक रूप

देखने को मिल रहा है …

तो इस प्रकार भारत में ‘बलात्कार ”

करने का मानसिक रोग उत्त्पन्न हुआ।
ठीक उसी प्रकार जैसे सर पर  मैला

उठाने की प्रथा वैदिक काल में नहीं

थी और न ही उसके बाद तक जब

तक कि मुगलों का आगमन भारत

में नहीं हुआ था ।

 

लेखक : केशव

★★★★★★★★★★★★★★

http://jayhind.co.in/mindset-of-rape-in-india-the-contribution-of-the-mughals/

◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆👋

हे राम !!!!
जय श्री राम,
विजय कृष्णा पांडेय

Posted in भारत का गुप्त इतिहास- Bharat Ka rahasyamay Itihaas

भारत में बलात्कार की मानसिकता;-

मुगलों की देन ?
मुगलों से पूर्व बलात्कार का उल्लेख

किसी भी पुस्तक में नहीं मिलता है !!!
पूरा पोस्ट अवश्य पढ़ें,,,
किसी भी  समाज में  किसी  भी स्त्री

का बलात्कार होना केवल उस स्त्री के

साथ अन्याय नहीं वरन उस समाज के

सभ्य होने पर भी सवालिया निशान

खड़ा करता है।
तीन चार वर्ष पूर्व हुई दिल्ली में एक

लड़की का अमानवीय  बलात्कार

और फिर उसकी मौत देश में स्त्रियों

की हालत बयाँ करते हैं।
ऐसा नहीं ये पहली और आखरी घटना

थी,देश में  लभग हर 20 मिनट मे एक

महिला का बलात्कार होता है।
ये तो वो आकडे हैं जो पीड़ित द्वारा

पुलिस में शिकायत की जाती है,

सोचिये ..

ये आकडे इससे कही  ज्यादा होंगे

क्यों कि अभी भी 80% स्त्रियाँ लोक -लाज,गरीब,असहाय  या अशिक्षित

होने के कारण थाने तक पहुँच ही

नहीं पाती  होंगी।
क्या ऐसे में भारत को सभ्य कहा जा

सकता है?
पर क्या कारण है की महान भारत जो

कि स्त्री को देवी कह कर पूजता था,

जिसने  स्त्रियों को ”या देवी सर्वभूतेषु”

कह कर उसे पूजनीय बनाया,पुरुषो

द्वारा लिखे गए वेदों में भी उसे इतना

सम्मान दिया कि,

”यत्र नार्यस्तु पूजयन्ते रमन्ते तत्र देवता”

तक कह दिया गया।
वेदों,रामायण,महाभारत किसी में भी

किसी भी स्त्री का ’बलात्कार‘ होने का

उल्लेख नहीं है।
राम ने लंका पर विजय प्राप्त की पर

न ही उन्होंने और न  किसी सेना ने

पराजित लंका की स्त्रियों को हाथ

लगाया।
महाभारत में पांड्वो की जीत हुयी

लाखो कौरव मारे गए,उनकी स्त्रियाँ

विधवा हुयी पर किसी भी पांडव

सैनिक ने किसी भी कौरव सेना

की विधवा स्त्रियों को हाथ तक

नही लगाया।
फिर अचानक क्या हुआ की इसी

भारत में स्त्रियों की इतनी दयनीय

स्थिति हो गयी,उनके बलात्कार

होने लगे ?
इसके लिए हम को इतिहास में

झांकना होगा …
ये तो सभी जानते हैं की भारत पर

समय -समय पर विदेशी आक्रमण

होते रहे हैं कुछ प्रमुख आक्रमण

कारियों के इतिहास को देखते हैं …
सिकंदर :-

सिकंदर ने भारत पर लगभग

326-327 ई.पू आक्रमण किया,

पुरु और सिकंदर का  भयंकर युद्ध

हुआ,हजारो -लाखो सैनिक मारे गए।
युद्ध सिकंदर द्वारा जीत लिया गया,

युद्ध जीतने  के बाद भी राजा पुरु की

बहादुरी से प्रभावित होक जीता हुआ

राज्य भी पुरु को देदिया और बेबिलोन

वापस  चला गया।
विजेता होने के बाद भी सिकंदर की

सेनाओं ने किसी भी भारतीय महिला

के साथ बलत्कार नहीं किया और न

तो धर्म परिवर्तन करवाया ।
कुषाण :- (1शताब्दी से 2 शताब्दी)

ये आक्रमणकारी मूल रूप से चीन

से आये हुए माने जाते थे,शाक्यो को

परास्त करते हुए ये अफगानिस्तान

के दर्रो को पार करते हुए ये भारत

में पहुचे और भारत पर कब्ज़ा किया।
इतिहास में कही भी शायद ऐसे नहीं

लिखा की इन्होने पराजित सैनिको

अथवा  स्त्रियों  का बलात्कार

किया हो।
हूण :- (520 AD)

परसिया को जितने के बाद ये

अफगानिस्तान से होते हुए भारत

में आये और यहाँ पर राज किया।
बलात्कार इन्होने भी नहीं किया किसी

भी स्त्री का क्यों की इतिहासकारों ने

इसका कही उल्लेख नहीं कियाहै।
और भी आक्रमणकारी थे जिन्होंने

भारत में बहुत मार काट मचाई जैसे

शक्य(शक)आदि,पर बलात्कार शब्द

तब तक शायद किसी को नहीं पता था।
अब आते हैं मध्यकालीन भारत में …

जहाँ से शुरू होता है इस्लामिक

आक्रमण,और शुरू हुआ भारत

में बलात्कार का  प्रचलन ।
मुहम्मद बिन कासिम :-
सबसे पहले मुस्लिम आक्रमण हुआ

711 ई.में मुहामद बिन कासिम द्वारा

सिंध पर,राजा दाहिर को हराने के बाद

उसकी दोनों बेटियों का बलात्कार कर

के उन्हें दासियों के रूप में  खलीफा को

भेंट कर दिया।

तब शायद ये भारत की स्त्रीओं का

पहली बार बलात्कार जैसे कुकर्म

से  सामना हुआ  जिसमें हारे हुए

राजा की बेटियों और साधारण

स्त्रियों का जीती हुयी सेना द्वारा

बुरी तरह से बलात्कार  हुआ।
(पाठक मित्र और अधिक जानकारी

के लिए इतिहासकार प्रो.S.G.Shevde

की पुस्तक ‘भारतीय संस्कृति ” पेज

35-36 देखे)
मुहम्मद  गजनी :-

गजनी ने पहला भारत पर आक्रमण

1001 ई में किया,इसके बारे में ये

कहा जाता है की इसने इस्लाम को

फ़ैलाने के  ही आक्रमण किया था।
सोमनाथ के मंदिर को तोड़ने के

बाद उसके साथ  हजारो हिन्दू

स्त्रियों को अफगानिस्तान ले गया

और  उन्हके साथ बलात्कार करके

दासो के बाजारों में उन्हें बेच दिया गया ।
मुहम्मद गौरी :-

गौरी ने 1175 में सबसे पहले मुल्तान

पर आक्रमण किया,मुल्तान में इस्लाम

फ़ैलाने के बाद उसने भारत की तरफ

रुख किया।

पृथ्वी राज को युद्ध(1192) में हराने

के बाद उसने पृथ्वी राज को इस्लाम

कबूल करने के लिए कहा पर जब

पृथ्वी राज ने इंकार  तो उसने न कि

पृथ्वी राज को अमानवीय यातनाये

दी बल्कि उन लाखो हिन्दू पुरुषो को

मौत के घाट उतर दिया और अनगिनत

हिन्दू स्त्रियों के साथ उसकी सेना ने

बलात्कार की जिन्होंने इस्लाम कबूल

करने से मना  कर दिया था।
इतिहासकार श्री आशीर्वादी लाल श्रीवास्तव की पुस्तक ” दिल्ली सल्तनत

-711 से 1526 तक के पेज न.85 पर

आप देख सकते हैं की किस प्रकार गौरी

ने इस्लाम न कबूल करने वाले हिन्दुओं

और स्त्रियों पर क्या क्या अत्याचार।
ये  सूचि बहुत लम्बी है,पर मेरे कहने

का बस इतना तात्पर्य है कि मध्यकालीन

में मुगलों द्वारा पराजित हिन्दू राजाओं की

स्त्रियों का और साधारण हिन्दु स्त्रियों का

बलात्कार करना एक आम बात थी,

क्यों की वो इसे अपनी जीत या जिहाद

का इनाम थे।
धीरे -धीरे ये बलात्कार करने की रुग्ण

मानसिकता भारत के पुरुषो में भी फैलने

लगी,और आज इसका ये भयानक रूप

देखने को मिल रहा है …

तो इस प्रकार भारत में ‘बलात्कार ”

करने का मानसिक रोग उत्त्पन्न हुआ।
ठीक उसी प्रकार जैसे सर पर  मैला

उठाने की प्रथा वैदिक काल में नहीं

थी और न ही उसके बाद तक जब

तक कि मुगलों का आगमन भारत

में नहीं हुआ था ।

 

लेखक : केशव

★★★★★★★★★★★★★★

http://jayhind.co.in/mindset-of-rape-in-india-the-contribution-of-the-mughals/

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हे राम !!!!
जय श्री राम,
विजय कृष्णा पांडेय

Posted in छोटी कहानिया - १०,००० से ज्यादा रोचक और प्रेरणात्मक

संस्कार


#संस्कार
घर के बाहर अकेली खेल रही वंशिका को देख कर पड़ौस में रहने वाले नाज़िम ने मुस्कुरा कर पूछा 

” आज स्कूल नहीं गयी वंशी ?

वंशी ने भी चहकते हुए जवाब दिया 

“नहीं भैया, पता है आज बड़े बच्चे टूर पर गये हैं इसलिये मेरी छुट्टी हो गयी, अौर अब मैं पूरा दिन खेलूंगी “।

” अरे वाह फिर तो इस खुशी में एक चॉकलेट तो बनती है,… है ना ”

“तो फिर लाओ दो ना चॉकलेट, वो मेरी फेवरेट है !” वंशिका ने बाल सुलभ जिद करते हुए कहा।

नाजिम ने इधर उधर देखा और वंशिका के करीब जाकर बोला “यहां नहीं मेरे साथ चलना पड़ेगा, वहां उस मकान के पास!” 

नाजिम ने थोड़ी दूर दिख रहे टूटे फूटे से खन्डहर नुमा घर की ओर इशारा करते हुए कहा ” वहां बबलू की दुकान है, उसी पर “।

चॉकलेट के नाम से छोटी सी वंशिका के मुंह में पानी आ रहा था और वह नाज़िम के पीछे चल पड़ी।

अभी कुछ ही कदम बढ़ाये थे कि सहसा वह ठिठक रुक गयी और कुछ सोचने लगी।

” नहीं भैया मुझे आपके साथ कहीं नहीं जाना, मेरी मम्मा कहती हैं चॉकलेट के बहाने से अपने साथ ले जाने वाले रावण होते हैं, 

और मैंने टीवी पर भी देखा है कि रावण बहुत बुरा था, वो सीता मैया को किडनैप कर उठा कर ले गया था और “।

बेटी के छोटे से मुख से बड़ी बातें सुन कर बालकनी में खड़ी मां के चेहरे पर संतुष्टि के भाव साफ झलक रहे थे 

कि हर तरफ घूम रहे इन्सानी भेड़ियों से बचने कि लिये वंशी को दिये जा रहे संस्कार सही आकार ले रहे है।

अपने बच्चो को #अच्छे_संस्कार दे।

धन्यवाद

बात समझ आयी हो तो #शेयर करना ना भूले।

Posted in भारतीय उत्सव - Bhartiya Utsav

गुरु महिमा !!

गुरु पूर्णिमा पर्व क्यों !!
“गुरूर्ब्रह्मा गुरूर्विष्णुः गुरूर्देवो महेश्वरः।

गुरू साक्षात् परंब्रह्म तस्मै श्री गुरूवे नमः॥”
हिन्दू पंचांग के अनुसार आषाढ़ पूर्णिमा

के दिन गुरु की पूजा करने की परंपरा को

गुरु पूर्णिमा पर्व के रूप में मनाया जाता है।
यह पर्व आत्मस्वरूप का ज्ञान

पाने के अपने कर्तव्य की याद

दिलाने वाला,मन में दैवी गुणों

से विभूषित करनेवाला,सद्गुरु के

प्रेम और ज्ञान की गंगा में बारम्बार

डूबकी लगाने हेतु प्रोत्साहन देने

वाला है।
गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा भी कहा

जाता है,क्योंकि मान्यता है कि भगवान

वेद व्यास ने पंचम वेद महाभारत की

रचना इसी पूर्णिमा के दिन की और

विश्व के सुप्रसिद्ध आर्य ग्रन्थ ब्रह्मसूत्र

का लेखन इसी दिन आरम्भ किया।
तब देवताओं ने वेद व्यास जी का

पूजन किया और तभी से व्यास

पूर्णिमा मनाई जा रही है।
कहा जाता है प्राचीन काल में गुरु

शिष्य परम्परा के अनुसार शिक्षा

ग्रहण की जाती थी।

इस दिन शिष्यगण अपने घर से गुरु

आश्रम जाकर गुरु की प्रसन्नता के

लिए अन्न,वस्त्र और द्रव्य से उनका

पूजन करते थे।
उसके उपरान्त ही उन्हें धर्म ग्रन्थ,

वेद,शास्त्र तथा अन्य विद्याओं की

जानकारी और शिक्षण का प्रशिक्षण

मिल पाता था।
गुरु को समर्पित इस पर्व से हमें भी

शिक्षा लेते हुए हमें उनकी पूजा करनी

चाहिए और उनके प्रति ह्रदय से श्रद्धा

रखनी चाहिए।
ओम विश्वाणी देव

सवित दुरीतानी परासुव

यत भद्रम तन्नो आसुव ll

हरि ओम…..
ओम दुर्जनो सज्जनो भुर्यात

सज्जनो शांति माप्नुयात

शांतों मुच्येत बन्ध्येभ्यों

मुक्तश्च अन्य विमूक्तए ll
अखण्डमण्डलाकारं व्याप्तं येन चराचरम्।

तत्पदं दर्शितं येन तस्मै श्री गुरूवे नमः।।

अज्ञानतिमिरान्धस्य ज्ञानाञ्जन शलाकया।

चक्षुरून्मीलितं येन तस्मै श्री गुरूवे नमः॥
गुरूर्ब्रह्मा गुरूर्विष्णुः गुरूर्देवो महेश्वरः।

गुरू साक्षात परंब्रह्म तस्मै श्री गुरवेनमः॥
स्थावरं जंगमं व्याप्तं

यत्किञ्चित् सचराचरम्।

तत्पदं दर्शितं येन तस्मै

श्री गुरवे नमः॥
चिन्मयं व्यापितं सर्वं त्रैलोक्यं सचराचरम्।

तत्पदं दर्शितं येन तस्मै श्री गुरवे नमः॥
सर्वश्रुति शिरोरत्न विराजित पदाम्बुजः।

वेदान्ताम्बुज सूर्याय तस्मै श्री गुरवे नमः॥
चैतन्य शाश्वतं शान्तं व्योमातीतं निञ्जनः।

बिन्दु नाद कलातीतःतस्मै श्री गुरवे नमः॥
ज्ञानशक्ति समारूढःतत्त्वमाला विभूषितम्।

भुक्ति मुक्ति प्रदाता च तस्मै श्री गुरवे नमः॥
अनेक जन्म सम्प्राप्त कर्म बन्ध विदाहिने।

आत्मज्ञान प्रदानेन तस्मै श्री गुरवे नमः॥
शोषणं भव सिन्धोश्च ज्ञापनं सार संपदः।

गुरोर्पादोदकं सम्यक् तस्मै श्री गुरवे नमः॥
न गुरोरधिकं त्तत्वं न गुरोरधिकं तपः।

तत्त्व ज्ञानात् परं नास्ति तस्मै श्री गुरवे नमः॥
ध्यानमूलं गुरोर्मूर्तिः पूजामूलं गुरोर्पदम्।

मन्त्रमूलं गुरोर्वाक्यं मोक्षमूलं गुरोर्कृपा॥
ब्रह्मानन्दं परमसुखदं केवलं ज्ञानमूर्तिं।

द्वन्द्वातीतं गगनसदृशं तत्त्वमस्यादिलक्षयम्॥
एकं नित्यं विमलमचलं सर्वधीसाक्षिभूतं।

भावातीतं त्रिगुणरहितं सद् गुरूं तन्नमामि॥
अखण्डमण्डलाकारं व्याप्तं येन चराचरम्।

तत्पदं दर्शितं येन तस्मै श्री गुरवे नमः॥
ध्यानं सत्यं पूजा सत्यं सत्यं देवो निरञ्जनम्।

गुरिर्वाक्यं सदा सत्यं सत्यं देव उमापतिः॥”
इस गुरू वंदना में गुरू के स्वरूप,

शक्ति,सृजन और महत्व का सूक्ष्म

रहस्य छिपा हैं।
गुरू,ब्रह्मा है,गुरू विष्णु है,गुरूदेव

महेश्वर है।

गुरू साक्षात परम ब्रह्म है,उनको

नमस्कार है।
गुरू ब्रह्मा क्यों है ?

कारण कई जन्मों के बुरे संस्कारों से

हमारे अन्दर बहुत सा विकार पैदा हो

गया है।
हम दैविक मार्ग पर चलेंगे,क्या उसके

लिए हमारा शरीर,मन,बुद्धि तैयार है

या नहीं।
हम उस रास्ते चलेंगे जो सुनने में

आसान लगता है लेकिन जब उस

पर चलेंगे तो  ऐसा प्रतीत होगा कि

बहुत ही कठिन एवं दुर्गम रास्ता है।
इस कारण से गुरू को भी ब्रह्मा के

जैसे ही हमारे अंदर के विकार और

गन्दगी को हटाकर बुद्धि को शुद्ध कर

हमारे बिगड़े संस्कार को ठीक करना

पड़ता है।
अर्थात साधना,संयम,योग,जप द्वारा

गुरू हमे चलने लायक बना देते है।
गुरू विष्णु के जैसे हमारा पालन

करेंगे अन्यथा हम भौतिक कष्ट

से मर्माहत होकर साधना क्या

कर पायेंगे।
कोइ भी साधक या संत हो भले

ही वो त्यागी हो फिर भी जरूरत

की चीज मिल जाये और किसी के

सामने शर्म से सिर झुकाकर भिक्षा

या दान न मांगना पड़े।
इसके लिए गुरू बिष्णु जैसा बनकर

साधना,मंत्र,तंत्र द्वारा या वर,आशिर्वाद

देकर उस योग्य बना देते है कि सब कुछ

स्वतः प्राप्त होता रहे।
गुरू विष्णु के समान है जब चाहे

भक्त,साधक को पुष्ट बना दें ताकि

उसे साधना मार्ग में कभी भी भौतिक

विघ्न न सताये।
गुरू महेश्वर यानि शिव है जिनके पास

सारी शक्तियां विद्यमान है परन्तु दाता

होते हुए भी कोई दिखावा नहीं है।
वो सबका स्वामी है।
गुरू का यह रूप सदाशिव सदगुरू

बनकर साधक और भक्त को दिव्य

शक्ति प्रदान करवाते है।

यहाँ जो भी करते हैं,गुरू ही करते है।
कारण कैसी साधना,कौन सा मंत्र

या क्या करना है यह गुरू कृपा से

ही सुलभ होती है।

ये अपने शिष्य को जगत के सारे

रहस्य से परिचित कराके स्वयं और

शक्ति की लीला का साक्षात्कार कराने

के साथ ही आत्म दर्शन द्वारा साकार

परमात्मा के परम ब्रह्म का ज्ञान कराते है।
साकार,निराकार सब कुछ समझ में

आ जाता हैं और अंत में जो बचता है

वह “एकोहम द्वितीयो नास्ति “।

#साभार_संकलित;

(#चित्र_महर्षि_वेदव्यास)
जयति पुण्य सनातन संस्कृति,

जयति पुण्य भूमि भारत,,
समस्त मानव जाति पर समस्त

गुरुओं की कृपा सदा बरसती रहे !!!
सदा सर्वदा सुमंगल,

ॐ गुरवे नमः,

हर हर महादेव,

ॐ विष्णवे नम:,

जय भवानी,

जय श्रीराम,

विजय कृष्णा पांडेय

Posted in ज्योतिष - Astrology

💐 *शयन विधान*💐
*सूर्यास्त के एक प्रहर (लगभग 3 घंटे) के बाद ही शयन करना।*
*🌻सोने की मुद्रा:*  

           *उल्टा सोये भोगी,* 

           *सीधा सोये योगी,*

           *डाबा सोये निरोगी,*

           *जीमना सोये रोगी।*
*🌻शास्त्रीय विधान भी है।* 

*आयुर्वेद में ‘वामकुक्षि’ की     बात आती हैं,*   

*बायीं करवट सोना स्वास्थ्य के लिये हितकर हैं।*
*शरीर विज्ञान के अनुसार चित सोने से रीढ़ की हड्डी को नुकसान और औधा या ऊल्टा सोने से आँखे बिगडती है।*
*सोते समय कितने गायत्री मंन्त्र /नवकार मंन्त्र गिने जाए :-*

*”सूतां सात, उठता आठ”सोते वक्त सात भय को दूर करने के लिए सात मंन्त्र गिनें और उठते वक्त आठ कर्मो को दूर करने के लिए आठ मंन्त्र गिनें।*
*”सात भय:-“* 

*इहलोक,परलोक,आदान,*

*अकस्मात ,वेदना,मरण ,*

*अश्लोक (भय)*
*🌻दिशा घ्यान:-* 

*दक्षिणदिशा (South) में पाँव रखकर कभी सोना नहीं । यम और दुष्टदेवों का निवास है ।कान में हवा भरती है । मस्तिष्क  में रक्त का संचार कम को जाता है स्मृति- भ्रंश,मौत व असंख्य बीमारियाँ होती है।* 
*✌यह बात वैज्ञानिकों ने एवं वास्तुविदों ने भी जाहिर की है।*
*1:- पूर्व ( E ) दिशा में मस्तक रखकर सोने से विद्या की प्राप्ति होती है।* 
*2:-दक्षिण ( S ) में मस्तक रखकर सोने से धनलाभ व आरोग्य लाभ होता है ।*
*3:-पश्चिम( W ) में मस्तक रखकर सोने से प्रबल चिंता होती है ।*

 

*4:-उत्तर ( N ) में मस्तक रखकर  सोने से मृत्यु और हानि होती है ।*
*अन्य धर्गग्रंथों में शयनविधि में और भी बातें सावधानी के तौर पर बताई गई है ।*
*विशेष शयन की सावधानियाँ:-* 
*1:-मस्तक और पाँव की तरफ दीपक रखना नहीं। दीपक बायीं या दायीं और कम से कम 5 हाथ दूर होना चाहिये।*

*2:-सोते समय मस्तक दिवार से कम से कम 3 हाथ दूर होना चाहिये।*

*3:-संध्याकाल में निद्रा नहीं लेनी।*

*4:-शय्या पर बैठे-बैठे निद्रा नहीं लेनी।*

*5:-द्वार के उंबरे/ देहरी/थलेटी/चौकट पर मस्तक रखकर नींद न लें।*

*6:-ह्रदय पर हाथ रखकर,छत के पाट या बीम के नीचें और पाँव पर पाँव चढ़ाकर निद्रा न लें।*

*7:-सूर्यास्त के पहले सोना नहीं।*

*7:-पाँव की और शय्या ऊँची हो  तो  अशुभ  है।  केवल चिकित्स  उपचार हेतु छूट हैं ।*

*8:- शय्या पर बैठकर खाना-पीना अशुभ है। (बेड टी पीने वाले सावधान)*

*9:- सोते सोते पढना नहीं।*

*10:-सोते-सोते तंम्बाकू चबाना नहीं। (मुंह में गुटखा रखकर सोने वाले चेत जाएँ )*

*11:-ललाट पर तिलक रखकर सोना अशुभ है (इसलिये सोते वक्त तिलक मिटाने का कहा जाता है। )*

 *12:-शय्या पर बैठकर सरोता से सुपारी के टुकड़े करना अशुभ हैं।*

   – डॉक्टर वैद्य पंडित विनय कुमार उपाध्याय 

*🙏🏼 प्रत्येक व्यक्ति यह ज्ञान को प्राप्त कर सके इसलिए शेयर अवश्य करे | 👏🏼👏🏼💐*

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​एक आलसी लेकिन भोलाभाला युवक था आनंद।


एक आलसी लेकिन भोलाभाला युवक था आनंद।
दिन भर कोई काम नहीं करता बस खाता ही रहता और सोता रहता।
घर वालों ने कहा चलो जाओ निकलो घर से, कोई काम धाम करते नहीं हो बस पड़े रहते हो।
वह घर से निकल कर यूं ही भटकते हुए एक आश्रम पहुंचा।
वहां उसने देखा कि एक गुरुजी हैं उनके शिष्य कोई काम नहीं करते बस मंदिर की पूजा करते हैं।
उसने मन में सोचा यह बढिया है कोई काम धाम नहीं बस पूजा ही तो करना है।
गुरुजी के पास जाकर पूछा, क्या मैं यहां रह सकता हूं।
गुरुजी बोले हां, हां क्यों नहीं?
लेकिन मैं कोई काम नहीं कर सकता हूं गुरुजी। 
कोई काम नहीं करना है बस पूजा करनी होगी।
आनंद : ठीक है वह तो मैं कर लूंगा …
अब आनंद महाराज आश्रम में रहने लगे।
ना कोई काम ना कोई धाम बस सारा दिन खाते रहो और प्रभु मक्ति में भजन गाते रहो।
महीना भर हो गया फिर एक दिन आई एकादशी।
उसने रसोई में जाकर देखा खाने की कोई तैयारी नहीं थी।
उसने गुरुजी से पूछा आज खाना नहीं बनेगा क्या।
गुरुजी ने कहा नहीं आज तो एकादशी है।
तुम्हारा भी उपवास है ।
उसने कहा नहीं अगर हमने उपवास कर लिया तो कल का दिन ही नहीं देख पाएंगे हम तो …. हम नहीं कर सकते उपवास… हमें तो भूख लगती है।
आपने पहले क्यों नहीं बताया?
गुरुजी ने कहा ठीक है तुम ना करो उपवास, पर खाना भी तुम्हारे लिए कोई और नहीं बनाएगा तुम खुद बना लो।
मरता क्या न करता गया रसोई में, गुरुजी फिर आए ”देखो अगर तुम खाना बना लो तो राम जी को भोग जरूर लगा लेना और नदी के उस पार जाकर बना लो रसोई।
ठीक है, लकड़ी, आटा, तेल, घी, सब्जी लेकर आंनद महाराज चले गए, जैसा तैसा खाना भी बनाया, खाने लगा तो याद आया गुरुजी ने कहा था कि राम जी को भोग लगाना है।
वह भजन गाने लगा…आओ मेरे राम जी , भोग लगाओ जी प्रभु राम आइए, श्रीराम आइए मेरे भोजन का भोग लगाइए…
कोई ना आया, तो बैचैन हो गया कि यहां तो भूख लग रही है और राम जी आ ही नहीं रहे।
भोला मानस जानता नहीं था कि प्रभु साक्षात तो आएंगे नहीं ।
पर गुरुजी की बात मानना जरूरी है।
फिर उसने कहा , देखो प्रभु राम जी, मैं समझ गया कि आप क्यों नहीं आ रहे हैं।
मैंने रूखा सूखा बनाया है और आपको तर माल खाने की आदत है इसलिए नहीं आ रहे हैं। 
तो सुनो प्रभु … आज वहां भी कुछ नहीं बना है, सबकी एकादशी है, खाना हो तो यह भोग ही खालो।
श्रीराम अपने भक्त की सरलता पर बड़े मुस्कुराए और माता सीता के साथ प्रकट हो गए।
भक्त असमंजस में।
गुरुजी ने तो कहा था कि राम जी आएंगे पर यहां तो माता सीता भी आईं है और मैंने तो भोजन बस दो लोगों का बनाया हैं।
चलो कोई बात नहीं आज इन्हें ही खिला देते हैं।
बोला प्रभु मैं भूखा रह गया लेकिन मुझे आप दोनों को देखकर बड़ा अच्छा लग रहा है।
लेकिन अगली एकादशी पर ऐसा न करना पहले बता देना कि कितने जन आ रहे हो।
और हां थोड़ा जल्दी आ जाना।
राम जी उसकी बात पर बड़े मुदित हुए।
प्रसाद ग्रहण कर के चले गए।
अगली एकादशी तक यह भोला मानस सब भूल गया।
उसे लगा प्रभु ऐसे ही आते होंगे और प्रसाद ग्रहण करते होंगे।
फिर एकादशी आई। गुरुजी से कहा, मैं चला अपना खाना बनाने पर गुरुजी थोड़ा ज्यादा अनाज लगेगा, वहां दो लोग आते हैं।
गुरुजी मुस्कुराए, भूख के मारे बावला है।
ठीक है ले जा और अनाज लेजा।
अबकी बार उसने तीन लोगों का खाना बनाया।
फिर गुहार लगाई प्रभु राम आइए, सीताराम आइए, मेरे भोजन का भोग लगाइए…
प्रभु की महिमा भी निराली है।
भक्त के साथ कौतुक करने में उन्हें भी बड़ा मजा आता है।
इस बार वे अपने भाई लक्ष्मण, भरत शत्रुघ्न और हनुमान जी को लेकर आ गए।
भक्त को चक्कर आ गए।
यह क्या हुआ। एक का भोजन बनाया तो दो आए आज दो का खाना ज्यादा बनाया तो पूरा खानदान आ गया।
लगता है आज भी भूखा ही रहना पड़ेगा।
सबको भोजन लगाया और बैठे-बैठे देखता रहा।
अनजाने ही उसकी भी एकादशी हो गई।
फिर अगली एकादशी आने से पहले गुरुजी से कहा, गुरुजी, ये आपके प्रभु राम जी, अकेले क्यों नहीं आते हर बार कितने सारे लोग ले आते हैं?
इस बार अनाज ज्यादा देना।
गुरुजी को लगा, कहीं यह अनाज बेचता तो नहीं है देखना पड़ेगा जाकर।
भंडार में कहा इसे जितना अनाज चाहिए दे दो और छुपकर उसे देखने चल पड़े।
इस बार आनंद ने सोचा, खाना पहले नहीं बनाऊंगा, पता नहीं कितने लोग आ जाएं। पहले बुला लेता हूं फिर बनाता हूं।
फिर टेर लगाई प्रभु राम आइए , श्री राम आइए, मेरे भोजन का भोग लगाइए।
सारा राम दरबार मौजूद।
इस बार तो हनुमान जी भी साथ आए लेकिन यह क्या प्रसाद तो तैयार ही नहीं है।
भक्त ठहरा भोला भाला, बोला प्रभु इस बार मैंने खाना नहीं बनाया, प्रभु ने पूछा क्यों?
बोला, मुझे मिलेगा तो है नहीं फिर क्या फायदा बनाने का, आप ही बना लो और खुद ही खा लो।
राम जी मुस्कुराए, सीता माता भी गदगद हो गई उसके मासूम जवाब से।
लक्ष्मण जी बोले क्या करें प्रभु।
प्रभु बोले भक्त की इच्छा है पूरी तो करनी पड़ेगी।
चलो लग जाओ काम से।
लक्ष्मण जी ने लकड़ी उठाई, माता सीता आटा सानने लगीं।
भक्त एक तरफ बैठकर देखता रहा।
माता सीता रसोई बना रही थी तो कई ऋषि-मुनि, यक्ष, गंधर्व प्रसाद लेने आने लगे।
इधर गुरुजी ने देखा खाना तो बना नहीं भक्त एक कोने में बैठा है।
पूछा बेटा क्या बात है खाना क्यों नहीं बनाया?
 बोला, अच्छा किया गुरुजी आप आ गए देखिए कितने लोग आते हैं प्रभु के साथ।
गुरुजी बोले, मुझे तो कुछ नहीं दिख रहा तुम्हारे और अनाज के सिवा।
भक्त ने माथा पकड़ लिया, एक तो इतनी मेहनत करवाते हैं प्रभु, भूखा भी रखते हैं और ऊपर से गुरुजी को दिख भी नहीं रहे यह और बड़ी मुसीबत है।
प्रभु से कहा, आप गुरुजी को क्यों नहीं दिख रहे हैं?
प्रभु बोले : मैं उन्हें नहीं दिख सकता।
बोला : क्यों वे तो बड़े पंडित हैं, ज्ञानी हैं विद्वान हैं उन्हें तो बहुत कुछ आता है उनको क्यों नहीं दिखते आप?
प्रभु बोले , माना कि उनको सब आता है पर वे सरल नहीं हैं तुम्हारी तरह।
इसलिए उनको नहीं दिख सकता।
आनंद ने गुरुजी से कहा, गुरुजी प्रभु कह रहे हैं आप सरल नहीं है इसलिए आपको नहीं दिखेंगे।
गुरुजी रोने लगे वाकई मैंने सबकुछ पाया पर सरलता नहीं पा सका तुम्हारी तरह, और प्रभु तो मन की सरलता से ही मिलते हैं।
प्रभु प्रकट हो गए और गुरुजी को भी दर्शन दिए।
इस तरह एक भक्त के कहने पर प्रभु ने रसोई भी बनाई।
 भक्ति का प्रथम मार्ग सरलता है !

लष्मीकांत वर्शनय

Posted in भारत का गुप्त इतिहास- Bharat Ka rahasyamay Itihaas

#गिलगित_बाल्टिस्तान
वास्तव में अगर जम्मू कश्मीर के बारे में बातचीत करने की जरूरत है तो वह है POK और अक्साई चीन के बारे में…

इसके ऊपर देश में चर्चा होनी चाहिए गिलगित जो अभी POK में है विश्व में एकमात्र ऐसा स्थान है जोकि 5 देशों से जुड़ा हुआ है 

अफगानिस्तान, तजाकिस्तान (जो कभी Russia का हिस्सा था) पाकिस्तान, भारत और तिब्बत – चाइना…

वास्तव में जम्मू कश्मीर की Importance जम्मू के कारण नहीं, कश्मीर के कारण नहीं, लद्दाख के कारण नहीं वास्तव में अगर इसकी Importance है तो वह है गिलगित-बाल्टिस्तान के कारण
भारत के इतिहास में भारत पर जितने भी आक्रमण हुए यूनानियों से लेकर आज तक शक, हूण, कुषाण, मुग़ल, वह सारे गिलगित विस्तार के मार्ग से होकर के हुए 

हमारे पूर्वज जम्मू-कश्मीर के महत्व को समझते थे उनको पता था कि, अगर भारत को सुरक्षित रखना है तो दुश्मन को हिंदूकुश अर्थात गिलगित-बाल्टिस्तान के उस पार ही रखना होगा 

किसी समय इस गिलगित में अमेरिका बैठना चाहता था, ब्रिटेन अपना Base गिलगित में बनाना चाहता था, रशिया भी गिलगित में बैठना चाहता था यहां तक कि, पाकिस्तान नें 1965 युद्ध में गिलगित को रशिया को देने का वादा तक कर लिया था 

आज चाइना गिलगित में बैठना चाहता है और वह अपने पैर पसार भी चुका है और पाकिस्तान तो बैठना चाहता ही था

#दुर्भाग्य_से_इस_गिलगित_के_महत्व_को_सारे_वैश्विक_देश_समझतें_है 

#केवल_एक_उसको_छोड़कर_जिसका_वास्तव_में_गिलगित_बाल्टिस्तान_है और वह है भारत

क्योंकि, हमको इस बात की कल्पना तक नहीं है…
भारत को अगर सुरक्षित रहना है तो हमें गिलगित-बाल्टिस्तान किसी भी हालत में चाहिए 

आज हम आर्थिक शक्ति बनने की सोच रहे हैं क्या आपको पता है गिलगित से By Road आप विश्व के अधिकांश कोनों में आ-जा सकते हैं…

गिलगित से By Road 5000 Km दुबई है, 

1400 Km दिल्ली है, 

3500 Km Russia है

लंदन 8000 Km है…
जब हम सोने की चिड़िया थे हमारा सारे देशों से व्यापार चलता था 85 % जनसंख्या इन मार्गों से जुड़ी हुई थ, Central Asia, यूरेशिया, यूरोप, अफ्रीका सब जगह हम By Road जा सकते है अगर गिलगित-बाल्टिस्तान हमारे पास हो,

आज हम पाकिस्तान के सामने IPI (Iran-Pakistan-India) गैस लाइन बिछाने के लिए गिड़गिड़ाते हैं ये तापी की परियोजना है जो कभी पूरी नहीं होगी अगर हमारे पास गिलगित होता तो गिलगित के आगे तज़ाकिस्तान था हमें किसी के सामने हाथ नहीं फ़ैलाने पड़त…

हिमालय की 10 बड़ी चोटियों है जो कि, विश्व की 10 बड़ी चोटियों में से है और ये सारी हमारी है और इन 10 में से 8 गिलगित-बाल्टिस्तान में है…

तिब्बत पर चीन का कब्जा होने के बाद जितने भी पानी के वैकल्पिक स्त्रोत (Alternate Water Resources) हैं वह सारे गिलगित-बाल्टिस्तान में है…

वहां बड़ी-बड़ी 50-100 यूरेनियम और सोने की खदाने हैं आप POK के मिनरल डिपार्टमेंट की रिपोर्ट को पढ़िए आप आश्चर्यचकित रह जाएंगे 

वास्तव में गिलगित-बाल्टिस्तान का महत्व हमको मालूम नहीं है और सबसे बड़ी बात गिलगित-बाल्टिस्तान के लोग Strong Anti PAK है  

दुर्भाग्य क्या है हम हमेशा कश्मीर बोलते हैं जम्मू- कश्मीर नहीं बोलते है

कश्मीर कहते ही जम्मू, लद्दाख, गिलगित-बाल्टिस्तान दिमाग से निकल जाता है 

ये जो पाकिस्तान के कब्जे में जो POK है उसका क्षेत्रफल 79000 वर्ग किलोमीटर है उसमें पाकिस्तान के कब्जे में कश्मीर का हिस्सा तो केवल 6000 वर्ग किलोमीटर है और 9000 वर्ग किलोमीटर का हिस्सा जम्मू का है और 64000 वर्ग किलोमीटर हिस्सा लद्दाख का है जो कि, गिलगित-बाल्टिस्तान है 

यह कभी कश्मीर का हिस्सा नहीं था यह लद्दाख का हिस्सा था वास्तव में सच्चाई यही है 

इसलिए पाकिस्तान यह जो बार-बार कश्मीर का राग अलापता रहता है तो उसको कोई यह पूछे तो सही क्या गिलगित-बाल्टिस्तान और जम्मू का हिस्सा जिस पर तुमने कब्ज़ा कर रखा है क्या ये भी कश्मीर का ही भाग है 

कोई जवाब नहीं मिलेगा 

गिलगित-बाल्टिस्तान, लद्दाख के रहने वाले लोगो की औसत आयु विश्व में सर्वाधिक है यहाँ के लोग विश्व अन्य लोगो की तुलना में ज्यादा जीते है 

#भारत_में_आयोजित_एक_सेमिनार_में #गिलगित_बाल्टिस्तान_के_एक_बड़े_नेता_को_बुलाया_गया_था 

#उसने_कहा कि #We_are_the_forgotten_people_of_forgotten_lands_of_BHARAT”

उसने कहा कि, देश हमारी बात ही नहीं जानता 

किसी ने उससे सवाल किया कि, क्या आप भारत में रहना चाहते हैं 

तो उसने कहा कि, 60 साल बाद तो आपने मुझे भारत बुलाया और वह भी अमेरिकी टूरिस्ट वीजा पर और आप मुझसे सवाल पूछते हैं कि, क्या आप भारत में रहना चाहते हैं l 

उसने कहा कि, आप गिलगित-बाल्टिस्तान के बच्चों को IIT, IIM में दाखिला दीजिए AIIMS में हमारे लोगों का इलाज कीजिए 

हमें यह लगे तो सही कि, हमारा भारत हमारी चिंता करता है हमारी बात भी करता है 

गिलगित-बाल्टिस्तान में पाकिस्तान की सेना कितने अत्याचार करती है लेकिन आपके किसी भी राष्ट्रीय अखबार में उसका जिक्र तक नहीं आता है 

आप हमें ये अहसास तो दिलाइये की आप हमारे साथ है 

और मैं खुद आपसे यह पूछता हूं कि, आप सभी ने पाकिस्तान को हमारे कश्मीर में हर सहायता उपलब्ध कराते हुए देखा होगा 

वह बार बार कहता है कि, हम कश्मीर की जनता के साथ हैं, कश्मीर की आवाम हमारी है, लेकिन क्या आपने कभी यह सुना है कि किसी भी भारत के नेता, मंत्री या सरकार ने यह कहा हो कि, हम POK – गिलगित-बाल्टिस्तान की जनता के साथ हैं, या वह हमारी आवाम है, उनको जो भी सहायता उपलब्ध होगी हम उपलब्ध करवाएंगे आपने यह कभी नहीं सुना होगा 

#कांग्रेस सरकार #ने_कभी POK #गिलगित_बाल्टिस्तान_को_पुनः_भारत_में_लाने_के_लिए_कोई_बयान_तक_नहीं_दिया #प्रयास_तो_बहुत_दूर_की_बात_है 
हालाँकि, #पहली_बार #अटल_बिहारी_वाजपेयी जी की सरकार के समय POK का मुद्दा उठाया गया #फिर 10 साल पुनः मौन धारण हो गया और फिर से #नरेंद्र_मोदी जी की सरकार आने पर विदेश मंत्री #सुषमा_स्वराज ने संसद में ये मुद्दा उठाया

आज अगर आप किसी को गिलगित के बारे में पूछ भी लोगे तो उसे यह पता नहीं है कि, यह जम्मू कश्मीर का ही भाग है 

वह यह पूछेगा क्या यह कोई चिड़िया का नाम है, वास्तव में हमें जम्मू कश्मीर के बारे में जो गलत नजरिया है उसको बदलने की जरूरत है

अब करना क्या चाहिए 

तो पहली बात है सुरक्षा में किसी भी प्रकार का समझौता नहीं होना चाहिए जम्मू-कश्मीर की सुरक्षा का मुद्दा बहुत संवेदनशील है इस पर अनावश्यक वाद-विवाद नहीं होना चाहिए 

एक अनावश्यक वाद विवाद चलता है कि, जम्मू कश्मीर में इतनी सेना क्यों है

तो बुद्धिजीवियों को बता दिया जाए कि, जम्मू-कश्मीर का 2800 किलोमीटर का बॉर्डर है जिसमें 2400 किलोमीटर पर LOC है 

आजादी के बाद भारत ने पांच युद्ध लड़े वह सभी जम्मू-कश्मीर से लड़े भारतीय सेना के 18 लोगों को परमवीर चक्र मिला और वह 18 के 18 जम्मू कश्मीर में शहीद हुए हैं

इनमें 14000 भारतीय सैनिक शहीद हुए हैं जिनमें से 12000 जम्मू कश्मीर में शहीद हुए हैं, अब सेना बॉर्डर पर नहीं तो क्या मध्यप्रदेश में रहेगी क्या यह सब जो सेना की इन बातों को नहीं समझते वही यह सब अनर्गल चर्चा करते हैं 

वास्तव में जम्मू कश्मीर पर बातचीत करने के बिंदु होने चाहिए POK वेस्ट पाक रिफ्यूजी, कश्मीरी हिंदू समाज, आतंक से पीड़ित लोग, धारा 370 और 35A का दुरूपयोग, गिलगित-बाल्टिस्तान का वह क्षेत्र जो आज पाकिस्तान – चाइना के कब्जे में है  

जम्मू-कश्मीर के गिलगित-बाल्टिस्तान में अधिकांश जनसंख्या शिया मुसलमानों की है और वह सभी पाक विरोधी है वह आज भी अपनी लड़ाई खुद लड़ रहे हैं, पर भारत उनके साथ है ऐसा उनको महसूस कराना चाहिए, देश कभी उनके साथ खड़ा नहीं हुआ वास्तव में पूरे देश में इसकी चर्चा होनी चाहिए

वास्तव में जम्मू-कश्मीर के विमर्श का मुद्दा बदलना चाहिए 

जम्मू कश्मीर को लेकर सारे देश में सही जानकारी देने की जरूरत है 
Refrences

INDIA INDEPENDECE ACT 1947

INDIAN CONSTITUTION ACT 1950

JAMMU & KASHMIR ACT 1956 

INDIAN GOVT. ACT 1935

Dr. Kirshandev Jhari 

Dr. kuldeep Chandra Agnihotri

Jammu-kashmir Adhyan Kendra 

Sushil Pandit, SC & J&K HC Court Judgements

News Sources &

Various ACCORDS & Statements

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​एक पार्क मे दो बुजुर्ग बैठे बातें कर रहे थे..


एक पार्क मे दो बुजुर्ग बैठे बातें कर रहे थे….
पहला :- मेरी एक पोती है, शादी के लायक है… BE किया है, नौकरी करती है, कद – 5″2 इंच है.. सुंदर है

कोई लडका नजर मे हो तो बताइएगा..
दूसरा :- आपकी पोती को किस तरह का परिवार चाहिए…??
पहला :- कुछ खास नही.. बस लडका ME /M.TECH किया हो, अपना घर हो, कार हो, घर मे एसी हो, अपने बाग बगीचा हो, अच्छा job, अच्छी सैलरी, कोई लाख रू. तक हो…
दूसरा :- और कुछ…
पहला :- हाँ सबसे जरूरी बात.. अकेला होना चाहिए..

मां-बाप,भाई-बहन नही होने चाहिए..

वो क्या है लडाई झगड़े होते है…
दूसरे बुजुर्ग की आँखें भर आई फिर आँसू पोछते हुए बोला – मेरे एक दोस्त का पोता है उसके भाई-बहन नही है, मां बाप एक दुर्घटना मे चल बसे, अच्छी नौकरी है, डेढ़ लाख सैलरी है, गाड़ी है बंगला है, नौकर-चाकर है..
पहला :- तो करवाओ ना रिश्ता पक्का..
दूसरा :- मगर उस लड़के की भी यही शर्त है की लडकी के भी मां-बाप,भाई-बहन या कोई रिश्तेदार ना हो…

कहते कहते उनका गला भर आया..

फिर बोले :- अगर आपका परिवार आत्महत्या कर ले तो बात बन सकती है.. आपकी पोती की शादी उससे हो जाएगी और वो बहुत सुखी रहेगी….
पहला :- ये क्या बकवास है, हमारा परिवार क्यों करे आत्महत्या.. कल को उसकी खुशियों मे, दुःख मे कौन उसके साथ व उसके पास होगा…
दूसरा :- वाह मेरे दोस्त, खुद का परिवार, परिवार है और दूसरे का कुछ नही… मेरे दोस्त अपने बच्चो को परिवार का महत्व समझाओ, घर के बडे ,घर के छोटे सभी अपनो के लिए जरूरी होते है… वरना इंसान खुशियों का और गम का महत्व ही भूल जाएगा, जिंदगी नीरस बन जाएगी…
पहले वाले बुजुर्ग बेहद शर्मिंदगी के कारण कुछ नही बोल पाए…
दोस्तों परिवार है तो जीवन मे हर खुशी, खुशी लगती है अगर परिवार नही तो किससे अपनी खुशियाँ और गम बांटोगे.

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किसी मेले में एक स्टाल लगा था जिस पर लिखा था


किसी मेले में एक स्टाल लगा था जिस पर लिखा था ,  बुद्धि विक्रय केंद्र ”  !
लोगो की भीड उस स्टाल पर लगी थी !
मै भी पहुंचा तो देखा कि उस स्टाल पर

अलग अलग शीशे के जार में कुछ रखा

हुआ था !
एक जार पर लिखा था-

ब्राम्हण की बुद्धि-500 रुपये किलो
दूसरे जार पर लिखा था –

जैन की बुद्धि-1000 रुपये किलो
तीसरे जार पर लिखा था-

क्षत्रिय की बुद्धि-2000 रुपये किलो
चौथे जार पर लिखा था-

यादव की बुद्धि- 50000 रुपये किलो
और पांचवे जार पर लिखा था-

दलित की बुद्धि-100000 रुपया किलो।
मैं हैरान कि इस दुष्ट ने ब्राम्हण की

बुद्धि की इतनी कम कीमत क्यों लगाई?
गुस्सा भी आया कि इसकी इतनी मजाल,

अभी मजा चखाता हूँ।
गुस्से से लाल मै भीड को चीरते हुआ

दुकानदार के पास पहुंचा और

उससे पूछा कि तेरी हिम्मत कैसे हुयी जो

ब्राम्हण की बुद्धि इतनी सस्ती बेचने की ?
उसने मेरी तरफ देखा और मुस्कराया,

हुजूर बाजार के नियमानुसार…
जो चीज ज्यादा उत्पादित होती है,

उसका रेट गिर जाता है !
आपलोगो की इसी बहुतायत बुद्धि

के कारण ही तो आपलोग दीनहीन पड़े हैं !
कोई पूछने वाला भी नहीं है आपलोगों को..
सब एक दूसरे की टांग खींचते हैं

और सिर्फ अपना नाम बडा देखना

चाहते हैं !
किसी को सहयोग नहीं करते…

काम करने वाले की आलोचना करते है

और नीचा दिखाते हैं !
जाइये साहब…पहले अपने समाज को समझाइये और

मुकाम हासिल करिए !
और फिर आइयेगा मेरे पास… तो आप

जिस रेट में कहेंगे, उस रेट में आपकी

बिरादरी की बुद्धि बेचूंगा !!
मेरी जुबान पर ताला लग गया और

मैं अपना सा मुंह लेकर चला आया !
इस छोटी सी कहानी के माध्यम से

जो कुछ मैं कहना चाहता हूं,

आशा करता हूँ कि समझने वाले

समझ गये होंगे !
और जो ना समझना चाहे

वो अपने आपको

बहुत बडा खिलाडी

समझ सकते हैं !!!!!
(नोट : कृपया इस पोस्ट को केवल ब्राम्हणों के बीच आगे बढ़ाएँ और सुधार हेतु चर्चा करें )

🌹🌹जय परशुराम 🌹🌹

बृजमोहन ओजा दधीच

[21/07, 12:29] harshad30.wordpress.com: 👉एक बार एक संत ने अपने दो

भक्तों को बुलाया और कहा आप

को यहाँ से पचास कोस जाना है।

👉एक भक्त को एक बोरी खाने के

सामान से भर कर दी और कहा जो
लायक मिले उसे देते जाना

👉और एक को ख़ाली बोरी दी उससे

कहा रास्ते मे जो उसे अच्छा मिले

उसे बोरी मे भर कर ले आए।

👉दोनो निकल पड़े जिसके कंधे पर

समान था वो धीरे चल पा रहा था

👉ख़ाली बोरी वाला भक्त आराम से

जा रहा था

👉थोड़ी दूर उसको एक सोने की ईंट

मिली उसने उसे बोरी मे डाल लिया

👉थोड़ी दूर चला फिर ईंट मिली उसे

भी उठा लिया

👉जैसे जैसे चलता गया उसे सोना

मिलता गया और वो बोरी मे भरता

हुआ चल रहा था

👉और बोरी का वज़न। बढ़ता गया

उसका चलना मुश्किल होता गया

और साँस भी चढ़ने लग गईं

👉एक एक क़दम मुश्किल होता

गया ।

👉दूसरा भक्त जैसे जैसे चलता गया

रास्ते मै जो भी मिलता उसको

बोरी मे से खाने का कुछ समान

देता गया धीरे धीरे बोरी का वज़न

कम होता गया

👉और उसका चलना आसान होता

गया।

👉जो बाँटता गया उसका मंज़िल

तक पहुँचना आसान होता गया

👉जो ईकठा करता रहा वो रास्ते मे

ही दम तोड़ गया

👉दिल से सोचना हमने जीवन मे

क्या बाँटा और क्या इकट्ठा किया

हम मंज़िल तक कैसे पहुँच पाएँगे।
👉जिन्दगी का कडवा सच…👈

👉आप को 60 साल की उम्र के बाद

कोई यह नहीं पूछेंगा कि आप का

बैंक बैलेन्स कितना है या आप के

पास कितनी गाड़ियाँ हैं….?
👉दो ही प्रश्न पूछे जाएंगे …👈

1-आप का स्वास्थ्य कैसा है…..?

और

2-आप के बच्चे क्या करते हैं….?
👉 आपको भी अच्छा लगे तो औरों को भी भेजें
👉क्या पता किसी की कुछ सोच बदल जाये।
👉प्यार बाटते रहो यही विनती है।

M P Avasthi

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रात में एक चोर घर में घुसा..।


रात में एक चोर घर में घुसा..।

😀😃
कमरे का दरवाजा खोला

तो

बरामदे पर एक बूढ़ी औरत सो रही थी।
खटपट से उसकी आंख खुल गई। चोर ने घबरा कर देखा

तो

वह लेटे लेटे बोली….
” बेटा, तुम देखने से किसी अच्छे घर के लगते हो,

लगता है किसी परेशानी से मजबूर होकर इस रास्ते पर लग गए हो।

चलो ….कोई बात नहीं।

अलमारी के तीसरे बक्से में एक तिजोरी

है ।

इसमें का सारा माल तुम चुपचाप ले जाना।
मगर

पहले मेरे पास आकर बैठो, मैंने अभी-अभी एक ख्वाब

देखा है । वह सुनकर जरा मुझे इसका मतलब तो बता

दो।”
चोर उस बूढ़ी औरत की रहमदिली से बड़ा अभिभूत हुआ और चुपचाप उसके पास जाकर बैठ गया।
बुढ़िया ने अपना सपना सुनाना शुरु किया…

”बेटा, मैंने देखा कि मैं एक रेगिस्तान में खो गइ हूँ।

ऐसे में एक चील मेरे पास आई और उसने 3 बार जोर जोर

से बोला पंकज!  पंक़ज!  पंकज!!!
बस फिर ख्वाब खत्म हो गया और मेरी आंख खुल गई।

..जरा बताओ तो इसका क्या मतलब हुई? ”
चोर सोच में पड़ गया।
इतने में बराबर वाले कमरे से

बुढ़िया का नौजवान बेटा पंकज अपना नाम

ज़ोर ज़ोर से सुनकर उठ गया और अंदर आकर चोर की

जमकर धुनाई कर दी।
बुढ़िया बोली ”बस करो अब

यह अपने किए की सजा भुगत चुका।”
चोर बोला, “नहीं- नहीं ! मुझे और कूटो , सालों!….
ताकि मुझे आगे याद रहे कि…

… मैं चोर हूँ , सपनों का सौदागर  नहीं। ”

😖😖😩😩😂😂
👉Moral – u

Don’t get emotional,

Be Professional..