प्रेरणा दायक कहानी
[09/12, 7:25 am] +91 75630 69511: जीवन की सचाई
एक आदमी की चार पत्नियाँ थी।
वह अपनी चौथी पत्नी से बहुत प्यार करता था और उसकी खूब देखभाल करता व उसको सबसे श्रेष्ठ देता।
वह अपनी तीसरी पत्नी से भी प्यार करता था और हमेशा उसे अपने मित्रों को दिखाना चाहता था। हालांकि उसे हमेशा डर था की वह कभी भी किसी दुसरे इंसान के साथ भाग सकती है।
वह अपनी दूसरी पत्नी से भी प्यार करता था।जब भी उसे कोई परेशानी आती तो वे अपनी दुसरे नंबर की पत्नी के पास जाता और वो उसकी समस्या सुलझा देती।
वह अपनी पहली पत्नी से प्यार नहीं करता था जबकि पत्नी उससे बहुत गहरा प्यार करती थी और उसकी खूब देखभाल करती।
एक दिन वह बहुत बीमार पड़ गया और जानता था की जल्दी ही वह मर जाएगा।उसने अपने आप से कहा,” मेरी चार पत्नियां हैं, उनमें से मैं एक को अपने साथ ले जाता हूँ…जब मैं मरूं तो वह मरने में मेरा साथ दे।”
तब उसने चौथी पत्नी से अपने साथ आने को कहा तो वह बोली,” नहीं, ऐसा तो हो ही नहीं सकता और चली गयी।
उसने तीसरी पत्नी से पूछा तो वह बोली की,” ज़िन्दगी बहुत अच्छी है यहाँ।जब तुम मरोगे तो मैं दूसरी शादी कर लूंगी।”
उसने दूसरी पत्नी से कहा तो वह बोली, ” माफ़ कर दो, इस बार मैं तुम्हारी कोई मदद नहीं कर सकती।ज्यादा से ज्यादा मैं तुम्हारे दफनाने तक तुम्हारे साथ रह सकती हूँ।”
अब तक उसका दिल बैठ सा गया और ठंडा पड़ गया।तब एक आवाज़ आई,” मैं तुम्हारे साथ चलने को तैयार हूँ।तुम जहाँ जाओगे मैं तुम्हारे साथ चलूंगी।”
उस आदमी ने जब देखा तो वह उसकी पहली पत्नी थी।वह बहुत बीमार सी हो गयी थी खाने पीने के अभाव में।
वह आदमी पश्चाताप के आंसूं के साथ बोला,” मुझे तुम्हारी अच्छी देखभाल करनी चाहिए थी और मैं कर सकता थाI”
दरअसल हम सब की चार पत्नियां हैं जीवन में।
[09/12, 7:26 am] +91 75630 69511: 1. चौथी पत्नी हमारा शरीर है।
हम चाहें जितना सजा लें संवार लें पर जब हम मरेंगे तो यह हमारा साथ छोड़ देगा।
2. तीसरी पत्नी है हमारी जमा पूँजी, रुतबा। जब हम मरेंगे
तो ये दूसरों के पास चले जायेंगे।
3. दूसरी पत्नी है हमारे दोस्त व रिश्तेदार।चाहेंवे कितने भी करीबी क्यूँ ना हों हमारे जीवन काल में पर मरने के बाद हद से हद वे हमारे अंतिम संस्कार तक साथ रहते हैं।
4. पहली पत्नी हमारी आत्मा है, जो सांसारिक मोह माया में हमेशा उपेक्षित रहती है।
यही वह चीज़ है जो हमारे साथ रहती है जहाँ भी हम जाये ।
कुछ देना है तो इसे दो….
देखभाल करनी है तो इसकी करो
प्यार करना है तो इससे करो
मिली थी जिन्दगी
किसी के ‘काम’ आने के लिए..
पर वक्त बीत रहा है
कागज के टुकड़े कमाने के लिए..
क्या करोगे इतना पैसा कमा कर..?
ना कफन मे ‘जेब’ है ना कब्र मे ‘अलमारी..’