Posted in भारत का गुप्त इतिहास- Bharat Ka rahasyamay Itihaas

मनोज शर्मा

तथाकथित मुस्लिम पार्टी कांग्रेस ने षड्यंत्र पूर्वक वामपंथी इतिहासकारों से सिर्फ मुगलों को महान दर्शाने वाला इतिहास लिखवाया और हमें पढ़वाया ताकि मुसलमानों की गजबाए हिंद की दीर्घकालीन योजना के फलीभूत होने में आसानी हो।हिन्दुओं की नस्लों का मनोबल गिर जावे और वे धर्मांतरण का विरोध न करें अपितु धर्मनिरपेक्षता के नाम पर धर्मांतरण का सहयोग करें ।जब इस नकली इतिहास को बदलने की बात चलती है तो मुस्लिम पार्टी कांग्रेस शिक्षा के भगवा करण का आरोप लगाती है ।

Posted in छोटी कहानिया - १०,००० से ज्यादा रोचक और प्रेरणात्मक

संजय गुप्ता

🦋💕 इंतजार एक आस ,,
छोटी सी कहानी…..💕🦋

एक गाँव में बिंदिया, सोनू रहते थे, बचपन से ही उनके पिताजी का निर्धन हो गया था, माँ घरघर जाकर बर्तन मांजती थी, जिससे वहाँ अपने बच्चों का पालनपोषण करती थी,
बिंदिया कक्षा सातवी में और सोनू कक्षा पाँचवी में पढ़ता था, बच्चें पढ़ने में होशयार थे, लेकिन माली हालत ठीक नही थी, जिससे वहाँ पढ़ नही पाते थें……………..🌾

बरहाल सब ठीक चल रहा था, पर एक दिन अचानक बिंदिया की माँ बिमार पड़ गयी, बिस्तर से उठना मुश्किल हो गया, अब खाने को लाले पड़ गयें, घर पर एक अन्न का दाना नही था ऊपर से माँ की बिमारी और दवा, बहुत मुश्किल हो रहा था………….🌴

बिंदिया ने एक फैसला लिया, क्यूकि वही घर की बड़ी थी वो स्कूल के बाद, काम पर जाने का फैसला लिया, वहाँ घरघर जाकर लोगो के काम मांगती, कुछ को तरस आ जाता तो घर का काम करवाके कुछ पैसें दे देतें या कोई खाना दे देंता, वो काम कर के जब घर आती तो छोटा भाई खुश हो जाता क्यूकि उसको एक टाइम ही खाना मिलता था, माँ की बिमारी के लिए भी थोड़े बहुत पैसें हो जाते, जिंदगी अच्छी तो नही पर लडखड़ा कर चल रही थी पर चल रही थी,, सब कुछ अब बिंदिया ही थी, वो किसी के घर पर झाडूपोछा किसी के घर के बर्तेन किसी के बच्चों को खिलाना, किसी का गार्डन साफ करना रोज उसको अलग अलग काम मिलते पर वहाँ खुश थी, क्यूकि उसकी वजह से दो लोगो का पेट भर रहा था…………🌾

रविवार का दिन था, बिंदिया को आज स्कूल नही जाना था, सोनू भी घर पर था, बिंदिया काम ढूढने निकल ही रही थी की सोनू ने पीछे से आवाज दी, दीदी मैं भी जाऊंगा, बिंदिया ने कहा तु क्या करेगा, वहाँ काम करना पड़ता हैं तुझसे नही होगा तु रहने दे, फिर भी सोनू जिद् करने लगा, और रोने लगा, बिंदिया ने कहा अच्छा ठीक है चल पर मेरा हाथ बटाना, बिंदिया उसे अपने साथ, एक चौराहे पर ले गयी, वहाँ मजदूरो की जगह थी, पर आज इतवार का दिन था इत्फाक से आज कोई भी मजदूर नही आया था, बिंदिया और सोनू अकेले थे, इधर_उधर देखते पर कोई नही दिखता, थकहार कर वो बैठ गये, सोनू उदास हो गया, और अपनी दीदी से कहा दीदी, आज हमें काम नही मिलेगा क्या फिर हम घर क्या ले जाएगे माँ को क्या खिलायेंगे, बिदिंया ने कहा सब ठीक होगा डर मत……………🌴

थोड़ी देर बाद एक बड़ी सी गाड़ी में एक सेठ आया, उसने इधर_उधर देखा उसे कोई मजदूर नही दिखा, बिंदिया उनके पास गयी और कहने लगी बाबूजी कोई काम हो तो बताए, सेठ ने कहा तुम बहुत छोटी हो तुम नही कर पाओगी, बिंदिया ने कहा आप बताइये तो, मैं कर लूंगी, सेठ ने कहा एक बड़ा सा गार्डन है उसको साफ करना हैं और गमले जमाना हैं, बिंदिया ने फौरन हाँ कर दी, और उसने सेठ से कहा बाबूजी ये मेरा छोटा भाई है मैं इसे भी ले चलूं, कुछ नही तो कचरा उठकर फेंक देगा, सेठ ने कहा ठीक है, और पता बताया और उन्हें वहाँ आने को कहाँ, बिंदिया अपने भाई के साथ निकाल गयी…………

वहाँ पहुंचते ही सेठ ने उन्हें काम समझाया और ये कह कर चले गया शाम को मैं आऊगा और तुमको 100 रूपयें तुम्हारी रोजी दूंगा, बिंदिया ने कहा ठीक है बाबूजी…….🌾

दोनो बहन भाई काम पर लग गयें, बिंदिया गार्डन से पेंडपत्तों के कचरे सकेलने लगी, सोनू नन्हें हाथों से उन कचरों को पास के ही डस्टबिन में डाल आता, पर वो जितने उठाता उससे जादा वो गिर देता, पर वो खुश था, दीदी की मदद और शाम के खाने का इंतजाम हो गया,
बिंदिया अब गमले जमाने लगी, सोनू उसकी मदद करता, भला नन्हें हाथों में कितनी जान होती थे, तो आखिर वो दोनो बच्चें ही, धीरे
धीरे गमले खिसकाते फिर थक जाते, फिर काम पर लग जातें, पर उनकी ऑखों में एक चमक थी की आज घर पर माँ भूखे नही रहेगी शाम के 100 रूपयें मिलेंगे…………🌴

अब दोपहर होने आयी थी, दोनो बच्चें थक गयें थें, दोपहर के खाने का वक्त भी हो गया था, पर उनके पास कुछ खाने को ही नही था, दोनो एक जगह बैठ कर आराम कर रहें थे, तभी पास से एक आइसक्रीम वाला गुजर, सोनू के मुह में पानी आ गया, बिंदिया समझ गयी, और उसने अपने छोटे भाई से कहा बाबू मैं तुझे शाम को इससे भी बढिया आइसक्रीम खिलाऊगी, बच्चा था साहब छोटी छोटी बातों में भी खुश हो जाते हैं, फिर दोनो ने पानी पिया और काम पर लग गयें, सोनू अब अपनी दीदी के काटे पत्तों को इकट्टा करता और बिंदिया गार्डन साफ करती…………..🌴

अब शाम होने लगी थी, बिंदिया भी थक गयी थी, सोनू तो कामकाम कर कर के इतना थक गया था की वही सो गया, अब बिंदिया का आखिरी काम था, पेड़पौधों पर पानी डालना, बिंदिया ने वो पूरा कर लिया, अब शाम के पाँच बज गयें थे, बिदिया ने वक्त पर अपना काम खत्म कर लिया था, वो मुह हाथ धोकर उस सेठ के इंतजार में बैठ गयी, सोनू वही बेंर्च पर सोया था, बिंदिया ने उसे नही उठाया सोचा बाबूजी आ जाए तो पैसें ले लूं फिर उठाकर उसे आइमक्रीम खिलाते हुये घर ले जाऊ…………🌴

वो सेठ के इंतजार में बैठी रही, 6 बज गयें सेठ नही आया, सोनू सोया हुआ था, 7 बज गयें सेठ नही आया, बिंदिया बेचैनी से इधरउधर बार बार देखते हुये कभी इधरतो कभी उधर पर सेठ नही आया, बिंदिया के मन में हजारों सवाल माँ की दवाई, सोनू की आइसक्रीम और घर का खाना, वो एक पल भी बैठ नही पाती इधर_उधर बस
8 बज गयें सेठ अभी तक नही आया, सोनू इतना थक गया था की अभी तक सोया था, मासूम बच्चा था, जिस उम्र में लोग खिलौने खेलते है वो दोनो बच्चें भूख से खेल रहें थे……………..🌾

9 बज गयें अब भी नही आया, अचानक किसी ने गार्डन में प्रवेश किया, बिंदिया उठ खड़ी हुई फिर उसने पास जाकर देखा तो वो गार्डन का चौकीदार था, चौकीदार ने जब बच्चों को देखा तो पूछने लगा कौन हो तुम यहाँ क्या कर रहें, बिंदिया ने बताया की बाबूजी हमें काम पर यहाँ लाये थे, बोले पाँच बजें हम आयेंगे और आपको आपकी मजदूरी दें देंगे पर वो अभी तक नही आयें…………..🌴

चौकीदार ने जो बताया बिंदिया की ऑख भर आयी, चौकीदार ने कहा सेठ तो आज ही शहर चल दिये दो तीन दिन में वो आयेंगे, अब तुम जाओ यहाँ से वो जब आयें तो आ जाना, यहाँ रात के किसी का रूकना वर्जित नही हैं, बिंदिया ने चौकीदार से कहा आप ही मुजे पैसे दे दीजिए, चौकीदार ने कहा हम तो नौकर आदमी ठहरें हम कहा से दे, और चलो निकलो, यहाँ से अब, बिंदिया का रूहसी चेहरा, ______सच कह रहा हूं, दोस्तो, ये लिखतें हुयें मेरी रूंह काँप रही हैं, उस पल का मंजर क्या होता हैं एक पल में ही सारी खुशी बिखर जाती हैं……………..🌴

बिंदिया ने सोनू को अपने गोद में उठाया और ऑखों में ऑसू लिये जाने लगी, सोनू नींद में बडबडतें हुये, दीदी मुजे वो बड़ी वाली लाल रंग की आइसक्रीम खिलाना मुजे बड़ी पसंद हैं, मैं लिखते लिखते रो दिया दोस्त वो संगी बहन थी सोचो उसका क्या हाल हुआ होगा, रास्ते भर सोनू आइसक्रीम के सपने में था, और बिंदिया ऑसू में,
कुछ देर में घर पहुंच गयें, बिदिया ने सोनू को बिस्तर पर सुलाया और माथा चूम लिया और उसे चादर ओढा दी…………..🌾

और पास ही रोने बैठ गयी, बिंदिया की माँ उठकर आयी और बिंदिया की ऑख में ऑसू देख, सब समझ गयी और उसे सीने से लगा लिया और कहने लगी, डर मत कल अच्छा होगा, और वो मासूम सोनू अभी तक नींदों में आइसक्रीम देख रहा था, उसे तो ये भी नही पाता था, कि एक सेठ को उसके नन्हें हाथों की मेहनत तक याद नही…………. 🦋😭😭😭🦋

नोट तुम अमीर हो ठीक हैं, पर किसी गरीब की मजदूरी तो ना भूलो, तुम्हें याद नही तुमने किसे काम पर रखा पर उसे तो याद है जो सारा दिन अपने पेट के लिए, भूख से लड़ता रहा शाम के खाने के लिए, ये हर जगह हो रहा हैं, मालिको को काम करवाने के बाद याद भी नही रहता, की कोई मजदूर अपने घर जाने के लिए, अपने भूखें बीबी बच्चों को खाना खिलाने के लिए उनके इंतजार में बैठा हैं, गर आप सब में भी कुछ लोग ऐसा करते हैं तो प्लीज इस कहानी पर गौर करना ………..😢😢😢

      राधे_राधे
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संजय गुप्ता

🍁🍁🍁दुःखअपनेअपने🍁🍁🍁
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एक बार एक दुखी भक्त अपने ईश्वर से शिकायत कर रहा था, “आप मेरा ख्याल नहीं रखते , मै आपका इतना बड़ा भक्त हूँ , आपकी सेवा करता हूँ , रात-दिन आपका स्मरण करता हूँ , फिर भी मेरी जिंदगी में ही सबसे ज्यादा दुःख क्यों , परेशानियों का अम्बार लगा हुआ है , एक ख़तम होती नहीं कि दूसरी मुसीबत तैयार रहती है .., दूसरो कि तो आप सुनते हो , उन्हें तो हर ख़ुशी देते हो , देखो आप ने सभी को सारे सुख दिए है ,मगर मेरे हिस्से में केवल दुःख ही दिए…..

” भगवान् उसे समझाते, “नहीं ऐसा नहीं है बेटा सबके अपने-अपने दुःख -परेशानिया है , अपने कर्मो के अनुसार हर एक को उसका फल प्राप्त होता है , यह मात्र तुम्हारी गलतफहमी है ,” लेकिन नहीं, भक्त है कि सुनने को राजी ही नहीं .., आखिर रोज -रोज की चिक-चिक सुन कर , अपने इस नादान भक्त को समझा -समझा कर थक चुके भगवान् ने एक उपाय निकाला वे बोले .. “चलो ठीक है मै तुम्हे एक अवसर और देता हूँ, अपनी किस्मत बदलने का, यह देखो यहाँ पर एक बड़ा सा , पुराना पेड़ है, इस पर सभी ने अपने -अपने दुःख-दर्द और तमाम परेशानियों , तकलीफे, दरिद्रता , बीमारियाँ तनाव , चिंता …सब एक पोटली में बाँध कर उस पेड़ पर लटका दिए है .., जिसे भी जो कुछ भी दुःख हो , वो वहा जाए और अपनी समस्त परेशानिया …..की पोटली बना कर उस पेड़ पर टांग देता है ….तुम भी ऐसा ही करो , इससे तुम्हारी समस्या का हल हो जाएगा …

” भक्त तो खुशी के मारे उछल पडा, “धन्य है प्रभु जी आप तो …., अभी जाता हूँ मै ” तभी प्रभु बोले, ” लेकिन मेरी एक छोटी सी शर्त है .. ” ” कैसी शर्त भगवन ?” ” तुम जब अपने सारे दुखो की , परेशानियों की पोटली बना कर उस पर टांग चुके होंगे तब उस पेड़ पर पहले से लटकी हुई किसी भी पोटली को तुम्हे अपने साथ लेकर आना होगा , तुम्हारे लिए ..” भक्त को थोड़ा अजीब लगा लेकिन उसने सोचा चलो ठीक है, फिर उसने अपनी सारी समस्याओं की एक पोटली बना कर पेड़ पर टांग दी, चलो एक काम तो हो गया अब मुझे जीवन में कोई चिंता नहीं , लेकिन प्रभु जी ने कहा था की एक पोटली जाते समय साथ ले जाना .ठीक है ,कौनसी वाली लू …ये छोटी वाली ठीक रहेगी …, दुसरे ही क्षण उसे ख्याल आया मगर पता नहीं इसमे क्या है , चलो वो वाली ले लेता हूँ …., अरे बाप रे मगर इसमे कोई गंभीर बिमारी निकली तो .., नहीं नहीं ..अच्छा ये वाली लेता हूँ …मगर पता नहीं यह किसकी है और इसमे क्या – क्या दुःख है …” बाप रे !!!….हे भगवान् इतना कन्फ्यूजन …वो बहुत परेशान हो गया सच में ” बंद मुट्ठी लाख की ..खुल गयी तो ख़ाक की .., जब तक पता नहीं है की दूसरो की पोटलियों में क्या दुःख -परेशानियां ,चिंता मुसीबते है तब तक तो ठीक लग रहा था …मगर यदि इनमे अपने से भी ज्यादा दुःख निकले तो हे भगवान् कहाँ हो …

भगवान् तुरंत आ गए ” क्यों क्या हुआ पसंद आये वो उठा लो …” ” नहीं प्रभु क्षमा कर दो .. नादान था जो खुद को सबसे दुखी समझ रहा था ..यहाँ तो मेरे जैसे अनगिनत है , और मुझे यह भी नहीं पता की उनका दुःख -चिंता क्या है ….मुझे खुद की परेशानियों , समस्याए कम से कम मालुम तो है …, नहीं अब मै निराश नहीं होउंगा …सभी के अपने -अपने दुःख है , मै भी अपनी चिंताओं -परेशानियों का साहस से मुकाबला करूंगा , उनका सामना करूंगा न की उनसे भागूंगा ..

   🙏धन्यवाद👣 प्रभु🙏

🌷🌷 आप जब मेरे साथ है तो हर शक्ति मेरे साथ है …🌷🌷

            🌷जय श्री राधे राधे🌷
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मनोकामना पूर्ति के लिए देवी-देवताहो के आगे कौन से दीपक से करे आह्वाहन ।।
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1. आर्थिक लाभ के लिए नियम पूर्वक घर के मंदिर में शुद्ध घी का दीपक जलाना चाहिए।

2. शत्रु पीड़ा से राहत के लिए भैरवजी के सामने सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिये।

3.भगवान सूर्य की पूजा में घी का दीपक जलाना चाहिए।

4.शनि के लिए सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए।

5.पति की दीर्घायु के लिए गिलोय के तेल का दीपक जलाना चाहिए

6.राहु तथा केतु के लिए अलसी के तेल का दीपक जलाना चाहिए।

7.किसी भी देवी या देवता की पूजा में गाय का शुद्ध घी तथा एक फूल बत्ती या तिल के तेल का दीपक आवश्यक रूप से जलाना चाहिए।

8.भगवती जगदंबा व दुर्गा देवी की आराधना के समय एवं माता सरस्वती की आराधना के समय तथा शिक्षा-प्राप्ति के लिए दो मुखों वाला दीपक जलाना चाहिए।

9.भगवान गणेश की कृपा-प्राप्ति के लिए तीन बत्तियों वाला घी का दीपक जलाना चाहिए।

10.भैरव साधना के लिए सरसों के तेल का चैमुखी दीपक जलाना चाहिए।

11. मुकदमा जीतने के लिए पांच मुखी दीपक जलाना चाहिए

12.भगवान कार्तिकेय की प्रसन्नता के लिए गाय के शुद्ध घी या पीली सरसों के तेल का पांच मुखी दीपक जलाना चाहिए।

13.भगवान शिव की प्रसन्नता के लिए आठ तथा बारह मुखी दीपक पीली सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए।

14.भगवान विष्णु की प्रसन्नता के लिए सोलह बत्तियों का दीपक जलाना चाहिए।

15.लक्ष्मी जी की प्रसन्नता केलिए घी का सात मुखी दीपक जलाना चाहिए।

16.भगवान विष्णु की दशावतार आराधना के समय दस मुखी दीपक जलाना चाहिए।

17.इष्ट-सिद्धि तथा ज्ञान-प्राप्ति के लिए गहरा तथा गोल दीपक प्रयोग में लेना चाहिए।

18.शत्रुनाश तथा आपत्ति निवारण के लिए मध्य में से ऊपर उठा हुआ दीपक प्रयोग में लेना चाहिए।

19.लक्ष्मी-प्राप्ति के लिए दीपक सामान्य गहरा होना चाहिए।

20.हनुमानजी की प्रसन्नता के लिए तिकोने दीपक का प्रयोग करना चाहिए

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लस्सी का ऑर्डर देकर हम सब आराम से बैठकर एक दूसरे की खिंचाई मे लगे ही थे कि एक लगभग 70-75 साल की माताजी कुछ पैसे मांगते हुए मेरे सामने हाथ फैलाकर खड़ी हो गईं .. उनकी कमर झुकी हुई थी ,. चेहरे की झुर्रियों मे भूख तैर रही थी .. आंखें भीतर को धंसी हुई किन्तु सजल थीं .. उनको देखकर मन मे ना जाने क्या आया कि मैने जेब मे सिक्के निकालने के लिए डाला हुआ हाथ वापस खींचते हुए उनसे पूछ लिया ..
“दादी लस्सी पिहौ का ?”
मेरी इस बात पर दादी कम अचंभित हुईं और मेरे मित्र अधिक .. क्योंकि अगर मैं उनको पैसे देता तो बस 2-4-5 रुपए ही देता लेकिन लस्सी तो 35 रुपए की एक है .. इसलिए लस्सी पिलाने से मेरे #गरीब हो जाने की और उन दादी के मुझे ठग कर #अमीर हो जाने की संभावना बहुत अधिक बढ़ गई थी !
दादी ने सकुचाते हुए हामी भरी और अपने पास जो मांग कर जमा किए हुए 6-7 रुपए थे वो अपने कांपते हाथों से मेरी ओर बढ़ाए .. मुझे कुछ समझ नही आया तो मैने उनसे पूछा ..
“ये काहे के लिए ?”
“इनका मिलाई के पियाइ देओ पूत !”
भावुक तो मैं उनको देखकर ही हो गया था .. रही बची कसर उनकी इस बात ने पूरी कर दी !

एकाएक आंखें छलछला आईं और भरभराए हुए गले से मैने दुकान वाले से एक लस्सी बढ़ाने को कहा .. उन्होने अपने पैसे वापस मुट्ठी मे बंद कर लिए और पास ही जमीन पर बैठ गईं …
अब मुझे वास्तविकता मे अपनी लाचारी का अनुभव हुआ क्योंकि मैं वहां पर मौजूद दुकानदार , अपने ही दोस्तों और अन्य कई ग्राहकों की वजह से उनको कुर्सी पर बैठने के लिए ना कह सका !
डर था कि कहीं कोई टोक ना दे .. कहीं किसी को एक भीख मांगने वाली बूढ़ी महिला के उनके बराबर मे बैठ जाने पर आपत्ति ना हो .. लेकिन वो कुर्सी जिसपर मैं बैठा था मुझे काट रही थी ..
लस्सी कुल्लड़ों मे भरकर हम लोगों के हाथों मे आते ही मैं अपना कुल्लड़ पकड़कर दादी के पड़ोस मे ही जमीन पर बैठ गया
क्योंकि ये करने के लिए मैं #स्वतंत्र था .. इससे किसी को #आपत्ति नही हो सकती .. हां ! मेरे दोस्तों ने मुझे एक पल को घूरा .. लेकिन वो कुछ कहते उससे पहले ही दुकान के मालिक ने आगे बढ़कर दादी को उठाकर कुर्सी पर बिठाया और मेरी ओर मुस्कुराते हुए हाथ जोड़कर कहा ..
“ऊपर बैठ जाइए साहब !”
अब सबके हाथों मे लस्सी के कुल्लड़ और होठों पर मुस्कुराहट थी
बस एक वो दादी ही थीं जिनकी आंखों मे तृप्ति के आंसूं .. होंठों पर मलाई के कुछ अंश और सैकड़ों दुआएं थीं

ना जाने क्यों जब कभी हमें 10-20-50 रुपए किसी भूखे गरीब को देने या उसपर खर्च करने होते हैं तो वो हमें बहुत ज्यादा लगते हैं लेकिन सोचिए कभी कि क्या वो चंद रुपए किसी के मन को तृप्त करने से अधिक कीमती हैं ?
क्या उन रुपयों को बीयर , सिगरेट ,पर खर्च कर दुआएं खरीदी जा सकती हैं ?
दोस्तों .. जब कभी अवसर मिले अच्छे काम करते रहें भले ही कोई अभी आपका साथ ना दे
🙏🙏🙏💐💐💐

— with प्रियंका द्विवेदी.

Posted in जीवन चरित्र

माँ भारती के इस बलिदानी बेटे का जन्म 23 जुलाई 1906 मध्यप्रदेश के गांव भाँवरा में हुआ ।
ये शहीदे आजम भगत सिंह से लगभग 1 वर्ष 2 महीने बड़े थे
भारत माता उस समय परतंत्रता की बेड़ियों में जकड़ी हुई थी अंग्रेजों ने भारतीयों को मानसिक रूप से गुलाम बनाने के लिये,
1857 की क्रांति की पुनरावर्ती से बचने के लिये और भारतीयों के गुस्से को एक मंच के माध्यम से बचने के लिये अंग्रेज अधिकारी ए.ओ.ह्यूम 1885 काँग्रेस की स्थापना कर चुके थे और अब दौर आया क्रान्तिकारियों के जन्म का। अधिकतर क्रांतिकारी 1905 से 1908 के बीच में जन्म लिये थे जिनमें हिंदुस्तान रिपब्लिकन आर्मी के संस्थापक अमर शहीद #चंद्रशेखरआजाद, नौजवान भारत सभा के संस्थापक शहीदे आजम #भगतसिंह, बटुकेश्वर दत्त , राजगुरु , सुखदेव , दुर्गा भाभी , आदि बड़ी संख्या में थे इधर क्रांति जन्म ले रहे थे ,और दूसरी तरफ काँग्रेस को अंग्रेजो के हाथ की कटपुतली बना देख , #लालालाजपतराय , बिपिन चन्द्र पाल , और बाल गंगाधर तिलक ने उस काँग्रेस से किनारा कर लिया और काँग्रेस 2 हिस्सो में बट गई गर्म दल ओर नरम दल। जब -जब जिस जिसको भी अंग्रेजो और काँग्रेस की मिली भगत का पता चलता वो वो कोंग्रेस छोड़ देता जैसे नेता जी सुभाष चन्द्र बोस कोंग्रेस में मगर सत्य का पता चलने पर कोंग्रेस को छोड़ दिया।

ऐसे ही अमर शहीद चंद्रशेखर आजाद का बचपन भी क
काँग्रेस में बिता और कोंग्रेस के आंदोलन में बालक चंद्रशेखर ने भी बचपन में भाग लिया , चंद्रशेखर की गिरफ्तारी हुई कोड़े लगाए गए , और गिरफ्तार बालक को बना दिया आज़ाद , और जीवन भर आजादी के लिये संघर्ष करने वाले मां भारती के सच्चे सपूत ने इलाहाबाद के अल्फ्रेड पार्क (वर्तमान के आज़ाद पार्क) में , #नेतराम_हलवाई (जिसकी दुकान अभी इलहाबाद आज़ाद पार्क के सामने है ) मोती लाल नेहरू (जिनका परिवार आज़ादी दिलाने का दम्भ भरता है) की #मुखबरी से 28 फरवरी 1931 को जब वो शहीदे आजम भगत को जेल से छुड़वाने की योजना बना रहे थे।
अंग्रेजो की पूरी बटालियन ने उन्हें घेर लिया , और माँ भारती के सच्चे सपूत ने अकेले घंटो तक अंग्रेजो का सामना किया अनेक अंग्रेजो को मृत्यु शय्या पर सुला दिया।
अंत में उनके पास 1 गोली बची उस अंतिम शेष बची गोली से और अपनी .32 mm की पिस्टल से खुद को गोली मारकर कभी जीवित अंग्रेजो के हाथ न आने वाली प्रतिज्ञा को पूरा करते हुए माँ भारती के चरणों में राष्ट्र के गौरव इस बेटे ने अपना अमर बलिदान दे दिया ।

माँ भारती के बलिदानी बेटे को आज 23 जुलाई को ,उनकी जयंती पर शत् शत् नमन !

हम #ह्रदयकीगहराईयों से #अश्रुपूर्ण_श्रद्धांजलि देते है।।