संजय गुप्ता
🦋💕 इंतजार एक आस ,,
छोटी सी कहानी…..💕🦋
एक गाँव में बिंदिया, सोनू रहते थे, बचपन से ही उनके पिताजी का निर्धन हो गया था, माँ घरघर जाकर बर्तन मांजती थी, जिससे वहाँ अपने बच्चों का पालनपोषण करती थी,
बिंदिया कक्षा सातवी में और सोनू कक्षा पाँचवी में पढ़ता था, बच्चें पढ़ने में होशयार थे, लेकिन माली हालत ठीक नही थी, जिससे वहाँ पढ़ नही पाते थें……………..🌾
बरहाल सब ठीक चल रहा था, पर एक दिन अचानक बिंदिया की माँ बिमार पड़ गयी, बिस्तर से उठना मुश्किल हो गया, अब खाने को लाले पड़ गयें, घर पर एक अन्न का दाना नही था ऊपर से माँ की बिमारी और दवा, बहुत मुश्किल हो रहा था………….🌴
बिंदिया ने एक फैसला लिया, क्यूकि वही घर की बड़ी थी वो स्कूल के बाद, काम पर जाने का फैसला लिया, वहाँ घरघर जाकर लोगो के काम मांगती, कुछ को तरस आ जाता तो घर का काम करवाके कुछ पैसें दे देतें या कोई खाना दे देंता, वो काम कर के जब घर आती तो छोटा भाई खुश हो जाता क्यूकि उसको एक टाइम ही खाना मिलता था, माँ की बिमारी के लिए भी थोड़े बहुत पैसें हो जाते, जिंदगी अच्छी तो नही पर लडखड़ा कर चल रही थी पर चल रही थी,, सब कुछ अब बिंदिया ही थी, वो किसी के घर पर झाडूपोछा किसी के घर के बर्तेन किसी के बच्चों को खिलाना, किसी का गार्डन साफ करना रोज उसको अलग अलग काम मिलते पर वहाँ खुश थी, क्यूकि उसकी वजह से दो लोगो का पेट भर रहा था…………🌾
रविवार का दिन था, बिंदिया को आज स्कूल नही जाना था, सोनू भी घर पर था, बिंदिया काम ढूढने निकल ही रही थी की सोनू ने पीछे से आवाज दी, दीदी मैं भी जाऊंगा, बिंदिया ने कहा तु क्या करेगा, वहाँ काम करना पड़ता हैं तुझसे नही होगा तु रहने दे, फिर भी सोनू जिद् करने लगा, और रोने लगा, बिंदिया ने कहा अच्छा ठीक है चल पर मेरा हाथ बटाना, बिंदिया उसे अपने साथ, एक चौराहे पर ले गयी, वहाँ मजदूरो की जगह थी, पर आज इतवार का दिन था इत्फाक से आज कोई भी मजदूर नही आया था, बिंदिया और सोनू अकेले थे, इधर_उधर देखते पर कोई नही दिखता, थकहार कर वो बैठ गये, सोनू उदास हो गया, और अपनी दीदी से कहा दीदी, आज हमें काम नही मिलेगा क्या फिर हम घर क्या ले जाएगे माँ को क्या खिलायेंगे, बिदिंया ने कहा सब ठीक होगा डर मत……………🌴
थोड़ी देर बाद एक बड़ी सी गाड़ी में एक सेठ आया, उसने इधर_उधर देखा उसे कोई मजदूर नही दिखा, बिंदिया उनके पास गयी और कहने लगी बाबूजी कोई काम हो तो बताए, सेठ ने कहा तुम बहुत छोटी हो तुम नही कर पाओगी, बिंदिया ने कहा आप बताइये तो, मैं कर लूंगी, सेठ ने कहा एक बड़ा सा गार्डन है उसको साफ करना हैं और गमले जमाना हैं, बिंदिया ने फौरन हाँ कर दी, और उसने सेठ से कहा बाबूजी ये मेरा छोटा भाई है मैं इसे भी ले चलूं, कुछ नही तो कचरा उठकर फेंक देगा, सेठ ने कहा ठीक है, और पता बताया और उन्हें वहाँ आने को कहाँ, बिंदिया अपने भाई के साथ निकाल गयी…………
वहाँ पहुंचते ही सेठ ने उन्हें काम समझाया और ये कह कर चले गया शाम को मैं आऊगा और तुमको 100 रूपयें तुम्हारी रोजी दूंगा, बिंदिया ने कहा ठीक है बाबूजी…….🌾
दोनो बहन भाई काम पर लग गयें, बिंदिया गार्डन से पेंडपत्तों के कचरे सकेलने लगी, सोनू नन्हें हाथों से उन कचरों को पास के ही डस्टबिन में डाल आता, पर वो जितने उठाता उससे जादा वो गिर देता, पर वो खुश था, दीदी की मदद और शाम के खाने का इंतजाम हो गया,
बिंदिया अब गमले जमाने लगी, सोनू उसकी मदद करता, भला नन्हें हाथों में कितनी जान होती थे, तो आखिर वो दोनो बच्चें ही, धीरेधीरे गमले खिसकाते फिर थक जाते, फिर काम पर लग जातें, पर उनकी ऑखों में एक चमक थी की आज घर पर माँ भूखे नही रहेगी शाम के 100 रूपयें मिलेंगे…………🌴
अब दोपहर होने आयी थी, दोनो बच्चें थक गयें थें, दोपहर के खाने का वक्त भी हो गया था, पर उनके पास कुछ खाने को ही नही था, दोनो एक जगह बैठ कर आराम कर रहें थे, तभी पास से एक आइसक्रीम वाला गुजर, सोनू के मुह में पानी आ गया, बिंदिया समझ गयी, और उसने अपने छोटे भाई से कहा बाबू मैं तुझे शाम को इससे भी बढिया आइसक्रीम खिलाऊगी, बच्चा था साहब छोटी छोटी बातों में भी खुश हो जाते हैं, फिर दोनो ने पानी पिया और काम पर लग गयें, सोनू अब अपनी दीदी के काटे पत्तों को इकट्टा करता और बिंदिया गार्डन साफ करती…………..🌴
अब शाम होने लगी थी, बिंदिया भी थक गयी थी, सोनू तो कामकाम कर कर के इतना थक गया था की वही सो गया, अब बिंदिया का आखिरी काम था, पेड़पौधों पर पानी डालना, बिंदिया ने वो पूरा कर लिया, अब शाम के पाँच बज गयें थे, बिदिया ने वक्त पर अपना काम खत्म कर लिया था, वो मुह हाथ धोकर उस सेठ के इंतजार में बैठ गयी, सोनू वही बेंर्च पर सोया था, बिंदिया ने उसे नही उठाया सोचा बाबूजी आ जाए तो पैसें ले लूं फिर उठाकर उसे आइमक्रीम खिलाते हुये घर ले जाऊ…………🌴
वो सेठ के इंतजार में बैठी रही, 6 बज गयें सेठ नही आया, सोनू सोया हुआ था, 7 बज गयें सेठ नही आया, बिंदिया बेचैनी से इधरउधर बार बार देखते हुये कभी इधरतो कभी उधर पर सेठ नही आया, बिंदिया के मन में हजारों सवाल माँ की दवाई, सोनू की आइसक्रीम और घर का खाना, वो एक पल भी बैठ नही पाती इधर_उधर बस
8 बज गयें सेठ अभी तक नही आया, सोनू इतना थक गया था की अभी तक सोया था, मासूम बच्चा था, जिस उम्र में लोग खिलौने खेलते है वो दोनो बच्चें भूख से खेल रहें थे……………..🌾
9 बज गयें अब भी नही आया, अचानक किसी ने गार्डन में प्रवेश किया, बिंदिया उठ खड़ी हुई फिर उसने पास जाकर देखा तो वो गार्डन का चौकीदार था, चौकीदार ने जब बच्चों को देखा तो पूछने लगा कौन हो तुम यहाँ क्या कर रहें, बिंदिया ने बताया की बाबूजी हमें काम पर यहाँ लाये थे, बोले पाँच बजें हम आयेंगे और आपको आपकी मजदूरी दें देंगे पर वो अभी तक नही आयें…………..🌴
चौकीदार ने जो बताया बिंदिया की ऑख भर आयी, चौकीदार ने कहा सेठ तो आज ही शहर चल दिये दो तीन दिन में वो आयेंगे, अब तुम जाओ यहाँ से वो जब आयें तो आ जाना, यहाँ रात के किसी का रूकना वर्जित नही हैं, बिंदिया ने चौकीदार से कहा आप ही मुजे पैसे दे दीजिए, चौकीदार ने कहा हम तो नौकर आदमी ठहरें हम कहा से दे, और चलो निकलो, यहाँ से अब, बिंदिया का रूहसी चेहरा, ______सच कह रहा हूं, दोस्तो, ये लिखतें हुयें मेरी रूंह काँप रही हैं, उस पल का मंजर क्या होता हैं एक पल में ही सारी खुशी बिखर जाती हैं……………..🌴
बिंदिया ने सोनू को अपने गोद में उठाया और ऑखों में ऑसू लिये जाने लगी, सोनू नींद में बडबडतें हुये, दीदी मुजे वो बड़ी वाली लाल रंग की आइसक्रीम खिलाना मुजे बड़ी पसंद हैं, मैं लिखते लिखते रो दिया दोस्त वो संगी बहन थी सोचो उसका क्या हाल हुआ होगा, रास्ते भर सोनू आइसक्रीम के सपने में था, और बिंदिया ऑसू में,
कुछ देर में घर पहुंच गयें, बिदिया ने सोनू को बिस्तर पर सुलाया और माथा चूम लिया और उसे चादर ओढा दी…………..🌾
और पास ही रोने बैठ गयी, बिंदिया की माँ उठकर आयी और बिंदिया की ऑख में ऑसू देख, सब समझ गयी और उसे सीने से लगा लिया और कहने लगी, डर मत कल अच्छा होगा, और वो मासूम सोनू अभी तक नींदों में आइसक्रीम देख रहा था, उसे तो ये भी नही पाता था, कि एक सेठ को उसके नन्हें हाथों की मेहनत तक याद नही…………. 🦋😭😭😭🦋
नोट तुम अमीर हो ठीक हैं, पर किसी गरीब की मजदूरी तो ना भूलो, तुम्हें याद नही तुमने किसे काम पर रखा पर उसे तो याद है जो सारा दिन अपने पेट के लिए, भूख से लड़ता रहा शाम के खाने के लिए, ये हर जगह हो रहा हैं, मालिको को काम करवाने के बाद याद भी नही रहता, की कोई मजदूर अपने घर जाने के लिए, अपने भूखें बीबी बच्चों को खाना खिलाने के लिए उनके इंतजार में बैठा हैं, गर आप सब में भी कुछ लोग ऐसा करते हैं तो प्लीज इस कहानी पर गौर करना ………..😢😢😢
राधे_राधे
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