Posted in सुभाषित - Subhasit

काम, क्रोध और लोभ ये तीनों नरक के व्दार हैं। – कबीर

खुद ही अपने सपनो को साकार करे, वर्ना कोई और आपको उनके सपनो को साकार करने के लिए खरीद लेंगा। – Farrah Gray

कायर व्यक्ति अपनी मृत्यु के पहले ही कई-कई बार मरते हैं, किन्तु वीर पुरुष जीवन मे एक बार मरते हैं। – शेक्सपियर / William Shakespeare

महान कार्य करने का एक ही तरीका है की आप जो भी कर रहे हो उसे प्यार करो। यदि आपको अबतक ऐसा काम नही मिला, तो ढूंढते रहो। न की एक ही जगह बैठे रहो। – Steve Jobs

उसी का कार्य सिध्द होता है, जो समय को विचार कर कार्य करता है। – वृन्द

दुर्जनों के साथ भलाई करना सज्जनों के साथ बुराई करने के समान है। – सादी

ऐसा कोई गुप्त कम न करो कि उसे दुसरो से छिपाने की जरूरत पड़े। – जवाहरलाल नेहरु

सुख का मुख्य सिध्दान्त स्वास्थ्य है और स्वास्थ्य का मुख्य सिध्दान्त कसरत। – टामसन

जिसे हारने का डर हैं, उसकी हार निश्चित है। – नेपोलियन

जो दूसरों की भलाई करता है, वह अपनी भलाई अपने-आप कर लेता है। भलाई फल में नहीं, अपितु कर्म करने में ही है; क्योंकि शुभ कर्म करने का भाव ही अच्छा पुरस्कार है। – सेनेका

भलाई करना कर्तव्य नहीं, आनंद है, क्योंकि वह तुम्हारे स्वास्थ्य और सुख की वृद्धी करता है। – जरथुष्ट्र

कर्म न करने से, कर्म करना श्रेष्ठ है। – श्रीमद् भागवत गीता

कोई भी अपने लिये आलसी होने की और मुर्ख होने की योजना नही बनाता। ये सारी चीजे तो तभी होती है जब आपके पास कोई योजना नही होती है। – Larry

आपके और आपके सपनो के बिच यदि कोई खड़ा है तो वह कोशिश करने की इच्छा और संभवता पर विश्वास ना होना है। – Joel Brown

चुनौतिया ही जिंदगी को रोमांचक बनाती है और इसी से आपके ज़िन्दगी का महत्त्व निर्माण होता है। – Joshua J. Marine

उल्लू को दिन में नहीं दीखता, कौवे को रात में नहीं दीखता, लेकिन कमी ऐसा अन्धा होता है जिसे न दिन में सूझता है, न रात में। – भ्रुतहरी

प्रत्येक कार्य अपने समय पर होता है, जैसे पौधों में फूल और फल अपने समय पर आते हैं। – वृन्द

सफलता पाने के रास्ते में आपकी सफल बनने की इच्छा आपके असफल होने के डर से कई गुना बडी होती है। – Bill Cosby

जिन्दगी खुद को ढुंढने में नही बल्कि जिन्दगी तो खुद को बनाने में है। – George Bernard Shaw

हम चीजो को उस तरह से नही देखते जिस तरह से वे है बल्कि हम चीजो को उस तरह से देखते है जिस तरह के हम है। – Talmud

Posted in छोटी कहानिया - १०,००० से ज्यादा रोचक और प्रेरणात्मक

[02/07, 7:51 p.m.] ‪+91 89494 63984‬: आदेश आदेश——एक बार गुरु गोरख नाथ जी किसी धर्म सम्मेलन में शामिल होने के लिए जा रहे थे; उनको वहां पर पता चला कि नेपाल का राजा महेन्द्र देव वहां की प्रजा पर बहुत अत्याचार कर रहा है—–तो गुरु गोरख नाथ जी ने राजा को सबक सिखाने की ठानी—–और गुरू गोरख नाथ जी नेपाल में पहुँच गए, व वहां के लोगों से मिले—-मिलने पर लोगों ने उनसे कहा कि हम गुरु मछेदर नाथ (गुरु गोरख नाथ के गुरु) के अनुयायी हैं और यहां का राजा जबरन उन्हें बोध धर्म में मिलाना चाहता है—-जो हमें मंज़ूर नहीं है—आप बताएं हम क्या करें—गुरु गोरख नाथ जी ने वर्षा के देवता इन्दर भगवान को बुलाकर कहा कि जब तक मैं यहाँ आसन लगाकर बैठा हूँ पुरे नेपाल में बारिश नहीं होनी चाहिये—–::::इन्दर वर्षा नहीं करें गोरख ने आसन लाया, हाहाकार मची प्रजा में भूप घणा घबराया—–जब पूरे नेपाल में बारिश नहीं हुई तो राजा ने कारण पूछा—-तब वहां के पंडितों ने बताया कि गुरु मछंदर नाथ का शिष्य गुरु गोरख नाथ जी भोगवती नदी पर आसन लगा के बैठा है —-आप गुरु मछंदर नाथ जी की मूर्ति रथ में सजाकर गोरख नाथ जी के पास से गुजारो —–गोरख नाथ जी अपने गुरु कों जैसे ही उठकर आदेश करेगें बारिश शुरु हो जाएगी—-राजा के ऐसा करने पर गोरख नाथ जी ने उठकर अपनें गुरु मछंदर नाथ जी कों आदेश किया और बरसात शुरु हो गयीं—–और राजा ने गुरु गोरख नाथ जी से हाथ जोड़कर माफी मांग ली कि वो आगे से ऐसा अत्याचार नहीं करेगें—और नाथ जी ने भी उन्हे माफ कर दिया —-और नाथ कुछ् दूरी पर एक जंगल में जाकर समाधि में लीन हो गये—–एक बलवंत नाम का बालक चुपचाप गुरु गोरख नाथ जी के धूणे पर सेवा करने लगा—-‘और उधर राजा अपना वचन भूल गया और दुबारा प्रजा को परेशान करने लग गया—–लगभग एक साल के बाद गोरख नाथ जी की समाधि टूटी और बलवंत को सेवा में पाया—-बलवंत एक अपंग होते हुए भी नाथ जी की सेवा में लगा हुआ था—–गोरख नाथ जी के पूछने पर बलवंत ने कहा कि राजा फिर अधरमी हो गया है—-नाथ जी ने कहा बलवंत सेना तैयार करो, बलवंत ने कहा मे सेना कैसे तैयार कर सकता हूँ—–गोरख नाथ जी ने बलवंत पर कमंडल का जल छिड़का और बलवंत हृषट पुष्ट योधा बन गया—-गोरख नाथ जी ने बलवंत से कहा “””” माटी के पुतले घड़ ले तेरी सेना तैयार बनाऊं, सब मैं जीव डाल दूँगा तनै शक्ति खास दिखाऊँ “””””बलवंत ने माटी के पुतले बनाए और गुरु गोरख नाथ जी ने सब में जान डालकर सेना तैयार कर राजा को युद्ध में हराकर बलवंत को वहां का राजा बनाकर गुरु गोरख नाथ जी वहां से तीर्थ यात्रा पर निकल गये——गोरख नाथ जी ने जिन माटी के पूतलो में जान डालकर सेना तैयार की थी —–वो ही आगे चलकर गोरख नाथ जी के नाम पर गोरखा जाति कहलायी और जो आज गोरखालैंड बटालियन के नाम से विश्व में विख्यात हैं—-और आज तक नेपाल के लोग गुरु गोरख नाथ जी व गुरु मछंदर नाथ की पूजा करतें आ रहे हैं—–और नेपाल के सवर्ण मुद्रा पर गोरख नाथ जी का नाम अंकित है :::::::गुरु गोरख नाथ जी की माया कोई समझ नहीं पाया; कैसे नेपाल में अपनें गुरु मछंदर नाथ व अपने नाम का डंका बजवाया “” जय हो गुरु गोरख नाथ की”””” आदेश आदेश आदेश “”””
[02/07, 8:06 p.m.] ‪+91 97826 44940‬: एक पंडित एक होटल में जाता है
और वहा पर मैनेजर को बुलाता है
और कहता है कि “क्या रूमनंबर 39 खाली है?

मैनेजर:- हा वो खाली है आप वो रूम ले सकते है,,,

पंडित:- ठीक है मुझे वो रूम दे दो
और
मुझे एक चाकू,
एक 3 इंच का काला धागा
और
एक 79 ग्राम का संतरा भी दे दो,,,

मैनेजर:- ठीक है
और हा मेरा कमरा आपके कमरे के ठीक सामने है
अगर आपको कोई दिक्कत होती है तो तुम मुझे आवाज दे देना,,,

पंडित:- ठीक है,,,

रात को…………….

पंडित के कमरे से तेजी से

चीखने चिल्लाने की

और

प्लेटो के टूटने की आवाज आने लगती है

इन आवाजो के कारण मैनेजर सो भी नही पाता

और वो रात भर इस ख्याल से बैचेन होने लगता है
कि आकिर उस कमरे में हो क्या रहा है?

अगली सुबह………….

जैसे ही मैनेजर पंडित के कमरे में जाता है

वहाँ पर उसे पता चलता है

कि पंडित होटल से चला गया है

और कमरे में सब कुछ वैसे का वैसा ही है

और टेबल पर चाकू रखा हुआ है,,

मैनेजर ये सोचने लगता है

कि जो उसने सुना
कही उसका मात्र वहम तो नही था,,

और ऐसे ही एक साल बीत जाता है,,,

एक साल बाद……..

वही पंडित फिर से उसी होटल में आता है

और रूम नंबर 39 के बारे में पूछता है,,

मैनेजर:- हा रूम 39 खाली है आप उसे ले सकते हो,,,

पंडित:- मुझे एक चाकू,
एक 3 इंच का धागा और
एक 79 ग्राम का संतरा भी चाहिए होगा,,,

मैनेजर:- ठीक है,,,

उस रात में मैनेजर रात को सोया नही

वो जानना चाहता था कि

आखिर रात में उस कमरे में होता क्या है

तभी वो आवाजे फिर से आनी चालू हो जाती है और

मैनेजर पंडित के कमरे के पास जाता है

चूंकी उसका और पंडित का कमरा आमने-सामने था

इस लिए वहाँ पहुचने में उसे ज्यादा समय नही लगा

लेकिन दरवाजा लॉक था

यहाँ तक कि मैनेजर की वो मास्टर चाभी जिससे हर रूम खुल जाता था

वो भी उस रूम 39 में काम नही करी

आवाजो से उसका सिर फटा जा रहा था

आखिर दरवाजा खुलने के इंतजार में वो दरवाजे के पास ही सो गया,,,

अगली सुबहा………..

जब मैनेजर उठा

तो उसने देखा

कि कमरा तो खुल गया है

लेकिन पंडित उसमे नही है

वो जल्दी से गेट के पास भा गा

लेकिन उसके आने से चंद मिनट पहले ही
पंडित जा चुका था,,,

उसने वेटर से पूछा

तो वेटर ने बताया कि कुछ समय पहले ही पंडित यहाँ से चला गया

और जाते वक्त

उनसे होटल के सभी वेटरों को अच्छी खासी टिप भी दी,,

मैनेजर बिलबिला के रह गया

उसने निश्चय कर लिया

की मार्च में वो पता करके रहेगा

कि आखिर ये पंडित और रूम 39 का राज क्या है…

मार्च वही महीना था

जिस महीने में हर साल पंडित एक दिन के लिए उस होटल आता था,,

अगले साल……..

अगले साल फिर
वही पंडित आता है और रूमनंबर 39 मांगता है,,

मैनेजर:- हा आपको वो रूम मिल जाएगा

पंडित:- मुझे एक 3 इंच का धा गाएक 79 ग्राम का संतरा और एक धार दार चाकू भी चाहिए,,,

मैनेजर:- जी ठीक है,,,

रात को…..

इस बार
मैनेजर रात में बिल्कुल नही सोया

और वो लगातार उस कमरे से आती हुई आवाजो को सुनता रहा

जैसी ही सुबह हुई

और पंडित ने कमरा खोला

मैनेजर कमरे में घुस गया

और पंडित से बोला

आखिर तुम रात को इन सब चीजों के साथ इस कमरे में क्या करते हो..?

ये आवाजे कहा से अति है..?

जल्दी बताओ..?

पंडितने कहा कि मैं तुम्हे ये राज

तो बता दुगा लेकिन

एक शर्त है

तुम ये राज किसी को नही बताओगे,,,

चुँकी मैनेजर एक ईमानदार आदमी था

तो उसने वो राज आज तक किसी को नही बताया

और अगर ये राज
वो किसी को बताएगा
औऱ मुझे पता चलेगा
तो मैं आपको मेसेज कर दुँगा,,,

ध्यान से पढ़ने के लिए धन्यवाद

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रीस तो भोत आई ओ message पढ़ गे पर आगे भेज गे कालजो ठंडो करियो है 😷🎩🎩🎩😜👍🏻👍🏻