Posted in भारत का गुप्त इतिहास- Bharat Ka rahasyamay Itihaas

आखिर कौन हैं ‘भंगी’, ‘मेहतर’, ‘दलित’ और ‘वाल्‍मीकि’?


आखिर कौन हैं ‘भंगी’, ‘मेहतर’, ‘दलित’ और ‘वाल्‍मीकि’?

संदीप देव। हमारे-आपके पूर्वजों ने जिन ‘भंगी’ और ‘मेहतर’ जाति को अस्‍पृश्‍य करार दिया, जिनका हाथ का छुआ तक आज भी बहुत सारे हिंदू नहीं खाते, जानते हैं वो हमारे आपसे कहीं बहादुर पूर्वजों की संतान हैं। मुगल काल में ब्राहमणों व क्षत्रियों को दो रास्‍ते दिए गए, या तो इस्‍लाम कबूल करो या फिर हम मुगलों-मुसलमानों का मैला ढोओ। आप किसी भी मुगल किला में चले जाओ वहां आपको शौचालय नहीं मिलेगा।

हिंदुओं की उन्‍नत सिंधू घाटी सभ्‍यता में रहने वाले कमरे से सटा शौचालय मिलता है, जबकि मुगल बादशाह के किसी भी महल में चले जाओ, आपको शौचालय नहीं मिलेगा, जबकि अंग्रेज और वामपंथी इतिहासकारों ने शाहजहां जैसे मुगल बादशाह को वास्‍तुकला का मर्मज्ञ ज्ञाता बताया है। लेकिन सच यह है कि अरब के रेगिस्‍तान से आए दिल्‍ली के सुल्‍तान और मुगल को शौचालय निर्माण तक का ज्ञान नहीं था। दिल्‍ली सल्‍तनत से लेकर मुगल बादशाह तक के समय तक पात्र में शौच करते थे, जिन्‍हें उन ब्राहमणों और क्षत्रियों और उनके परिजनों से फिकवाया जाता था, जिन्‍होंने मरना तो स्‍वीकार कर लिया था, लेकिन इस्‍लाम को अपनाना नहीं।
भंगी और मेहतर शब्‍द का मूल अर्थ
‘भंगी’ का मतलब जानते हैं आप्…। जिन ब्राहमणों और क्षत्रियों ने मैला ढोने की प्रथा को स्‍वीकार करने के उपरांत अपने जनेऊ को तोड़ दिया, अर्थात उपनयन संस्‍कार को भंग कर दिया, वो भंगी कहलाए। और ‘मेहतर’- इनके उपकारों के कारण तत्‍कालिन हिंदू समाज ने इनके मैला ढोने की नीच प्रथा को भी ‘महत्‍तर’ अर्थात महान और बड़ा करार दिया था, जो अपभ्रंश रूप में ‘मेहतर’ हो गया। भारत में 1000 ईस्‍वी में केवल 1 फीसदी अछूत जाति थी, लेकिन मुगल वंश की समाप्ति होते-होते इनकी संख्‍या-14 फीसदी हो गई। आपने सोचा कि ये 13 प्रतिशत की बढोत्‍तरी 150-200 वर्ष के मुगल शासन में कैसे हो गई।

वामपंथियों का इतिहास आपको बताएगा कि सूफियों के प्रभाव से हिंदुओं ने इस्‍लाम स्‍वीकार किया, लेकिन गुरुतेगबहादुर एवं उनके शिष्‍यों के बलिदान का सबूत हमारे समक्ष है, जिसे वामपंथी इतिहासकार केवल छूते हुए निकल जाते हैं। गुरु तेगबहादुरर के 600 शिष्‍यों को इस्‍लाम न स्‍वीकार करने के कारण आम जनता के समक्ष आड़े से चिड़वा दिया गया, फिर गुरु को खौलते तेल में डाला गया और आखिर में उनका सिर कलम करवा दिया गया। भारत में इस्‍लाम का विकास इस तरह से हुआ। इसलिए जो हिंदू डर के मारे इस्‍लाम धर्म स्‍वीकार करते चले गए, उन्‍हीं के वंशज आज भारत में मुस्लिम आबादी हैं, जो हिंदू मरना स्‍वीकार कर लिया, वह पूरा का पूरा परिवार काट डाला गया और जो हिंदू नीच मैला ढोने की प्रथा को स्‍वीकार कर लिया, वह भंगी और मेहतर कहलाए।

डॉ सुब्रहमनियन स्‍वामी लिखते हैं, ” अनुसूचित जाति उन्‍हीं बहादुर ब्राहण व क्षत्रियों के वंशज है, जिन्‍होंने जाति से बाहर होना स्‍वीकार किया, लेकिन मुगलों के जबरन धर्म परिवर्तन को स्‍वीकार नहीं किया। आज के हिंदू समाज को उनका शुक्रगुजार होना चाहिए, उन्‍हें कोटिश: प्रणाम करना चाहिए, क्‍योंकि उन लोगों ने हिंदू के भगवा ध्‍वज को कभी झुकने नहीं दिया, भले ही स्‍वयं अपमान व दमन झेला।”

दलित  और वाल्‍मीकि शब्‍द का वास्‍तविक अर्थ
अपने धर्म की रक्षा के लिए अपने जनेऊ को तोड़कर अर्थात ‘भंग’ कर मुस्लिम शासकों और अमीर के यहां मैला ढोने और उनके द्वारा पात्र में किए गए शौच को सिर पर उठाकर फेंकने वाले हमारे पूर्वजों ने खुद तो अपमान का घूंट पी लिया, लेकिन समाज को झकझोरना नहीं छोड़ा। उन्‍होंने अपने शिखा का त्‍याग नहीं किया ताकि उनके ब्राहमण की पहचान से समाज परिचित रहे और फिर उन्‍होंने अपने काम से निवृत्‍त होकर हिंदू चेतना जागृत करने के लिए घर-घर, गली-गली गा-गा कर राम कथा कहना शुरू कर दिया ताकि हिंदू में व्‍याप्‍त निराशा दूर हो।

मध्‍यकाल के भक्ति आंदोलन को वामपंथी इतिहासकारों ने हिंदुओं में आई कुरीतियों, जाति-पाति भेद आदि को दूर करने का आंदोलन कह कर झूठ प्रचलित किया, जबकि ब्राहमण तुलसीदास से लेकर दलित रैदास तक इस आंदोलन को आततायी शासकों से मुक्ति के लिए जनचेतना का स्‍वरूप दिए हुए थे। दिल्‍ली में रामलीला की शुरुआत अकबर के जमाने में तुलसीदास ने कराई थी ताकि हिंदुओं में व्‍याप्‍त निराशा दूर हो, उनकी लुप्‍त चेतना जागृत हो जाए और उनके अंदर गौरव का अहसास हो ताकि वह सत्‍ता हासिल करने की स्थिति प्राप्‍त कर लें। इसी मध्‍यकालीन भक्ति आंदोलन से निकले समर्थ गुरुराम दास ने छत्रपति शिवाजी को तैयार कर मुगल सल्‍तनत की ईंट से ईंट बजा दी थी।

हां तो, गली-गली हिंदुओं में गौरव जगाने और अपनी पीड़ा को आवाज देने के लिए शासकों का मैला ढोने वाले अस्‍पृश्‍यों को उनके ‘महत्‍तर’ अर्थात महान कार्य के लिए ‘मेहतर’ और रामकथा वाचक के रूप में रामकथा के पहले सृजनहार ‘वाल्‍मीकि’ का नाम उन्‍हें दे दिया। खुद को गिरा कर हिंदू धर्म की रक्षा करने के लिए इन्‍हें एक और नाम मिला ‘दलित’ अर्थात जिन्‍होंने धर्म को ‘दलन’ यानी नष्‍ट होने से बचाया, वो दलित कहलाए।

सोचिए, जो डरपोक और कायर थे वो इस्‍लाम अपनाकर मुसलमान बन गए, जिन्‍होंने इस्‍लाम को स्‍वीकार नहीं किया, बदले में मुस्लिम शासकों और अमीरों का मैला ढोना स्‍वीकार किया वो ‘भंगी’, कहलाए और जिन हिंदुओं ने इनके उपकार को नमन किया और इन्‍हें अपना धर्म रक्षक कहा, उन्‍होंने उन्‍हें एक धर्मदूत की तरह ‘वाल्‍मीकि’, ‘दलित’ ‘मेहतर’ नाम दिया। कालांतर में इतने प्‍यार शब्‍द भी अस्‍पृश्‍य होते चले गए, इसकी भावना भी धूमिल हो गई और हमारे पूर्वजों ने इन धर्मरक्षकों को अपने ही समाज से बहिष्‍कृत कर दिया। हिंदू धर्म कुरीतियों का घर बन गया, जो आज तक जातिप्रथा के रूप में बना हुआ है।

मछुआरी मां सत्‍यवती की संतान महर्षि व्‍यास की तो यह हिंदू समाज श्रद्धा करता है और आज एक मछुआरे को शुद्र की श्रेणी में डालता है, यह है हमारे-आपके समाज का दोगला और कुरीतियों वाला चरित्र। तथाकथित ऊंची जाति ब्राहण और क्षत्रिए उनसे रोटी-बेटी का संबंध बनाने से बचती है, जबकि उन्‍हीं के कारण उनका जन्‍मना ब्राहमणत्‍व और क्षत्रियत्‍व बचा हुअा है। गीता के चौथे अध्‍ययाय के 13 वें श्‍लोक में भगवान श्रीकृष्‍ण ने कहा है, ‘चतुर्वण्‍यम माया श्रष्‍टम गुण-कर्म विभागध:’ अर्थात चार वर्ण मैंने ही बनाए हैं, जो गुण और कर्म के आधार पर है। तो फिर आप अपने मन में यह सवाल क्‍यों नहीं पूछते कि आखिर यह दलित, अस्‍पृश्‍य जाति कहां से आ गई।

जो लोग जन्‍म के आधार पर खुद को ब्राहमण और क्षत्रिए मानते हैं, वो जरा शर्म करें और अपने उन भाईयों को गले लगाएं, जिन्‍होंने धर्म की रक्षा के लिए अपने जन्‍म से ब्राहण और क्षत्रिए होने का त्‍याग कर भगवान कृष्‍ण के मुताबिक कर्म किया, आततियों से लड़ नहीं सकते थे तो उनका मैला ढोया, लेकिन समय बचने पर रामधुन समाज में प्रसारित करते रहे और ‘वाल्‍मीकि’ कहलाए और हिंदू धर्म के ‘दलन’ से रक्षा की इसलिए ‘दलित’ कहलाए।

याद रखो, यदि हिंदू एक नहीं हुए तो तुम्‍हें नष्‍ट होने से भी कोई नहीं बचा सकता है और यह भी याद रखो कि जो मूर्ख खुद को जन्‍म से ब्राहमण और क्षत्रिय मानता है, वह अरब के आए मुस्लिम और ब्रिटिश से आए अंग्रेज शासको के श्रेष्‍ठता दंभ के समान ही पीडि़त और रुग्‍ण है। वामपंथी इतिहासकारों ने झूठ लिख-लिख कर तुम्‍हें तुम्‍हारे ही भाईयों से अलग कर दिया है तो यह भी याद रखो कि वो कुटिल वामपंथी तुम्‍हें तोडना चाहते हैं। झूठे वामपंथी तुम्‍हारे भगवान नहीं हैं, तुम्‍हारे भगवान राम और कृष्‍ण हैं, जिन्‍होंने कभी जाति भेद नहीं किया। वैसे आज भी कुछ ब्राहण और क्षत्रिए ऐसे हैं, जो इस घमंड में हैं कि भगवान कृष्‍ण तो यादव थे, जो आज की संवैधानिक स्थिति में अनुसूचित जाति है। तो कह दूं, ऐसे सोच वाले हिंदुओं का वंशज ही नष्‍ट होने लायक है। क्‍या आप सभी खुद को हिंदू कहने वाले लोग उस अनुसूचित जाति के लोगों को आगे बढ़कर गले लगाएंगे, उनसे रोटी-बेटी का संबंध रखेंगे। यदि आपने यह नहीं किया तो समझिए, हिंदू समाज कभी एक नहीं हो पाएगा और एक अध्‍ययन के मुकाबले 2061 से आप इसी देश में अल्‍पसंख्‍यक होना शुरू हो जाएंगे।

हां, मुझे उपदेश देने वाला कह कर मेरा उपहास उड़ाओ तो स्‍पष्‍ट बता दूं कि मैं जाति से भूमिहार ब्राहमण हूं और कर्म से भी ज्ञान की दिशा में ही कार्य कर रहा हूं। मेरा सबसे घनिष्‍ठ मित्र एक दलित है, जिसके साथ एक ही थाली में खाना, एक दूसरे के घर पर जाकर एक समान ही रहना, मेरे जीवन में है। मेरा उपनयन संस्‍कार, मेरे पिताजी ने इसलिए किय था कि मेरा गांव जाति युद्ध में फंसा था और उन्‍होंने मेरे उपनयन पर दो जातियों के गुट को एक कर दिया था। इसलिए मैं कहता वहीं हूं, जो मेरे जीवन में है!

Web Title: Who are Dalits.1

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31 thoughts on “आखिर कौन हैं ‘भंगी’, ‘मेहतर’, ‘दलित’ और ‘वाल्‍मीकि’?

  1. Very best this report salute 🙏🏼
    And There is no any caste difference in this generation if now you are educated i hope people understand.
    JAY VALMIKI SAMAJ🙏🏼

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    1. Sharm aap karein ki itnaa pyaara artivle likhne ke pashchaat aapne bevajah aur ardh satya jaise firse brahmanon ko doshi theheraaya. Jagat chalane wale kshatriya aur vaishya hain naaki brahman ya shudra

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  2. Sir u r correct…
    Hme kbi v jati pr proud ni krna chahy becoz we all are equal…
    So that we proud to be An Indian … instead of coast

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  3. ईससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता कि यह कहानी सच्ची है या नहीं, एक बात सही है कि हिन्दूओ जानिभेद के कारण बहुत बहुत पछे रह गये | सभी मनुष्य समान हैं, वे अपने कार्यों से उंच या नीच, महान या क्षुल्लक बनते हैं |

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      1. jaati ke uchh vo jo Stree tattva ho
        neech vo jinme Purush tattva vo.
        Bhed ka arth distinction
        Bhaav ka arth feeling
        Brahmin Bhakti bhaav Satya ka bhed
        Kshatriy Shakti bhaav Karm ka bhed
        Vaishy Dhyaan bhaav Prem ka bhed
        Shudr Vigyan bhaav Karuna ka bhed
        Ab suno, Bhakti Shakti Stree tatva aur Dhyaan Gyaan Pursh
        Aur suno, Brahim Agni tattva Shudhr Jall tattva isiliye swabhaav se ek doosre ka saaman karte hain kintu Sansaar mein dur dur rehna anivarya hai . Kshatriya Vayu aur Vaishya bhoomi tatva, ek doosre ke nikat.
        Saare Guru Akaash Tattva jahaan Maa Chaand (Pitra Lok) aur Maa Taara (Guru Lok) aur Pitaa Surya (Maatra Lok).
        Ye hain Paanch tattva jinse 5 Indriyaan aur 5 Poorvah bane aur hum sab inki santaan.
        Ab aage samjho, har vyakti ke 5 Pitra – 1. Blood line (Jaati, vo jo biological pitaa ya maata ki ho). 2. Sweat line (Varna, vo jo mental ya maansik pitaa aur maata ki) Aksar aapki Janm Patri mein Varn likha hogaa. Udaaharan – humare sabse pehle poorvaj hote hain Jall ke poorvaj arthaat jinke parivaar mein aapki physical body ne janam liyaa.. aapka khoon .. (smaran rakhein ki Jall tatva se rakt bantaa hai jo shudhra ka tattva hai) Mere jaati ke poorvaj to Brahmin hain kintu Varna ke poorvaj arthaat jo soch samajh rakh ke jiss mentality ke saath mujhe parishram karnaa hai vo Vaishya ke poorvaj hain. Ab sabse pehle poorvaj Shudhra kintu vahaan Brahmin blood line hai to ye aksar Pitru dosh banaa detaa hai kyunki Jall aur Agni Moksh ke liye ek saath to uttam hain kintu sansaar ke kaaj ke liye naheen. Ab doosre pe Vaishya poorvaj ke sthaan pe Vaishya hee mental parents hain to agar banking ya service mein ruchi rahe meri to sansaar mein aage bardh sakti hoon. Yahaan agar Brahmin ya Kshatriya hote to element mis match kar saktaa tha.
        Kuch aati baat samajh ? : )

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  4. Good morning, Sir. If all brahmins and Kshatriyas were made “bhangis, mehtars, Dalits, etc.” from where present brahmins and Kshatriyas came? Who are the real brahmins and Kshatriyas today? How come the casteism exists even today? Do you believe in Manusmriti? If yes, why❓Do you believe in Dr. Ambedkar?

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  5. Sir Acha laga aapki jankari ko pedlar but Desh mai aaj bhi Jane Kitne log ase Hai Jo is jankari ko Parker bhi ise andekha karte Hai Hum is Jankari ko logo tak bollybud k dusra pahuchaye or media or social media ke dusra jagruk Kare. Iske sath hi Jo log is bat Se sahmat Ho Vo log Roti beti kriste ko aage badaye.

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  6. Yadi sab kuch jaan lene ke baad bhi valmiki ya bhangi samaj keep logo ke sath durvyavhar kiya jata he to vo din door nahi jab hindutva ka patan ho jaega.kyuki jo hindu apne dharm ki raksha ke liye bhangi ban gaye unhe aaj tak nyay nahi mila mili sirf bejjati.hindu dharm ko bachana he to jaruri he kuch thos kadam uthana in asli katter hindus ko jagana inhe insaaf dilana taki inhe bhi hindu hone per garva ho sake.

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  7. Yadi sab kuch jaan lene ke baad bhi valmiki ya bhangi samaj keep logo ke sath durvyavhar kiya jata he to vo din door nahi jab hindutva ka patan ho jaega.kyuki jo hindu apne dharm ki raksha ke liye bhangi ban gaye unhe aaj tak nyay nahi mila mili sirf bejjati.hindu dharm ko bachana he to jaruri he kuch thos kadam uthana in asli katter hindus ko jagana inhe insaaf dilana taki inhe bhi hindu hone per garva ho sake.

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  8. मै यह जानना चाहता हूँ कि यदि भँगी या मेहतर जाति का उदभव यदि मुसलिम शासको कि देन है तो फिर गौतम बुद्ध को 2000 ईसा पुर्व सुमित भँगी को सारनाथ मे उपदेश कयोँ देना पडा़ ।इससे तो साफ जाहिर होता है कि भँगी या मेहतर जाति के लोग पराचिन काल से रहे हैँ यदि यह बात सत्य है तो मै कैसे मान लूँ कि इनका उदभव मुगलोके दवारा हुआ ।

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  9. itihas ko apne hisab se likhna koi aapse sikhe….Hindu aur musalmano ko aapas me bhida Dene ki yah aapki soch kabhi kamyab nahi ho sakti. Shivaji itihas bhi kabhi padh lijiye , unke bodyguard bhi Muslim hi the…vah koi Hindu Muslim
    ladhai nahi thi….agar itna sab khoj hi liya he to intercaste marriage bhi to hona chahiye..aur jativyavadtha ki is ghinoni pratha ko todne ke liye, jativirodhi aandolan me bhi shamil ho jaao…tabhi to yah untouchability khatm ho jayegi…

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  10. जिस धर्म के लिए जिन्होंने अपने सर पर मेला ढोया आज उसी धर्म के लोग उनके साथ जिस प्रकार का
    व्यवहार करते हें ये तो सभी जानते हे जब आज सभी को पता चल गया हे की आज के भंगी (वाल्मीकि ) समाज के लोग कल के ब्राहमण और छत्रिय हे तो उन्हें क्यों नहीं उनको ब्राह्मण और छत्रिय के बराबर सम्मान मिले
    क्यों आज उनके साथ भेदभाव किया जा रहा हे क्यों नहीं उनको आज गले लगाया जाता क्यों आज भी उन्हें
    अनुसूचित जाती रखा गया हे अगर वे सभी वही ब्राह्मण व छत्रिय हे तो ब्राह्मण व छत्रिय आज भी उन्हें अछूत
    क्यों समझते और उनके छु जाने से वो अपने आप को अपवित्र क्यों समझते हे शायद माननीय लेखक जी
    को वाल्मीकि समाज का इतिहास का पूर्ण ज्ञान नहीं हे में लेखक जी का अपमान करने का साहस नहीं कर
    रहा हु लेकिन इतना कहना चाहता हु की ये कहानी सच्ची हे नमस्कार

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    1. पूर्ण ज्ञान तो किसीको नहीं है । फिर भी लेख अच्छा है । ज्ञानवर्धक है। आपको धन्यवाद

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    2. पूर्ण ज्ञान तो किसीको नहीं है । फिर भी लेख अच्छा है । ज्ञानवर्धक है। आपको धन्यवाद

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  11. गोपाल S/0 स्व0 श्री दयाराम बाल्मीकि कानपुर नगर says:

    क्या लिखा है आपने सर जी कसम से जब से पैदा हुआ हुं इतनी बड़ी खुशी आज तक नहीं मिली है कि जितनी आप के लेख से धन्यवाद बाल्मीकि समाज

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  12. Vastav me mahan he ..volog jo,apni jati choddi apne dharm ke liye..etana bada a tyaag to duniya me koi nahi karsakta ,..dhanya hai unki maata dhanya hai unke peeta ..jo ase mahan putro ko janam diyaa .mebhi abhari hu .un maata pita ka..mere paas sisse aage koi sabd nahi he……

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  13. Me un dalit samaj ko yaa yu kahe bhangi samaj ko me nam akhose tahe dil se me naman karta hu..un dharm raksako ko me pranam karta hu..

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  14. Aapne bahut acha likha logo ko itna gyan hona chahiye. Jaati ek taraf lekin hum sab hai to hindu hi.. Hume bhi school m bachcho trachers ne bhangi jaan kar chuachhut ki.

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  15. bahut saral shabdo me bhangi jati ka itihas samzhya ham aap ke runi hai rahenge aap ka itihas ka gayan muzhe jeevan bahot kam aayega mai aap ke liye dil se dhanywad kahunga ,

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