मीडिया का मापदंड
असत्य पर, वो सत्य का एक वार होता है….
समाचार तो, एक समाज का आचार होता है….
बिक गयी जब मीडिया, तो सच का क्या है दोष….
हर पल झूठ और फरेब का, कारोबार होता है….
कभी काँग्रेस, कभी भाजपा की करते हैँ प्रशंसा….
लोगोँ को बरगलाना, इनकी बन गयी मंशा….
दौलत जहाँ मिले, वहीँ दरबार होता है….
हर पल झूठ और फरेब का, कारोबार होता है….
दिखाते थे कभी, बाबा के चमत्कारोँ की खबरेँ….
दिखाने लगे आश्रम मेँ, बलात्कारोँ की खबरेँ….
मन मेँ जाने कितना, व्याभिचार होता है….
हर पल झूठ और फरेब का, कारोबार होता है….
करते हैँ हिँदू मुस्लिम को, लड़वाने की बातेँ….
धर्म के ठेकेदारोँ को, वार्ता पे बिठाते….
चर्चा मेँ इनकी, जातिगत प्रहार होता है….
हर पल झूठ और फरेब का, कारोबार होता है….
कभी आँधी की, तूफान की, भूकंप की खबरेँ….
भगदड़ से मचे, लोगोँ मेँ हड़कंप की खबरेँ….
खबरोँ के बीच, विज्ञापन भरमार होता है….
हर पल झूठ और फरेब का, कारोबार होता है….
आसाँ हैँ इनकी खातिर, मुश्किल सभी रास्ते….
लाशोँ से ढकी वादी पर, ये खबरेँ तलाशते….
ऐसी ही दुखद खबरोँ का, इंतजार होता है….
हर पल झूठ और फरेब का, कारोबार होता है….
जिसको भी चाहेँ उसको, क्रांतिकारी बना देँ….
कवरेज की खातिर, ढोँग को दिलदारी बता देँ….
दौलत ही भूख, दौलत ही आहार होता है….
हर पल झूठ और फरेब का, कारोबार होता है….
आरुषि मर्डर केस हो, या दामिनी का बलात्कार….
मुंबई का रेप केस हो, या दंगो की कहीँ मार….
हर खबर पे, इनका नया व्यापार होता है….
हर पल झूठ और फरेब का, कारोबार होता है….
यकीँ न हो तो देख लो, अभी ताजा समाचार….
हुदहुद का हो रहा है, जाने कब से इंतजार….
खबरोँ की खाल से सजा, घरबार होता है….
हर पल झूठ और फरेब का, कारोबार होता है….
_अमित ‘मीत’