आज कांग्रेसी उतने ही है दुनिया में जितने ये बेचारे बेशर्मो की तरह सामने आजाते है !
मात्र एक संसदीय क्षेत्र में वो भी नरेंद्र मोदी के खिलाफ 3 लाख फर्जी मतदाताओ को वोट डालने दिया !
राज्य में सरकार खान्ग्रेस्सी , केंद्र में सरकार खान्ग्रेस्सी , चुनाव आयोग खान्ग्रेस्सी , यहाँ तक की मतदाता सूचि तक खान्ग्रेसी करतूत वाली !
क्या खूब कहो उस शख्सियत की लोकप्रियता का जिसे 3 लाख फर्जी मतदाता चुनौती भी ना दे सके !
Day: November 26, 2014
आपिये चिल्ला रहे हैं वाराणसी में 3 लाख फर्जी मतदाता मिले।
आपिये चिल्ला रहे हैं वाराणसी में 3 लाख फर्जी मतदाता मिले।
नालायको ये सोचो केजरीवाल को भी 3 लाख वोट ही मिले हैं।
मजार-दरगाह और पीरो का इतिहास
मजार-दरगाह और पीरो का इतिहास
1. हजरत नाथडौली जो तुर्क के शहजादे थे, उन्होंने मदुरै और तिरूचिरापल्ली में धन के बल पर हजारो हिन्दू मुसलमान बनाए और आज इनकी मजार पर हजारो हिन्दू औरते भी जाती है? क्यों?
2. सयद इब्राहीम शहीद ने हुक्मरान के जोर पर हजारो हिन्दू औरतो को मुसलमानी बनाया और आज इनकी दरगाह पर हजारांे हिन्दू जाते हैं क्यों?
3. खलीफा बाबा फखरूद्दीन ने पेनूकोंडा के राजा को मुसलमान बनाया और बाद में सारी प्रजा, आज इनकी मजार पर हजारो हिन्दू भी जाते हैं क्यों?
4. मुइनुद्दीन चिश्ती ने दिल्ली से अजमेर जाते हुए 700 हिन्दु औरतो को मुसलमानी बनवाया तलवार के बल पर और हजारो हिन्दू इन्हें चादर चढाते हैं क्यों?
5. फखरूद्दीन गजशकर ने पंजाब में गयारह अछूत जातियों को मुसलमान बनाया और आज इनकी मजार पर हजारो हिन्दू और सिख भी जाते हैं क्यों?
6. हजरत निजामुद्दीन के खलीफा शेख अखी सिराजुद्दीन और उसके भी खलीफा शेख अलाउल हक ने आधा बंगाल मुसलमान बनाया और इनकी दरगाहों पर हिन्दू ही अधिक जाते हैं क्यों?
7. और सुनो हजरत निजामुद्दीन को शास्त्रार्थ में समेनाथ नामक संत ने हराया। समेनाथ ने एक किसान के बालक को इतना ज्ञान दिया कि वह कालांतर में राजा हम्मीर बना, सबसे शक्तिशाली राजा और उसने तुगलक को पराजित किया और तुगलक दिल्ली छोडकर भाग गए थे। परंतु हिन्दू समेराम की समाधि पर नहीं जाते, जो दिल्ली में ही है, लेकिन जाते हैं हजरत निजामुद्दीन की समाधि पर क्यों?
यकीन नहीं आता तो ताजा प्रमाण सुनो। मुसलमानो ने एक किताब छापी थी, हिन्दुओ के काले कलूटे देवता, उसके खिलाफ एक आर्य समाजी ने किताब छापी, फिर दोबारा मुसलमानो ने आर्यसमाज के खिलाफ छापी और फिर आर्य समाज की ओर से छपी रंगीला रसूल। इस पर राजपाल नामक प्रकाशक की हत्या हुई और हत्यारे इल्मूदीन को फांसी, लेकिन आज इल्मूदीन गाजी हैं और पाकिस्तान के सबसे बडे पीर और हर साल उर्स लगता है उनकी मजार पर। नेट पर पढ लें सारी कहानी और इल्मूदीन के उर्स में आज भी अल्पसंख्यक हिन्दू जाना नहीं भूलते पाकिस्तान में क्यों?
पंडित जी भविष्य बताएँ
केजरीवाल : पंडित जी भविष्य बताएँ
ज्योतिष : *चटाक*
केजरीवाल : ये क्या था ?
ज्योतिष : भविष्य
COMMUNIST – CONGRESS HATRED FOR HINDU CULTURE
Congress, CPI(M), CPI , RJD, SP, DMK, etc, etc — are against Sanskrit, alleging that the Sanskrit language is the language of the Vedic priests and the Brahmin community only.
Valmiki who wrote the Ramayana in Sanskrit was a tribal hunter and a dacoit (he was reformed by a Hindu Saint by showing his humane side /humanity) before he became a great poet. Maharishi Vyasa who wrote the Mahabharata also in Sanskrit was not a Brahmin either. He was born to a fisher woman. Valmiki and Vyasa through their two great epics have laid the foundations of Indian culture. Kalidasa was a shepherd. THUS VALMIKI, VYASA AND KALIDASA BELONGED TO THE ‘BACKWARD COMMUNITIES’ OF ANCIENT INDIA. (This fact has been totally suppressed by all pseudo-secular political parties, Nehruvian secularists, Marxist historians, Missionaries and other known enemies of India.)
https://janamejayan.wordpress.com/…/communist-congress-hat…/

stupid laws of india….made by congress
मोदी सरकार की ६ महीने की खास ख़ास उपलब्द्धियाँ
मोदी सरकार की ६ महीने की खास ख़ास उपलब्द्धियाँ
१) खुली सिगरेट बेचने पर रोक लगेगी एवं तम्बाकू उत्पाद बेचने के लिए न्यूनतम आयु सीमा बढ़ेगी
(२) विद्यालयों में शौचालय के निर्माण हेतु केन्द्र सरकार ने ”स्वच्छ भारत कोष” आरंभ किया
(३)2100 अरब जापान ने और 1200 अरब रुपए चीन ने की निवेश करने की घोषणा
(४)2460 अरब रुपए निवेश करेंगी अमेरिकी कंपनियाँ भारत में आगामी कुछ वर्षों में।
(५)आस्ट्रेलिया से हुआ समझौता, 2015 के अंत तक मिलने लगेगा यूरेनियम
(६)2015 तक आस्ट्रेलिया, आसियान से पूरा होगा मुक्त व्यापार समझौता
(७)WTO समझौते में खाद्य सुरक्षा की शर्तों पर अमेरिका से सहमति, बड़ी जीत.
(८)असैन्य परमाणु करार का गतिरोध शीघ्र समाप्त करने पर अमेरिका से स्वीकार्यता
(9) ओबामा-मोदी ने साझा आलेख के माध्यम से रक्षा-अंतरिक्ष क्षेत्र में प्रगाढ़ संबंधों की घोषणा की
(10) चीन ने पुणे और अहमदाबाद में औद्योगिक पार्क बनाने की घोषणा की.
(11) नाथूला दर्रे के सस्ते एवं सुगम मार्ग से कैलाश मानसरोवर यात्रा की स्वीकृति.
(12)जापान ने एचएएल समेत छः भारतीय रक्षा-अंतरिक्ष संस्थानों से प्रतिबंध हटाया
(13) काशी को क्योटो जैसी हेरिटेज और स्मार्ट सिटी में परिवर्तित करेगा जापान
अक्लमंद हंस
अक्लमंद हंस
एक बहुत बडा विशाल पेड था। उस पर बीसीयों हंस रहते थे। उनमें एक बहुत स्याना हंस था,बुद्धिमान और बहुत दूरदर्शी। सब उसका आदर करते ‘ताऊ’ कहकर बुलाते थे। एक दिन उसने एक नन्ही-सी बेल को पेड के तने पर बहुत नीचे लिपटते पाया। ताऊ ने दूसरे हंसों को बुलाकर कहा “देखो,इस बेल को नष्ट कर दो। एक दिन यह बेल हम सबको मौत के मुंह में ले जाएगी।”
एक युवा हंस हंसते हुए बोला “ताऊ, यह छोटी-सी बेल हमें कैसे मौत के मुंह में ले जाएगी?”
स्याने हंस ने समझाया “आज यह तुम्हें छोटी-सी लग रही हैं। धीरे-धीरे यह पेड के सारे तने को लपेटा मारकर ऊपर तक आएगी। फिर बेल का तना मोटा होने लगेगा और पेड से चिपक जाएगा, तब नीचे से ऊपर तक पेड पर चढने के लिए सीढी बन जाएगी। कोई भी शिकारी सीढी के सहारे चढकर हम तक पहुंच जाएगा और हम मारे जाएंगे।”
दूसरे हंस को यकीन न आया “एक छोटी सी बेल कैसे सीढी बनेगी?”
तीसरा हंस बोला “ताऊ, तु तो एक छोटी-सी बेल को खींचकर ज्यादा ही लम्बा कर रहा है।”
एक हंस बडबडाया “यह ताऊ अपनी अक्ल का रौब डालने के लिए अंट-शंट कहानी बना रहा हैं।”
इस प्रकार किसी दूसरे हंस ने ताऊ की बात को गंभीरता से नहीं लिया। इतनी दूर तक देख पाने की उनमें अक्ल कहां थी?
समय बीतता रहा। बेल लिपटते-लिपटह्टे ऊपर शाखों तक पहुंच गई। बेल का तना मोटा होना शुरु हुआ और सचमुच ही पेड के तने पर सीढी बन गई। जिस पर आसानी से चढा जा सकता था। सबको ताऊ की बात की सच्चाई सामने नजर आने लगी। पर अब कुछ नहीं किया जा सकता था क्योंकि बेल इतनी मजबूत हो गई थी कि उसे नष्ट करना हंसों के बस की बात नहीं थी। एक दिन जब सब हंस दाना चुगने बाहर गए हुए थे तब एक बहेलिआ उधर आ निकला। पेड पर बनी सीढी को देखते ही उसने पेड पर चढकर जाल बिछाया और चला गया। सांझ को सारे हंस लौट आए पेड पर उतरे तो बहेलिए के जाल में बुरी तरह फंस गए। जब वे जाल में फंस गए और फडफडाने लगे, तब उन्हें ताऊ की बुद्धिमानी और दूरदर्शिता का पता लगा। सब ताऊ की बात न मानने के लिए लज्जित थे और अपने आपको कोस रहे थे। ताऊ सबसे रुष्ट था और चुप बैठा था।
एक हंस ने हिम्मत करके कहा “ताऊ, हम मूर्ख हैं, लेकिन अब हमसे मुंह मत फेरो।’
दूसरा हंस बोला “इस संकट से निकालने की तरकीब तू ही हमें बता सकता हैं। आगे हम तेरी कोई बात नहीं टालेंगे।” सभी हंसों ने हामी भरी तब ताऊ ने उन्हें बताया “मेरी बात ध्यान से सुनो। सुबह जब बहेलिया आएगा, तब मुर्दा होने का नाटक करना। बहेलिया तुम्हें मुर्दा समझकर जाल से निकाल कर जमीन पर रखता जाएगा। वहां भी मरे समान पडे रहना। जैसे ही वह अन्तिम हंस को नीचे रखेगा, मैं सीटी बजाऊंगा। मेरी सीटी सुनते ही सब उड जाना।”
सुबह बहेलिया आया। हंसो ने वैसा ही किया, जैसा ताऊ ने समझाया था। सचमुच बहेलिया हंसों को मुर्दा समझकर जमीन पर पटकता गया। सीटी की आवाज के साथ ही सारे हंस उड गए। बहेलिया अवाक होकर देखता रह गया।
सीखः बुद्धिमानों की सलाह गंभीरता से लेनी चाहिए।

मित्रो बहुत कम लोग जानते है की हमारी बहुत सी धार्मिक किताबें,शास्त्र और इतिहास के साथ अंग्रेज़ो ने बहुत छेड़खानी करी है !
मित्रो बहुत कम लोग जानते है की हमारी बहुत सी धार्मिक किताबें,शास्त्र और इतिहास के साथ अंग्रेज़ो ने बहुत छेड़खानी करी है ! आपको सुन कर हैरानी होगी भारत मे एक मूल प्रति है मनुसमृति की जो हजारो वर्षो से आई है और एक मनुस्मृति अंग्रेज़ो ने लिखवाई है ! और अंग्रेज़ो ने इसको लिखवाने मे मैक्स मुलर की मदद ली थी मैक्स मुलर एक जर्मन विद्वान था जिसको संस्कृति बहुत अच्छे से आती थी उसको कहा गया की तुम भारत के शास्त्रो को पढ़ो और पढ़ कर हमको बताओ की उनमे क्या है फिर जरूरत पढ़ने पर इसमे फेरबदल करेंगे !
तब मैक्स मुलर ने मनुस्मृति का अनुवाद किया पहले जर्मन मे किया फिर अँग्रेजी मे किया तब अंग्रेज़ो को समझ आया की मनुस्मृति तो भारत की न्यायव्यवस्था की सबसे बड़ी पुस्तक है और भारत की न्याय व्यवस्था का आधार है ! तो उन्होने मनुसमृति मे ऐसे विक्षेप डलवा दिये ताकि भारत वासियो को भ्रमाया जा सके और उनको गलत रास्ते पर चलाया जा सके ! उनको मनुस्मृति के प्रति बहुत ज्यादा नीचाई की भावना पैदा हो इस तरह के विक्षेप डलवा दिये !
ये विक्षेप केवल मनु स्मृति मे नहीं डाले गए बल्कि बहुत सारे अन्य ग्रंथो मे डाले गए और अंग्रेज़ो की बहुत बड़ी टीम थी जो इस कार्य मे लगी हुई थी कोई साधारण अंग्रेज़ो ने ये काम नहीं किया था! विलियम हंटर नाम का अंग्रेज़ हुआ करता था जिसने सबसे ज्यादा भारत के इतिहास मे विकृति डाली सबसे ज्यादा भारत के शास्त्रो के विकृत किया ! जिसने सबसे ज्यादा भारत के पुराने ऋषि ,मुनियो के आत्म वचनो को बिलकुल उल्टा करके बताया !
और ये सब वो कैसे कर पाया ? वो ये कि विलियम हंटर अंग्रेज़ो बहुत अच्छी जानता था और उसके साथ साथ उसको संस्कृत भी आती थी ! क्योंकि भारतीय मूल ग्रंथ संस्कृत मे है तो वो उनको पढ़ लेता था और फिर अंग्रेजी मे कहाँ कहाँ उसको विकृति कर बनाना है वो कर लेता था ! विलियम हंटर की पूरी टीम थी जो इस कार्य मे लगी थी जिसको कहा गया विलियम हंटर कमीशन !
विलियम हंटर कमीशन की रिपोर्ट के बारे मे बात की जाए तो घंटो घंटो उसी मे निकल जाए हजारो पन्नो मे उन्होने ने रिपोर्ट बनाकर उन्होने ने ये बताया है कि हमने भारत के किस किस विष्य मे किस किस शस्त्र मे क्या क्या परिवर्तन कर दिये है ये उसने अँग्रेजी संसद को भेंट किया था और फिर उस पर बहस हुई थी तो अंग्रेज़ो ने अपने देश मे ऐसे बहुत सारे विद्वानो को तैयार करके भारत के शास्त्रो मे विक्षेपन करवाया बहुत कुछ ऐसी बातें भर दी उसमे जो की विश्वास करने लायक नहीं है तर्क पर कहीं ठहरती नहीं है और सूचना के आधार पर बिलकुल गलत हैं !!
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आर्य बाहर से आए उन्होने भारतीय संस्कृति को खत्म कर दिया हमारे पूर्वज गौ मांस खाते थे !ना जाने ऐसी हजारो हजारों बातें और संस्कृत के शब्दो का गलत अर्थ निकाल कर हमारे शास्त्रो मे इन अंग्रेज़ो द्वारा भर दिया गया जो आज भी हमको जानबूझ कर पढ़ाया जा रहा है ताकि हम गुमराह होते रहे हम हिन्दू अपनी अपनी जातियो मे ऊंच -नीच करते ! और हमारे मन हमारी ,संस्कृति ,सभ्यता के प्रति गलत भावना पैदा हो !!
तो मित्रो अंत आपसे निवेदन है को भी भारतीय ग्रंथ ,धार्मिक पुस्तक ,शास्त्र पढ़ें तो ध्यान रहे वो इन अंग्रेज़ो द्वारा छेड़खानी किया हुआ ना हो क्योंकि ज़्यादातर बाजार मे बिक रही किताबें वहीं है जिनमे अंग्रेज़ो ने छेड़खानी करी है !!
पूरी पोस्ट पढ़ी बहुत बहुत धन्यवाद !!
अग्रेजों ने क्या क्या विक्षेपन किये अधिक जानकारी के लिए यहाँ click करें !!
https://www.youtube.com/watch?v=e7RGLr8Oka8

मक्खीचूस गीदड
मक्खीचूस गीदड
जंगल मे एक गीदड रहता था था। वह बडा क कंजूस था,क्योंकि वह एक जंगली जीव था इसलिए हम रुपये-पैसों की कंजूसी की बात नझीं कर रहे। वह कंजूसी अपने शिकार को खाने में किया करता था। जितने शिकार से दूसरा गीदड दो दिन काम चलाता, वह उतने ही शिकार को सात दिन तक खींचता। जैसे उसने एक खरगोश का शिकार किया। पहले दिन वह एक ही कान खाता। बाकी बचाकर रखता। दूसरे दिन दूसरा कान खाता। ठीक वैसे जैसे कंजूस व्यक्ति पैसा घिस घिसकर खर्च करता हैं। गीदड अपने पेट की कंजूसी करता। इस चक्कर में प्रायः भूखा रह जाता। इसलिए दुर्बल भी बहुत हो गया था।
एक बार उसे एक मरा हुआ बारहसिंघा हिरण मिला। वह उसे खींचकर अपनी मांद में ले गया। उसने पहले हिरण के सींग खाने का फैसला किया ताकि मांस बचा रहे। कई दिन वह बस सींग चबाता रहा। इस बीच हिरण का मांस सड गया और वह केवल गिद्धों के खाने लायक रह गया। इस प्रकार मक्खीचूस गीदड प्रायः हंसी का पात्र बनता। जब वह बाहर निकलता तो दूसरे जीव उसका मरियल-सा शरीर देखते और कहते “वह देखो, मक्खीचूस जा रहा हैं।
पर वह परवाह न करता। कंजूसों में यह आदत होती ही हैं। कंजूसों की अपने घर में भी खिल्ली उडती हैं, पर वह इसे अनसुना कर देते हैं।
उसी वन में एक शिकारी शिकार की तलाश में एक दिन आया। उसने एक सुअर को देखा और निशाना लगाकर तीर छोडा। तीर जंगली सुअर की कमर को बींधता हुआ शरीर में घुसा। क्रोधित सुअर शिकारी की ओर दौडा और उसने खच से अपने नुकीले दंत शिकारी के पेंट में घोंप दिए। शिकारी ओर शिकार दोनों मर गए।
तभी वहां मक्खीचूस गीदड आ निकला। वह् खुशी से उछल पडा। शिकारी व सुअर के मांस को कम से कम दो महीने चलाना हैं। उसने हिसाब लगाया।
“रोज थोडा-थोडा खाऊंगा।’ वह बोला।
तभी उसकी नजर पास ही पडे धनुष पर पडी। उसने धनुष को सूंघा। धनुष की डोर कोनों पर चमडी की पट्टी से लकडी से बंधी थी। उसने सोचा “आज तो इस चमडी की पट्टी को खाकर ही काम चलाऊंगा। मांस खर्च नहीं करूंगा। पूरा बचा लूंगा।’
ऐसा सोचकर वह धनुष का कोना मुंह में डाल पट्टी काटने लगा। ज्यों ही पट्टी कटी, डोर छूटी और धनुष की लकडी पट से सीधी हो गई। धनुष का कोना चटाक से गीदड के तालू में लगा और उसे चीरता हुआ। उसकी नाक तोडकर बाहर निकला। मख्खीचूस गीदड वहीं मर गया।
सीखः अधिक कंजूसी का परिणाम अच्छा नहीं होता।