जेहादी अकबर को….. छठी का दूध याद दिल देने वाले हिन्दू वीर ….. महाराणा प्रताप के बारे में भला कौन नहीं जानता होगा….?????
क्योंकि…. जब-जब हिन्दुओं अथवा हिंदुस्तान का इतिहास लिखा जाएगा …… महाराणा प्रताप की वीरता, उनका आत्मसम्मान एवं त्याग स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा ….!
किसी भी हिन्दू राष्ट्रवादी को यह जानकार बेहद गर्व होगा कि…..7 फ़ीट 5 इंच के महाराणा प्रताप …. जब अपने 10 किलो के जूते एवं 72 किलो के बाजूबंद पहनकर …… हाथों में 80 किलो के भाला, 70 किलो के तलवार तथा 50 किलो के कटार लेकर ….. अपने चेतक पर….. अकबर नामक जेहादी की सेना से युद्ध करने जाते थे…. तो, मुस्लिमों की कंपकपी छूट जाती थी….!!
दरअसल, जब महाराणा प्रताप का जन्म हुआ…….. उस समय दिल्ली पर एक मुस्लिम जेहादी अकबर का शासन था…. और, अपने जेहादी मानसिकता के वशीभूत वह सभी हिन्दू राजा-महाराजाओं को अपने अधीन कर … पूरे हिंदुस्तान में मुगल साम्राज्य का ध्वज फहराना चाहता था….।
परन्तु…. महाराणा प्रताप ने … उस जेहादी एवं महा-लीचड़ अकबर के सामने झुकने से इंकार कर दिया …. एवं, अपने मेवाड़ की भूमि को मुगल आधिपत्य से बचाने के लिए महाराणा प्रताप ने प्रतिज्ञा की थी कि… जब तक मेवाड़ आजाद नहीं होगा, मैं महलों को छोड़ जंगलों में निवास करूंगा…….।
आपको यह जानकर हैरानी होगी कि….. महाराणा प्रताप से … उस जेहादी अकबर की “इतनी फटती थी कि”……..अकबर ने घोषणा कर रखी थी कि अगर राणा प्रताप मेरे सामने झुकते हैं….. तो आधे हिंदुस्तान के वारिस महाराणा प्रताप होंगे……… पर बादशाहत अकबर की रहेगी…..।
जिसके जवाब में……. प्रताप ने कहा था कि ……स्वादिष्ट भोजन को त्याग कंदमूल फलों से ही पेट भरूंगा….. लेकिन, अपने जीते-जी , उस जेहादी अकबर का अधिपत्य कभी स्वीकार नहीं करूंगा।
और, इसी क्रम में महाराणा प्रताप….. अपने महल के छोड़कर …… जंगल चले गए थे….. और, वहां कुछ दिन घास की रोटियां तक खाई थी….
जी हाँ…..मैं बात कर रहा हूँ मेवाड़ की विरासतों में शुमार मायरा की गुफा के बारे में……..।
प्रकृति ने इस दोहरी कंदरा को कुछ इस तरह गढ़ा है…… मानो शरीर में नसें….।
इस गुफा में प्रवेश के तीन रास्ते हैं………जो किसी भूल-भुलैया से कम नहीं हैं और, इसकी खासियत यह है कि …..बाहर से देखने में इसके रास्ते का द्वार किसी पत्थर के टीले की तरह दिखाई पड़ता है।
लेकिन , जैसे-जैसे हम अंदर जाते हैं….. रास्ता भी निकलता जाता हैं….।
यही कारण है कि….. यह अभी तक हर तरफ से सुरक्षित है… और, इसकी इसी खूबी के कारण…. महाराणा प्रताप ने इसे अपना शस्त्रागार बनाया था।
मैं याद दिला दूँ कि….
हल्दी घाटी में अकबर और प्रताप के बीच हुए युद्ध के दौरान…. इसी गुफा को प्रताप ने अपना शस्त्रागार बनाया था……।
और, यह युद्ध आज भी…….. पूरे विश्व के लिए एक मिसाल है…..।
क्योंकि… इस युद्ध में महाराणा प्रताप और उनकी सेना की वीरता का अंदाजा सिर्फ इसी बात से लगाया जा सकता है कि……… इस युद्ध में जेहादी अकबर के 85 हजार और प्रताप के केवल 20 हजार सैनिक थे।
लेकिन फिर भी … प्रताप ने इस युद्ध में अकबर को धूल चटा दिया था….. और, प्रताप का पराक्रम ऐसा था कि ….. अकबर की जेहादी सेना में हाहाकार मच गया था…!
सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि….
महाराणा प्रताप का घोडा “”चेतक”” भी अनमोल था….और, एक पांव चोटिल होने के बाद भी प्रताप को पीठ पर लिए वह नाले को पार कर गया, लेकिन लाख प्रयत्नों के बाद भी जेहादी मुस्लिम सेना उस नाले को पार ना कर सकी….!!
हल्दी घाटी के युद्ध की याद दिलाती यह गुफा इतनी बड़ी है कि…… इसके अंदर घोड़ो को बांधने वाली अश्वशाला और रसोई घर भी है।
इस गुफा के अंदर वही अश्वशाला है…. जहां चेतक को बांधा जाता था, इसलिए यह जगह आज भी पूजा जाता है…..और , इसके पास ही मां हिंगलाज का स्थान है…।
हम हिन्दुओं को अपने पूर्वज महाराणा प्रताप एवं उनकी वीरता पर गर्व होनी चाहिए….!!
जय महाकाल…!!!
नोट: आज के मनहूस सेक्यूलरों को अपने पूर्वज महाराणा प्रताप से कुछ लेनी चाहिए कि….. महाराणा प्रताप ने अपने देश और धर्म की रक्षा के लिए किस तरह महलों का वैभव त्यागकर …. गुफा में रहना एवं घास की रोटियां कहानी स्वीकार की , लेकिन मुस्लिमों की अधीनता स्वीकार नहीं की…!
लेकिन, आज उन्ही महाप्रतापी महाराणा प्रताप के वंशज …. अपने पूर्वजों के गौरव को धूल-धूसरित करते हुए….. महज चंद वोटों अथवा सिक्कों के लिए….. मुस्लिमों के बिस्तर पर अपनी बहन-बेटियों तक को भेजने के लिए उतारू रहते हैं….!!
join “Great Chanakya”