Posted in छोटी कहानिया - १०,००० से ज्यादा रोचक और प्रेरणात्मक

एक अमीर आदमी था l


Mast hai dosto padho एक अमीर आदमी था l
उसके कई सारे दोस्त थे, उसमे एक
दोस्त
जो काफी गरीब था, वह अमीर
आदमी का विश्वास पाञ था l
एक दिन अमीर आदमी अपने घर
सभी दोस्तो को खाने का आमंञण
देता है,
सभी मिञ अमीर आदमी के घर आते
है l
भोजन के बाद अमीर
आदमी को ख्याल
आता है कि उसने एक उंगली मे
कीमती हीरे
जडित अंगुठी पहनी हुई
थी,थोडी ढीली होने
के कारण कही गिर गई है l
सभी मिञ घर मे अंगुठी खोजने मे
मदद करते है l
लेकिन नही मिलती l
एक मिञ कहता है “आप हम
सभी की तलाशी ले
सकते है l
एक आदमी की वजह से हम
सभी हमेशा के
लिए
आप की नजर मे शक के दायरे मे
रहेगे.”
सभी मिञ तलाशी के लिये तैय्यार
हो जाते है
l
सिवाए एक गरीब मिञ के
वो अपनी तलाशी लेने से मना कर
देता है,
सभी मिञ उसका अपमान करते है l
अमीर
आदमी किसी की तलाशी ना लेकर
सभी को विदा करता है l
दूसरे दिन सुबह जब अमीर
आदमी अपने कोट
की जेब में हाथ डालता है
तो अंगुठी मिल
जाती है l
और वो सीधा गरीब मिञ के घर
आता है.
और
अपने मिञो द्वारा किये अपमान
की माफी मागता है.
और
अपनी तलाशी ना देने की वजह
पुछता है l
गरीब मिञ पलंग पर सोये हुये अपने
बिमार पुञ
की ओर इशारा करते हुए कहता है
“मै जब आपके यहा आ रहा था , इस
ने मिठ्ठाई
खाने की जिद की थी,
आप के यहा जब
खाना खा रहा था तो मिठ्ठाई
दिखी तो मैने वो न खाकर अपने
पुञ के लिये # जेब
मे रख ली थी l
अगर
तलाशी ली जाती तो अंगुठी की ना सही मिठ्ठाई
# चोरीका इल्जाम जरूर
लगता इसी लिये
अपमान सहना बेहतर
समझा क्योकी रात
को सच बताता तो बीच मे बेटे
का नाम
भी आता.”
इस कहानी से साबित होता है-
माता-पिता अपनी औलाद
की छोटी-
छोटी खुशी के लिये क्या-
क्या नही सहन
करते…I

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हाथी और छह अंधे व्यक्ति


हाथी और छह अंधे व्यक्ति

बहुत समय पहले की बात है , किसी गावं में 6 अंधे आदमी रहते थे. एक दिन गाँव वालों ने उन्हें बताया , ” अरे , आज गावँ में हाथी आया है.” उन्होंने आज तक बस हाथियों के बारे में सुना था पर कभी छू कर महसूस नहीं किया था. उन्होंने ने निश्चय किया, ” भले ही हम हाथी को देख नहीं सकते , पर आज हम सब चल कर उसे महसूस तो कर सकते हैं ना?” और फिर वो सब उस जगह की तरफ बढ़ चले जहाँ हाथी आया हुआ था.

सभी ने हाथी को छूना शुरू किया.

” मैं समझ गया, हाथी एक खम्भे की तरह होता है”, पहले व्यक्ति ने हाथी का पैर छूते हुए कहा.

“अरे नहीं, हाथी तो रस्सी की तरह होता है.” दूसरे व्यक्ति ने पूँछ पकड़ते हुए कहा.

“मैं बताता हूँ, ये तो पेड़ के तने की तरह है.”, तीसरे व्यक्ति ने सूंढ़ पकड़ते हुए कहा.

” तुम लोग क्या बात कर रहे हो, हाथी एक बड़े हाथ के पंखे की तरह होता है.” , चौथे व्यक्ति ने कान छूते हुए सभी को समझाया.

“नहीं-नहीं , ये तो एक दीवार की तरह है.”, पांचवे व्यक्ति ने पेट पर हाथ रखते हुए कहा.

” ऐसा नहीं है , हाथी तो एक कठोर नली की तरह होता है.”, छठे व्यक्ति ने अपनी बात रखी.

और फिर सभी आपस में बहस करने लगे और खुद को सही साबित करने में लग गए.. ..उनकी बहस तेज होती गयी और ऐसा लगने लगा मानो वो आपस में लड़ ही पड़ेंगे.

तभी वहां से एक बुद्धिमान व्यक्ति गुजर रहा था. वह रुका और उनसे पूछा,” क्या बात है तुम सब आपस में झगड़ क्यों रहे हो?”

” हम यह नहीं तय कर पा रहे हैं कि आखिर हाथी दीखता कैसा है.” , उन्होंने ने उत्तर दिया.

और फिर बारी बारी से उन्होंने अपनी बात उस व्यक्ति को समझाई.

बुद्धिमान व्यक्ति ने सभी की बात शांति से सुनी और बोला ,” तुम सब अपनी-अपनी जगह सही हो. तुम्हारे वर्णन में अंतर इसलिए है क्योंकि तुम सबने हाथी के अलग-अलग भाग छुए

हैं, पर देखा जाए तो तुम लोगो ने जो कुछ भी बताया वो सभी बाते हाथी के वर्णन के लिए सही बैठती हैं.”

” अच्छा !! ऐसा है.” सभी ने एक साथ उत्तर दिया . उसके बाद कोई विवाद नहीं हुआ ,और सभी खुश हो गए कि वो सभी सच कह रहे थे.

दोस्तों, कई बार ऐसा होता है कि हम अपनी बात को लेकर अड़ जाते हैं कि हम ही सही हैं और बाकी सब गलत है. लेकिन यह संभव है कि हमें सिक्के का एक ही पहलु दिख रहा हो और उसके आलावा भी कुछ ऐसे तथ्य हों जो सही हों. इसलिए हमें अपनी बात तो रखनी चाहिए पर दूसरों की बात भी सब्र से सुननी चाहिए , और कभी भी बेकार की बहस में नहीं पड़ना चाहिए. वेदों में भी कहा गया है कि एक सत्य को कई तरीके से बताया जा सकता है. तो , जब अगली बार आप ऐसी किसी बहस में पड़ें तो याद कर लीजियेगा कि कहीं ऐसा तो नहीं कि आपके हाथ में सिर्फ पूँछ है और बाकी हिस्से किसी और के पास हैं.

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Posted in हिन्दू पतन

बिहार धार्मिक न्यास बोर्ड—!


बिहार धार्मिक न्यास बोर्ड—!

बिहार धार्मिक न्यास बोर्ड क्या है और क्यों बनाया गया है ? इसका विश्लेषण होना जरूरी है जहां एक तरफ इसका समाज को लाभ दिखाई दे सकता है वहीं इसका दूसरा पक्ष भी जो बहुत ही खतरनाक भी है, मै आपको चीन और सोबियत रुश ले चलता हूँ वहाँ पर साम्य -वादियों की सत्ता आने के पश्चात उन लोगो ने जिन चर्च मे सोने छड़ी के क्रॉस थे जहां बौद्ध मंदिरों गुम्बों मे सोना-चाँदी की मूर्तियाँ अथवा अन्य बहुमूल्य सामाग्री थी शासकों ने उसे सुरक्षा के नाम पर राजकोष मे जमा कर धार्मिक आस्थाओं को समाप्त करने का प्रयास किया, नेपाल- चीन के प्रभाव मे आकर राजा महेंद्र ने गूठी संस्थान बनाकर पहाड़ और तराई के मंदिरों मे पूजित सोने-चाँदी की पूर्तियाँ उठा ली गयी तानाशाही के कारण कोई कुछ बोल नहीं सकता था सारा का सारा धार्मिक स्थल बिरान सा हो गया हैं।

भारत मे भी सीधे वामपंथियों का शासन तो नहीं था लेकिन नेहरू जी तो संयोग-वस हिन्दू थे इस कारण उनकी भारतीय संस्कृति, भारतीय राष्ट्र, सनातन परम्परा व हिन्दू धर्म मे कोई आस्था नहीं थी उन्होने सीधे हिन्दू धर्म पर हमला नहीं किया लेकिन उन्होने जिस नीति का अनुशरण किया वह हिन्दू बिरोधी थी भारत के कई प्रांतो मे अपने कांग्रेस नेताओं को साधू बना धार्मिक क्षेत्र को नास्तिक व हिन्दू बिरोधी अथवा भारत बिरोधी कराने का प्रयास किया उसी मे एक बिहार के हरिनारायणानंद जी भी हैं जो भारत साधू समाज जो कांग्रेस का एक काम है उन्हे इस कार्य मे लगा दिया, सर्वप्रथम नेहरू जी का ध्यान बिहार की तरफ आया उन्होने एक कांग्रेस कार्यकर्ता स्वामी हरीनारायना नन्द को 1951 मे न्यास बोर्ड बना उसका प्रथम अध्यक्ष बना दिया, बिहार मे हजारों मठ -मंदिर हैं जिनका समाज पर बहुत प्रभाव था वे उसे कैसे समाप्त करें उनके लिए धार्मिक न्यास बोर्ड बनाने का प्रयास किया स्वामी हरीनारायना नन्द के दिमाग मे था की कांग्रेस की सत्ता कभी समाप्त नहीं होगी सरकार से मिलकर हिन्दुत्व को समाप्त करने हेतु धार्मिक न्यास बोर्ड का गठन किया गया बस क्या था ? सब कुछ समाप्त हो गया।

न्यास बोर्ड का परिणाम धीरे -धीरे जब संतों का प्रभाव समाप्त होने लगा संत मात्र सिम्बौलिक (खेतों मे धोक के समान) रहने लगे उन्हे असुरक्षा भाव का अनुभव होने लगा, परम्पराएँ खंडित होने लगी सभी गुरुकुल बंद होने लगे जो मठ गावों मे सामाजिक केंद्र हुआ करते थे अब घृणा के पात्र होने लगे, न्यास बोर्ड की तुलना मुगल शासन से की जा सकती है जैसे उस काल मे जज़िया कर हिन्दू मंदिर, मठों पर था उस सामय के राजाओं, राणाओं ने जज़िया कर से छुटकारा था वहीं आज उससे अधिक मठों, मंदिरों से कर वसूला जा रहा है जिससे किसी मंदिर का विकास नहीं अपनी सरकार द्वारा ही धार्मिक विकास अवरुद्ध, यदि कोई महंत अपने मंदिर की मरम्मत करना चाहता है तो वह अपराधी हो जाता है इस कारण मंदिरों का विकाश अवरुद्ध हो गया, वामपंथियों ने हिन्दू धर्म पर परोक्ष हमला शुरू किया वे मानों नेहरू के ही सैनिक थे बाबाओं के ऊपर अनावस्यक आरोप लगा मठ का सरकारी करण शुरू कर दिया, परम्पराएँ समाप्त कर अपने ब्यक्ति जिंनका उस पंथ से कोई मतलब नहीं उन्हे महंत बनाने की प्रक्रिया शुरू हो गयी, पहले तो किसी ने कोई ध्यान नहीं दिया लेकिन जब पूर्ब आईपीएस किशोर कुणाल न्यास के अध्यक्ष बने तब से साधू-संत परेशान हैं उन्होने समाज मे अपनी प्रतिष्ठा बना ली है और धर्म को समाप्त करने पर तुले हुए हैं अब वे नया पंथ बना जगतगुरु बनाना चाहते हैं कुछ मंदिरों को प्रतिष्ठित कर अन्य मंदिरों के महंतों को निकालना जैसे वे जगतगुरु हों अपने आफिस मे साधुओं का अपमान तो सामान्य सी बात है क्या वे किसी मुल्ला-मौलबी व फादर, पास्टर का अपमान कर सकते हैं ? कुणाल अपने समय के प्रतिष्ठित (जहां-जहां एसपी रहे वहाँ के लोगों का मत अच्छा नहीं) अफसरों मे गिने जाते हैं नितीश कुमार को एक हिन्दू बिरोधी पाखंडी हिन्दू चाहिए था वह कुणाल मिल गए उन्हे न्यास बोर्ड का अध्यक्ष बना दिया सर्वबिदित है कि किशोर कुणाल पूर्व प्रधानमंत्री नरसिंहा राव के राम जन्म भूमि बिरोध की मुहिम के अगुवा थे इसी कारण हिन्दू बिरोधी- हिन्दू को आगे कर हिन्दुत्व समाप्त करना यही काम है, किशोर कुणाल मंदिरों को धार्मिक न्यास बोर्ड मे न लेकर अपने ब्यक्ति गत ट्रष्ट महावीर मंदिर ट्रष्ट के नाम लिखाना जैसे मुजफ्फरपुर का पोखर मंदिर जो करोणों की संपत्ति है, किसी बड़े मठ जो 100 से हजार एकड़ के हैं बाहुबली हैं कुणाल उसे अनदेखी करते हैं लेकिन जो सज्जन साधू हैं परंपरा से जुड़े हैं उन्हे परेशान करना उनकी नियति ही बन गयी है।

न्यास बोर्ड ने सनातन परंपरा को समाप्त करना ही नियति बना लिया है यदि सन्यासी परंपरा का मठ है तो वहाँ किसी और मत का साधू बैठाना यदि वैष्णव मत का है तो कबीर पंथी जब की न्यास को किसी मठ मे हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है वह केवल ब्यवस्था देख सकता है, संतों, महंतों की नियुक्ति करने का अधिकार उनके परंपरागत जगतगुरु, आचार्य को हैं वे सब के सब अयोध्या, मथुरा, काशी मे रहते हैं, साधू सन्यासियों का अपमान करना सेकुलर दिखाना, इतना ही नहीं न्यास बोर्ड का धन भारत बिरोधी, ”चर्च और मखताब, मदरसों” के लिए देना, यह समाज मे चर्चा का विषय बना हुआ है कारण कई सामाजिक कार्यकर्ताओं ने सूचना अधिकार के तहत जब न्यास बोर्ड से पूछा कोई उत्तर नहीं मिला, वास्तविकता यह है कि न्यास बोर्ड की प्रासंगिकता ही समाप्त हो गयी है, अब इसका नए सिरे से गठन होना चाहिए मठो मे महंतों की नियुक्ति परंपरा से होनी चाहिए जिससे भारतीय संस्कृति सुरक्षित रह सके, हमारे मठ, मंदिर हमारी संस्कृति के केंद्र बिन्दु हैं बिना मठ, मंदिर और गुरुद्वारा के भारतीय संस्कृति की कल्पना नहीं की जा सकती वे हिन्दू समाज के प्रतीक हैं उसके साथ खिलवाड़ करना राष्ट्रीय अपराध है, सभी संप्रदायों के संत-महंतों और हिन्दू विचारकों से विचार -बिमर्श कर सरकार को न्यास बोर्ड मे संतों की भूमिका निर्धारित करना और ”बिहार धार्मिक न्यास वोर्ड” के पुनर्गठन के बारे मे सीघ्र निर्णय करना चाहिए।

यदि न्यास बोर्ड ईमानदार है बिहार सरकार सेकुलर है तो चर्च, बौद्ध मंदिर, जैन मंदिर और मस्जिद मदरसे क्यों नहीं न्यास बोर्ड मे–? क्या ये सब बिहार मे नहीं रहते–! हिन्दू ही निरीह प्राणी है-! जिसके धर्म व स्थलों पर जब चाहे तब जो चाहे सो करे लेकिन इनकी हिम्मत नहीं की हिन्दू धर्म के अलावा किसी का छेड़- छाड़ कर सके, आज हिन्दू समाज को आगे आकर अपने मठ- मंदिरों की सुरक्षा हेतु खड़ा ही नहीं लड़ना भी पड़े तो लड़ना चाहिए नहीं तो ये सेकुलरिष्ट हिंदुओं की परंपरा, धार्मिक पहचान समाप्त कर सेकुलर के नाम पर भारत का इस्लामीकरण करने का प्रयास करेगे, हिन्दू समाज को इस समय चैतन्य रहने की अवस्यकता है यह हिंदुओं का देश है अपने देश की रक्षा करना हमारा कर्तब्य है देश की रक्षा का मतलब है देश की संस्कृति, भाषा और धर्म की रक्षा जो एक-दो दिन मे नहीं तो हजारों, लाखों वर्षों की तपस्या से हमारे ऋषियों, मुनियों और चक्रवर्ती सम्राटों ने निर्माण किया है।

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भविस्य मे किताबो की दुनिया।


lead-books

आज से ८ साल पहेले कनेडा मे लाइब्ररी का digities करना सॅरू हो गया और उनको उन्होने इंटरनेट पे रख भी दिया. उनके देस का अब हर आदमी घर बैठे किताब पढ़ सकता है वो भी बहुत मामूली कीमत पर। उनके पास ४०,००० से भी ज्यादा किताब अब इंटरनेट पे प्राप्य है। बाद उन्होने अलग अलग राज्यो की लाइब्ररी को भी degitise करना सॅरू किया. अब कोई एक लाइब्ररी का सदस्य होता है तो अन्य लाइब्ररी की लिंक उनको फ्री मे प्राप्त होती है…है ना मजे की बात। google पे सिर्फ online digital library सर्च कीजिये। सदस्य बने और लाखो किताबे पढ़ सकते है। 

दूसरी बात मेरे पास कुल २५०० किताबे मेरे घर पे थी और कुछ दुर्लभ मेग़ेज़ीन. इन सारी किताब और मेगज़ीन को मई scan करके उनकी pdf फाइल बना डाली उसको मैने dropbox मे रख दी। अब मई दुनिया मे कही पे भी जौऊंगा तो वो मई पढ़ सकता हु। क्यो की dropbox की सेर्विस १५ gb तक फ्री है और १५ gb मे आप १०,००० किताब रख सकते है। 

तीसरी बात मेरे जैसे और भी कई भाई है उसके साथ मई किताब exchange कर सकताहु। तो मेरे दस मित्र होंगे तो मेरे पर्सनल library मे २०,००० किताब हो जाएंगी।

अब एक प्रशना होगा की पब्लिशर और लेखको का क्या ? वो कैसे पैसे कमाएंगे ? पब्लिशर online publiketion निकालेगा और लेखक उनमेसे ही पैसे कमायेगा। तो कोई किताब चोरी नहीं करेगा ? नहीं करेगा।..क्योकि जो किताब प्रिंटेड ७०० रुपय की हो वो pdf फॉर्मेट मे ७ रुपय मे मिलेगी तो क्यो चोरी करेगा? प्रिंटिंग के पिसे बच जायेंगे। stock नहीं करना है। और अड्वर्टाइज़िंग भी आसान हो जायेगी। और hard कॉपी जो आपने राज्य मे बिकती होगी वो पूरी दुनिया मे विदाउट पार्सल बिकेगी।

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वेदाङ्गशास्त्राणां ज्योतिषं मूर्ध्नि स्थितम्


वेदाङ्गशास्त्राणां ज्योतिषं मूर्ध्नि स्थितम्

Posted in भारत का गुप्त इतिहास- Bharat Ka rahasyamay Itihaas

Puzzles of evolution of civilization and History:


Subhas Mitra added 6 new photos.
1 hr · Edited ·

Puzzles of evolution of civilization and History:
(And what ‘their’ BRAND of “love” and “peace “has done ).

1. Sankhya Yoga talks of Purush (male / father) & Prakriti (Female / mother) as the source of creation on the earth (Shiva- Parvati…..).
2. ‘Urs’ tribes of Inca people of Peru who ran away and saved their live from Spaniard Catholics massacre to live in lake too believe “Himalayan lake ( Kailash mansharovar) as FATHER and Titicaca , the biggest and deepest lake on the southern hemisphere is MOTHER of all the creature on the earth.
3. Peruvian Christian youth of cities may talk India as land of Amitav Bachhan , Shahrukh Khan or Aisariya Rai but Inca elders and youth alike calls India as Jammudweep , land of gods. They are seen greeting Indian tourist with folded hand ( Namasthe posture).
4. Lemuria continent, which is hypothetical to many scientists but appears in many Tamil literature as Kumari Kundan, Ken Stephenson describes it a land of SEVEN kings (our own SAPTHARSHI?) and elsewhere. Globe tottering scholarly author DrMrinal Kanti Debnath believes Ravana was a King form LEMURIA and Lord Rama from Jammudweep.
5. In another Tamil lore we are told that a group of people set sailed form Madhurai or Konkan for far country but due to turmoil in the sea / ocean surviving couple (s) reached South American coast and they lived there forever.
6. Dr Gene D Metlock not only tells ‘America was once ruled by Indians’ but he has put TAMIL as one of the forefather of Mexican Mayan people (1500BC).
7. Initial human settlement of Madagascar occurred between 350 BC and AD 550 by Austronesia arriving on outrigger canoes from Borneo.
8. In Australia (Tasmanian Island) British left nothing of the original inhabitant who is said to have lived since 40K to 60K years before 1606 -1787 colonalisation but many of their customs are nearer to those of Lemuria continent (?)

Now put these together and think what would have happened if “Religion Love” with their canon + Bible and “Religion of Peace” with sword + Kuran would have not SPREADED the world with their BRAND of “love” and “peace”.

Pic
Pic :
2. An ancient Tamil Pachesi board kept as a relic in the temple. The Tamils and all the tribes of Meso-America, from Mexico to Panama, played the same board game: Pachesi. RightThe Meso-Americans called it by a linguistically similar name: Patolli. (Note: CH and T are linguistically similar. LL was the only way the Renaissance Spaniards could approximate the sounds of Z and J. This proves that Patolli derived from Pachesi).
3. Temple musical (in hand) in Latin America
6. Yantra of Lemuria
7. The shoreline of Tasmania and Victoria about 14,000 years ago, as sea levels were rising, showing some of the human archaeological sites
4. Aboriginal dwellings in Hermannsburg, Northern Territory. (Tasmania is said to be closer to Lemuria about 14000 year back from 1606.

1. The map shows the probable extent of land and water at the time of the last glacial maximum and when the sea level was probably more than 150m lower than today; it illustrates the formidable sea obstacle that migrants would have faced.
5. Ancient Indian boat of Tamil King.

Rahul Shastri , Apurbajyoti Majumdar , Rayvi Kumar, Vilokana NishtaDiwakar Methil Vincent Bruno Otero , Brandon Fulbrook , O ComraradaYara, Jayagopal Adaikkalam Suman Gupta , Omendra RatnuBhabesh Chandra Ghosh ,Laxmi Lakshmi Narayana Bhagavatula ,Ramakrishna Shastry Hari Chandran Panikkassery,, Sanjay Mandyal ,Rajyashree Tripathi Tummala Dharmatej Raj Kumar Bhadana Siddharth Jhawar Hakhee Kim , Karthikrajan Alagesan , Srinivasan Iyangar , Sulekha Pande Meenakshi Srivastava Mihir Kumar Ghosh , Jyotirmay VarmaShamik Moitra Sudipta Barat, Revathi Ravi Srin Kris Gaurav Chaubey ,Shandy Singaporean , पार्थ अाचार्य , Shivendra K Sinha ,Swamy Swami Pranab Roy , Ananthakrishnan Ramanathan , Abhijit Majumdar Prasun Maitra Suvro

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Masroor Monolithic Rock cut temples


Rayvi Kumar updated the group photo in INDIAN HISTORY ~ REAL TRUTH.
1 hr ·

Masroor Monolithic Rock cut temples, dating back to the 8th century is a little known world heritage site. The day was heavily overcast when we set off for Masroor, about 40 kms from Kangra on the Nagrota Suriyan Link road. The road to the temples is in pretty good condition ; espied several green signboards (ASI) marking the route to Masroor.

A gorgeous vista of hewn rocks met our eyes, leaving us awed with its magnificence. We were once again amazed at the fascinating nugget of history and architecture tucked away in Himachal Pradesh.

Though not such a big place, the entire structure is huge and towering; constructed alongside a rectangular pool of water and surrounded by the majestic Dhauladhar trees. The temples stood out tall and straight, in one line; we could make out Buddha and Ganesh faces cut in the rock face here and there.

District : Kangra , Location: Masroor / Masrur (Nagrota Suriyan)
Nearest town: Gaggal (airport) , Nearest train station: Pathankot and Kangra

Masroor Monolithic Rock cut temples, dating back to the 8th century is a little known world heritage site. The day was heavily overcast when we set off for Masroor, about 40 kms from Kangra on the Nagrota Suriyan Link road.  The road to the temples is in pretty good condition ; espied several green signboards (ASI) marking the route to Masroor.

A gorgeous vista of hewn rocks met our eyes, leaving us awed with its magnificence. We were once again amazed at the fascinating nugget of history and architecture tucked away in Himachal Pradesh.

Though not such a big place, the entire structure is huge and towering; constructed alongside a rectangular pool of water and surrounded by the majestic Dhauladhar trees. The temples stood out tall and straight, in one line; we could make out Buddha and Ganesh faces cut in the rock face here and there.

District : Kangra , Location: Masroor / Masrur (Nagrota Suriyan)
Nearest town: Gaggal (airport) , Nearest train station: Pathankot and Kangra
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अट गिरनार(रैवताका) परिक्रममा


दशरथ वारोतरिया आडेड 15 न्यू फोटोस — वितदूर्गाप्रसाद गुप्ता आंड 39 अदर्स.
15 ह्र्स ·

अट गिरनार(रैवताका) परिक्रममा

अर्जुन ने सुभद्रा का हरण यही से किया.

श्री कृष्णा ने मुचकाण्ड के द्वारा कालयवन का वध यही पर करवाया.

सुदर्शना ज़ील यही पर थी

उज्जैनी के किंग भर्तुहरि की तपोभूमि.

भगवान दत्तात्रेय की तपस्थली .

माता अम्बा का मंदिर .

अशोक ; रुद्रदामन और स्कन्दगुप्ता के शिलालेख पर भी यही पर.

शक क्षत्रापो का कॅपिटल .
वल्लभी के मैत्रका भी यही से ‘वल्लभी ‘कॅपिटल शिफ्ट किया .

चुडाशमा राजवंश ने वामनस्थली (वंतली) से उपरकोट जूनागढ़ कॅपिटल शिफ्ट किया .

दामोदर कुण्ड

नरसिंह महेता की भूमि .

Dashrath Varotariya's photo.
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लिकेलीके ·  ·