परिक्षित घरेलु नुस्खे-स्वास्थ्य-सूत्र -1
http://vishwamitra-spiritualrevolution.blogspot.com/2013/10/blog-post_1833.html
It has been observed that if a person decides to donate the amount for the welfare of the humanity which is required for the treatment, the disease cures soon. Rule also suggests that the inspirational source/organization should also be served in any way to pay the debt. Any type of consultation can be provided by the author.
Remember that author is not from medical background, still a lot of persons are getting relief in crucial problems by mercy of God. The persons who try to follow the righteous path, gets benefits easily.
If persons are having bad habits or non vegetarian type, this therapy is not successful for them.
भोजन अगर पचे नहीं, अदरक टुकड़ा चार।
संग नमक नींबू रस, खाय होय उद्धार।।
सौंफ आंव अतिसार में, पेचिश में दे लाभ।
उदर शुल, कफ को, करे दूर यदि ले आप।।
भूख खूब खूल कर लगे, खाय करेला जोय।
नष्ट जीवाणु आंत के, रक्त दोष ना होय।।
आज सारी मानव जाति पाष्चात्य चिकित्सा प्रणाली (ऐलोपैथ) की विशाक्ता से पीड़ित है। “ाीघ्र परिणाम दिखाने की गुणवत्त्ाा के कारण एलोपैथी लोकप्रिय होती चली गयी पर किसी ने भी उसके दुश्परिणामों पर ध्यान नहीं दिया। आज समय की अनिवार्य आवष्यकता है कि आयुर्वेद का पुनर्जीवन कर इसे सर्वाज्ञनीन व सर्वसुलभ बनाया जाय। अनेक संस्थाओं (जैसे बाबा रामदेव, “ाान्तिकुन्ज, हरिद्वार व अन्य ने इस दिषा में बड़े सराहनीय प्रयास किए हैं। प्रयास केवल अपना मिषन या संस्था का नाम चमकाने के लिए न किए जाएं। अपितु बड़ी संख्या में इस तकनीक का प्रषिक्षण लोगों को दिया जाए। आयुर्वेदिक जड़ी बूटियां व रसायन बनाने की लुप्त होती जा रही पद्धतियों पर एक ओर बड़ी “ाोध की जाए दूसरी ओर निस्वार्थ भाव से लोगों को इस ओर प्रषिक्षित किया जाए।
“ारीर को स्वस्थ बनाए रखना सबसे बड़ा धर्म है। यह मानकर हम सभी स्वास्थ्य संरक्षण की एक क्रान्ति समाज में खड़ी करें व इसमें अपनी भागीदारी निभाएं।
घाव को पकाने व सुखाने में
ळमारी माता जी गुग्गुल की सहायता से किसी भी प्रकार के व्रण (फोड़ा, फुँसी,घाव, गाँठ) को ठीक कर दिया करती है। “ाुद्ध गुग्गुल को देसी घी में कूटकर एक पल्टिस बना कर व्रण के ऊपर बांध देते हैं। प्रत्येक 12 घंटे से 18 घंटे बाद पुल्टिस बदल दी जाती है। चार पांच दिन मेंं ही व्रण पककर फूट जाता है व पका व्रण सूख जाता है। अनेक प्रकार की दवार्इयाँ या सरजरी के उपरान्त भी जो व्रण समाप्त नहीं होते, इस विधि से कन्ट्रोल हो जाते हैं।
नेत्र ज्योतिवर्द्धक नुस्खा
मैंने अपने चिकित्सा काल में नेत्र ज्योति वर्द्धक नुस्खे का प्रयोग कई रोगीयों पर कराया जो की शतप्रतिशत सफल सिद्ध हुआ है। नुस्खा इस प्रकार है।
नुस्खा- बादाम 200 ग्राम , अखरोट 100 ग्राम , काली मिर्च 100 ग्राम , बारीक सौंफ 100 ग्राम ,मिश्री 600 ग्राम । बादाम को रात को जल में भिगोकर रख दें और प्रात: छिलके निकालकर धूप में अच्छी तरह सुखा लें। इसको व अन्य द्रव्यों को अलग-अलग कुट पीस कर महीन चुर्ण कर लें व अच्छे से मिलाकर एक जान करके कांच की बर्नी में रख लें। इस मिश्रण की बीस ग्राम मात्रा गाय के दूध के साथ प्रतिदिन रात को भोजन से दो घंटे बाद सेवन करें। इसके साथ उजाला वटी की दो गोली का भी सेवन करें। बच्चों को इससे आधी मात्रा दें तथा इस नुस्खे को कम से कम छ: माह तक प्रयोग करें और नेत्र ज्योति में चमत्कारी लाभ अनुभव कर लें
दर्दहर लाल तैल
-विनोद कुमार बंसल, 129, सिविल लाईन उतरी रेलवे स्टेशन वाली गली मुज्जफरनगर (उतर प्रदेश) मेबइल-0889954987
नुस्खा- सरसों का तेल 250 ग्राम , तारपीन का तैल 100 ग्राम , लहसुन की कलियां 50 ग्राम , रतनजोत 20 ग्राम , पुदीना सत्व 10 ग्राम , अजवाइन सत्व 10 ग्राम, देशी कपूर 10 ग्राम।
विधि- सर्वप्रथम पुदीना सत्व, अजवाइन सत्व व कपुर इन तीनों को एक साफ कांच की शशी में डालकर हिलाकर रख दें। 2-3 घटें में तीनों वस्तुए अपने आप द्रव्य रूप हो जाएगी। इसे ‘‘ अमृत धारा ‘‘ कहते है। इसे व तारपीन के तैल को अलग रख दें अब कढाही में सरसों का तैल गर्म करें तथा इसमें लहसुन की कलियां बारिक काटकर डाल दें। इसे इतना भूनें की कलियां काली पड़ जाए। आंच से नीचे उतार कर इसमें रतनजोत डाल दें तथा कलछी से मसल दें। ठण्डा होने पर इसे मसल कर कपड़े से छान लें। फिर इसमें अमृत धारा और तारपीन का तैल मिला दें। मालिश के लिए तैल तैयार है।
सावधानी- तैल बनाते समय ध्यान रखें कि अमृत धारा व तारपीन तैल अन्त में तैल छानने के बाद व ठण्डा होने पर मिलाना है।
बवासीर नाशक नुस्खा
प्रेषक- श्री अशोक कुमार शर्मा, नौशहरा जिला राजोरी ( जे एडं के ) मोबइल-09596619936
यह नुस्खा बवासीर को जड़ से मिटाने वाला है। बवासीर के रोगी को तले हुए,मिर्च मसालेदार पदार्थो का सेवन हमेशा के लिए त्याग देना चाहिए।
नुस्खा- कचुर, काली मिर्च, काली जीरी, नीम के पते व दारू हल्दी- इन सभी द्रव्यों को बराबर मात्रा में लेकर कुट पीस कर बारिक चर्ण कर लें और तीन बार छान कर बारिक शीशी में भर कर रख लें। इस चुर्ण की आधा चम्मच मात्रा खाली पेट सुबह-शाम ठंड़ पानी के साथ लें। 15 से 20 दिन में पूर्ण लाभ हो जाता है। लाभ होने पर इसे बंद कर दें। जरूरत पड़ने पर इसे दोबारा भी लिया जा सकता है।
दिमाग का रामबाण टॉनिक
प्रेषिका- डा सुमन अग्रवाल, 604, ध्वनि, प्लाट न 11 कांदतली (वेस्ट) मुम्बई -400067मोबइल-09322148838
आज की भाग दौड़ और तनाव भरी जीवन शैली से उत्पन्न चितां, शोक, भय तथा क्रोध आदि का मस्तिष्क पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। परिणाम स्वरूप स्मरणशक्ति की हानि, छोटी-छोटी बातों पर अत्याधिक भावुक होना व रोना, क्रोध, बेचैनी,सिरदर्द, आत्मविश्वास में कमी आदि लक्षण उत्पन्न होते है। इन सब लक्षणों से बचाव एवं मुक्ति के लिए एक अनुभुत नुस्खा प्रस्तुत है।
नुस्खा- आंवला, शखपुष्पी, ब्राह्मी, गिलोय व जटामांसी- इन सबको समान मात्रा में लेकर महीन चुर्ण करके अच्छी तरह मिलाकर रख लें। इसकी एक-एक चम्मच मात्रा शहद, जल या आंवले के शर्बत के साथ दिन में तीन बार सेवन करें। बच्चों को इसकी आधी मात्रा सेवन कराएं। यह नुस्खा बच्चों से लेकर वृद्ध तक सभी के लिए पूर्ण रूप से सुरक्षित है। गर्भवती महिला यदि पुरे गर्भ काल में नियमित इसका सेवन करती रहती है तो उनके होने वाले शिशु हर प्रकार के मानसिक रोगों से सुरिक्षित रहता है।
पित्त् विकार नाशक नुस्खा
प्रेषक – डॉ वी के पाठक, अखण्ड परमधाम, स्टेशन रोड, भरूआ, सुमेरपूर, हमीरपूर ( उतर प्रदेश )
मोबइल-09935989362
मेरी चिकित्सा काल के दौरान पित्त् विकार को नष्ट करने वाला एक नुस्खा सफल सिद्ध हुआ है। जनहित में इसे प्रकाशित कर रहा हुँ नुस्खा इस प्रकार है।
नुस्खा-अकीक पिष्टी 10 ग्राम , जहर मोहरा पिष्टी 10 ग्राम , गिलोय सत्व 10ग्राम , हरी इलायची के बीजों का चर्ण 10 ग्राम , प्रवाल पिष्टी 10 ग्राम , ग्लूकोज पाउडर 50 ग्राम – सबको मिलाकर एक जान कर ले। इस मिश्रण की बराबर 40 पुडिया बना लें। एक-एक पुडिया सुबह-शाम शहद, पानी या दूध से सेवन करें। इस नुस्खे के प्रयोग से अम्लपित, जलन, चक्कर, भ्रम, वमन, मितली आदि समस्याएं शर्तिया दूर हो जाती है।
मधुमेह नाशक नुस्खा
गुरमकी 100 ग्राम, मुसब्बिर 100 ग्राम, लोबान 100 ग्राम, कंलौजी 100 ग्राम,हीग अच्छी किस्म का इन सभी को 5 किलो पानी में उबलना है। 5-6 उबाल आने पर ठंड़ा करके छान ले। 100 ग्राम प्रतिदिन लें चालीस दिन तक सेवन करें
वायु विकार नाशक नुस्खा
250 ग्राम मेथीदाना, 100 ग्राम अजवाइन, काली जीरी 50 ग्राम इन सब को अलग-अलग भूनकर कूटकर चुर्ण बना लें। रात को सोते समय एक गिलास पानी अथवा दूध के साथ लें 15-20 दिन तक लें लाभ होगा।
खांसी का नुस्खा
शुद्ध घी(गाय या भैंस का)15-20 ग्राम और 15-20 ग्राम काली मिर्च-एक कटोरी में डाल कर आग पर गर्म करें। जब काली मिर्च कड़कड़ाने लगे और उपर आ जाए तब उतार कर थोड़ा ठंड़ा करके 20 ग्राम पीसी मिश्री या चीनी मिला लें। जब थोड़ा गर्म रहे तब इस मिश्रण को चबा-चबाकर खा ले और इसके बाद एक घण्टे तक कुछ खाएं पिएं नहीं। इसी तरह सुबह-शाम 2-3 दिन तक खाएं। खांसी ठीक हो जाएगी। (From Nirogdham Patrika 2012 with thanks)
यह सन्देश निर्मल महतो का नवाडी, बोकारो, झारखण्ड से है. इस सन्देश में निर्मलजी का कहना है की खांसी कोई रोग नहीं है यह तो रोग का लक्षण मात्र है. खांसी मुख्यतः तीन प्रकार की होती है सूखी खांसी, कफयुक्त खांसी और काली खांसी. सूखी खांसी में खांसने पर कठिनाई से थोडा-थोडा लसेदार कफयुक्त थूक निकलता है. कफयुक्त खांसी में खांसने से कफ निकलता है. काली खांसी ज्यादातर छोटे बच्चों को होती है. इस खांसी में खांसते-खांसते बच्चों का मुहँ लाल हो जाता है जिससे बच्चा बेहाल हो जाता है. इसके उपचार के लिए भूनी हुई 10 ग्राम फिटकरी और 100 ग्राम देसी खांड (मिश्री) को साथ में महीन पीसकर इसकी चार पुडिया बना कर रख लें. इसे सूखी खांसी होने की दशा में1 पुडिया आधा गिलास दूध में रात में सोते समय लें. कफयुक्त खांसी होने पर यही पुडिया आधा गिलास गुनगुने पानी के साथ ले. खांसी ठीक हो जानेपर यह दवाई खाना बंद कर दें. इस उपचार से पुरानी से पुरानी खांसी भी 2 हफ़्तों में ठीक होती है. कालीमिर्च और मिश्री सामान मात्रा में बारीक पीस ले और इस मिश्रण में इतना देसी घी मिलाये की इसकी आसानी से झरबेरियों (छोटे जंगली बेर) के बराबर गोलियाँ बन जाये. इसे दिन में चार बार चूसने से सभी प्रकार की सूखी और बलगमी खांसी ठीक हो जाती है. पहली गोली चूसने से ही आशातीत परिणाम मिलने लगता है. मुनक्का के बीज निकालकर इसमें तीन कालीमिर्च रखकर चबाये और रात को मुहँ में रखकर सोएँ इससे एक सप्ताह में खांसी ठीक हो जाएगी. 50 ग्राम कालीमिर्च के चूर्ण में 100 ग्राम गुड मिलाकर आधा-आधा ग्राम की गोलियाँ बना लें. इन गोलियों को दिन में 3-4 बार चूसने से खांसी ठीक हो जाएगी. निर्मल महतो का संपर्क है9204332389
बुखार की राम बाण दवा
गिलोय, नेपाली चिरायता, खूबकला, अजवाइन थोंड़ा-2 लेकर ड़ेढ गिलास पानी में डालकर पकाएं, पानी चौथाइ रह जाए तो पकाना बंद करें। 50 से 100 गा्रम गुनगुना मरीज को दो या तीन बार पिलाए। यह घोल छह: घण्टे बाद खराब होने लगता है अत: ताजा पकाएँ। उन्हीं जड़ी-बुटियों को एक बार पकाने के बाद दोबारा भी पका सकते है पंरतु दो बार से अधिक नहीं। गिलोय ताजा सर्वोच्य हो व चिरायता असली हों।
मानसिक शक्ति वर्धक
कई बार रोगी मानसिक थकान, परेशानी या बेचेनी सी अनुभव करता है इसके लिए जटामांसी के बाल या चूर्ण लें। उन्हें हवन करने के पश्चात् कुण्ड में डालें जब अग्नि न जल रही हो। अर्थात धुए को गहरी श्वास द्वारा ग्रहण करें। मस्तिष्क को तुरन्त ताकत महसूस देगी।
पथरी और वृक्कशुल
गुर्दे के दर्द व पथरी को नष्ट करने के लिए आपामार्ग पौधे की ताजी जड़ 5ग्राम लेकर पानी के साथ कुट पीस कर छान कर प्रतिदिन पीने से पथरी कट-कट कर मूत्र मार्ग से निकल जाती है और वृक्कशूल दूर होता है।
‘‘प्रात: काले र्मंधुयुक्तं वारि सेवित स्थौल्यनाशनम्।
उष्णमन्नस्य मण्डं वा पिबन् कृशतनुभवेत।।’’
अर्थात्-प्रात: काल मधु युक्त जल पीने से स्थूलता नष्ट होती है अथवा चावल की गरम माण्ड पीने से शरीर कृश होता है।
हृदय में होने वाले रक्त अवरोध का घरेलु नुस्खा
लौकी(घिया)काजूस(रस),तुलसी,पौदीनावकालीमिर्च-5-5नगमिलाकरदिनमेंतीनबारलेइसकेअलावाप्रात:नाशतेमेंएकचम्मच‘‘अर्जुनचूर्ण’’दुधकेसाथलेआशातीतलाभहोगा
परिक्षित घरेलु नुस्खे-स्वास्थ्य-सूत्र -2
चेतावनी : कृप्या दवाओं से इलाज रोगी की प्रकृति के अनुसार करें | उदाहरण के लिए उष्ण (गर्म ) अथवा पित्त प्रकृति के व्यक्ति लहसुन, कालीमिर्च, हल्दी आदि का प्रयोग सोच समझकर ही करें । इससे लाभ के स्थान पर हानि भी हो सकती है ।
(from Rajiv Dixit media)
ब्रेन मलेरिया, टाइफाईड, चिकुनगुनिया, डेंगू, स्वाइन फ्लू, इन्सेफेलाइटिस, माता व अन्य प्रकार के बुखार का इलाज
- 20 पत्ते तुलसी, नीम की गिलोई का सत् 5gm, सोंठ (सुखी अदरक) 10gm, 10छोटी पीपर के टुकड़े, सब आपके घर मे आसानी से उपलब्ध हो जाती है। सब एक जगह पर कूटने के बाद एक गिलास पानी में उबालकर काढ़ा बनाना है ठन्डा होने के बाद दिन में सुबह, दोपहर और श्याम तीन बार पीना चाहिए।
- नीम गिलोई – इसका जूस डेंगू रोग में श्वेत रक्त कणिकाए, प्लेटलेट्स कम होने पर तुरंत बढ़ाने में बहुत ज्यादा काम आता है।
- एक और अच्छी दवा है, एक पेड़ होता है उसे हिंदी में हारसिंगार कहते है, संस्कृत पे पारिजात कहते है, बंगला में शिउली कहते है, उस पेड़ पर छोटे छोटे सफ़ेद फूल आते है, और फुल की डंडी नारंगी रंग की होती है, और उसमे खुश्बू बहुत आती है, रात को फूल खिलते है और सुबह जमीन में गिर जाते है । इस पेड़ के पांच पत्ते तोड़ के पत्थर में पिस के चटनी बनाइये और एक ग्लास पानी में इतना गरम करो के पानी आधा हो जाये फिर इसको ठंडा करके रोज सुबह खाली पेट पियो तो बीस बीस साल पुराना गठिया का दर्द इससे ठीक हो जाता है । और यही पत्ते को पिस के गरम पानी में डाल के पियो तो बुखार ठीक कर देता है और जो बुखार किसी दवा से ठीक नही होता वो इससे ठीक होता है जैसे चिकनगुनिया का बुखार, डेंगू फीवर, Encephalitis , ब्रेन मलेरिया, ये सभी ठीक होते है ।
इनके प्रयोग से आप रोगी की जान बचा सकते हैं। मात्र इसकी 3 खुराक से लाखों लोगो को बुखार से मरने से बचाया जा सकता है ।
गला और छाती की बीमारी का इलाज :
गले में किनती भी ख़राब से ख़राब बीमारी हो, कोई भी इन्फेक्शन हो, इसकी सबसे अछि दावा है हल्दी । जैसे गले में दर्द है, खरास है , गले में खासी है, गले में कफ जमा है, गले में टोनसीलाईटिस हो गया ; ये सब बिमारिओं में आधा चम्मच कच्ची हल्दी का रस लेना और मुह खोल कर गले में डाल देना , और फिर थोड़ी देर चुप होके बैठ जाना तो ये हल्दी गले में निचे उतर जाएगी लार के साथ ; और एक खुराक में ही सब बीमारी ठीक होगी दुबारा डालने की जरुरत नही । ये छोटे बच्चों को तो जरुर करना; बच्चों के टोन्सिल जब बहुत तकलीफ देते है न तो हम ऑपरेशन करवाके उनको कटवाते है; वो करने की जरुरत नही है हल्दी से सब ठीक होता है ।
गले और छाती से जुडी हुई कुछ बीमारिया है जैसे खासी; इसका एक इलाज तो कच्ची हल्दी का रस है जो गले में डालने से तुतंत ठीक हो जाती है चाहे कितनी भी जोर की खासी हो । दूसरी दावा है अदरक, ये जो अदरक है इसका छोटा सा टुकड़ा मुह में रखलो और टफी की तरह चुसो खासी तुतंत बंध हो जाएगी । अगर किसीको खासते खासते चेहरा लाल पड़ गया हो तो अदरक का रस ले लो और उसमे थोड़ा पान का रस मिला लो दोनों एक एक चम्मच और उसमे मिलाना थोड़ा सा गुड या सेहद । अब इसको थोडा गरम करके पी लेना तो जिसको खासते खासते चेहरा लाल पड़ा है उसकी खासी एक मिनट में बंध हो जाएगी । और एक अछि दावा है , अनार का रस गरम करके पियो तो खासी तुरन्त ठीक होती है । काली मिर्च है गोल मिर्च इसको मुह में रख के चबालो , पीछे से गरम पानी पी लो तो खासी बंध हो जाएगी, काली मिर्च को चुसो तो भी खासी बंध हो जाती है ।
छाती की कुछ बिमारिया जैसे दमा, अस्थमा, ब्रोंकिओल अस्थमा, इन तीनो बीमारी का सबसे अच्छा दवा है गाय मूत्र; आधा कप गोमूत्र पियो सबेरे का ताजा ताजा तो दमा ठीक होता है, अस्थमा ठीक होता है, ब्रोंकिओल अस्थमा ठीक होता है । और गोमूत्र पिने से टीबी भी ठीक हो जाता है , लगातार पांच छे महीने पीना पड़ता है । दमा अस्थमा का और एक अछि दावा है दालचीनी, इसका पाउडर रोज सुबह आधे चम्मच खाली पेट गुड या सेहद मिलाके गरम पानी के साथ लेने से दमा अस्थमा ठीक कर देती है ।
पेट की वीमारी का इलाज :
अगर आपकी पेट ख़राब है दस्त हो गया है , बार बार आपको टॉयलेट जाना पड़ रहा है तो इसकी सबसे अछि दावा है जीरा | अध चम्मच जीरा चबाके खा लो पीछे से गुनगुना पानी पी लो तो दस्त एकदम बंध हो जाते है एक ही खुराख में |
अगर बहुत जादा दस्त हो … हर दो मिनिट में आपको टॉयलेट जाना पड़ रहा है तो आधा कप कच्चा दूध ले लो बिना गरम किया हुआ और उसमे निम्बू डालके जल्दी से पी लो | दूध फटने से पहले पीना है और बस एक ही खुराक लेना है बस इतने में ही खतरनाक दस्त ठीक हो जाते है |
और एक अछि दावा है ये जो बेल पत्र के पेड़ पर जो फल होते है उसका गुदा चबाके खा लो पीछे से थोडा पानी पी लो ये भी दस्त ठीक कर देता है | बेल का पाउडर मिलता है बाज़ार में उसका एक चम्मच गुनगुना पानी के साथ पी लो ये भी दस्त ठीक कर देता है |
पेट अगर आपका साफ़ नही रहता कब्जियत रहती है तो इसकी सबसे अछि दावा है अजवाईन | इसको गुड में मिलाके चबाके खाओ और पीछे से गरम पानी पी लो तो पेट तुरंत साफ़ होता है , रात को खा के सो जाओ सुबह उठते ही पेट साफ होगा |
और एक अछि दावा है पेट साफ करने की वो है त्रिफला चूर्ण , रात को सोते समय एक चम्मच त्रिफला चूर्ण ले लो पानी के साथ पेट साफ हो जायेगा |
पेट जुडी दो तिन ख़राब बिमारिय है जैसे बवासीर, पाईल्स, हेमोरोइड्स, फिसचुला,फिसर .. ये सब बिमारिओ में अछि दावा है मुली का रस | एक कप मुली का रस पियो खाना खाने के बाद दोपहर को या सबेरे पर शाम को मत पीना तो हर तरेह का बवासीर ठीक हो जाता है , भगंदर ठीक होता है फिसचुला, फिसर ठीक होता है .. अनार का रस पियो तो भी ठीक हो जाता है |
बिच्छू काटने पर चिकित्सा :
बिच्छू काटने पर बहुत दर्द होता है जिसको बिच्छू काटता है उसके सिवा और कोई जान नही सकता कितना भयंकर कष्ट होता है। तो बिच्छू काटने पर एक दावा है उसका नाम है Silicea 200 इसका लिकुइड 5 ml घर में रखे । बिच्छू काटने पर इस दावा को जीभ पर एक एक ड्रोप 10-10 मिनट अंतर पर तिन बार देना है । बिच्छू जब काटता है तो उसका जो डंक है न उसको अन्दर छोड़ देता है वोही दर्द करता है । इस डंक को बाहर निकलना आसान काम नही है, डॉक्टर के पास जायेंगे वो काट करेगा चीरा लगायेगा फिर खिंच के निकालेगा उसमे उसमे ब्लीडिंग भी होगी तकलीफ भी होगी । ये मेडिसिन इतनी बेहतरीन मेडिसिन है के आप इसके तिन डोस देंगे 10-10 मिनट पर एक एक बूंद और आप देखेंगे वो डंक अपने आप निकल कर बाहर आ जायेगा। सिर्फ तिन डोस में आधे घन्टे में आप रोगी को ठीक कर सकते है। बहुत जबरदस्त मेडिसिन है ये Silicea 200. और ये मेडिसिन मिट्टी से बनती है,वो नदी कि मिट्टी होती है न जिसमे थोड़ी बालू रहती है उसी से ये मेडिसिन बनती है ।
इस मेडिसिन को और भी बहुत सारी काम में आती है । अगर आप सिलाई मशीन में काम करती है तो कभी कभी सुई चुव जाती है और अन्दर टूट जाती है उस समय भी आप ये मेडिसिन ले लीजिये ये सुई को भी बाहर निकाल देगा। आप इस मेडिसिन को और भी कई केसेस में व्यवहार कर सकते है जैसे कांटा लग गया हो , कांच घुस गया हो, ततैया ने काट लिया हो, मधुमखी ने काट लिया हो ये सब जो काटने वाले अन्दर जो छोड़ देते है वो सब के लिए आप इसको ले सकते है । बहुत तेज दर्द निवारक है और जो कुछ अन्दर छुटा हुआ है उसको बाहर निकलने की मेडिसिन है ।
बहुत सस्ता मेडिसिन है 5 ml सिर्फ 10 रूपए की आती है इससे आप कम से कम 50से 100 लोगों का भला कर सकते है ।
सुगर की चिकित्सा और सावधानिया
आजकल मधुमेह की बीमारी आम बीमारी है। डाईबेटिस भारत मे 5 करोड़ 70 लाख लोगोंकों है और 3 करोड़ लोगों को हो जाएगी अगले कुछ सालों मे सरकार ये कह रही है । हर दो मिनट मे एक मौत हो रही है डाईबेटिस से और complication Complications तो बहुत हो रहे है… किसी की किडनी ख़राब हो रही है, किसीका लीवर ख़राब हो रहा है किसीको ब्रेन हेमारेज हो रहा है, किसीको पैरालाईसीस हो रहा है,किसीको ब्रेन स्ट्रोक आ रहा है, किसीको कार्डियक अरेस्ट हो रहा है, किसी को हार्ट अटैक आ रहा है Complications बहुत है खतरनाक है ।
जब किसी व्यक्ति को मधुमेह की बीमारी होती है। इसका मतलब है वह व्यक्ति दिन भर में जितनी भी मीठी चीजें खाता है (चीनी, मिठाई, शक्कर, गुड़ आदि) वह ठीक प्रकार से नहीं पचती अर्थात उस व्यक्ति का अग्नाशय उचित मात्रा में उन चीजों से इन्सुलिन नहीं बना पाता इसलिये वह चीनी तत्व मूत्र के साथ सीधा निकलता है। इसे पेशाब में शुगर आना भी कहते हैं। जिन लोगों को अधिक चिंता, मोह, लालच, तनाव रहते हैं, उन लोगों को मधुमेह की बीमारी अधिक होती है। मधुमेह रोग में शुरू में तो भूख बहुत लगती है। लेकिन धीरे-धीरे भूख कम हो जाती है। शरीर सुखने लगता है,कब्ज की शिकायत रहने लगती है। अधिक पेशाब आना और पेशाब में चीनी आना शुरू हो जाती है और रेागी का वजन कम होता जाता है। शरीर में कहीं भी जख्म/घाव होने पर वह जल्दी नहीं भरता।
तो ऐसी स्थिति मे हम क्या करें ? राजीव भाई की एक छोटी सी सलाह है के आप इन्सुलिन पर जादा निर्भर न करे क्योंकि यह इन्सुलिन डाईबेटिस से भी जादा खतरनाक है, साइड इफेक्ट्स बहुत है ।
इस बीमारी के घरेलू उपचार निम्न लिखित हैं।
आयुर्वेद की एक दावा है जो आप घर मे भी बना सकते है –
- 100 ग्राम मेथी का दाना
- 100 ग्राम तेजपत्ता
- 150 ग्राम जामुन की बीज
- 250 ग्राम बेल के पत्ते
इन सबको धुप मे सुखा कर पत्थर मे पिस कर पाउडर बना कर आपस मे मिला ले,यही औषधि है ।
औषधि लेने की पद्धति : सुबह नास्ता करने से एक घंटे पहले एक चम्मच गरम पानी के साथ ले फिर शाम को खाना खाने से एक घंटे पहले ले । तो सुबह शाम एक एक चम्मच पाउडर खाना खाने से पहले गरम पानी के साथ आपको लेना है । 45-60 दिन अगर आप ये दावा ले लिया तो आपकी डाईबेटिस बिलकुल ठीक हो जाएगी ।
ये औषधि बनाने मे 20 से 25 रूपया खर्च आएगा और ये औषधि तीन महिना तक चलेगी और उतने दिनों मे आपकी सुगर ठीक हो जाएगी ।
सावधानी :
- सुगर के रोगी ऐसी चीजे जादा खाए जिसमे फाइबर हो रेशे जादा हो, High Fiber Low Fat Diet घी तेल वाली डायेट कम हो और फाइबर वाली जादा हो रेशेदार चीजे जादा खाए। सब्जिया मे बहुत रेशे है वो खाए, डाल जो छिलके वाली हो वो खाए, मोटा अनाज जादा खाए, फल ऐसी खाए जिनमे रेशा बहुत है ।
- चीनी कभी ना खाए, डाईबेटिस की बीमारी को ठीक होने मे चीनी सबसे बड़ी रुकावट है । लेकिन आप गुड़ खा सकते है ।
- दूध और दूध से बनी कोई भी चीज नही खाना ।
- प्रेशर कुकर और अलुमिनम के बर्तन मे खाना न बनाए ।
- रात का खाना सूर्यास्त के पूर्व करना होगा ।
जो डाईबेटिस आनुवंशिक होतें है वो कभी पूरी ठीक नही होता सिर्फ कण्ट्रोल होता है उनको ये दावा पूरी जिन्दगी खानी पड़ेगी पर जिनको आनुवंशिक नही है उनका पूरा ठीक होता है ।
In case of narrow veins (sikudan) AMAR BAIL is supposed to be very effective to avoid ballon therapy
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