मई जब लंडन गया था . तब देखा १००० मेसे एक आदमी होगा जिसको बाइबल ना आती हो . सब को बाइबल पता और पढ़ाई के साथ . वहा सादी भी पादरी उनको ही करवाता है जो सनडे रेग्युलर चर्च मे जाता हो . हमारे यहा भी आइसा ही था . जो जनेऊ धारण करते उनको ही सादी का हक मिलता था। मई आज यहा कह रहा हु . भारत मे लोग कितना पासा दान देते है ? सिर्फ बम्बई मे गणेश पंडाल मे १२ किलो सोना !!!!! लेकिन ज्ञान के बारे मे सून्य …!! किसीको रामायण , महाभारत, गीता वेद और गणेश के बारे मे कुछ नहीं पता. और जो मदिरो मे पैसा चढ़ावा दिया जाता है वो तो हज के सब सीडी और माड्रेसा मे चला जाता है .
ये ज्ञान विस्तार की बात कौन करेगा ? हम भगवान को जब पैसा देते है तो वो भगवान का बन जाता है . उनका अधिकार बन जाता है . भगवान को कभी पूछा की आपके पैसो का हम क्या करे ? गीता मे कहा है …जरा पढ़ो तो सही।
आज भगवान का सारा पैसा उनके विचारो के प्रसार मे लगाना चाहिये . रामायण , गीता , महाभारत और वेद मानव मात्रा के लिये है वो समाज मे जाने चाहिये . मई पूछता हु आप अपने लड़को मे तेजस्विता , साहसिकता, निडरता, सत्यप्रियता, मातृभक्त , पितृ भक्त देखना चाहते हैकि नहीं ? ये सब गुण कहा मिलेंगे ? बुजुर्गो से अलग रह कर पति कमाने जाता है पत्नी कमाने जाती है समय कब मिलेगा ?
लोग मानते है वेद भक्ति विसायक है ….लेकिन सत्य यह है वेद जीवन विसायक है. वस्तु शास्त्रा ( घर बनाने के लिये ), आयुर्वेद ( दवा के लिये ) गान्धर्वा वेद ( संगीत कला ) इत्यादि वेद से ही लिया गया है.
मई एक सत्य उदाहरण देता हु रामायण पढ़ने के बाद स्त्री के पति के लिये फरियाद काम हो जाती है सीता का राम के लिये प्यार देख कर उनको भी आइसा बनाने को जी चाहता है
इतनाही कहता हु . भगवान के विचार हमारे जीवन मे , घर घर , समाज मे और विस्व मे जाने चाहिये
