Posted in गौ माता - Gau maata

Story of cow saviour Emperor Dileep


Story of cow saviour Emperor Dileep

The following incident from the life of Emperor Dileep of the Raghu dynasty (which traces its roots to ShriRam) is famous. King Dileep was following a 'Gouvrat' (austerities which involve attending to the comforts of a cow). He was attending on 'Nandini' the divine cow.
King Dileep followed her like a shadow to ensure her safety.

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Story of cow saviour Emperor Dileep

The following incident from the life of Emperor Dileep of the Raghu dynasty (which traces its roots to ShriRam) is famous. King Dileep was following a ‘Gouvrat’ (austerities which involve attending to the comforts of a cow). He was attending on ‘Nandini’ the divine cow.
King Dileep followed her like a shadow to ensure her safety.

Posted in हिन्दू पतन

मित्रो,गत कुछ दशकोँ से छद्म सेकुलरवादियोँ द्वारा सूफी सन्तोँ को महिमामण्डित करने का जोरदार अभियान देश मेँ चल रहा है।


मित्रो,गत कुछ दशकोँ से छद्म सेकुलरवादियोँ द्वारा सूफी सन्तोँ को महिमामण्डित करने का जोरदार अभियान देश मेँ चल रहा है। इन कथित सूफी सन्तोँ के वार्षिक उर्सो पर राष्ट्रपति से प्रधानमत्रीँ तक भाग ले रहे है। इनकी दरगाहोँ के विस्तार एवं सौदर्यीकरण पर देश के शासकोँ ने अरबोँ रूपये खर्च किये। इन्हेँ धार्मिक भेदभाओँ से ऊपर उठकर सच्चा मानववादी बताया जाता है।खास बात यह है कि इनके मजारोँ पर हाजिरी देने वाले 80% लोग हिन्दू होते हैँ। मीडिया भी उन्हेँ राष्ट्रीय एकता के प्रतीक के रूप मेँ प्रस्तुत करता है।
परन्तु मित्रोँ, ऐतिहासिक तथ्योँ के अनुसार देश के अधिकांश तथाकथित सूफी सन्त इस्लाम के जोशीले प्रचारक थे।
हिन्दुओँ के धर्मान्तरण एवं उनके उपासना स्थलोँ को नष्ट करनेँ मेँ उन्होनेँ जोर शोर से भाग लिया था।
अजमेर के बहुचर्चित ‘सूफी’ ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती को भला कौन नहीँ जानता! ‘सिरत अल् कुतुब’ के अनुसार उसने सात लाख हिन्दुओँ को मुसलमान बनाया था। ‘मजलिस सूफिया’ नामक ग्रन्थ के अनुसार जब वह मक्का मेँ हज करने के लिए गया था,तो उसे यह निर्देश दिया गया था कि वह हिन्दुस्तान जाये और वहाँ पर कुफ्र के अन्धकार को
दूर करके इस्लाम का प्रचार करे।
‘मराकत इसरार’ नामक एक ग्रन्थ के अनुसार उसने तीसरी शादी एक हिन्दू लड़की का जबरन् धर्मान्तरण करके की थी। यह बेबस महिता एक राजा की पुत्री थी,जो कि युद्ध मेँ चिश्ती मियाँ के हाथ लगी थी। उसने इसका नाम उम्मत अल्लाह रखा, जिससे एक पुत्री बीबी हाफिज जमाल पैदा हुई. जिसका मजार इसकी दरगाह मेँ मौजूद है।
‘तारीख-ए-औलिया’ के अनुसार ख्वाजा ने अजमेर के तत्कालीन शासक पृथ्वीराज को उनके गुरू अजीतपाल जोगी के माध्यम से मुसलमान बनने की दावत दी थी, जिसे उन्होनेँ ठुकरा दिया था।
इस पर ख्वाजा ने तैश मेँ आकर मुस्लिम शासक मुहम्मद गोरी को भारत पर हमला करने के लिए उकसाया था।

हमारे प्रश्न- मित्रो, मैँ पूछना चाहता हूँ कि यदि चिश्ती वास्तव मेँ सन्त था और सभी धर्मो को एक समान मानता था, तो उसे सात लाख हिन्दुओँ को मुसलमान बनाने की क्या जरूरत थी?
क्या यह मानवता है कि युद्ध मेँ पराजित एक किशोरी का बलात् धर्मान्तरण कर निकाह किया जाये?
यदि वह सर्व धर्म की एकता मेँ विश्वास रखता था, तो फिर उसने मोहम्मद गोरी को भारत पर हमला करने और हिन्दू मन्दिरोँ को ध्वस्त करने लिए क्योँ प्रेरित किया था?

मित्रोँ, ये प्रश्न ऐसे हैँ,जिन पर उन लोगोँ को गम्भीरता से विचार करना चाहिए जो कि ख्वाजा को एक सेकुलर ‘सन्त’ के रूप मेँ महिमामण्डित करने का जोरदार अभियान चला रहेँ हैँ। और विशेषत: हमारे हिन्दू भाई जरूर सत्य को पहचाने।

मित्रो,गत कुछ दशकोँ से छद्म सेकुलरवादियोँ द्वारा सूफी सन्तोँ को महिमामण्डित करने का जोरदार अभियान देश मेँ चल रहा है। इन कथित सूफी सन्तोँ के वार्षिक उर्सो पर राष्ट्रपति से प्रधानमत्रीँ तक भाग ले रहे है। इनकी दरगाहोँ के विस्तार एवं सौदर्यीकरण पर देश के शासकोँ ने अरबोँ रूपये खर्च किये। इन्हेँ धार्मिक भेदभाओँ से ऊपर उठकर सच्चा मानववादी बताया जाता है।खास बात यह है कि इनके मजारोँ पर हाजिरी देने वाले 80% लोग हिन्दू होते हैँ। मीडिया भी उन्हेँ राष्ट्रीय एकता के प्रतीक के रूप मेँ प्रस्तुत करता है।
परन्तु मित्रोँ, ऐतिहासिक तथ्योँ के अनुसार देश के अधिकांश तथाकथित सूफी सन्त इस्लाम के जोशीले प्रचारक थे।
हिन्दुओँ के धर्मान्तरण एवं उनके उपासना स्थलोँ को नष्ट करनेँ मेँ उन्होनेँ जोर शोर से भाग लिया था।
अजमेर के बहुचर्चित 'सूफी' ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती को भला कौन नहीँ जानता! 'सिरत अल् कुतुब' के अनुसार उसने सात लाख हिन्दुओँ को मुसलमान बनाया था। 'मजलिस सूफिया' नामक ग्रन्थ के अनुसार जब वह मक्का मेँ हज करने के लिए गया था,तो उसे यह निर्देश दिया गया था कि वह हिन्दुस्तान जाये और वहाँ पर कुफ्र के अन्धकार को
दूर करके इस्लाम का प्रचार करे।
'मराकत इसरार' नामक एक ग्रन्थ के अनुसार उसने तीसरी शादी एक हिन्दू लड़की का जबरन् धर्मान्तरण करके की थी। यह बेबस महिता एक राजा की पुत्री थी,जो कि युद्ध मेँ चिश्ती मियाँ के हाथ लगी थी। उसने इसका नाम उम्मत अल्लाह रखा, जिससे एक पुत्री बीबी हाफिज जमाल पैदा हुई. जिसका मजार इसकी दरगाह मेँ मौजूद है।
'तारीख-ए-औलिया' के अनुसार ख्वाजा ने अजमेर के तत्कालीन शासक पृथ्वीराज को उनके गुरू अजीतपाल जोगी के माध्यम से मुसलमान बनने की दावत दी थी, जिसे उन्होनेँ ठुकरा दिया था।
इस पर ख्वाजा ने तैश मेँ आकर मुस्लिम शासक मुहम्मद गोरी को भारत पर हमला करने के लिए उकसाया था।

हमारे प्रश्न- मित्रो, मैँ पूछना चाहता हूँ कि यदि चिश्ती वास्तव मेँ सन्त था और सभी धर्मो को एक समान मानता था, तो उसे सात लाख हिन्दुओँ को मुसलमान बनाने की क्या जरूरत थी?
क्या यह मानवता है कि युद्ध मेँ पराजित एक किशोरी का बलात् धर्मान्तरण कर निकाह किया जाये?
यदि वह सर्व धर्म की एकता मेँ विश्वास रखता था, तो फिर उसने मोहम्मद गोरी को भारत पर हमला करने और हिन्दू मन्दिरोँ को ध्वस्त करने लिए क्योँ प्रेरित किया था?

मित्रोँ, ये प्रश्न ऐसे हैँ,जिन पर उन लोगोँ को गम्भीरता से विचार करना चाहिए जो कि ख्वाजा को एक सेकुलर 'सन्त' के रूप मेँ महिमामण्डित करने का जोरदार अभियान चला रहेँ हैँ। और विशेषत: हमारे हिन्दू भाई जरूर सत्य को पहचाने।
Posted in हिन्दू पतन

ये समझ नहीं आया यार आज तक कि पाकिस्तान में 1947 में 25 % जो हिन्दू सिख क्रिस्चियन वहाँ बंटवारे के बाद रह गए थे


ये समझ नहीं आया यार आज तक कि पाकिस्तान में 1947 में 25 % जो हिन्दू सिख क्रिस्चियन वहाँ बंटवारे के बाद रह गए थे … वो आज सिर्फ 2 % क्यूँ और कैसे हो गए ??
कोई महासेक्युलर अपने “बुद्धिजीवी दिमाग” का प्रयोग करके इस पहेली को सुलझाएं

ये समझ नहीं आया यार आज तक कि पाकिस्तान में 1947 में 25 % जो हिन्दू सिख क्रिस्चियन वहाँ बंटवारे के बाद रह गए थे ... वो आज सिर्फ 2 % क्यूँ और कैसे हो गए ?? 
कोई महासेक्युलर अपने "बुद्धिजीवी दिमाग" का प्रयोग करके इस पहेली को सुलझाएं
Posted in भारतीय मंदिर - Bharatiya Mandir

यह है रावण का मंदिर, पूजा के लिए करना होता है राम नाम का जाप, जाने क्यों


यह है रावण का मंदिर, पूजा के लिए करना होता है राम नाम का जाप, जाने क्यों

Avinash rawat|Oct 04, 2014, 10:07AM IST

1 of 13
यह है रावण का मंदिर, पूजा के लिए करना होता है राम नाम का जाप, जाने क्यों
वैभव नगर स्थित रावण का मंदिर।
इंदौर. शहर में एक ऐसा भी मंदिर है जहां पर भगवान राम और हनुमानजी के साथ रावण, कुंभकरण और मेघनाथ की भी पूजा होती है। यहां प्रवेश सशर्त है। प्रवेश से पहले आपको 108 बार राम नाम लिखने की शर्त स्वीकार करनी पड़ती है। अपने तरह का यह अनोखा मंदिर वैभव नगर में है। बंगाली चौराहे से बायपास की ओर जाते समय बायीं ओर वैभव नगर में यह अनोखा मंदिर पड़ता है। यहां विभिन्न भगवान के साथ-साथ रामायणकालीन राक्षसों की मूर्तियां स्थापित की गई हैं। राम का निराला धाम नामक इस मंदिर में भगवान के साथ राक्षसों को भी फूल चढ़ाए जाते हैं।

राम से जुड़ा हर पात्र पूज्य : मंदिर के संस्थापक, संचालक और पुजारी का कहना है कि राम से जुड़ा हर पात्र पूजनीय है। इसीलिए यहां भगवान के साथ राक्षसों की मूर्तियां भी स्थापित की गई हैं। इस मंदिर की स्थापना 1990 में की गई थी और अब भी काम चल रहा है। वे कहते हैं कि जिसे हमने कभी देखा नहीं उसकी बुराई करने का हमें कोई अधिकार नहीं है। महापंडित और ज्ञानी होने के नाते रावण हमेशा पूजनीय रहेगा।

सशर्त ही मिलता है प्रवेश : इस मंदिर में आपको तभी प्रवेश मिलेगा जब आप 108 बार राम नाम लिखने की शर्त मानें। मुख्यद्वार सहित पूरे परिसर में प्रवेश संबंधी शर्त के चेतावनी बोर्ड बड़े-बड़े अक्षरों में लगे हैं। आप नेता हों या अभिनेता या सामान्य इंसान किसी को भी नियम से छूट नहीं है। निर्धारित फॉर्मेट में लाल पेन से श्रीराम नाम लिखना होता है। पुजारी खुद भी हनुमान प्रतिमा के सामने बैठकर लगातार रामचरित मानस पाठ करते हैं। मंदिर में भगवान राम के अलावा दशानन, कुंभकर्ण, विभीषण, मेघनाथ, मंदोदरी, कैकेयी, मंथरा, शूर्पणखा की भी प्रतिमाएं हैं।
लंका की तर्ज पर गुंबज, शनि का संदेश भी : लंका में विभीषण के निवास स्थान पर बनी गुंबज में अंदर-बाहर सब जगह राम नाम लिखा हुआ था। इसी की तर्ज पर यहां भी एक गुंबज बनाई गई है, जिसमें ऊपर-नीचे, अंदर-बाहर हर तरफ राम नाम लिखा है। इसके अलावा कई छोटे मंदिर भी बनाए गए हैं। इनकी गुंबज पर भी हर ओर राम नाम लिखा हुआ है। 108 बार राम नाम लिखने के लिए लगाए गए एक बोर्ड पर शनि महाराज का संदेश भी लिखा है। इस मंदिर में किसी तरह का चढ़ावा या प्रसाद लाने पर मनाही है। यहां न तो एक भी दानपेटी है न ही किसी को भगवान की अगरबत्ती लगाने या जल व प्रसाद चढ़ाने की अनुमति। यहां के पुजारी के मुताबिक जिनकी कोई मनोकामना है वे यहां आकर बस 108 बार राम नाम लिखें इतना काफी है।
Posted in गौ माता - Gau maata

बकरीद में गौ-हत्या क्यूँ ?


बकरीद में गौ-हत्या क्यूँ ?
1000 साल ‪#‎हिंदुस्तान‬ की जमीं पर रहने के बाद जो मुसलमान ये नहीं समझ पाए कि हिन्दुओं में ‪#‎गाय‬ को पवित्र मान कर उसकी पूजा की जाती है तो कम से कम उसकी कुर्बानी ना दे, वो मुसलमान भला हुन्दुओं के भाई कैसे हो सकते हैं । ये गाय की हत्या इसलिए नहीं करते कि इससे इनके ‪#‎अल्लाह‬ खुश होंगे बल्कि इसलिए करते हैं ताकि ये हिन्दुओं को नीचा दिखा सके ।
त्यौहार तो तुम्हारा ‪#‎बकरीद‬ (बकरा ईद ) है ना कि गौ – ईद, फिर गाय की हत्या क्यूँ ? क्या तुम्हारा अल्लाह तुम्हे यही सिखाता है कि जिस जमीन पर रहो उसके ही संस्कारों की हत्या कर दो ?
हिंदुस्तान में गाय को तब से पवित्र माना जाता है जब से यहाँ सभ्यता ने जन्म लिया । इसमें‪#‎हिन्दू‬ या ‪#‎मुस्लमान‬ होने जैसी बात नहीं । गाय की पूजा करना इस जमीन के संस्कार हैं ।
फिर गौ हत्या क्यूँ ? किसी भी जीव को पवित्र मान कर पूजा करना कोई बुरे संस्कार नहीं हैं जिसे बदला जाना चाहिए ।
तो फिर मुसलमानों को क्या ऐसा लगता है कि उनके ऐसे घिनौने काम से उनके अल्लाह खुश होंगे । मुझे तो नहीं लगता कि दुनिया का कोई भी ‪#‎भगवान‬ इस ढंग से एक इंसान को दुसरे इंसान से लड़ाने वाले काम से खुश होगा और अगर वो खुश होता है तो निश्चित तौर पर वो भगवान नहीं हो सकता , वो सिर्फ ‪#‎शैतान‬ ही हो सकता है ।

Posted in भारत का गुप्त इतिहास- Bharat Ka rahasyamay Itihaas

अक्बर का सच .. जलालुद्दीन मोहम्मद अकबर 1556-1605


अक्बर का सच ..
जलालुद्दीन मोहम्मद अकबर 1556-1605
ई o !
मुगल वंश का तीसरा बादशाह ! जिसे
अकबर महान
कहा गया ! कहा जाता हे उसने तीन
धर्मों को एक
किया ( हिंदू इस्लाम ईसाई ) !
सती प्रथा गौ हत्या और
जजिया पर प्रतिबन्ध लगाया ! इसी पर
प्रतुत हे ये
लेख पूरा पढ़े !
1-सन 1556 अकबर की विजय हिंदू
राजा हेमु के
विरुद्ध कहा जाता हे अकबर ने
उसका सिर काटने से मना कर दिया !
लेकिन नगर के तोरण और
क्यों लटकाया ?
2 – सन 1561 आम्बेर के राजा भारमल
की पुत्री का साम्बर से अपहरण !
विवाह
नहीं हुआ था सरीफुद्दीन
द्वारा एक साल तक आक्रमण हुआ था !
3 – सन 1561 एटा के आठ गाँव के 1000
निर्दोष लोगों को एक घर
में जिंदा इस लिये
जला दिया क्योंकि उन्हौने इस्लाम
नहीं स्वीकार किया !
4–सन 1564
गोढवाना की रानी दुर्गावती को
युद्ध में
जिंदा पकड़ना चाहता था ताकि उसे
अपनी हरम
में डाल सके ! रानी ने ये जान
लिया तो आत्महत्या कर
लीं ! और अकबर ने रानी कि बहन और
पुत्र बधु को अपने हरम में डाल दिया !
रानी उस समय
40 वर्ष की थी और अकबर 22 का
! 5– सन 1568 फरबरी 24 चित्तोड
जीतने के बाद जब राजपूतो ने
अधीनता नहीं
स्वीकारी तो 8000 राजपूत सैनिक और
4000 हज़ार
किशानो की हत्या का आदेश दिया !
और
जब तक हत्या चालू रही जब तक 3000
मासूम बूढ़े
बच्चे और औरतें न मारी गयीं ! उसमें
उपवीति (जनेऊ )की शन्ख्या साढ़े
चौहत्तर मन थीं !
6– 2 सितम्बर 1573 अहमदाबाद विजय
में 2000 सैनिकों के नर
मुंड से मीनार बनाई !
7– 3 मार्च 1575 बंगाल विजय इतने
सैनिकोंकी हत्या की की आठ
मंजिल उंची मीनार बन जाती !
8–1582 वीस मासूम बच्चों पर
भाषा परीक्षण किया और ऐसे घर में
रखा जहाँ किसी भी प्रकार
की आबाज़ न जाए और उन मासूम
बच्चों की ज़िंदगी बर्बाद कर
दी वो गुंगे हो कर मर गये ! ये परीक्षण
दोवारा 1589 में 12 बच्चों पर किया !
9– 1567 थानेसर में संन्यासियों के
दो समुदाय में न्याय
की जगह आपस में लड़वा कर अपने
सैनिकों द्वारा उनकी हत्या करवा दी !
नगर
कोट के जीत कर कान्गडा देवी मंदिर
की मूर्तिखण्डित की औरलूट कर 200
काली गाय की हत्या कर के गौ रक्त
को जूतों में भरकर मंदिर
की प्राचीरो पर
छाप लगाई !
10 — जैन संत हरिविजय के समय
1583-85 जजिया कर और
गौ हत्या पर पाबंदी लगाने
की घोषणा की जो की
झूठी थी फिर दो वारा जैन
शांति विजय
को भी झूठी घोषणा की !
जबकी अमल एक भी बार
नहीं हुआ ! फिर रनथम्बोरके राजा ने
भी भी जजिया कर छूट
की माँग
की जो की उसी के
अधीन राजा था ! यदि जजिया कर
माफ कर दिया था तब
उसका अधीनस्थ राजा क्योंबार बार
माँग करता था !
11– अकबर ने सती प्रथा बंद की ! ये
एक धोखा हे वास्तव में उसे जो हिंदू
स्त्री पसंद आ
जाती उसके पति को मारकर उसे
सती होने
से रोक कर अपने हरम में डाल
देता था जेसा की पन्ना के
राजकुमारको मारकर
उसकी पत्नी को और भारमल के
भतीजे जयमल को मरबा कर
उसकी पत्नी को अपने हरम में डाल
दिया ! इसका दूसरा प्रमाण हे
कि अकबर
सती प्रथा को बड़े चाव से विदेशिओ
को दिखाने के लिये
ऊँचे महल पर चारों और से खड़े हो कर
देखता था ! एक अंग्रेज
रूडोल्फ ने अकबर की घोर निंदा की !
12- 4 अगस्त 1582 को दो ईसाई
युवको की इस लिये
हत्या करदी कि उन्हौंने इस्लाम
नहीं स्वीकार किया !
13–अकबर स्वयं पैगम्बर
बनाना चाहता था इसलिये उसने
दीन ए इलाही धर्म
की सुरुआत की जिसका मक़सद मुसलमान
बनाना था ! उसन एक
झूठा अल्लोपनिषद लिख बाया जिसमें
उसकी झूठी तारीफ
लिखी ! दिन ए इलाही को जिन
अठारहलोगो ने माना उनमें बीरबल
अकेला हिंदू था !
14 हिंदुओं पर अत्याचार इससे
पता चलता हे कि अकबर अपने पैर
धो कर उससे इलाज करता हे हिंदुओं
को पिलाता था ! यदि कोई
मुसलमान उस समय उसके सामने
पहुँचाता तो उसे डाँट देता था !
15 – जो हिंदू उसके यहाँ रहते
उनकी बुरीदसा थी तान सेन
के मुँह में दरबारी मुसलमाना अपने मुँह
का चबा पान
ठूंस देते थे ! भगवन्त दास और दश वन्त ने
तंग
आकर
आत्मा हत्या कर ली ! ये हे अकबर महान
की कुछ जीवन दिगदर्शिका
अकबर जेसे हरामी को भारत के इतिहास
में महान का
दर्ज दिलाने वाले गाँधी और नेहरू ने
उसकी असलियत पर पर्दा डाल कर नई
पीढी को बर्बाद करने का काम
किया इस पढ़
कर आप भी अकबर नाम के सुनवर की
असलियत जाने
* अकबर की पहली शादी
उसके चाचा हिन्दल की बेटी रुकैया बेगम
से हुई थी
* अकबर ने अपने अभिभाभक और
विक्रमादित्य हेमू को हराने
वाले बहराम खाँ को इसलिये
हाँथियोँ से कुचलकर
मरवा दिया था क्योँकि उसकी
शादी अकबर की बुआ की
लड़की सलीमा बेगम से तय हुई
थी जिस पर अकबर की नजर
थी … बहराम खां को मरवाने के
बाद अकबर ने सलीमा बेगम(अब्दुल
रहीम खानखाना की माता) अपने हरम
में
रखा ….
*इतिहास कहता हैँ कि फतेहपुर
सीकरी का निर्माण अकबर ने
कराया ??
अपने संरक्षक बैहराम खाँ से विवाद के
बाद जब अकबर को
गुप्तचरोँ ने सूचित किया कि बैहराम
खाँ उस कैद करना चाहता है तो
उसने तुरन्त अपनी राजधानी आगरे से
हटाक फतेहपुर सीकरी स्थानान्तरित कर
ली इससे स्वत: ही सिद्ध होता है कि
फतेहपुर सीकरी का आसतित्व पहले
से था फतेहपुर सीकरी तब
भी था जब
अकबर का दादा बाबर..
महाराणा संग्राम सिंह
(रांणा सांगा) से लडने गया..
उनकी लडाई फतेहपुर
सीकरी से 10 कि.मी. दूर
खानवा(भरतपुर) के
मैदान में हुई… वहां जनश्रुति है कि फतेहपुर
सीकरी को देवों ने बसाया.. और मात्र
एक
रात में बुलंद
दरवाजा तैयार हो गया… आज भी उसके
अंदर एक
स्थान है.. जिसे सीता रसोई
कहा जाता है….
* अकबर ने खान देश के शासक
मिर्जा मुबारक शाह
की बेटी को हरम में
डाला था (सितम्बर
१५६४ इसवी)
* 23 फरवरी १५६७ को अकबर ने चित्तोड़
में
कत्लेआम करवाया ;…जिसमे करीब ३०
हज़ार लोग मारे
गए और कई हज़ार बंदी बनाये
गए …राजपूत
वीरांगनाओ ने अपने
सतीत्व की रक्षा के लिए सामूहिक
जौहर किया …
* अकबर के तृतीय पुत्र दानियाल
का जन्म
उसकी एक रखैल स्त्री से हुआ १५
सितम्बर १५७२ ..अकबर का एक
दूसरी रखैल से मुराद
ना का पुत्र उत्पन्न हुआ .. अगर वाकई
अकबर जोधा को प्रेम
करता था तो उसके हरम १० हज़ार से
ज्यादा रूपसिया क्यों थी ,,, कई
रखैलो से उसके पुत्र
भी हुए ….
* २६ अप्रैल १५८५ को दरबार में
नवरत्नों का दर्जा प्राप्त महान
संगीतज्ञ तानसेन की मृत्यु हो गई
लेकिन उन्हें लाहोर में
दफनाया गया जबकि वो हिन्दू थे
* भारतवर्ष में वैश्यावृत्ति की शुरुआत
करने का श्रेय
अकबर को ही जाता है जोधा अकबर
की
प्रेम कहानी पर
टीवी सीरियल दिखाया जा रहा
…. जिसमे अकबर को नायक की छवि में
प्रस्तुत किया
जा रहा ……..

अक्बर का सच ..
जलालुद्दीन मोहम्मद अकबर 1556-1605
ई o !
मुगल वंश का तीसरा बादशाह ! जिसे
अकबर महान
कहा गया ! कहा जाता हे उसने तीन
धर्मों को एक
किया ( हिंदू इस्लाम ईसाई ) !
सती प्रथा गौ हत्या और
जजिया पर प्रतिबन्ध लगाया ! इसी पर
प्रतुत हे ये
लेख पूरा पढ़े !
1-सन 1556 अकबर की विजय हिंदू
राजा हेमु के
विरुद्ध कहा जाता हे अकबर ने
उसका सिर काटने से मना कर दिया !
लेकिन नगर के तोरण और
क्यों लटकाया ?
2 - सन 1561 आम्बेर के राजा भारमल
की पुत्री का साम्बर से अपहरण !
विवाह
नहीं हुआ था सरीफुद्दीन
द्वारा एक साल तक आक्रमण हुआ था !
3 - सन 1561 एटा के आठ गाँव के 1000
निर्दोष लोगों को एक घर
में जिंदा इस लिये
जला दिया क्योंकि उन्हौने इस्लाम
नहीं स्वीकार किया !
4--सन 1564
गोढवाना की रानी दुर्गावती को
युद्ध में
जिंदा पकड़ना चाहता था ताकि उसे
अपनी हरम
में डाल सके ! रानी ने ये जान
लिया तो आत्महत्या कर
लीं ! और अकबर ने रानी कि बहन और
पुत्र बधु को अपने हरम में डाल दिया !
रानी उस समय
40 वर्ष की थी और अकबर 22 का
! 5-- सन 1568 फरबरी 24 चित्तोड
जीतने के बाद जब राजपूतो ने
अधीनता नहीं
स्वीकारी तो 8000 राजपूत सैनिक और
4000 हज़ार
किशानो की हत्या का आदेश दिया !
और
जब तक हत्या चालू रही जब तक 3000
मासूम बूढ़े
बच्चे और औरतें न मारी गयीं ! उसमें
उपवीति (जनेऊ )की शन्ख्या साढ़े
चौहत्तर मन थीं !
6-- 2 सितम्बर 1573 अहमदाबाद विजय
में 2000 सैनिकों के नर
मुंड से मीनार बनाई !
7-- 3 मार्च 1575 बंगाल विजय इतने
सैनिकोंकी हत्या की की आठ
मंजिल उंची मीनार बन जाती !
8--1582 वीस मासूम बच्चों पर
भाषा परीक्षण किया और ऐसे घर में
रखा जहाँ किसी भी प्रकार
की आबाज़ न जाए और उन मासूम
बच्चों की ज़िंदगी बर्बाद कर
दी वो गुंगे हो कर मर गये ! ये परीक्षण
दोवारा 1589 में 12 बच्चों पर किया !
9-- 1567 थानेसर में संन्यासियों के
दो समुदाय में न्याय
की जगह आपस में लड़वा कर अपने
सैनिकों द्वारा उनकी हत्या करवा दी !
नगर
कोट के जीत कर कान्गडा देवी मंदिर
की मूर्तिखण्डित की औरलूट कर 200
काली गाय की हत्या कर के गौ रक्त
को जूतों में भरकर मंदिर
की प्राचीरो पर
छाप लगाई !
10 -- जैन संत हरिविजय के समय
1583-85 जजिया कर और
गौ हत्या पर पाबंदी लगाने
की घोषणा की जो की
झूठी थी फिर दो वारा जैन
शांति विजय
को भी झूठी घोषणा की !
जबकी अमल एक भी बार
नहीं हुआ ! फिर रनथम्बोरके राजा ने
भी भी जजिया कर छूट
की माँग
की जो की उसी के
अधीन राजा था ! यदि जजिया कर
माफ कर दिया था तब
उसका अधीनस्थ राजा क्योंबार बार
माँग करता था !
11-- अकबर ने सती प्रथा बंद की ! ये
एक धोखा हे वास्तव में उसे जो हिंदू
स्त्री पसंद आ
जाती उसके पति को मारकर उसे
सती होने
से रोक कर अपने हरम में डाल
देता था जेसा की पन्ना के
राजकुमारको मारकर
उसकी पत्नी को और भारमल के
भतीजे जयमल को मरबा कर
उसकी पत्नी को अपने हरम में डाल
दिया ! इसका दूसरा प्रमाण हे
कि अकबर
सती प्रथा को बड़े चाव से विदेशिओ
को दिखाने के लिये
ऊँचे महल पर चारों और से खड़े हो कर
देखता था ! एक अंग्रेज
रूडोल्फ ने अकबर की घोर निंदा की !
12- 4 अगस्त 1582 को दो ईसाई
युवको की इस लिये
हत्या करदी कि उन्हौंने इस्लाम
नहीं स्वीकार किया !
13--अकबर स्वयं पैगम्बर
बनाना चाहता था इसलिये उसने
दीन ए इलाही धर्म
की सुरुआत की जिसका मक़सद मुसलमान
बनाना था ! उसन एक
झूठा अल्लोपनिषद लिख बाया जिसमें
उसकी झूठी तारीफ
लिखी ! दिन ए इलाही को जिन
अठारहलोगो ने माना उनमें बीरबल
अकेला हिंदू था !
14 हिंदुओं पर अत्याचार इससे
पता चलता हे कि अकबर अपने पैर
धो कर उससे इलाज करता हे हिंदुओं
को पिलाता था ! यदि कोई
मुसलमान उस समय उसके सामने
पहुँचाता तो उसे डाँट देता था !
15 - जो हिंदू उसके यहाँ रहते
उनकी बुरीदसा थी तान सेन
के मुँह में दरबारी मुसलमाना अपने मुँह
का चबा पान
ठूंस देते थे ! भगवन्त दास और दश वन्त ने
तंग
आकर
आत्मा हत्या कर ली ! ये हे अकबर महान
की कुछ जीवन दिगदर्शिका
अकबर जेसे हरामी को भारत के इतिहास
में महान का
दर्ज दिलाने वाले गाँधी और नेहरू ने
उसकी असलियत पर पर्दा डाल कर नई
पीढी को बर्बाद करने का काम
किया इस पढ़
कर आप भी अकबर नाम के सुनवर की
असलियत जाने
* अकबर की पहली शादी
उसके चाचा हिन्दल की बेटी रुकैया बेगम
से हुई थी
* अकबर ने अपने अभिभाभक और
विक्रमादित्य हेमू को हराने
वाले बहराम खाँ को इसलिये
हाँथियोँ से कुचलकर
मरवा दिया था क्योँकि उसकी
शादी अकबर की बुआ की
लड़की सलीमा बेगम से तय हुई
थी जिस पर अकबर की नजर
थी ... बहराम खां को मरवाने के
बाद अकबर ने सलीमा बेगम(अब्दुल
रहीम खानखाना की माता) अपने हरम
में
रखा ....
*इतिहास कहता हैँ कि फतेहपुर
सीकरी का निर्माण अकबर ने
कराया ??
अपने संरक्षक बैहराम खाँ से विवाद के
बाद जब अकबर को
गुप्तचरोँ ने सूचित किया कि बैहराम
खाँ उस कैद करना चाहता है तो
उसने तुरन्त अपनी राजधानी आगरे से
हटाक फतेहपुर सीकरी स्थानान्तरित कर
ली इससे स्वत: ही सिद्ध होता है कि
फतेहपुर सीकरी का आसतित्व पहले
से था फतेहपुर सीकरी तब
भी था जब
अकबर का दादा बाबर..
महाराणा संग्राम सिंह
(रांणा सांगा) से लडने गया..
उनकी लडाई फतेहपुर
सीकरी से 10 कि.मी. दूर
खानवा(भरतपुर) के
मैदान में हुई... वहां जनश्रुति है कि फतेहपुर
सीकरी को देवों ने बसाया.. और मात्र
एक
रात में बुलंद
दरवाजा तैयार हो गया... आज भी उसके
अंदर एक
स्थान है.. जिसे सीता रसोई
कहा जाता है....
* अकबर ने खान देश के शासक
मिर्जा मुबारक शाह
की बेटी को हरम में
डाला था (सितम्बर
१५६४ इसवी)
* 23 फरवरी १५६७ को अकबर ने चित्तोड़
में
कत्लेआम करवाया ;...जिसमे करीब ३०
हज़ार लोग मारे
गए और कई हज़ार बंदी बनाये
गए ...राजपूत
वीरांगनाओ ने अपने
सतीत्व की रक्षा के लिए सामूहिक
जौहर किया ...
* अकबर के तृतीय पुत्र दानियाल
का जन्म
उसकी एक रखैल स्त्री से हुआ १५
सितम्बर १५७२ ..अकबर का एक
दूसरी रखैल से मुराद
ना का पुत्र उत्पन्न हुआ .. अगर वाकई
अकबर जोधा को प्रेम
करता था तो उसके हरम १० हज़ार से
ज्यादा रूपसिया क्यों थी ,,, कई
रखैलो से उसके पुत्र
भी हुए ....
* २६ अप्रैल १५८५ को दरबार में
नवरत्नों का दर्जा प्राप्त महान
संगीतज्ञ तानसेन की मृत्यु हो गई
लेकिन उन्हें लाहोर में
दफनाया गया जबकि वो हिन्दू थे
* भारतवर्ष में वैश्यावृत्ति की शुरुआत
करने का श्रेय
अकबर को ही जाता है जोधा अकबर
की
प्रेम कहानी पर
टीवी सीरियल दिखाया जा रहा
.... जिसमे अकबर को नायक की छवि में
प्रस्तुत किया
जा रहा ........
Posted in ज्योतिष - Astrology

1. घर में सुबह सुबह कुछ देर के लिए भजन अवशय लगाएं ।

2. घर में कभी भी झाड़ू को खड़ा करके नहीं रखें, उसे पैर नहीं लगाएं, न ही उसके ऊपर से गुजरे अन्यथा घर में बरकत की कमी हो जाती है। झाड़ू हमेशा छुपा कर रखें |
3. बिस्तर पर बैठ कर कभी खाना न खाएं, ऐसा करने से बुरे सपने आते हैं।

4. घर में जूते-चप्पल इधर-उधर बिखेर कर या उल्टे सीधे करके नहीं रखने चाहिए इससे घर में अशांति उत्पन्न होती है।

5. पूजा सुबह 6 से 8बजे के बीच भूमि पर आसन बिछा कर पूर्व या उत्तर की ओर मुंह करके बैठ कर करनी चाहिए । पूजा का आसन जुट अथवा कुश का हो तो उत्तम होता है |

6. पहली रोटी गाय के लिए निकालें । इससे देवता भी खुश होते हैं और पितरों को भी शांति मिलती है |

7.पूजा घर में सदैव जल का एक कलश भरकर रखें जो जितना संभव हो ईशान कोण के हिस्से में हो |

8. आरती, दीप, पूजा अग्नि जैसे पवित्रता के प्रतीक साधनों को मुंह से फूंक मारकर नहीं बुझाएं।

9. मंदिर में धूप, अगरबत्ती व हवन कुंड की सामग्री दक्षिण पूर्व में रखें अर्थात आग्नेय कोण में |

10. घर के मुख्य द्वार पर दायीं तरफ स्वास्तिक बनाएं।

11. घर में कभी भी जाले न लगने दें, वरना भाग्य और कर्म पर जाले लगने लगते हैं और बाधा आती है |

12. सप्ताह में एकबार जरुर समुद्री नमक अथवा सेंधा नमक से घर में पोछा लगाएं | इससे नकारात्मक ऊर्जा हटती है |

13. कोशिश करें की सुबह के प्रकाश की किरने आपके पूजा घर में जरुर पहुचे सबसे पहले |

14. पूजा घर में अगर कोई प्रतिष्ठित मूर्ती है तो उसकी पूजा हर रोज निश्चित रूप से हो ऐसी व्यवस्था करें …

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Posted in छोटी कहानिया - १०,००० से ज्यादा रोचक और प्रेरणात्मक

एक वैज्ञानिक दोस्त ने मुझे एक यंत्र दिया,


Ek Like to banta hai boss Next
एक वैज्ञानिक दोस्त ने मुझे एक यंत्र दिया,
जिससे मैँ किसी के दिल
की बात सुन सकता था।
यंत्र लगाकर एक मित्र के घर गया,
दरवाजा खुलते ही उसके मन
की आवाज आई-
घोंचू सुबह- सुबह ही टपक पड़ा। अब तो हलवे मेँ
आधा इसको देना ही पड़ेगा। औफिस मेँ जैसे ही बॉस के सामने लगाया,
बॉस के दिल की आवाज आई-
इस लड़के से अभी और काम
करवा सकता हूँ,
कोशिश करते है थोड़ा हड़काकर और ज्यादा काम निकलवा ले। इन्क्रिमेंट भी कूछ दिन और टरका देता हूँ।
दुकान वाले के पास
गया तो आवाज आई-
एक नंबर का कंजर है ससुरा, बिना बार्गेनिग के तो कूछ खरीदेगा नहीँ।
जैसे घर
पहुँचा बीवी की अंतरात्मा की आवाज आई,
उफ! फिर खाली हाथ आये ये,
ना चुड़ी, ना साड़ी ना लिपिस्टिक। माँ के पास गया तो आवाज आई- लगता है बेटा थक गया है काम करके,
पहले बेटे को आराम करने
को बोलती हूँ फिर कुछ खाने के लिये लाती हूँ…..

अगर आप अपनी माँ से प्यार करते हो तो ये पेज जरुर लाईक करेँ> माँ तुझे सलाम भारत माता की जय

Posted in रामायण - Ramayan

मई दो बार राम जनम भूमि जाके आया हु


मई दो बार राम जनम भूमि जाके आया हु . बाबरी टूटने से पहेले. उस समय मेरी उम्र १८ साल की थी . वहा पे राम मंदिर निर्माण के लिये अखंड रामधुन चलती थी मई सोच रहा था इन अखंड राम धुन से क्या …? ये कोई ठोस कार्य नहीं है मई उनके खिलाफ नहीं लेकिन मुजे वो निरूपद्रवि लगा। बाद हम लोग अन्देर गये वहा एक दीवाल दिखाई गई जहा फारसी मे लिखा था ” श्री राम जै राम जै जै राम।….सीता राम सीताराम सीता राम …” उनकी उसने हिस्टरी बताई . बाबर राम मंदिर तोड़ कर मस्जिद की दीवाल बनता और रात मे ढह जाती हर बार आइसा होने लगा फिर एक ब्राह्मी ने बताया के दीवाल के उपर ” श्री राम जै राम जै जै राम।….सीता राम सीताराम सीता राम …” लिखे तो वो नहीं गिरेगी ..और वो दीवाल इतने साल के बाद वहा पेर थी .
बाबर का ” I can do ” के वेदो की बात का कर्तृत्वा देखा और हमारा अखंड राम धुन का ???? किसका कर्तृत्वा ज्यादा था ? सोचो जरा .. बाबर का धर्मान्द अलाहा के लिये प्यार और हमारा ? आज भी मई मंदिर जाता हु तो सिर्फ दान पुण्य …भजन कीर्तन ( मई उनके खिलाफ नहीं हु ) ही सुनाई देता है . भगवान के तेजस्वी विचारो को कौन घर घर ले कर जायेगा ?

Posted in भारत का गुप्त इतिहास- Bharat Ka rahasyamay Itihaas

॥ इतिहास ॥


,,॥ इतिहास ॥ ================
भारत मे यूनानी , शक , ईरानी, कुषाण गुर्जर , हूण ने आक्रमण क्या ।
आरबों पूर्व की सर्व प्रजा धर्मांधहीन होने के कारण के कारण एक के पश्चात एक मूल भारतीय प्रजा मे मिल गए । एवं हिन्दू अथवा बौद्धधर्म की शाखा – प्रशाखा मे मिल गए ।
किन्तु आरबों से प्रारम्भ हुआ आक्रमण धार्मिक कट्टरतायुक्त था , मूल भारतीय प्रजा हिंदुस्तान मे संगठित न हो सकी एवं अपना स्वव्यक्तित्व तथा अस्तित्व धार्मिक रीत से अलग रखते रहे । उसके प्रति इस्लामिक आक्रांता इस्लाम धर्म को स्थापित करने के लिए अनेक युक्ति / प्रयुक्ति , उपाय करते रहे ।
सिंध मे ब्रह्मण राज के पतन के संबंध मे इतिहासकर श्रीनेत्र पांडे लिखते है की —-“ म,कासिम की सफलता का रहस्य सिंध की दुर्बलता थी , उस समय ब्राह्मण , बौद्ध , जैन आदि विभिन्न संप्रदाय के लोग रहते थे । जिन मे पारस्परिक वैमनस्य चलता था , यह आंतरिक फुट का सम्पूर्ण लाभ कासिम ने उठाया । उस समय मे समाज के निम्नवर्गीय लोगो के साथ दुर्व्यवहार होता था; उनपर घृणा की दृष्टि से देखा जाता था । वही उपेक्षित समाज ने आक्रांताओ का साथ दिया – स्वागत किया , सहर्ष इस्लाम स्वीकार किया ।
***** उस समय ज्योतिषियो ने भविष्यवाणी की कि भारत मे विदेशी सत्ता आनेवाली है , उस कारण से प्रजा का मनोबल टूट गया एवं हतोत्साही प्रजा बनी “——————————–pckawa

,,॥ इतिहास ॥ ================
भारत मे यूनानी , शक , ईरानी, कुषाण गुर्जर , हूण ने आक्रमण क्या । 
आरबों पूर्व की सर्व प्रजा धर्मांधहीन होने के कारण के कारण एक के पश्चात एक मूल भारतीय प्रजा मे मिल गए । एवं हिन्दू अथवा बौद्धधर्म की शाखा – प्रशाखा मे मिल गए । 
किन्तु आरबों से प्रारम्भ हुआ आक्रमण धार्मिक कट्टरतायुक्त था , मूल भारतीय प्रजा हिंदुस्तान मे संगठित न हो सकी एवं अपना स्वव्यक्तित्व तथा अस्तित्व धार्मिक रीत से अलग रखते रहे । उसके प्रति इस्लामिक आक्रांता इस्लाम धर्म को स्थापित करने के लिए अनेक युक्ति / प्रयुक्ति , उपाय करते रहे । 
सिंध मे ब्रह्मण राज के पतन के संबंध मे इतिहासकर श्रीनेत्र पांडे लिखते है की ----“ म,कासिम की सफलता का रहस्य सिंध की दुर्बलता थी , उस समय ब्राह्मण , बौद्ध , जैन आदि विभिन्न संप्रदाय के लोग रहते थे । जिन मे पारस्परिक वैमनस्य चलता था , यह आंतरिक फुट का सम्पूर्ण लाभ कासिम ने उठाया । उस समय मे समाज के निम्नवर्गीय लोगो के साथ दुर्व्यवहार होता था; उनपर घृणा  की दृष्टि से देखा जाता था । वही उपेक्षित समाज ने आक्रांताओ का साथ दिया – स्वागत किया , सहर्ष इस्लाम स्वीकार किया । 
***** उस समय ज्योतिषियो ने भविष्यवाणी की कि भारत मे विदेशी सत्ता आनेवाली है , उस कारण से प्रजा का मनोबल टूट गया एवं हतोत्साही प्रजा बनी “--------------------------------pckawa