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एक गांव में धर्मदास नामक एक व्यक्ति रहता था।


एक गांव में धर्मदास नामक एक व्यक्ति रहता था।
बातें तो बड़ी ही अच्छी- अच्छी करता था पर था एकदम कंजूस।
कंजूस भी ऐसा वैसा नहीं बिल्कुल मक्खीचूस।

चाय की बात तो छोड़ों वह किसी को पानी तक के लिए नहीं पूछता था।
साधु-संतों और भिखारियों को देखकर तो उसके प्राण ही सूख जाते थे कि कहीं कोई कुछ मांग न बैठे।

एक दिन उसके दरवाजे पर एक महात्मा आये और धर्मदास से सिर्फ एक रोटी मांगी।

पहले तो धर्मदास ने महात्मा को कुछ भी देने से मना कर दिया,
लेकिन तब वह वहीं खड़ा रहा तो उसे आधी रोटी देने लगा। आधी रोटी देखकर महात्मा ने कहा कि अब तो मैं आधी रोटी नहीं पेट भरकर खाना खाऊंगा।

इस पर धर्मदास ने कहा कि अब वह कुछ नहीं देगा।
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महात्मा रातभर चुपचाप भूखा-प्यासा धर्मदास के दरवाजे पर खड़ा रहा।

सुबह जब धर्मदास ने महात्मा को अपने दरवाजे पर खड़ा देखा तो सोचा कि अगर मैंने इसे भरपेट खाना नहीं खिलाया और यह भूख-प्यास से यहीं पर मर गया तो मेरी बदनामी होगी।
बिना कारण साधु की हत्या का दोष लगेगा।

धर्मदास ने महात्मा से कहा कि बाबा तुम भी क्या याद करोगे, आओ पेट भरकर खाना खा लो।

महात्माजी भी कोई ऐसे वैसे नहीं थे।

धर्मदास की बात सुनकर महात्मा ने कहा कि अब मुझे खाना नहीं खाना, मुझे तो एक कुआं खुदवा दो।
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‘लो अब कुआं बीच में कहां से आ गया’ धर्मदास ने साधु महाराज से कहा।
रामदयाल ने कुआं खुदवाने से साफ मना कर दिया।

साधु महाराज अगले दिन फिर रातभर चुपचाप भूखा- प्यासा धर्मदास के दरवाजे पर खड़ा रहा।

अगले दिन सुबह भी जब धर्मदास ने साधु महात्मा को भूखा-प्यासा अपने दरवाजे पर ही खड़ा पाया तो सोचा कि अगर मैने कुआं नहीं खुदवाया तो यह महात्मा इस बार जरूर भूखा-प्यास मर जायेगा और मेरी बदनामी होगी।

धर्मदास ने काफी सोच- विचार किया और महात्मा से कहा कि साधु बाबा मैं तुम्हारे लिए एक कुआं खुदवा देता हूं और इससे आगे अब कुछ मत बोलना।

‘नहीं, एक नहीं अब तो दो कुएं खुदवाने पड़ेंगे’,

महात्मा की फरमाइशें बढ़ती ही जा रही थीं।

धर्मदास कंजूस जरूर था बेवकूफ नहीं। उसने सोचा कि अगर मैंने दो कुएं खुदवाने से मनाकर दिया तो यह चार कुएं खुदवाने की बात करने लगेगा

इसलिए रामदयाल ने चुपचाप दो कुएं खुदवाने में ही अपनी भलाई समझी।

कुएं खुदकर तैयार हुए तो उनमें पानी भरने लगा। जब कुओं में पानी भर गया तो महात्मा ने धर्मदास से कहा,

‘दो कुओं में से एक कुआं मैं तुम्हें देता हूं और एक अपने पास रख लेता हूं।

मैं कुछ दिनों के लिए कहीं जा रहा हूं, लेकिन ध्यान रहे मेरे कुएं में से तुम्हें एक बूंद पानी भी नहीं निकालना है ।साथ ही अपने कुएं में से सब गांव वालों को रोज पानी निकालने देना है।
. मैं वापस आकर अपने कुएं से पानी पीकर प्यास बुझाऊंगा।’
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धर्मदास ने महात्मा वाले कुएं के मुंह पर एक मजबूत ढक्कन लगवा दिया।
सब गांव वाले रोज धर्मदास वाले कुएं से पानी भरने लगे।
लोग खूब पानी निकालते पर कुएं में पानी कम न होता।
शुध्द-शीतल जल पाकर गांव वाले निहाल हो गये थे और महात्मा जी का गुणगान करते न थकते थे।
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एक वर्ष के बाद महात्मा पुनः उस गांव में आये और धर्मदास से बोले कि उसका कुआं खोल दिया जाये।
धर्मदास ने कुएं का ढक्कन हटवा दिया।

लोग लोग यह देखकर हैरान रह गये कि कुएं में एक बूंद भी पानी नहीं था।
महात्मा ने कहा, ‘कुएं से कितना भी पानी क्यों न निकाला जाए वह कभी खत्म नहीं होता अपितु बढ़ता जाता है।

कुएं का पानी न निकालने पर कुआं सूख जाता है इसका स्पष्ट प्रमाण तुम्हारे सामने है और यदि किसी कारण से कुएं का पानी न निकालने पर पानी नहीं भी सुखेगा तो वह सड़ अवश्य जायेगा और किसी काम में नहीं आयेगा।’
महात्मा ने आगे कहा, ‘कुएं के पानी की तरह ही धन-दौलत की भी तीन गतियां होती हैं
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उपयोग, नाश अथवा दुरुपयोग।

धन-दौलत का जितना इस्तेमाल करोगे वह उतना ही बढ़ती जायेगी। धन-दौलत का इस्तेमाल न करने पर कुएं के पानी की वह धन-दौलत निरर्थक पड़ी रहेगी। उसका उपयोग संभव नहीं रहेगा या अन्य कोई उसका दुरुपयोग कर सकता है।

अतः अर्जित धन-दौलत का समय रहते सदुपयोग करना अनिवार्य है।’

‘ज्ञान की भी कमोबेश यही स्थिति होती है।
धन-दौलत से दूसरों की सहायता करने की तरह ही ज्ञान भी बांटते चलो।
हमारा समाज जितना अधिक ज्ञानवान, जितना अधिक शिक्षित व सुसंस्कृत होगा उतनी ही देश में सुख- शांति और समृध्दि आयेगी।
फिर ज्ञान बांटने वाले अथवा शिक्षा का प्रचार- प्रसार करने वाले का भी कुएं के जल की तरह ही कुछ नहीं घटता अपितु बढ़ता ही है’

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त्नी ने कहा – आज धोने के लिए ज्यादा कपड़े मत निकालना


#पत्नी ने कहा – आज धोने के लिए ज्यादा कपड़े मत निकालना…#पति– क्यों??उसने कहा..- अपनी काम वाली बाई दो दिन नहीं आएगी…पति- क्यों??पत्नी- गणपति के लिए अपने नाती से मिलने बेटी के यहाँ जा रही है, बोली थी…पति- ठीक है, अधिक कपड़े नहीं निकालता…पत्नी- और हाँ!!! गणपति के लिए पाँच सौ रूपए दे दूँ उसे? त्यौहार का बोनस..पति- क्यों? अभी दिवाली आ ही रही है, तब दे देंगे…पत्नी- अरे नहीं बाबा!! गरीब है बेचारी, बेटी-नाती के यहाँ जा रही है, तो उसे भी अच्छा लगेगा… और इस महँगाई के दौर में उसकी पगार से त्यौहार कैसे मनाएगी बेचारी!!पति- तुम भी ना… जरूरत से ज्यादा ही भावुक हो जाती हो…पत्नी- अरे नहीं… चिंता मत करो… मैं आज का पिज्जा खाने का कार्यक्रम रद्द कर देती हूँ… खामख्वाहपाँच सौ रूपए उड़ जाएँगे, बासी पाव के उन आठ टुकड़ों के पीछे…पति- वा, वा… क्या कहने!! हमारे मुँह से पिज्जा छीनकर बाई की थाली में??तीन दिन बाद… पोंछा लगाती हुई कामवाली बाई से पति ने पूछा…पति- क्या बाई?, कैसी रही छुट्टी?बाई- बहुत बढ़िया हुई साहब… दीदी ने पाँच सौ रूपए दिए थे ना.. त्यौहार का बोनस..पति- तो जा आई बेटी के यहाँ…मिल ली अपने नाती से…?बाई- हाँ साब… मजा आया, दो दिन में 500 रूपए खर्च कर दिए…पति- अच्छा!! मतलब क्या किया 500 रूपए का??बाई- नाती के लिए 150 रूपए का शर्ट, 40 रूपए की गुड़िया, बेटी को 50 रूपए के पेढे लिए, 50 रूपए के पेढे मंदिर में प्रसाद चढ़ाया, 60 रूपए किराए के लग गए.. 25 रूपए की चूड़ियाँ बेटी के लिए और जमाई के लिए 50 रूपए का बेल्ट लिया अच्छा सा… बचे हुए 75 रूपए नाती को दे दिए कॉपी-पेन्सिल खरीदने के लिए… झाड़ू-पोंछा करते हुए पूरा हिसाब उसकी ज़बान पर रटा हुआ था…पति- 500 रूपए में इतना कुछ???वह आश्चर्य से मन ही मन विचार करने लगा…उसकी आँखों के सामने आठ टुकड़े किया हुआ बड़ा सा पिज्ज़ा घूमने लगा, एक-एक टुकड़ा उसके दिमाग में हथौड़ा मारने लगा… अपने एक पिज्जा के खर्च की तुलना वह कामवाली बाई के त्यौहारी खर्च से करने लगा… पहला टुकड़ा बच्चे की ड्रेस का, दूसरा टुकड़ा पेढे का, तीसरा टुकड़ा मंदिर का प्रसाद, चौथा किराए का, पाँचवाँ गुड़िया का, छठवां टुकड़ा चूडियों का, सातवाँ जमाई के बेल्ट का और आठवाँ टुकड़ा बच्चे की कॉपी-पेन्सिल का..आज तक उसने हमेशा पिज्जा की एक ही बाजू देखी थी, कभी पलटाकर नहीं देखा था कि पिज्जा पीछे से कैसा दिखता है… लेकिन आज कामवाली बाई ने उसे पिज्जा की दूसरी बाजू दिखा दी थी… पिज्जा के आठ टुकड़े उसे जीवन का अर्थ समझा गए थे… “जीवन के लिए खर्च” या “खर्च के लिए जीवन” का नवीन अर्थ एक झटके में उसे समझ आ गया…कहानी कैसी लगी कमेंट कर बताएं 🙏🏼❤

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हिंदी सदाबहार कहानियों की 300 पुस्तके सूचि


हिंदी सदाबहार कहानियों की पुस्तके
 मेरे २५,००० पुस्तकालय के संग्रह में से कहानी पे 338 किताबे. 
 harshad30.wordpress.com
 973-66331781
 harshad30@hotmail.com
  
125 सर्वश्रेष्ठ कहानीया मंटो
2१०१ प्रेरणादायक कहानिया
3१०१ सदाबहार कहानियाँ
4२०१ प्रेरक नीति कथाए
5Hindi Motivational Stories -1
6Hindi Motivational Stories -2
7अंडमान निकोबार की लोक कथाएँ – बलराम अग्रवाल
8अंडे – एक यूनानी कहानी
9अकबर बीरबल – भाग १ 
10अकबर बीरबल विनोद
11अण्डमान निकोबार की लोककथाएँ – बलराम अग्रवाल
12अदरक का स्वाद मानवता की कहानियो का रहस्य – तरुण लोहनी
13अद्भुत कहानिया
14अनन्त कथामृत – बाबा निब करौरी जी महाराज
15अन्तिम इच्छा – १५ क्रांतिकारी कहानियाँ – श्रीयुत गंगा प्रसाद
16अभिनव कहानियाँ – भाग २
17अभिमान की हार – योगेन्द्रनाथ शर्मा
18अमर कथाये
19अमृत कहानी संग्रह – श्री प. लक्ष्मीशंकर मिश्र
20अलिफ लैला की कहानियां(1)
21अलिफ़ लैला की कहानियां
22अवधी ग्रन्थावली – खण्ड ५ – लोक कथा गध्य खण्ड
23अस्तित्व साझा लघुकथा संग्रह
24अस्सी कहानिया – विनोदसंकर व्यास
25आकाशचारिणी
26आखिरी पड़ाव का दुःख – सुभाष नीरव
27आठ सेर चावल – के  संतानम
28आदर्श उपकार
29आदर्श ऋषि मुनि
30आदर्श कहानिया
31आदर्श चरितावली
32आदर्श देवियाँ
33आदर्श देश-भक्त
34आदर्श बालक
35आदर्श भक्त
36आदर्श सम्राट
37आदर्श सुधारक
38आदिवासी लोक कथाएँ
39आर्मेनिया की लघु कहानिया – Sofi Avakiyan
40इंग्लैंड की श्रेष्ठ कहानियां
41इकशठ कहानिया 
42इकहत्तर कहानियाँ – हिमांशु जोशी
43इक्कीस कहानियाँ – राय कृष्णदास
44इक्कीस बांग्ला कहानियाँ – अरुण कुमार मुखोपाध्याय
45इट की दिवार – सुबोध साहित्य माला
46उक्राइनी लोक कथाएँ
47उपनिषद प्राचीन कथाएं
48उपनिषदों का बोध – काका कालेलकर
49उपनिषदों की कथाएं
50उपनिषदों के चौदह रत्न – हनुमान प्रसाद पोद्दार 
51उपयोगी कहानिया – गीता प्रेश गोरखपुर
52एक आखिरी इच्छा – सावित्री और सत्यवान
53एक लोटा पानी – गीता प्रेस गोरखपुर
54एक समय की बात है – प्रत्युष पाण्डेय
55एतिहासिक कहानियाँ – शिवराज गोयल
56ऑफिसर बकिल और ग्लोरिया
57ऑस्कर वाइल्ड की लोकप्रिय कहानियां
58ओ हेनरी की लोकप्रिय कहानियाँ
59और गंगा बहती रही – देवी नागरानी
60कथा – आयाम
61कथा कुसुमाज्जलि – डॉ. भागीरथ मिश्र
62कथा दादी-नानी के
63कथा भारती असमिया कहानी
64कथा भारती उर्दू कहानियाँ – कृशनचंदर -, राजेन्द्र सिंह  , लक्ष्मीकान्त वर्मा 
65कथा मंदिर – रा. प्र. कानिटकर – मराठी
66कथा रत्नाकर – एम्. के. तिरुनारायाना
67कथा संगम – डॉ. रांगेय राघव
68कथा सरित सागर – द्विजेन्द्रनाथ मिश्र – निर्गुण
69कथा सरित सागर – सोम देव भट्ट कृत – डोगरी अनुवाद – भाग १
70कथा सरित सागर – सोम देव भट्ट कृत – डोगरी अनुवाद – भाग २
71कथा सरित सागर – सोम देव भट्ट कृत – डोगरी अनुवाद – भाग ३
72कथा सरित सागर – सोम देव भट्ट कृत – डोगरी अनुवाद – भाग ४
73कथा सिविर
74कर भला, होगा भला – भगवानचन्द्र विनोद
75कश्मीर की लोक कथाए – पृथ्वीनाथ – मधुप
76कहानिवाला – संदीप डोबरियाल
77कहानी कहू भैया – गिजुभाई की लोक-कथा
78कहानी संग्रह ३ 
79कहानी संग्रह- घमंडी सियार
80कहानी-कुञ्ज – श्री भगवतीप्रसाद वाजपेयी
81काफ़्का की लोकप्रिय कहानियां
82काबुलीवाला – रविन्द्रनाथ टैगोर
83काल सुंदरी तथा अन्य कहानियाँ
84किस्से जिन्दगी के – डॉ सरोजिनी अग्रवाल
85कुछ किस्से हो जाएँ – विकाश भांति
86कुछ सिप कुछ मोती
87कूड़ा कचरा
88कृष्णकली तथा अन्य कहानिया
89कैदी और बुलबुल – श्री पहाड़ी
90कोहकाफ का बन्धी
91खलील जिब्रान की लोकप्रिय कहानियाँ
92खलील जिब्रान की श्रेष्ठ कहानियाँ – डॉ. महेन्द्र मित्तल
93गर्व से कहो हमारी बेटिया
94गुरु और माता-पिता के भक्त बालक
95गुरु गोबिन्द सिंह – बलदेव सिंह बल
96गुरु नानकः जीवन प्रसंग – डॉ. महीप सिंह
97गुरुदत्त की लोकप्रिय कहानियां
98गुलिवर की यात्रा – जोनाथन स्विफ्ट
99गुलीवर की यात्रायें
100गुलेरेजी की अमर कहानिया – चन्द्रधर शर्मा गुलेरी
101गोनू झा की अनोखी दुनिया
102गोपालराम गहमरी की जासूसी कहानियां – संजय कृष्ण
103गोर्की की श्रेष्ठ रचनाएँ
104गौतम बुद्ध और उनकी कहानीयां
105ग्होयी (राजस्थानी लोक कथाएं)  – नानूराम संस्कर्ता
106घर की रेल – राजस्थान की लोक कथाए –   नानूराम सस्कर्ता
107चंदामामा की कहानियाँ
108चौदह रत्न – गुप्त सागर
109चौबोली रानी – लोक कथा माला
110छत्तीस गढ़ी कथा-कंथली
111छत्तीसगढ़ी भाषा परिवार की लोक कथाएँ – बलदाऊ राम साहू
112छोटी सी कथाए
113छोटे गाँव की बड़ी बात
114छोटे चीकू के बड़े सवाल
115जब ढोल ने गीत गाया
116जयनंदन की 10 कहानियाँ 
117जादूभरी कहानियाँ – डॉ. हरिहर प्रसाद गुप्त
118जिंदगी आइस पाइस – निखिल सचान
119जीवट की कहानिया
120जीवन का ताना बाना – चीफ सिफटल
121जीवन चरित्र
122जीवन सन्देश – खलील जिब्रान
123जूल्स वर्न की ५ सुपरहिट कहानियाँ
124जैन इतिहास की प्रेरक कथाए – भाग ३ – उपाध्याय अमरमुनी
125जैन धर्म की कहानियाँ
126जैसे उनके दिन फिरे – हरिशंकर परसाई
127जैसे उनके दिन फिरे
128जो करे सो भरे
129ज्ञानी चूहा  मन्मथनाथ गुप्त
130टॉलस्टॉय की पांच श्रेष्ठ कहानियां
131तानसेन  – मुकुल
132तामिल कहानिया
133तार के खम्भे – सत्य जीवन वम्म्रा
134ताल्सताय की श्रेस्ठ कहानियाँ – ताल्सताय 
135तिन सवाल – लिओ तोलस्तोय
136तुलसी का ब्याह – दुर्गा भागवत
137तेलुगु की बीस कहानियाँ – बालशौरि रेड्डी
138दशावतारकथा
139दस गुरुओं का संक्षिप्त इतिहास
140दान तथा अन्य कहानियाँ – ऋषभचरण जैन 
141दिव्य जीवन प्रसंग
142दीये से दीया जले – गुरुदेव तुलसी
143दृष्टान्त सागर – प्रथम भाग – श्यामलाल वर्मा
144देश विदेश की लोक कथायें
145दो बैलो की कथा – प्रेमचंद 
146दो हंसो का जोड़ा
147द्रष्टांत दीपक
148द्रष्टान्त कथाएं – ज्ञानी चंदासिंह निर्मल
149द्रष्टान्त प्रकाश
150द्रष्टान्त मंजूषा – स्वामी परमहंस
151द्रष्टान्त समुच्चय – श्री प. शिव शर्मा
152द्रष्टान्त सरित सागर – डॉ. रामचरण महेन्द्र
153द्रष्टान्त सरोवर – श्री प. आत्मारामजी शर्मा
154द्रष्टान्त सागर
155नइ शिक्षाप्रद कहानियाँ – जैबुन्निसा हया
156नगीने – चौदह कहानियों का संग्रह – सुदर्शन
157नजानू की कहानियां  निकोलाई नोसोव
158नया दिन नया जीवन – जे.मौर्य
159नया रास्ता – श्री पहाड़ी
160नवीं पनीरी – भाग १ 
161नवीं पनीरी – भाग १ –
162नवीं पनीरी – भाग २
163नवीं पनीरी – भाग ३
164नानी की कहानी – आर. के. नारायण
165नौ देवियों की अमर कथा – गुरुबख्श सिंह ‘ज्ञान’ द्वारा
166पंचतंत्र नैतिक कहानियां – भारत नेगी
167पंद्रह सिंधी कहानिया
168पंद्रह_बांग्ला_कहानियाँ
169पचास कहानियाँ
170पराया सुख
171पशु – पुराणों से पशु पक्षी यों की रोचक कथाएं – देवदत्त पटनायक
172पश्चिमी अवध की लोक-कथाएँ – भाग २
173पश्चिमी झील की लोक कथाएं
174पांच कहानिया
175पुण्य की जड़ हरी – लोक कथा माला
176पुष्प सौरभ – रामजीवन चोधरी
177पूर्व और पश्चिम की सन्त महिलाएँ
178पूर्व के पुराने हीरे – कान्तिचन्द्र सौनरिक्सा
179प्रतिनिधि कहानियाँ  निर्मल वर्मा
180प्रतिनिधि बाल – कहानियाँ  पुष्कर द्विवेदी
181प्रशिद्ध हिंदी कहानिया
182प्रसिद्द सचित्र कहानियाँ – अकबर और बीरबल
183प्रसिद्ध जातक कथाएं
184प्रसिध्द लोक कथाएं – मनोज पब्लिकेशन
185प्रांत प्रांत की कहानियाँ
186प्राचीन कथाए – नई प्रेरणाए
187प्राचीन वार्ता-रहस्य
188प्राचीन हिन्दू माताये
189प्रेम कहानियां -महेश दर्पण
190प्रेमचंद की सर्वश्रेष्ठ कहानियां
191प्रेरक प्रसंग – कपीस कुमार
192प्रेरक प्रसंग – लगु कथाए २४४ पन्ने
193प्रेरक प्रसंग – लगु कथाए
194प्रेरक प्रसंग
195प्रेरक लघु कथाए
196प्रेरणा और अन्य कहानिया
197प्रेरणा भरे पावन प्रसंग – आचार्य श्रीराम शर्मा
198प्रेरणाप्रद कथा-गाथाएँ – आचार्य श्रीराम शर्मा
199फ़्रांस की श्रेष्ठ कहानिया – भगवद प्रसाद सुक्ल
200बच्चो सुनो कहानी – लेव तोलस्तोय
201बड़ो की बड़ी बाते – सुबोध साहित्य माला
202बन किस्सा – स्टोरीज ऑफ किंगफिशर 
203बलवंत सिंह की श्रेस्ठ कहानियाँ
204बहानेबाज़ी
205बारह कहानियाँ – सत्यजित राय
206बाल कहानियाँ – मुनि कन्हैयालाल
207बाल निति कथा
208बाल नीति  कथा
209बाल नीति कथा
210बालकथा – माला -वासुदेव द्विवेदी शास्त्री
211बालभारती – दूसरी कक्षा
212बोध कथा काव्य कौमुदी
213बोध कथाएँ
214बोधकथाए
215बोलती प्रतिमा – श्री राम शर्मा
216ब्योमकेश बक्शी की रहस्यमयी कहानियां
217भगवत्कृपा के अनुभव – हनुमानप्रसाद पोद्दार
218भगवत्कृपा के चमत्कार – हनुमान प्रसाद पोद्दार 
219भगवान शंकर १२ ज्योतिर्लिंग कथा
220भगवान् विष्णु के दस अवतारों की कथाएँ
221भागवत की कथाएं – मनुहरि पाठक
222भारत की लोक कथा निधि – भाग १
223भारत की लोक कथा निधि – भाग २ (2)
224भारत की लोक कथाए
225भारत की लोक कथाएँ
226भारत की वीर नारीयाँ – कुमारी कृष्णा कृपा
227भारत के महान संत – बलदेव वंशी
228भारत के महान संत
229भारतीय कहानियाँ – बालस्वरूप राही
230भारतीय पौराणिक कथाएँ – देवदत्त पटनायक
231भारतीय लोक कथाए – सुबोध साहित्य माला
232भारतीय लोक कथाएं
233भाषा बोली – अंक १ – २०१४
234भिक्खु द्रष्टान्त – श्रीमद जयाचार्य
235भूख के तीन दिन – यशपाल
236भोजपुरी लोकगाथा
237भोलापुर की कहानी
238मंटो की कहानियाँ
239मंदिर और मस्जिद – प्रेमचंद
240मधुकरी – चौथा खण्ड – विनोद शंक्कर व्यास
241मनोरंजक बाल कहानियां
242मसिहा – खलील जिब्रान
243महकते जीवन फूल
244महान भारतीय क्रांतिकारक – श्री. स. घ. झांम्बरे 
245महान साहित्यकार मक्सिम गोर्की की 20 रचनाएँ
246महापुरुषों के अविस्मर्णीय जीवन प्रसंग – भाग १
247महापुरुषों के अविस्मर्णीय जीवन प्रसंग – भाग २
248महापुरुषों के प्रेरक प्रसंग
249माँ कह एक कहानी – भाग १ – चिन्मया मिसन
250माँ का हृदय- मैक्सिम गोर्की
251माई-ली चीनी लोक कथा – थॉमस
252मानवता साझा कहानी संग्रह
253मामोनी रायसम गोस्वामी की कहानिया
254मालगुडी का मेहमान – आर. के. नारायण
255मालगुडी की कहानियां – आर. के. नारायण
256मालती जोशी की लोकप्रिय कहानियाँ
257मालापती – श्री पहाड़ी
258मिजबान – बुंदेलखंड की लोक कथाओ का संकलन
259मिमी की मजेदार दुनिया
260मूर्खो का स्वर्ग – शंकर
261मेंढक और गिलहरी – गिजुभाई की बाल कथाए भाग ४
262मेरी प्रिय कहानिया – अमृता प्रीतम
263मेरी प्रिय कहानियाँ – अमृतलाल नागर
264मेरी प्रिय कहानियां – कमलेश्वर
265मेरी प्रिय कहानियां – कृशन चन्दर
266मेरी प्रिय कहानियां – चित्रा मुद्गल
267मेरी प्रिय कहानियां – निर्मल वर्मा
268मेरी प्रिय कहानियां – भगवतीचरण वर्मा
269मेरी प्रिय कहानियां – भीष्म साहनी
270मेरी प्रिय कहानियां – मोहन राकेश
271मेरी प्रिय कहानियां – यशपाल
272मेरी प्रिय कहानियां – रामदरस मिश्र
273मोपासां की लोकप्रिय कहानियां
274मौली बारह कहानियाँ – श्री पहाड़ी
275यादों के फूल
276यूग-यूग की कहानियाँ
277यूरोप की श्रेष्ठ कहानियां
278रंग-बिरंगी कहानियां – रस्किन बांड
279रउफ चाचा का गददा
280रविंद्रनाथ टैगोर की ५ सुपरहिट कहानियाँ
281रविंद्रनाथ टैगोर की लोकप्रिय कहानियाँ
282रस्टी के कारनामे
283राजस्थानी लोक कथाएँ – गोविंद अग्रवाल
284राजस्थानी व्रतकथाएँ -मोहनलाल पुरोहित
285रामकृष्ण परमहंस के १०१ प्रेरक प्रसंग
286रामायण की कहानियाँ
287रूस की लोककथाएँ – राजेन्द्र मोहन शास्त्री
288रूस की श्रेष्ठ कहानियां
289रूसी की लोक-कथाए
290रोमांचक विज्ञान कथाए
291लघु उपन्यास और कहानियाँ   कृष्ण कुमार
292लियो टोलस्टॉय की लोकप्रिय कहानियां
293लोक कथा माला – कर भला हो भला
294लोक कथा माला – सतवंती – चन्द्रशेखर दुबे
295लोक कथा माला – हमारी लोक कथाएँ
296लोक कथाएं – आनंदकुमार
297लोपा मुद्रा   कनैयालाल मानेकलाल मुन्सी
298वरदान – प्रेमचंद
299विदेशी रानी – आचार्य रामरंग
300विभाजन की त्रासदी – देवी नागरानी
301विविध प्रसंग – अमृतराय
302विशालकाय भूल
303विशेष लेनदेन
304विश्व की श्रेष्ठ कहानिया – सुबोध साहित्य माला
305विश्व के महान वैज्ञानिक
306विश्व प्रस्सिद्ध बाल कहानिया
307विश्व बाल साहित्य – अनोखा मित्र
308विश्व बाल साहित्य – एक बाजी बुंदेले की .cbz
309विश्व बाल साहित्य – तूफ़ान की वापसी.cbz
310वीर पंजाबी – भीमसेन विधालंकार
311वीर बालक – गीता प्रेस
312वीर सिपाही – महावीर त्यागी
313वेदों की कथाए
314वेदों की कथाएँ – हरीश शर्मा
315व्योमकेश बक्शी की रहस्यमयी कहानियाँ
316शरतचंद की लोकप्रिय कहानियां
317शरलॉक होम्स की उत्कृष्ट कहानियाँ – तरुण कुमार वाही
318शीर्षक हिन – डॉ. रामप्रसाद मिश्र
319शेक्सपियर की ५ सुपरहिट कहानियाँ
320शेक्सपीयर की पांच श्रेष्ठ कहानियां
321श्रद्धा सुरती – रामजीवन चोधरी
322श्रेष्ठ पौराणिक नारियां – यादवेन्द्र शर्मा
323श्रेष्ठ बाल कहानियाँ – बालशौरी रेड्डी
324श्रेष्ठ बाल कहानियाँ
325श्रेष्ठ बौद्ध कहानियाँ – श्री व्यथितह्रदय
326श्रेष्ठ रूसी बाल-कथाएं
327श्रेष्ठ हिंदी कहानियाँ – भाग २
328श्रेष्ठ हिंदी कहानियाँ 1950 – 1960
329श्रेष्ठ हिंदी कहानियाँ 1990 – 2000
330श्रेष्ठ हिंदी कहानियाँ
331संस्कृति माला – भाग ३
332संस्मरण जो भुलाए ना जा सकेंगे – आचार्य श्रीराम शर्मा
333सच्ची प्रेरक कहानियाँ – मेजर प्रदीप खरे
334सच्ची प्रेरक कहानियां
335सडाको और कागज के पक्षी
336सत्यजीत रे की लोकप्रिय कहानियां
337सदानन्द की छोटी दुनिया – सत्यजीत राय
338सप्त सरिता – काका सा.कालेलकर
339सम्राट विक्रमादित्य और उनके नवरत्न – प. इशदत्त शास्त्री
340सरस कहानियाँ
341सांस्कृतिक कहानिया भाग ६
342साइकल की कहानी
343साक्षी है पीपल – अरुणाचल प्रदेश की जनजातियों पर कहानियाँ
344साम्राज्य का वैभव – रांगेय राघव
345सारस का उपहार – जापानी लोक कथा
346साहस और खोज की कहानियां
347साहस की यात्राएं
348साहसी गाथाएं -विनोद बाला शर्मा
349सिंदबाज – आदित्य कुमार
350सिख की कहानिया – आनंद कुमार
351सिखना दील से – संयुक्ता
352सुंदर वासीलिसा – रशियन परीकथा
353सुजाता और जंगली हाथी
354सुन्दर-सुन्दर कहानिया
355सेब कैसे उगाते है
356सैलानी मेंढक -सेवोलोद गार्शिन
357सो श्रेष्ठ बाल कहानियाँ
358सोने का संदूक – सारिका शर्मा
359सोने के तीन सिक्के
360स्पर्श – जयवंत दलवी
361स्वामी विवेकानंद के जीवन की कहानियाँ
362हम सब की कहानी साझा संग्रह
363हमारी बोध कथाएँ – यशपाल जैन
364हमारी बोध-कथाए  – सुबोध साहित्य माला
365हमारी लोक कथाएँ
366हमारे आदर्श – श्री आशाराम बापू
367हरियाणवी जैन कथाए
368हरियाणा लोकमञ्जरी कहानियाँ
369हिंदी कथाकोष
370हिंदी कहानी और कहानीकार – प्रोफ़ेसर वासुदेव
371हिंदी की आदर्श कहानिया – प्रेमचंद
372हिंदी के प्रसिद्द लेखको की कहानियो का संग्रह
373हितोपदेश की प्रसिद्ध कहानियां
374हिन्दी कहानियाँ – डॉ. श्रीकृष्ण लाल
375हिन्दी के प्रसिद्ध लेखकों की कहानियों का संग्रह
376हिन्दी लोक कथा कोश – भाग ३
377हिन्दुस्तानी कहानियाँ – दूसरा भाग – अमृतलाल नाणावटी
378हीरे-मोती – सोवियत भूमि की जातियों की लोक-कथाएं”
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क्या भगवान हमारे द्वारा चढ़ाया गया भोग खाते हैं ?


*क्या भगवान हमारे द्वारा चढ़ाया गया भोग खाते हैं ?*यदि खाते हैं, तो वह वस्तु समाप्त क्यों नहीं हो जाती ?और यदि नहीं खाते हैं, तो भोग लगाने का क्या लाभ ?*एक लड़के ने पाठ के बीच में अपने गुरु से यह प्रश्न किया….*गुरु ने तत्काल कोई उत्तर नहीं दिया। वे पूर्ववत् पाठ पढ़ाते रहे। उस दिन उन्होंने पाठ के अन्त में एक श्लोक पढ़ाया: पूर्णमदः पूर्णमिदं पूर्णात् पूर्णमुदच्यते । पूर्णस्य पूर्णमादाय पूर्णमेवावशिष्यते ॥पाठ पूरा होने के बाद गुरु ने शिष्यों से कहा कि वे पुस्तक देखकर श्लोक कंठस्थ कर लें।एक घंटे बाद गुरु ने प्रश्न करने वाले शिष्य से पूछा कि उसे श्लोक कंठस्थ हुआ कि नहीं ? उस शिष्य ने पूरा श्लोक शुद्ध-शुद्ध गुरु को सुना दिया। फिर भी गुरु ने सिर ‘नहीं’ में हिलाया, तो शिष्य ने कहा कि” वे चाहें, तो पुस्तक देख लें; श्लोक बिल्कुल शुद्ध है।” गुरु ने पुस्तक देखते हुए कहा“ श्लोक तो पुस्तक में ही है, तो तुम्हारे दिमाग में कैसे चला गया? शिष्य कुछ भी उत्तर नहीं दे पाया।तब गुरु ने कहा “ पुस्तक में जो श्लोक है, वह स्थूल रूप में है। तुमने जब श्लोक पढ़ा, तो वह सूक्ष्म रूप में तुम्हारे दिमाग में प्रवेश कर गया, उसी सूक्ष्म रूप में वह तुम्हारे मस्तिष्क में रहता है। और जब तुमने इसको पढ़कर कंठस्थ कर लिया, *तब भी पुस्तक के स्थूल रूप के श्लोक में कोई कमी नहीं आई …**इसी प्रकार पूरे विश्व में व्याप्त परमात्मा हमारे द्वारा चढ़ाए गए निवेदन को सूक्ष्म रूप में ग्रहण करते हैं, और इससे स्थूल रूप के वस्तु में कोई कमी नहीं होती। उसी को हम प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं।**शिष्य को उसके प्रश्न का उत्तर मिल गया …..**☺️सदा खुश रहे श्री हरि नाम का जाप करते रहे कराते रहे☺️**🚩हरे कृष्ण हरे कृष्णा कृष्ण कृष्ण हरे हरे🚩**🚩हरे राम हरे रामा राम राम हरे हरे🚩*

आयन पटेल

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आज आम आदमी पार्टी का टिकट बलैकिया संजय सिंह ने आरोप लगाया


आज आम आदमी पार्टी का टिकट बलैकिया संजय सिंह ने आरोप लगाया——- राम मंदिर के लिए ज़मीन ख़रीदने में घोटाला हुआ. उन्होंने सबूत पेश किया कि 18 मार्च को दो रेजिस्ट्री हुई, पहली रेजिस्ट्री में कुसुम पाठक, हरीश पाठक ने वह ज़मीन सुल्तान अंसारी आदि को दो करोड़ में बेंची. फिर पाँच मिनट बाद वही ज़मीन विहिप ने 18.5 करोड़ में ख़रीदी. सदैव की भाँति आप पार्टी जिस तरह से मुद्दे उठाती है लगता है बहुत सेंसेसनल है……हरामखोर 370 पेज के दस्तावेज लेकर आज तक घूम रहे हैं दिल्ली में………. संजय सिंह ने जो बताया वह अर्ध सत्य है. 18 मार्च को दो नहीं तीन अनुबंध हुवे. दो जिनका ज़िक्र संजय ने किया, तीसरा वह जिसे वह छिपा गए. ऐक्चूअली तीसरा वाला सबसे पहले हुआ 18 मार्च को. इस अनुबंध के अनुसार कुसुम पाठक, हरीश पाठक का सुल्तान अंसारी बिल्डर और पार्ट्नर के साथ दो करोड़ में बेचने का अनुबंध था जो वह निरस्त किये……. पूरा मामला इस तरह से हैं—- 1—-2019 में पाठक फेमिली ने यह ज़मीन दो करोड़ में सुल्तान अंसारी बिल्डर + 8 पार्ट्नर को बेचने हेतु करार नामा किया रेजिस्टर्ड. जिसके एवज़ में पचास लाख रुपए लिए नगद…..उस समय तक राम मंदिर का फ़ैसला नहीं आया था तो ज़मीनों का रेट काफ़ी कम था अयोध्या में 2—–18 मार्च 2021 को पाठक ने यह करारनामा कैंसिल किया. जब तक यह करार नामा कैंसिल नहीं होता, पाठक इसे किसी को नहीं बेच सकते थे….. 3–फिर उसी दिन उन्होंने यह ज़मीन सुल्तान अंसारी बिल्डर को इसी रेट 2 करोड़ में बेची….. 4—फिर सुल्तान अंसारी से यह ज़मीन विहिप ने 18.5 करोड़ में ख़रीदी. दो साल पहले की बात अलग थी, तब दो करोड़ की जो ज़मीन थी अब अयोध्या में 18.5 करोड़ की होना नेचुरल है……..ट्रस्ट ने जमीन बाजार भाव पर खरीदा हैं जो चल रहा हैं…..और डिटेल में समझाऊँ तो असल में यह कॉमन प्रेक्टिस है. बिल्डर तिहाई चौथाई पैसा देकर किसान से लैंड अग्रीमेंट कर लेते हैं लम्बे समय के लिए. फिर वह ढूँढते हैं पार्टी जो उस ज़मीन को ख़रीद सके. किसान ने चूँकि अग्रीमेंट कर रखा है तो वह बिल्डर को उसी रेट में ही बेंच सकता है जिस रेट में पहले से तय है. जैसे ही बिल्डर को पार्टी मिल जाती है या इसी बीच ज़मीन का रेट बढ़ गया तो बिल्डर सौदा तय कर देता है पार्टी के साथ. पार्टी की मजबूरी है बिल्डर से ही ख़रीदना क्योंकि बिल्डर का किसान से अग्रीमेंट है. फिर रेजिस्ट्री वाले दिन बिल्डर पहले अग्रीमेंट कैंसिल करता है, फिर प्रॉपर्टी को पुराने रेट में ख़रीदता है और नए रेट में पार्टी को बेंच देता है…….यह एक सामान्य प्रेक्टिस है प्रॉपर्टी डीलिंग की. जो भी प्रॉपर्टी का कार्य करते हैं या जो किसान अपनी ज़मीन बिल्डर को बेंचते हैं उन्हें पता होता है. शहरों में भी बिल्डर ऐसे ही बिल्डर अग्रीमेंट करते हैं. फिर ज़मीन डिवेलप कर महँगे दाम पर बेंचते हैं. अरिजिनल पार्टी को रेट वही मिलता है जितना उसने अग्रीमेंट में तय किया होता है, ठीक समय पर पैसा फँसाने के एवज़ में कमाई बिल्डर खाते हैं, यह उनके रिस्क की वसूली होती है.आपियों की जिन्नगी का सदैव से एक मक़सद रहा है रायता फैलाना. यह उन्हीं रायतों में एक है……… आज नीच आपियन संजय सिंह ने भगवान श्रीराम के घर मे भी रायता फैला दिया हैं……Upendra rai

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અઢારમી ભેંસ


અઢારમી ભેંસ ~.એક ભરવાડ મરવા પડ્યો. આજીવન પરણ્યો નહોતો એટલે બસ..ત્રણ ભાઈઓ સિવાય કુટુંબમાં તેનું કોઈ હતું નહીં, માટેે પોતાની પાસે જે છે, તે ત્રણેય ભાઈઓને નામ કરી જવું તેને વ્યાજબી લાગ્યું. હવે, મિલકતમાં તેની પાસે કેટલીક ભેંસો સિવાય કઈં જ નહોતું. એટલે ત્રણેય ભાઈઓના પોતાની સાથેના ઓછાવત્તા સંબંધોને હિસાબે, તે જ પ્રમાણમાં, પોતાની ભેંસો તેમની વચ્ચે વહેંચી આપવાનો એક પત્ર લખીને, તે મરણ પામ્યો.તેની ઉત્તરક્રિયા પછી ત્રણેય ભાઈઓએ કાગળ ખોલ્યો તો તેમાં લખ્યું હતું કે, સહુથી મોટા ભાઈએ તેને નાનપણથી સાચવ્યો હોવાથી કુલ ભેંસના અડધા ભાગની ભેંસ તેને મળે. બીજા ભાઈએ તેને છાશવારે નાણાકીય મદદ કરી હતી, એટલે કુલ ભેંસના ત્રીજા ભાગની ભેંસ તેને મળે. અને સહુથી નાના ભાઈને કુલ ભેંસના નવમા ભાગની ભેંસ મળે. હવે જ્યારે ત્રણેય ભાઈઓએ ભેંસ ગણી, તો સમજાયું કે પેલો કુલ સત્તર ભેંસ મૂકી ગયેલો. પત્યું..?ત્રણેય ભાઈ મૂંઝાઈ ગયા કે આ ભાગ પાડવા કેમ હવે..?૧૭ ભેંસના અડધા ભાગની ભેંસ મોટાભાઈને કેમ આપવી..?૧૭ ભેંસના ત્રણ ભાગ કરીને એક ભાગ બીજા ભાઈને ય નહોતો આપી શકાતો, ને આ ૧૭ ભેંસના નવ ભાગ કરીને એક ભાગ સહુથી નાના ભાઈને આપવાનો હતો, તો ૧૭ના નવ ભાગ પાડવા કેમ.. ?કોઈને કઈં ભેંસ મારીને અડધી અડધી તો અપાય નહીં..!ને કોઈને ય જરાય ઓછુંવધુ મળે તે નહોતું જોઈતું. ત્રણેય મક્કમ હતા, કે કાગળમાં લખ્યું તેમ જ ભાગ મળવો જોઈએ. મામલો અટવાયો. ઉપાય સૂઝતો નહોતો. આખરે ગામમાં એક ખૂબ ચતુર ડોસી હતી તેની પાસે જવાનું નક્કી કર્યું. ડોસી ડહાપણની ભંડાર, સદાયની આશાવાદી, ને કાયમ લોકોનું ભલું જ વાંછનારી સાલસ બાઈ હતી. નિસ્વાર્થ હતી ને સદાય સાચી સલાહ આપનારી, એટલે ત્રણેય ભાઈઓને લાગ્યું કે આ મામલો એ ડોસી જ ઉકેલી શકશે. ત્રણેય તેની પાસે ગયા.ડોશીએ મામલો જાણ્યો ને વિવાદને સમજ્યો. મામલો અઘરો તો હતો જ. પણ ડોસી સદાયની આશાવાદી હતી એટલે વિચારવાનો સમય મેળવવા ત્રણેય ભાઈઓને, બીજે દિવસે બધી ભેંસોને ભેગી લઈ આવવાનું કહીને રવાના કરી દીધા.બીજા દિવસે ભાઈઓ પેલી ૧૭ ભેંસ લઈને ગયા, એટલે ડોસીએ કહ્યું કે તેની પોતાની પાસે પણ એક ભેંસ છે, ને તાત્પુરતી તેનેય તે પેલી ૧૭ ભેંસમાં ઉમેરીને પછી ભાગ પાડશે. ભાઈઓ કઈં સમજ્યા નહીં પણ ડોસીના ડહાપણ પર વિશ્વાસ હતો એટલે સહમત થયા. ડોસીએ પેલી ૧૭ ભેંસો ભેગી પોતાની એક ભેંસ ઉમેરીને ભાગ પાડવા શરૂ કર્યા.હવે કુલ ભેંસ ૧૮ થઈ ગઈ, એટલે કુલ ભેંસની અડધી ભેંસ મોટા ભાઈને આપવી હવે શક્ય બની ગયું. મોટાભાઈને ૧૮ની અડધી, એટલે કે ૯ ભેંસ ગણી આપી. વચલા ભાઈને કુલ ભેંસના ત્રીજા ભાગની દેવાની હતી, એટલે કુલ ૧૮ ભેંસના ત્રીજા ભાગની, મતલબ કે ૬ ભેંસ તેને પણ ગણી આપી.નાના ભાઈને કુલ ભેંસના નવમા ભાગની ભેંસ આપવાની હતી એટલે કે કુલ ૧૮ ભેંસના નવમાં ભાગની, મતલબ કે બે ભેંસ નાનાભાઈને આપી દીધી. આમ એકંદરે ૧૮માંથી મોટાભાઈને ૯, તો વચલાને ૬, અને નાનાને ૨ ભેંસ આપ્યા બાદ એક ભેંસ વધી. આ ભેંસ ડોસીએ પોતે રાખી લીધી, કારણ તેણે તેની પોતાની એક ભેંસ આમાં ઉમેરી હતી. ત્રણેય ભાઈ ડોસીની આ ગણતરીથી સંતુષ્ટ થયા, ને ખુશી ખુશી ઘરે ગયા..જીવનબોધ: આવી ક્ષણો આપણા બધાનાં જીવનમાં ક્યારેક ને ક્યારેક, ને એક કરતાં વધુ વાર પણ આવી હશે કે જ્યારે આપણા વલણની ચકાસણી થતી હોય છે. ધંધાકીય, નોકરિયાત, સામાજિક કે ઘરેલુ સમસ્યા ઉકેલવા વાટાઘાટો..સમજૂતી..તોલમોલ કરવા પડે, નેગોશીએશન્સ કરવા પડે. આવે વખતે તે સમસ્યા તરફનો આપણો અભિગમ કામ કરી જાય છે. આ અભિગમ હંમેશા હકારાત્મક હોવો ઇચ્છનીય છે. ધંધામાં ઘરાક સાથે, નોકરીમાં બૉસ કે પછી કલાઇન્ટ્સ સાથે, ને ઘરમાં કુટુંબીજનો વચ્ચે. માતા અને પત્ની હોય, કે પછી પત્ની અને દીકરાની વહુ હોય. ‘તમારું તમે ફોડી લો, મને વચ્ચે ના નાખશો’..આવા નકારાત્મક વલણથી સમસ્યા ઉકલી નથી જવાની. ચરુ ઉકળતો જ રહેવાનો. દીકરી અને તેના સાસરિયાનો ય ટંટો હોઈ હોય..દરેક વખતે, બન્ને પક્ષને ગમી જાય તેવું કોમન ગ્રાઉન્ડ શોધવું એટલે જ આ ‘અઢારમી ભેંસ..!’બાકી..પેલી ડોસીનું તો કઈં જ ન ગયું. તેની ભેંસ તો તેને પછી મળી જ ગઈ. પણ વાત બધાને ગમી જાય, ગળે ઉતરી જાય તે માટેનું આ કોમન ગ્રાઉન્ડ તે વચ્ચે લઈ આવી. અને આવી અઢારમી ભેંસ આપણા સહુ પાસે હોઈ જ શકે, બસ એક આશાવાદ મનમાં હોવો ખપે કે સમસ્યાનો ઉકેલ જરૂર મળશે જ. આનો કોઈ ઉકેલ જ નથી એમ કરીને હાથ ખંખેરી નાખવાથી સમસ્યા જેમની તેમ જ રહી જાય છે.ડોસી આશાવાદી હતી, રસ લઈને, હોપફુલ બનીને સમસ્યાને સમજવાનો પ્રયત્ન કર્યો, તો ખ્યાલ આવ્યો કે અઢારમી ભેંસ તો પોતાની પાસે જ છે, જે પેલા ભાઈઓની સમસ્યાનો ઉકેલ લાવીને પાછી પોતા પાસે જ આવી જવાની છે. આમ હકારાત્મક વલણ, જીવન પ્રત્યેનો તંદુરસ્ત અભિગમ અને ભરપૂર આશાવાદ..આપણું અને બીજાઓનું પણ જીવન સુખમય બનાવી શકે છે..અઢારમી ભેંસ બની શકે છે..!..અશ્વિન મજીઠિયા..

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Shri Kalaram Temple, Nashik

The Kalaram temple at Nashik is one of the prominent temples of Lord Ram in Maharashtra. It is said that during his exile, Lord Ram spent a considerable period of time in Panchavati, making the place sacrosanct and one of the important Ram Kshetras.

The Temple houses idols of Lord Ram, Lakshman, Sita and Hanuman. One unique feature of the idol of Lord Ram is that his right hand is placed on his chest in the Abhay Mudra, granting abhaya to his devotees.The idols are carved in black (valukamay) stone and hence, the name Kala Ram. Interestingly, there are two Gore Ram Temples also in Nashik (Prachin Gore Ram and Muthe yanche Gore Ram) and as their names suggests, the idols are in white marble.

• History of the Temple •

Initially the idols were housed in a simple shrine. The present day grand temple was built by Shri Rangarao Odhekar in around 1790. It took around 10-12 years for completion of the temple. Entire temple is in black basalt and very solid. This feature contrasts with other temple constructions of the medieval era which are mostly of brickwork and stuccowork. It is said that the estimated cost for building the temple was over Rupees twenty lakhs then! This speaks of the devotion of the devotee Shri Rangarao Odhekar who wanted only the best for his lord.

• The Temple •

The temple architecture is of the revivalist Nagara Style. Many temples were destroyed in the regime of Aurangazeb and during this phase there was a long pause in development of new temples. Subsequently, Marathas rose to power again and temple construction activities started receiving royal patronage again. A newer style (of brickwork and stuccowork) developed in the Medieval period when temple constructions were resumed. However, at places, efforts were also taken to revive the old Nagara style, this temple being one of the examples.

The complex-
The temple complex is huge and grand, consisting of a tall brick wall fortifying the complex. The complex has four gates or Dwars at 4 directions, the eastern dwar being the main entrance or the Mahadwar. The complex consists of the main temple, a huge Maruti mandap and subsidiary shrines surrounded by small enclosures or open rooms (ovrya). The prakara or the space around the temple is fully paved with stone slabs.

The main temple-
The main temple consists of Garbhagriha, antarala and a sabhamandapa. The sabha Mandapa has a dome shaped ceiling which is elaborately carved. The sabhamandapa has entrances from 3 sides. Gujarat and Rajputana influence is noticeable on the pillars and carvings.

The Shikharas-
There are 3 Shikharas over the temple. One being the main Shikhara over the Garbagriha and two other dome-shaped shikharas. The mukhya shikhara is ornamented with stacked pot motifs. The shikhara concludes with two amalakas and kalasha at the top. The two domical shikharas have vertical and horizontal bands creating trapezoidal shapes which keep reducing in size towards the finial.

The Maruti Mandap-
There is a huge Maruti Mandap facing the temple which is dedicated to Lord Hanuman. The mandapa has 40 pillars (it is said that the 40 pillars symbolise the 40 verses of the Hanuman Chalisa). It is decorated with beautiful cusped arches.

The enclosures-
There are 84 open rooms or ovrya around the temple meant for travellers and pilgrims. It is said it symbolises the travelling of a soul through 84 laksh yonis.

• Festivals and Rituals •

Ram Navaratra and Ram Navami are the most important festivals of the temple. Ram Janmostav is celebrated on Ram Navami and the Rath Yatra procession is taken out on the Ekadashi day. There are two rathas (chariots) – Rama Ratha and Garuda Ratha. The idols of Lord Rama are taken out in the Rama ratha and his padukas are taken out in the Garuda Ratha. Dasara is another important festival when Lord Ram’s procession is taken out for simmolanghan.

The daily pooja and rituals are taken care of by the Pujadhikari or Pujari family who have been serving the lord and the temple since 27 generations.

Grateful to Ninad Pujari for providing inputs.

Reference-
The temples of Maharashtra, G.K.Kanhere

करण रासकर

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This once used to adorn a Kalingan temple’s wall. What an Incredible depiction of Ramayana scene!! The fascinating sculpture’s construction period may date back to 13th/14th Century Ad i.e. the Eastern Ganga’s ruling period over Odisha. The stone panel shows Lord Ramachandra seating in a Virasana posture on a high mountain peak with arrow & bow in his hands. Hanuman gives ‘Pada Seva’ to his left leg. The lower part of the stone slab depicts Lord Lakshmana sharpening his arrows seating over another stone block. Both Ramachandra and Lakshmana are seated amidst large number of monkey followers (exactly 33 in number). What a classic creation by our great ancestors!!

दीपक कुमार नायक

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हे श्रीराम पंचायतन आहे ठाकूरद्वार येथील काळाराम मंदिरातील. श्री. आत्माराम बुवा पाठारे यांचे मंदिर.
आमच्या पूज्य पिताश्रींनी या मंदिरात सलग अठरा वर्षे चातुर्मास प्रवचन सेवा केली.
आरंभी दोन वर्ष वेगवेगळ्या ग्रंथांवर निरूपण केल्यावर चार-पाच श्रोत्यांनी विनंती केली की असा ग्रंथ निवडा की आपल्याला बदलायचे काम पडणार नाही.
पूज्य श्री गुरु महाराजांनी महाभारत लावले. पुढे सलग १५ चातुर्मास महाभारत निरूपण चालले.
भारतीय ग्रंथांचे हे वैभव पहा. सूचना करणारे सर्व श्रीराम चरणी विलीन झाले. पण ग्रंथ बदलावा लागला नाही.
जय श्रीराम.

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Two Odisha tribes that are linked directly from Ramayana era.

(Pic 1) – Bonda women cursed by Maa Sita do not wear cloth to cover their body and keep their heads shaved.

(Pic 2) – Soara or Savara tribe to which a Savari woman belonged to and fed her unripened wild grapes by tasting each and every one of them for their freshness and sweetness before feeding them to a hungry exhausted Rama like a mother.