महिला दिवस पर विशेष
स्वयंवर
( लघुकथाओं की महाकथा )
“डैडी मैं तो शादी को लेकर उलझन में पड़ गई हूं !कई लड़के मेरी नजर में है परंतु किसी में कुछ अच्छा है तो दूसरे में कुछ” ड्राइंग रूम में बैठे अपाहिज पिता को उसकी बेटी ने अपनी समस्या बताई ।
“बेटी ऐसा करो ,एक दिन सबको घर पर बुला लो ,अपने अपने बायोडाटा के साथ !सब का इंटरव्यू कर लेना ।अच्छे से चुनाव हो जाएगा ।प्राचीन काल में इसे स्वयंवर कहते थे ।”
“यह ठीक है डैडी “, रंजना की समझ में आ गई ।निश्चित तिथि को निश्चित समय पर सभी युवकों को आमंत्रित किया गया।
कुल दस युवा उपस्थित हुए ।क्रमशः सबको मिलने की व्यवस्था की गई।तैयार होकर रंजना अपने आजमगढ शीशे के सामने आ गई।
दो चित्र उसकी पुतलियों में आज भी समाए हैं। एक पड़ोसी द्वारा शराब के नशे में अपनी पत्नी को पीटना ,,,,दर्द भरी चीख और उसका तड़पकर ढेर हो जाना ,,,।दूसरा चित्र पड़ोस की नई नवेली निर्मला का जिसे कम दहेज लाने के फलस्वरुप मिट्टी का तेल डालकर जला देना ,,।तब से उसने फैसला किया था वह शादी अपनी पसंद की करेगी या ताउम्र नहीं करेगी ,,,,,,,।
“क्या सारी उम्र,, !”शीशे से आवाज आई ।
“हां सारी उम्र “। “संरक्षण ,,,!”
“मेरी बाहों में है “
। “पैसा ,,,,,,”? “मैं स्वयं कमाऊगी।”
“तन की भूख,,।” ” हजारों साधन है”।
“बच्चे ,,, ।” ” सोचा नहीं आवश्यकता पड़ी तो,,,,,,।”
“तो इन सब के लिए पति क्यों नहीं ?”
“मैं दासता स्वीकार नहीं कर सकती ,,,!” रंजना ने शीशे में ऊभरी आकृति पर अपना पंजा रख दिया और अपने लिए किसी दास पति का चुनाव करने के लिए लान में आ गई।
लड़का लड़की दोनों को एकांत में बातचीत करने की व्यवस्था की गई थी ।पहले लड़के ने रंजना से पूछा, “मैडम आपका नाम प्लीज,,, !” “जी मैंने बायोडाटा में लिख दिया है ,जो आपके हाथ में है”। “वेल रंजना,,,,,, वेरी गुड,,, ,प्लीज ,एक बात सच सच बताइए आपका किसी लड़के से लव अफेयर,,,,।” ” क्या ?” रंजना चौक गई ,”आप यह कैसा सवाल पूछ रहे हैं ?” ” देखो रंजना विवाह दो प्राणियों के संपूर्ण जीवन का संबंध है इसलिए हमारे बीच कोई पर्दा नहीं रहना चाहिए,,,”। “तो ठीक है आप भी मुझे सच सच बताइए आपका कभी किसी लड़की के साथ अफेयर रहा है?” रंजना का प्रत्येक शब्द विश्वास से भरा था ।
युवक ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि इस प्रकार के प्रश्न का सामना करना पड़ सकता है ।वह यकायक तिलमिला गया। “अपने होने वाले पति से ऐसा सवाल पूछने का तुम्हारा कोई अधिकार नहीं है, क्योंकि मैं तुम्हें पसंद करने आया हूं ।” ” नहीं जनाब ,पसंद नापसंद पर मेरा भी पूरा अधिकार है ।आप मेरे सवाल का जवाब नहीं दे सकते तो मैं आप को रिजेक्ट करती हूं,,,,!” टका सा जवाब देकर रंजना आगे बढ़ गई।
दूसरे ग्रुप में युवक के साथ कई लोग आए थे सबसे पहले रंजना के शरीर को घूर घूर कर जांच पड़ताल की ,,,,,कुछ प्रश्न भी पूछे ,,,सैंडल उतरवाकर
चलवाया गया ।” बेटे हमने तो अपनी बात कर ली अब आप अपनी बात कर लो “,कहते हुए प्रोढ वहां से हट गए।
युवक के साथ केवल उसका एक छोटा भाई रह गया ।छोटे ने रंजना से पूछा ,”भाभी तनै दूध बिलोना आवै सै। ” रंजना ने स्वीकृति में गर्दन हिला दी। “ठीक है ,एक बात और बता तने बिजली की कुंडी लगानी आवै से, ,?” “कैसी कुंडी ?”उसने आश्चर्य से पूछा। “वह जो बिना बिल की बिजली लेने ,घर के ऊपर तारों में लगानी पड़े सै,,,।” “चोरी,,, !”रंजना ने घृणापूर्ण दृष्टि से दोनों को देखा और आगे बढ़ गई ।
रंजना अगले युवक के पास पहुंची तो उसका परिवार पंडित जी से झगड़ रहा था ।क्या बात है पंडित जी रंजना ने पूछा। “क्या बताऊं बेटी उन्होंने अभी तक लड़के का मेडिकल प्रमाण पत्र ही नहीं दिया ।कहते हैं हमारे लड़के को कोई बीमारी नहीं है, कल को एचआईवी ,थैलेसीमिया आदि कोई रोग निकल आया तो हमें दोष मत देना!” पंडित जी ने सारा माजरा समझाया।
“नहीं हमें ऐसे लापरवाह लोगों से कोई बात नहीं करनी है “,कहते हुए रंजना आगे बढ़ गई।
अगला युवक रंजना को देखते ही उसकी बाछे खिल गई , “हेलो डियर रंजना आज तो हमारे विवाह का फैसला हो ही जाएगा और अगले माह से तुम रंजना चावला बन जाओगी।”
” क्यों ,,,,,”?
“हमारी शादी जो हो जाएगी।”
“शादी का नाम बदलने से क्या अर्थ है ?”
“यही परंपरा है शादी के बाद प्रत्येक लड़की को अपने पति का गोत्र धारण करना होता है !”
“मैं इसको उचित नहीं मानती।”
” भला क्यों ?”
“लड़की का अपना परिवार ,अपना गोत्र होता है! जन्म देने वाले माता पिता होते हैं !उनको पूर्णता कैसे विलुप्त किया जा सकता है !मैं तो ताउम्र गोविल ही बनी रहूंगी,,,।”
“मजाक कर रही हो क्या ?”
“नहीं नहीं ,पूरी गंभीरता के साथ सोच समझ कर बोल रही हूं,,।”
“रंजना जानती हो कितनी कठिनाई से हमारा परिवार शादी के लिए तैयार हुआ है! अब तुमने यह कैसी जिद्द लगा दी है।”
“ज़िद्द नहीं आकाश, यह नारी जाति के वजूद का सवाल है।”
“क्या यह तुम्हारा अंतिम फैसला है ?”
“बिल्कुल ,मेरा निर्णय ठीक लगे तो बता देना !”कठोर कदमो के साथ रंजना आगे बढ़ गई। अगले युवक का बायोडाटा देखकर रंजना ने उससे पूछा, ” मिस्टर विनोद ,मान लीजिए हमारी शादी हो जाती है तो भविष्य में हमें बच्चा चाहिए ही,
तो क्या आप उसका पालन पोषण कर पाएंगे?:” “इसकी चिंता मत करो हम इसे क्रैच में छोड़ देंगे”!
“फिर तो बेबी तुम्हारा नहीं क्रेज का बन जाएगा!” “सच कहूं तो मैं नौकरी से आने के बाद इतना थक जाती हूं कि कुछ भी करने की हिम्मत नहीं रहती। यदि तुम अपनी नौकरी छोड़कर बच्चे को संभालो तो विचार किया जा सकता है ।”
“क्या आप नौकरी छोड़कर घर संभालने पर विचार नहीं कर सकती !?”
“नो नेवर ,मैं बच्चे को पैदा कर सकती हूं परंतु संभालना आपको पड़ेगा यदि इस बात से सहमत हो तो बता देना” ,कहकर रंजना के कदम आगे बढ़ गए!
दूसरी पंक्ति में उसका साथीटिंकू ,लजाया ,शरमाया खड़ा था। रंजना ने भरपूर दृष्टि से उसे ऊपर से नीचे तक देखा और पूछा ,”टिंकू सच बताना आपको खाना बनाना आता है ?”
“जी थोड़ा-थोड़ा आता है !”
“तुम्हारे डैडी ने यह भी नहीं सिखाया?”
” जी मैं हॉस्टल में रहता था ना इसलिए !”
“ठीक है यह बताओ क्या तुम्हें बेबी को संभालना आता है?”
“जी मैं सीख लूंगा!”
“कब”?
” जब तक बेबी आएगा।”
” देखो टिंकू, मैं सर्विस वाली लड़की हूं घर से बाहर मुझे दस प्रकार के व्यक्तियों से मिलना होता है कहीं बाद में झगड़ा विवाद ,कोर्ट कचहरी हो,,,।”
” नहीं मैं आपके साथ अच्छे से एडजस्ट कर लूंगा”! “पहली मुलाकात में तो सभी मर्द ऐसे ही बोलते हैं ,उनका असली चेहरा तो बाद में नजर आता है!” “आप चिंता ना करें, मैं सारी उम्र आपका ख्याल रखूंगा “।
“खैर उम्र भर का फैसला तो बाद में देखेंगे पहले एक मास मेरे साथ रहकर दिखाओ ।आपका टेस्ट भी हो जाएगा।”
“हां जी यह भी ठीक है” ,एक मास तक उसको साथ रखने के लिए अपनी सहेली को उसका नाम नोट करा दिया और आगे बढ़ गई।
अगले युवक को देखने से पूर्व रंजना की दृष्टि उसके द्वारा टेबल पर सजाएं हीरे जवाहरात के गहनों पर पड़ी ।मैडम यह देखो बाजूबंद यह देखो गलबंद ,,,जरा पहनकर शीशे में देखो आसू ने लड़की को खुश करने के लिए अपनी पूरी ताकत लगा दी ।ऐ जोहरी बाबू ,हाथों में हथकड़ी गले में फांसी का फंदा लगाकर मुझे आभूषणों में कैद करना चाहते हो ।एक तो इन धातुओं का बोझ उठाओ दूसरा इनकी सुरक्षा की चिंता में घूलते रहो,,,,। परंतु धनी और सुंदर तो लगेगी
ना बाबा ना मुझे सुंदर और धनवान नहीं बनना है। हौसले वाली बनकर अपने पांव पर खड़ा होना है” ।आशु का चेहरा उतर गया और वह धीरे-धीरे अपने गहने समेटने लगा ।
अगले रूम में भी रंजना का चिर परिचित दोस्त बैठा था। उसने आगे बढ़कर स्वागत किया, “आज तो हमारी शादी का फैसला हो ही जाएगा,,,,,।”
” मेरी एक प्रॉब्लम है मयंक मैं अपने अपाहिज पापा को अकेला नहीं छोड़ सकती ।मेरे अतिरिक्त उनकी देखभाल करने वाला कोई नहीं है ।उन्होंने मुझे पाल पोस कर बड़ा किया है। देखो बुरा मत मानना ,शादी के बाद हमें उनके साथ रहना होगा ।”
“यार, ऐसा भी कहीं होता है ,,!”
“क्यों इसमें क्या दिक्कत है ।आखिर उन्होंने मुझे जन्म दिया है ।मैं सपने में भी नहीं सोच सकती उनको नौकरों के भरोसे छोड़कर दूसरा घर आबाद करु”, रंजना ने दृढ़ता से कहा, “तुम्हारा तो फिर भी भरा पूरा परिवार है परंतु मेरे पापा को हमारी बहुत आवश्यकता है ।”
“तुम कुछ समझती नहीं हो !हमारा समाज ,परिवार ,परंपराएं है।”
“आवश्यकता के अनुसार उनको बदला भी जा सकती हैं ,,,समझ लो मेरा यह भीष्म संकल्प है कि मैं उसी के साथ शादी करूंगी जो मेरे साथ मेरे घर में रहे ।”
“एक वर्ष से हम एक होने के सपने बुन रहे हैं !” “माता-पिता 22 वर्ष से हमारे लिए सपने बुन रहे हैं!”
” मुझे कुछ सोचने समझने का वक्त दो !”
“एक मास तक मैं तुम्हारी प्रतीक्षा करूंगी यदि मेरा प्रस्ताव ठीक लगे तो घर आ जाना”, स्पष्ट कह कर रंजना आगे चल पड़ी ।
डैडी घर के ड्राइंग रूम में उसकी प्रतीक्षा कर रहे थे। रंजना को आते देख उन्होंने पूछा,” कहो बेटी कोई लड़का समझ में आया क्या?”
“क्या बताऊं डैडी सब पुरातन पंथी हैऔर परंपरा वादी विचारों के हैं ।एक को ट्राई के लिए रखा
है ।”
“कोई चिंता नहीं डियर ,सोच विचार कर फैसला करना इस बार समझ में न आया तो एक स्वयंवर और रख लेंगे” ,कहते हुए डैडी आराम से लेट गए ! मधुकांत , रोहतक