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सफलता की तैयारी

🔷 शहर से कुछ दूर एक बुजुर्ग दम्पत्ती रहते थे वो जगह बिलकुल शांत थी और आस -पास इक्का -दुक्का लोग ही नज़र आते थे।

🔶 एक दिन भोर में उन्होंने देखा की एक युवक हाथ में फावड़ा लिए अपनी साइकिल से कहीं जा रहा है, वह कुछ देर दिखाई दिया और फिर उनकी नज़रों से ओझल हो गया दम्पत्ती ने इस बात पर अधिक ध्यान नहीं दिया, पर अगले दिन फिर वह व्यक्ति उधर से जाता दिखा अब तो मानो ये रोज की ही बात बन गयी, वह व्यक्ति रोज फावड़ा लिए उधर से गुजरता और थोड़ी देर में आँखों से ओझल हो जाता।

🔷 दम्पत्ती इस सुन्सान इलाके में इस तरह किसी के रोज आने -जाने से कुछ परेशान हो गए और उन्होंने उसका पीछा करने का फैसला किया अगले दिन जब वह उनके घर के सामने से गुजरा तो दंपत्ती भी अपनी गाडी से उसके पीछे -पीछे चलने लगे कुछ दूर जाने के बाद वह एक पेड़ के पास रुक और अपनी साइकिल वहीँ कड़ी कर आगे बढ़ने लगा १५-२० कदम चलने के बाद वह रुका और अपने फावड़े से ज़मीन खोदने लगा।

🔶 दम्पत्ती को ये बड़ा अजीब लगा और वे हिम्मत कर उसके पास पहुंचे, “तुम यहाँ इस वीराने में ये काम क्यों कर रहे हो ?”

🔷 युवक बोला, “ जी, दो दिन बाद मुझे एक किसान के यहाँ काम पाने क लिए जाना है, और उन्हें ऐसा आदमी चाहिए जिसे खेतों में काम करने का अनुभव हो, चूँकि मैंने पहले कभी खेतों में काम नहीं किया इसलिए कुछ दिनों से यहाँ आकार खेतों में काम करने की तैयारी कर रहा हूँ!!”

🔶 दम्पत्ती यह सुनकर काफी प्रभावित हुए और उसे काम मिल जाने का आशीर्वाद दिया।

🔷 मित्रो, किसी भी चीज में सफलता पाने के लिए तैयारी बहुत ज़रूरी है जिस लगन के साथ युवक ने खुद को खेतों में काम करने के लिए तैयार किया कुछ उसी तरह हमें भी अपने-अपने क्षेत्र में सफलता के लिए खुद को तैयार करना चाहिए।

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(((((((((( सच्चा परोपकार ))))))))))
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एक आदमी को जीवन से बड़ी ख्वाहिशें थीं. उसने उन्हें पूरी करने की कोशिश भी की लेकिन सफल नहीं रहा.
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किसी सत्संगी के संपर्क में आकर उसे वैराग्य हुआ और संत हो गया. संत होने से उसे किसी चीज की लालसा ही न रही.
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संत भगवान की भक्ति में लगे रहते. योग, साधना और यज्ञ-हवन करते. इससे उसे मानसिक सुख मिलता और उसमें दैवीय गुण भी आने लगे.
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एक बार वह ईश्वर की लंबी साधना में बैठे. इससे देवता प्रसन्न होकर उनके पास आए और वरदान मांगने को कहा.
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संत ने कहा- जब मेरे मन में इच्छाएं थीं तब तो कुछ मिला ही नहीं. अब कुछ नहीं चाहिए तो आप सब कुछ देने को तैयार है. आप प्रसन्न हैं यही काफी है. मुझे कुछ नहीं चाहिए.
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देवता ने कहा- इच्छा पर विजय प्राप्त करने से ही आप महान हुए. भगवान और आपके बीच की एक ही बाधा थी, आपकी अनंत इच्छाएं. उस बाधा को खत्मकर आप पवित्र हुए.
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मुझे भगवान ने भेजा है. इसलिए आप कुछ न कुछ स्वीकार कर हमारा मान रखें.
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संत ने बहुत सोच-विचारकर कहा- मुझे वह शक्ति दीजिए कि यदि मैं किसी बीमार व्यक्ति को स्पर्श कर दूं तो वह भला-चंगा हो जाए. किसी सूखे वृझ को छू दूं तो उसमें जान आ जाए. देवता ने वह वरदान दे दिया.
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संत ने रूककर कहा- मैं अपने वरदान में संशोधन चाहता हूं. बीमार व्यक्ति को स्वास्थ्य लाभ और वृक्ष को जीवन मेरे छूने से नहीं मेरी छाया पड़ने से ही हो जाए और मुझे इसका पता भी न चलें.
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देवता ने पूछा- किसी को स्पर्श करने में कोई शंका है ?
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संत ने कहा- बिल्कुल नहीं परंतु मैं नहीं चाहता कि यह बात फैले कि मेरे स्पर्श से लोगों को लाभ होता है.
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शक्ति का अहसास मन को मलिन करके कुच्रकों की रचना शुरू करता है चाहे वह कोई दैवीय सिद्धि ही हो क्यों न हो. उसे श्रेष्ठता का अभिमान होने लगता है.
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फिर तो यह वरदान मेरे लिए शाप बन जाएगा. अच्छा है कि लोगों का कल्याण चुपचाप हो जाए.
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जब आपकी किसी चीज के लिए बहुत ज्यादा इच्छा होती है तब वह वस्तु आसानी से नहीं मिलती.
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लालसा घटते ही वह सरलता से उपलब्ध होने लगती है. बहुत ज्यादा इच्छाएं मानसिक अशांति का कारण बनती हैं.
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परोपकार का भाव रखना बहुत अच्छा है लेकिन उस परोपकार के बदले उपकार का भाव रखना लालसा है.
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लालसा आते ही परोपकार का आपका सामर्थ्य कम होता है. आजमाई हुई बात है. ध्यान से सोचिए, सत्य लगेगा.
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(((((((((( जय जय श्री राधे ))))))))))<br>
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संजय गुप्ता

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    हर पति-देव इसे ध्यान से पढ़ें ~

  😤  एक युवक बगीचे में  😤
        बहुत गुस्से में बैठा था !
      पास ही एक बुजुर्ग बैठे थे !
उन्होने उस परेशान युवक से पूछा :-
           क्या हुआ बेटा …
           क्यूं इतना परेशान हो ?

युवक ने गुस्से में अपनी पत्नी की
गल्तियों के बारे में बताया !
बुजुर्ग ने मंद-मंद मुस्कराते हुए …
युवक से पूछा :-

😇 बेटा क्या तुम बता सकते हो ~
       तुम्हारा धोबी कौन है ?
🚶🏻 युवक ने हैरानी से पूछा :-
        क्या मतलब ?
🍯 बुजुर्ग ने कहा :-
      तुम्हारे मैले कपड़े कौन धोता है ?
🚶🏻 युवक बोला 👉 मेरी पत्नी

😇 बुजुर्ग ने पूछा :-
      तुम्हारा बावर्ची कौन है ?
🚶🏻 युवक 👉 मेरी पत्नी

😂 बुजुर्ग :- तुम्हारे घर-परिवार और
      सामान का ध्यान कौन रखता है ?
🚶🏻 युवक 👉 मेरी पत्नी

😇 बुजुर्ग ने फिर पूछा :-
      कोई मेहमान आए तो …
      उनका ध्यान कौन रखता है ?
🚶🏻 युवक 👉 मेरी पत्नी

😇 बुजुर्ग :-  परेशानी और गम में …
                     कौन साथ देता है ?
🚶🏻 युवक :-  मेरी पत्नी

😇 बुजुर्ग :-  अपने माता पिता का घर
                छोड़कर जिंदगी भर के लिए
                तुम्हारे साथ कौन आता है ?
🚶🏻 युवक :-  मेरी पत्नी

😇 बुजुर्ग :-  बीमारी में तुम्हारा ध्यान और
                     सेवा कौन करता है ?
🚶🏻 युवक :-  मेरी पत्नी

😇 बुजुर्ग बोले :- एक बात और बताओ
              तुम्हारी पत्नी इतना काम और
              सबका ध्यान रखती है !
                  क्या कभी उसने तुमसे …
                  इस बात के पैसे लिए ?
🚶🏻 युवक :-  कभी नहीं…

इस बात पर बुजुर्ग बोले कि ~
पत्नी की एक कमी तुम्हें नजर आ गई
मगर , उसकी इतनी सारी खूबियाँ
तुम्हें कभी नजर नहीं आईं ?

  ☄☄☄☄☄☄☄☄

👰🏻 चूंकि पत्नी ईश्वर का दिया …
  एक स्पेशल उपहार है इसलिए
    उसकी उपयोगिता जानो…
      और उसकी देखभाल करो।

🎈〰〰❣❣〰〰🎈

     ये मैसेज हर विवाहित पुरुष के
       मोबाइल में होना चाहिए, ताकि …
          उन्हें अपनी पत्नी के महत्व का
             अंदाजा हो।

  💎💎💎💎💎💎👌

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आज का रूहानी विचार :–

सिमरन करते हुए अपने कार्य में तत्लीन रहने वाले भक्त रविदास जी आज भी अपने जूती गांठने के कार्य में ततलीन थे
अरे,,मेरी जूती थोड़ी टूट गई है,,इसे गाँठ दो,,राह गुजरते एक पथिक ने भगत रविदास जी से थोड़ा दूर खड़े हो कर कहा
आप कहाँ जा रहे हैं श्रीमान? भगत जी ने पथिक से पूछा
मैं माँ गंगा स्नान करने जा रहा हूँ,,तुम चमड़े का काम करने वाले क्या जानो गंगा जी के दर्शन और स्नान का महातम,,,
सत्य कहा श्रीमान,,हम मलिन और नीच लोगो के स्पर्श से पावन गंगा भी अपवित्र हो जाएगी,,आप भाग्यशाली हैं जो तीर्थ स्नान को जा रहे हैं,,भगत जी ने कहा
सही कहा,,तीर्थ स्नान और दान का बहुत महातम है,,ये लो अपनी मेहनत की कीमत एक कोड़ी,, और मेरी जूती मेरी तरफ फेंको
आप मेरी तरफ कौड़ी को न फेंकिए,, ये कौड़ी आप गंगा माँ को गरीब रविदास की भेंट कह कर अर्पित कर देना
पथिक अपने राह चला गया,,रविदास पुनः अपने कार्य में लग गए
अपने स्नान ध्यान के बाद जब पथिक गंगा दर्शन कर घर वापिस चलने लगा तो उसे ध्यान आया
अरे उस शुद्र की कौड़ी तो गंगा जी के अर्पण की नही,,नाहक उसका भार मेरे सिर पर रह जाता
ऐसा कह कर उसने कौड़ी निकाली और गंगा जी के तट पर खड़ा हो कर कहा
हे माँ गंगा,,रविदास की ये भेंट स्वीकार करो
तभी गंगा जी से एक हाथ प्रगट हुआ और आवाज आई
लाओ भगत रविदास जी की भेंट मेरे हाथ पर रख दो
हक्के बक्के से खड़े पथिक ने वो कौड़ी उस हाथ पर रख दी
हैरान पथिक अभी वापिस चलने को था कि पुनः उसे वही स्वर सुनाई दिया
पथिक,,ये भेंट मेरी तरफ से भगत रविदास जी को देना गंगा जी के हाथ में एक रत्न जड़ित कंगन था,,हैरान पथिक वो कंगन ले कर अपने गंतव्य को चलना शुरू किया उसके मन में ख्याल आया रविदास को क्या मालूम,,कि माँ गंगा ने उसके लिए कोई भेंट दी है,,अगर मैं ये बेशकीमती कंगन यहाँ रानी को भेंट दूँ तो राजा मुझे धन दौलत से मालामाल कर देगा ऐसा सोच उसने राजदरबार में जा कर वो कंगन रानी को भेंट कर दिया,,रानी वो कंगन देख कर बहुत खुश हुई,,अभी वो अपने को मिलने वाले इनाम की बात सोच ही रहा था कि रानी ने अपने दूसरे हाथ के लिए भी एक समान दूसरे कंगन की फरमाइश राजा से कर दीपथिक,,हमे इसी तरह का दूसरा कंगन चाहिए,,राजा बोला आप अपने राज जौहरी से ऐसा ही दूसरा कंगन बनवा लें,,पथिक बोला पर इस में जड़े रत्न बहुत दुर्लभ हैं,,ये हमारे राजकोष में नहीं हैं,,अगर पथिक इस एक कंगन का निर्माता है तो दूसरा भी बना सकता है,,,,राजजोहरी ने राजा से कहा पथिक अगर तुम ने हमें दूसरा कंगन ला कर नहीं दिया तो हम तुम्हे मृत्युदण्ड देंगे,,राजा गुर्राया पथिक की आँखों से आंसू बहने लगेभगत रविदास से किया गया छल उसके प्राण लेने वाला था पथिक ने सारा सत्य राजा को कह सुनाया और राजा से कहा केवल एक भगत रविदास जी ही हैं जो गंगा माँ से दूसरा कंगन ले कर राजा को दे सकते हैंराजा पथिक के साथ भगत रविदास जी के पास आया भगत जी सदा की तरह सिमरन करते हुए अपने दैनिक कार्य में तत्तलीन थे पथिक ने दौड़ कर उनके चरण पकड़ लिए और उनसे अपने जीवन रक्षण की प्रार्थना की भगत रविदास जी ने राजा को निकट बुलाया और पथिक को जीवनदान देने की विनती कीराजा ने जब पथिक के जीवन के बदले में दूसरा कंगन माँगा तो भगत रविदास जी ने अपनी नीचे बिछाई चटाई को हटा कर राजा से कहा आओ और अपना दूसरा कंगन पहचान लो राजा जब निकट गया तो क्या देखता है भगत जी के निकट जमीन पारदर्शी हो गई है और उस में बेशकीमती रत्न जड़ित असंख्य ही कंगन की धारा अविरल बह रही हैपथिक और राजा भगत रविदास जी के चरणों में गिर गए और उनसे क्षमा याचना की प्रभु के रंग में रंगे महात्मा लोग,,जो अपने दैनिक कार्य करते हुए भी प्रभु का नाम सिमरन करते हैं उन से पवित्र और बड़ा कोई तीर्थ नही,,,उन्हें तीर्थ वेद शास्त्र क्या व्यख्यान करेंगे उनका जीवन ही वेद है उनके दर्शन ही तीर्थ हैं
गुरबाणी में कथन है
साध की महिमा बेद न जानै
जेता सुनह,, तेता बख्यान्ही।……..🙏🏻🙏🏻🙏🏻👏🏻👏🏻💐

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महाभारत की एक अद्भुत कथा – कलियुग की यह पाँच कड़वी सच्चाईयाँ |

महाभारत (Mahabharat) के समय की बात है पाँचों पाण्डवों (Pandav) ने भगवान श्रीकृष्ण से कलियुग (Kalyug) के बारे में चर्चा की और कलियुग के बारे में विस्तार से पुछा और जानने की इच्छा जाहिर की कि कलियुग में मनुष्य कैसा होगा, उसके व्यवहार कैसे होंगे और उसे मोक्ष कैसे प्राप्त होगा ?
इन्ही प्रश्नों का उत्तर देने के लिए भगवान श्रीकृष्ण (Bhagwan Shri Krishan Ji) कहते हैं- “तुम पाँचों भाई वन में जाओ और जो कुछ भी दिखे वह आकर मुझे बताओ। मैं तुम्हें उसका प्रभाव बताऊँगा।” पाँचों भाई वन में गये।
युधिष्ठिर महाराज (Maharaj Yudhisthir) ने देखा कि किसी हाथी की दो सूँड है। यह देखकर आश्चर्य का पार न रहा।
अर्जुन (Arjun) दूसरी दिशा में गये। वहाँ उन्होंने देखा कि कोई पक्षी (bird) है, उसके पंखों पर वेद की ऋचाएँ लिखी हुई हैं पर वह पक्षी मुर्दे का मांस खा रहा है यह भी आश्चर्य है !
भीम (Bheem) ने तीसरा आश्चर्य देखा कि गाय ने बछड़े को जन्म (birth) दिया है और बछड़े को इतना चाट रही है कि बछड़ा लहुलुहान हो जाता है।
सहदेव (Sahdev) ने चौथा आश्चर्य देखा कि छः सात कुएँ हैं और आसपास के कुओं में पानी है किन्तु बीच का कुआँ खाली है। बीच का कुआँ गहरा है फिर भी पानी नहीं है।
पाँचवे भाई नकुल (Nakul) ने भी एक अदभुत आश्चर्य देखा कि एक पहाड़ (mountain) के ऊपर से एक बड़ी शिला लुढ़कती-लुढ़कती आती और कितने ही वृक्षों से टकराई पर उन वृक्षों के तने उसे रोक न सके। कितनी ही अन्य शिलाओं के साथ टकराई पर वह रुक न सकीं। अंत में एक अत्यंत छोटे पौधे (small plant) का स्पर्श होते ही वह स्थिर हो गई। पाँचों भाईयों के आश्चर्यों का कोई पार नहीं !

शाम को वे श्रीकृष्ण के पास गये और अपने अलग-अलग दृश्यों का वर्णन किया।
युधिष्ठिर कहते हैं- “मैंने दो सूँडवाला हाथी देखा तो मेरे आश्चर्य का कोई पार न रहा।”
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तब श्री कृष्ण कहते हैं- “कलियुग में ऐसे लोगों का राज्य होगा जो दोनों ओर से शोषण करेंगे। बोलेंगे कुछ और करेंगे कुछ। ऐसे लोगों का राज्य होगा। इससे तुम पहले राज्य कर लो।”

अर्जुन ने आश्चर्य देखा कि पक्षी के पंखों पर वेद की ऋचाएँ लिखी हुई हैं और पक्षी मुर्दे का मांस खा रहा है। इसी प्रकार कलियुग में ऐसे लोग रहेंगे जो बड़े- बड़े पंडित और विद्वान कहलायेंगे किन्तु वे यही देखते रहेंगे कि कौन-सा मनुष्य मरे और हमारे नाम से संपत्ति कर जाये। “संस्था” के व्यक्ति विचारेंगे कि कौन सा मनुष्य मरे और संस्था हमारे नाम से हो जाये। हर जाति धर्म के प्रमुख पद पर बैठे विचार करेंगे कि कब किसका श्राद्ध है ?
चाहे कितने भी बड़े लोग होंगे किन्तु उनकी दृष्टि तो धन के ऊपर (मांस के ऊपर) ही रहेगी।
ऐसे लोगों की बहुतायत होगी जो परधन को हरने और छीनने को आतुर होंगे और कोई कोई विरला ही संत पुरूष होगा।
भीम ने तीसरा आश्चर्य देखा कि गाय अपने बछड़े को इतना चाटती है बछड़ा लहुलुहान हो जाता है। कलियुग का आदमी शिशुपाल हो जायेगा। बालकों के लिए इतनी ममता (Care love for kids) करेगा कि उन्हें अपने विकास का अवसर ही नहीं मिलेगा। “”किसी का बेटा घर छोड़कर साधु बनेगा तो हजारों व्यक्ति दर्शन करेंगे…. किन्तु यदि अपना बेटा साधु बनता होगा तो रोयेंगे कि मेरे बेटे का क्या होगा ?””
इतनी सारी ममता होगी कि उसे मोहमाया और परिवार में ही बाँधकर रखेंगे और उसका जीवन वहीं खत्म हो जाएगा। अंत में बिचारा अनाथ होकर मरेगा। वास्तव में लड़के तुम्हारे नहीं हैं, वे तो बहुओं की अमानत हैं, लड़कियाँ जमाइयों की अमानत हैं और तुम्हारा यह शरीर मृत्यु की अमानत है। तुम्हारी आत्मा-परमात्मा की अमानत है ।
तुम अपने शाश्वत संबंध को जान लो बस !

सहदेव ने चौथा आश्चर्य यह देखा कि पाँच सात भरे कुएँ के बीच का कुआँ एक दम खाली ! कलियुग में धनाढय लोग (Rich People) लड़के-लड़की के विवाह (Marriage) में, मकान के उत्सव में, छोटे-बड़े उत्सवों में तो लाखों रूपये खर्च कर देंगे परन्तु पड़ोस में ही यदि कोई भूखा प्यासा होगा तो यह नहीं देखेंगे कि उसका पेट भरा है या नहीं। दूसरी और मौज-मौज में, शराब, कबाब, फैशन और व्यसन में पैसे उड़ा देंगे। किन्तु किसी के दो आँसूँ पोंछने में उनकी रूचि न होगी और जिनकी रूचि होगी उन पर कलियुग का प्रभाव नहीं होगा, उन पर भगवान का प्रभाव होगा।
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पाँचवा आश्चर्य यह था कि एक बड़ी चट्टान पहाड़ पर से लुढ़की, वृक्षों (Trees) के तने और चट्टाने (Big Stones) उसे रोक न पाये किन्तु एक छोटे से पौधे से टकराते ही वह चट्टान रूक गई। कलियुग में मानव का मन नीचे गिरेगा, उसका जीवन पतित होगा। यह पतित जीवन धन की शिलाओं से नहीं रूकेगा न ही सत्ता के वृक्षों से रूकेगा। किन्तु हरिनाम के एक छोटे से पौधे से, हरि कीर्तन के एक छोटे से पौधे से मनुष्य जीवन का पतन होना रूक जायेगा।

आचार्य विकाश शर्मा

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जानिये किस कारण से हुआ था महाभारत की द्रोपदी का जन्‍म |

हिंदू धर्म के महाकाव्‍य महाभारत में द्रोपदी को आग से जन्‍मी पुत्री (daughter) के रूप में वर्णित किया गया था। पांचाल के राजा ध्रुपद थे; जिनके कोई संतान नहीं थी, उन्‍होने एक यज्ञ करवाया जिसमें द्रोपदी का जन्‍म (birth) हुआ; वह पांच पांडवों की रानी बनी और कहा जाता है कि वह उस समय की सबसे सुंदर स्‍त्री (most beautiful lady) थी।
बहुत कम ही लोगों को ज्ञात होगा कि द्रोपदी के पांच पुत्र थे, जो हर एक पांडव (pandav) के थे। युधिष्ठिर से पृथ्‍वीविंध्‍या, भीम से सुतासोमा, अजुर्न से श्रुताकर्मा, न‍कुल से सातानिका और सहदेव से श्रुतासेना थे। द्रोपदी, आजीवन कुंवारी रही थी। सभी पुत्रों का जन्‍म देवों के आह्वान से हुआ था।
द्रोपदी के जन्‍म का कारण: पांचाल के राजा ध्रुपद (king dhrupad) को कोई संतान (child) नहीं थी और वह पुत्र चाहते थे ताकि उनका राज्‍य (state) कोई संभाल सकें, उन्‍हे भी कोई उत्‍तराधिकारी मिल सकें। ऋषि द्रोण के साथ उनका काफी मनमुटाव था और अर्जुन ने उनके आधे राज्‍य को जीतकर ऋषि द्रोण को दे दिया था।
बदले की भावना: राजा ध्रुपद में इस बात को लेकर बहुत निराशा (sad) थी और वह बदला लेना चाहते थे, जिसके लिए उन्‍होने एक बड़ा यज्ञ करवाया। इस यज्ञ को करवाने पर द्रोपदी का जन्‍म हुआ और साथ ही में एक पुत्र (son) भी जन्‍मा; जिसका नाम दृष्‍टदुम्‍या था।
कुरू वंश का पतन: जब द्रोपदी का जन्‍म हुआ, उस समय ही आकाशवाणी हुई कि यह लड़की, कुरू वंश के पतन का कारण बनेगी।
द्रोपदी का विवरण: महाभारत में द्रोपदी को बेहद खूबसूरत बताया गया है, कहा जाता है कि उनकी आंखें, फूलों की पंखुडियों की भांति थी, वह काफी कुशाग्र और कला में दक्ष थी। उनके शरीर से नीले कमल की खुशबु (smell) आती थी।
द्रोपदी के लिए स्‍वयंवर: जब द्रोपदी के लिए स्‍वयंवर रचाया गया था, उस समय पांडवों को अज्ञातवास मिला हुआ था। राजा ध्रुपद ने अपनी पुत्री के लिए स्‍वयंवर रचा और एक धनुष प्रतियोगिता (archery competition) रखी। इस प्रतियोगिता को जीतने वाले को उपहारस्‍वरूप (gift) द्रोपदी से शादी करवाई जाएगी, ऐसी घोषणा हुई थी।
सर्वोत्‍तम धर्नुधर: ध्रुपद का कहना था कि इस प्रतियोगिता में जो व्‍यक्ति तीर को निशाने पर मार देगा, वही मेरी पुत्री से विवाह (marriage) से कर सकता है, ताकि उनकी पुत्री का विवाह सर्वश्रेष्‍ठ धर्नुधारी से हो सकें।
अज्ञातवास: पांडव अपने अज्ञातवास के दौरान भोजन के लिए निकले हुए थे, जहां वह द्रोपदी के विवाह में जा पहुंचें। वहां पर अर्जुन ने तीर चलाया और द्रोपदी को जीत लिया। इस प्रकार द्रोपदी का विवाह हुआ, लेकिन कुंती ध्‍यान में थी और उन्‍होने अपने पुत्रों को अर्जुन का जीता हुआ सामान बांट लेने को कहा; जिससे पुत्रों को पत्‍नी भी बांटनी पड़ गई।
उत्‍तराधिकारी: पांडवों के प्रवास के दौरान, द्रोपदी भी उनके साथ ही रही। बाद में वह हस्तिनापुर (hastinapur) वापस आई और अपने पांडवों के साथ रही। वहां भी उनकी मुश्किलें (problems) कम नहीं हुई। कौरवों के पुत्र, हर क्षण उनका अपमान करते थे।
खांडवप्रस्‍थ: पांडव पुत्रों को राज्‍य में खांडवप्रस्‍थ दे दिया गया था, जहां उन्‍हे गुजर बसर करना था। यह स्‍थान बिल्‍कुल रेगिस्‍तान जैसी थी। भगवान कृष्‍ण (bahgwan shri krishan ji) की मदद से इस स्‍थान को इंद्रप्रस्‍थ बनाया गया। घाटी में एक महल का निर्माण किया गया।
राजासुया यज्ञ: इस यज्ञ को करके पांडवों ने कई प्रकार से आराधना (pray) करके, ईश्‍वर से वरदान प्राप्‍त कर लिया था। इससे उन्‍हे काफी शक्ति (powers) प्राप्‍त हुई थी।
द्रोपदी भारत की पहली नारीवादी: माना जाता है कि द्रोपदी, भारत की पहली स्‍त्रीवादी थी। उन्‍होने अपने समय में महिलाओं (womens) पर होने वाले अत्‍याचारों पर आवाज उठाई थी और उनके हित की बात कही थी। कौरवों के जुल्‍मों पर भी वह खुलकर बोल देती थी।
सुंदरता ही संकट बनी: द्रोपदी बेहद सुंदर थी, अर्जुन ने उन्‍हे जीता था लेकिन वह पांडवों की रानी बनी। वह इतनी सुंदर थी कि दुर्योधन (duryodhan) की उन पर बुरी नज़र थी। उनकी सुंदरता के कारण ही उनकी दशा बन गई थी। उनकी सुंदरता ही उनके लिए जी का जंजाल बनी हुई थी।
पांच पतियों की पत्‍नी: द्रोपदी में ऐसे गुण थे कि वह पांडवों को अच्‍छे से समझा सकती थी। वह पांचों पांडव को अपने पति की तरह मानती थी और उन्‍हे पूरा सम्‍मान (respect) देती थी। हालांकि, इस कारण उन्‍हे कई बार अपशब्‍दों (bad words) का सामना करना पड़ा और कर्ण ने उन्‍हे चीरहरण के दौरान वेश्‍या (eunuch) तक कह दिया था।

आष्चर्य विकाज़ह शर्मा
आचार्य विकाश शर्मा

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जानिये मृत्यु से ठीक पहले भीष्म जी ने युधिष्ठिर को बताई थीं स्त्रियों के बारे में क्या क्या बातें|

हिंदू धर्म में महिलाओं को बहुत ही आदर व सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है। (respect for womens in hindu religion) हिंदू धर्म ग्रंथों में अनेक महान, पतिव्रत व दृढ़ इच्छा शक्ति वाली महिलाओं का वर्णन मिलता है। महिलाओं के संबंध में अनेक ग्रंथों में कई बातें बताई गई हैं। कुछ ग्रंथों में स्त्रियों के कर्तव्यों का वर्णन किया गया है तो कुछ में उनके व्यवहार (behavior) के बारे में।

इसी प्रकार महाभारत (mahabharat) में भी स्त्रियों के संबंध में कुछ विशेष बातों का वर्णन किया गया है। यह बातें महाभारत के अनुशासन पर्व में तीरों की शैय्या पर लेटे हुए भीष्म पितामाह ने युधिष्ठिर को बताई थीं। इनमें से कुछ बातें आज के समय में भी प्रासंगिक हैं। ये बातें इस प्रकार हैं-
नहीं करना चाहिए स्त्रियों का अनादर (never disrespect womens)
भीष्म पितामाह ने युधिष्ठिर को बताया था कि जिस घर में स्त्रियों का अनादर होता है, वहां के सारे काम असफल हो जाते हैं। जिस कुल की बहू-बेटियों को दु:ख (pain) मिलने के कारण शोक होता है, उस कुल का नाश हो जाता है। प्रसन्न रखकर पालन करने से स्त्री लक्ष्मी का स्वरूप बन जाती हैं।
नाराज स्त्रियां दे देती हैं श्राप
पितामाह भीष्म ने युधिष्ठिर को बताया कि स्त्रियां नाराज होकर जिन घरों को श्राप (curse) दे देती हैं, वे नष्ट हो जाते हैं। उनकी शोभा, समृद्धि और संपत्ति का नाश (loss of everything) हो जाता है। संतान की उत्पत्ति, उसका पालन-पोषण और लोकयात्रा का प्रसन्नतापूर्वक निर्वाह भी उन्हीं पर निर्भर है। यदि पुरुष स्त्रियों का सम्मान (respect of womens) करेंगे तो उनके सभी कार्य सिद्ध हो जाएंगे।
जहां होता है स्त्रियों का आदर, वहां देवता निवास करते हैं
भीष्म पितामाह के अनुसार, यदि स्त्री की मनोकामना (wish) पूरी न की जाए, वह पुरुष को प्रसन्न नहीं कर सकती। इसलिए स्त्रियों का सदा सत्कार और प्यार (love, care and affection) करना चाहिए। जहां स्त्रियों का आदर होता है, वहां देवता प्रसन्न होकर निवास करते हैं। स्त्रियां ही घर की लक्ष्मी हैं। पुरुष को उनका भलीभांति सत्कार करना चाहिए।

आचार्य विकास शर्मा

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आओ … आज एक कहानी सुनाता हूँ !

               🚣‍🚣‍🚣‍🚣‍🚣‍

👉 एक बिजनेसमैन सुबह जल्दी में …
     घर से बाहर आकर अपनी कार का
               दरवाजा खोलता है !
तभी .. पास बैठे एक आवारा कुत्ते पर
               उसका पैर पड़ जाता है !
         कुत्ता उस पर झपटता है , और
          उसके पैर में दाँत गड़ा देता है !
🐕
     गुस्से में आकर वो 10-12 पत्थर
        कुत्ते को मारता है , लेकिन …
   एक भी पत्थर कुत्ते को नहीं लगता ,
      और …. कुत्ता भाग जाता है !

        अपने ऑफिस में पहुँचकर …
   वो ऑफिस के सभी पदाधिकारियों की
   मीटिंग बुलाता है , और कुत्ते का गुस्सा
                उन पर उतारता है !

अपने बॉस का जबरन का गुस्सा झेलकर
    अधिकारी भी परेशान हो जाते हैं !
  सारे अधिकारी अपना गुस्सा अपने से
निचले स्तर के कर्मचारियों पर उतारते हैं ,
  और इस प्रकार गुस्से का ये दमन चक्र
       सबसे निचले स्तर के कर्मचारी
         चपरासी तक पहुँचता है !

   अब चपरासी के नीचे तो कोई है नहीं ,
   इसलिए .. वो अपना गुस्सा दारू पर
   उतारता है , और पीकर घर जाता है !

     बीवी दरवाजा खोलती है , और
      शिकायती लहजे में बोलती है ~
           इतनी देर से आए ?

चपरासी … बीवी को एक झापड़ …
            लगा देता है , और बोलता है ~
   मैं ऑफिस में कंचे खेल रहा था क्या ?
         काम था मुझे ऑफिस में !
   अब भेजा मत खा और खाना लगा !

        अब बीवी भुनभुनाती है कि …
           बिना कारण चाँटा खाया !
   वो अपना गुस्सा बच्चे पर उतारती है ,
  और … उसकी पिटाई कर देती है !
           अब बच्चा क्या करे ?
  वो गुस्से में घर से बाहर चला जाता है !

💥 और …….

💥 और ……..

💥  और  ………

    बच्चा …एक पत्थर उठाता है , और
  सामने से गुजरते एक कुत्ते को मारता है !
_पत्थर लगते ही … कुत्ता बिलबिलाता …_
      काऊँ काऊँ करता भागता है !
  मित्रों ! ये वही सुबह वाला कुत्ता था !!!

            🚣‍🚣‍🚣‍🚣‍🚣‍

        उसे तो पत्थर लगना ही था ,
        बिजनेसमैन वाला नहीं लगा ….
              बच्चे वाला लगा !
      उसका सर्कल कम्पलीट हुआ !

इसलिए … आप कभी भी चिंता ना करें !
अगर किसी ने आपको परेशान किया है ,
तो उसे पत्थर लगेगा •• अवश्य लगेगा ••
            ••  बराबर लगेगा  ••

👉  निष्कर्ष –>

   आप निश्चिन्त रहो !
      आपका बुरा करने वाले का ….
          बुरा अवश्य ही होगा !
              गुस्सा मत करो !
लेकिन ….
अगर आपने किसी का बुरा किया है , और
        अभी खुश हैं , तो … मित्र !
       आपका नुकसान जरूर होगा !
बस … समय का चक्र पूरा होने दो !
           यही सृष्टि का नियम है !
          इसका कोई अपवाद नहीं है !

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एक दिन किसी निर्माण के दौरान भवन की छटी मंजिल से सुपरवाईजर ने नीचे कार्य करने वाले मजदूर को आवाज दी !

निर्माण कार्य की तेज आवाज के कारण नीचे काम करने वाला मजदूर कुछ समझ नहीं सका कि उसका सुपरवाईजर उसे आवाज दे रहा है !

फिर सुपरवाईजर ने उसका ध्यान आकर्षित करने के लिए एक 10 रुपयें का नोट नीचे फैंका, जो ठीक मजदूर के सामने जा कर गिरा !

मजदूर ने नोट उठाया और अपनी जेब में रख लिया, और फिर अपने काम मे लग गया !
.
अब उसका ध्यान खींचने के लिए सुपर वाईजर ने पुन: एक 500 रुपयें का नोट नीचे फैंका !
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उस मजदूर ने फिर वही किया और नोट जेब मे रख कर अपने काम मे लग गया !
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ये देख अब सुपर वाईजर ने एक छोटा सा पत्थर का टुकड़ा लिया
और मजदूर के उपर फैंका जो सीधा मजदूर के सिर पर लगा !
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अब मजदूर ने ऊपर देखा और उसकी सुपर वाईजर से बात चालू हो गयी !
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ये वैसा ही है जो हमारी जिन्दगी मे होता है…

भगवान् हमसे संपर्क करना, मिलना चाहता है, लेकिन हम दुनियादारी के कामों में व्यस्त रहते हैं, अत: भगवान् को याद नहीं करते !

भगवान् हमें छोटी छोटी खुशियों के रूप मे उपहार देता रहता है, लेकिन हम उसे याद नहीं करते,
और वो खुशियां और उपहार कहाँ से आये ये ना देखते हुए, उनका उपयोग कर लेते है, और भगवान् को याद ही नहीं करते!
.
भगवान् हमें और भी खुशियों रूपी उपहार भेजता है, लेकिन उसे भी हम हमारा भाग्य समझ कर रख लेते हैं, भगवान् का धन्यवाद नहीं करते, उसे भूल जाते हैं !
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तब भगवान् हम पर एक छोटा सा पत्थर फैंकते हैं, जिसे हम कठिनाई, तकलीफ या दुख कहते हैं, फिर हम तुरन्त उसके निराकरण के लिए भगवान् की ओर देखते है, याद करते हैं !

यही जिन्दगी मे हो रहा है. यदि हम हमारी छोटी से छोटी ख़ुशी भी भगवान् के साथ उसका धन्यवाद देते हुए बाँटें, तो हमें भगवान् के द्वारा फैंके हुए पत्थर का इन्तजार ही नहीं करना पड़ेगा…!!!!!👏

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हास्य कविता

😀😀😀😀😀😀😀

अक्ल बाटने लगे विधाता,

             लंबी लगी कतारी ।

सभी आदमी खड़े हुए थे,

            कहीं नहीं थी नारी ।

सभी नारियाँ कहाँ रह गई,

          था ये अचरज भारी ।

पता चला ब्यूटी पार्लर में,

          पहुँच गई थी सारी।

मेकअप की थी गहन प्रक्रिया,

           एक एक पर भारी ।

बैठी थीं कुछ इंतजार में,

          कब आएगी बारी ।

उधर विधाता ने पुरूषों में,

         अक्ल बाँट दी सारी ।

ब्यूटी पार्लर से फुर्सत पाकर,

        जब पहुँची सब नारी ।

बोर्ड लगा था स्टॉक ख़त्म है,

        नहीं अक्ल अब बाकी ।

रोने लगी सभी महिलाएं ,

        नींद खुली ब्रह्मा की ।

पूछा कैसा शोर हो रहा है,

         ब्रह्मलोक के द्वारे ?

पता चला कि स्टॉक अक्ल का

         पुरुष ले गए सारे ।

ब्रह्मा जी ने कहा देवियों ,

          बहुत देर कर दी है ।

जितनी भी थी अक्ल वो मैंने,

          पुरुषों में भर दी है ।

लगी चीखने महिलाये ,

         ये कैसा न्याय तुम्हारा?

कुछ भी करो हमें तो चाहिए,

          आधा भाग हमारा ।

पुरुषो में शारीरिक बल है,

          हम ठहरी अबलाएं ।

अक्ल हमारे लिए जरुरी ,

         निज रक्षा कर पाएं ।

सोचकर दाढ़ी सहलाकर ,

         तब बोले ब्रह्मा जी ।

एक वरदान तुम्हे देता हूँ ,

         अब हो जाओ राजी ।

थोड़ी सी भी हँसी तुम्हारी ,

         रहे पुरुष पर भारी ।

कितना भी वह अक्लमंद हो,

         अक्ल जायेगी मारी ।

एक औरत ने तर्क दिया,

        मुश्किल बहुत होती है।

हंसने से ज्यादा महिलाये,

        जीवन भर रोती है ।

ब्रह्मा बोले यही कार्य तब,

        रोना भी कर देगा ।

औरत का रोना भी नर की,

        अक्ल हर लेगा ।

एक अधेड़ बोली बाबा,

       हंसना रोना नहीं आता ।

झगड़े में है सिद्धहस्त हम,

       खूब झगड़ना भाता ।

ब्रह्मा बोले चलो मान ली,

       यह भी बात तुम्हारी ।

झगड़े के आगे भी नर की,

       अक्ल जायेगी मारी ।

ब्रह्मा बोले सुनो ध्यान से,

       अंतिम वचन हमारा ।

तीन शस्त्र अब तुम्हे दिए,

       पूरा न्याय हमारा ।

इन अचूक शस्त्रों में भी,

       जो मानव नहीं फंसेगा ।निश्चित समझो, 

       उसका घर नहीं बसेगा ।

कहे कवि मित्र ध्यान से,

       सुन लो बात हमारी ।

बिना अक्ल के भी होती है,

       नर पर नारी भारी।

🤔😇💃👣👓😜😃😂