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झूठी शान

छोटे भाई के ब्याह के पांच बरस बाद सरिता मैके आयी थी चचेरी बहन के ब्याह के अवसर पर | उसने भाई की आर्थिक स्थति विषय में अपने पिता से सुना था | भाभी के अपने एक एक जेवर बिक गये थे | कष्ट से घर चल रहा था |
” भाभी ! ….मैं लाई हूं अपना एक एक्स्ट्रा सेट तुम्हारे लिए …. तुम पहन लेना ब्यह के दिन … ” सरिता को भाई के इज्जत की चिंता थी |

” मैं क्यों पहनूं तुम्हारा सेट …तुमने तो मेरे चारों सेट रख लिए …. ” भाभी भड़क गयी |
” मैंने रख लिए !…. भला कब ? ” आश्चर्य से सरिता ने पूछा |
” तुम्हारे भैय्या तो बोले थे मेरे ब्याह में यहां से जो सेट मिले थे वे सब आपके पास हैं … ” भाभी ने तमक कर कहा |

” अरे ! वे चारों सेट तो उधार लाये गए थे दुकान से भैय्या ब्याह के अवसर पर …… फिर सुनार को वापस लौटने की बात हुई थी ….. मैंने तो भैय्या को कहा था कुछ दिन बाद भाभी को बता देना … माँ बाबूजी को भी पता है … ” तमतमाते हुए सरिता ने कहा |

” क्या माँ , बाबूजी ! आपने मुझे इतना गिरा दिया भाभी की नजरों में ….. ” और सरिता फूट फूट कर रो पड़ी |

सरिता के माता पिता मौन रहे |
Vikram prakash

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एक आदमी की गाड़ी का एक्सिडेंट एक
महिला की कार से टकराकर हो जाता है,
पर एक्सिडेंट के बाद दोनों सुरक्षित बच जाते है!
जब दोनों गाड़ी से बाहर आते है तो महिला पहले
अपनी गाड़ी को देखती है जो पूरी तरह
क्षतिग्रस्त होती है, फिर सामने कि तरफ जाती है
जहाँ आदमी भी अपनी गाड़ी को बड़ी गौर
से देख रहा होता है!
तभी वह महिला उससे रूबरू होते हुए
कहती है देखिये कैसा संयोग है कि गाड़ियाँ पूरी तरह से टूटफूट गयी पर
हमें चोट तक नहीं आयी ये सब भगवान
कि मर्जी से हुआ है ताकि हम दोनों मिल
जाए! मुझे लगता है कि अब हमें आपस में
दोस्ती कर लेनी चाहिए
आदमी ने भी सोचा कि इतना नुक्सान
होने के बाद भी गुस्सा करने के बजाय
दोस्ती के लिए कह रही है तो कर लेता हूँ
और कहता है कि आप बिल्कुल ठीक कह
रही है कि ये सब भगवान की मर्जी से हुआ है!
तभी महिला ने कहा एक चमत्कार और
देखिये कि पूरी गाड़ी टूटफूट गयी पर
अन्दर रखी शराब की बोतल बिल्कुल सही है!
आदमी ने कहा कि वाकई ये तो हैरान करने
वाली बात है!
महिला ने बोतल खोली और कहा की आज
हमारी जान बची है, हमारी दोस्ती हुई
है तो क्यों न थोड़ी सी ख़ुशी मनाई जाए!
महिला ने बोतल को उस आदमी की तरफ
बढ़ाया उसने भी बोतल को पकड़ा और मुहं
से लगाया और आधी करके बोतल वापिस
महिला को दे दी!
फिर कहने लगा, आप भी लीजिये!
महिला ने बोतल को पकड़ा उसका ढक्कन
बंद किया और एक तरफ रख दी!
आदमी ने पूछा क्या आप शराब नहीं पियेंगी?
महिला: नहीं … मुझे लगता है मुझे पुलिस
का इन्तजार करना चाहिए
बेचारे मर्द कितने भोले होते है।

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एक 6 साल का छोटा सा बच्चा अक्सर परमात्मा से मिलने की जिद किया करता था। उसकी चाहत थी की एक समय की रोटी वो परमात्मा के साथ खाये।

1 दिन उसने 1 थैले में 5, 6 रोटियां रखीं और परमात्मा को ढूंढने निकल पड़ा।
चलते चलते वो बहुत दूर निकल आया संध्या का समय हो गया।

उसने देखा नदी के तट पर 1 बुजुर्ग बूढ़ा बैठा हैं, और ऐसा लग रहा था जैसे उसी के इन्तजार में वहां बैठा उसका रास्ता देख रहा हों।

वो 6 साल का मासूम बालक,बुजुर्ग बूढ़े के पास जा कर बैठ गया,।अपने थैले में से रोटी निकाली और खाने लग गया।और उसने अपना रोटी वाला हाँथ बूढे की ओर बढ़ाया और मुस्कुरा के देखने लगा,बूढे ने रोटी ले ली,। बूढ़े के झुर्रियों वाले चेहरे पर अजीब सी ख़ुशी आ गई आँखों में ख़ुशी के आंसू भी थे,,,,

बच्चा बुढ़े को देखे जा रहा था, जब बुढ़े ने रोटी खा ली बच्चे ने एक और रोटी बूढ़े को दी।

बूढ़ा अब बहुत खुश था। बच्चा भी बहुत खुश था। दोनों ने आपस में बहुत प्यार और स्नेह केे पल बिताये।
जब रात घिरने लगी तो बच्चा इजाज़त ले घर की ओर चलने लगा।

वो बार बार पीछे मुड़ कर देखता , तो पाता बुजुर्ग बूढ़ा उसी की ओर देख रहा था।
बच्चा घर पहुंचा तो माँ ने अपने बेटे को आया देख जोर से गले से लगा लिया और चूमने लगी,बच्चा बहूत खुश था।

माँ ने अपने बच्चे को इतना खुश पहली बार देखा तो ख़ुशी का कारण पूछा, तो बच्चे ने बताया !
माँ,….आज मैंने परमात्मा के सांथ बैठ कर रोटी खाई,आपको पता है उन्होंने भी मेरी रोटी खाई,,,माँ परमात्मा् बहुत बूढ़े हो गये हैं,,,मैं आज बहुत खुश हूँ माँ

उस तरफ बुजुर्ग बूढ़ा भी जब अपने गाँव पहूँचा तो गाव वालों ने देखा बूढ़ा बहुत खुश हैं,तो किसी ने उनके इतने खुश होने का कारण पूछा????
बूढ़ा बोलां,,,,मैं 2 दिन से नदी के तट पर अकेला भूखा बैठा था,,मुझे पता था परमात्मा आएंगे और मुझे खाना खिलाएंगे।

आज भगवान् आए थे, उन्होंने मेरे साथ बैठ कर रोटी खाई मुझे भी बहुत प्यार से खिलाई,बहुत प्यार से मेरी और देखते थे, जाते समय मुझे गले भी लगाया,,परमात्मा बहुत ही मासूम हैं बच्चे की तरह दिखते हैं।

✔ सीख:*

इस कहानी का अर्थ बहुत गहराई वाला है। असल में बात सिर्फ इतनी है की दोनों के दिलों में परमात्मा के लिए प्यार बहुत सच्चा है। और परमात्मा ने दोनों को,दोनों के लिये, दोनों में ही (परमात्मा) खुद को भेज दिया। *जब मन परमात्मा भक्ति में रम जाता है तो हमे हर एक में वो ही नजर आने लग जाते है

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अनिद्रा दूर करने हेतु

यदि आपको अनिद्रा कि समस्या है तो रात्रि में सोने से पूर्व

” ॐ क्लीं शांता देवी क्लीं नमः ”
………………………………………..

का माँ दुर्गा काली  का ध्यान करते हुए १०८ बार जाप करे और सो जाये। धीरे धीरे कुछ दिनों में आपकी अनिद्रा की शिकायत दूर होगी ,बेचैनी कम होगी ,बुरे स्वप्न से बचाव होगा |

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हमारे देश में साक्षी गोपाल नामक एक मंदिर है. एक बार दो ब्राह्मण वृंदावन की यात्रा पर निकले जिनमें से एक वृद्ध था और दूसरा जवान था. यात्रा काफी लम्बी और कठिन थी जिस कारण उन दोनों यात्रियों को यात्रा करने में कई कष्टों का सामना करना पड़ा उस समय रेलगाड़ियों की भी सुविधा उपलब्ध नहीं थी. वृद्ध व्यक्ति ब्राह्मण युवक का अत्यंत कृतज्ञ था क्योंकि उसने यात्रा के दौरान वृद्ध व्यक्ति की सहायता की थी. वृंदावन पहुंचकर उस वृद्ध व्यक्ति ने कहा,” हे युवक ! तुमने मेरी अत्यधिक सेवा की है.  मैं तुम्हारा अत्यंत कृतज्ञ हूं. मैं चाहता हूं कि तुम्हारी इस सेवा के बदले में मैं तुम्हे कुछ पुरस्कार दूं.” उस ब्राह्मण युवक ने उससे कुछ भी लेने से इंकार कर दिया पर वृद्ध व्यक्ति हठ करने लगा. फिर उस वृद्ध व्यक्ति ने अपनी जवान पुत्री का विवाह उस ब्राह्मण युवक से करने का वचन दिया.
  ब्राह्मण युवक ने वृद्ध व्यक्ति को समझाया कि ऐसा नहीं हो सकता क्योंकि आप बहुत अमीर हैं और मैं तो बहुत ही गरीब ब्राह्मण हूं. यह वार्तालाप मंदिर में भगवान गोपाल कृष्ण के श्रीविग्रह समक्ष हो रहा था लेकिन वृद्ध व्यक्ति अपनी हठ पर अड़ा रहा और फिर कुछ दिन तक वृंदावन रहने के बाद दोनों घर लौट आएं. वृद्ध व्यक्ति ने सारी बातें घर पर आकर बताई कि उसने अपनी बेटी का विवाह एक ब्राह्मण से तय कर दिया है पर पत्नी को यह सब मजूंर नहीं था. उस वृद्ध पुरुष की पत्नी ने कहा,” यदि आप मेरी पुत्री का विवाह उस युवक से करेंगे तो मैं आत्महत्या कर लूंगी.” कुछ समय व्यतीत होने के बाद ब्राह्मण युवक को यह चिंता थी कि वृद्ध अपने वचन को पूरा करेगा या नहीं.
फिर ब्राह्मण युवक से रहा न गया और उसने वद्ध पुरुष को उसका वचन याद करवाया. वह वृद्ध पुरुष मौन रहा और उसे डर था कि अगर वह अपनी बेटी का विवाह इससे करवाता है तो उसकी पत्नी अपनी जान दे देगी और वृद्ध पुरुष ने कोई उत्तर न दिया. तब ब्राह्मण युवक उसे उसका दिया हुआ वचन याद करवाने लगा और तभी वृद्ध पुरुष के बेटे ने उस ब्राह्मण युवक को ये कहकर घर से निकाल दिया कि तुम झूठ बोल रहे हो और तुम मेरे पिता को लूटने के लिए आए हो, फिर ब्राह्मण युवक ने उसके पिता द्वारा दिया गया वचन याद करवाया.
फिर ब्राह्मण युवक  ने कहा कि यह सारे वचन तुम्हारे पिता जी ने श्रीविग्रह के सामने दिए थे तब वृद्ध व्यक्ति का ज्येष्ठ पुत्र जो भगवान को नहीं मानता था युवक को कहने लगा अगर तुम कहते हो भगवान इस बात के साक्षी है तो यही सही. यदि भगवान प्रकट होकर यह साक्षी दें कि मेरे पिता ने वचन दिया है तो तुम मेरी बहन के साथ विवाह कर सकते हो.
तब युवक ने कहा,” हां , मैं भगवान श्रीकृष्ण से कहूंगा कि वे साक्षी के रूप में आएं. उसे भगवान श्रीकृष्ण पर पूरा विश्वास था कि भगवान श्रीकृष्ण उसके लिए वृदांवन से जरूर आएंगे. फिर अचानक वृदांवन के मंदिर की मूर्ति से आवाज सुनाई दी कि मैं तुम्हारे साथ कैसे चल सकता हूं मैं तो मात्र एक मूर्ति हूं ,तब उस युवक ने कहा ,” कि अगर मूर्ति बात कर सकती है तो साथ भी चल सकती है.  तब भगवान श्रीकृष्ण ने युवक के समक्ष एक शर्त रख दी कि तुम मुझे किसी भी दिशा  में ले जाना मगर तुम पीछे पलटकर नहीं देखोगे तुम सिर्फ मेरे नूपुरों की ध्वनि से यह जान सकोगे कि मैं तुम्हारे पीछे आ रहा हूं. “युवक ने उनकी बात मान ली और वह वृंदावन से चल पड़े और जिस नगर में जाना था वहां पहुंचने के बाद युवक को नूपुरों की ध्वनि आना बंद हो गई और युवक ने धैर्य न धारण कर सकने के कारण पीछे मुड़ कर देख लिया और मूर्ति वहीं पर स्थिर खड़ी थी अब मूर्ति आगे नहीं चल सकती थी क्योंकि युवक ने पीछे मुड़ कर देख लिया था.
वह युवक दौड़कर नगर पहुंचा और सब लोगों को इक्ट्ठा करके कहने लगा कि देखो भगवान श्रीकृष्ण साक्षी रूप में आये हैं. लोग स्तंभित थे कि इतनी बड़ी मूर्ति इतनी दूरी से चल कर आई है. उन्होंने श्रीविग्रह के सम्मान में उस स्थल पर एक मंदिर बनवा दिया और आज भी लोग इस मंदिर में  साश्री गोपाल की पूजा करते हैं।
जय श्री कृष्णा।

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|| श्री रामचरित मानस
राम-कथा :- उत्तरकाण्ड ||

!! लक्ष्मण की वापसी !!

रथ में मूर्छा भंग होने पर लक्ष्मण फिर विलाप करने लगे। सुमन्त ने उन्हें धैर्य बँधाते हुये उनसे कहा, “वीरवर! आपको सीता के विषय में संताप नहीं करना चाहिये। यह बात तो दुर्वासा मुनि ने स्वर्गीय राजा दशरथ जी को पहले ही बता दी थी कि श्रीराम सदैव दुःख उठायेंगे। उन्हें प्रियजनों का वियोग उठाना पड़ेगा। मुनि के कथनानुसार दीर्घकाल व्यतीत होने पर वे आपको तथा भरत और शत्रुघ्न को भी त्याग देंगे। यह बात उन्होंने मेरे सामने कही थी, परन्तु स्वर्गीय महाराज ने मुझे आदेश दिया था कि यह बात मैं किसी से न कहूँ। अब उचित अवसर जानकर आपसे कह रहा हूँ। आपसे अनुरोध है कि आप यह बात भरत और शत्रुघ्न के सम्मुख कदापि न कहें।”

सुमन्त की बात सुनकर जब लक्ष्मण ने किसी से न कहने का आश्‍वासन देकर पूरी बात बताने का आग्रह किया तो सुमन्त ने कहा, “एक समय की बात है, दुर्वासा मुनि महर्षि वसिष्ठ के आश्रम में रहकर चातुर्मास बिता रहे थे। उसी समय महाराज दशरथ वसिष्ठ जी के दर्शनों के लिये पहुँचे। बातों-बातों में महाराज ने दुर्वासा मुनि से पूछा कि भगवन्! मेरा वंश कितने समय तक चलेगा? मेरे सब पुत्रों की आयु कितनी होगी? कृपा करके मेरे वंश की स्थिति मुझे बताइये। इस पर उन्होंने महाराज को कथा सुनाई कि देवासुर संग्राम में पीड़ित हुये दैत्यों ने महर्षि भृगु की पत्‍नी की शरण ली थी। भृगु की पत्‍नी द्वारा दैत्यों को शरण दिये जाने पर कुपित होकर भगवान विष्णु ने अपने चक्र से उसका सिर काट डाला। अपनी पत्‍नी के मरने पर भृगु ने क्रुद्ध होकर विष्णु को शाप दिया कि आपने मेरी पत्‍नी की हत्या की है, इसलिये आपको मनुष्य के रूप में पृथ्वी पर जन्म लेना पड़ेगा और वहाँ दीर्घकाल तक पत्‍नी का वियोग सहना पड़ेगा। शाप की बात बताकर महर्षि दुर्वासा ने रघुवंश के भविष्य सम्बंधी बहुत सी बातें बताईं। उसमें आप लोगों को त्यागने की बात भी बताई गई थी। उन्होंने यह भी कहा था कि रघुनाथजी सीता के दो पुत्रों का अभिषेक अयोध्या के बाहर करेंगे, अयोध्या में नहीं। इसलिये विधाता का विधान जानकर आपको शोक नहीं करना चाहिये।” ये बातें सुनकर लक्ष्मण का संताप कुछ कम हुआ।

केशिनी के तट पर रात्रि बिताकर दूसरे दिन दोपहर को लक्ष्मण अयोध्या पहुँचे। उन्होंने अत्यन्त दुःखी मन से श्रीराम के पास पहुँचकर सीता के परित्याग का सम्पूर्ण वृतान्त जा सुनाया। राम ने संयमपूर्वक सारी बातें सुनीं और अपने मन पर नियन्त्रण रखते हुये राजकाज में मन लगाया।

!! रामचरितमानस में रखकर आदर्शों में डलना होगा चले राम के पद चिन्हों परअब इतिहास बदलना होगा
जय श्री राम श्रीराम प्रभात मंगल नमन सभी हरी राम भक्तों को जय श्री राम प्रातः वंदन !!
भवानी संकर

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पाप का गुरु


[ पाप का गुरु ]…..👇👇👇👇

एक पंडित जी कई वर्षों तक काशी में शास्त्रों का अध्ययन करने के बाद अपने गांव लौटे। गांव के एक किसान ने उनसे पूछा, पंडित जी आप हमें यह बताइए कि पाप का गुरु कौन है? प्रश्न सुन कर पंडित जी चकरा गए, क्योंकि भौतिक व आध्यात्मिक गुरु तो होते हैं, लेकिन पाप का भी गुरु होता है, यह उनकी समझ और अध्ययन के बाहर था। पंडित जी को लगा कि उनका अध्ययन अभी अधूरा है, इसलिए वे फिर काशी लौटे। फिर अनेक गुरुओं से मिले। मगर उन्हें किसान के सवाल का जवाब नहीं मिला।

अचानक एक दिन उनकी मुलाकात एक वेश्या से हो गई। उसने पंडित जी से उनकी परेशानी का कारण पूछा, तो उन्होंने अपनी समस्या बता दी। वेश्या बोली, पंडित जी..! इसका उत्तर है तो बहुत ही आसान, लेकिन इसके लिए कुछ दिन आपको मेरे पड़ोस में रहना होगा। पंडित जी के हां कहने पर उसने अपने पास ही उनके रहने की अलग से व्यवस्था कर दी। पंडित जी किसी के हाथ का बना खाना नहीं खाते थे, नियम-आचार और धर्म के कट्टर अनुयायी थे। इसलिए अपने हाथ से खाना बनाते और खाते। इस प्रकार से कुछ दिन बड़े आराम से बीते, लेकिन सवाल का जवाब अभी नहीं मिला।

एक दिन वेश्या बोली, पंडित जी…! आपको बहुत तकलीफ होती है खाना बनाने में। यहां देखने वाला तो और कोई है नहीं। आप कहें तो मैं नहा-धोकर आपके लिए कुछ भोजन तैयार कर दिया करूं। आप मुझे यह सेवा का मौका दें, तो मैं दक्षिणा में पांच स्वर्ण मुद्राएं भी प्रतिदिन दूंगी। स्वर्ण मुद्रा का नाम सुन कर पंडित जी को लोभ आ गया। साथ में पका-पकाया भोजन। अर्थात दोनों हाथों में लड्डू। इस लोभ में पंडित जी अपना नियम-व्रत, आचार-विचार धर्म सब कुछ भूल गए। पंडित जी ने हामी भर दी और वेश्या से बोले, ठीक है, तुम्हारी जैसी इच्छा। लेकिन इस बात का विशेष ध्यान रखना कि कोई देखे नहीं तुम्हें मेरी कोठी में आते-जाते हुए। वेश्या ने पहले ही दिन कई प्रकार के पकवान बनाकर पंडित जी के सामने परोस दिया।

पर ज्यों ही पंडित जी खाने को तत्पर हुए, त्यों ही वेश्या ने उनके सामने से परोसी हुई थाली खींच ली। इस पर पंडित जी क्रुद्ध हो गए और बोले, यह क्या मजाक है?
वेश्या ने कहा, यह मजाक नहीं है पंडित जी, यह तो आपके प्रश्न का उत्तर है। यहां आने से पहले आप भोजन तो दूर, किसी के हाथ का भी नहीं पीते थे, मगर स्वर्ण मुद्राओं के लोभ में आपने मेरे हाथ का बना खाना भी स्वीकार कर लिया। यह लोभ ही पाप का गुरु है।

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एक वकील बहुत तेज रफ़्तार पर कार चला रहा था।


एक वकील बहुत तेज रफ़्तार पर कार चला रहा था। ट्रैफिक पुलिस के अधिकारी ने उसे रोका।

वकील—” क्या बात है ऑफीसर ? ”
ऑफिसर—” सर, आप तेज गति से कार चला रहे थे, अपना ड्राइविंग लाइसेंस दिखाइए। ”
वकील—” मैं आप को ड्राइविंग लाइसेंस जरूर दिखाता ऑफिसर, लेकिन मेरे पास लाइसेंस नहीं है। ”
आफिसर—” तो कहाँ है ? ”
वकील—” 4 साल पहले ही खो गया, जब मैं दारू पीकर गाड़ी चला रहा था। ”
ऑफिसर—” ओह। तो क्या मैं आपकी गाड़ी के रजिस्ट्रेशन पेपर देख सकता हूँ। ”
वकील—” मैं नहीं दिखा सकता। ”
आफिसर—” क्यों ? ”
वकील—” क्योंकि यह कार मैंने चुराई है। ”
आफिसर(आश्चर्य से)—” चोरी की। ”
वकील—” हाँ। कार चुराई और कार मालिक को जान से मारकर उसके टुकड़े टुकड़े कर दिए। ”
आफिसर—” क्या बकते हो। ”
वकील—” हाँ आफिसर, कार मालिक के बॉडी पार्ट्स मैंने प्लास्टिक बैग में भरकर कार की डिकी में रखे हैं। क्या तुम डिकी देखना चाहते हो ? ”

ऑफिसर ने ध्यान से वकील को देखा और धीरे धीरे पीछे हुआ और अपनी गाड़ी के पास पहुंचा और वायरलेस पर हेडक्वाटर से तुरंत बैक अप माँगा।
थोड़ी ही देर में 5 पुलिस की गाड़ियाँ पहुंची और वकील की कार को घेरे में ले लिया।
एक सीनियर आफीसर ने अपनी गन हाँथ में ली और सतर्कता से वकील की कार के पास गया और वकील को कार से बाहर निकलने को कहा।

वकील कार से बाहर आकर बोला—” कोई प्रॉब्लम है, सर ? ”
आफिसर 2—” मेरे एक आफिसर का कहना है कि आपने कार चुराई है और कार मालिक का क़त्ल किया है। ”
वकील—” कार मालिक का क़त्ल ? ”
आफिसर 2—” क्या आप अपनी कार की डिकी खोलकर दिखाएँगे, प्लीज। ”

वकील ने डिकी खोली। वो खाली थी।

आफीसर 2—” क्या ये आपकी कार है, सर ? ”
वकील—” हाँ। ये देखो इसके रजिस्ट्रेशन पेपर्स। ”
आफिसर 2—” मेरा एक आफिसर कहता है कि आप के पास ड्राइविंग लाइसेंस भी नहीं है। ”

वकील ने तुरंत अपना ड्राइविंग लाइसेंस दिखाया।
आफिसर 2 ने लाइसेंस भी गौर से देखा और सही पाया। वो कुछ परेशान सा लगने लगा। फिर बोला।

आफिसर 2—” थैंक्यू सर। वो क्या है कि मेरे एक आफिसर ने मुझे कहा कि, आपके पास ड्राइविंग लाइसेंस नहीं है। आपने यह कार चुराई है और आपने कार मालिक का क़त्ल कर उसके टुकड़े टुकड़े कर दिए हैं। ”

वकील—” मैं शर्त लगा सकता हूँ कि आपके उस झूठे आफीसर ने ये भी कहा होगा कि, मैं बहुत तेज रफ़्तार से कार चला रहा था। ”
(साभार: Sharadkumar Dubey फुरसतिये ग्रुप)

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धन की कमी दूर करने के लिए
” अनार ” का पेड़ अवश्य लगावे =
घर के मुख्य द्वार पर पानी से भरा हुआ एक सुंदर लोटा फूल डालकर रखे

ज्यादा गमले वायव्य – कोण ( उत्तर – पश्चिम के बीच ) में लगावे =
घर में हमेशा समुद्री नमक का पोछा लगावे ==

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કાચની બરણી ને બે કપ ચા


“કાચની બરણી ને બે કપ ચા”

એક બોધ કથા :

જીવનમાં જયારે બધું એક સાથે અને જલ્દી-જલ્દી કરવાની ઈચ્છા થાય…. બધું ઝડપથી મેળવવાની ઈચ્છા થાય અને આપણને દિવસના ૨૪ કલાક પણ ઓછા લાગવા લાગે…..
ત્યારે આ બોધકથા “કાચની બરણી ને બે કપ ચા” ચોક્કસ યાદ આવવી જોઈએ….!!!

દર્શનશાસ્ત્રના એક સાહેબ (ફિલોસોફીના પ્રોફેસર) વર્ગમાં આવ્યા અને વિદ્યાર્થીઓને કહ્યું કે એ આજે જીવનનો એક મહત્વપૂર્ણ પાઠ ભણાવવાના છે….!!!

એમણે પોતાની સાથે લાવેલી એક મોટી કાચની બરણી (જાર) ટેબલ પર રાખી એમાં ટેબલ ટેનીસના દડા ભરવા લાગ્યા અને જ્યાં સુધી એમાં એકપણ દડો સમાવાની જગ્યા ન રહી ત્યાં સુધી ભરતા રહ્યા….!!!

પછી એમણે વિદ્યાર્થીઓને પૂછ્યું, “શું આ બરણી ભરાઈ ગઈ છે..?!?”

“હા” નો  અવાજ આવ્યો….

પછી સાહેબે નાના-નાના કાંકરા એમાં ભરવા માંડ્યા, ધીરે-ધીરે બરણી હલાવી તો ઘણાખરા કાંકરા એમાં જ્યાં-જ્યાં જગ્યા ખાલી હતી ત્યાં-ત્યાં સમાઈ ગયા.

ફરી એક વાર સાહેબે પૂછ્યું, “શું હવે આ બરણી ભરાઈ ગઈ છે….?!?”

વિદ્યાર્થીઓએ એકવાર ફરીથી “હા” કહ્યું….

હવે સાહેબે રેતીની થેલીમાંથી ધીરે-ધીરે તે બરણીમાં રેતી ભરવાનું શરૂ કર્યુ, રેતી પણ બરણીમાં જ્યાં સમાઈ શકતી હતી ત્યાં સમાઈ ગઈ… એ જોઈ વિદ્યાર્થીઓ પોતાના બંને જવાબ પર હસવા માંડ્યા….

ફરી સાહેબે પૂછ્યું, “કેમ.. ? હવે તો આ બરણી પૂરી ભરાઈ ગઈ છે ને..?!?”

“હા… હવે તો પૂરી ભરાઈ ગઈ..!!!” બધા વિદ્યાર્થીઓએ એક સ્વરમાં કહ્યું…..

હવે સાહેબે ટેબલ નીચેથી ચાના ભરેલા બે કપ બરણીમાં ઠાલવ્યા, ને ચા પણ બરણીમાં રહેલી રેતીમાં શોષાઈ ગઈ… એ જોઈ વિદ્યાર્થીઓ તો સ્તબ્ધ થઈ ગયા….!!!

હવે સાહેબે ગંભીર અવાજમાં સમજાવાનું શરુ કર્યું….

“આ કાચની બરણીને તમે તમારું જીવન સમજો….

ટેબલ ટેનીસના દડા સૌથી મહત્વપૂર્ણ ભાગ એટલે કે ભગવાન, પરિવાર, માતા-પિતા, દીકરા-દીકરી, મિત્રો, અને સ્વાસ્થ્ય…!!!

નાના-નાના કાંકરા  એટલે કે તમારી નોકરી-વ્યવસાય, ગાડી, મોટું ઘર, શોખ વગેરે….

અને રેતી એટલે કે નાની નાની બેકારની વાતો, મતભેદો, ને  ઝગડા…!!!

જો તમે તમારી જીવનરૂપી બરણીમાં સર્વપ્રથમ રેતી ભરી હોત તો તેમાં ટેબલ ટેનીસના દડા ને નાના-નાના કાંકરા ભરવાની જગ્યા જ ન રહેત… ને જો નાના-નાના કાંકરા ભર્યા હોત તો દડા ન ભરી શક્યા હોત, રેતી તો જરૂર ભરી શકતા….!!!

બસ, આજ વાત આપણા જીવન પર લાગુ પડે છે….
જો તમે નાની-નાની વાતોને વ્યર્થના મતભેદ કે ઝગડામાં પડ્યા રહો ને તમારી શક્તિ એમાં નષ્ટ કરશો તો તમારી પાસે મોટી-મોટી અને જીવન જરૂરીયાત અથવા તમારી ઇચ્છિત વસ્તુ કે વાતો માટે સમય ફાળવી જ ન શકો….

તમારા મનના સુખ માટે શું જરૂરી છે તે તમારે નક્કી કરવાનું છે…. ટેબલ ટેનીસના દડાની ફિકર કરો, એ જ મહત્વપૂર્ણ છે….
પહેલા નક્કી કરી લો કે શું જરૂરી છે… ? બાકી બધી તો રેતી જ છે….!!!

વિદ્યાર્થીઓ ધ્યાનપૂર્વક સાંભળી રહ્યા હતા ને અચાનક એકે પૂછ્યું, “પણ સાહેબ…. તમે એક વાત તો કહી જ નહિ કે ” ચાના ભરેલા બે કપ” શું છે ?”

સાહેબ હસ્યા અને કહ્યું, “હું એ જ વિચારું છું કે હજી સુધી કોઈએ આ વાત કેમ ના પછી…?!?”

“એનો જવાબ એ છે કે,
જીવન આપણને કેટલું પણ પરિપૂર્ણ અને સંતુષ્ટ લાગે, પણ આપણા ખાસ મિત્ર સાથે “બે કપ ચા” પીવાની જગ્યા હંમેશા હોવી જોઈએ.”

(પોતાના ખાસ મિત્રો અને નજીકના વ્યક્તિઓને આ મેસેજ તરત મોકલો….)

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