आइये जानते है अवधूत पशुपति नाथ के बारे में :-
- ऋग्वेद में शिव के लिए रूद्र नामक देवता का उल्लेख है।
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अथर्ववेद में शिव को भव शर्व, पशुपति और भूपति कहा गया है।
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लिंगपूजा का प्रथम स्पष्ट वर्णन मत्स्यपुराण में मिलता है।
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महाभारत के अनुशासन पर्व में शैव सम्प्रदाय की चार संख्या बताई गयी है पाशुपत कापालिक, कालमुख तथा लिंगायत।
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वर्णन के आधार पर पाशुपत सम्प्रदाय सबसे प्राचीन है । इस के संस्थापक लावकुलिश थे जो 18 वें शिवांश थें।
6.शिव पुराण में शिव के दशावतार बताये गए है ये तंत्र-शास्त्र से सम्बंधित बताये गए हैं । ये इस प्रकार हैं :-
महाकाल ,तारा, भुवनेश , षोडस , भैरव, छिन्न-मस्तक गिरिजा, धूम्रवान, बगलामुख, मातंग, एवम् कमल।
- शिव के अन्य 11 अवतार इस प्रकार है :-
कपाली, पिंगल, भीम, विरूपाक्ष, विलोहित , शास्ता, अजपाद, आपिर्बुध्य्, शम्भ, चण्ड एवम् भव।
- पुराणों में 7 शैवतीर्थ का वर्णन इस प्रकार है :-
वरणस् (बनारस) केदारनाथ, सोमनाथ, रामेश्वर, चिदम्बरम, अमरनाथ एवम् कैलाश , मानसरोवर ।
- 12 ज्योतिर्लिंग इस प्रकार हैं :-
सोमनाथ, मल्लिकार्जुन, महाकालेश्वर, ओम्कारेश्वर, वैद्यनाथ भीमशंकर, रामेश्वर, नागेश्वर, विश्वनाथ, त्रयमकेश्वर, केदारनाथ , घुश्मेश्वरनाथ ।