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मोदी जी ने हम भारतीयों और भारत माता का मस्तक गर्व से उँचा कर दिया है…….. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का संयुक्त राष्ट्र संघ का पूरा भाषण आप सबके लिये


मोदी जी ने हम भारतीयों और भारत माता का मस्तक गर्व से उँचा कर दिया है……..
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का संयुक्त राष्ट्र संघ का पूरा भाषण आप सबके लिये
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विशिष्ट अतिथिगण और मित्रों
सर्वप्रथम मैं संयुक्त राष्ट्र महासभा के 69वें सत्र के अध्यक्ष चुने जाने पर आपको हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं। भारत के प्रधानमंत्री के रूप में पहली बार आप सबको संबोधित करना मेरे लिए अत्यंत सम्मान की बात है। मैं भारतवासियों की आशाओं एवं अपेक्षाओं से अभिभूत हूं। उसी प्रकार मुझे इस बात का पूरा भान है कि विश्व को 1.25 बिलियन लोगों से क्या अपेक्षाएं हैं। भारत वह देश है, जहां मानवता का छठवां हिस्सा आबाद है। भारत ऐसे व्यापक पैमाने पर आर्थिक व सामाजिक बदलाव से गुजर रहा है, जिसका उदाहरण इतिहास में दुर्लभ है।
प्रत्येक राष्ट्र की, विश्व की अवधारणा उसकी सभ्यता एवं धार्मिक परंपरा के आधार पर निरूपित होती है। भारत चिरंतन विवेक समस्त विश्व को एक कुटंब के रूप में देखता है। और जब मैं यह बात कहता हूं तो मैं यह साफ करता हूं कि हर देश की अपनी एक philosophy होती है। मैं ideology के संबंध में नहीं कह रहा हूं। और देश उस फिलोस्फी की प्रेरणा से आगे बढ़ता है। भारत एक देश है, जिसकी वेदकाल से वसुधैव कुंटुम्बकम परंपरा रही है। भारत एक देश है, जहां प्रकृति के साथ संवाद, प्रकृति के साथ कभी संघर्ष नहीं ये भारत के जीवन का हिस्सा है और इसका कारण उस philosophy के तहत, भारत उस जीवन दर्शन के तहत, आगे बढ़ता रहता है। प्रत्येक राष्ट्र की, विश्व अवधारणा उसकी सभ्यता और उसकी दार्शनिक परंपरा के आधार पर निरूपित होती है। भारत का चिरंतन विवेक समस्त विश्व को, जैसा मैंने कहा – वसुधैव कुटुंबमकम – एक कुटुम्ब के रूप में देखता है। भारत एक ऐसा राष्ट्र है, जो केवल अपने लिए नहीं, बल्कि विश्व पर्यंत न्याय, गरिमा, अवसर और समृद्धि के हक में आवाज उठाता रहा है। अपनी विचारधारा के कारण हमारा multi-literalism में दृढ़ विश्वास है।
आज यहां खड़े होकर मैं इस महासभा पर एक टिकी हुई आशाओं एवं अपेक्षाओं के प्रति पूर्णतया सजग हूं। जिस पवित्र विश्वास ने हमें एकजुट किया है, मैं उससे अत्यंत प्रभावित हूं। बड़े महान सिद्धांतों और दृष्टिकोण के आधार पर हमने इस संस्था की स्थापना की थी। इस विश्वास के आधार पर कि अगर हमारे भविष्य जुड़े हुए हैं तो शांति, सुरक्षा, मानवाधिकार और वैश्विक आर्थिक विकास के लिए हमें साथ मिल कर काम करना होगा। तब हम 51 देश थे और आज 193 देश के झंडे इस बिल्डिंग पर लहरा रहे हैं। हर नया देश इसी विश्वास और उम्मीद के आधार पर यहां प्रवेश करता है। हम पिछले 7 दशकों में बहुत कुछ हासिल कर सके हैं। कई लड़ाइयों को समाप्त किया है। शांति कायम रखी है। कई जगह आर्थिक विकास में मदद की है। गरीब बच्चों के भविष्य को बनाने में मदद दी है। भुखमरी हटाने में योगदान दिया है। और इस धरती को बचाने के लिए भी हम सब साथ मिल कर के जुटे हुए हैं।
69 UN Peacekeeping मिशन में विश्व में blue helmet को शांति के एक रंग की एक पहचान दी है। आज समस्त विश्व में लोकतंत्र की एक लहर है।
अफगानिस्तान में शांतिपूर्वक राजनीतिक परिवर्तन यह भी दिखलाता है कि अफगान जनता की शांति की कामना हिंसा पर विजय अवश्य पाएगी। नेपाल युद्ध से शांति और लोकतंत्र की ओर आगे बढ़ा है। भूटान के नए लोकतंत्र में एक नई ताकत नजर आ रही है। पश्चिम एशिया एवं उत्तर अफ्रीका में लोकतंत्र के पक्ष में आवाज उठाए जाने के प्रयास हो रहे हैं। Tunisia की सफलता दिखा रही है कि लोकतंत्र की ये यात्रा संभव है।
अफ्रीका में स्थिरता, शांति और प्रगति हेतु एक नई ऊर्जा एवं जागृति दिखायी दे रही है।
हमें एशिया और उसके पूरे अभूतपूर्व समृद्धि का अभ्युदय देखा है। जिसके आधार में शांति एवं स्थिरता की शक्ति समाहित है। अपार संभावनाओं से समृद्ध महादेश लैटिन अमेरिका स्थिरता एवं समृद्धि के साझा प्रयास में एकजुट हो रहा है। यह महादेश विश्व समुदायों के लिए एक महत्वपूर्ण आधार स्तंभ सिद्ध हो सकता है।
भारत अपनी प्रगति के लिए एक शांतिपूर्ण एवं स्थिर अंतरराष्ट्रीय वातावरण की अपेक्षा करता है। हमारा भविष्य हमारे पड़ोस से जुड़ा हुआ है। इसी कारण मेरी सरकार ने पहले ही दिन से पड़ोसी देशों से मित्रता और सहयोग बढ़ाने पर पूरी प्राथमिकता दी है। और पाकिस्तान के प्रति भी मेरी यही नीति है। मैं पाकिस्तान से मित्रता और सहयोग बढ़ाने के लिए गंभीरता से शांतिपूर्ण वातवारण में बिना आतंक के साये के साथ द्विपक्षीय वार्ता करना चाहते हैं।लेकिन पाकिस्तान का भी यह दायित्व है कि उपयुक्त वातावरण बनाये और गंभीरता से द्विपक्षीय बातचीत के लिए सामने आये।
इसी मंच पर बात उठाने से समाधान के प्रयास कितने सफल होंगे, इस पर कइयों को शक है। आज हमें बाढ़ से पीडि़त कश्मीर में लोगों की सहायता देने पर ध्यान देना चाहिए, जो हमने भारत में बड़े पैमाने पर आयोजित किया है। इसके लिए सिर्फ भारत में कश्मीर, उसी का ख्याल रखने पर रूके नहीं हैं, हमने पाकिस्तान को भी कहा, क्योंकि उसके क्षेत्र में भी बाढ़ का असर था। हमने उनको कहा कि जिस प्रकार से हम कश्मीर में बाढ़ पीडि़तों की सेवा कर रहे हैं, हम पाकिस्तान में भी उन बाढ़ पीडि़तों की सेवा करने के लिए हमने सामने से प्रस्ताव रखा था।
हम विकासशील विश्व का हिस्सा हैं, लेकिन हम अपने सीमित संसाधनों को उन सभी के साथ साझा करने की छूट दें,जिन्हें इनकी नितांत आवश्यकता है।
दूसरी ओर आज विश्व बड़े स्तर के तनाव और उथल-पुथल की स्थितियों से गुजर रहा है। बड़े युद्ध नहीं हो रहे हैं, परंतु तनाव एवं संघर्ष भरपूर नजर आ रहा है, बहुतेरे हैं, शांति का अभाव है तथा भविष्य के प्रति अनिश्चितता है। आज भी व्यापक रूप से गरीबी फैली हुई है। एक होता हुआ एशिया प्रशांत क्षेत्र अभी भी समुद्र में अपनी सुरक्षा, जो कि इसके भविष्य के लिए आधारभूत महत्व रखती है, को लेकर बहुत चिंतित है।
यूरोप के सम्मुख नए वीजा विभाजन का खतरा मंडरा रहा है। पश्चिम एशिया में विभाजक रेखाएं और आतंकवाद बढ़ रहे हैं। हमारे अपने क्षेत्र में आतंकवादी स्थिरतावादी खतरे से जूझना जारी है। हम पिछले चार दशक से इस संकट को झेल रहे हैं। आतंकवाद चार नए नए रूप और नाम से प्रकट होता जा रहा है। इसके खतरे से छोटा या बड़ा, उत्तर में हो या दक्षिण में, पूरब में हो या पश्चिम में, कोई भी देश मुक्त नहीं है।
मुझे याद है, जब मैं 20 साल पहले विश्व के कुछ नेताओं से मिलता था और आतंकवाद की चर्चा करता था, तो उनके यह बात गले नहीं उतरती थी। वह कहते थे कि यह law and order problem है। लेकिन आज धीरे धीरे आज पूरा विश्व देख रहा है कि आज आतंकवाद किस प्रकार के फैलाव को पाता चला जा रहा है। परंतु क्या हम वाकई इन ताकतों से निपटने के लिए सम्मिलित रूप से ठोस अंतरराष्ट्रीय प्रयास कर रहे हैं और मैं मानता हूं कि यह सवाल बहुत गंभीर है। आज भी कई देश आतंकवादियों को अपने क्षेत्र में पनाह दे रहे हैं और आतंकवादियों को अपनी नीति का उपकरण मानते हैं और जब good terrorism and bad terrorism , ये बातें सुनने को मिलती है, तब तो आतंकवाद के खिलाफ लड़ने की हमारी निष्ठाओं पर भी सवालिया निशान खड़े होते हैं।
पश्चिम एशिया में आतंकवाद पाश्विकता की वापसी तथा दूर एवं पास के क्षेत्र पर इसके प्रभाव को ध्यान में रखते हुए सम्मिलित कार्रवाई का स्वागत करते हैं। परंतु इसमें क्षेत्र के सभी देशों की भागीदारी और समर्थन अनिवार्य है। अगर हम terrorism से लड़ना चाहते हैं तो क्यों न सबकी भागीदारी हो, क्यों न सबका साथ हो और क्यों न उस बात पर आग्रह भी किया जाए। sea, space एवं cyber space साझा समृद्धि के साथ –साथ संघर्ष के रंगमंच भी बने हैं। जो समुद्र हमें जोड़ता था, उसी समुद्र से आज टकराव की खबरें शुरू हो रही हैं। जो स्पेस हमारी सिद्धियों का एक अवसर बनता था, जो सायबर हमें जोड़ता था, आज इन महत्वपूर्ण क्षेत्रों में नए संकट नजर आ रहे हैं।
उस अंतरराष्ट्रीय एकजुटता की, जिसके आधार पर संयुक्त राष्ट्र की स्थापना हुई, जितनी आवश्यकता आज है, उतनी पहले कभी नहीं थी। आज अब हम interdependenceworld कहते हैं तो क्या हमारी आपसी एकता बढ़ी है। हमें सोचने की जरूरत है। क्या कारण है कि UN जैसा इतना अच्छा प्लेटफार्म हमारे पास होने के बाद भी अनेक जी समूह बनाते चले गए हम। कभी G 4 होगा, कभी G 7 होगा, कभी G 20 होगा। हम बदलते रहते हैं और हम चाहें या न चाहें, हम भी उन समूहों में जुड़े हैं। भारत भी उसमें जुड़ा है।
लेकिन क्या आवश्यकता नहीं है कि हम G 1 से आगे बढ़ कर के G-All की तरफ कदम उठाएं। और जब UN अपने 70 वर्ष मनाने जा रहा है, तब ये G-All का atmosphere कैसे बनेगा। फिर एक बार यही मंच हमारी समस्याओं के समाधान का अवसर कैसे बन सके। इसकी विश्वसनीयता कैसे बढ़े, इसका सामर्थ्य कैसे बढ़े, तभी जा कर के यहां हम संयुक्त बात करते हैं। लेकिन टुकड़ों में बिखर जाते हैं, उसमें हम बच सकते हैं, एक तरफ तो हम यह कहते हैं कि हमारी नीतियां परस्पर जुड़ी हुई हैं और दूसरी तरफ हम जीरो संघ के नजरिये से सोचते हैं। अगर उसे लाभ होता है तो मेरी हानि होती है, कौन किसके लाभ में है, कौन किसके हानि में है, यह भी मानदंड के आधार पर हम आगे बढ़ते हैं।
निराशावादी या आलोचनावादी की तरह कुछ भी नहीं बदलने वाला है। एक बहुत बड़ा वर्ग है, जिसके मन में है कि छोड़ो यार, कुछ नहीं बदलने वाला है, अब कुछ होने वाला नहीं है। ये जो निराशावादी और आलोचनावादी माहौल है, यह कहना आसान है। परंतु अगर हम ऐसा करते हैं तो हम अपनी जिम्मेदारियों से भागने का जोखिम उठा रहे हैं। हम अपने सामूहिक भविष्य को खतरे में डाल रहे हैं। आइए, हम अपने समय की मांग के अनुरूप अपने आप को ढालें। हम वक्त की शांति के लिए कार्य करें।
कोई एक देश या कुछ देशों का समूह विश्व की धारा को तय नहीं कर सकता है। वास्तविक अन्तरराज्यीय होना, यह समय की मांग है और यह अनिवार्य है। हमें देशों के बीच सार्थक संवाद एवं सहयोग सुनिश्चित करना है। हमारे प्रयासों का प्रारंभ यहीं संयुक्त राष्ट्र में होना चाहिए। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार लाना, इसे अधिक जनतांत्रिक और भागीदारी परक बनाना हमारे लिए अनिवार्य है।
20वीं सदी की अनिवार्यताओं को प्रतिविदित करने वाली संस्थाएं 21वीं सदी में प्रभावी सिद्ध नहीं होंगी। इनके सम्मुख अप्रासंगिक होने का खतरा प्रस्तुत होगा, और भी आग्रह से कहना चाहता हूं कि पिछली शताब्दी के आवश्यकताओं के अनुसार जिन बातों पर हमने बल दिया, जिन नीति-नियमों का निर्धारण किया वह अभी प्रासंगिक नहीं है। 21वीं सदी में विश्व काफी बदल चुका है, बदल रहा है और बदलने की गति भी बड़ी तेज है। ऐसे समय यह अनिवार्य हो जाता है कि समय के साथ हम अपने आप को ढालें। हम परिवर्तन करें, हम नए विचारों पर बल दें। अगर ये हम कर पायेंगे तभी जाकर के हमारा relevance रहेगा। हमें अपने सभी मतभेदों को दरकिनार कर आतंकवाद से लड़ने के लिए सम्मिलित अंतरराष्ट्रीय प्रयास करना चाहिए।
मैं आपसे यह अनुरोध करता हूं कि इस प्रयास के प्रतीक के रूप में आप comprehensive convention on international terrorism को पारित करें। यह बहुत लंबे अरसे से pending mark है। इस पर बल देने की आवश्यकता है। terrorism के खिलाफ लड़ने की हमारी ताकत का वो एक परिचायक होगा और इसे हमारा देश, जो terrorism से इतने संकटों से गुजरा है, उसको समय लगता है कि जब तक वे इसमें initiative नहीं लेता है, और जब तक हम comprehensive convention on international terrorism को पारित नहीं करते हैं, हम वो विश्वास नहीं दिला सकते हैं। और इसलिए, फिर एक बार भारत की तरफ से इस सम्माननीय सभा के समक्ष बहुत आग्रहपूर्वक मैं अपनी बात बताना चाहता हूं। हमें outer space और cyber space में शांति, स्थिरता एवं व्यवस्था सुनिश्चित करनी होगी। हमें मिलजुल कर काम करते हुए यह सुनिश्चित करना है कि सभी देश अंतरराष्ट्रीय नियमों, मानदंडों का पालन करें। हमें UN Peace Keeping के पुनित कार्यों को पूरी शक्ति प्रदान करनी चाहिए।
जो देश अपनी सैन्य टुकडि़यों को योगदान करते हैं, उन्हें निर्णय प्रक्रिया में शामिल करना चाहिए। निर्णय प्रक्रिया में शामिल करने से उनका हौसला बुलंद होगा। वो बहुत बड़ी मात्रा में त्याग करने को तैयार है; बलिदान देने को तैयार है, अपनी शक्ति और समय खर्च करने को तैयार हैं, लेकिन अगर हम उन्हें ही निर्णय प्रक्रिया से बाहर रखेंगे तो कब तक हम UN Peace Keeping फोर्स को प्राणवान बना सकते हैं, ताकतवर बना सकते हैं। इस पर गंभीरता से सोचने की आवश्यकता है।
आइए, हर सार्वभौमिक वैश्विक रिसेसिकरण एवं प्रसार हेतू अपने प्रयासों में दोगुनी शक्ति लगाएं। अपेक्षाकृत अधिक स्थिर तथा समावेशी विकास हेतू निरंतर प्रयासरत रहें। वैश्विकरण ने विकास के नए ध्रुवों, नए उद्योगों और रोजगार के नए स्रोतों को जन्म दिया है। लेकिन साथ ही अरबों लोग गरीबी और अभाव के अर्द्धकगार पर जी रहे हैं। कई देश ऐेसे हैं, जो विश्वव्यापी आर्थिक तूफान के प्रभाव से बड़ी मुश्किल से बच पा रहे हैं। लेकिन इन सब में बदलाव लाना जितना मुमकिन आज लग रहा है, उतना पहले कभी नहीं लगता था।
Technology ने बहुत कुछ संभव कर दिखाया है। इसे मुहैया करने में होने वाले खर्च में भी काफी कमी आई है। यदि आप सारी दुनिया में Facebook और Twitter के प्रसार की गति के बारे में, सेलफोन के प्रसार की गति के बारे में सोचते हैं तो आपको यह विश्वास करना चाहिए कि विकास और सशक्तिकरण का प्रसार भी कितनी तेज गति से संभव है।
जाहिर है, प्रत्येक देश को अपने राष्ट्रीय उपाय करने होंगे, प्रगति व विकास को बल देने हेतु प्रत्येक सरकार को अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी। साथ ही हमारे लिए एक स्तर पर एक सार्थक अंतर्राष्ट्रीयभागीदारी की आवश्यकता है, जिसका अर्थ हुआ, नीतियों को आप बेहतर समन्वय करें ताकि हमारे प्रयत्न, परस्पर संयोग को बढ़ावा दे तथा दूसरे को क्षति न पहुंचाये। ये उसकी पहली शर्त है कि दूसरे को क्षति न पहुंचाएं। इसका यह भी अर्थ है कि जब हम अंतरराष्ट्रीय व्यापारिक संबंधों की रचना करते हैं तो हमें एक दूसरे की चिंताओं व हितों का ध्यान रखना चाहिए।
जब हम विश्व के अभाव के स्तर के विषय में सोचते हैं, आज basic sanitation 2.5 बिलियन लोगों के पहुंच के बाहर है। आज 1.3 बिलियन लोगों को बिजली उपलब्ध नहीं है और आज 1.1 बिलियन लोगों को पीने का शुद्ध पानी उपलब्ध नहीं है। तब स्पष्ट होता है कि अधिक व्यापक व संगठित रूप से अंतरराष्ट्रीय कार्यवाही करने की प्रबल आवश्यकता है। हम केवल आर्थिक वृद्धि के लिए इंतजार नहीं कर सकते। भारत में मेरे विकास का एजेंडा के सबसे महत्वपूर्ण पहलू इन्हीं मुद्दों पर केंद्रित हैं।
मैं यह मानता हूं कि हमें post 2015 development agenda में इन्हीं बातों को केन्द्र में रखना चाहिए और उन पर ध्यान देना चाहिए। रहने लायक तथा टिकाऊ sustainable विश्व की कामना के साथ हम काम करें। इन मुद्दों पर ढेर सारे विवाद एवं दस्तावेज उपलब्ध हैं। लेकिन हम अपने चारों ओर ऐसी कई चीजें देखते हैं, जिनके कारण हमें चिंतित व आगाह हो जाना चाहिए। ऐसी भी चीजें हैं जिन्हें देखने से हम चिंतित होते जा रहे हैं। जंगल, पशु-पक्षी, निर्मल नदियां, जज़ीरे और नीला आसमान।
मैं तीन बातें कहना चाहूंगा, पहली बात, हमें चुनौतियों से निपटने के लिए अपनी जिम्मेदारियों को निभाने में ईमानदारी बरतनी चाहिए। विश्व समुदाय ने सामूहिक कार्यवाही के सुंदर संतुलन को स्वीकारा है, जिसका स्वरूप common व differentiated responsibilities । इसे सतत कार्यवाही का आधार बनाना होगा। इसका यह भी अर्थ है कि विकसित देशों को funding और technology transfer की अपनी प्रतिबद्धता को अवश्य पूरा करना चाहिए।
दूसरी बात, राष्ट्रीय कार्यवाही अनिवार्य है। टेक्नोलोजी ने बहुत कुछ संभव कर दिया है, जैसे नवीकरणीय ऊर्जा प्रौद्योगिकी। आवश्यकता है तो सृजनशीलता व प्रतिबद्धता की। भारत अपनी टेक्नोलोजी क्षमता को साझा करने के लिए तैयार है। जैसा कि हमने हाल ही में सार्क देशों के लिए एक नि:शुल्क उपग्रह बनाने की घोषणा की है।
तीसरी बात हमें अपनी जीवनशैली बदलने की आवश्यकता है। जिस ऊर्जा का उपयोग न हुआ हो, वह सबसे साफ ऊर्जा है। इससे आर्थिक नुकसान नहीं होगा। अर्थव्यवस्था को एक नई दिशा मिलेगी।
हमारे भारतवर्ष में प्रकृति के प्रति आदरभाव अध्यात्म का अभिन्न अंग है। हम प्रकृति की देन को पवित्र मानते हैं और मैं आज एक और विषय पर भी ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं कि हम climate change की बात करते हैं। हम होलिस्टिक हेल्थ केयर की बात करते हैं। जब हम back to basic की बात करते हैं तब मैं उस विषय पर विशेष रूप से आप से एक बात कहना चाहता हूं। योग हमारी पुरातन पारम्परिक अमूल्य देन है। योग मन व शरीर, विचार व कर्म, संयम व उपलब्धि की एकात्मकता का तथा मानव व प्रकृति के बीच सामंजस्य का मूर्त रूप है। यह स्वास्थ्य व कल्याण का समग्र दृष्टिकोण है। योग केवल व्यायाम भर न होकर अपने आप से तथा विश्व व प्रकृति के साथ तादम्य को प्राप्त करने का माध्यम है। यह हमारी जीवन शैली में परिवर्तन लाकर तथा हम में जागरूकता उत्पन्न करके जलवायु परिवर्तन से लड़ने में सहायक हो सकता है। आइए हम एक ‘’अंतरराष्ट्रीययोग दिवस’’ को आरंभ करने की दिशा में कार्य करें। अंतत: हम सब एक ऐतिहासिक क्षण से गुजर रहे हैं। प्रत्येक युग अपनी विशेषताओं से परिभाषित होता है। प्रत्येक पीढी इस बात से याद की जाती है कि उसने अपनी चुनौतियों का किस प्रकार सामना किया। अब हमारे सम्मुख चुनौतियों के सामने खड़े होने की जिम्मेदारी है। अगले वर्ष हम 70 वर्ष के हो जाएंगे। हमें अपने आप से पूछना होगा कि क्या हम तब तक प्रतीक्षा करें तब हम 80 या 100 के हो जाएं। मैं मानता हूं कि UN के लिए अगला साल एक opportunity है। जब हम 70 साल की यात्रा के बाद लेखाजोखा लें, कहां से निकले थे, क्यूं निकले थे, क्या मकसद था, क्या रास्ता था, कहां पहुंचे हैं, कहां पहुंचना है।
21 सदी के कौन से प्रकार हैं, कौन से challenges हैं, उन सबको ध्यान में रखते हुए पूरा एक साल व्यापक विचार मंथन हो। हम universities को जोडें, नई generation को जोड़ें जो हमारे कार्यकाल का विगत से मूल्यांकन करे, उसका अध्ययन करे और हमें वो भी अपने विचार दें। हम नई पीढ़ी को हमारी नई यात्रा के लिए कैसे जोड़ सकते हैं और इसलिए मैं कहता हूं कि 70 साल अपने आप में एक बहुत बड़ा अवसर है। इस अवसर का उपयोग करें और उसे उपयोग करके एक नई चेतना के साथ नई प्राणशक्ति के साथ, नए उमंग और उत्साह के साथ, आपस में एक नए विश्वास साथ हम UN की यात्रा को हम नया रूप रंग दें। इस लिए मैं समझता हूं कि ये 70 वर्ष हमारे लिए बहुत बड़ा अवसर है।
आइए, हम संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार लाने के अपने वादे को निभाएं। यह बात लंबे अरसे से चल रही है लेकिन वादों को निभाने का सामर्थ्य हम खो चुके हैं। मैं आज फिर से आग्रह करता हूं कि आज इस विषय में गंभीरता से सोचें। आइए, हम अपने Post 2015 development agenda के लिए अपनी प्रतिबद्धता को पूरा करें।
आइए 2015 को हम विश्व की प्रगति प्रवाह को एक नया मोड़ देने वाले एक वर्ष के रूप में हम अविस्मरणीय बनायें और 2015 एक नितांत नई यात्रा के प्रस्थान बिंदु के रूप में मानव इतिहास में दर्ज हो। यह हम सबकी सामूहिक जिम्मेदारी है। मुझे विश्वास है कि सामूहिक जिम्मेदारी को हम पूरी तरह निभाएंगे।
आप सबका बहुत बहुत आभार।
धन्यवाद। नमस्ते।

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सरदार भगत सिंह के परिवार की एक मात्र जीवित सदस्य उनकी छोटी बहन प्रकाश कौर का कल अपने भाई के ही जन्मदिवस के दिन निधन हो गया


सरदार भगत सिंह के परिवार की एक मात्र जीवित सदस्य उनकी छोटी बहन प्रकाश कौर का कल अपने भाई के ही जन्मदिवस के दिन निधन हो गया और मीडिया एक समाचार भी नही दिखा सकी……..लानत है इस देश की हरामखोर मीडिया पे

सरदार भगत सिंह के परिवार की एक मात्र जीवित सदस्य उनकी छोटी बहन प्रकाश कौर का कल अपने भाई के ही जन्मदिवस के दिन निधन हो गया और मीडिया एक समाचार भी नही दिखा सकी........लानत है इस देश की हरामखोर मीडिया पे
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मोदी जी तो छा गया भाई…..
प्रवासी भारतीयों को सीधे सीधे भारत आने का आमंत्रण सुनकर तो अमेरिका, इंग्लैण्ड और पश्चिमी देशों के तो रोंगटे खड़े हो गए होंगे……
संयुक्त राष्ट्र के मंच पर उसी के कपडे फाड़ना क्या मज़ाक है??….
सीधे सीधे कह देना कि संयुक्त राष्ट्र 70 साल में अमेरिका के पुछल्ल्ले बनने के आगे कुछ करेगा भी, या नहीं??…..
एक करारा तमाचा अमेरिका और विकसित देशों को, जिन्होंने संयुक्त राष्ट्र को गुटबाजी का और अपनी ऐय्याशियों का अड्डा बना लिया है…..
दूसरा तमाचा आतंकवाद पर अंकल सेम के पाखंड का….
साथ में मोदी जी ने ये भी पुछ डाला की क्यों यूएन के होते हुए G5, G7, G20, NATO जैसे दुनिया में इतने गुट बन गए हैं??…..
क्यों बाकी देशों को फैसलों में साथ नहीं लिया जाता??……
पक्का गुज्जु है भाई…..
इतने बड़े मंच का उपयोग कर अपने देश के योग का प्रचार भी कर आया……
इतने बड़े मंच का उपयोग कर दुनिया को मानवता से जुड़े मुद्दों के लिए एक होने का सन्देश भी दे आया…..और पाकिस्तान उसकी क्या औकात है??….
बाकी स्टेंडिंग ओवेशन और ले आया……
गज़ब मज़ा आ गया….

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वो रस्सी आज भी संग्रहालय में है जिस्से गांधी बकरी बांधा करते थे किन्तु वो रस्सी कहां है जिस पे भगत सिंह , सुखदेव और राजगुरु हसते हुए झूले थे?


वो रस्सी आज भी संग्रहालय में है
जिस्से गांधी बकरी बांधा करते थे
किन्तु वो रस्सी कहां है
जिस पे भगत सिंह , सुखदेव और राजगुरु हसते हुए झूले थे?

” हालात.ए.मुल्क देख के रोया न गया…
कोशिश तो की पर मूंह ढक के सोया न गया”. देश मेरा क्या बाजार हो गया है …
पकड़ता हु तिरंगा
तो लोग पूछते है कितने का है…
वर्षों बाद एक नेता को माँ गंगा की आरती करते देखा है,
वरना अब तक एक परिवार की समाधियों पर फूल चढ़ाते देखा है।

वर्षों बाद एक नेता को अपनी मातृभाषा में बोलते देखा है,
वरना अब तक रटी रटाई अंग्रेजी बोलते देखा है।

वर्षों बाद एक नेता को Statue Of Unity बनाते देखा है,
वरना अब तक एक परिवार की मूर्तियां बनाते देखा है।

वर्षों बाद एक नेता को संसद की माटी चूमते देखा है,
वरना अब तक इटैलियन सैंडिल चाटते देखा है।

वर्षों बाद एक नेता को देश के लिए रोते देखा है,
वरना अब तक “मेरे पति को मार दिया” कह कर वोटों की भीख मांगते देखा है।

पाकिस्तान को घबराते देखा है,
अमेरिका को झुकते देखा है।

इतने वर्षों बाद भारत माँ को खुलकर मुस्कुराते देखा है।

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Rajdeep Sardesai


Zee News exposing Rajdeep Sardesai
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Does it suit to an Indian reporter to go abroad and try to malign the image of his own Prime Minister ?
Is it not an Anti-national act ?
NRIs only gave him the befitting reply.

Only Rajdeep can tell whose agenda he was carrying in USA.
Shame on Paid Reporters.
———————–
ShankhNaad

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राजदीप सरदेसाई


राजदीप सरदेसाई ने NRI को पहले थप्पड़ मारा
अभी अभी ज़ी न्यूज़ ने कल की घटना का वीडियो
दिखाया और कहा कि राजदीप सरदेसाई के आचरण
ने सारे मीडिया को आत्ममंथन करने के लिए मजबूर
कर दिया —-
वीडियो में साफ़ दिख रहा था कि राजदीप सरदेसाई
ने पहले NRI को गाली दी जिसके बदले में उसे भी
NRI से गाली मिली –इस पर राजदीप ने उस NRI
को थप्पड़ लगा दिया जिसके बाद उसके साथ
धक्का मुक्की हुई —
ज़ी न्यूज़ ने सही सवाल उठाया कि जब देश का प्रधान
मंत्री अमेरिका में है तो इस पत्रकार को प्रधान मंत्री की
इज़्ज़त के खिलाफ कुछ कहने का अधिकार किसने
दिया —
दूसरी तरफ ए बी पी न्यूज़ इस वीडियो की सत्यता
पर बहस कर रहा था —
अब समय आ गया है कि इन पत्रकारों की सम्पत्तियों
की जांच होनी चाहिए –और—इनके खिलाफ एक
work force तैयार होनी चाहिए जो इन्हे सड़कों पर
निबटे —
इन पत्रकारों ने अपनी आज़ादी का बहुत दुरूपयोग
किया है —-

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Prime Minister Benjamin Netanyahu met this evening with Indian Prime Minister Narendra Mod


Prime Minister Benjamin Netanyahu met this evening with Indian Prime Minister Narendra Modi, in the first meeting between prime ministers of Israel and India in over a decade.

Prime Minister Netanyahu raised the issue of the danger of a nuclear-armed Iran as well as the global threat posed by Islamic terrorism. He also proposed that Israel and India cooperate in the technology sphere, especially in developments in agriculture and water technology. He updated his Indian counterpart on his decision to establish a national cyber defense authority and proposed bilateral contacts on the issue; Prime Minister Netanyahu said that cyber would be a significant economic sector in the future.

At the start of his meeting with Indian Prime Minister Modi, Prime Minister Netanyahu said, "I'm delighted to meet you Mr. Prime Minister. This is an opportunity for Israel and India to expand further our relationship. We are two old peoples, some of the oldest in the nations on earth but we are also two democracies, we're proud of our rich traditions but we're also eager to seize the future. I believe that if we work together we can do so with benefits to both our peoples. So in that spirit it's a wonderful opportunity to see you here and I would like to invite you to come to Israel. I know you've been there before, it will be a pleasure to welcome you again, we're very excited by the prospects of greater and greater ties with India, we think the sky is the limit."

Indian Prime Minister Modi replied, "I agree with you that India-Israel relations are historical. I met this morning with the people from the Jewish community, American Jewish Committee, and they all appreciated that there is a deep recognition in Israel that India is the only country where anti-Semitism has never been allowed to come up, where Jews have never suffered and lived as an integral part of our society. There was a time in the city of Mumbai that Hebrew was officially taught in the university and even one of the mayors of Mumbai city was from a Jewish family."

Photo: Avi Ohayon, GPO

Prime Minister Benjamin Netanyahu met this evening with Indian Prime Minister Narendra Modi, in the first meeting between prime ministers of Israel and India inover a decade.

Prime Minister Netanyahu raised the issue of the danger of a nuclear-armed Iran as well as the global threat posed by Islamic terrorism. He also proposed that Israel and India cooperate in the technology sphere, especially in developments in agriculture and water technology. He updated his Indian counterpart on his decision to establish a national cyber defense authority and proposed bilateral contacts on the issue; Prime Minister Netanyahu said that cyber would be a significant economic sector in the future.

At the start of his meeting with Indian Prime Minister Modi, Prime Minister Netanyahu said, “I’m delighted to meet you Mr. Prime Minister. This is an opportunity for Israel and India to expand further our relationship. We are two old peoples, some of the oldest in the nations on earth but we are also two democracies, we’re proud of our rich traditions but we’re also eager to seize the future. I believe that if we work together we can do so with benefits to both our peoples. So in that spirit it’s a wonderful opportunity to see you here and I would like to invite you to come to Israel. I know you’ve been there before, it will be a pleasure to welcome you again, we’re very excited by the prospects of greater and greater ties with India, we think the sky is the limit.”

Indian Prime Minister Modi replied, “I agree with you that India-Israel relations are historical. I met this morning with the people from the Jewish community, American Jewish Committee, and they all appreciated that there is a deep recognition in Israel that India is the only country where anti-Semitism has never been allowed to come up, where Jews have never suffered and lived as an integral part of our society. There was a time in the city of Mumbai that Hebrew was officially taught in the university and even one of the mayors of Mumbai city was from a Jewish family.”

Photo: Avi Ohayon, GPO

Posted in हिन्दू पतन

`गांव-गांवमें मस्जिदोंका निर्माण कार्य कर उन्हें बाबरीका नाम दें !


`गांव-गांवमें मस्जिदोंका निर्माण कार्य कर उन्हें बाबरीका नाम दें ! – अकबरुद्दीन ओवैसीकी हिन्दुद्वेषी बांग
‪#‎owaisi‬
अकबरुद्दीन ओवैसीद्वारा इतनी बार सांप्रदायिक वक्तव्य किए जानेसे आचारसंहिताका उजागरीसे भंग होते हुए भी क्या चुनाव आयोग सोया है अथवा कहींऐसा तो नहीं कि उसने नींदका ढोंग किया है ?

अधिक जानकारी : http://www.hindujagruti.org/hindi/news/8440.html

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`गांव-गांवमें मस्जिदोंका निर्माण कार्य कर उन्हें बाबरीका नाम दें ! – अकबरुद्दीन ओवैसीकी हिन्दुद्वेषी बांग
#owaisi 
अकबरुद्दीन ओवैसीद्वारा इतनी बार सांप्रदायिक वक्तव्य किए जानेसे आचारसंहिताका उजागरीसे भंग होते हुए भी क्या चुनाव आयोग सोया है अथवा कहींऐसा तो नहीं कि उसने नींदका ढोंग किया है ?

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(Y) : Hindu Janajagruti Samiti- Hindi
Posted in भारत गौरव - Mera Bharat Mahan

हमारे देश के बारे में यह प्रचारित किया गया है कि भारत बहुत ही गरीब देश है.


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जानें और जरा सोचें ::
• हमारे देश के बारे में यह प्रचारित
किया गया है कि भारत बहुत ही गरीब
देश है…… यदि यह देश गरीब
होता तो क्या जवाहर लाल नेहरू
का कपड़ा पेरिस में धुलने जाता ?
• दुनियां भर के विदेशी आक्रमण
क्या हमारी गुदडी चुराने के लिए हुए थे।
• चंगेज खान 4 करोड
लोगों की हत्या करके क्या अपने
घोडों पर ईंट और पत्थर लाद कर ले
गया था ?
• सोमनाथ मंदिर को बार बार सोने से
कौन भर देता था यदि हमारे पुरखे गरीब
थे ?
• श्रम करने वाला कभी गरीब
हो ही नहीं सकता है। हमारे किसान
औसत १४ घंटे काम करते हैं। वे गरीब
क्यों हैं ?
• आज हमारे देश से
विदेशी कंपनियां आधिकारिक रूप से
2,32,000 करोड़ का शुद्ध मुनाफा अपने
देश लेकर जा रही हैं। बाकी सभी तरह
का फर्जी हिसाब, उनका आयातित
कच्चे माल का भुगतान,
चोरी आदि जोड़ा जाय तो यह रकम
25,00,000 करोड़ सलाना बैठती है।
क्या कोई गरीब देश इतना टर्न ओवर
पैदा करवा सकता है ?
• हमारे देश में दवाओं
का सालाना कारोबार 10,00,000
करोड़ का है, क्या यह गरीब देश
की निशानी है ?
• हमारे देश में सालाना 6,00,000 करोड़
का जहर का व्यापार
विदेशी कंपनियां कर रही है। क्या यह
गरीबी की निशानी है ?
• हमारे देश में 10,000 लाख करोड़
का खनिज पाया जाता है और
इसका दोहन भी विदेशी कंपनियां बहुत
ही सस्ते भाव पर कर रही हैं। तो क्या हम
गरीब हैं?
• जब हम रॉकेट और सैटेलाइट बना कर
चांद पर पहुंच सकते हैं तो नोट छापने
का काम उन
विदेशी कंपनियों को क्यों दिया जाता है
जो हमारी पीठ में छुरा घोंपकर
उसी डिजाइन में थोडा सा न दिखने
वाला परिवर्तन करके खरबों रुपये
का नकली नोट छापकर
विदेशी खुफिया तंत्रों को बेचकर हमें
कंगाल बना रही हैं?
• यदि हम गरीब होते तो क्या अंग्रेज
यहां खाक छानने आये थे। राबर्ट क्लाइव
900 पानी के जहाज भरकर
सोना चांदी हीरे सिर्फ कोलकाता से
कैसे ले गया था?
• यदि हम गरीब होते तो हमारे देश
का आजादी के बाद 400 लाख करोड
रूपया विदेशी बैंकों में कैसे
जमा हो गया?
• हमें शुरू से ही भीख मांगने की आदत पड
जाये, इसके लिए हमारे
स्वाभिमानी बच्चों को स्कूल में
ही कटोरा पकड़ा कर मिड डे मील के
नाम पर खरबों की लूट जारी है, क्यों ?
• हम काहिल हो जाएं, इसके लिए
मनरेगा योजना में
खरबों रूपयों क्यों लुटाया जा रहा है ?
• यदि हम गरीब होते
तो क्या विदेशी यहां हर प्रकार
की वस्तु फ्री में बेचने के लिए आते