Posted in भारतीय मंदिर - Bharatiya Mandir

छत्तीसगढ़ में मिला काशी विश्वनाथ जैसा 2 हजार साल पुराना शिवलिंग


छत्तीसगढ़ में मिला काशी विश्वनाथ जैसा 2 हजार साल पुराना शिवलिंग
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छत्तीसगढ़ में मिला काशी विश्वनाथ जैसा 2 हजार साल पुराना शिवलिंग
(साइट नंबर 15 की खुदाई के दौरान मिले मंदिर के अवशेषों के बीच 4 फीट लंबा 2.5 फीट की गोलाई वाला यह शिवलिंग निकला है।)

महासमुंद . खुदाई के दौरान सिरपुर में द्वादश ज्योतिर्लिंगों वाले पौरुष पत्थर से बना शिवलिंग मिला है। छत्तीसगढ़ के पुरातत्व सलाहकार अरुण कुमार शर्मा का दावा है कि यह दो हजार साल पुराना है और राज्य में मिला सबसे प्राचीन व विशाल शिवलिंग है।

वाराणसी के काशी विश्वनाथ और उज्जैन के महाकालेश्वर शिवलिंग जैसा है सिरपुर में in शिवलिंग। बेहद चिकना। पहली शताब्दी में सरभपुरिया राजाओं के द्वारा बनाए गए मंदिर के प्रमाण भी मिले। इस शिवलिंग में विष्णु सूत्र (जनेऊ) और असंख्य शिव धारियां हैं।

साइट नंबर 15 की खुदाई के दौरान मिले मंदिर के अवशेषों के बीच 4 फीट लंबा 2.5 फीट की गोलाई वाला यह शिवलिंग निकला है। बारहवीं शताब्दी में आए भूकंप और बाद में चित्रोत्पला महानदी की बाढ़ में पूरा मंदिर परिसर ढह गया था। मंदिर के खंभे नदी के किनारे चले गए। सिरपुर में कई सालों से चल रही खुदाई में सैकड़ों शिवलिंग मिले हैं। इनमें से गंधेश्वर की तरह यह शिवलिंग भी साबूत निकला।

भूकंप और बाढ़ से गंधेश्वर मंदिर भी पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया था। पर यहां मौजूद सफेद पत्थर से बना शिवलिंग सुरक्षित बच गया। सिरपुर में मिले गंधेश्वर शिवलिंग की विशेषता उससे निकलने वाली तुलसी के पौधे जैसी सुगंध से है।

सबसे प्राचीन मिलना बाकी पुरातत्व सलाहकार अरुण कुमार शर्मा ने बताया कि ब्रिटिश पुरातत्ववेत्ता बैडलर ने 1862 में लिखे संस्मरण में एक विशाल शिवमंदिर का जिक्र किया है। लक्ष्मण मंदिर परिसर के दक्षिण में स्थित एक टीले के नीचे राज्य के संभवत: सबसे बड़े और प्राचीन शिव मंदिर की खुदाई होना बाकी है

छत्तीसगढ़ में मिला काशी विश्वनाथ जैसा 2 हजार साल पुराना शिवलिंग =============================================== छत्तीसगढ़ में मिला काशी विश्वनाथ जैसा 2 हजार साल पुराना शिवलिंग (साइट नंबर 15 की खुदाई के दौरान मिले मंदिर के अवशेषों के बीच 4 फीट लंबा 2.5 फीट की गोलाई वाला यह शिवलिंग निकला है।) महासमुंद . खुदाई के दौरान सिरपुर में द्वादश ज्योतिर्लिंगों वाले पौरुष पत्थर से बना शिवलिंग मिला है। छत्तीसगढ़ के पुरातत्व सलाहकार अरुण कुमार शर्मा का दावा है कि यह दो हजार साल पुराना है और राज्य में मिला सबसे प्राचीन व विशाल शिवलिंग है। वाराणसी के काशी विश्वनाथ और उज्जैन के महाकालेश्वर शिवलिंग जैसा है सिरपुर में in शिवलिंग। बेहद चिकना। पहली शताब्दी में सरभपुरिया राजाओं के द्वारा बनाए गए मंदिर के प्रमाण भी मिले। इस शिवलिंग में विष्णु सूत्र (जनेऊ) और असंख्य शिव धारियां हैं। साइट नंबर 15 की खुदाई के दौरान मिले मंदिर के अवशेषों के बीच 4 फीट लंबा 2.5 फीट की गोलाई वाला यह शिवलिंग निकला है। बारहवीं शताब्दी में आए भूकंप और बाद में चित्रोत्पला महानदी की बाढ़ में पूरा मंदिर परिसर ढह गया था। मंदिर के खंभे नदी के किनारे चले गए। सिरपुर में कई सालों से चल रही खुदाई में सैकड़ों शिवलिंग मिले हैं। इनमें से गंधेश्वर की तरह यह शिवलिंग भी साबूत निकला। भूकंप और बाढ़ से गंधेश्वर मंदिर भी पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया था। पर यहां मौजूद सफेद पत्थर से बना शिवलिंग सुरक्षित बच गया। सिरपुर में मिले गंधेश्वर शिवलिंग की विशेषता उससे निकलने वाली तुलसी के पौधे जैसी सुगंध से है। सबसे प्राचीन मिलना बाकी पुरातत्व सलाहकार अरुण कुमार शर्मा ने बताया कि ब्रिटिश पुरातत्ववेत्ता बैडलर ने 1862 में लिखे संस्मरण में एक विशाल शिवमंदिर का जिक्र किया है। लक्ष्मण मंदिर परिसर के दक्षिण में स्थित एक टीले के नीचे राज्य के संभवत: सबसे बड़े और प्राचीन शिव मंदिर की खुदाई होना बाकी है
Posted in Sai conspiracy

साईं


lll ॐ lll सनातन धर्म के मंदिरों में केवल शास्त्र सम्मत पूजा ही होती है ,
साईं शिर्डी की एक कब्र में एक शव है और किसी भी मन्दिर शव की पूजा नहीं हो सकती l

ॐ प्रकाश
‪#‎SaiExpose‬

Posted in ज्योतिष - Astrology

यह भी भूत की तरह ही एक


* पिशाच सिद्धि *
———————

यह भी भूत की तरह ही एक
योनि होती है,पर अत्यंत बलिष्ठ,अत्यंत
मजबूत और द्र्ढ निच्छय युक्त,अगर साधक इसे सिद्ध करले और इसे आज्ञा दे दे तो सामने चाहे पचास शत्रु,बंदूक या पिस्तोल लाठी या भाले लिय हुए खड़े हो तो उसे पाच मिनट मे ही
भगा देता है,इसका क्षमता बहोत भयंकर
होता है……….यह साधक को 24 घंटे
अदृश्य रूप मे मित्र के तरहा रहेता है और
बुलाने पर हर आज्ञा का पालन करता ही है…….

साधना विधि-

कृष्ण पक्ष के शुक्रवार को साधक दक्षिण
को मुख करके गुरु जी से आज्ञा लेकर
नग्न अवस्था मे साधना मे बैठे,आसन काले रंग
का हो और सामने स्टील या तांबे के
प्लेट मे सिंदूर मे चमेली का तेल मिलाकर पुरुष
आकृति बनाये,पुरुष आकृति मे
हृदय का पूजन करे.इस साधना मे रुद्राक्ष
या काले हकीक का माला आवश्यक है,गुरुमंत्र
के जाप होने के बाद साधक पिशाच
मंत्र का 21 माला जाप करे,येसा 3 शुक्रवार
तक रात्रि मे 10 बजे के बाद साधना
करने से पिशाच साधक के सामने प्रत्यक्ष
होता है और वचन मांगता है,पिशाच सिद्धि सिर्फ 3-4 शुक्रवार करने से पिशाच सिद्ध होकर हमारा मनचाहा कार्य सम्पन्न करता है.

॥ ऐं क्रीं क्रीं ख्रिं ख्रिं खिचि खिचि पिशाच
ख्रिं ख्रिं फट ॥

Aim kreem kreem khreem khreem
khichi khichi pishach khreem
khreem phat

साधना सिर्फ एक दिवसीय है परंतु 3 शुक्रवार
तक करना आवश्यक है पूर्ण सिद्धि के
लिये॰

* पिशाच सिद्धि *
---------------------

यह भी भूत की तरह ही एक
योनि होती है,पर अत्यंत बलिष्ठ,अत्यंत
मजबूत और द्र्ढ निच्छय युक्त,अगर साधक इसे सिद्ध करले और इसे आज्ञा दे दे तो सामने चाहे पचास शत्रु,बंदूक या पिस्तोल लाठी या भाले लिय हुए खड़े हो तो उसे पाच मिनट मे ही
भगा देता है,इसका क्षमता बहोत भयंकर
होता है..........यह साधक को 24 घंटे
अदृश्य रूप मे मित्र के तरहा रहेता है और
बुलाने पर हर आज्ञा का पालन करता ही है.......

साधना विधि-

कृष्ण पक्ष के शुक्रवार को साधक दक्षिण
को मुख करके गुरु जी से आज्ञा लेकर
नग्न अवस्था मे साधना मे बैठे,आसन काले रंग
का हो और सामने स्टील या तांबे के
प्लेट मे सिंदूर मे चमेली का तेल मिलाकर पुरुष
आकृति बनाये,पुरुष आकृति मे
हृदय का पूजन करे.इस साधना मे रुद्राक्ष
या काले हकीक का माला आवश्यक है,गुरुमंत्र
के जाप होने के बाद साधक पिशाच
मंत्र का 21 माला जाप करे,येसा 3 शुक्रवार
तक रात्रि मे 10 बजे के बाद साधना
करने से पिशाच साधक के सामने प्रत्यक्ष
होता है और वचन मांगता है,पिशाच सिद्धि सिर्फ 3-4 शुक्रवार करने से पिशाच सिद्ध होकर हमारा मनचाहा कार्य सम्पन्न करता है.

॥ ऐं क्रीं क्रीं ख्रिं ख्रिं खिचि खिचि पिशाच
ख्रिं ख्रिं फट ॥

Aim kreem kreem khreem khreem
khichi khichi pishach khreem
khreem phat

साधना सिर्फ एक दिवसीय है परंतु 3 शुक्रवार
तक करना आवश्यक है पूर्ण सिद्धि के
लिये॰
Posted in भारत का गुप्त इतिहास- Bharat Ka rahasyamay Itihaas

जब भी दो देश लड़ाई करते है


जब भी दो देश लड़ाई करते है तो साधारणतया किसी धार्मिक स्थल को तबाह नही करते … लेकिन भारत पाक की लड़ाई में पाकिस्तान ने द्वारिकाधीश मन्दिर को तबाह करने की पूरी कोशिश की थी .. और पाक नौसेना ने कुल 158 गोले दागे थे …. लेकिन पाक नौसेना ने जब मन्दिर के स्थिति की गणना की थी तब समुद्र में ज्वार नही आया था … और हमले के समय ज्वार आया जिससे सभी बम समुद्र में गिरे और मन्दिर ध्वस्त होने से बच गया …

मजे की बात ये है की रेडियो पाकिस्तान ने खबर चलाई थी की पाकिस्तान ने हिन्दुओ के प्रसिद्ध तीर्थ स्थल द्वारका मन्दिर को पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया ..और ये खबर सुनते ही शांतिदूत ख़ुशी से झूम उठे थे

Posted in हिन्दू पतन

गोधरा कांड क्या है।


गोधरा कांड क्या है।

27 फरवरी 2002 साबरमती ट्रेन के S6 बोगी को गोधरा स्टेशन से 862 मीटर की दूरी पर शान्ति पसंद लोगो द्वारा जला दिया गया था…….जिसमे 58 मासूम , निहत्थे, निर्दोष रामभक्तो की दर्दनाक मौत हो गयी…….उसमे 23 पुरुष, 15 महिलाये, तथा 20 बच्चे थे। उनका “अपराध” केवल इतना था ……..कि वे “हिन्दू”थे ……और श्रीराम जन्मभूमि अयोध्या से तीर्थयात्रा करके लौट रहे थे। स्थानीय कांग्रेसी निगम पार्षद हाजी बिलाल ( आजीवन कैद की सजा मुख्य अभियक्त )भीड़ को ट्रेन के इंजन को जलाने का आदेश दे रहा था और पास की मस्जिद से लाउडस्पीकर पर ये आदेश दिया जा रहा था कि “मारो……काटो …. कोई काफ़िर जिन्दा न बचे”……..मुल्लो ने दरवाज़े बहार से बंद कर दिए गये थे ताकि कोई बाहर न निकले…….S6 S7 वैक्यूम पाइप काट दिए थे जिससे ट्रेन आगे ना बढ़ सके……. जो लोग जलती ट्रेन से किसी तरह बाहर निकल भी आये तो उन्हें तेज़ हथियारों से काटकर मार डाला गया । गोधरा के एक पेट्रोल पंप पर काम करने वाले 2 कर्मचारियों के अनुसार एक दिन पहले ही कुछ लोग वहां से 140 लीटर पेट्रोल खरीद कर ले गए थे। साफ़ है की रामभक्तो को जिन्दा जलाने का ये एक सुनियोजित षड्यंत्र था। गुजरात दंगो की बात गोधरा के बिना अधूरी है।इस गोधरा कांड के बाद ही गुजरात में दंगे शुरू हुए थे। जरा सोचिये, हमारा हाथ जरा सा आग पर पड़ जाये तो हमें कितना दर्द होता है हम तुरंत अपना हाथ वहां से हटा लेते हैं …..उनकी जगह खुद को रखकर सोचिये कितना तडपे होंगे वो लोग वो मासूम बच्चे, औरतें , बुजुर्ग वो व्यस्क जिन्हें पेट्रोल छिडककर ट्रेन में जिन्दा जला दिया गया। अपनी जान बचाने के लिए कितना छटपटाये होंगे ……लेकिन इन जल्लादो को नर पिशाचों को उन पर जरा भी दया नही आयी। दंगो में मरने का शोक सभी मनाते हैं ……. कोई बात नहीं याद रखना चाहिये ….. दंगे भूलने के लिये नहीं होते ….. पर .राम भक्तो को कोई नहीं याद करता गोधरा में मरे 58 निर्दोष हिन्दुओ की .कोई बात तक नही करता…..!!! ट्रेन जलाने के बाद कुछ स्थानीय मुस्लिम नेताओ का बयान आया था मुस्लिम किसी को बेवजह नहीं मारते…..राम भक्त तो विवादित स्थान पर मन्दिर बनाने गये थे ,,इस लिए राम भक्तो की गलती थी ,,,, जरा उनके परिवार वालो के बारे में सोचिये जिनके घर में जली हुयी राम भक्त तीर्थ यात्रियों की लॉस पहुची होगी ,फौलाद के बने हुए रेल के डिब्बे मोम बन कर पिघल गये राम भक्त जल के कोयला बन के जल गये ,, लेकिन हमे क्या जब हमारे घर में लॉस आएगी जली हुयी तब न हमें इस्लाम का असली रूप पता चलेगा ,,इस पोस्ट की सेयर रुकनी नही चाहिए हर पेज मुस्लिम,, सेकुलर बस गुजरात दंगो के लिए रोते है गोधरा की जिक्र नही करते,,, इसमें आप ही सेयर के माध्यम से लोगो को सच बता सकते हो ,,,

अगर गोधरा में जलने वाले हज यात्री होते तो ..क्या बस गुजरात ही जलता ?…!!!

share करो लोगो तक सच तो पहुचना चाहिए,,,

गोधरा कांड क्या है। 

27 फरवरी 2002 साबरमती ट्रेन के S6 बोगी को गोधरा स्टेशन से 862 मीटर की दूरी पर शान्ति पसंद लोगो द्वारा जला दिया गया था.......जिसमे 58 मासूम , निहत्थे, निर्दोष रामभक्तो की दर्दनाक मौत हो गयी.......उसमे 23 पुरुष, 15 महिलाये, तथा 20 बच्चे थे। उनका "अपराध" केवल इतना था ........कि वे "हिन्दू"थे ......और श्रीराम जन्मभूमि अयोध्या से तीर्थयात्रा करके लौट रहे थे। स्थानीय कांग्रेसी निगम पार्षद हाजी बिलाल ( आजीवन कैद की सजा मुख्य अभियक्त )भीड़ को ट्रेन के इंजन को जलाने का आदेश दे रहा था और पास की मस्जिद से लाउडस्पीकर पर ये आदेश दिया जा रहा था कि "मारो......काटो .... कोई काफ़िर जिन्दा न बचे"........मुल्लो ने दरवाज़े बहार से बंद कर दिए गये थे ताकि कोई बाहर न निकले.......S6 S7 वैक्यूम पाइप काट दिए थे जिससे ट्रेन आगे ना बढ़ सके....... जो लोग जलती ट्रेन से किसी तरह बाहर निकल भी आये तो उन्हें तेज़ हथियारों से काटकर मार डाला गया । गोधरा के एक पेट्रोल पंप पर काम करने वाले 2 कर्मचारियों के अनुसार एक दिन पहले ही कुछ लोग वहां से 140 लीटर पेट्रोल खरीद कर ले गए थे। साफ़ है की रामभक्तो को जिन्दा जलाने का ये एक सुनियोजित षड्यंत्र था। गुजरात दंगो की बात गोधरा के बिना अधूरी है।इस गोधरा कांड के बाद ही गुजरात में दंगे शुरू हुए थे। जरा सोचिये, हमारा हाथ जरा सा आग पर पड़ जाये तो हमें कितना दर्द होता है हम तुरंत अपना हाथ वहां से हटा लेते हैं .....उनकी जगह खुद को रखकर सोचिये कितना तडपे होंगे वो लोग वो मासूम बच्चे, औरतें , बुजुर्ग वो व्यस्क जिन्हें पेट्रोल छिडककर ट्रेन में जिन्दा जला दिया गया। अपनी जान बचाने के लिए कितना छटपटाये होंगे ......लेकिन इन जल्लादो को नर पिशाचों को उन पर जरा भी दया नही आयी। दंगो में मरने का शोक सभी मनाते हैं ....... कोई बात नहीं याद रखना चाहिये ..... दंगे भूलने के लिये नहीं होते ..... पर .राम भक्तो को कोई नहीं याद करता गोधरा में मरे 58 निर्दोष हिन्दुओ की .कोई बात तक नही करता.....!!! ट्रेन जलाने के बाद कुछ स्थानीय मुस्लिम नेताओ का बयान आया था मुस्लिम किसी को बेवजह नहीं मारते.....राम भक्त तो विवादित स्थान पर मन्दिर बनाने गये थे ,,इस लिए राम भक्तो की गलती थी ,,,, जरा उनके परिवार वालो के बारे में सोचिये जिनके घर में जली हुयी राम भक्त तीर्थ यात्रियों की लॉस पहुची होगी ,फौलाद के बने हुए रेल के डिब्बे मोम बन कर पिघल गये राम भक्त जल के कोयला बन के जल गये ,, लेकिन हमे क्या जब हमारे घर में लॉस आएगी जली हुयी तब न हमें इस्लाम का असली रूप पता चलेगा ,,इस पोस्ट की सेयर रुकनी नही चाहिए हर पेज मुस्लिम,, सेकुलर बस गुजरात दंगो के लिए रोते है गोधरा की जिक्र नही करते,,, इसमें आप ही सेयर के माध्यम से लोगो को सच बता सकते हो ,,, 

अगर गोधरा में जलने वाले हज यात्री होते तो ..क्या बस गुजरात ही जलता ?...!!! 

share करो लोगो तक सच तो पहुचना चाहिए,,,
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हनुमान गढी (अयोध्या )


|| हनुमान गढी (अयोध्या ) ||

श्री अयोध्या जी के सुनहरे इतिहासमें जिस मंदिर का विशिष्ट स्थान है ऐसे श्री हनुमान गढी निवासी श्री हनुमानजी महाराज की आज दि. 06-09-2014 की अलौकिक झाँकी। श्रीराम जी अलौकिक नर लिला करके स्वधाम जा रहे थे तब श्रीरामजीने श्री हनुमानजी को साधु-संत, भक्तों और श्री अयोध्याजी समेत पृथ्वी लोककी रक्षा करनेके लिए श्री अयोध्या जी में रहनेका आदेश दिया तब श्री हनुमानजी महाराजने आदेशका स्वीकार करते हुए कहाकी जब तक पृथ्वी पर आपका नाम और आपकी कथा रहेगी तब तक में श्री अयोध्याजीमें निवास करके रक्षाका कायँ अवश्य करूँगा लेकिन मेरे लिए श्री अयोध्याजीमें ठहरनेके लिए उचित स्थान देनेकी कृपा करे तब श्रीरामजीने श्री हनुमानजी महाराजको ठहरनेके लिए श्री अयोध्याजीमें सबसे ऊँचा स्थान दिया जो आज भी विद्यमान है। साधु-संत और भक्त लोग मानते हैं की आज भी श्री हनुमानजी महाराज श्री हनुमान गढीमें साक्षात विराजमान है जिसकी अनुभूति कई साधु-संतो और भक्तोंको उन्हीं की (श्री हनुमानजी महाराजकी) कृपासे हुई है। बोलिए श्री हनुमानजी महाराज हमारे प्रिय हो।

Posted in हिन्दू पतन

इतिहास के खोये पन्ने


इतिहास के खोये पन्ने . ऐसा था ऐतिहासिक इस्लाम क्या आप जानते हैं विश्व में भारत ऐसा देश है जिसने सबसे ज्यादा जुल्म और हमले सहे हैं -?? और सभी घटनाओं में सदा हिन्दुओं का बेरहमी से दमन और सफाया किया गया है।

इतने जुल्म – सितम – कहर – और हमले सहने के बावजूद हिन्दुस्तान विश्व की पांचवी बड़ी शक्ति है।आओ जानें हिन्दुस्तान और हिन्दुओं पे सितम की कहानी। जो इराक देश आज हालात देख रहा हे उससे भयानक दृश्य भारत ने 700 साल पहले देखा था…

1) मीर कसिम ने सिंध में रात को धोखे से घुस कर एकरात में 50000 से ज्यादा हिन्दुओ काकत्ले आम करसिंध पर कब्ज़ा किया।.

2) सोमनाथ मंदिर मे मोजूद 32500 शिव भक्तों केखून से मुहम्मद गजनवी ने परिसरको नहला दिया था।.

3) सोमनाथ में लगी भगवान्की मूर्तियों को मुहम्मद गजनवी ने अपने दरबार और शोचालय के सीढियों में लगवा दिया था ताकि वो रोज उनके पैर नीचे आती रहे।.

4) औरंगजेब ने इस्लाम कबूल ना करने पर उन्ह गर्मपानी में उबाल कर जिन्दा चमड़ी उतरवाने का फरमान जारी किया। हिन्दुओं की शिखाए और जनेउ {प्रतिदिन १४ मन}जलाकर औरंगजेब अपने नहाने का पानी गर्म करता था।.

5) मुहम्मद जलालुदीन अकबर हर हिन्दू राज्य जीतने पर वहा की लडकियों का अपहरण कर मीना बाजारऔर अपने हरम में पंहुचा देता था।.

6) अलाउदीन खिलजी की सेना से धरम और कुल की रक्षा करने के लिए चित्तौड़ की रानी पद्मिनी और 26000 राजपूत वीरंगानो ने लाज बचाने के लिए अग्नि कुंद में कुदकर जोहरप्रथा निभाई.

7) अकबर और बाबर के हमले से भी पहले अल्लाउद्दीन के जालोर आक्रमण के समय किले पर 1572 स्थानों पर जौहर की चिताये जली थी । समाज के सब वर्गों की हजारो महिलाओ और कन्याओ ने अपना बलिदान दिया था ।

8 ) बहादुर शाह जफ़र की चित्तौड़ पर आक्रमण के बाद फिर मुगलो से धरम और स्वाभिमान रक्षा केलिए चितौड़ की रानी कर्णावती ने 18000 राजपूत स्त्रियों के साथ अग्निकुंड में कूद जोहरकरना चाहा पर लकड़ी कम पड़ने के कारन बारूद केढेर के साथ व्ीरांगनाओ ने खुद को उड़ा दिया।.

9) मुहम्मद जलालुदीन के आक्रमण पर चित्तौड़ में फिर महारानी जयमल मेड़तिया ने 12000 राजपूतस्त्रियों के साथ अग्निकुंद में कूद जोहर किया।

इतना सब होने के बाद भी हिन्दू को बकरा काट ईद की दावत जरूर चाहिए।बेवकूफ थे हमारे पूर्वज जिन्होंने धर्म और राष्ट्र को बचाने के लिए अपनी जान दी।

काश के उन्हें पता होता के आज का हिन्दू कायरता में सबसे आगे है। जिसे न राष्ट्र से प्रेम है ना धर्म से । इसे कितना भी चीख चीखकर इसका इतिहास बता लो लेकिन फिर भी ये कहता है मै हिन्दू हूँ और यह सब बकवास ह

इतिहास के खोये पन्ने . ऐसा था ऐतिहासिक इस्लाम क्या आप जानते हैं विश्व में भारत ऐसा देश है जिसने सबसे ज्यादा जुल्म और हमले सहे हैं -?? और सभी घटनाओं में सदा हिन्दुओं का बेरहमी से दमन और सफाया किया गया है। 

इतने जुल्म - सितम - कहर - और हमले सहने के बावजूद हिन्दुस्तान विश्व की पांचवी बड़ी शक्ति है।आओ जानें हिन्दुस्तान और हिन्दुओं पे सितम की कहानी। जो इराक देश आज हालात देख रहा हे उससे भयानक दृश्य भारत ने 700 साल पहले देखा था...

1) मीर कसिम ने सिंध में रात को धोखे से घुस कर एकरात में 50000 से ज्यादा हिन्दुओ काकत्ले आम करसिंध पर कब्ज़ा किया।.

2) सोमनाथ मंदिर मे मोजूद 32500 शिव भक्तों केखून से मुहम्मद गजनवी ने परिसरको नहला दिया था।.

3) सोमनाथ में लगी भगवान्की मूर्तियों को मुहम्मद गजनवी ने अपने दरबार और शोचालय के सीढियों में लगवा दिया था ताकि वो रोज उनके पैर नीचे आती रहे।.

4) औरंगजेब ने इस्लाम कबूल ना करने पर उन्ह गर्मपानी में उबाल कर जिन्दा चमड़ी उतरवाने का फरमान जारी किया। हिन्दुओं की शिखाए और जनेउ {प्रतिदिन १४ मन}जलाकर औरंगजेब अपने नहाने का पानी गर्म करता था।.

5) मुहम्मद जलालुदीन अकबर हर हिन्दू राज्य जीतने पर वहा की लडकियों का अपहरण कर मीना बाजारऔर अपने हरम में पंहुचा देता था।.

6) अलाउदीन खिलजी की सेना से धरम और कुल की रक्षा करने के लिए चित्तौड़ की रानी पद्मिनी और 26000 राजपूत वीरंगानो ने लाज बचाने के लिए अग्नि कुंद में कुदकर जोहरप्रथा निभाई. 

7) अकबर और बाबर के हमले से भी पहले अल्लाउद्दीन के जालोर आक्रमण के समय किले पर 1572 स्थानों पर जौहर की चिताये जली थी । समाज के सब वर्गों की हजारो महिलाओ और कन्याओ ने अपना बलिदान दिया था ।

8 ) बहादुर शाह जफ़र की चित्तौड़ पर आक्रमण के बाद फिर मुगलो से धरम और स्वाभिमान रक्षा केलिए चितौड़  की रानी कर्णावती ने 18000 राजपूत स्त्रियों के साथ अग्निकुंड में कूद जोहरकरना चाहा पर लकड़ी कम पड़ने के कारन बारूद केढेर के साथ व्ीरांगनाओ ने खुद को उड़ा दिया।.

9) मुहम्मद जलालुदीन के आक्रमण पर चित्तौड़ में फिर महारानी जयमल मेड़तिया ने 12000 राजपूतस्त्रियों के साथ अग्निकुंद में कूद जोहर किया।

इतना सब होने के बाद भी हिन्दू को बकरा काट ईद की दावत जरूर चाहिए।बेवकूफ थे हमारे पूर्वज जिन्होंने धर्म और राष्ट्र को बचाने के लिए अपनी जान दी। 

काश के उन्हें पता होता के आज का हिन्दू कायरता में सबसे आगे है। जिसे न राष्ट्र से प्रेम है ना धर्म से । इसे कितना भी चीख चीखकर इसका इतिहास बता लो लेकिन फिर भी ये कहता है मै हिन्दू हूँ और यह सब बकवास ह
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गणेश जी


 

भगवान शिव के पुत्र गणेश जी मंगलकर्ता और ज्ञान एवं बुद्घि के देवता माने जाते हैं। इसलिए जब भी कोई नया काम शुरू किया जाता है तो सबसे पहले गणेश जी का स्मरण किया जाता है।वेदव्यास जी ने जब महाभारत महाकाव्य की रचना शुरू की तब उन्होंने न सिर्फ गणेश जी का स्मरण किया बल्कि गणेश जी को इस बात के लिए भी तैयार कर लिया आप महाभारत खुद अपने हाथ से लिखें।गणेश जी ने कहा कि मैं महाभारत लिख तो दूंगा लेकिन आप लगातार कथा बताते रहना होगा अगर मेरी लेखनी रुक गई तो मैं लेखन का कार्य छोड़ दूंगा।वेदव्यास जी ने कहा ठीक है लेकिन आप बिना सोचे समझे और बिना मुझसे सलाह लिए कुछ भी नहीं लिखेंगे। इस तरह व्यास जी ने गणेश जी को अपनी बातों में उलझा दिया और गणेश जी को पूरी महाभारत कथा एक छोटी सी गुफा में बैठकर लिखना पड़ा।जहां यह कथा लिखी गई थी वह आज भी अलकनंदा और सरस्वती नदी के संगम तट पर मौजूद है। यह पवित्र स्थान देवभूमि उत्तराखंड में बद्रीनाथ धाम से करीब तीन किलोमीटर की दूरी पर भारतीय सीमा के अंतिम गांव माणा में स्थित है।गुफा के पास में ही एक और गुफा है जिसे व्यास गुफा कहते हैं। इसी गुफा में रहकर वेदव्यास जी ने सभी पुराणों की रचना की थी। व्यास गुफा को बाहर से देखकर ऐसा लगता है मानो कई ग्रंथ एक दूसरे के ऊपर रखे हुए हैं। इसलिए इसे व्यास पोथी भी कहते हैं। व्यास गुफा के पास ही सरस्वती नदी का उद्गम और भीम द्वारा सरस्वती नदी को पार करने के लिए रखा गया बड़ा का चट्टान जिसे भीम पुल भी कहते हैं { अवतरित } परासर पन्त

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Posted in हिन्दू पतन

संविधान


हिन्दुस्तान के लोगों का भाग्य संविधान नाम की एक मोटी पुस्तक में बंद कर दिया गया है,जिसे कोई नहीं पढ़ता ! इससे बाहर कुछ सोचना मना है। ठीक उसी प्रकार जैसे मुसलमानों का भाग्य कुरान में बंद कर दिया गया है। उससे बाहर सोचने वाले की क्या गति होती है किसी से छिपा नहीं है।

हिन्दुत्व कभी किसी पुस्तक से बँध कर नहीं रहा चाहे वह गीता हो, रामायण हो महाभारत हो या वेद पुराण तभी हम विश्व गुरु कहलाए।

हिन्दुत्व में नए विचारों का हमेशा इसलिए स्वागत किया गया चूंकि वह किसी पुस्तक, देवालय या महापुरुष के अधीन नहीं था। जिन देशों का संविधान छोटा है उन्होंने काफी प्रगति की।

हिन्दुत्व को विदेशी पंथों ने उतना नुकसान नहीं पहुंचाया जितना बौद्ध धर्म ने।
अशोक ने पूरे भारत का निशस्त्रीकरण करा दिया जो छठी सातवीं शताब्दी में तब कम हुआ जब आदि शंकराचार्य ने चारों धाम की पुनर्स्थापना की।

कोई भी देशवासी उस समय बड़ा चाकू, तलवार, भाला गंडासा आदि नहीं रख सकता था। नतीजा यह हुआ कि जब इस्लामी आक्रमण शुरू हुआ तो हम युद्ध कला भूल चुके थे और हारते गए।

महाभारत के आधे श्लोक
“अहिंसा परमो धर्मः” को तो कहा गया लेकिन आगे की लाइन की चर्चा ही नहीं की गई:
“धर्म हिंसा तथैव च”
नतीजा इस्लामी आक्रमण के आगे हम विवश हो गये।

संविधान जब तक नए सिरे से और धर्म सापेक्ष नहीं लिखा जाएगा तब तक निहित स्वार्थी इसका लाभ लेते रहेंगे। धर्म ही वह शक्ति है जो हमें अच्छे मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती है।
हमने पंथों को धर्म के बराबर खड़ा कर अपना ही नुकसान कर लिया है।

हिन्दुस्तान के लोगों का भाग्य संविधान नाम की एक मोटी पुस्तक में बंद कर दिया गया है,जिसे कोई नहीं पढ़ता ! इससे बाहर कुछ सोचना मना है। ठीक उसी प्रकार जैसे मुसलमानों का भाग्य कुरान में बंद कर दिया गया है। उससे बाहर सोचने वाले की क्या गति होती है किसी से छिपा नहीं है।

हिन्दुत्व कभी किसी पुस्तक से बँध कर नहीं रहा चाहे वह गीता हो, रामायण हो महाभारत हो या वेद पुराण तभी हम विश्व गुरु कहलाए।

हिन्दुत्व में नए विचारों का हमेशा इसलिए स्वागत किया गया चूंकि वह किसी पुस्तक, देवालय या महापुरुष के अधीन नहीं था। जिन देशों का संविधान छोटा है उन्होंने काफी प्रगति की।

हिन्दुत्व को विदेशी पंथों ने उतना नुकसान नहीं पहुंचाया जितना बौद्ध धर्म ने।
अशोक ने पूरे भारत का निशस्त्रीकरण करा दिया जो छठी सातवीं शताब्दी में तब कम हुआ जब आदि शंकराचार्य ने चारों धाम की पुनर्स्थापना की।

कोई भी देशवासी उस समय बड़ा चाकू, तलवार, भाला गंडासा आदि नहीं रख सकता था। नतीजा यह हुआ कि जब इस्लामी आक्रमण शुरू हुआ तो हम युद्ध कला भूल चुके थे और हारते गए।

महाभारत के आधे श्लोक 
"अहिंसा परमो धर्मः" को तो कहा गया लेकिन आगे की लाइन की चर्चा ही नहीं की गई:
"धर्म हिंसा तथैव च"
नतीजा इस्लामी आक्रमण के आगे हम विवश हो गये।

संविधान जब तक नए सिरे से और धर्म सापेक्ष नहीं लिखा जाएगा तब तक निहित स्वार्थी इसका लाभ लेते रहेंगे। धर्म ही वह शक्ति है जो हमें अच्छे मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती है।
हमने पंथों को धर्म के बराबर खड़ा कर अपना ही नुकसान कर लिया है।
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एक हिन्दू लड़की राधा एक मुस्लिम लड़के से प्रेम करती हैं


एक हिन्दू लड़की राधा एक मुस्लिम लड़के
से प्रेम करती हैं ,,माँ बाप ने बहुत
समझाया की बेटी निबाह
नहीं पायेगी ,,पर राधा ने
कहा कि”क्या फर्क है हिन्दू मुसलमान में”
उसके खून का रंग भी लाल मेरे खून का रंग भी लाल …. घर
वालों व् समाज के प्रबल
विरोध के बाद भी मुस्लिम लड़के से प्रेम
विवाह रचाती है ,,,शादी के बाद सब
कुछ
बहुत अच्छा चल रहा था
हिन्दू लड़की का नाम भी बदला नहीं गया
सास ससुर बहुत अच्छे निकले ..बहुत प्यार
करते थे …ससुराल में सबकी लाड़ली …..
लड़की के माँ बाप उससे संबंध तोड़ चुके
थे …जब तब राधा अपने माँ बाप को याद
करती और खबर भिजवाती थी कि मुस्लिम
परिवार में मैं बहुत खुश हूँ कोई दिक्कत
नहीं है
फिर राधा के दो बच्चे हुए एक बेटा एक
बेटी …दोप्यारे बच्चों की परवरिश अच्छे
से हुई बेटी बड़ी हुई शादी के लिए लड़का देखने
की बात हुई
तो पति और सास ससुर की बात सुन कर
सन्न रह गयी
पति और सास ससुर का निर्णय
था कि बिटिया की शादी उसकी बुआ के
बेटे से तय की जाएगी …..
राधा ने विरोध किया कि बुआ
का लड़का भाई होता है ,,पर दो टूक
कहा गया वो हिन्दुओं में है मुस्लिम में
नहीं राधा ने बेटी को कहा की बेटी तू
विरोध
कर इस बात
का ,,,तो बेटी बोली माँ फूफी के लड़के
जावेद से मैं प्यार करती हूँ
राधा ने एक तमाचा मारा अपनी बेटी के मुंह पर और
बोली,,,,नालायक
वो तेरा भाई है तेरी बुआ
का बेटा है,,,,बिटिया बोली वो आपके
हिन्दू धर्म में होता है और मैं मुस्लिम हूँ
अब राधा के पैरों के नीचे की ज़मीन
निकल चुकी थी ,,,बाप की बात याद आई
बेटा निबाह नहीं पायेगी …..
उसी रात में राधा ने आत्म ह्त्या कर ली
क्यूंकि नमाज पढ़ना कबूल था,,बुर्का कबूल
था,,ईद .. रमजान कबूल था
पर अपनी बेटी की शादी उसकी बुआ के लड़के से कबूल नहीं कर
पायी
बाप की बात आखिरी पल में भी याद आ
रही थी कि बेटी खून का रंग
सबका एकहोता है पर सोच अलग होती है
तू निबाह नहीं पायेगी ………..
(किसी धर्म का विरोध नहीं ,,सिर्फ अपने हिन्दूधर्म का प्रबल
समर्थक )

एक हिन्दू लड़की राधा एक मुस्लिम लड़के से प्रेम करती हैं ,,माँ बाप ने बहुत समझाया की बेटी निबाह नहीं पायेगी ,,पर राधा ने कहा कि"क्या फर्क है हिन्दू मुसलमान में" उसके खून का रंग भी लाल मेरे खून का रंग भी लाल .... घर वालों व् समाज के प्रबल विरोध के बाद भी मुस्लिम लड़के से प्रेम विवाह रचाती है ,,,शादी के बाद सब कुछ बहुत अच्छा चल रहा था हिन्दू लड़की का नाम भी बदला नहीं गया सास ससुर बहुत अच्छे निकले ..बहुत प्यार करते थे ...ससुराल में सबकी लाड़ली ..... लड़की के माँ बाप उससे संबंध तोड़ चुके थे ...जब तब राधा अपने माँ बाप को याद करती और खबर भिजवाती थी कि मुस्लिम परिवार में मैं बहुत खुश हूँ कोई दिक्कत नहीं है फिर राधा के दो बच्चे हुए एक बेटा एक बेटी ...दोप्यारे बच्चों की परवरिश अच्छे से हुई बेटी बड़ी हुई शादी के लिए लड़का देखने की बात हुई तो पति और सास ससुर की बात सुन कर सन्न रह गयी पति और सास ससुर का निर्णय था कि बिटिया की शादी उसकी बुआ के बेटे से तय की जाएगी ..... राधा ने विरोध किया कि बुआ का लड़का भाई होता है ,,पर दो टूक कहा गया वो हिन्दुओं में है मुस्लिम में नहीं राधा ने बेटी को कहा की बेटी तू विरोध कर इस बात का ,,,तो बेटी बोली माँ फूफी के लड़के जावेद से मैं प्यार करती हूँ राधा ने एक तमाचा मारा अपनी बेटी के मुंह पर और बोली,,,,नालायक वो तेरा भाई है तेरी बुआ का बेटा है,,,,बिटिया बोली वो आपके हिन्दू धर्म में होता है और मैं मुस्लिम हूँ अब राधा के पैरों के नीचे की ज़मीन निकल चुकी थी ,,,बाप की बात याद आई बेटा निबाह नहीं पायेगी ..... उसी रात में राधा ने आत्म ह्त्या कर ली क्यूंकि नमाज पढ़ना कबूल था,,बुर्का कबूल था,,ईद .. रमजान कबूल था पर अपनी बेटी की शादी उसकी बुआ के लड़के से कबूल नहीं कर पायी बाप की बात आखिरी पल में भी याद आ रही थी कि बेटी खून का रंग सबका एकहोता है पर सोच अलग होती है तू निबाह नहीं पायेगी ........... (किसी धर्म का विरोध नहीं ,,सिर्फ अपने हिन्दूधर्म का प्रबल समर्थक )