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आजकल मुझे यह देख कर अत्यंत खेद और आश्चर्य होता है की अंडा शाकाहार का पर्याय बन चुका है


आजकल मुझे यह देख कर अत्यंत खेद और आश्चर्य होता है की अंडा शाकाहार का पर्याय बन चुका है ,…खैर मै ज्यादा भूमिका और प्रकथन में न जाता हुआ सीधे तथ्य पर आ रहा हूँ

मादा स्तनपाईयों (बन्दर बिल्ली गाय मनुष्य) में एक निश्चित समय के बाद अंडोत्सर्जन एक चक्र के रूप में होता है उदारहरणतः मनुष्यों में यह महीने में एक बार,.. चार दिन तक होता है जिसे माहवारी या मासिक धर्म कहते है ..उन दिनों में स्त्रियों को पूजा

पाठ चूल्हा रसोईघर आदि से दूर रखा जाता है ..यहाँ तक की स्नान से पहले किसी को छूना भी वर्जित है कई परिवारों में …शास्त्रों में भी इन नियमों का वर्णन है

इसका वैज्ञानिक विश्लेषण करना चाहूँगा ..मासिक स्राव के दौरान स्त्रियों में मादा हार्मोन (estrogen) की अत्यधिक मात्रा उत्सर्जित होती है और सारे शारीर से यह निकलता रहता है ..

इसकी पुष्टि के लिए एक छोटा सा प्रयोग करिये ..एक गमले में फूल या कोई भी पौधा है तो उस पर रजस्वला स्त्री से दो चार दिन तक पानी से सिंचाई कराइये ..वह पौधा सूख जाएगा ,

अब आते है मुर्गी के अण्डे की ओर

१) पक्षियों (मुर्गियों) में भी अंडोत्सर्जन एक चक्र के रूप में होता है अंतर केवल इतना है की वह तरल रूप में ना हो कर ठोस (अण्डे) के रूप में बाहर आता है ,

२) सीधे तौर पर कहा जाए तो अंडा मुर्गी की माहवारी या मासिक धर्म है और मादा हार्मोन (estrogen) से भरपूर है और बहुत ही हानिकारक है

३) ज्यादा पैसे कमाने के लिए आधुनिक तकनीक का प्रयोग कर आजकल मुर्गियों को भारत में निषेधित ड्रग ओक्सिटोसिन(oxyt ocin) का इंजेक्शन लगाया जाता है जिससे के मुर्गियाँ लगातार अनिषेचित (unfertilized) अण्डे देती है

४) इन भ्रूणों (अन्डो) को खाने से पुरुषों में (estrogen) हार्मोन के बढ़ने के कारण कई रोग उत्पन्न हो रहे है जैसे के वीर्य में शुक्राणुओ की कमी (oligozoospermi a, azoospermia) , नपुंसकता और स्तनों का उगना (gynacomastia), हार्मोन असंतुलन के कारण डिप्रेशन आदि …
वहीँ स्त्रियों में अनियमित मासिक, बन्ध्यत्व , (PCO poly cystic oveary) गर्भाशय कैंसर आदि रोग हो रहे है

५) अन्डो में पोषक पदार्थो के लाभ से ज्यादा इन रोगों से हांनी का पलड़ा ही भारी है .

६) अन्डो के अंदर का पीला भाग लगभग ७० % कोलेस्ट्रोल है जो की ह्रदय रोग (heart attack) का मुख्य कारण है

7) पक्षियों की माहवारी (अन्डो) को खाना धर्म और शास्त्रों के विरुद्ध , अप्राकृतिक , और अपवित्र और चंडाल कर्म है

8) अन्डो में से चूजा ( मुर्गी-मुर्गा ) बहार आता है ,एक निश्चित समय पर

और चूजो में रक्त-मांस-हड्डी -मज्जा-वीर्य-रस आदि होता है,चाहे उसे कही से भी काँटों,

अन्डो में से घ्रणित द्रव्य निकलता है,जब उसे तोड़ते हो,दोनों परिस्तिथियों में वह रक्त ( जीवन ) का प्रतिक है- मतलब अंडा खाना मासांहार ही है..

इसकी जगह पर आप दूध पीजिए जो के पोषक , पवित्र और शास्त्र सम्मत भी है

आजकल मुझे यह देख कर अत्यंत खेद और आश्चर्य होता है की अंडा शाकाहार का पर्याय बन चुका है ,...खैर मै ज्यादा भूमिका और प्रकथन में न जाता हुआ सीधे तथ्य पर आ रहा हूँ मादा स्तनपाईयों (बन्दर बिल्ली गाय मनुष्य) में एक निश्चित समय के बाद अंडोत्सर्जन एक चक्र के रूप में होता है उदारहरणतः मनुष्यों में यह महीने में एक बार,.. चार दिन तक होता है जिसे माहवारी या मासिक धर्म कहते है ..उन दिनों में स्त्रियों को पूजा पाठ चूल्हा रसोईघर आदि से दूर रखा जाता है ..यहाँ तक की स्नान से पहले किसी को छूना भी वर्जित है कई परिवारों में ...शास्त्रों में भी इन नियमों का वर्णन है इसका वैज्ञानिक विश्लेषण करना चाहूँगा ..मासिक स्राव के दौरान स्त्रियों में मादा हार्मोन (estrogen) की अत्यधिक मात्रा उत्सर्जित होती है और सारे शारीर से यह निकलता रहता है .. इसकी पुष्टि के लिए एक छोटा सा प्रयोग करिये ..एक गमले में फूल या कोई भी पौधा है तो उस पर रजस्वला स्त्री से दो चार दिन तक पानी से सिंचाई कराइये ..वह पौधा सूख जाएगा , अब आते है मुर्गी के अण्डे की ओर १) पक्षियों (मुर्गियों) में भी अंडोत्सर्जन एक चक्र के रूप में होता है अंतर केवल इतना है की वह तरल रूप में ना हो कर ठोस (अण्डे) के रूप में बाहर आता है , २) सीधे तौर पर कहा जाए तो अंडा मुर्गी की माहवारी या मासिक धर्म है और मादा हार्मोन (estrogen) से भरपूर है और बहुत ही हानिकारक है ३) ज्यादा पैसे कमाने के लिए आधुनिक तकनीक का प्रयोग कर आजकल मुर्गियों को भारत में निषेधित ड्रग ओक्सिटोसिन(oxyt ocin) का इंजेक्शन लगाया जाता है जिससे के मुर्गियाँ लगातार अनिषेचित (unfertilized) अण्डे देती है ४) इन भ्रूणों (अन्डो) को खाने से पुरुषों में (estrogen) हार्मोन के बढ़ने के कारण कई रोग उत्पन्न हो रहे है जैसे के वीर्य में शुक्राणुओ की कमी (oligozoospermi a, azoospermia) , नपुंसकता और स्तनों का उगना (gynacomastia), हार्मोन असंतुलन के कारण डिप्रेशन आदि ... वहीँ स्त्रियों में अनियमित मासिक, बन्ध्यत्व , (PCO poly cystic oveary) गर्भाशय कैंसर आदि रोग हो रहे है ५) अन्डो में पोषक पदार्थो के लाभ से ज्यादा इन रोगों से हांनी का पलड़ा ही भारी है . ६) अन्डो के अंदर का पीला भाग लगभग ७० % कोलेस्ट्रोल है जो की ह्रदय रोग (heart attack) का मुख्य कारण है 7) पक्षियों की माहवारी (अन्डो) को खाना धर्म और शास्त्रों के विरुद्ध , अप्राकृतिक , और अपवित्र और चंडाल कर्म है 8) अन्डो में से चूजा ( मुर्गी-मुर्गा ) बहार आता है ,एक निश्चित समय पर और चूजो में रक्त-मांस-हड्डी -मज्जा-वीर्य-रस आदि होता है,चाहे उसे कही से भी काँटों, अन्डो में से घ्रणित द्रव्य निकलता है,जब उसे तोड़ते हो,दोनों परिस्तिथियों में वह रक्त ( जीवन ) का प्रतिक है- मतलब अंडा खाना मासांहार ही है.. इसकी जगह पर आप दूध पीजिए जो के पोषक , पवित्र और शास्त्र सम्मत भी है
Posted in श्रीमद्‍भगवद्‍गीता

Why is the Bhagavad Gita called a song if it is spoken?


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1. Why is the Bhagavad Gita called a song if it is spoken?
2. What is the size of the Bhagavad Gita?
3. When was the Bhagavad Gita spoken?
4. When was the Bhagavad Gita first translated into English?
5. In how many languages is Bhagavad Gita translated into?
Read the full post for the answers.

1. Why is the Bhagavad Gita called a song if it is spoken?
Because it is spoken in rhyming meter called “Anushtup” and it contains 32 syllables in each verse. The general theme is in four lines of eight syllables each.
In particular verses, a “Trishtup” metre is used, which contains four lines of 11 syllables each. This is used in various poignant slokas in the Gita including Chapter 2, Chapter 8, Chapter 11 etc.

2. What is the size of the Bhagavad Gita?
The Bhagavad Gita is composed of 700 Sanskrit verses contained within 18 chapters, divided into three sections each consisting of six chapters.

3. When was the Bhagavad Gita spoken?
The Mahabharat confirms that Lord Krishna spoke the Bhagavad Gita to Arjun at the Battle of Kurukshetra in 3137 B.C.. According to specific astrological references in the Vedic scriptures, the year 3102 B.C. is the beginning of kali yuga which began 35 years after the battle 5000 years ago.

4. When was the Bhagavad Gita first translated into English?
The first English edition of the Bhagavad Gita was done in 1785 by Charles Wilkins in London, England. This was only 174 years after the translation of the King James Bible in 1611.

5. In how many languages is Bhagavad Gita translated into?
Originally written in classical Sanskrit, Bhagavad Gita is till date translated into approximately 175 languages.

All you answers are here ! # Tag your Best friend 1. Why is the Bhagavad Gita called a song if it is spoken? 2. What is the size of the Bhagavad Gita? 3. When was the Bhagavad Gita spoken? 4. When was the Bhagavad Gita first translated into English? 5. In how many languages is Bhagavad Gita translated into? Read the full post for the answers. 1. Why is the Bhagavad Gita called a song if it is spoken? Because it is spoken in rhyming meter called “Anushtup” and it contains 32 syllables in each verse. The general theme is in four lines of eight syllables each. In particular verses, a “Trishtup” metre is used, which contains four lines of 11 syllables each. This is used in various poignant slokas in the Gita including Chapter 2, Chapter 8, Chapter 11 etc. 2. What is the size of the Bhagavad Gita? The Bhagavad Gita is composed of 700 Sanskrit verses contained within 18 chapters, divided into three sections each consisting of six chapters. 3. When was the Bhagavad Gita spoken? The Mahabharat confirms that Lord Krishna spoke the Bhagavad Gita to Arjun at the Battle of Kurukshetra in 3137 B.C.. According to specific astrological references in the Vedic scriptures, the year 3102 B.C. is the beginning of kali yuga which began 35 years after the battle 5000 years ago. 4. When was the Bhagavad Gita first translated into English? The first English edition of the Bhagavad Gita was done in 1785 by Charles Wilkins in London, England. This was only 174 years after the translation of the King James Bible in 1611. 5. In how many languages is Bhagavad Gita translated into? Originally written in classical Sanskrit, Bhagavad Gita is till date translated into approximately 175 languages.
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जब देश का बटवारा हुआ तब सरकार किसकी थी ??


जब देश का बटवारा हुआ तब सरकार किसकी थी ??
🙊जब पाक अधिकृत कश्मीर बना तब सरकार किसकी थी??
🙊जब मुंबई पर हमला हुआ तब सरकार किसकी थी??
🙊जब चाइना ने जमींन हडपी तब सरकार किसकी थी??
🙊जब वीर सेनिकों के सर काट के पाकिस्तानी ले गए तब सरकार किसकी थी??

🙊 बोफर्स का घोटाला हुआ तब सरकार किसकी थी??
🙊सेनिको की वर्दी का पैसा खा गए वो सरकार किसकी थी??
🙊सरदारों का कत्ले आम किया वो सरकार किसकी थी??
🙊शिमला का समझोता कर देश बेसकिमती जमीन पाक को दे दी तब सरकार किसकी थी??
🙊आसाम में हिदुओ का खून बहा तब सरकार किसकी थी??
🙊 कश्मीरी पंडितो को मारा गया तब सरकार किसकी थी??

🙊 कामनवेल्थ का घोटाला हुआ तब सरकार किसकी थी??
🙊कोल घोटाला हुआ तब सरकार किसकी थी??
🙊2G का घोटाला हुआ तब सरकार किसकी थी??
🙊 दूरदर्शन के मोनो से “सत्यम शिवं सुन्दरं” हटाने वाली सरकार कीसकी थी??
🙊भारतीय मुद्रा से “सत्यमेव जयते ” हटाने वाली सरकार किसकी थी??
🙊 वन्दे मातरम का अपमान किया वो सरकार किसकी थी

Posted in भारत का गुप्त इतिहास- Bharat Ka rahasyamay Itihaas

आशीर्वादीलाल श्रीवास्तव की पुस्तक मुगल इतिहास


Arun Upadhyay आशीर्वादीलाल श्रीवास्तव की पुस्तक मुगल इतिहास में अबुल फजल को उद्धृत कर लिखा है कि कुछ कश्मीरी ब्राह्मण खुशामद के लिये अकबर का दर्शन कर ही व्रत का पारण करते थे। अकबर को इतनी खुशामद पर आश्चर्य हुआ और बुलाकर पूछा। उन्होंने कहा कि राजा भगवान् का रूप होता है-दिल्लीश्वरो वा जगदीश्वरो वा मनोरथान् पूरयितुं समर्थः। (पण्डितराज जगन्नाथ)। अतः वे राजा का दर्शन कर ही भोजन लेते हैं। उनके दर्शन के लिये अकबर झरोखे पर बैठता था। यह परम्परा राम के समय भी थी, जैसा कबीर ने कहा है-रामझरोखे बैठ कर सबका मुजरा लेय।कबर ने उनका नाम दर्शनीय ब्राह्मण रखा क्यों कि वे दर्शन (अकबर का) कर ही भोजन लेते थे। किन्तु खुशामदी ब्राह्मणों को संस्कृत नाम पसन्द नहीं आया और उन्होंने फारसी नाम देने की प्रार्थना की। तब उनका नाम नीहारू रखा, यह संस्कृत में भी है जैसे नीहारिका (तारा की तरह हलका-सा दीखना)। इसी नीहारु से नेहरू हुआ। मुगलों ने दिल्ली में कभी कोई नहर नहीं बनवायी थी। इनके पूर्वज राज कौल ने गुरु तेग बहादुर को औरंगजेब दरबार में पहुंचा कर क्रूरतापूर्वक हत्या करवाई थी। उनके पुत्र ने मुखबिरी कर गुरु गोविन्द सिंह जी के २ छोटे बच्चों को पकड़वाया था जिनको जीवित ही सरहिन्द के किले की दीवार में दफना दिया गया। गयासुद्दीन या गंगाधर ने ५ लाख रुपये घूस लेकर बिहार, बंगाल ओड़िशा का दीवानी अधिकार (लगान वसूलने का काम) ईस्ट इण्डिया कम्पनी को दिया था। अतः मेरठ छावनी के सिपाहियों ने अंग्रेजों के पूर्व इसी परिवार पर हमला किया था क्योंकि ये दोनों तरफ से पैसे लेकर गद्दारी कर रहे थे।

Posted in नहेरु परिवार - Nehru Family

नेहरू की जन्मस्‍थली पर आज भी चल रही है वेश्यावृति=


नेहरू की जन्मस्‍थली पर आज भी चल रही है वेश्यावृति=

Posted in श्रीमद्‍भगवद्‍गीता

गीता का सर्वप्रथम अरबी अनुवाद सातवें शतक मे खलीफा हारून रशीद बगदादी ने किया था ।


पाखंडी धर्मनिरपेक्ष
सन्तानें
को जानना चाहिए , ज्ञानी होते
हुए
भी हेतुपूर्वक अंध व अज्ञान बन गए है ।
*** गीता का सर्वप्रथम अरबी अनुवाद
सातवें शतक मे खलीफा हारून रशीद
बगदादी ने किया था ।
—एकबार तुर्की के तत्कालीन PM
करामत पासा भारत प्रवास हेतु आए
थे , एक भारतीय पत्रकार मनमोहन शर्मा ने
मुलाक़ात
अंतर्गत देखा की उनके पास भगवद्
गीता का अरबी ग्रंथ हाथ मे था । पूछने
पर उन्होने बताया की मै 30 वर्ष से
नियमित गीता का पाठ कर रहा हूँ ,
उन्होने पूछा –“ क्या भारत के मुस्लिम
गीता नहीं पढ़ते ?” पत्रकार ने
कहाँ कदापि नहीं ! !
यह सुनकर तुर्की PM ने कहा –“ भागवत
गीता कोई धार्मिकग्रंथ नहीं है यह तो मानवजात के निष्काम कर्म करने
की प्रेरणा देता है , मै यह ग्रंथ सतत
प्रवास मे
भी साथ रखता हूँ । “

Posted in छोटी कहानिया - १०,००० से ज्यादा रोचक और प्रेरणात्मक

एक दिन नारद ने भगवान से पूछा


एक दिन नारद ने भगवान से पूछा- “माया कैसी है?” भगवान मुस्करा दिये और बोले- “किसी दिन प्रत्यक्ष दिखा देंगे।”

अवसर मिलने पर भगवान नारद को साथ लेकर मृत्युलोक को चल दिये। रास्ते में एक लम्बा रेगिस्तान पड़ा। भगवान ने कहा- “नारद! बहुत जोर की प्यास लगी है। कहीं से थोड़ा पानी लाओ।”

नारद कमंडल लेकर चल दिये। थोड़ा आगे चलने पर नींद आ गई और एक खजूर के झुरमुट में सो गये। पानी लाने की याद ही न रही।

सोते ही एक मीठा सपना देखा किसी वनवासी के दरवाजे पर पहुँचे हैं। द्वार खटखटाया तो एक सुन्दर युवती निकली। नारद को सुहावनी लगी सो घर में चले गये और इधर उधर की वार्ता में निमग्न हो गये। नारद ने अपना परिचय दिया और भील कन्या से विवाह का प्रस्ताव किया। उसका परिवार सहमत हो गया और तुरन्त साज सामान इकट्ठा करके विवाह कर दिया। नारद सुन्दर पत्नी के साथ बड़े आनन्दपूर्वक दिन बिताने लगे। कुछ ही दिनों में क्रमशः उनके तीन पुत्र भी हो गये।

एक दिन भयंकर वर्षा हुई झोंपड़ी के पास रहने वाली नदी में बाढ़ आ गई। नारद अपने परिवार को लेकर बचने के लिए भागे। पीठ और कंधे पर लदे हुए तीनों बच्चे उस भयंकर बाढ़ में बह गये। यहाँ तक कि पत्नी का हाथ पकड़ने पर भी वह रुक न सकी और उसी बाढ़ में बह गई जिसमें उसके बच्चे बह गये थे।

नारद किनारे पर निकले तो आए पर सारा परिवार गँवा बैठने पर फूट-फूट कर रोने लगे। सोने और सपने में एक घण्टा बीत चुका था। उनके मुख से रुदन की आवाज अब भी निकल रही थी। पर झुरमुट में औंधे मुँह ही उनींदे पड़े हुए थे।

भगवान सब समझ रहे थे। वे नारद को ढूँढ़ते हुए खजूर के झुरमुट में पहुँचे उन्हें सोते से जगाया। आँसू पोंछे और रुदन रुकवाया। नारद हड़बड़ा कर बैठ गये।

भगवान ने पूछा- ‘‘हमारे लिए पानी लाने गये थे सो क्या हुआ?” नारद ने सपने में परिवार बसने और बाढ़ में बहने के दृश्य में समय चला जाने के कारण क्षमा माँगी।

भगवान ने कहा- ‘‘देखा नारद! यही माया है।

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द्वारकाधीश


● द्वारकाधीश ●
पाकिस्तान ने आज ही के दिन श्री कृष्ण के इस मंदिर पर फेंके थे 156 बम

पश्चिम भारत के महत्वपूर्ण तीर्थस्थल और चार धामों में से एक द्वारकाधीश मंदिर पर सितंबर 1965 में ही पाकिस्तान की नेवी ने जमकर बम बरसाए थे। मंदिर पर 156 बम फेंके गए थे, लेकिन फिर भी ये बम मंदिर का बाल-बांका न कर सके।

मंदिर पर 156 बम फेंके जाने की बात खुद पाकिस्तान के रेडियो में प्रसारित की गई थी। रेडियो में पाक नेवी के सैनिकों ने हर्षोल्लास के साथ कहा था “मिशन द्वारिका कामयाब, हमने द्वारिका का नाश कर दिया। हमने कुछ ही मिनटों के अंदर मंदिर पर 156 बम फेंककर मंदिर को तबाह कर दिया”

हालांकि, यह पाक नेवी की गलतफहमी मात्र थी। दरअसल, जब नेवी ने सब-मरीन से मंदिर पर बम बरसाने शुरू किए, उस समय समुद्र किनारे विशाल पत्थरों की ओट थी। हमले के समय ओट और ऊंची हो चुकी थी, जिसके चलते कई बम मंदिर तक पहुंच ही नहीं सके और पानी में डिफ्यूज हो गए थे। मंदिर का कुछ हिस्सा जरूर खंडित हो गया था, जिसका बाद में पुनरुद्धार कर दिया गया।

बंटवारे के बाद सन् 1965 में भारत-पाक के बीच हुआ यह दूसरा युद्ध था। इस जंग में पाकिस्तान ने तीनों मोर्चों पर जंग लड़ी थी, जिसमें तीनों जगह उसे मुंह की खानी पड़ी थी। द्वारिका मंदिर पर हमला कमोडोर एस एम अनवर के नेतृत्व में पाकिस्तानी नेवी के एक बेड़े ने किया था। यह मामला संसद में भी गूंजा और इस वजह से रक्षा बजट 35 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 115 करोड़ कर दिया गया था।

इस युद्ध में पाकिस्तानी सेना ने भारतीय एयरबेस पर घुसपैठ और इन्हें तबाह करने के लिए कई गोपनीय ऑपरेशन भी चलाए थे। सात सितंबर 1965 को स्पेशल सर्विसेज ग्रुप के कमांडो पैराशूट के जरिए भारतीय इलाकों में भी घुस आए थे।

पाकिस्तानी आर्मी के चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ जनरल मुहम्मद मुसा के मुताबिक करीब 135 कमांडो भारत के तीन एयरबेस (हलवारा, पठानकोट और आदमपुर) पर उतारे गए।

हालांकि पाकिस्तानी सेना को इस दुस्साहस की भारी कीमत चुकानी पड़ी थी और उसके केवल 22 कमांडो ही अपने देश लौट सके थे। 93 पाकिस्तानी सैनिकों को बंदी बना लिया गया। इनमें एक ऑपरेशन के कमांडर मेजर खालिद बट्ट भी शामिल थे। पाकिस्तानी सेना की इस नाकामी की वजह तैयारियों में कमी को बताया जाता है।

श्री द्वारकाधीश की जय

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अचलेश्वर महादेव – अचलगढ़


 

Shiv Temple

अचलेश्वर महादेव – अचलगढ़ – एक मात्र मंदिर जहां होती है शिव के अंगूठे की पूजा

ममलेश्वर महादेव मंदिर – यहां है 200 ग्राम वजनी गेहूं का दाना – पांडवों से है संबंध

नागचंद्रेश्वर मंदिर – साल में मात्र एक दिन खुलता है मंदिर

चमत्कारिक भूतेश्वर नाथ शिवलिंग – हर साल बढ़ती है इसकी लम्बाई

अनोखा शिवलिंग – महमूद गजनवी ने इस पर खुदवाया था कलमा

महादेवशाल धाम – जहाँ होती है खंडित शिवलिंग की पूजा – गई थी एक ब्रिटिश इंजीनियर की जान

निष्कलंक महादेव – गुजरात – अरब सागर में स्तिथ शिव मंदिर – यहां मिली थी पांडवों को पाप से मुक्ती

परशुराम महादेव गुफा मंदिर – मेवाड़ का अमरनाथ – स्वंय परशुराम ने फरसे से चट्टान को काटकर किया था निर्माण

कमलनाथ महादेव मंदिर – झाडौल – यहां भगवान शिव से पहले की जाती है रावण की पूजा

कामेश्वर धाम कारो – बलिया – यहाँ भगवान शिव ने कामदेव को किया था भस्म

अचलेश्वर महादेव – धौलपुर(राजस्थान) – यहाँ पर है दिन मे तीन बार रंग बदलने वाला शिवलिंग

लक्ष्मणेश्वर महादेव – खरौद – यहाँ पर है लाख छिद्रों वाला शिवलिंग (लक्षलिंग)

भोजेश्वर मंदिर (Bhojeshwar Temple) – भोपाल – यहाँ है एक ही पत्थर से निर्मित विशव का सबसे बड़ा शिवलिंग (World’s tallest shivlinga made by one rock)

जंगमवाड़ी मठ – वाराणसी : जहा अपनों की मृत्यु पर शिवलिंग किये जाते हे दान

Mata Temple

ज्वालामुखी देवी – यहाँ अकबर ने भी मानी थी हार – होती है नौ चमत्कारिक ज्वाला की पूजा

दंतेश्‍वरी मंदिर – दन्तेवाड़ा – एक शक्ति पीठ – यहाँ गिरा था सती का दांत

51 Shakti Peeth (51 शक्ति पीठ)

करणी माता मंदिर, देशनोक (Karni Mata Temple , Deshnok) – इस मंदिर में रहते है 20,000 चूहे, चूहों का झूठा प्रसाद मिलता है भक्तों को

कामाख्या मंदिर – सबसे पुराना शक्तिपीठ – यहाँ होती हैं योनि कि पूजा, लगता है तांत्रिकों व अघोरियों का मेला

तरकुलहा देवी (Tarkulha Devi) – गोरखपुर – जहाँ चढ़ाई गयी थी कई अंग्रेज सैनिकों कि बलि

तनोट माता मंदिर (जैसलमेर) – जहा पाकिस्तान के गिराए 3000 बम हुए थे बेअसर

Hanuman Temple

भारत के प्रसिद्ध 16 हनुमान मंदिर

गिरजाबंध हनुमान मंदिर – रतनपुर – एक अति प्राचीन मंदिर जहाँ स्त्री रूप में होती है हनुमान कि पूजा

Other Temple

अदभुत गणेश प्रतिमा – दंतेवाड़ा में 3000 फ़ीट की ऊँचाई पर स्थापित 10 वि सदी की गणेश प्रतिमा

अष्टविनायक – गणेश जी के आठ अति प्राचीन मंदिर, जहाँ है स्वयंभू गणेश जी

भारत के प्रमुख तीर्थ – 51 शक्ति पीठ, 12 ज्योतिर्लिंग, 7 सप्तपुरी और 4 धाम

पहाड़ी मंदिर – रांची – भारत का एक मात्र मंदिर जहाँ राष्ट्रीय पर्वो पर फहराया जाता है तिरंगा

बाबा हरभजन सिंह मंदिर – सिक्किम – इस मृत सैनिक की आत्मा आज भी करती है देश की रक्षा

बुलेट बाबा का मंदिर – जहाँ कि जाती हैं बुलेट बाइक कि पूजा, माँगी जाती हैं सकुशल यात्रा कि मन्नत

महात्मा गांधी जी का मंदिर – उड़ीसा

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आशीर्वादीलाल श्रीवास्तव की पुस्तक मुगल इतिहास में अबुल फजल को उद्धृत कर लिखा है


Arun Upadhyay

 

आशीर्वादीलाल श्रीवास्तव की पुस्तक मुगल इतिहास में अबुल फजल को उद्धृत कर लिखा है कि कुछ कश्मीरी ब्राह्मण खुशामद के लिये अकबर का दर्शन कर ही व्रत का पारण करते थे। अकबर को इतनी खुशामद पर आश्चर्य हुआ और बुलाकर पूछा। उन्होंने कहा कि राजा भगवान् का रूप होता है-दिल्लीश्वरो वा जगदीश्वरो वा मनोरथान् पूरयितुं समर्थः। (पण्डितराज जगन्नाथ)। अतः वे राजा का दर्शन कर ही भोजन लेते हैं। उनके दर्शन के लिये अकबर झरोखे पर बैठता था। यह परम्परा राम के समय भी थी, जैसा कबीर ने कहा है-रामझरोखे बैठ कर सबका मुजरा लेय।कबर ने उनका नाम दर्शनीय ब्राह्मण रखा क्यों कि वे दर्शन (अकबर का) कर ही भोजन लेते थे। किन्तु खुशामदी ब्राह्मणों को संस्कृत नाम पसन्द नहीं आया और उन्होंने फारसी नाम देने की प्रार्थना की। तब उनका नाम नीहारू रखा, यह संस्कृत में भी है जैसे नीहारिका (तारा की तरह हलका-सा दीखना)। इसी नीहारु से नेहरू हुआ। मुगलों ने दिल्ली में कभी कोई नहर नहीं बनवायी थी। इनके पूर्वज राज कौल ने गुरु तेग बहादुर को औरंगजेब दरबार में पहुंचा कर क्रूरतापूर्वक हत्या करवाई थी। उनके पुत्र ने मुखबिरी कर गुरु गोविन्द सिंह जी के २ छोटे बच्चों को पकड़वाया था जिनको जीवित ही सरहिन्द के किले की दीवार में दफना दिया गया। गयासुद्दीन या गंगाधर ने ५ लाख रुपये घूस लेकर बिहार, बंगाल ओड़िशा का दीवानी अधिकार (लगान वसूलने का काम) ईस्ट इण्डिया कम्पनी को दिया था। अतः मेरठ छावनी के सिपाहियों ने अंग्रेजों के पूर्व इसी परिवार पर हमला किया था क्योंकि ये दोनों तरफ से पैसे लेकर गद्दारी कर रहे थे।