प्रत्येक भारतीय के लिए यह गर्व का विषय है कि आज प्रधानमंत्री मोदी ने जापान के प्रमुख को वो भगवद गीता उपहार में दी जिसके विषय में विश्व-विख्यात विभूतियों ने निम्न विचार व्यक्त किया था :
(१) अलबर्ट आइन्स्टीन : “ जब मैं भगवद गीता पढता हूँ और स्वयं से पूछता हूँ कि ईश्वर ने इस ब्रम्हांड की रचना कैसे की, तब फिर गीता के अलावा बाकी सब कुछ मुझे निरर्थक प्रतीत होता हैं l”
(२) ऐल्डूअस हक्सले, विख्यात अंग्रेज लेखक :”भगवद गीता मानवता को मूल्य प्रदान करने के आध्यात्मिक उद्भव का सर्वाधिक व्यवस्थित वृत्तांत है l यह शाश्वत दर्शन का आज तक प्रकट हुआ सबसे स्पष्ट और सबसे व्यापक सार है; इसके चिरस्थायी मूल्य केवल भारतीयों के लिये ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण मानवता के लिए हैं”
(३) महात्मा गांधी : “जब शंकाएं मुझे घेर लेती हैं, जब क्षोभ मुझे परेशान करती है, और जब मुझे आशा की कोई किरण नहीं दिखती, तब मैं भगवद गीता जिसका कोई न कोई छंद मुझे समाधान देता है”
(४) गेटे, महान जर्मन विद्वान: “ गीता वह ग्रन्थ है जिसने मुझे जीवन में सर्वाधिक बौद्धिकता प्रदान की है l”
(५) राल्फ एमर्सन ,प्रख्यात अमरीकी कवि व दार्शनिक : “ गीता ग्रंथों में प्रथम ग्रन्थ है, मानों यह कोई विशाल, निर्मल, सुसंगत, और प्राचीन बौद्धिकता की आवाज हो जो किसी विगत युग में ठहर कर उन्हीं प्रश्नों को उठा रही हो जिसे हम आज सोच पा रहे हैं l”
(६) आर्थर शोपेन्हावर, महान दार्शनिक : “ गीता विश्व का सर्वाधिक ज्ञान-दायक और सर्वाधिक विस्मयकारी ग्रन्थ है l”
(७) रोबर्ट ओपेन्हाईमर, विख्यात अमरीकी भौतिकशास्त्री : “ गीता उन महानतम ग्रंथों में से एक है जिसने मेरे जीवन-दर्शन को सर्वाधिक प्रभावित किया है”
(८) हर्मन हेस, जर्मन कवि और चित्रकार : “भगवद गीता का अचम्भा ये है कि वास्तव में यह जीवन के ज्ञान और विवेक का सुन्दर रहस्योद्घाटन है”
(९) कार्ल युंग, महान स्विस मनोवैज्ञानिक : “प्लेटो का यह विचार कि मनुष्य पार्थिव नहीं बल्कि कोई ब्रम्हांडीय पौधा है, दरअसल भगवद गीता के पन्द्रहवें अध्याय में श्री कृष्ण के द्वारा पहले ही कहा जा चुका है”
(१०) हेनरी डेविड थोरु, अमरीकी कवि और दार्शनिक : “सुबह-सुबह मैं अपनी बुद्धिमत्ता को गीता के विलक्षण और ब्रम्हांड-उत्त्पत्तीय दर्शन से सींचता हूँ, जिसकी तुलना में हमारा आधुनिक विश्व और आधुनिक साहित्य अदना और नगण्य प्रतीत होता है”
(११) डॉ अलबर्ट श्वेइत्ज़र, फ्रांसीसी दार्शनिक : “भगवद गीता ने ईश्वर के प्रति अपनी कर्म-प्रधान निष्ठा से मानवता की भावना पर गहरा प्रभाव डाला है”
प्रधानमंत्री मोदी ने जापान-प्रमुख को भगवद गीता के रूप में भारत की उस धरोहर से अवगत कराया है जो काल और सीमा से परे है l यह एक प्रभावशाली कदम है l