Posted in भारतीय शिक्षा पद्धति

इतिहास में हमें यही पढ़ाया गया कि कैसे एक राजा ने दूसरे राजा पर आक्रमण किया।


Hindurashtra
इतिहास में हमें यही पढ़ाया गया कि कैसे एक राजा ने दूसरे राजा पर आक्रमण
किया।

इतिहास में केवल राजा ही राजा हैं
प्रजा नदारद है,
हमारे ऋषि मुनि नदारद हैं।

और राजाओं की भी बुराइयां ही हैं अच्छाइयां गायब हैं।

आप जरा सोचे कि अगर इतिहास में केवल युद्ध ही हुए तो भारत तो हज़ार साल पहले ही ख़त्म हो गया होता।

और राजा भी कौन कौन से गजनी, तुगलक, ऐबक, लोदी,तैमूर, बाबर, अकबर, सिकंदर जो कि भारतीय थे ही नहीं।( सब के सब लुटेरे थे )

राजा विक्रमादित्य, चन्द्रगुप्त, महाराणा प्रताप, पृथ्वीराज चौहान गायब हैं।

इनका ज़िक्र तो इनके आक्रान्ता के सम्बन्ध में आता है।

जैसे सिकंदर की कहानी में चन्द्रगुप्त का नाम है।
चन्द्रगुप्त का कोई इतिहास नहीं पढ़ाया गया।

और यह सब आज तक हमारे पाठ्यक्रमों में है।

इसी प्रकार अर्थशास्त्र का विषय है।

आज भी अर्थशास्त्र में पीएचडी करने वाले बड़े बड़े विद्वान् विदेशी अर्थशास्त्रियों को ही पढ़ते हैं।

भारत का सबसे बड़ा अर्थशास्त्री Chanakya (कोटिलय) तो कही है ही नहीं।

उनका एक भी सूत्र किसी स्कूल में भी बच्चों को नहीं पढ़ाया जाता।

जबकि उनसे बड़ा अर्थशास्त्री तो पूरी दुनिया में कोई नहीं हुआ।

Posted in रामायण - Ramayan

राजा दशरथ के पुत्रों का नामकरण करते ऋषि वशिष्ठ


राजा दशरथ के पुत्रों का नामकरण करते ऋषि वशिष्ठ

– कुछ समय बीतने पर राजा दशरथ ने राजकुमारों का नामकरण संस्कार करने के लिए ऋषि वशिष्ठ को बुलाया। ऋषि वशिष्ठ ने कौशल्या के पुत्र का नाम राम रखा-

जो आनंद सिंधु सुखरासी। सीकर तें त्रैलोक सुपासी।।
सो सुखधाम राम अस नामा। अखिल लोकदायक बिश्रामा।।

अर्थात- ये जो आनंद के समुद्र और सुख की राशि हैं, जिसके एक कण से तीनों लोक सुखी होते हैं, उनका नाम राम है, जो सुख का भवन और संपूर्ण लोकों को शांति देने वाले हैं।

इसके बाद ऋषि वशिष्ठ ने कैकयी के पुत्र का नाम भरत तथा सुमित्रा के पुत्रों के नाम लक्ष्मण व शत्रुघ्न रखे। बचपन से ही श्रीराम को अपना स्वामी मानकर लक्ष्मण उनकी सेवा करने लगे। समय आने पर चारों राजकुमारों का यज्ञोपवित संस्कार किया गया। श्रीराम अपने भाइयों सहित गुरुकुल में शिक्षा ग्रहण करने गए।

शीघ्र ही चारों राजकुमार हर विद्या में निपुण हो गए और अपने महल लौट आए। श्रीराम अपने माता-पिता और गुरु की सेवा करते और नगरवासियों की सुविधा का भी ध्यान रखते। इस प्रकार नगरवासी श्रीराम के प्रति अटूट श्रद्धा रखते थे। श्रीराम के इन गुणों को देखकर राजा दशरथ बहुत प्रसन्न होते।

राजा दशरथ के पुत्रों का नामकरण करते ऋषि वशिष्ठ

- कुछ समय बीतने पर राजा दशरथ ने राजकुमारों का नामकरण संस्कार करने के लिए ऋषि वशिष्ठ को बुलाया। ऋषि वशिष्ठ ने कौशल्या के पुत्र का नाम राम रखा-

जो आनंद सिंधु सुखरासी। सीकर तें त्रैलोक सुपासी।।
सो सुखधाम राम अस नामा। अखिल लोकदायक बिश्रामा।।

अर्थात- ये जो आनंद के समुद्र और सुख की राशि हैं, जिसके एक कण से तीनों लोक सुखी होते हैं, उनका नाम राम है, जो सुख का भवन और संपूर्ण लोकों को शांति देने वाले हैं।

इसके बाद ऋषि वशिष्ठ ने कैकयी के पुत्र का नाम भरत तथा सुमित्रा के पुत्रों के नाम लक्ष्मण व शत्रुघ्न रखे। बचपन से ही श्रीराम को अपना स्वामी मानकर लक्ष्मण उनकी सेवा करने लगे। समय आने पर चारों राजकुमारों का यज्ञोपवित संस्कार किया गया। श्रीराम अपने भाइयों सहित गुरुकुल में शिक्षा ग्रहण करने गए। 

शीघ्र ही चारों राजकुमार हर विद्या में निपुण हो गए और अपने महल लौट आए। श्रीराम अपने माता-पिता और गुरु की सेवा करते और नगरवासियों की सुविधा का भी ध्यान रखते। इस प्रकार नगरवासी श्रीराम के प्रति अटूट श्रद्धा रखते थे। श्रीराम के इन गुणों को देखकर राजा दशरथ बहुत प्रसन्न होते।
Posted in PM Narendra Modi

भाइयो कमाल की बात ये है की भारत और अमेरीका का जो भांड मीडिया प्रधानमंत्री बन्ने से पहले मोदी जीको दंगाई .हत्यारा ,और मानवता का भक्षक कहता था


भाइयो कमाल की बात ये है की भारत और अमेरीका का जो भांड मीडिया प्रधानमंत्री बन्ने से पहले मोदी जीको दंगाई .हत्यारा ,और मानवता का भक्षक कहता था आज बही भारतीय और अमेरीकी भांड मीडिया मोदी जी के अमेरीकी दौरे की 15 से 16 घंटे की लाइव कबरेज कर रहा है और मारा जा रहा है मोदी जी की एक झलक पाने के लिये
ये है एक हिन्दू मोदी का मैजिक
तो भैया जो भी भाई लोग आज मोदी जी को मौलाना मोदी और गालीया कह रहे है मोदी जी को वो भी एक दिन मोदी जी की तारीफों के पुल बांधेगे भांड मीडिया की तरह
तो अभी भी मौका है अपने विचार बदल लो मोदी के आलोचकों
साथ ही खबर ये भी है की नवाज सरीफ भी मरे जा रहे है मोदी से मिलने के लिये लेकिन मोदी जी तो घास भी नहीं डाल रहे है और पाकिस्तान में लोग गरिया रहे है नवाज सरीफ को

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इज़राइल एक छोटा सा देश है, जो रेगिस्तान से सटा है। यहां की आबादी करीब 70 लाख है। इसका सकल घरेलू उत्पाद 120 अरब अमेरिकी डॉल


इज़राइल एक छोटा सा देश है, जो रेगिस्तान से सटा है। यहां की आबादी करीब 70 लाख है। इसका सकल घरेलू उत्पाद 120 अरब अमेरिकी डॉलर के आसपास है यानी प्रति व्यक्ति जीडीपी 25,000 अमेरिकी डॉलर। इस्राइल की कुल भूमि का क्षेत्रफल 21,000 वर्ग किलोमीटर है। इसमें सिफ‍र् 4,40,000 हेक्टेयर यानी 20 फीसदी भूमि ही खेती लायक है। असल में खेती 3 लाख 60 हजार हेक्टेयर भूमि पर होती है, जिसमें 1 लाख 80 हजार हेक्टेयर भूमि की सिंचाई की जाती है। इज़राइल की आधी से ज्यादा भूमि बंजर है। इस देश में मौसम की कठिन परिस्थतियों और जल की गंभीर कमी का सामना करना पड़ता है। इसके बावजूद यहां कृषि में सकारात्मक नतीजे देखने को मिले हैं। यह सफलता खेती में सृजनात्मकता व उद्यमिता की भावना के कारण और कृषि व कृषि–टेक्नोलॉजी उद्योगों के बीच तालमेल के कारण मिली है।

इज़राइली अर्थव्यवस्था का मूल अौर शुरुआती आधार खेती अौर खाद्य पदार्थों का उत्पादन रहा है। 1948 में जब इस्राइल की राष्ट्र के रूप में स्थापना हुई तो निर्यात किए जाने वाले मुख्य उत्पाद नींबू जाति के फल थे, जो जाफा लेबल के तहत बाहर भेजे जाते थे।

इस तरह शुरुआत सामूहिक आर्थिक व्यवस्था से हुई, जो कृषि उत्पादों अौर पारंपरिक उत्पादों पर आधारित थी। अब इसमें बदलाव आया है, जहां खुला बाजार है अौर विभिन्न प्रकार के निर्मित उत्पादों की विश्व भर में बिक्री हमारे सामने है। यह सफलता बेहद कम समय में ाप्त की गई है।
इज़राइल में कृषि, डेयरी व मांस उत्पादन के लिए अब आम पारंपरिक तरीकों की जगह ज्यादा आधुनिक तरीकों का इस्तेमाल हो रहा है। यह खोजपरक शोध अौर विकास का नतीजा है, जो हमने अपने बूते पर किया है। जिन नए तरीकों का आविष्कार किया गया है उनमें सिंचाई की क्रांतिकारी तकनीक, भूमि को उपजाऊ बनाने, रेगिस्तान के उपयोग के लिये खारे पानी का इस्तेमाल बढ़ाना शामिल है। इज़राइल का कृषि–तकनीक उद्योग अपनी खोजपरक व्यवस्थाअों के गहन शोध और विकास के लिये जाना जाता है। देश में प्राकृतिक संसाधनों की कमी से निपटने की जरूरत के कारण ही आम तौर पर ऐसा हो पाता है। ये जरूरतें खास तौर से खेती योग्य भूमि अौर जल से संबंधित हैं। कृषि तकनीकों के लगातार आगे बढ़ने का कारण है शोधकर्ताओं, उसे विस्तार देने वाले एजेंटों, किसानों और कृषि पर आधारित उद्योगोंं के बीच करीबी सहयोग। ये मिले–जुले प्रयास कृषि के सभी क्षेत्रों में नई–नई सफलताअों अौर तरीकों को जन्म दे रहे हैं। इससे बाजारोन्मुखी कृषि व्यापार को मजबूती मिली है, जो अपनी कृषि तकनीक का निर्यात पूरे विश्व को कर रहा है। जिस देश में आधी से ज्यादा भूमि रेगिस्तान हो, वहां आधुनिक कृषि विधियां, व्यवस्थाएं और उत्पाद देखने को मिल रहे हैं।

कुछ उदाहरण

– इज़राइल में कृषि योग्य भूमि का आधा हिस्सा सिंचित है, लेकिन देश में कृषि योग्य भूमि में सिंचित क्षेत्र का यह अनुपात सबसे ज्यादा है। इस्राइल में विकसित कम्प्यूटर नियंत्रित ड्रिप्स सिंचाई णाली बड़ी मात्रा में पानी बचाती है और सिंचाई के जरिये ही खाद की आपूर्ति संभव बनाती है।

इज़राइल ने ऐसी अत्याधुनिक ग्रीनहाउस तकनीकों का विकास किया है, जो खास तौर से गर्म मौसम वाले इलाकों के लिये हैं। इसका योग उन फसलों के उत्पादन के लिए किया जा सकता है, जिनकी ऊंची कीमत पर मांग है। ग्रीनहाउस सिस्टम में विशिष्ट प्लास्टिक फिल्म और हीटिंग, वेन्टिलेशन और कनातनुमा ढांचों की मदद सेे इस्राइल के किसानों को हर सीजन में 35 से 40 लाख गुलाब प्रति हेक्टेयर उगाने में मदद मिलती है। साथ ही अौसतन प्रति हेक्टेयर 400 टन टमाटर भी इस तरीके से उगाया जाता है। खुले खेतों में होने वाले उत्पादन के मुकाबले यह मात्रा चार गुनी है।

– इज़राइल के दुग्ध उत्पादन ने भी आधुनिक तकनीकों का विकास अौर इस्तेमाल किया है। इससे इस उद्योग में काफी बदलाव आया है। 1950 के मुकाबले अब दूध का उत्पादन ढाई गुना ज्यादा हो गया है। यानी तब डेयरी में प्रति गाय सालाना उत्पादन औसतन 4,000 किलो था, जो अब 11,000 किलो हो गया है।

यूं तो कृषकों की संख्या में कमी आई है और सकल घरेलू उत्पाद में कृषि का योगदान घटा है। वर्ष 2002 में यह योगदान महज 2फीसदी था। इसके बावजूद स्थानीय बाजारों में खाद्य पदार्थों की आपूर्ति के लिए कृषि की भूमिका अब भी महत्वपूर्ण है। साल 2004 के आंकड़ों के मुताबिक, जो लोग कृषि कार्य में सीधे रोजगार पाते हैं, वे देश के कुल श्रम संसाधन का 2 फीसदी हैं। पचास के दशक की शुरुआत में एक कृषि कार्मिक 17 लोगों के अनाज की आपूर्ति करता था। जबकि वर्ष 2003 में एक पूर्णकालिक कृषि कार्मिक 90 लोगों के लिये खाद्या की आपूर्ति कर रहा था।

इज़राइल की ज्यादातर कृषि सहकारी व्यवस्था पर आधारित है, जिसका विकास बीसवीं सदी के शुुरुआत में किया गया था। यहां के किबुत्ज एक बड़ी सामूहिक उत्पादन इकाई है। किबुत्ज के सदस्य संयुक्त रूप से उत्पादन के साधन अपनाते हैं। वे सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक गतिविधियों में भी मिल–जुल कर हिस्सा लेते हैं। फिलहाल किबुत्ज की आय का ज्यादातर हिस्सा उन अौद्योगिक उद्यमों से आता है, जिनका स्वामित्व सामूहिक रूप से होता है। एक अन्य व्यवस्था है जिसका नाम है मोशाव। यह निजी पारिवारिक खेती पर आधारित है, जिनको कोआॅपरेटिव सोसाइटियों के रूप में संगठित किया गया है। दोनों प्रकार की व्यवस्थाओं में निवासियों को म्यूनिसिपल सेवाओं के पैकेज दिए गए हैं। तीसरी तरह की व्यवस्था मोशावा है। यह पूरी तरह से निजी तौर पर खेती करने वालों का गांव है। देश के कृषि उत्पाद में किबुत्ज ओर मोशाव का हिस्सा फिलहाल करीब 83 प्रतिशत है।

सिंचाई और जल प्रबंधन

जल को राष्ट्रीय धरोहर माना जाता है और उसका संरक्षण कानून द्वारा किया जाता है। जल आयोग हर साल प्रयोगकर्ताओं को जल का आवंटन करता है। जलापूर्ति का पूरी तरह से मापन किया जाता है और भुगतान भी खपत अौर जल की गुणवाा के हिसाब से किया जाता है। किसान पेयजल के लिये अलग मूल्य देते हैं, ताकि जल की बचत को बढ़ावा दिया जा सके। इज़राइल की कृषि में पानी की कमी एक बड़ी बाधा है। कृषि योग्य भूमि में सिफ‍र् आधी ही सिंचित है, क्योंकि पानी की कमी है। इज़राइल में उत्तर से दक्षिण 500 किलोमीटर की दूरी तक सालाना वर्षा 800 मिलीमीटर से 25 मिलीमीटर तक बारिश होती है। वर्षा ऋतु अक्टूबर से अप्रैल तक होती है, जबकि गर्मी के मौसम में कोई बारिश नहीं होती। प्रति हेक्टेयर पानी का सालाना इस्तेमाल औसतन 8,000 मीटर क्यूब से गिरकर 5,000 मीटर क्यूब रह गया है, जबकि पिछले 50 सालों में कृषि उत्पादन 12 गुना बढ़ा है। 2004 में यहां का कृषि उत्पादन 3.9 अरब अमेरिकी डॉलर मूल्य के बराबर था।

सिंचाई तकनीक

50 के दशक की शुरुआत से कृषि में शोध के लिए गहन प्रयास किए गए। यह देखा गया कि सतह पर सिंचाई के बजाय दबावीकृत सिंचाई में जल का इस्तेमाल ज्यादा प्रभावी है। फिर सिंचाई उपकरण उद्योग की स्थापना हुई, जिसने तरह–तरह की तकनीकें और उपकरण विकसित किए। जैसे ड्रिप इरिगेशन (सरफेस और सब सरफेस), आॅटोमैटिक वॉल्वस और कंट्रोलर्स, सिंचाई जल ले जाने वाले माध्यम अौर स्वचलित छनना, लो डिस्चार्ज स्प्रेयर्स और मिनी सि्ंक्लर्स, कम्पनसेटेड ड्रिपर्स और सि्ंकलर्स। इनमें फर्टिगेशन (सिंचाई के साथ खाद का इस्तेमाल) आम है। खाद उत्पादकों ने अत्यंत घुलनशील और द्रव रूप वाले खाद का विकास किया है, जो इस तकनीक में काम आते हैं। सिंचाई का ज्यादातर नियंत्रण आॅटोमैटिक वॉल्व और कम्प्यूटराइज्ड कंट्रोलर के हाथों में होता है। सिंचाई उद्योग के इस विकास को पूरे विश्व में प्रतिष्ठा हासिल है और इसका 80 फीसदी से ज्यादा उत्पाद निर्यात किया जाता है।

सिंचाई व्यवस्था

इज़राइल के किसान इस बात को भलीभांति जानते हैं कि जल अमूल्य है अौर एक सीमित संसाधन है। इसका संरक्षण करने के साथ–साथ इसका सबसे प्रभावी और किफायती उपयोग किया जाना चाहिये। सिंचाई के ज्यादातर आधुनिक उपकरण सिंचाई पर नजर रखने और नियंत्रण रखने में मदद करते हैं, ताकि जल के इस्तेमाल की बेहतर क्षमता प्राप्त हो सके। देश भर में कृषि मौसम स्टेशनों का नेटवर्क है, जो मौसम के बारे में किसानों को तात्कालिक आंकड़े उपलब्ध कराते हैं। इन आंकड़ों के जरिये सिंचाई णाली का इस्तेमाल किया जाता है।

भविष्य का रुख

शहरी आबादी में बढ़ोतरी अौर राजनीतिक घटनाक्रम की संभावित दिशा से खेती के लिए ताजा पानी की सप्लाई घटने की आशंका है। समाधान यही है कि खारे पानी को खारेपन से मुक्त किया जाए और उससे बढि़या क्वॉलिटी का पानी ाप्त किया जाए। इस तरह पूरे साल की फसलों को कवर किया जा सकेगा अौर रिसाइकलिंग लगातार चलती रहेगी।

शोध और विकास

आज इज़राइल की खेती काफी हद तक शोध और विकास पर आधारित है। आधुनिक कृषि के सामने कई चुनौतियां हैं। जैसे बाजार में तियोगिता, जल की घटती उपलब्धता और गुणवाा, पर्यावरण संबंधी चिंताएं, मानव श्रम की लागत और उपलब्धता। इसके लिए जरूरत है लगातार खोज और वैज्ञानिक समुदाय के बीच करीबी सहयोग की। इज़राइल की कृषि कुछ खास चुनौतियों का सामना कर रही है, जैसे कृषि योग्य भूमि अौर जल की सीमित उपलब्धता, मानव श्रम की उंची लागत। ये चुनौतियां भी शोध और विकास की जरूरत को आगे बढ़ाती हैं। शोध और विकास के लिये विाीय आवंटन इज़राइल में काफी ज्यादा है। इसमें हर साल 9 अरब अमेरिकी डॉलर निवेश किया जाता है। यह रकम कृषि के सकल राष्ट्रीय उत्पाद का तीन फीसदी है। शोध प्रयासों के कारण इज़राइली खेती पानी, भूमि अौर मानव श्रम के सक्षम इस्तेमाल का आदर्श नमूना बन गई है। इसके साथ ही रेकॉर्ड उत्पादन अौर उच्च गुणवाा के उत्पाद भी देखने को मिल रहे हैं।

बायोटेक्नोलॉजी

बायोटेक्नोलॉजी जैसे उभरते क्षेत्र का पिछले बीस सालों में यहां अदभुत विकास हुआ है। इससे पारंपरिक तरीकों की बाधाअों को खत्म करने का भरोसा मिलता है। बायोटेक्नोलॉजी हमें नई तकनीक अौर सामग्री उपलब्ध करा रही है।
यहां हम बात करेंगे कुछ मौजूदा अध्ययनों की, जो कृषि बायोटेक्नोलॉजी के प्रमुख क्षेत्रों में किये गये हैं।
– प्लांट बायोटेक्नोलॉजी, जिसमें मुख फसलों पर फोकस रखा गया है।
– माइक्रोबायल एग्रीबायोटेक्नोलॉजी : पौधों में कीट नियंत्रण, लाभकारी माइक्रो आॅर्गनिज्म (सूक्ष्म जीवाणुअों) का इस्तेमाल (जड़ों के विकास और बायोफर्टिलाइजेशन के लिए)
– पर्यावरण बायोटेक्नोलॉजी : जैविक तथा पर्यावरणीय उपचार के लिये पौधों का इस्तेमाल।
– लाइवस्टॉक (पशुधन ) बायोटेक्नोलॉजी : जनन अौर जेनेटिक फेरबदल (बेहतर विकास, दुग्ध अौर अंडों के उत्पादन के लिए), डीएनए मार्कर के जरिये चयन में सहयोग।
– जलीय व समुद्री बायोटेक्नोलॉजी।
कृषि बायोटेक्नोलॉजी अपनी राह बना रही हैं, जिससे वह जनन अौर खेती की परंपरागत विधियों से जुड़ी बाधाअों को खत्म कर रही है और नई विधियां प्रदान कर रही है।
कृषि विस्तार सेवा

कृषि अौर ग्रामीण विकास मंत्रालय की कृषि विस्तार सेवा ने इज़राइल में कृषिगत विकास के शुरुआती दौर में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसके अंतर्गत गैरअनुभवी किसानों को प्रशिक्षण दिया गया, ताकि वे कृषि की आधुनिक विधियों का इस्तेमाल सीमित संसाधनों के बीच अपनी क्षमता के अनुसार कर सकें। साल बीतते गए अौर कृषि का तेजी से विकास हुआ, क्योंकि शोध में मिली जरूरी सूचनाएं तेजी से खेतों अौर किसानों तक पहुंचीं। देश में इस दिशा में काम करने वाली टीमों की स्थापना की गई, जिन्होंने देश भर में कुशल और सक्षम शिक्षण दिया। बाजार में तियोगिता का दौर होने के बावजूद कृषि के पेशेवर विकास में प्रशिक्षण की केंीय भूमिका रही। इससे गुणवाा वाले कृषि पैदावारों के उत्पादन को बढ़ावा मिला। देश के विभिन्न क्षेत्रों में जहां जो लाभ हासिल हैं, उनका दोहन करने की क्षमता बढ़ाई गई। इसका इस्तेमाल निर्यात करने और स्थानीय बाजार, दोनों के लिए किया गया। नतीजा यह है कि कृषि विस्तार और शोध, इज़राइली कृषि ढांचे का अहम हिस्सा बन गए हैं।

फसल कटाव के बाद प्रयुक्त तकनीकें

कृषि बाजारों में उच्च गुणवाा वाले उत्पादों की मांग लगातार बढ़ रही है। ऐसे उत्पाद जो कीटों, रोगाणुअों अौर कीटनाशकों से मुक्त हों। एग्रीकल्चरल रिसर्च आॅर्गनाइजेशन में इंस्टिट्यूट फॉर टेक्नोलॉजी एंड स्टोरेज आॅफ एग्रीकल्चरल ॉड्क्ट्स का मुख्य मकसद यह है कि इज़राइल में फसल कटाई के बाद के कामों की मौजूदा और भावी समस्याओं का हल निकाला जाए, ताकि इस प्रकार के उच्च गुणवाा वाले उत्पादों की मार्केटिंग हो सके। स्थानीय खाद्य पदार्थ उद्योग और इससे संबंधित संस्थाओं की मांग पर फसल कटाई के बाद के कामों के मामले में विकास हुआ है। इससे अलग जो विकास हुआ, वह इस उद्योग के भविष्य की जरूरतों का नतीजा है। कुछ विकास स्थानीय तौर पर उत्पादित अौर आयातित सूखे कृषि उत्पादों के संरक्षण और पशुधन के लिए चारे को सुरक्षित ढंग से रखने में भी हुआ है।

फसल कटाई के बाद के कामों से जुड़ा शोध इस बात पर केंद्रित होता है कि ताजा, सूखे या संस्कृत खाद्य पदार्थों की हिफाजत, बचाव, उपचारण, संस्करण, भंडारण और परिवहन कैसे किया जाये। ताजा उत्पादों के मामलों में फसल कटाई के बाद के कामों से संबंधित शोध गतिविधियां एक खास दिशा में केंद्रित होती हैं। वह यह कि ताजे फलों, सब्जियों, फूलों और साज–सज्जा वाले अन्य उत्पादोंं की उनके खेत से बाहर निकलने के बाद गुणवाा कैसे सुनिश्चित की जाए ताकि उनके निर्यात द्वारा बेहतर कमाई की जा सके।

खाद और फर्टिगेशन ;सिंचाई मेें खाद का इस्तेमालद्ध

इज़राइल के दक्षिणी क्षेत्र में और खास तौर पर मृत सागर क्षेत्र में ऐसी कई खदानें हैं, जिनसे कृषि क्षेत्र को पोटाशियम, फॉस्फोरस, मैग्नेशियम मिलता है। खुदाई से ाप्त मटीरियल को कच्चे माल के तौर पर पूरी दूनिया में खाद उत्पादकों को निर्यात किया जाता है। कुछ की प्रोसेसिंग इज़राइल में ही की जाती है ताकि इज़राइल में खेती के लिये तैयार खाद मिल सके और निर्यात किया जा सके।
इज़राइल दुनिया में पोटाशियम नाइट्रेट के बड़े उत्पादकों में से एक है। यह अत्यंत घुलनशील खाद है, जो कई प्रकार के पौधों और फसलों के लिए उपयुक्त होता है। पोटाशियम नाइट्रेट को फर्टिगेशन सिस्टम या फोलियर अप्लीकेशन (पौधों के पाों को पोषक तत्वों की आपूर्ति) के जरिये पौधों को दिया जा सकता है। इस खाद को पाउडर या दानेदार आकार में बेचा जाता है। अत्यंत घुलनशील अन्य खादों, जिनका उत्पादन जिनमें होता है उनमें एमएपी यानि मोनो अमोनियम फॉस्फेट और एमकेपी यानि मोनो पोटाशियम फॉस्फेट शामिल हैं।

खाद बनाने वाले कंट्रोल्ड रिलीज फर्टिलाइजर्स यानी सीआरएफ का भी विकास और उत्पादन करते हैं। इन पर पोलिमर्स का आवरण चढ़ाया जा है, ताकि वे धीरे–धीरे देरी से मुक्त हों और जिनकी आपूर्ति डिफ्यूजन के जरिये हो। सीआरएफ से खाद का अच्छा इस्तेमाल होता है अौर इनसे भूमिगत जल का प्रदूषण भी कम होता है।

बहुत सी फसलों में विकास के समय में ये खाद काफी प्रभावी होते हैं। आम यौगिक खादों के मुकाबले सीआरएफ कुछ कारणों से ज्यादा महंगे होते हैं, लेकिन उनमें यह क्षमता होती है कि वे ग्रीनहाउस ोडक्शन के मामले में परंपरागत खादों की भूमिका खत्म कर सकें। ऐसा इसलिये है कि उनमें मौजूदा तरीके से फर्टिगेशन के दौरान पोषक तत्वों के भारी नुकसान को कम करने की क्षमता होती है। फर्टिगेशन के कारण भूमिगत जल का प्रदूषण वहां होता है, जहां फर्टिगेशन के पानी का दोबारा इस्तेमाल नहीं होता है।

अंतरराष्ट्रीय कृषि सहयोग

इज़राइल विकासशील देशों के साथ विभि क्षेत्रों में अंतरराष्ट्रीय सहयोग पर काफी जोर देता है। जैसे विशेषज्ञों के मेल–जोल, जानकारी बांटना, संयुक्त शोध और परियोजनाअों के विकास के दर्शन तथा शिक्षण के क्षेत्र में। अंतरराष्ट्रीय सहयोग कार्यक्रम में इज़राइल की खासियत है पेशेेवर अौर संचालन संबंधित उसकी अपनी उपलब्धियों, कृषि के अनुभव, ग्रामीण विकास अौर मानव क्षमता का विकास अंतरराष्ट्रीय सहयोग का काम विभि देशों के साथ उनकी सरकारों के स्तर पर तथा अंतरराष्ट्रीय संगठनों अौर सरकारी तथा गैरसरकारी संस्थाअों के साथ मिलकर भी किया जाता है।

इस संदर्भ में पिछले पांच दशकों में इज़राइल विदेश मंत्रालय के अंतरराष्ट्रीय सहयोग अनुभाग (माशाव) तथा कृषि अौर ग्रामीण विकास मंत्रालय क सेंटर फॉर इंटरनैशनल एग्रीकल्चरल डिवेलपमेंट कोआॅपरेशन अंतरराष्ट्रीय सहयोग कार्यक्रम बनाने अौर चलाने में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। ये कार्यक्रम इज़राइल में अंतरराष्ट्रीय कृषि शिक्षण पाठ्यक्रम पर अौर विदेशों में आॅन द स्पॉट पाठ्यक्रम पर आधारित होते हैं। संयुक्त कृषि शोध परियोजनाअों अौर विभि दर्शनोन्मुखी परियोजनाअों के विकास में भी ये कार्यक्रम चलाये जाते हैं।

इज़राइल में कृषि क्षेत्र के उपरोक्त पहलू उपलब्धियों के साथ–साथ इस क्षेत्र के भविष्य के विकास में आने वाली बाधाअों को भी रेखांकित करते हैं। कृषि कार्य महज खाद्य पदार्थों का उत्पादन नहीं है, इसका राष्ट्रीय योगदान काफी ज्यादा है। ताजा कृषि उत्पादों, दु्ग्ध अौर अंडा उत्पादन के क्षेत्र की जरूरतों को पूरा करने की हमारी क्षमता का महत्व इसके आर्थिक मूल्य से ज्यादा है। इज़राइल की कुल भूमि का आधा हिस्सा रेगिस्तान है अौर इसका विकास करना, रहने योग्य बनना अौर बसने के लिए लोगों को आकर्षित करना देश का मुख राष्ट्रीय लक्ष्य है।

Posted in भारत का गुप्त इतिहास- Bharat Ka rahasyamay Itihaas

मुहम्मद गजनवी भारत पर 17 बार आक्रमण क्यों और कैसे कर पाया ….?मुहम्मद गजनवी भारत पर 17 बार आक्रमण क्यों और कैसे कर पाया ….?


क्या आप जानते हैं कि….

मुहम्मद गजनवी भारत पर 17 बार आक्रमण क्यों और कैसे कर पाया ….?

और सिर्फ… गजनवी ही क्यों… मीर कासिम, तैमूरलंग, बाबर , औरन्जेब से लेकर अंग्रेजों तक ने भारत पर शासन कैसे कर पाये…?

क्या आपने कभी सोचा है कि…. आखिर, तुर्की अथवा मंगोलिया से आये लुटेरों की संख्या कितनी रही होगी…?

और उन लुटेरों के पास रसद- सामग्री या हथियार कितने रहे होंगे..?

जबकि…. हिंदुस्तान हमारा देश था…. यहाँ लाखों करोड़ों की आबादी थी….. फिर भी वे मुठ्ठी भर लोग आये, हमें जमकर लतियाया.. बहन- बेटियों का बलात्कार किया… धन- संपत्ति को लूटा और आराम से चलते बने….!

मुझे क्षमा करें…. लेकिन, ऐसी अजीबोगरीब घटनाएं सिर्फ हमारे हिंदुस्तान में ही हो सकती हैं….!

क्योंकि…. हमारे हिंदुस्तान के लोग “”जरुरत से कुछ ज्यादा ही होशियार””हैं….. और अंग-अंग में स्वार्थ भरा पड़ा है…!

सिर्फ वहीँ तक बात रुकी रह जाती तो…. चलो फिर भी ठीक थी और संतोषप्रद थी….! परन्तु… आज भी स्थिति में बहुत ज्यादा बदलाव नहीं आ गया है……!

आज भी …… कोई राजपूत है, कोई ब्राह्मण है, तो कोई वैश्य है…… किसी को मराठी होने पर गर्व है ….

तो किसी को गुजराती, मराठी या बंगाली होने पर…..! मुझे कभी कभी बेहद आश्चर्य और दुःख होता है कि…. इतने बड़े देश में कोई … भारतीय नहीं है.. कोई हिन्दू नहीं है…!

और यही कारण है कि….. आज राजनेता से लेकर हर कोई इस देश के बहुसंख्यक को गरियाना और लतियाना अपनी शान समझता है…!

स्थिति तो यह है कि….. यहाँ के अल्पसंख्यक समुदाय सर पर चढ़ कर पेशाब कर रहा है…. और, बहुसंख्यक उसे “बरसात समझ कर” ख़ुशी से नाच रहा है…!

लेकिन लगता है कि….
बहुसंख्यकों को लात खाने और हर किसी से बेइज्जत होते हुए भी आत्मविभोर रहने की आदत
सी पड़ गयी है…!

लेकिन …. एक बात हमेशा याद रखें…….. जो इतिहास से कोई सीख नहीं लेते हैं….
इतिहास फिर से अपने आपको दुहराता है.

जयतु जयतु हिन्दू राष्ट्र,

क्या आप जानते हैं कि....

मुहम्मद गजनवी भारत पर 17 बार आक्रमण क्यों और कैसे कर पाया ....?

और सिर्फ... गजनवी ही क्यों... मीर कासिम, तैमूरलंग, बाबर , औरन्जेब से लेकर अंग्रेजों तक ने भारत पर शासन कैसे कर पाये...?

क्या आपने कभी सोचा है कि.... आखिर, तुर्की अथवा मंगोलिया से आये लुटेरों की संख्या कितनी रही होगी...?

और उन लुटेरों के पास रसद- सामग्री या हथियार कितने रहे होंगे..?

जबकि.... हिंदुस्तान हमारा देश था.... यहाँ लाखों करोड़ों की आबादी थी..... फिर भी वे मुठ्ठी भर लोग आये, हमें जमकर लतियाया.. बहन- बेटियों का बलात्कार किया... धन- संपत्ति को लूटा और आराम से चलते बने....!

मुझे क्षमा करें.... लेकिन, ऐसी अजीबोगरीब घटनाएं सिर्फ हमारे हिंदुस्तान में ही हो सकती हैं....!

क्योंकि.... हमारे हिंदुस्तान के लोग ""जरुरत से कुछ ज्यादा ही होशियार""हैं..... और अंग-अंग में स्वार्थ भरा पड़ा है...!

सिर्फ वहीँ तक बात रुकी रह जाती तो.... चलो फिर भी ठीक थी और संतोषप्रद थी....! परन्तु... आज भी स्थिति में बहुत ज्यादा बदलाव नहीं आ गया है......!

आज भी ...... कोई राजपूत है, कोई ब्राह्मण है, तो कोई वैश्य है...... किसी को मराठी होने पर गर्व है ....

तो किसी को गुजराती, मराठी या बंगाली होने पर.....! मुझे कभी कभी बेहद आश्चर्य और दुःख होता है कि.... इतने बड़े देश में कोई ... भारतीय नहीं है.. कोई हिन्दू नहीं है...!

और यही कारण है कि..... आज राजनेता से लेकर हर कोई इस देश के बहुसंख्यक को गरियाना और लतियाना अपनी शान समझता है...!

स्थिति तो यह है कि..... यहाँ के अल्पसंख्यक समुदाय सर पर चढ़ कर पेशाब कर रहा है.... और, बहुसंख्यक उसे "बरसात समझ कर" ख़ुशी से नाच रहा है...!

लेकिन लगता है कि....
बहुसंख्यकों को लात खाने और हर किसी से बेइज्जत होते हुए भी आत्मविभोर रहने की आदत
सी पड़ गयी है...!

लेकिन .... एक बात हमेशा याद रखें........ जो इतिहास से कोई सीख नहीं लेते हैं....
इतिहास फिर से अपने आपको दुहराता है.

जयतु जयतु हिन्दू राष्ट्र,
Posted in संस्कृत साहित्य

बनारस ने कबीर दास दिया


बनारस ने कबीर दास दिया
बनारस ने तुलसीदास दिया
बनारस ने चंद्रशेखर आज़ाद दिया
बनारस ने लाल बहादुरशास्त्री दिया
बनारस ने मुंशी प्रेमचंद दिया
बनारस ने राजा हरिश्चंद्रा को शरण दिया
बनारस ने काशीनाथ सिंह दिया
बनारस ने बिशमील्लाह खान दिया
बनारस ने छुन्नूलाल मिश्रा दिया
बनारस ने समोसा दिया
बनारस ने कचोरी दिया
बनारस ने भांग दिया
बनारस ने पान दिया
बनारस ने बनारसी साडी दिया
बनारस ने लंगड़ा केसर दसहरी आम दिया
बनारस ने चाट दिया
बनारस ने संस्कृत विद्यालय दिया
बनारस ने बीएचयू दिया
बनारस ने मोक्ष दिया
बनारस ने मुरब्बा दिया
बनारस ने गोभी अवला चूरन
और नवरतन अचार दिया
बनारस ने गोलगप्पा दिया
बनारस ने टिकिया दिया
बनारस ने सुश्रुता (सर्जरी) दिया
बनारस ने घुगरी दिया
बनारस ने ठुमरी दिया
बनारस ने गुलकंद दिया
बनारस ने फारा दिया
बनारस ने मकुनी दिया
बनारस ने ठंडाई दिया
बनारस ने बेल रस दिया
बनारस ने बथुआ का साग दिया
बनारस ने छोले को स्वाद दिया
बनारस ने लवंगलता दिया
बनारस ने रासमलाई दिया
बनारस ने छेना दिया
बनारस ने संस्कार दिया
बनारस ने संस्कृति दिया
ओर बनारस ने बहुत कुछ दिया है, और
बनारस ने 26मई 2014 को प्रधानमंत्री दिया
बनारस बाबा भोलेनाथ
की नगरी सदा देती रही है ….
लिया कुछ भी नहीं……..
बम बोल बोल बम….हर हर महादेव
शम्भू काशी विश्वानाथ गंगे की जय .

Posted in PM Narendra Modi

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बेवरेज कंपनी कोका-कोला के सामने एक फॉर्मूला रखा।


प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बेवरेज कंपनी कोका-कोला के सामने एक फॉर्मूला रखा। उस फॉर्मूला का कमाल देखिए कि उसे अपनाने से पहले ही कोला कंपनियों के पसीने छूटने शुरु हो गए हैं।

दरअसल मोदी ने कोला कंपनी के सामने एक स्कीम रखी और कहा कि मार्केट में ‘फ्रूटवाटर’ नाम का प्रॉडक्ट बेची जाती है। यह मीठा, फलों के फ्लेवर वाला, कॉर्बोनेटेड और जीरो कैलोरी वाला ड्रिंक होता है, लेकिन अगर 95 पर्सेंट कोका-कोला या पेप्सी और 5 पर्सेंट आम या अनानास जूस को लेकर ‘फ्रूटकोला’ बनाया जाए तो इसका टेस्ट कैसा होगा?
मोदी के इस फॉर्मूले से कोला कंपनियां परेशान हैं। सॉफ्ट ड्रिंक दिग्गज कोका-कोला और पेप्सिको मोदी के इस सलाह को अमल जाने की कवायत में जुट गई है। सॉफ्ट ड्रिंक्स में फलों का जूस मिलाना कम लागत में मंगल मिशन को सफलतापूर्वक पूरा करने से ज्यादा चुनौती भरा हो सकता है।
फ्रूट जूस वाले कोला कॉन्सेप्ट की व्यावहारिकता पर देश की करीब 12,000 करोड़ रुपये वाली इंडस्ट्री के दिग्गजों ने एकमत में सवाल खड़े किए हैं। प्रधानमंत्री ने कहा था कि अगर कोला ड्रिंक्स में फलों का इस्तेमाल किया जाता है तो इससे देश के किसानों को मदद मिलने के साथ फलों की बर्बादी घटेगी। लेकिन मोदी की इस सलाह से कोला कंपनियों की परेशानी बढ़ गई है।

आर्य राघवेन्द्र

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बेवरेज कंपनी कोका-कोला के सामने एक फॉर्मूला रखा। उस फॉर्मूला का कमाल देखिए कि उसे अपनाने से पहले ही कोला कंपनियों के पसीने छूटने शुरु हो गए हैं।

दरअसल मोदी ने कोला कंपनी के सामने एक स्कीम रखी और कहा कि मार्केट में 'फ्रूटवाटर' नाम का प्रॉडक्ट बेची जाती है। यह मीठा, फलों के फ्लेवर वाला, कॉर्बोनेटेड और जीरो कैलोरी वाला ड्रिंक होता है, लेकिन अगर 95 पर्सेंट कोका-कोला या पेप्सी और 5 पर्सेंट आम या अनानास जूस को लेकर 'फ्रूटकोला' बनाया जाए तो इसका टेस्ट कैसा होगा?
मोदी के इस फॉर्मूले से कोला कंपनियां परेशान हैं। सॉफ्ट ड्रिंक दिग्गज कोका-कोला और पेप्सिको मोदी के इस सलाह को अमल जाने की कवायत में जुट गई है। सॉफ्ट ड्रिंक्स में फलों का जूस मिलाना कम लागत में मंगल मिशन को सफलतापूर्वक पूरा करने से ज्यादा चुनौती भरा हो सकता है।
फ्रूट जूस वाले कोला कॉन्सेप्ट की व्यावहारिकता पर देश की करीब 12,000 करोड़ रुपये वाली इंडस्ट्री के दिग्गजों ने एकमत में सवाल खड़े किए हैं। प्रधानमंत्री ने कहा था कि अगर कोला ड्रिंक्स में फलों का इस्तेमाल किया जाता है तो इससे देश के किसानों को मदद मिलने के साथ फलों की बर्बादी घटेगी। लेकिन मोदी की इस सलाह से कोला कंपनियों की परेशानी बढ़ गई है।

आर्य राघवेन्द्र
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भेजा है बुलावा, तुने शेरावालिये।


Shirdi Sai Baba - भारत के इतिहास का सबसे बड़ा पाखंड's photo.
Shirdi Sai Baba - भारत के इतिहास का सबसे बड़ा पाखंड's photo.
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भेजा है बुलावा, तुने शेरावालिये।

इस नवरात्रि एक बार गुलशन कुमार को भी याद कर लों। गुलशन कुमार की आवाज के जादू से हिंदू धर्म शक्तिशाली होना शुरू हो चुका था। इसलिए कुछ मुल्लों ने उनके शरीर में 38 गोलियाँ दाग दीं।

मुल्लों ने सोचा कि यदि गुलशन कुमार यूँ ही भजन गाता रहेगा तो एक दिन सारे सेकुलर हिंदू बन जाएँगे। इसलिए उन्होंने गुलशन कुमार को मार दिया। भविष्य में कोई गुलशन कुमार न बन जाए इसलिए साँईं उर्फ चाँद मियाँ को हिंदू धर्म के ऊपर थोप दिया।

यदि आप गुलशन कुमार की थोड़ी भी इज्जत करते हों तो साँईं को ठिकाने लगाकर गुलशन कुमार की आत्मा को थोड़ी सी अधिक शांति दिला सकते हों।

राज सिंह रेपसवाल
जय माँ भवानी
धर्मो रक्षति रक्षितः
धर्म की जय हो अधर्म का नाश हो |

‪#‎ExposeShirdisai‬ ‪#‎Bhaktijihad‬ ‪#‎FraudSai‬
‪#‎बहरूपिया_साई‬ ‪#‎शिर्डी_साई_बेनकाब‬ ‪#‎भक्ति_जिहाद‬

Posted in भारत का गुप्त इतिहास- Bharat Ka rahasyamay Itihaas

भारत को महान देश कहा जाता है लेकिन इस महान देश में आपको बेवकूफी के कुछ ऐसे उदहारण देखने को मिलेंगे जो दुनिया के किसी देश में नहीं हैं


क्या कभी सुना है

भारत को महान देश कहा जाता है लेकिन इस महान देश में आपको बेवकूफी के कुछ ऐसे उदहारण देखने को मिलेंगे जो दुनिया के किसी देश में नहीं हैं…

क्या कभी सुना है की किसी देश के लोग उन लोगों को सम्मान के साथ पुकारते हों जिन्होंने उनपर आक्रमण किया,उनकी बहु बेटियों का निर्ममता से बलात्कार किया और जबरन उनके पूर्वजों का धर्म परिवर्तन कराया , नहीं न

लेकिन
भारत में तो ये आम बात है जी हाँ हम मुग़ल शासकों की ही बात कर रहे हैं |

कौन थे मुग़ल ?

क्या किया था उन्होंने भारतवासियों के साथ ?

क्या वे सम्मान के लायक हैं ?

दोस्तों इस से बड़ी बेशर्मी की बात नहीं हो सकती हमारे लिए की हम उन लोगों को सम्मान का दर्जा दें जिन्होंने न सिर्फ भारत की संस्कृति को नष्ट किया बल्कि असहनीय यातनाएं देकर हमारे पूर्वजों का जबरन धर्म परिवर्तन करवाया |
आखिर क्या कारण है की हमारे हिन्दू भाई इन मुग़लों को इतनी इज्ज़त देते हैं??इसमें सबसे मुख्य कारण है हमारे इतहास को तोड़ मरोड़ कर हमारे सामने पेश किया जाना |

९९% हिन्दू ये समझते हैं की मुग़ल भी हमारे महान क्रांतिकारियों में से ही एक हैं लेकिन ये उन महान क्रांतिकारियों का अपमान है | जो हम उनकी तुलना इन नीच अधर्मियों के साथ करें | जहां एक तरफ हमारे शूरवीरों ने अपने बलिदान से हमें इन क्रूर शासकों से आज़ादी दिलाई वहीँ इन मुगलों ने बाहर से आकर हमारे धर्म,हमारे मंदिर हमारी संस्कृति को इतना नुक्सान पहुंचाया की उसका परिणाम हम आज भी झेल रहे हैं|

दूसरा मुख्य कारण है हमारे देश की फिल्म इंडस्ट्री जिन्होंने “मुग़ल ऐ आज़म” और “टीपू सुलतान” नाम की फिल्मे बना कर बची खुची संस्कृति को भी नष्ट कर दिया | इन फिल्मों में उन्हें शूरवीर बताया गया जबकि सत्य इसके बिलकुल विपरीत है |

आज हालात ऐसे हैं की अगर किसीको सही इतहास पढ़ाने जाओ तो कहता है नहीं नहीं ये सब गलत है जो फिल्म में है वही सत्य है | इस कदर हमारे भोले भाले भारतवासियों के दिमाग इस जहर को भर दिया गया है |

मेरी आपसे केवल यही विनंती है की अगर आपके दिलों थोडा सा भी सम्मान महाराज शिवाजी और रानी लक्ष्मीबाई जैसे हमारे महान पूर्वजों के लिए बचा है तो आज से प्रतिज्ञा लें की इस जूठे इतिहास को अब नहीं मानेगे और न ही औरों को मानने देंगे |

क्या कभी सुना है 

भारत को महान देश कहा जाता है लेकिन इस महान देश में आपको बेवकूफी के कुछ ऐसे उदहारण देखने को मिलेंगे जो दुनिया के किसी देश में नहीं हैं…

क्या कभी सुना है की किसी देश के लोग उन लोगों को सम्मान के साथ पुकारते हों जिन्होंने उनपर आक्रमण किया,उनकी बहु बेटियों का निर्ममता से बलात्कार किया और जबरन उनके पूर्वजों का धर्म परिवर्तन कराया , नहीं न

लेकिन
भारत में तो ये आम बात है जी हाँ हम मुग़ल शासकों की ही बात कर रहे हैं |

कौन थे मुग़ल ?

क्या किया था उन्होंने भारतवासियों के साथ ?

क्या वे सम्मान के लायक हैं ?

दोस्तों इस से बड़ी बेशर्मी की बात नहीं हो सकती हमारे लिए की हम उन लोगों को सम्मान का दर्जा दें जिन्होंने न सिर्फ भारत की संस्कृति को नष्ट किया बल्कि असहनीय यातनाएं देकर हमारे पूर्वजों का जबरन धर्म परिवर्तन करवाया |
आखिर क्या कारण है की हमारे हिन्दू भाई इन मुग़लों को इतनी इज्ज़त देते हैं??इसमें सबसे मुख्य कारण है हमारे इतहास को तोड़ मरोड़ कर हमारे सामने पेश किया जाना |

९९% हिन्दू ये समझते हैं की मुग़ल भी हमारे महान क्रांतिकारियों में से ही एक हैं लेकिन ये उन महान क्रांतिकारियों का अपमान है | जो हम उनकी तुलना इन नीच अधर्मियों के साथ करें | जहां एक तरफ हमारे शूरवीरों ने अपने बलिदान से हमें इन क्रूर शासकों से आज़ादी दिलाई वहीँ इन मुगलों ने बाहर से आकर हमारे धर्म,हमारे मंदिर हमारी संस्कृति को इतना नुक्सान पहुंचाया की उसका परिणाम हम आज भी झेल रहे हैं|

दूसरा मुख्य कारण है हमारे देश की फिल्म इंडस्ट्री जिन्होंने “मुग़ल ऐ आज़म” और “टीपू सुलतान” नाम की फिल्मे बना कर बची खुची संस्कृति को भी नष्ट कर दिया | इन फिल्मों में उन्हें शूरवीर बताया गया जबकि सत्य इसके बिलकुल विपरीत है |

आज हालात ऐसे हैं की अगर किसीको सही इतहास पढ़ाने जाओ तो कहता है नहीं नहीं ये सब गलत है जो फिल्म में है वही सत्य है | इस कदर हमारे भोले भाले भारतवासियों के दिमाग इस जहर को भर दिया गया है |

मेरी आपसे केवल यही विनंती है की अगर आपके दिलों थोडा सा भी सम्मान महाराज शिवाजी और रानी लक्ष्मीबाई जैसे हमारे महान पूर्वजों के लिए बचा है तो आज से प्रतिज्ञा लें की इस जूठे इतिहास को अब नहीं मानेगे और न ही औरों को मानने देंगे |
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जिन लोगो ने मोदी का वीजा रोकने के लिये अमेरिका को पत्र लिखा था उसनके नाम मिल गए है …!!


जिन लोगो ने मोदी का वीजा रोकने के लिये अमेरिका को पत्र लिखा था उसनके नाम मिल गए है …!!
ये रही लिस्ट ..एक नाम सीताराम येचुरी का था उन्होंने बाद में बयान दिया था की उनके हस्ताक्षर फर्जी है …
List of petitioners: Rajya Sabha
1. Hussain Umar Dalwa
2. Dr. K.P. Ramalingam
3. M.P. Achuthan
4. A.S.M. (unclear)
5. Sabir Ali
6. G.N. Ratanpuri
7. Dr. B.K. Mukherji
8. Sitaram Yechury
9. Mohammad Adeeb
10. A.A. Jinnah
11. S.T. Thangavelu
12. S.D. Sharik (MP J&K)
13. Ali Anwar Ansari
14. Pradip Bhattacharya
15. Dhiraj Prasad Sahu
16. Shantaram Naik
17. Dr. E.M.S. Natchiappan
18. V. Hanumantha Rao
19. Anandabhaskar Rapolu
20. T. Ratnabai
21. Anil Caad
22. Biswajit Daimany
23. Joy Abraham
24. Pakaj Bora
25. Avinash Panda
26. Vandana Chavan
27. Ishwarlal Jain
28. Prof. Alka Kshatriya
29. Praveen Rashtrabal
30. Mahendra Singh Mara
31. Mohammed S.
32. Mohammed Ali Khan
33. Pravez Hashmi
34. Dr. Vijay Laxmi Sadho
35. Dr. Abhishek L.S.
36. Eknath M. Gaikwad
37. Jayawant G. Awale
38. Sanjeev G. Naik
39. Marotrao Kowase
List of petitioners: Lok Sabha
1. Abdul Rahman (Vellore, TN)
2. Dr. Mehboob Beg (Anantnag J&K)
3. S.D. Shariq (Baramulla, J&K)
4. S. (unclear) (WB)
5. M.I. Shanavas (Wayanad, Kerala)
6. A.A. Jinnah (TN)
7. Shafiqur Rahman Barq (UP)
8. Mohammad Abrarulhaque (Kishanganj, Bihar)
9. Mohammad Sahu Yusin (UP)
10. Mausam Noor (WB)
11. Jassen Khan (Ladhak)
12. P.L. Punia (Barabanki)
13. Kamal Kishore (UP)
14. S.S. Ramasubbu (Tirunelveli, TN)
15. S. Ahmed
16. J.K. Ritheesh (Ramanathapuram, TN)
17. R. Thamaraiselvan (Dharmapuri, TN)
18. Asadudin Owaisi (Hyderabad, AP)
19. Jon K.M. (Kerala)
20. M.B.R. (unclear) (AP)
21. Ch. Lal Singh (Udhampur)
22. Thirumaavalavan (Chidambaram, TN)
23. Kadir Rana (Muzaffarnagar, UP)
24. A.S.M. (unclear) (WB)
25. E.T. Mohamed B. (unclear) (Kerala)