Posted in PM Narendra Modi

मुझे अब जाकर समझ आया की बड़ी दूर की प्लानिंग कर रखी है पीएम साहब ने !


मुझे अब जाकर समझ आया की बड़ी दूर की प्लानिंग कर रखी है पीएम साहब ने !
पीएम मोदी जब जापान गए तब अपने वडनगर वाले घर के पास के बौद्ध मंदिर की चर्चा करना नहीं भूलते हैं , फिर जब चीनी राष्ट्रपति आते हैं तब भी उनसे बौद्ध मंदिर की चर्चा जरूर करते हैं । वहाँ जापान मे सभी बड़े अधिकारियों और नेताओं को गीता दे आते हैं , जब भारत मे चीनी राष्ट्रपति आते हैं तब उनके भी हाथ मे चाइनीज़ भाषा मे लिखी गीता दे देते हैं(संलग्न फोटो) ।
इन दोनों देशों और बाकी के दूसरे देशों के साथ भी नए सम्बन्धों की जो नींव है वो धार्मिक शिलाओं के दम पर रखी जा रही है जिससे सामरिक सम्बन्धों की इमारत मजबूती से खड़ी रह सके ।
हम भले ही कई मामलों मे पीछे हों लेकिन धार्मिक , आध्यात्मिक रूप से हम भारतीय और भारतवर्ष बहुत ही अधिक समृद्ध हैं इस बात की घोषणा आज से लगभग 100 साल पहले एक नरेंद्र(विवेकानंद) ने अमेरिका मे जाकर कही थी लेकिन अब 100 साल बाद इसी बात को दुनिया के सामने रखने का प्रयत्न हमारे समय के नरेंद्र कर रहे हैं ,अगर विश्व इस संदेश को समझ जाए और अपनाने का प्रयत्न करे तो ये मानवता के लिए और पूरे विश्व कल्याण के लिए बहुत ही बड़ा लाभदायक कदम होगा ।

मुझे अब जाकर समझ आया की बड़ी दूर की प्लानिंग कर रखी है पीएम साहब ने !
पीएम मोदी जब जापान गए तब अपने वडनगर वाले घर के पास के बौद्ध मंदिर की चर्चा करना नहीं भूलते हैं , फिर जब चीनी राष्ट्रपति आते हैं तब भी उनसे बौद्ध मंदिर की चर्चा जरूर करते हैं । वहाँ जापान मे सभी बड़े अधिकारियों और नेताओं को गीता दे आते हैं , जब भारत मे चीनी राष्ट्रपति आते हैं तब उनके भी हाथ मे चाइनीज़ भाषा मे लिखी गीता दे देते हैं(संलग्न फोटो) ।
इन दोनों देशों और बाकी के दूसरे देशों के साथ भी नए सम्बन्धों की जो नींव है वो धार्मिक शिलाओं के दम पर रखी जा रही है जिससे सामरिक सम्बन्धों की इमारत मजबूती से खड़ी रह सके ।
हम भले ही कई मामलों मे पीछे हों लेकिन धार्मिक , आध्यात्मिक रूप से हम भारतीय और भारतवर्ष बहुत ही अधिक समृद्ध हैं इस बात की घोषणा आज से लगभग 100 साल पहले एक नरेंद्र(विवेकानंद) ने अमेरिका मे जाकर कही थी लेकिन अब 100 साल बाद इसी बात को दुनिया के सामने रखने का प्रयत्न हमारे समय के नरेंद्र कर रहे हैं ,अगर विश्व इस संदेश को समझ जाए और अपनाने का प्रयत्न करे तो ये मानवता के लिए और पूरे विश्व कल्याण के लिए बहुत ही बड़ा लाभदायक कदम होगा ।
Posted in भारत का गुप्त इतिहास- Bharat Ka rahasyamay Itihaas, हिन्दू पतन

Hyderabad 1948: India’s hidden massacre


Hyderabad 1948: India’s hidden massacre
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When India was partitioned in 1947, about 500,000 people died in communal rioting, mainly along the borders with Pakistan. But a year later another massacre occurred in central India, which until now has remained clouded in secrecy.

In September and October 1948, soon after independence from the British Empire, tens of thousands of people were brutally slaughtered in central India. Some were lined up and shot by Indian Army soldiers. Yet a government-commissioned report into what happened was never published and few in India know about the massacre. Critics have accused successive Indian governments of continuing a cover-up.

The massacres took place a year after the violence of partition in what was then Hyderabad state, in the heart of India. It was one of 500 princely states that had enjoyed autonomy under British colonial rule.
When independence came in 1947 nearly all of these states agreed to become part of India.

Some important points:
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• Members of the powerful Razakar militia, the armed wing of Hyderabad’s most powerful Muslim political party, were terrorising many Hindu villagers.
• The backlash was said to have been in response to many years of intimidation and violence against Hindus by the Razakars.
• In confidential notes attached to the Sunderlal report, its authors detailed the gruesome nature of the Hindu revenge: “In many places we were shown wells still full of corpses that were rotting. In one such we counted 11 bodies, which included that of a woman with a small child sticking to her breast. ”
• It is also unclear why, all these decades later, there is still no reference to what happened in the nation’s schoolbooks. Even today few Indians have any idea what happened.
• Leaders of Razakars were related to Muslim League, British media even reported them receiving weapons from Pakistan to kill Hindus. The violence against Hindus started in 1946 when they saw British are leaving which mean Hyderabad would integrate to India because of the Hindu majority putting end to their rule in Hyderabad.

The autocracy of the Nizam undoubtedly had a pro-Muslim, anti-Hindu aspect to it. The Nizam’s administration was largely Muslim, Urdu was imposed on his subjects, and the Razakars’ actions were targeted against Hindus. The Arya Samaj, which took up cudgels for the ‘Hindu masses’ against ‘Muslim oppressors’, took over the leadership of the anti-Nizam movement partly owing to the late arrival of the Congress; until 1940 the Indian National Congress did not take up the people’s struggle in the princely state.
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Question is ‘’ Has Telangana forgotten the Jihadi Razakar atrocities? ‘’

Share this out and make people aware of our History, which has been distorted as the Political Gains by Congress Regime.

Dhruv Kumar's photo.
Dhruv Kumar's photo.
Posted in हिन्दू पतन

ZafarNama


ZafarNama – A letter to Aurangzeb by shree Guru Govind Singh ji in 1705 AD

ज़फरनामा :गुरु गोविन्द सिंह का पत्र !

भारत अनादिकाल से हिन्दू देश रहा है .इस देश में जितने भी धर्म ,संप्रदाय ,और मत उत्पन्न हुए हैं ,उन सभी के अनुयायी ,इस देश के वास्तविक उतराधिकारी हैं.लेकिन जब भारत पर इस्लामी हमलावरों का शासन हुआ तो ,उन्होंने हिन्दू धर्म और हिन्दुओं को मिटाने के लिए हर तरह के यत्न किये .आज जो हिन्दू बचे हैं ,उसके लिए हमें उन महापुरुषों का आभार मानना चाहिए जिन्होंने अपने त्याग और बलिदान से देश और हिन्दू धर्म को बचाया था .
इनमे गुरु गोविन्द सिंह का बलिदान सर्वोपरि और अद्वितीय है .क्योंकि गुरूजी ने धर्म के लिए अपने पिता गुरु तेगबहादुर और अपने चार पुत्र अजीत सिंह ,जुझार सिंह ,जोरावर सिंह और फतह सिंह को बलिदान कर दिया था .बड़े दो पुत्र तो चमकौर के युद्ध में शहीद हो गए थे .और दो छोटे पुत्र जोरावर सिंह (आयु 8 )साल और फतह सिंह (आयु 5 )साल जब अपनी दादी के साथ सिरसा नदी पार कर रहे तो अपने लोगों से बिछड़ गए थे .जिनको मुसलमान सूबेदार वजीर खान ने ठन्डे बुर्ज में सरहिंद में कैद कर लिया था.वजीर खान ने पहिले तो बच्चों को इस्लाम काबुल करने के लिए लालच दिया .जब बच्चे नहीं मानेतो मौत की धमकी भी दी .लेकिन बच्चों ने कहा कि हमारे दादा जी ने धर्म कि रक्षा के लिए दिली में अपना सर कटवा लिया था .हम मुसलमान कैसे बन सकते हैं ?हम तेरे इस्लाम पार थूकते हैं .(गुरु तेगबहादुर ने 16 नवम्बर 1675 को हिन्दू धर्म कि रक्षा के लिए अपना सर कटवा लिया था )बच्चों का जवाब सुनकर वजीर खान आग बबूला हो गया .उसने दौनों बच्चों को एक दीवाल में जिन्दा चिनवानेका आदेश दे दिया .और उन्हें शहीद कर दिया .यह सन 1705 कीबात है .
उस समय देश परऔरंगजेब की हुकूमत थी .वह इस्लाम का जीवित स्वरूप था .मुसलमान उसे अपना आदर्श मानते है .यदि कोई औरंगजेब की नीतियों और उसके चरित्र को समझ ले तो उसे कुरान और शरीयत को समझनेकी कोई जरुरत नहीं होगी .आज भी मुसलमान उसका अनुसरण करते है
जब गुरूजी को बच्चों के दीवाल में चिनवाएजाने की खबर मिली तो वह हताश नहीं हुए .गुरुजी चाहते थे कि लोग अपनी कायरता को त्याग करके निर्भय होकर अत्याचारी मुगलों का मुकाबला करें .तभी धर्म कि रक्षा हो सकेगी .इसके लिए गुरूजी ने अस्त्र -शस्त्र की उपासना की रीति चलाई .-
“वाह गुरूजी का भयो खालसा सु नीको.वाह गुरुजी मिल फ़तेह जो बुलाई है .
धरम स्थापने को ,पापियों को खपाने को ,गुरु जपने की नयी रीति यों चलाई है .”
गुरु गोविन्द सिंह जी ने लोगों को सशस्त्र रहने का उपदेश दिया .अस्त्र शस्त्र को धर्म का प्रमुख अंग बताया ,ताकि लोगों के भीतर से भय निकल जाये .गुरूजी ने कहा कि-
“नमो शस्त्र पाणे,नमो अस्त्र माणे.नमो परम ज्ञाता ,नमो लोकमाता .
गरब गंजन ,सरब भंजन ,नमो जुद्ध जुद्ध ,नमो कलह कर्ता.नमो नित नारायणे क्रूर कर्ता .-जाप साहब
फिर गुरूजी ने यह भी कहा –
“चिड़ियों से मैं बाज लड़ाऊँ ,सवा लाख से एक भिडाऊं.तबही नाम गोविन्द धराऊँ ”
गुरुजी ने अपने इस में आने का यह कारण खुद ही बता दिया था .
“इस कारण प्रभु मोहि पठाओ ,तब मैं जगत जमम धर आयो .
धरम चलावन संत उबारन,दुष्ट दोखियन पकर पछारन”
गुरु गोविन्द सिंह जी एक महान योद्धा होने के साथ साथ महान विद्वान् भी थे .वह ब्रज भाषा ,पंजाबी ,संस्कृत और फारसी भी जानते थे .और इन सभी भाषाओँ में कविता भी लिख सकते थे .जब औरंगजेब के अत्याचार सीमा से बढ़ गए तो गुरूजी ने मार्च 1705 को एक पत्रभाई दयाल सिंह के हाथों औरंगजेब को भेजा .इसमे उसे सुधरने की नसीहत दी गयी थी .यह पत्र फारसी भाषा के छंद शेरों के रूप में लिखा गया है .इसमे कुल 134 शेर हैं .इस पत्र को “ज़फरनामा “कहा जाता है .यद्यपि यह पत्र औरंगजेब के लिए था .लेकिन इसमे जो उपदेश दिए गए है वह आज हमारे लिए अत्यंत उपयोगी हैं .इसमे औरंगजेब के आलावा इस्लाम ,कुरान ,और मुसलमानों के बारे में जो लिखा गया है ,वह हमारी आँखें खोलने के लिए काफी हैं .इसी लिए ज़फरनामा को धार्मिक ग्रन्थ के रूप में स्वीकार करते हुए दशम ग्रन्थ में शामिल किया गया है .
जफरनामा से विषयानुसार कुछ अंश प्रस्तुत किये जा रहे हैं .ताकि लोगों को इस्लाम की हकीकत पता चल सके –
1 -शस्त्रधारी ईश्वर की वंदना
बनामे खुदावंद तेगो तबर ,खुदावंद तीरों सिनानो सिपर .
खुदावंद मर्दाने जंग आजमा ,ख़ुदावंदे अस्पाने पा दर हवा .2 -3
उस ईश्वर की वंदना करता हूँ ,जो तलवार ,छुरा ,बाण ,बरछा और ढाल का स्वामी है.और जो युद्ध में प्रवीण वीर पुरुषों का स्वामी है .जिनके पास पवन वेग से दौड़नेवाले घोड़े हैं .
2 -औरंगजेब के कुकर्म
तो खाके पिदर रा बकिरादारे जिश्त,खूने बिरादर बिदादी सिरिश्त.
वजा खानए खाम करदी बिना ,बराए दरे दौलते खेश रा .
तूने अपने बाप की मिट्टी को अपने भाइयों के खून से गूँधा,और उस खून से सनी मिटटी से अपने राज्य की नींव रखी.और अपना आलीशान महल तैयार किया .
3 -अल्लाह के नाम पर छल
न दीगर गिरायम बनामे खुदात ,कि दीदम खुदाओ व् कलामे खुदात .
ब सौगंदे तो एतबारे न मांद,मिरा जुज ब शमशीर कारे न मांद .
तेरे खुदा के नाम पर मैं धोखा नहीं खाऊंगा ,क्योंकि तेरा खुदा और उसका कलाम झूठे हैं .मुझे उनपर यकीन नहीं है .इसलिए सिवा तलवार के प्रयोग से कोई उपाय नहीं रहा .
4 -छोटे बच्चों की हत्या
चि शुद शिगाले ब मकरो रिया ,हमीं कुश्त दो बच्चये शेर रा .
चिहा शुद कि चूँ बच्च गां कुश्त चार ,कि बाकी बिमादंद पेचीदा मार .
यदि सियार शेर के बच्चों को अकेला पाकर धोखे से मार डाले तो क्या हुआ .अभी बदला लेने वाला उसका पिता कुंडली मारे विषधर की तरह बाकी है .जो तुझ से पूरा बदला चुका लेगा .
5 -मुसलमानों पर विश्वास नहीं
मरा एतबारे बरीं हल्फ नेस्त,कि एजद गवाहस्तो यजदां यकेस्त.
न कतरा मरा एतबारे बरूस्त ,कि बख्शी ओ दीवां हम कज्ब गोस्त .
कसे कोले कुरआं कुनद ऐतबार ,हमा रोजे आखिर शवद खारो जार .
अगर सद ब कुरआं बिखुर्दी कसम ,मारा एतबारे न यक जर्रे दम .
मुझे इस बात पर यकीन नहीं कि तेरा खुदा एक है .तेरी किताब (कुरान )और उसका लाने वाला सभी झूठे हैं .जो भी कुरान पर विश्वास करेगा ,वह आखिर में दुखी और अपमानित होगा .अगर कोई कुरान कि सौ बार भी कसम खाए ,तो उसपर यकीन नहीं करना चाहिए .
6 -दुष्टों का अंजाम
कुजा शाह इस्कंदर ओ शेरशाह ,कि यक हम न मांदस्त जिन्दा बजाह .
कुजा शाह तैमूर ओ बाबर कुजास्त ,हुमायूं कुजस्त शाह अकबर कुजास्त .
सिकंदर कहाँ है ,और शेरशाह कहाँ है ,सब जिन्दा नहीं रहे .कोई भी अमर नहीं हैं ,तैमूर ,बाबर ,हुमायूँ और अकबर कहाँ गए .सब का एकसा अंजाम हुआ .
7 -गुरूजी की प्रतिज्ञा
कि हरगिज अजां चार दीवार शूम ,निशानी न मानद बरीं पाक बूम .
चूं शेरे जियां जिन्दा मानद हमें ,जी तो इन्ताकामे सीतानद हमें .
चूँ कार अज हमां हीलते दर गुजश्त ,हलालस्त बुर्दन ब शमशीर दस्त .
हम तेरे शासन की दीवारों की नींव इस पवित्र देश से उखाड़ देंगे .मेरे शेर जबतक जिन्दा रहेंगे ,बदला लेते रहेंगे .जब हरेक उपाय निष्फल हो जाएँ तो हाथों में तलवार उठाना ही धर्म है .
8 -ईश्वर सत्य के साथ है .
इके यार बाशद चि दुश्मन कुनद ,अगर दुश्मनी रा बसद तन कुनद .
उदू दुश्मनी गर हजार आवरद ,न यक मूए ऊरा न जरा आवरद .
यदि ईश्वर मित्र हो ,तो दुश्मन क्या क़र सकेगा ,चाहे वह सौ शरीर धारण क़र ले .यदि हजारों शत्रु हों ,तो भी वह बल बांका नहीं क़र सकते है .सदा ही धर्म की विजय होती है.
गुरु गोविन्द सिंह ने अपनी इसी प्रकार की ओजस्वी वाणियों से लोगों को इतना निर्भय और महान योद्धा बना दिया कि अज भी मुसलमान सिखों से उलझाने से कतराते हैं .वह जानते हैं कि सिख अपना बदला लिए बिना नहीं रह सकते .इसलिए उनसे दूर ही रहो .पंजाबी कवि भाई ईसर सिंह ईसर ने खालसा के बारे में लिखा है –
“नहला उत्ते दहला मार बदला चुका देंदा ,रखदा न किसीदा उधार तेरा खालसा ,
रखदा कुनैन दियां गोलियां वी उन्हां लयी,चाह्ड़े जिन्नू तीजेदा बुखार तेरा खालसा .
पूरा पूरा बकरा रगड़ जांदा पलो पल ,मारदा न इक भी डकार तेरा खालसा .”
इसी तरह एक जगह कृपाण की प्रसंशा में लिखा है –
“हुन्दी रही किरपान दी पूजा तेरे दरबार विच ,तूं आप ही विकिया होसियाँ सी प्रेम दे बाजार विच .
गुजरी तेरी सारी उमर तलवार दे व्योपार विच ,तूं आपही पैदा होईऊं तलवार दी टुनकार विच .
तूं मस्त है ,बेख़ौफ़ है इक नाम दी मस्ती दे नाल ,सिक्खां दी हस्ती कायम है तलवार दी हस्ती दे नाल .
लक्खां जवानियाँ वार के फिर इह जवानी लाई है ,जौहर दिखाके तेग दे ,तेगे नूरानी लाई है .
तलवार जे वाही असां पत्त्थर चों पानी काढिया,इक इक ने सौ सौ वीरां नूं वांग गाजर वाड्धीया.”
इस लेख का एकमात्र उद्देश्य है कि आप लोग गुरु गोविन्द साहिब कि वाणी को आदर पूर्वक पढ़ें ,और श्री गुरु तेगबहादुर और गुरु गोविन्द सिंह जी के बच्चों के महान बलिदानों को हमेशा स्मरण रखें .और उनको अपना आदर्श मनाकर देश धर्म की रक्षा के लिए कटिबद्ध हो जाएँ .वर्ना यह सेकुलर और मुस्लिम जिहादी एक दी हिन्दुओं को विलुप्त प्राणी बनाकर मानेंगे .
सर्व जगत में खालसा पंथ गाजे,जग धर्म हिन्दू सकल भंड भाजे

Kuldip Singh Gahalod “हुन्दी रही किरपान दी पूजा तेरे दरबार विच ,तूं आप ही विकिया होसियाँ सी प्रेम दे बाजार विच .
गुजरी तेरी सारी उमर तलवार दे व्योपार विच ,तूं आपही पैदा होईऊं तलवार दी टुनकार विच .
तूं मस्त है ,बेख़ौफ़ है इक नाम दी मस्ती दे नाल ,सिक्खां दी हस्ती कायम है त
लवार दी हस्ती दे नाल .
लक्खां जवानियाँ वार के फिर इह जवानी लाई है ,जौहर दिखाके तेग दे ,तेगे नूरानी लाई है .
तलवार जे वाही असां पत्त्थर चों पानी काढिया,इक इक ने सौ सौ वीरां नूं वांग गाजर वाड्धीया.”
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देवल महर्षि


सन ७१२ : मुसलमानों का इस्लाम के प्रचार और उनकी पैशाचीक महत्वाकांक्षाओ की पूर्णता हेतु आठवी शताब्दी में मीर कासिम के नेतृत्व में सिंध पर आक्रमण हुआ, जिसमे सिंध के ब्रह्मण वंश के राजा दाहीर के वीरगति के बाद अरबो का सिंध पर शासन प्रस्थापीत हुआ और इसी घटना के साथ सिंध में मुसलमानों द्वारा हिन्दुओ के प्रचंड धर्मांतरण एवं कत्ले -आम की अपेक्षीत शुरुवात हुयी.
लक्षावधि निरपराध ,शस्त्रवीहींन हिन्दू जनता के पाशविक अत्याचारों की शुरुवात हुयी. लाखो हिन्दू स्त्रियों के बलात्कारो से,पुरुषो के शीरच्छेदो से, बुढो और बच्चो के अत्याचारों से सिंध प्रांत में लक्षावधि हिन्दू जनता “दिक्षीत” (धर्मान्तरीत) हुयी.

परन्तु आर्यभूमि ने केवल हाड मांस के पुतलो जन्म नहीं दिया था , उसकी संतानों में मातृभूमि के लिए मरने और मारने वाले ‘नर व्याघ्रो’ की कोई कमी नहीं थी! कन्नोज में यशोधर्मा और कश्मीर में ललितादित्य मुक्तापीड की संयक्त सेनाओ के चलते मेरे सिंध के बाहर एक कदम नहीं रख पाया ,सिंध में भी ठाकुरो के विद्रोह थमने का नाम नहीं ले रहे थे , अपेक्षित उद्देश की पूर्तता ना होती देख खलीफा उम्मीद द्वारा मीर कासिम को वापस बुलाया गया और मुसलमानों का विजयी अभियान सिंध तक सिमट कर समाप्त हुआ. (उसके बाद सं ७३८ से शुरू हुए युद्धों की श्रुंखला में अरबी आक्रमंकारियो का बाप्पा रावल,प्रतिहार और पुलकेशियो द्वारा जिस तरह संहार हुआ ये हर कोई जानता है) उसके बाद मुसलमानों द्वारा स्न्क्रमीत सिंध पर ‘मुसलमानों के असली पिताजी श्री बाप्पा रावल ‘ के बार-बार आक्रमणों में मीर कासिम ने सिंध पर हथियाई हुयी सत्ता मिटटी में मील गयी और सिंध स्वंतंत्र हुआ.
यहातक की जानकारी सर्वश्रुत है……

राजकीय स्तर पर तो हमने अरबी आक्र्मंकारियो पर सफलता प्राप्त कर ली थी ,पर धार्मिक स्तर पर हम अभी पूर्ण रूप से असफल थे जिसका प्रमुख कारण था – आक्रमणकारी मुसलमानों ने धर्मान्तरीत किये हुए लाखो हिन्दू (नवमुसलमान). ये अभी तक मुसलमान ही थे और चाहकर भी अपने पवित्र हिन्दू धर्म में जा नहीं सकते थे जिसका मुख्य कारण थी हमारे हिन्दू धर्म की तथाकथित “शुद्धिबंदी”.

उसी निरर्थक “शुद्धिबंदी “.के आधार पर हिन्दू अपने धर्मान्तरीत भाइयो को वापस अपने धर्म में ले नहीं सकते थे.परिणामस्वरूप एक भीषण संकट का भय सामने आया जो था -हिन्दुओ की संख्या में उठा हुआ प्रचंड घटाव!

इस समस्या के समाधान के लिए कई राजनितिज्ञो ने देवल महर्षि के पास जाने का विचार किया और वे गए .
महर्षि देवल का आश्रम सिन्धु नदी के किनारे था, हिन्दुओ पर आये हुए भीषण संकट से वे चिंतीत थे,उसी क्षण सिंध के प्रमुख राजनीतिग्य वह पहुचे और धर्मान्तरीत हिन्दुओ की समस्या पर समाधान के लिए याचना की.

देवल महर्षि ने गंभीरता से इस समस्या के समाधान के लिए शास्त्रों में खोज आरम्भ की ,और उन्हें मिल गया-एक ऐसा शास्त्र जो किसी भी समय पर किसी भी काल में हमारे कर्मकाण्डो में आवश्यकता के अनुसार परिवर्तन लेन की अनुमति देता है ! और वो शास्त्र था – आपद्धर्म !

क्रांतिकारी विचारो के धनि महर्षि देवल ने इस ‘आपद्धर्म’ नामकी वैदिक परियोजना का उपयोग करके प्राचीन श्रुतियो पर भाष्य लिख डाला – देवल स्मृति !

इस देवल स्मृति में उन्होंने धर्मान्तरित हिन्दुओ के पुनः हिन्दू धर्म प्रवेश के लिए विधान बना दिया,इस विधान के अंतर्गत विशिष्ट काल के अंतराल में धर्मान्तरित हिन्दू प्रायाश्चीत के तौर पर एक दीं उपवास करके दुसरे दीं दूध से नहलानेपर पुनरागमन करनेयोग्य है.स्त्री के लिए तो उन्होंने बनायीं हुयी पुनरागमन की परियोजना तो बोहत ही सरल है ,जिसके तहत बलात्कारीत स्त्री के मासिक-धर्म के बाद वो स्त्री पुनरागमन करनेयोग्य है!

बस, राजनितिज्ञो को उनकी समस्या का समाधान मिल गया और फीर दुसरे ही दिन से नव-मुसलमानों का शुद्धिकरण शुरुवात हुआ.

हजारो हिन्दुओ को वापस अपने धर्म लिया गया.सिंध में हिन्दुओ की घटी हुयी संख्या वापस बढ़ गयी, जो की इस्लाम के लिए एक जोरदार झटका था !!!!

अरबी मुसलमानों की दुर्दशा का वर्णन करते हुए खुद मुस्लिम इतिहासकार लिखता है – ” काफिर सैनिको के डर से हमारे लोगो का सिंध में जीना हराम हो गया है , हमने जीता हुआ सारा मुलख ये काफिर वापस खा गए है केवल “अल्याह फुजाह” नाम का एकलौता गढ़ हमारे पास है जिसकी पनाह में हमें अल्लाह ने महफूज रखा है ! जिन काफ़िरो को हमने मुसलमान बनाया था वो वापस अलह को न मान ने वाले (हिन्दू) बन गए है ”

और इस प्रकार महर्षि देवल ने हिन्दुधर्म का पुनारुथ्थान करने में महत्व पूर्ण योगदान दिया.
महर्षि देवल एवं उनका भाष्य “देवल स्मृति” हिंदुत्व के इए वरदान साबीत हुए !
महर्षि देवल जैसे क्रांतिकारी विचारो के तपस्वियों ने समय समय पर हिन्दू धर्म में कालानुरूप सुधार करके इसे शत प्रतिशत खरा बना दिया है , जो की आज विश्वधर्म कहलाने योग्य है !
आज देवल मुनि को उनके कार्य के लिए मै नमन करता हु !

कृण्वन्तो विश्वमार्यम
जयति अखंड हिन्दू राष्ट्रं
हर हर महादेव
जय हो मैय्या की !
आपका – ठाकुर कुलदीप सिंह गहलोत

सन ७१२ : मुसलमानों का इस्लाम के प्रचार और उनकी पैशाचीक महत्वाकांक्षाओ की पूर्णता हेतु आठवी शताब्दी में मीर कासिम के नेतृत्व में सिंध पर आक्रमण हुआ, जिसमे सिंध के ब्रह्मण वंश के राजा दाहीर के वीरगति के बाद अरबो का सिंध पर शासन प्रस्थापीत हुआ और इसी घटना के साथ सिंध में मुसलमानों द्वारा हिन्दुओ के प्रचंड धर्मांतरण एवं कत्ले -आम की अपेक्षीत शुरुवात हुयी. 
लक्षावधि निरपराध ,शस्त्रवीहींन हिन्दू जनता के पाशविक अत्याचारों की शुरुवात हुयी. लाखो हिन्दू स्त्रियों के बलात्कारो से,पुरुषो के शीरच्छेदो से, बुढो और बच्चो के अत्याचारों से सिंध प्रांत में लक्षावधि हिन्दू जनता "दिक्षीत" (धर्मान्तरीत) हुयी. 

परन्तु आर्यभूमि ने केवल हाड मांस के पुतलो जन्म नहीं दिया था , उसकी संतानों में मातृभूमि के लिए मरने और मारने वाले 'नर व्याघ्रो' की कोई कमी नहीं थी! कन्नोज में यशोधर्मा और कश्मीर में ललितादित्य मुक्तापीड की संयक्त सेनाओ के चलते मेरे सिंध के बाहर एक कदम नहीं रख पाया ,सिंध में भी ठाकुरो के विद्रोह थमने का नाम नहीं ले रहे थे , अपेक्षित उद्देश की पूर्तता ना होती देख खलीफा उम्मीद द्वारा मीर कासिम को वापस बुलाया गया और मुसलमानों का विजयी अभियान सिंध तक सिमट कर समाप्त हुआ. (उसके बाद सं ७३८ से शुरू हुए  युद्धों की श्रुंखला में अरबी आक्रमंकारियो का बाप्पा रावल,प्रतिहार और पुलकेशियो द्वारा जिस तरह संहार हुआ ये हर कोई जानता है)  उसके बाद मुसलमानों द्वारा स्न्क्रमीत सिंध पर 'मुसलमानों के असली पिताजी श्री बाप्पा रावल ' के बार-बार आक्रमणों में मीर कासिम ने सिंध पर हथियाई हुयी सत्ता मिटटी में मील गयी और सिंध स्वंतंत्र हुआ. 
यहातक की जानकारी सर्वश्रुत है......

राजकीय स्तर पर तो हमने अरबी आक्र्मंकारियो पर सफलता प्राप्त कर ली थी ,पर धार्मिक स्तर पर हम अभी पूर्ण रूप से असफल थे जिसका प्रमुख कारण था - आक्रमणकारी मुसलमानों ने धर्मान्तरीत किये हुए लाखो हिन्दू (नवमुसलमान). ये अभी तक मुसलमान ही थे और चाहकर भी अपने पवित्र हिन्दू धर्म में जा नहीं सकते थे जिसका मुख्य कारण थी हमारे हिन्दू धर्म की तथाकथित "शुद्धिबंदी". 

उसी निरर्थक "शुद्धिबंदी ".के आधार पर हिन्दू अपने धर्मान्तरीत भाइयो को वापस अपने धर्म में ले नहीं सकते थे.परिणामस्वरूप एक भीषण संकट का भय सामने आया जो था -हिन्दुओ की संख्या में उठा हुआ प्रचंड घटाव! 

इस समस्या के समाधान के लिए कई राजनितिज्ञो ने देवल महर्षि के पास जाने का विचार किया और वे गए .
महर्षि देवल का आश्रम सिन्धु नदी के किनारे था, हिन्दुओ पर आये हुए भीषण संकट से वे चिंतीत थे,उसी क्षण सिंध के प्रमुख राजनीतिग्य वह पहुचे और धर्मान्तरीत हिन्दुओ की समस्या पर समाधान के लिए याचना की.

देवल महर्षि ने गंभीरता से इस समस्या के समाधान के लिए शास्त्रों में खोज आरम्भ की ,और उन्हें मिल गया-एक ऐसा शास्त्र जो किसी भी समय पर किसी भी काल में हमारे कर्मकाण्डो में आवश्यकता के अनुसार परिवर्तन लेन की अनुमति देता है ! और वो शास्त्र था - आपद्धर्म !

क्रांतिकारी विचारो के धनि महर्षि देवल ने इस 'आपद्धर्म' नामकी वैदिक परियोजना का उपयोग करके प्राचीन श्रुतियो पर भाष्य लिख डाला - देवल स्मृति !

इस देवल स्मृति में उन्होंने धर्मान्तरित हिन्दुओ के पुनः हिन्दू धर्म प्रवेश के लिए विधान बना दिया,इस विधान के अंतर्गत विशिष्ट काल के अंतराल में धर्मान्तरित हिन्दू प्रायाश्चीत के तौर पर एक दीं उपवास करके दुसरे दीं दूध से नहलानेपर पुनरागमन करनेयोग्य है.स्त्री के लिए तो उन्होंने बनायीं हुयी पुनरागमन की परियोजना तो बोहत ही सरल है ,जिसके तहत बलात्कारीत स्त्री के मासिक-धर्म के बाद वो स्त्री पुनरागमन करनेयोग्य है!

बस, राजनितिज्ञो को उनकी समस्या का समाधान मिल गया और फीर दुसरे ही दिन से नव-मुसलमानों का शुद्धिकरण शुरुवात हुआ.

हजारो हिन्दुओ को वापस अपने धर्म लिया गया.सिंध में हिन्दुओ की घटी हुयी संख्या वापस बढ़ गयी, जो की इस्लाम के लिए एक जोरदार झटका था !!!!

अरबी मुसलमानों की दुर्दशा का वर्णन करते हुए खुद मुस्लिम इतिहासकार लिखता है - " काफिर सैनिको के डर से हमारे लोगो का सिंध में जीना हराम हो गया है , हमने जीता हुआ सारा मुलख ये काफिर वापस खा गए है केवल "अल्याह फुजाह" नाम का एकलौता गढ़ हमारे पास है जिसकी पनाह में हमें अल्लाह ने महफूज रखा है ! जिन काफ़िरो को हमने मुसलमान बनाया था वो वापस अलह को न मान ने वाले (हिन्दू) बन गए है "

और इस प्रकार महर्षि देवल ने हिन्दुधर्म का पुनारुथ्थान करने में महत्व पूर्ण योगदान दिया.
महर्षि देवल एवं उनका भाष्य "देवल स्मृति" हिंदुत्व के इए वरदान साबीत हुए !
महर्षि देवल जैसे क्रांतिकारी विचारो के तपस्वियों ने समय समय पर हिन्दू धर्म में कालानुरूप सुधार करके इसे शत प्रतिशत खरा बना दिया है , जो की आज विश्वधर्म कहलाने योग्य है !
आज देवल मुनि को उनके कार्य के लिए मै नमन करता हु !

कृण्वन्तो विश्वमार्यम
जयति अखंड हिन्दू राष्ट्रं
हर हर महादेव
जय हो मैय्या की !
आपका - ठाकुर कुलदीप सिंह गहलोत
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आपत्ति प्यार पर नहीं ,छल पर है


आपत्ति प्यार पर नहीं ,छल पर है —— १८/०९/१४
लव जेहाद पर इन दिनों खूब चरचा हो रही है। सेक्युलर जमात इसे हिंदुत्व वादियों की साजिश बता रही है। कोर्ट सरकार और चुनावआयोग और उत्तर प्रदेश सरकार से लव जेहाद की बात करने वालों पर की गयी कार्यवाही का विवरण मांग रहा है। टीवी चेनल्स इस पर बहस चला रहे हैं। तारा शाहदेव जैसी लड़कियां टीवी पर अपने साथ हुए छल को बता रही हैं। लेकिन कुल मिला कर बहस किसी सार्थक नतीजे तक नहीं पहुँच रही है। जो विषय सामाजिक समरसता को बिगाड़ रहा है उस पर गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता होती है।
ये तो तय है की ये आज कल का ज्वलंत विषय है। ऐसे में कोर्ट द्वारा कार्यवाही करने के लिए नहीं बल्कि इसकी असलियत जानने के लिए जांच का आदेश देना चाहिए था। जिससे दूध का दूध और पानी का पानी हो सकता। भ्रांतियों का निवारण होता। मुस्लिम लड़कों के प्यार के अधिकार पर किसी को कोई आपत्ति नहीं है। तमाम घटनाएँ हुईं हैं। तमाम उदाहरण आँखों के सामने हैं। लगभग सभी मुस्लिम अभिनेताओं की पत्नियां हिन्दू हैं। उन्होंने ने कभी भी अपने को हिन्दू बनाकर या कलाई में कलावा बांधकर किसी से शादी नहीं की है।
संविधान में छल या प्रलोभन द्वारा धर्मांतरण को अपराध घोषित किया है। क्या हिन्दू नाम बताकर किसी को धोखा देकर धर्मांतरण करना जुर्म नहीं है ? हिन्दू नाम हिन्दू लड़कियों को फंसाने के लिए ही क्यों रखते हैं ? एक बार इंडोनेशिया के राष्ट्रपति सुकर्णो से यहां के मुस्लिम नेताओं ने पूंछा था,’आप का धर्म मुस्लिम है लेकिन नाम हिन्दू है क्यों ?’ सुकर्णो ने कहा,’मैंने पूजा पद्धति बदली है पुरखे नहीं।’ इस सिद्धांत का अनुसरण मुस्लिम क्यों नहीं करते? जब की उनके पुरखे राम और कृष्ण ही हैं कोई मोहम्मद या अली नहीं। इस वास्तविकता को स्वीकार करने का साहस मुस्लिम समाज को दिखाना चाहिए। तब उन्हें इस धोखाधड़ी का सहारा नहीं लेना पडेगा। ये अभारतीय पृथक पहिचान का दुराग्रह, साम्प्रदायिकता का मूल कारण है।
सऊदी अरब में मोहम्मद का रौजा हटाने पर कुछ अन्धमुस्लिम भारत में प्रदर्शन कर रहे हैं। जबकि उन्हें सऊदी अरब से शिक्षा लेनी चाहिए। प्यार को भी जेहाद का अंग बनाने वालों से वैसे इसकी उम्मीद बेमानी है।

Vcp Agnihotri

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कश्मीरी हिंदुओंके पुनर्वास हेतु ‘पनून कश्मीर’


agar aap koi koi madat dana chaya to is samiti se sampark kara navyuvak jagat guru satsang samiti ke naam se chque,dd ye money order is address par sampark kara 31,fire birgade road fatehgarh bhopal (m.p) mo:-7748019073,9827751485,8989441615
कश्मीरी हिंदुओंके पुनर्वास हेतु ‘पनून कश्मीर’
१९९० में कश्मीरमें जिहादी आतंकवादियोंद्वारा किए अत्याचारोंके कारण कश्मीरी हिंदू विस्थापित हुए । निर्वासितोंकी छावनियोंमें उन्हें अत्यंत यातनामय जीवन व्यतीत करना पडा । आगे उन्होंने अपना संगठन बनाया ‘पनून कश्मीर’ (हमारा कश्मीर) । कश्मीरी हिंदुओंपर हुए अन्यायोंको उजागर करने (स्वर देने) और अलगाववादियोंद्वारा कश्मीरको भारतसे अलग करनेके प्रयत्नोंका विरोध करने हेतु ‘पनून कश्मीर’ प्रयास करता है ।

उद्देश्य : कश्मीरी हिंदुओंके लिए कश्मीरमें स्वतंत्र ‘होमलैंड’ निर्माण करना

Posted in हिन्दू पतन

हिन्दू कल भी मरा था हिन्दू आज भी मर रहा है.. १९८९ से अबतक हिन्दुओं के हालात पर एक नजर डालते हैं..:


हिन्दू कल भी मरा था हिन्दू आज भी मर रहा है.. १९८९ से अबतक हिन्दुओं के हालात पर एक नजर डालते हैं..:

*१९८९-९० में कश्मीरी पंडितों की लड़कियों की इज्जत लुटी गई. पंडितो को या तो मार दिया गया या फिर कश्मीर से खदेड़ दिया गया

*उसी समय मंडल कमीशन लाकर १९९० में तत्कालीन प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह द्वारा हिन्दुओं के बीच जहर भरने के बाद कई ऊँची जाति वाले हिन्दुओं ने आत्मदाह किया और कई को गोली मार दी गई..

*उसके बाद आडवाणी और बाजपेयी द्वारा कमंडल थ्योंरी अपनाई गई जिसक बाद बाबरी ढॉचा ढाहने के प्रयास में मुलायम सिंह यादव ने कई सौ हिन्दुओं को गोली मरवाई जिसमें बूढ़े और औरते भी शामिल थे…

*हैरानी की बात तब हुई जब उसी समय एक छोटा या पिद्दी देश बॉग्लादेश में बाबरी विध्वंस के विरोध में मुल्ले हिन्दुओं की लड़कियों की इज्जत लुट रहे थे..मंदिरों को ढाहा जा रहा था और हिन्दुओं को भारत भागने का हुक्म जारी किया गया था और हिन्दुओं को यहॉ शरण लेना पड़ा. कई मुसलमान बन गये और कई हिन्दु लड़कियॉ अपनी जान बचाने के लिए मुस्लिमों की रखैल बन गई..

*इस बात का ना तो मानवाधिकार आयोग ने विरोध किया ना ही विश्व विरादरी ने.

*मुलायम सिंह भी उ प्र में हिन्दुओं पर गोलियॉ बरसा रहे थे ताकि पाकिस्तान , बॉग्लादेश और उ प्र के मुस्लिमों को खुश किया जा सके.

* ये कैसा अनर्थ था कि हिन्दु अपने ही देश में मारे जा रहे थे.

* इस घटना के बाद दाउद द्वारा प्रयोजित मुंम्बई बम कांड में कई हजार हिन्दु मारे गये.

* इस बीच १९८९-२००४ के बीच हजारों हिन्दु बिहार में लालू सरकार के राजनीतिक बिसात में मारे गये. कभी रणबीर सेना के नाम पर तो कभी एमसीसी के नाम पर.

* सन् २००२ में मुसलमानों ने गुजरात के गोधरा में ६८ हिन्दू औरतो और बच्चों को साबरमती एक्स में जलाकर मार दिया. जिसका प्रतिशोध पहली बार हिन्दुओं ने किया जिसमें हजारों मुसलमानों को मार डाला गया. जिसके नाम पर कई जॉच बैठे और मानवाधिकार और मिडिया वाले छाती पीटे. क्योंकि पहली बार मुसलमानों को सबक सिखाया गया था.

*आसाम और केरल से हिन्दुओं को मार भगाया गया. आज इन राज्यों में हिन्दु अल्पमत है. मुसलमान परस्त मुलायम सरकार को यादव और मुसलमान मिलकर कंधा दे रहे हैं और हिन्दुओं की बड़ी आबादी खुद को असमर्थ पा रही है.

*हिन्दुत्व का पक्ष लेने वाली एक मात्र बीजेपी पार्टी को हर रोज मिडिया निशाना बनाती है. दुसरी पार्टियॉ हर रोज ताना मारती हैं. गलती सिर्फ ये है कि बीजेपी हिन्दुओं की आवाज उठाती है .

मैं नहीं मानता कि हिन्दु बहुसंख्यक हैं भारत में … पाकिस्तान और बांग्लादेश के हिन्दुओं जैसा हाल है इनका. आने वाले वर्षों में भारत की राजनीति हिन्दुओं को लील जाएगी और हिन्दु इतिहास में दफन हो जाएँगे.

हिन्दू कल भी मरा था हिन्दू आज भी मर रहा है.. १९८९ से अबतक हिन्दुओं के हालात पर एक नजर डालते हैं..:

*१९८९-९० में कश्मीरी पंडितों की लड़कियों की इज्जत लुटी गई. पंडितो को या तो मार दिया गया या फिर कश्मीर से खदेड़ दिया गया

*उसी समय मंडल कमीशन लाकर १९९० में तत्कालीन प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह द्वारा हिन्दुओं के बीच जहर भरने के बाद कई ऊँची जाति वाले हिन्दुओं ने आत्मदाह किया और कई को गोली मार दी गई..

*उसके बाद आडवाणी और बाजपेयी द्वारा कमंडल थ्योंरी अपनाई गई जिसक बाद बाबरी ढॉचा ढाहने के प्रयास में मुलायम सिंह यादव ने कई सौ हिन्दुओं को गोली मरवाई जिसमें बूढ़े और औरते भी शामिल थे...

*हैरानी की बात तब हुई जब उसी समय एक छोटा या पिद्दी देश बॉग्लादेश में बाबरी विध्वंस के विरोध में मुल्ले हिन्दुओं की लड़कियों की इज्जत लुट रहे थे..मंदिरों को ढाहा जा रहा था और हिन्दुओं को भारत भागने का हुक्म जारी किया गया था और हिन्दुओं को यहॉ शरण लेना पड़ा. कई मुसलमान बन गये और कई हिन्दु लड़कियॉ अपनी जान बचाने के लिए मुस्लिमों की रखैल बन गई..

*इस बात का ना तो मानवाधिकार आयोग ने विरोध किया ना ही विश्व विरादरी ने. 

*मुलायम सिंह भी उ प्र में हिन्दुओं पर गोलियॉ बरसा रहे थे ताकि पाकिस्तान , बॉग्लादेश और उ प्र के मुस्लिमों को खुश किया जा सके. 

* ये कैसा अनर्थ था कि हिन्दु अपने ही देश में मारे जा रहे थे.

* इस घटना के बाद दाउद द्वारा प्रयोजित मुंम्बई बम कांड में कई हजार हिन्दु मारे गये. 

* इस बीच १९८९-२००४ के बीच हजारों हिन्दु बिहार में लालू सरकार के राजनीतिक बिसात में मारे गये. कभी रणबीर सेना के नाम पर तो कभी एमसीसी के नाम पर. 

* सन् २००२ में मुसलमानों ने गुजरात के गोधरा में ६८ हिन्दू औरतो और बच्चों को साबरमती एक्स में जलाकर मार दिया. जिसका प्रतिशोध पहली बार हिन्दुओं ने किया जिसमें हजारों मुसलमानों को मार डाला गया. जिसके नाम पर कई जॉच बैठे और मानवाधिकार और मिडिया वाले छाती पीटे. क्योंकि पहली बार मुसलमानों को सबक सिखाया गया था. 

*आसाम और केरल से हिन्दुओं को मार भगाया गया. आज इन राज्यों में हिन्दु अल्पमत है. मुसलमान परस्त मुलायम सरकार को यादव और मुसलमान मिलकर कंधा दे रहे हैं और हिन्दुओं की बड़ी आबादी खुद को असमर्थ पा रही है. 

*हिन्दुत्व का पक्ष लेने वाली एक मात्र बीजेपी पार्टी को हर रोज मिडिया निशाना बनाती है. दुसरी पार्टियॉ हर रोज ताना मारती हैं. गलती सिर्फ ये है कि बीजेपी हिन्दुओं की आवाज उठाती है . 

मैं नहीं मानता कि हिन्दु बहुसंख्यक हैं भारत में ... पाकिस्तान और बांग्लादेश के हिन्दुओं जैसा हाल है इनका. आने वाले वर्षों में भारत की राजनीति हिन्दुओं को लील जाएगी और हिन्दु इतिहास में दफन हो जाएँगे.
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एक कुत्ते को मच्छर से प्यार हो गया….. दोनों ने शादी कर ली… भावुक होकर मच्छर ने कुत्ते को किस किया तो कुत्ते नेभी प्यार से मच्छर को काटा…


एक कुत्ते को
मच्छर से प्यार हो गया…..
दोनों ने शादी कर ली…
भावुक होकर मच्छर ने
कुत्ते को किस किया
तो कुत्ते नेभी प्यार से
मच्छर को काटा…








बाद में कुत्ता मलेरिया
से मर गया
और मच्छर रेबीज
से…
-शिक्षा :- दूसरे धर्म में
शादी करोगे तो ऐसा ही होगा
यह है लव जीहाद हा हा हा

Posted in भारत का गुप्त इतिहास- Bharat Ka rahasyamay Itihaas

Hyderabad 1948: India’s hidden massacre


Hyderabad 1948: India’s hidden massacre
…………………………………………
When India was partitioned in 1947, about 500,000 people died in communal rioting, mainly along the borders with Pakistan. But a year later another massacre occurred in central India, which until now has remained clouded in secrecy.

In September and October 1948, soon after independence from the British Empire, tens of thousands of people were brutally slaughtered in central India. Some were lined up and shot by Indian Army soldiers. Yet a government-commissioned report into what happened was never published and few in India know about the massacre. Critics have accused successive Indian governments of continuing a cover-up.

The massacres took place a year after the violence of partition in what was then Hyderabad state, in the heart of India. It was one of 500 princely states that had enjoyed autonomy under British colonial rule.
When independence came in 1947 nearly all of these states agreed to become part of India.

Some important points:
……………………………………..
• Members of the powerful Razakar militia, the armed wing of Hyderabad’s most powerful Muslim political party, were terrorising many Hindu villagers.
• The backlash was said to have been in response to many years of intimidation and violence against Hindus by the Razakars.
• In confidential notes attached to the Sunderlal report, its authors detailed the gruesome nature of the Hindu revenge: “In many places we were shown wells still full of corpses that were rotting. In one such we counted 11 bodies, which included that of a woman with a small child sticking to her breast. ”
• It is also unclear why, all these decades later, there is still no reference to what happened in the nation’s schoolbooks. Even today few Indians have any idea what happened.
• Leaders of Razakars were related to Muslim League, British media even reported them receiving weapons from Pakistan to kill Hindus. The violence against Hindus started in 1946 when they saw British are leaving which mean Hyderabad would integrate to India because of the Hindu majority putting end to their rule in Hyderabad.

The autocracy of the Nizam undoubtedly had a pro-Muslim, anti-Hindu aspect to it. The Nizam’s administration was largely Muslim, Urdu was imposed on his subjects, and the Razakars’ actions were targeted against Hindus. The Arya Samaj, which took up cudgels for the ‘Hindu masses’ against ‘Muslim oppressors’, took over the leadership of the anti-Nizam movement partly owing to the late arrival of the Congress; until 1940 the Indian National Congress did not take up the people’s struggle in the princely state.
………………………………………………..
Question is ‘’ Has Telangana forgotten the Jihadi Razakar atrocities? ‘’

Share this out and make people aware of our History, which has been distorted as the Political Gains by Congress Regime.

— with Rayvi Kumar and 14 others.

Dhruv Kumar's photo.
Dhruv Kumar's photo.
Posted in भारत का गुप्त इतिहास- Bharat Ka rahasyamay Itihaas

जब इब्राहिम लिंकन भारत दौरे पर आ रहे थे तब उन्होने


एक राजपूत हो तो जरुर पढना गर्व हो तो कमेंट में “जय महाराणा” लिख
कर शेयर कर देना ये आप का कर्तव्य हैं …।
Like√…comment√…share√….
जब इब्राहिम लिंकन भारत दौरे पर आ रहे थे तब उन्होने
अपनी माँ से पूछाकी हिंदुस्तान से आपके
लिए क्या लेकर आऐ।
तब माँ का जवाब मिला “ उस महान देश
की वीर
भूमि हल्दी घाटी से एक
मुट्टी धूल लेकरआना जहा का राजा अपने प्रजा के
प्रति इतना वफ़ा दार था कि उसने आधे हिंदुस्तान के बदले
आपनी मातृभूमि को चुना “ बद किस्मत से
उनका वो दौरा रदद्ध हो गया था। ”बुक ऑफ़ प्रेसिडेंट यु एस ए ‘
किताब में आप ये बात पढ़ सकते है।
।।जय महाराणा प्रताप सिंह।।

एक राजपूत हो तो जरुर पढना गर्व हो तो कमेंट में "जय महाराणा" लिख
कर शेयर कर देना ये आप का कर्तव्य हैं ...।
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जब इब्राहिम लिंकन भारत दौरे पर आ रहे थे तब उन्होने
अपनी माँ से पूछाकी हिंदुस्तान से आपके
लिए क्या लेकर आऐ।
तब माँ का जवाब मिला “ उस महान देश
की वीर
भूमि हल्दी घाटी से एक
मुट्टी धूल लेकरआना जहा का राजा अपने प्रजा के
प्रति इतना वफ़ा दार था कि उसने आधे हिंदुस्तान के बदले
आपनी मातृभूमि को चुना “ बद किस्मत से
उनका वो दौरा रदद्ध हो गया था। ”बुक ऑफ़ प्रेसिडेंट यु एस ए ‘
किताब में आप ये बात पढ़ सकते है।
।।जय महाराणा प्रताप सिंह।।