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अंतर्राष्ट्रीय कूटनीतिक कुटिलताओं की कोख में पनपे कठिनतम सवालों की कठोरतम कसौटी ही


अंतर्राष्ट्रीय कूटनीतिक कुटिलताओं की कोख में पनपे कठिनतम सवालों की कठोरतम कसौटी ही किसी को वैश्विक नेताओं की पंक्ति में खड़ा करने या ना करने का निर्णय करती है…….
रूस-उक्रेन विवाद से संबंधित ऐसे ही एक कठिन सवाल की ऐसी ही एक कठोर कसौटी पर प्रधानमंत्री नरेंद्र भाई मोदीजी आज खरे उतरे हैं……

“पहला पत्थर वो मारे, जिसने कोई पाप ना किया हो” ऐसे समय में उपदेश देने वालों की संख्या तो बहुत रहती है. लेकिन यदि ध्यान दीजिये तो पता चलता है कि कभी किसी समय ऐसा पाप उन्होंने खुद भी किया है”…….

अमेरिकी न्यूजचैनल CNN के साथ अपनी बातचीत के दौरान रूस-उक्रेन विवाद पर उनसे पूछे गए सवाल के जवाब में प्रधानमंत्री नरेंद्र भाई मोदीजी द्वारा की गयी उपरोक्त टिप्पणी कोई सामान्य या साधारण टिप्पणी नहीं है……

अपनी इस एक सधी हुई स्पष्ट और साहसिक टिप्पणी से प्रधानमंत्री नरेंद्र भाई मोदीजी ने जहां अमेरिका और उसके पिछलग्गू पश्चिमी देशों की वैश्विक चौधराहट को आइना दिखाने में कोई संकोच नहीं किया. वहीँ हिंदुस्तान के शक्तिशाली मित्र रूस को भी ये सन्देश दे दिया कि उसके आतंरिक मामलों में किसी वैश्विक चौधराहट की अनचाही घुसपैठ का समर्थन वो कतई नहीं करेंगे. अमेरीका की अवांछित वैश्विक चौधराहट से ऊबे और परेशान लैटिन अमेरिका समेत दुनिया के अनेक देशों में नरेंद्र भाई मोदीजी की इस टिप्पणी का जोरदार स्वागत होगा…….
अपनी बहुप्रचारित बहुप्रतीक्षित बहुअर्थी बहुआयामी अमेरीकी यात्रा के ठीक पहले अपनी इस टिप्पणी से प्रधानमंत्री नरेंद्र भाई मोदीजी ने अमेरिका को भी यह स्पष्ट सन्देश दे दिया है कि एक स्वतंत्र सम्प्रभु राष्ट्र का साहसी स्वाभिमानी सक्षम प्रधानमंत्री अमेरिकी राष्ट्रपति ओबामा से मिलने आ रहा है……..

हिन्दुस्तानी जनमानस के लियह दुर्लभतम अनुभूति है……..
अतीत में ऐसे साहसी स्वाभिमानी सक्षम तेवरों वाले किसी प्रधानमंत्री का कोई दूसरा उदाहरण याद नहीं आता…….