Posted in आयुर्वेद - Ayurveda

हृदय की बीमारी


*हृदय की बीमारी* आयुर्वेदिक इलाज !! हमारे देश भारत मे 3000 साल एक बहुत बड़े ऋषि हुये थे उनका नाम था महाऋषि वागवट जी !! उन्होने एक पुस्तक लिखी थी जिसका नाम है अष्टांग हृदयम!!(Astang hrudayam) और इस पुस्तक मे उन्होने ने बीमारियो को ठीक करने के लिए 7000 सूत्र लिखे थे ! ये उनमे से ही एक सूत्र है !! वागवट जी लिखते है कि कभी भी हृदय को घात हो रहा है ! मतलब दिल की नलियों मे blockage होना शुरू हो रहा है ! तो इसका मतलब है कि रकत (blood) मे acidity(अम्लता ) बढ़ी हुई है ! अम्लता आप समझते है ! जिसको अँग्रेजी मे कहते है acidity !! अम्लता दो तरह की होती है ! एक होती है पेट कि अम्लता ! और एक होती है रक्त (blood) की अम्लता !! आपके पेट मे अम्लता जब बढ़ती है ! तो आप कहेंगे पेट मे जलन सी हो रही है !! खट्टी खट्टी डकार आ रही है ! मुंह से पानी निकाल रहा है ! और अगर ये अम्लता (acidity)और बढ़ जाये ! तो hyperacidity होगी ! और यही पेट की अम्लता बढ़ते-बढ़ते जब रक्त मे आती है तो रक्त अम्लता(blood acidity) होती !! और जब blood मे acidity बढ़ती है तो ये अम्लीय रकत (blood) दिल की नलियो मे से निकल नहीं पाता ! और नलिया मे blockage कर देता है ! तभी heart attack होता है !! इसके बिना heart attack नहीं होता !! और ये आयुर्वेद का सबसे बढ़ा सच है जिसको कोई डाक्टर आपको बताता नहीं ! क्योंकि इसका इलाज सबसे सरल है !! इलाज क्या है ?? वागबट जी लिखते है कि जब रक्त (blood) मे अम्लता (acidity) बढ़ गई है ! तो आप ऐसी चीजों का उपयोग करो जो क्षारीय है ! आप जानते है दो तरह की चीजे होती है ! अम्लीय और क्षारीय !! (acid and alkaline ) अब अम्ल और क्षार को मिला दो तो क्या होता है ! ????? ((acid and alkaline को मिला दो तो क्या होता है )????? neutral होता है सब जानते है !! तो वागबट जी लिखते है ! कि रक्त की अम्लता बढ़ी हुई है तो क्षारीय(alkaline) चीजे खाओ ! तो रकत की अम्लता (acidity) neutral हो जाएगी !!! और रक्त मे अम्लता neutral हो गई ! तो heart attack की जिंदगी मे कभी संभावना ही नहीं !! ये है सारी कहानी !! अब आप पूछोगे जी ऐसे कौन सी चीजे है जो क्षारीय है और हम खाये ????? आपके रसोई घर मे सुबह से शाम तक ऐसी बहुत सी चीजे है जो क्षारीय है ! जिनहे आप खाये तो कभी heart attack न आए ! और अगर आ गया है ! तो दुबारा न आए !! सबसे ज्यादा आपके घर मे क्षारीय चीज है वह है लौकी !! जिसे दुदी भी कहते है !! english मे इसे कहते है bottle gourd !!! जिसे आप सब्जी के रूप मे खाते है ! इससे ज्यादा कोई क्षारीय चीज ही नहीं है ! तो आप रोज लौकी का रस निकाल-निकाल कर पियो !! या कच्ची लौकी खायो !! रामदेव को आपने कई बार कहते सुना होगा लौकी का जूस पीयो, लौकी का जूस पीयों ! 3 लाख से ज्यादा लोगो को उन्होने ठीक कर दिया लौकी का जूस पिला पिला कर !! और उसमे हजारो डाक्टर है ! जिनको खुद heart attack होने वाला था !! वो वहाँ जाते है लौकी का रस पी पी कर आते है !! 3 महीने 4 महीने लौकी का रस पीकर वापिस आते है आकर फिर clinic पर बैठ जाते है ! वो बताते नहीं हम कहाँ गए थे ! वो कहते है हम न्युयार्क गए थे हम जर्मनी गए थे आपरेशन करवाने ! वो राम देव के यहाँ गए थे ! और 3 महीने लौकी का रस पीकर आए है ! आकर फिर clinic मे आपरेशन करने लग गए है ! और वो आपको नहीं बताते कि आप भी लौकी का रस पियो !! तो मित्रो जो ये रामदेव बताते है वे भी वागवट जी के आधार पर ही बताते है !! वागवतट जी कहते है रकत की अम्लता कम करने की सबे ज्यादा ताकत लौकी मे ही है ! तो आप लौकी के रस का सेवन करे !! कितना करे ????????? रोज 200 से 300 मिलीग्राम पियो !! कब पिये ?? सुबह खाली पेट (toilet जाने के बाद ) पी सकते है !! या नाश्ते के आधे घंटे के बाद पी सकते है !! इस लौकी के रस को आप और ज्यादा क्षारीय बना सकते है ! इसमे 7 से 10 पत्ते के तुलसी के डाल लो तुलसी बहुत क्षारीय है !! इसके साथ आप पुदीने से 7 से 10 पत्ते मिला सकते है ! पुदीना बहुत क्षारीय है ! इसके साथ आप काला नमक या सेंधा नमक जरूर डाले ! ये भी बहुत क्षारीय है !! लेकिन याद रखे नमक काला या सेंधा ही डाले ! वो दूसरा आयोडीन युक्त नमक कभी न डाले !! ये आओडीन युक्त नमक अम्लीय है !!!! तो मित्रों आप इस लौकी के जूस का सेवन जरूर करे !! 2 से 3 महीने आपकी सारी heart की blockage ठीक कर देगा !! 21 वे दिन ही आपको बहुत ज्यादा असर दिखना शुरू हो जाएगा !!! कोई आपरेशन की आपको जरूरत नहीं पड़ेगी !! घर मे ही हमारे भारत के आयुर्वेद से इसका इलाज हो जाएगा !! और आपका अनमोल शरीर और लाखो रुपए आपरेशन के बच जाएँगे !! और पैसे बच जाये ! तो किसी गौशाला मे दान कर दे ! डाक्टर को देने से अच्छा है !किसी गौशाला दान दे !! हमारी गौ माता बचेगी तो भारत बचेगा !! आपने पूरी पोस्ट पढ़ी आपका बहुत बहुत धन्यवाद !! – यदि आपको लगता है कि मेने ठीक कहा है तो आप ये जानकारी सभी तक पहुचाए।

आचार्य विकाश शर्मा

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प्रत्येक वर्ष भारत में 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस


प्रत्येक वर्ष भारत में 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के रुप में मनाया जाता है। भारत के लोकों के लिये ये दिवस अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। वर्षों की गुलामी के बाद ब्रिटिश शासन से इसी दिवस भारत को आजादी मिली। 15 अग्स्त 1947 को ब्रिटिश साम्राज्य से देश की स्वतंत्रता को सम्मान देने के लिये पूरे भारत में राष्ट्रीय और राजपत्रित अवकाश के रुप में इस दिन को घोषित किया गया है। आपको पता है ? “डोमिनियन स्टेट” के रूप में स्वतंत्र भारत के पहले गर्वनर जनरल लार्ड माउन्टबेटन तथा दूसरे गर्वनर जनरल राजगोपालचारी थे। दोनों ने ही “ब्रिटिश क्राउन” के प्रति वफादारी की शपथ ली थी। भारत में गणतंत्र स्थापना के सन्दर्भ में पहली विस्तृत चर्चा 22 अप्रैल, 1949 को लन्दन में “ब्रिटिश कामनवेल्थ” के प्रधानमंत्रियों के सम्मेलन में हुई थी। इसमें भारत के प्रधानमंत्री के नाते पं. जवाहर लाल नेहरू भी उपस्थित थे। ब्रिटिश प्रधानमंत्री एटली ने इसमें मुख्य भूमिका निभाई। यह सम्मेलन 6 दिन तक चला। अंतिम दिन, 29 अप्रैल को भारत के गणतंत्र की स्थापना की “अनुमति” दी गई तथा सभी प्रधानमंत्रियों की ओर से एक “संयुक्त घोषणा”, ब्रिटिश प्रधानमंत्री के एक “नोट” के साथ प्रकाशित हुई। इस संयुक्त घोषणा द्वारा भारत को प्रभुता सम्पन्न गणतंत्र की स्वीकृति दी गई। साथ ही भारत के “ब्रिटिश कामनवेल्थ” का सदस्य बने रहने तथा “ब्रिटिश क्राउन” की प्रमुखता स्वीकार करने की भी बात की गई। :-► इण्डिया कॉन्सीकुवैनशियल (प्रोवीजन्स) एक्ट क्या है ? :-►”ब्रिटिश कामनवेल्थ देशों” की व्याख्या क्या है ? :-► इंडियन इंडिपेंडेंस एक्ट १९४७ कलम २ इस धारा के अंतर्गत कलम ८ ( २ ) क्या है ? :-► ब्रिटिश सदन में पारित गवर्नमेंट ऑफ़ इंडिया एक्ट १९३५ हम पर क्या असर करता है ? :-► भारत आज भी कितने विद्यमान ब्रिटिश कानूनों से बंधा है ? :-► किस संधि के आधार पर हमें स्वतंत्रता मिली ? :-► हमारे देश का आधिकारिक नाम + राष्ट्रीय भाषा क्या है ? :-► १९५०, २६ जनवरी को भारत प्रजासत्ताक हुवा फिर १९५८ तक हमारी सेना के प्रमुख ब्रिटिशर क्यों थे ? :-► ९ जून १९५२ को जापान से शान्ति करार क्यों करना पड़ा ? :- ► डोमिनियन की व्याख्या क्या है ? :-► अधिराज्य + उपनिवेश का अर्थ क्या है ? भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम १९४७ (Indian Independence Act 1947) युनाइटेड किंगडम की पार्लियामेंट द्वारा पारित वह विधान है जिसके अनुसार ब्रिटेन शासित भारत का दो भागों (भारत तथा पाकिस्तान) में विभाजन किया गया। यह अधिनियम को 18 जुलाई 1947 को स्वीकृत हुआ और १५ अगस्त १९४७ को भारत बंट गया। क्या हमारा वर्तमान संविधान इसे स्वीकारता है ? प्रधानमंत्री की सपथ : भारत के संविधा प्रति सच्ची श्रद्धा और निष्ठा रखूँगा। में भारत की प्रभुता और अखण्डता का अक्षुण्ण रखूंगा। में संघ के प्रधानमंत्री के रूप में अपने कर्तव्यों का श्रद्धापूर्वक और शुद्ध अंतःकरण से निर्वहन करूँगा तथा मैं भय या पक्षपात, अनुराग या द्वेष के बिना, सभी प्रकार के लोगों के प्रति संविधान और विधि के अनुसार न्याय करूँगा।’ ‘मैं, ईश्वर की शपथ लेता हूँ कि जो विषय संघ के प्रधानमंत्री के रूप में मेरे विचार के लिए लाया जाएगा अथवा मुझे ज्ञात होगा उसे किसी व्यक्ति या व्यक्तियों को, तब के सिवाय जबकि प्रधान मंत्री के रूप में अपने कर्तव्यों के सम्यक्‌ निर्वहन के लिए ऐसा करना अपेक्षित हो, मैं प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से संसूचित या प्रकट नहीं करूँगा।’ मित्रों इस सपथ विधि के शब्दों में कही पर भारत देश / हिन्दुस्थान / या देश का नाम नहीं लिया जाता ! और संघ के प्रधान मंत्री शब्द का उपयोग किया होता है ! यह संघ शब्दों की व्याख्या कया ? क्यों भारत देश ऐसा नहीं बोला या लिखा जाता ? अत: भारत में गणतंत्र की स्थापना “ब्रिटिश कामनवेल्थ देशों” के संयोग तथा “ब्रिटिश क्राउन” की सहमति से हुई। साथ ही विद्यमान ब्रिटिश कानूनों का प्रतिबन्ध लगा, जब तक कि उन्हें कानूनी प्रक्रिया द्वारा भंग न कर दिया जाए। इस दृष्टि से भारत एक प्रभुसत्ता सम्पन्न गणतंत्र होने पर भी ब्रिटिश कानून मानने के लिए बाध्य रहा। तो क्या हमारा राष्ट्र ‘ भारत ‘ सम्पूर्ण स्वततंत्र है ? क्या हम आजाद है ? या हम आज भी ब्रिटिश के ‘ प्रादेशिक शासन स्वतंत्रता ‘ के अंतर्गत आते है ? डोमिनियन status शब्द की परिभाषा क्या है ? मीडिया को इस विषय पर डिबेट करनी चाहिए। राष्ट्र की हर नागरिक को इस सत्य से परिचित करने का राष्ट्र केे चौथे स्तंभ का दायित्व है। जय श्री कृष्ण …… भारत माता की जय ……. वंदे मातरम् ……. :-►

नीलेश जयपाल

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जेएनयू के एक प्रौफेसर


_*जेएनयू के एक प्रौफेसर, एक टीवी चैनल का रिपोर्टर और भारतीय सेना के एक कर्नल का कश्मीर में आतंकवादियों ने अपहरण कर लिया*_ तीनों को मौत के घाट उतारने का हुक्म हुआ । बन्दियों को मारने से पहले उनकी अन्तिम इच्छा पूछी गई । जेएनयू प्रौफेसर – “मैं तो कश्मीर को भारत से आजादी का समर्थक हूँ । आप कृपया मुझे न मारें । दिल्ली वापिस जाकर मैं आपकी दयालुता पर लम्बा व्याख्यान दूँगा ।” रिपोर्टर – “मुझे भी मत मारिये,जनाब, मैं भी भारत-सरकार को खूब कोसता हूँ । वापिस जाकर मैं आपकी विचारधारा पर अपने चैनल पर शानदार बहस कराऊँगा ।” कर्नल – “मेरी हत्या करने से पहले मुझे पीटा जाय ।” आतंकी सरगना (कर्नल से) – “तुम भी अपनी जान बख्शने के लिए गिड़गिड़ाओ, फिर हम अपना फैसला सुनायेंगे ।” कर्नल – “नहीं । मैं चाहता हूँ कि मेरी हत्या से पहले मुझे पीटा जाय” आतंकी सरगना के इशारे पर एक आतंकी ने भारतीय सेना के कर्नल पर अपनी एके-47 के बट से वार किया कर्नल ने फुर्ती से एके-47 छुड़ा ली और दनादन सभी आतंकियों को ढेर कर दिया प्रौफेसर और रिपोर्टर ने कर्नल से पूछा – “तुम्हारे अन्दर इतनी हिम्मत और हौसला था तो तुमने आतंकी से खुद को पिटवाया क्यों ? तुम ये फुर्ती और बहादुरी शुरू में भी दिखा सकते थे ।” _*कर्नल – “मैं चाहता था कि लड़ाई की पहल वो करें ।*_ _*क्योंकि अगर मैं पहल करता तो तुम दोनो मुझे ही कटघरे में खड़ा कर देते और सरकार एवं जनता को सफाई देते-देते मेरी उम्र गुजर जाती ।”*_ यह है हमारी व्यवस्था

शैलेश ओजा

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पाँच साल की बेटी बाज़ार में गोल गप्पे खाने के लिए मचल गई।


पाँच साल की बेटी बाज़ार में गोल गप्पे खाने के लिए मचल गई। “किस भाव से दिए भाई?” पापा नें सवाल् किया। “10 रूपये के 8 दिए हैं। गोल गप्पे वाले ने जवाब दिया……. . पापा को मालूम नहीं था गोलगप्पे इतने महँगे हो गये है…. जब वे खाया करते थे तब तो एक रुपये के 10 मिला करते थे। . पापा ने जेब मे हाथ डाला 15 रुपये बचे थे। बाकी रुपये घर की जरूरत का सामान लेने में खर्च हो गए थे। उनका गांव शहर से दूर है 10 रुपये तो बस किराए में लग जाने है। “नहीं भई 5 रुपये में 10 दो तो ठीक है वरना नही लेने। यह सुनकर बेटी नें मुँह फुला लिया…. “अरे अब चलो भी , नहीं लेने इतने महँगे। पापा के माथे पर लकीरें उभर आयीं …. “अरे खा लेने दो ना साहब.. अभी आपके घर में है तो आपसे लाड़ भी कर सकती है… कल को पराये घर चली गयी तो पता नहीं ऐसे मचल पायेगी या नहीं. … तब आप भी तरसोगे बिटिया की फरमाइश पूरी करने को… . . . . गोलगप्पे वाले के शब्द थे तो चुभने वाले पर उन्हें सुनकर पापा को अपनी बड़ी बेटी की याद आ गयी…. . . . जिसकी शादी उसने तीन साल पहले एक खाते -पीते पढ़े लिखे परिवार में की थी…… उन्होंने पहले साल से ही उसे छोटी छोटी बातों पर सताना शुरू कर दिया था….. दो साल तक वह मुट्ठी भरभर के रुपये उनके मुँह में ठूँसता रहा पर उनका पेट बढ़ता ही चला गया …. और अंत में एक दिन सीढियों से गिर कर बेटी की मौत की खबर ही मायके पहुँची….. . . आज वह छटपटाता है कि उसकी वह बेटी फिर से उसके पास लौट आये..? और वह चुन चुन कर उसकी सारी अधूरी इच्छाएँ पूरी कर दे… पर वह अच्छी तरह जानता है कि अब यह असंभव है. “दे दूँ क्या बाबूजी गोलगप्पे वाले की आवाज से पापा की तंद्रा टूटी… “रुको भाई दो मिनिट …. पापा पास ही पंसारी की दुकान थी उस पर गए जहाँ से जरूरत का सामान खरीदा था। खरीदी गई पाँच किलो चीनी में से एक किलो चीनी वापस की तो 40 रुपये जेब मे बढ़ गए। फिर ठेले पर आकर पापा ने डबडबायी आँखें पोंछते हुए कहा अब खिलादे भाई। हाँ तीखा जरा कम डालना। . . मेरी बिटिया बहुत नाजुक है…. सुनकर पाँच वर्ष की गुड़िया जैसी बेटी की आंखों में चमक आ गई . . और पापा का हाथ कस कर पकड़ लिया। जब तक बेटी हमारे घर है उनकी हर इच्छा जरूर पूरी करे,… क्या पता आगे कोई इच्छा पूरी हो पाये या ना हो पाये । ये बेटियां भी कितनी अजीब होती हैं ससुराल में कितना भी प्यार मिले….. माँ बाप की एक मुस्कान को तरसती है ये बेटियां…. ससुराल में कितना भी रोएँ पर मायके में एक भी आंसूं नहीं बहाती ये बेटियां…. क्योंकि बेटियों का सिर्फ एक ही आंसू माँ बाप भाई बहन को हिला देता है रुला देता है…. भगवान की अनमोल देंन हैं ये बेटियां …… हो सके तो बेटियों को बहुत प्यार दें उन्हें कभी भी न रुलाये क्योंकि ये अनमोल बेटी दो परिवार जोड़ती है दो रिश्तों को साथ लाती है। अपने प्यार और मुस्कान से। हम चाहते हैं कि सभी बेटियां खुश रहें हमेशा भले ही हो वो मायके में या ससुराल में। ●●●●●●●● खुशकिस्मत है वो जो बेटी के बाप हैं, उन्हें भरपूर प्यार दे, दुलार करें और यही व्यवहार अपनी पत्नी के साथ भी करें क्यों की वो भी किसी की बेटी है और अपने पिता की छोड़ कर आपके साथ पूरी ज़िन्दगी बीताने आयी है। उसके पिता की सारी उम्मीदें सिर्फ और सिर्फ आप से हैं।

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नरसिंह अवतार


🕉 नरसिंह अवतार 🕉 नृसिंह अवतार हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार भगवान विष्णु के दस अवतारों में से चतुर्थ अवतार हैं जो वैशाख में शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को अवतरित हुए। पृथ्वी के उद्धार के समय भगवान ने वाराह अवतार धारण करके हिरण्याक्ष का वध किया। उसका बड़ा भाई हिरण्यकशिपु बड़ा रुष्ट हुआ। उसने अजेय होने का संकल्प किया। सहस्त्रों वर्ष बिना जल के वह सर्वथा स्थिर तप करता रहा। ब्रह्मा जी सन्तुष्ट हुए। दैत्य को वरदान मिला। उसने स्वर्ग पर अधिकार कर लिया। लोकपालों को मार भगा दिया। स्वत सम्पूर्ण लोकों का अधिपति हो गया। देवता निरूपाय थे। असुर को किसी प्रकार वे पराजित नहीं कर सकते थे। हिरण्यकशिपु के चार पुत्र थें । एक दिन सहज ही अपने चारों पुत्रों में सबसे छोटे प्रह्लाद से पूछा बेटा, तुझे क्या अच्छा लगता है ? प्रह्लाद ने कहा – इन मिथ्या भोगों को छोड़कर वन में श्री हरि का भजन करना ये सुनकर हिरण्यकशिपु बहुत क्रोधित हो गया , उसने कहा – इसे मार डालो। यह मेरे शत्रु का पक्षपाती है। असुरों ने आघात किया। भल्ल-फलक मुड़ गये, खडग टूट गया, त्रिशूल टेढ़े हो गये पर वह कोमल शिशु अक्षत रहा। दैत्य चौंका। प्रह्लाद को विष दिया गया पर वह जैसे अमृत हो। सर्प छोड़े गये उनके पास और वे फण उठाकर झूमने लगे। मत्त गजराज ने उठाकर उन्हें मस्तक पर रख लिया। पर्वत से नीचे फेंकने पर वे ऐसे उठ खड़े हुए, जैसे शय्या से उठे हों। समुद्र में पाषाण बाँधकर डुबाने पर दो क्षण पश्चात ऊपर आ गये। घोर चिता में उनको लपटें शीतल प्रतीत हुई। गुरु पुत्रों ने मन्त्रबल से कृत्या (राक्षसी) उन्हें मारने के लिये उत्पन्न की तो वह गुरु पुत्रों को ही प्राणहीन कर गयी। प्रह्लाद ने प्रभु की प्रार्थना करके उन्हें जीवित किया। अन्त में हिरण्यकशिपु ने प्रह्लाद को बाँध दिया और स्वयं खड्ग उठाया। और कहा – तू किस के बल से मेरे अनादर पर तुला है , कहाँ है वह ? प्रह्लाद ने कहा – सर्वत्र? इस स्तम्भ में भी . प्रह्लाद के वाक्य के साथ दैत्य ने खंभे पर घूसा मारा। वह और समस्त लोक चौंक गये। स्तम्भ से बड़ी भयंकर गर्जना का शब्द हुआ। एक ही क्षण पश्चात दैत्य ने देखा समस्त शरीर मनुष्य का और मुख सिंह का, बड़े-बड़े नख एवं दाँत, प्रज्वलित नेत्र, स्वर्णिम सटाएँ, बड़ी भीषण आकृति खंभे से प्रकट हुई। दैत्य के अनुचर झपटे और मारे गये अथवा भाग गये। हिरण्यकशिपु को भगवान नृसिंह ने पकड़ लिया। मुझे ब्रह्माजी ने वरदान दिया है! छटपटाते हुए दैत्य चिल्लाया। दिन में या रात में न मरूँगा, कोई देव, दैत्य, मानव, पशु मुझे न मार सकेगा। भवन में या बाहर मेरी मृत्यु न होगी। समस्त शस्त्र मुझ पर व्यर्थ सिद्ध होंगे। भुमि, जल, गगन-सर्वत्र मैं अवध्य हूँ। नृसिंह बोले- देख यह सन्ध्या काल है। मुझे देख कि मैं कौन हूँ। यह द्वार की देहली, ये मेरे नख और यह मेरी जंघा पर पड़ा तू। अट्टहास करके भगवान ने नखों से उसके वक्ष को विदीर्ण कर डाला। वह उग्ररूप देखकर देवता डर गये, ब्रह्मा जी अवसन्न हो गये, महालक्ष्मी दूर से लौट आयीं, पर प्रह्लाद-वे तो प्रभु के वर प्राप्त पुत्र थे। उन्होंने स्तुति की। भगवान नृसिंह ने गोद में उठा कर उन्हें बैठा लिया और स्नेह करने लगे।

चेतन जा

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शायद उस दिन.


*शायद उस दिन…!* मेरे परदादा, संस्कृत और हिंदी जानते थे। माथे पे तिलक, और सर पर पगड़ी बाँधते थे।। फिर मेरे दादा जी का, दौर आया। उन्होंने पगड़ी उतारी, पर जनेऊ बचाया।। मेरे दादा जी, अंग्रेजी बिलकुल नहीं जानते थे। जानना तो दूर, अंग्रेजी के नाम से कन्नी काटते थे।। मेरे पिताजी को अंग्रेजी, थोड़ी थोड़ी समझ में आई। कुछ खुद समझे, कुछ अर्थ चक्र ने समझाई।। पर वो अंग्रेजी का प्रयोग, मज़बूरी में करते थे। यानि सभी सरकारी फार्म, हिन्दी में ही भरते थे।। जनेऊ उनका भी, अक्षुण्य था। पर संस्कृत का प्रयोग, नगण्य था।। वही दौर था, जब संस्कृत के साथ, संस्कृति खो रही थी। इसीलिए संस्कृत, मृत भाषा घोषित हो रही थी।। धीरे धीरे समय बदला, और नया दौर आया। मैंने अंग्रेजी को पढ़ा ही नहीं, अच्छे से चबाया।। मैंने खुद को, हिन्दी से अंग्रेजी में लिफ्ट किया। साथ ही जनेऊ को, पूजा घर में सिफ्ट किया।। मै बेवजह ही दो चार वाक्य, अंग्रेजी में झाड जाता हूँ। शायद इसीलिए समाज में, पढ़ा लिखा कहलाता हूँ।। और तो और, मैंने बदल लिए कई रिश्ते नाते हैं। मामा, चाचा, फूफा, अब अंकल नाम से जाने जाते हैं।। मै टोन बदल कर वेद को वेदा, और राम को रामा कहता हूँ। और अपनी इस तथा कथित, सफलता पर गर्वित रहता हूँ।। मेरे बच्चे, और भी आगे जा रहे हैं। मैंने संस्कार चबाया था, वो अंग्रेजी में पचा रहे हैं।। यानि उन्हें दादी का मतलब, ग्रैनी बताया जाता है। रामा वाज ए हिन्दू गॉड, गर्व से सिखाया जाता है।। जब श्रीमती जी उन्हें, पानी मतलब वाटर बताती हैं। और अपनी इस प्रगति पर, मंद मंद मुस्काती हैं।। जाने क्यों मेरे पूजा घर की, जीर्ण जनेऊ चिल्लाती है। और मंद मंद, कुछ मन्त्र यूँ ही बुदबुदाती है।। कहती है – ये विकास, भारत को कहाँ ले जा रहा है। संस्कार तो गल गए, अब भाषा को भी पचा रहा है।। *संस्कृत की तरह हिन्दी भी,* *एक दिन मृत घोषित हो जाएगी*। *शायद उस दिन भारत भूमि,* *पूर्ण विकसित हो जाएगी॥* 🙏🙏 _इसके दोषी सिर्फ हम और हम ही हैं_

R K Nakeera

Posted in छोटी कहानिया - १०,००० से ज्यादा रोचक और प्रेरणात्मक

હું સવાર ના છાપું વાંચી રહયો હતો.


હું સવાર ના છાપું વાંચી રહયો હતો…ત્યાં..રસોડામાંથી મધુર અવાજ પત્નીનો સાંભળ્યો… એ ય ! સાંભળો છો.. ચ્હા-નાસ્તો તૈયાર છે. મારા દરેક કામ પડતા મૂકી તેનો સુરીલો અવાજ સાંભળવા નો લહાવો હું ચુકતો નથી … આ .એજ આવાજ..છે જયારે લગ્ન થયા હતા.. અને આજે ૬૧ વર્ષ ની ઉંમરે પણ આ જ શબ્દ ની મધુરતા…. આ એજ ધર્મપત્ની છે…જેની સાથે ૩૨ વર્ષ પહેલાં લગ્ન કર્યા હતા ત્યારે ..તેની સાથે દલીલ કરતા કરતા હું થાકી જતો.પણ એ હથિયાર કદી નીચે ના મુકતી… જબરજસ્ત જીવન માં ઉંમર પ્રમાણે પરિવર્તન છેલ્લા દશ વર્ષ થી હું જોઈ રહ્યો છું….તેનું અાધ્યાત્મિક લેવલ ઉપર જતું હતું.. ઘડપણ..આવે એટલે ઝગડા કરવા ની શક્તિ અદ્રશ્ય થતી જાય. સમજ શક્તિ ખીલતી જાય પહેલાં ..નાની.. નાની વાતો ઉપર દલીલ અને ઝગડા નું સ્વરૂપ લેતા હતા આજે.. દલીલો..ને હસવામાં કાઢી નાખીએ છીએ.. કારણ …સમય અને પરિસ્થિતિ ની થપ્પડ ઓ ભલ ભલ ને ઢીલા કરી નાખે છે… એક કારણ ઉમર નું પણ છે…સતત એક બીજા ને બીક લાગે છે… કયું પંખી કયારે ઉડી જશે તે ખબર નથી.. બચેલા દિવસો આનંદ અને મસ્તી થી વિતાવી લઈએ . પતિ…પત્ની ના સંબંધોમાં નિખાલસતા આવતી જાય.. જીતવા કરતા હારવા મા મજા આવતી જાય…દલીલ કરવા કરતાં..મૌન રહેવા મા મજા આવતી જાય… જેમ..જેમ એક બીજા ના શરીર પ્રત્યે ના આકર્ષણ ઓછું થતું જાય અને પ્રભુ પ્રત્યે ..નું આકર્ષણ વધતું જાય… સમજી જાવ..કે.ઘડપણ બારણે આવી ગયુ છે…. જે લોકો ઘડપણ મા ફક્ત રૂપિયા નું જ આયોજન કરે છે….તે લોકો હંમેશા દુઃખી હોય છે અને બીજા ને કરે છે… તેઓ ઘડપણ મા મંદિર કે બાગ બગીચા મા જવા નુ આયોજન નથી કરતા ..પણ બેંક મા પાસ બુક ભરવાનું આયોજન પહેલેથી કરી રાખે છે… તેમની જીંદગી બેન્ક અને ઘર વચ્ચે જ ખલાસ થઈ જાય છે… રૂપિયા એકલા માનસિક શાંતિ નું કારણ નથી….ઘણી વાર રૂપિયા પણ અશાંતિ નું કારણ બનતું હોય છે.. ઘડપણ માં લેવા કરતા છોડવાની ભાવના ,કટાક્ષ કરવા કરતા પ્રેમ ની ભાષા… સંતાન હોય કે સમાજ ..પૂછે એટલા નો જ જવાબ.. આપતા થશો ત્યારે ઘડપણ ની શોભા વધી જશે.. તમારી નિખાલસતા ,આનંદી સ્વભાવ અને જરૂર લાગે ત્યારે તટસ્થ અભિપ્રાય..એ તમારી ઘડપણ ની પહેચાન છે… મેં છાપા મા ધ્યાન કેન્દ્રિત કર્યું..ત્યાં જ દીકરીનો ફોન આવ્યો…..સેવા પુરી થઈ ગઇ હતી….પત્નીએ પોતે બનાવેલ સિદ્ધાંતો મુજબ હસી -ખુશી..ની વાતો.. કરવાની કોઈ ની પંચાત સાંભળવાની નહીં ..કે પોતે કરવાની નહી..ંતબિયત ની પુછા કરી…પછી..ફોન મને આપ્યો.. મે સ્વભાવ મુજબ સહેલી શિખામણ આપી..કીધુ બેટા ઘણા દિવસથી તુંનથી આવ્ી ..તારો ઘરે કયારે આવવાનો પ્રોગ્રામ છે…? દીકરી કહે …તમારા જમાઈને પૂછી ને કહીશ…સારું બેટા…. જય શ્રી ક્રિષ્ના… કહી મે ફોન મૂકી દીધો…. પત્ની કહે… તમે પણ શું ?એને આવવું હશે ત્યારે આવશે… હવે પૂછવાનું બંધ કરી દો… એ લોકો એમને ત્યાં આનંદ અને મસ્તી માં જીવે છે તો આપણે.. તે લોકોને યાદ કરી આપણો વર્તમાન શું કામ બગાડવો ?… લાગણી માટે યાચક ના થવાય..સમજ્યા… પત્ની હસ્તા હસ્તા બોલી..મારા જેવું રાખો.. “આવો તો પણ સારું..ના આવો તો પણ સારું.. તમારું સ્મરણ તે તમારા થી પ્યારું..”… પંખી ને પાંખો આવે એટલે ઉડે …ઉડવા દો …કોઈ દિવસ માળો યાદ આવશે ત્યારે આવશે… પણત્યારે માળો ખાલી હશે… પત્નીની આંખ મા પાણી હતા…પણજીંદગી જીવવાની જડ્ડી બુટ્ટી તેને શોધી લીધી હતી… તરત જ મન મક્કમ કરી બોલી લો ચા પીવો..અને નાહી લો…આજે શ્રાવણ મહિના નો શનિવાર છે…મંદિરે જવાનું છે.. પાંચ મિનિટ બેસ ..ને મેં હસ્તા.. હસ્તા કીધું , માલિકી હક્કની અસર છે આ બધી.. પત્ની કહે કંઈ સમજાયું નહીં.. મેં કીધું..તું પહેલા મને કહે… દીકરી ના લગ્ન થાય એટલે માલિકી હક્ક કોનો..માઁ બાપ નો કે જમાઈનો ? પત્ની કહે…હસ્તા..હસ્તા બોલી..આમ વિક્રમ.. વેંતલ જેવા સવાલ ના કરો..જે હોય તે સીધે સીધું કહો.. આનો મતલબ…પોતાની રીતે નિર્ણય લેવા પૂરતો પણ સક્ષમ નથી….બધું પત્ની ને પૂછી ને… એક માઁ બાપ જ દુનિયા મા એવા છે..કે તે કદી પોતાના સંતાન ની ખોડ..ખાપહણ..ને નજર અંદાજ કરી અવિરત પ્રેમ કરે છે… અરે , તમોને સવાર..સવાર માં થઈ શુ ગયું છે..? પત્ની બોલી.. પત્ની તે તારી લાગણી ઓને દબાવી દીધી છે…અને હું વ્યક્ત કરું છું…ફરક એટલો જ છે.. બાકી બન્ને ની વેદના એક સરખી જ છે.. જો …અપેક્ષા દુઃખો ની જનેતા છે….છોડ ને ..આ બધું…સવાર..સવાર માં મારા તરફ થી ફરિયાદ હોય તો કહે…પત્ની બોલી તારી વાત તો સાચી છે..એકલા..છીયે એટલે જ શાંતિ છે….રોજ.. રોજ.. દીકરા વહુ ના મૂડ પ્રમાણે ચાલવું એના કરતાં એકલા રેહવું સારું…આપણી જરૂરિયાત પણ કેટલી…. રોજ કિલો શાક સમારી ને આપો ,તો પણ વહુ તો એમજ કે ..ઘરડા માણસ થી કામ શું થાય ? ગઈ કાલે દીકરીનો પણ ફોન હતો..તે પણ રજા ની મુશ્કેલી છે…જમાઇ રાજ પણ આવું જ કેહતા હતા… પત્ની કહે ..બધાય પ્રવૃતિશીલ છે અને આપણે બન્ને જ નવરા… છીયે… દીકરા ને વહુ લઈ ગઈ… અને દીકરી ને જમાઇ રાજ… આપણે તો હતા ત્યાં ને ત્યાં.. ચલ આજે.. મૂડ નથી પિકચર જોવા જઈએ… કયું પિકચર જોવું છે…પત્ની બોલી. ચલ હવે ટેકો કર.. તો ઉભો થઇ શકીશ…. આ પગ પણ.. પત્ની ભેટી પડી…એટલું જ બોલી” “મેં હું ના” હું ફરીથી જાણે 25 વર્ષ નો નવ જુવાન થઈ ગયો… તેવી તાક્ત તેના શબ્દો એ મને આપી દીધી.. इक मन था मेरे पास वो, अब खोने लगा है पाकर तुझे … तुम हो जहाँ, साजन, मेरी दुनिया है वहीं पे दिन रात … मेरे प्यार भरे सपने, कहीं कोई न छीन ले… યજ્ઞેશ .

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जीवन के लिए


जीवन के लिए

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🔵 पत्नी ने कहा – आज धोने के लिए ज्यादा कपड़े मत निकालना…

🔴 पति- क्यों ??

🔵 उसने कहा -अपनी काम वाली बाई दो दिन नहीं आएगी…

🔴 पति- क्यों??

🔵 पत्नी- गणपति के लिए अपने नाती से मिलने बेटी के यहाँ जा रही है, बोली थी…

🔴 पति- ठीक है, अधिक कपड़े नहीं निकालता…

🔵 पत्नी- और हाँ गणपति के लिए पाँच सौ रुपए दे दूँ उसे ? त्यौहार का बोनस..

🔴 पति- क्यों? अभी दिवाली आ ही रही है, तब दे देंगे…

🔵 पत्नी- अरे नहीं बाबा!! गरीब है बेचारी, बेटी-नाती के यहाँ जा रही है, तो उसे भी अच्छा लगेगा… और इस महँगाई के दौर में उसकी पगार से त्यौहार कैसे मनाएगी बेचारी!!

🔴 पति- तुम भी ना… जरूरत से ज्यादा ही भावुक हो जाती हो…

🔵 पत्नी- अरे नहीं… चिंता मत करो… मैं आज का पिज्जा खाने का कार्यक्रम रद्द कर देती हूँ… खामख्वाह पाँच सौ रूपए उड़ जाएँगे, बासी पाव के उन आठ टुकड़ों के पीछे…

🔴 पति- वा, वा… क्या कहने!! हमारे मुँह से पिज्जा छीनकर बाई की थाली में??

🔵 तीन दिन बाद… पोंछा लगाती हुई कामवाली बाई से पति ने पूछा…

🔴 पति- क्या बाई?, कैसी रही छुट्टी?

🔵 बाई- बहुत बढ़िया हुई साहब… दीदी ने पाँच सौ रूपए दिए थे ना.. त्यौहार का बोनस..

🔴 पति- तो जा आई बेटी के यहाँ…मिल ली अपने नाती से…?

🔵 बाई- हाँ साब… मजा आया, दो दिन में 500 रूपए खर्च कर दिए…

🔴 पति- अच्छा ! मतलब क्या किया 500 रूपए का??

🔵 बाई- नाती के लिए 150 रूपए का शर्ट, 40 रूपए की गुड़िया, बेटी को 50 रूपए के पेढे लिए, 50 रूपए के पेढे मंदिर में प्रसाद चढ़ाया, 60 रूपए किराए के लग गए.. 25 रूपए की चूड़ियाँ बेटी के लिए और जमाई के लिए 50 रूपए का बेल्ट लिया अच्छा सा… बचे हुए 75 रूपए नाती को दे दिए कॉपी-पेन्सिल खरीदने के लिए… झाड़ू-पोंछा करते हुए पूरा हिसाब उसकी ज़बान पर रटा हुआ था…

🔴 पति- 500 रूपए में इतना कुछ???

🔵 वह आश्चर्य से मन ही मन विचार करने लगा…उसकी आँखों के सामने आठ टुकड़े किया हुआ बड़ा सा पिज्ज़ा घूमने लगा, एक-एक टुकड़ा उसके दिमाग में हथौड़ा मारने लगा… अपने एक पिज्जा के खर्च की तुलना वह कामवाली बाई के त्यौहारी खर्च से करने लगा… पहला टुकड़ा बच्चे की ड्रेस का, दूसरा टुकड़ा पेढे का, तीसरा टुकड़ा मंदिर का प्रसाद, चौथा किराए का, पाँचवाँ गुड़िया का, छठवां टुकड़ा चूडियों का, सातवाँ जमाई के बेल्ट का और आठवाँ टुकड़ा बच्चे की कॉपी-पेन्सिल का..आज तक उसने हमेशा पिज्जा की एक ही बाजू देखी थी, कभी पलटकर नहीं देखा था कि पिज्जा पीछे से कैसा दिखता है… लेकिन आज कामवाली बाई ने उसे पिज्जा की दूसरी बाजू दिखा दी थी… पिज्जा के आठ टुकड़े उसे जीवन का अर्थ समझा गए थे…

🔴 “जीवन के लिए खर्च” या “खर्च के लिए जीवन” का नवीन अर्थ एक झटके में उसे समझ आ गया…l

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अपनापन”पिता”बेटी


“अपनापन”पिता”बेटी”

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पापा मैंने आपके लिए हलवा बनाया है 11साल की बेटी अपने पिता से बोली जो कि अभीofficeसे घर मे घुसा ही था ,
पिता वाह क्या बात है ,
ला कर खिलाओ फिर पापा को,
बेटी दौड़ती रसोई मे गई और बडा कटोरा भरकर हलवा लेकर आई ..
पिता ने खाना शुरू किया और बेटी को देखा ..
पिता की आँखों मे आँसू थे…
-क्या हुआ पापा हलवा अच्छा नही लगा
पिता- नही मेरी बेटी बहुत अच्छा बना है ,
और देखते देखते पूरा कटोरा खाली कर दिया इतने मे मा बाथरूम से नहाकर बाहर आई ,
और बोली- ला मुझे भी खिला तेरा हलवा ,
पिता ने बेटी को 50 रु इनाम मे दिए ,
बेटी खुशी से मम्मी के लिए रसोई से हलवा लेकर आई मगर ये क्या जैसे ही उसने हलवा की पहली चम्मच मुंह मे डाली तो तुरंत थूक दिया और बोली-ये क्या बनाया है ये कोई हलवा है इसमें तो चीनी नही नमक भरा है ,
और आप इसे कैसे खा गये ये तो जहर ,
मेरे बनाये खाने मे तो कभी नमक मिर्च कम है तेज है कहते रहते हो ओर बेटी को बजाय कुछ कहने के इनाम देते हो….
पिता-हंसते हुए-पगली तेरा मेरा तो जीवन भर का साथ है रिश्ता है पति पत्नी का जिसमें नौकझौक रूठना मनाना सब चलता है मगर ये तो बेटी है कल चली जाएगी मगर आज इसे वो एहसास वो अपनापन महसूस हुआ जो मुझे इसके जन्म के समय हुआ था आज इसने बडे प्यार से पहली बार मेरे लिए कुछ बनाया है फिर वो जैसा भी हो मेरे लिए सबसे बेहतर और सबसे स्वादिष्ट है ये बेटियां अपने पापा की परियां ,
और राजकुमारी होती है जैसे तुम अपने पापा की हो …
वो रोते हुए पति के सीने से लग गई और सोच रही थी
इसीलिए हर लडकी अपने पति मे अपने पापा की छवि ढूंढती है..

दोस्तों यही सच है हर बेटी अपने पिता के बडे करीब होती है या यूं कहे कलेजे का टुकड़ा इसीलिए शादी मे विदाई के समय सबसे ज्यादा पिता ही रोता है ….

इसीलिए हर पिता हर समय अपनी बेटी की फिक्र करता रहता है ।