Posted in कविता - Kavita - કવિતા

बजने दो अब रणभेरी तुम रणचंडी का आह्वान


बजने दो अब रणभेरी तुम रणचंडी का आह्वान

करो दुष्टदलन को सज्जित होकर काल भैरव का स्तुतगान

करो मत गिनो मृत्यु के कौरों को अब समर प्रासंगिक गीता का सम्मान

करो गांडीव उठाओ पार्थ प्रथम अब स्थगित विकास के सौपान

करो बुद्ध महावीर को भूलो कुछ दिन बन महाकाल खलप्राण हरो

करो चिताभस्म से श्रृंगार अरि की समर भयंकर धनु पिनाक शरसंधान

करो खोलो त्रिनेत्र अब तांडव करो हर चंडीके अब हो प्रसन्न यथेष्ट रक्तपान

करो हिन्दू हृदय की सहज सौम्यता त्यागो शोकरहित हो रक्षकों में अभिमान भरो जा डटो वीर भूमि में कुछ दिन सकल सैन्य संस्थानों में जान भरो व्याकुल पांचजन्य अब वायु मांगे शक्ति साधना अपरिहार्य अब ध्यान धरो वाणी से नहीं फलता पौरुष भव रणधीर अब रिपुदमन के अभियान करो पुष्प नहीं होते अभीष्ट उत्सर्गियों को अथाह अरि शोणित से उनका पिंडदान करो हर वस्तु अवलंबित है कालगति पर सृजन, विकास तज रणभूमि को प्रस्थान करो धरो कवच! आभूषण तजकर नयनो में अब क्रोध भरो किस उलझन में पड़े हो राजन! तत्काल कटी कृपाण धरो।। बजने दो अब रणभेरी तुम रणचंडी का आह्वान करो।।

। pramod kumar

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ट्रैफिक इंस्पेक्टर संता पंजाब हाईवे पर अकेले अपनी मोटरसाइकल पर बैठा था…!


ट्रैफिक इंस्पेक्टर संता पंजाब हाईवे पर अकेले अपनी मोटरसाइकल पर बैठा था…! तभी हरियाणा से आती हुयी एक कार ने बॉर्डर क्रॉस किया…!! संता ने रुकने का इशारा किया… और जब कार रुकी तो टहलता हुआ ड्राइवर की खिड़की पर दस्तक दिया…! एक नवयुवक जो गाड़ी चला रहा था… उसने शीशा नीचा कर सर बाहर निकाल कर पूछा: “क्या बात है इंस्पेक्टर…?” संता ने एक झापड़ उसके गाल पर रसीद किया… युवक: “अरे, मारा क्यों…?” संता: “जब पंजाब पुलिस का ट्रैफिक इंस्पेक्टर संता किसी गाड़ी को रुकने कहता है… तो ड्राइवर को गाड़ी के कागजात अपने हाथ में रखा हुआ होना चाहिए…!” युवक: “सारी इंस्पेक्टर……. मैं पहली बार पंजाब आया हूँ….!” फिर उसने ग्लव कंपार्टमेंट से पेपर्स निकाल कर दिखाये..! संता ने पेपर्स का मुआयना किया फिर बोला: “ठीक है….रख लो….!” फिर घूमकर पैसेन्जर सीट की ओर गया और शीशा ठकठकाया…!! पैसेन्जर सीट पर बैठा दूसरा युवक शीशा गिराकर सर बाहर निकाल कर पूछा :- “हाँ बोलिए….?” तड़ाक…! एक झापड़ संता ने उसे भी मारा..! “अरे ….! मैंने क्या किया …?” संता: “ये तुम्हारी हेकड़ी उतारने के लिए…!” युवक:- “पर मैंने तो कोई हेकड़ी नहीं दिखाई…?” संता :- “अभी नहीं दिखाई, पर मैं जानता हूँ…. एक किलोमीटर आगे जाने के बाद तुम अपने दोस्त से कहते “वो दो कौड़ी का इंस्पेक्टर मुझे मारा होता…. तो बताता….!

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एक सेठ जी थे


एक सेठ जी थे – 🍆🍀🌺🍆🌺 जिनके पास काफी दौलत थी. 🍆🍀🌺🍆🍀🌺 सेठ जी ने अपनी बेटी की शादी एक बड़े घर में की थी. परन्तु बेटी के भाग्य में सुख न होने के कारण उसका पति जुआरी, शराबी निकल गया. 🍆🍀🌺🍆🍀🌺 जिससे सब धन समाप्त हो गया. 🍆🍀🌺🍆🍀🌺🍆🍀🌺 बेटी की यह हालत देखकर सेठानी जी रोज सेठ जी से कहती कि आप दुनिया की मदद करते हो, 🌺🍀🍆🍀🌺 मगर अपनी बेटी परेशानी में होते हुए उसकी मदद क्यों नहीं करते हो? 🍆🍀🌺🍆🍀🌺 सेठ जी कहते कि 🍆🍀🌺 “जब उनका भाग्य उदय होगा तो अपने आप सब मदद करने को तैयार हो जायेंगे…” 🍆🍀🌺🍆🍀🌺🍆🍀🌺 एक दिन सेठ जी घर से बाहर गये थे कि, तभी उनका दामाद घर आ गया. 🌺🍀🍆🌺🍀 सास ने दामाद का आदर-सत्कार किया और बेटी की मदद करने का विचार उसके मन में आया कि क्यों न मोतीचूर के लड्डूओं में अर्शफिया रख दी जाये… 🍀🍆🌺🍆🌺🍆🍀🌺 यह सोचकर सास ने लड्डूओ के बीच में अर्शफिया दबा कर रख दी और दामाद को टीका लगा कर विदा करते समय पांच किलों शुद्ध देशी घी के लड्डू, जिनमे अर्शफिया थी, दिये… 🍀🍀🍀 दामाद लड्डू लेकर घर से चला, 🍆🍀🌺🍆🍀🌺🍆🍀🌺 दामाद ने सोचा कि इतना वजन कौन लेकर जाये क्यों न यहीं मिठाई की दुकान पर बेच दिये जायें और दामाद ने वह लड्डुयों का पैकेट मिठाई वाले को बेच दिया और पैसे जेब में डालकर चला गया. 🌺🍆🍀🌺🍆🍀🌺 उधर सेठ जी बाहर से आये तो उन्होंने सोचा घर के लिये मिठाई की दुकान से मोतीचूर के लड्डू लेता चलू और सेठ जी ने दुकानदार से लड्डू मांगे…मिठाई वाले ने वही लड्डू का पैकेट सेठ जी को वापिस बेच दिया. 🍆🍀🌺🍆🍀🌺🍆🍀🌺🍆🍀🌺 सेठ जी लड्डू लेकर घर आये.. सेठानी ने जब लड्डूओ का वही पैकेट देखा तो सेठानी ने लड्डू फोडकर देखे, अर्शफिया देख कर अपना माथा पीट लिया. 🌺🌺🍀🌺🍀🍆 सेठानी ने सेठ जी को दामाद के आने से लेकर जाने तक और लड्डुओं में अर्शफिया छिपाने की बात कह डाली… 🌺🍀🌺🍆🌺🍀🌺🌺🍀 सेठ जी बोले कि भाग्यवान मैंनें पहले ही समझाया था कि अभी उनका भाग्य नहीं जागा… देखा मोहरें ना तो दामाद के भाग्य में थी और न ही मिठाई वाले के भाग्य में… 🌺🍀🌺🍀🌺🍀🌺 इसलिये कहते हैं कि भाग्य से ज्यादा 🍀🍆🍀🍆🍀 और… समय 🍀🍆 से पहले न किसी को कुछ मिला है और न मीलेगा!ईसी लिये ईशवर जितना दे उसी मै संतोष करो…🍆🍀🌺🍆🍀🌺🍆🍀🌺 झूला जितना पीछे जाता है, उतना ही आगे आता है।एकदम बराबर।🌺🍀🌺🍀🌺🍀🌺🍀🌺🍀 सुख और दुख दोनों ही जीवन में बराबर आते हैं। 🌺🌺🌺🌺🌺 जिंदगी का झूला पीछे जाए, तो डरो मत, वह आगे भी आएगा। 🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺 बहुत ही खूबसूरत लाईनें. .किसी की मजबूरियाँ पे न हँसिये, कोई मजबूरियाँ ख़रीद कर नहीं लाता..! 🌺🌺🌺🌺🌺🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻 डरिये वक़्त की मार से,बुरा वक़्त किसीको बताकर नही आता..! 🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺 अकल कितनी भी तेज ह़ो,नसीब के बिना नही जीत सकती..! बीरबल अकलमंद होने के बावजूद,कभी बादशाह नही बन सका…!! 🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺 “”ना तुम अपने आप को गले लगा सकते हो, ना ही तुम अपने कंधे पर सर रखकर रो सकते हो एक दूसरे के लिये जीने का नाम ही जिंदगी है! 🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺 इसलिये वक़्त उन्हें दो जो तुम्हे चाहते हों दिल से! 🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺 रिश्ते पैसो के मोहताज़ नहीं होते क्योकि कुछ रिश्ते मुनाफा नहीं देते पर जीवन अमीर जरूर बना देते है🍆!!! “☝☝☝🌺🍀🌺 स्वरूप सिंह खोखर आस्कन्दरा

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मृत्यु का भय किसी नगर में एक आदमी रहता था|


मृत्यु का भय किसी नगर में एक आदमी रहता था| उसने परदेश के साथ व्यापार किया| मेहनत फली, कमाई हुई और उसकी गिनती सेठों में होने लगी| महल जैसी हवेली बन गई| वैभव और बड़े परिवार के बीच उसकी जवानी बड़े आनंद से बीतने लगी| एक दिन उसका एक संबंधी किसी दूसरे नगर से आया| बातचीत के बीच उसने बताया कि उसके यहां का सबसे बड़ा सेठ गुजर गया| बेचारे की लाखों की धन-संपत्ति पड़ी रह गई| बात सहज भाव से कही गई थी, पर उस आदमी के मन को डगमगा गई| हां उस सेठ की तरह एक दिन वह भी तो मर जाएगा| उसी क्षण से उसे बार-बार मौत की याद सताने लगी| हाय मौत आएगी, उसे ले जाएगी और सबकुछ यहीं छूट जाएगा! मारे चिंता के उसकी देह सूखने लगी| देखने वाले देखते कि उसे किसी चीज की कमी नहीं है, पर उसके भीतर का दुख ऐसा था कि किसी से कहा भी नहीं जा सकता था| धीरे-धीरे वह बिस्तर पर पड़ गया| बहुतेरा इलाज किया गया, लेकिन उसका रोग कम होने की बजाय बढ़ता ही गया| एक दिन एक साधु उसके घर पर आया| उस आदमी ने बेबसी से उसके पैर पकड़ लिए और रो-रोकर अपनी व्यथा उसे बता दी| सुनकर साधु हंस पड़ा और बोला – “तुम्हारे रोग का इलाज तो बहुत आसान है|” उस आदमी के खोए प्राण मानो लौट आए| अधीर होकर उसने पूछा – “स्वामीजी, वह इलाज क्या है!” साधु ने कहा – “देखो मौत का विचार जब मन में आए, जोर से कहो जब तक मौत नहीं आएगी, मैं जीऊंगा| इस नुस्खे को सात दिन तक आजमाओ, मैं अगले सप्ताह आऊंगा|” सात दिन के बाद साधु आए तो देखते क्या हैं, वह आदमी बीमारी के चंगुल से बाहर आ गया है और आनंद से गीत गा रहा है| साधु को देखकर वह दौड़ा और उसके चरणों में गिरकर बोला – “महाराज, आपने मुझे बचा लिया| आपकी दवा ने मुझ पर जादू का-सा असर किया| मैंने समझ लिया कि जिस दिन मौत आएगी, उसी दिन मरूंगा, उससे पहले नहीं|” साधु ने कहा – “वत्स, मौत का डर सबसे बड़ा डर है। वह जितनों को मारता है मौत उतनों को नहीं मारती” शुभ प्रभात। आज का दिन आपके लिए शुभ एवं मंगलमय हो ।

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एक आदमी विदेश से एक ऐसा कुत्ता खरीद कर लाया


एक आदमी विदेश से एक ऐसा कुत्ता खरीद कर लाया जो बहुत समझदार था और सिर्फ सूंघकर ही अपने मालिक के सगे-सम्बन्धियों को पहचान सकता था. घर आते ही आदमी ने कुत्ते को आदेश दिया – “जाओ और स्कूल से मेरे दोनों बच्चों को लेकर आओ !” कुत्ता फ़ौरन स्कूल की तरफ दौड़ गया और काफी देर तक वापस नहीं आया. जब बहुत ज्यादा देर हो गई तो आदमी को चिंता होने लगी. उसकी पत्नी हाय-तौबा करने लगी तो वह खुद कुत्ते और अपने बच्चों को ढूँढने के लिए घर से निकला. तभी उसने देखा कि सामने से कुत्ता बच्चों के एक पूरे झुण्ड को घेरे हुए लेकर आ रहा है. इन बच्चों में से 2 उसकी नौकरानी के, 3 उसके पड़ोसियों के, 1 उसकी साली का और 2 बच्चे उसकी सेक्रेटरी के थे… पत्नी फनफनाती हुई बोली – “तो इसका मतलब ये सारे बच्चे तुम्हारे हैं ???” जवाब में आदमी दहाडा – “ये तो मैं बाद में बताऊँगा पहले ये बताओ कि कुत्ता हमारे 2 बच्चों को लेकर क्यों नहीं आया ???” –

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अपने घर की छोटी बच्चियो को ये बात जरूर समझाए


अपने घर की छोटी बच्चियो को ये बात जरूर समझाए #संस्कार घर के बाहर अकेली खेल रही वंशिका को देख कर पड़ौस में रहने वाले सत्या ने मुस्कुरा कर पूछा ” आज स्कूल नहीं गयी वंशी? वंशी ने भी चहकते हुए जवाब दिया “नहीं भैया, पता है आज बड़े बच्चे टूर पर गये हैं इसलिये मेरी छुट्टी हो गयी, अौर अब मैं पूरा दिन खेलूंगी “। ” अरे वाह फिर तो इस खुशी में एक चॉकलेट तो बनती है, है ना ” “तो फिर लाओ दो ना चॉकलेट, वो मेरी फेवरेट है !” वंशिका ने बाल सुलभ जिद करते हुए कहा। सत्या ने इधर उधर देखा और उसके करीब जाकर बोला “यहां नहीं मेरे साथ चलना पड़ेगा, वहां उस मकान के पास!” सत्या ने थोड़ी दूर दिख रहे टूटे से खन्डहर नुमा घर की ओर इशारा करते हुए कहा ” वहां बिल्लू की दुकान है, उसी पर “। चॉकलेट के नाम से छोटी सी वंशिका के मुंह में पानी आ रहा था और वह सत्या के पीछे चल पड़ी। अभी कुछ ही कदम बढ़ाये थे कि सहसा वह ठिठक रुक गयी और कुछ सोचने लगी। ” नहीं भैया मुझे आपके साथ कहीं नहीं जाना, मेरी मम्मा कहती हैं चॉकलेट के बहाने से अपने साथ ले जाने वाले रावण होते हैं, और मैंने टीवी पर भी देखा है कि रावण बहुत बुरा था, वो सीता मैया को किडनैप कर उठा कर ले गया था और “। बेटी के छोटे से मुख से बड़ी बातें सुन कर बालकनी में खड़ी मां के चेहरे पर संतुष्टि के भाव साफ झलक रहे थे कि हर तरफ घूम रहे इन्सानी भेड़ियों से बचने कि लिये वंशी को दिये जा रहे संस्कार सही आकार ले रहे है। 😊😊 . .

मनु कुमार

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8 लड़के एक Racing Track पर खड़े थे। शायद एक Race होने वाली थी।


8 लड़के एक Racing Track पर खड़े थे। शायद एक Race होने वाली थी। तभी Countdown शुरू हुआ… Ready… Steady…. Bang… और जैसे ही Pistol से गोली निकली सभी लड़कों ने दौड़ना शुरू किया मुश्किल से उन्होंने 10 से 15 क़दम ही दौड़ा होगा कि एक लड़का फिसला और ज़मीन पे गिर गया दर्द की वजह से उसने रोना शुरू कर दिया तभी उसके रोने की आवाज़ सुनकर बाक़ी के 7 लड़कों ने दौड़ना बंद किया और अचानक अपनी जगह पे रुक गए वो पीछे मुड़े और दौड़कर उस लड़के के पास गए जो ज़मीन पे गिर गया था उन सातों लड़कों ने मिलकर उस लड़के को उठाया और अपने बीच जगह देकर एक दूसरे का हाथ पकड़कर समानांतर चलने लगे और चलते हुए वो Race के अंतिम छोर तक पहुँच गए Race के आयोजक अचम्भित थे और कुछ दर्शकों के आँखो मेन आँसू भी ये Race एक सच्ची घटना है जो कि पुणे के National Institute Of Mental Health के द्वारा आयोजित की गयी थी दरअसल उस Race के सारे प्रतिभागी मानसिक रूप से विकलांग थे उन्होंने हमें क्या सिखाया ? Teamwork Humanity (मानवता) Sportsman Spirit (खेल भावना) Love (प्रेम) Care (फ़िक्र करना) और Equality (समानता) हम ये कभी नहीं कर सकते क्योंकि हमारे पास दिमाग़ है हमारे पास घमंड है हमारे पास दिखवेबाज़ी है और हम उन्हें मानसिक रोगी कहते हैं😐😔😒😏😏😏

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एक पिता ने अपने बेटे को दो-तीन झापड़ रसीद कर दिए


एक पिता ने अपने बेटे को दो-तीन झापड़ रसीद कर दिए, थोड़ी देर बाद प्यार से सॉरी बोल दिया। बेटा: डैड, एक कागज लो, उसे मोड़ो, रोल बनाओ। वापस उस कागज को खोलो और देखो क्या वह पहले जैसा ही कड़क है पिता: नहीं बेटा: सही कहा, रिश्ते भी ऐसे ही होते हैं। सॉरी से काम नहीं चलता। पिता: बेटा बाहर मेरा स्कूटर खड़ा है। जाओ और उस पर एक किक मारो। बताओ क्या वह स्टार्ट हुआ। बेटा: नहीं हुआ। पिता: अब तीन-चार किक मारो। बेटा: स्टार्ट हो गया। पिता: तू भी वही स्कूटर है, कागज नहीं। ज्ञान मत दे मुझे! 

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देश के ग़द्दारों की दास्ताँ.


… देश के ग़द्दारों की दास्ताँ…! . जी न्यूज़ पर ओबैसी का इंटरव्यू देखा … बड़ी-बड़ी बातें कर रहा था .. बोला कि कोई मुस्लिम कभी गैर मुस्लिम के आगे सर नहीं झुका सकता ..! . काश इसने बेनजीर भुट्टो की आत्मकथा डॉटर ऑफ़ ईस्ट [पूरब की बेटी] पढ़ी होती …! . अपनी आत्मकथा में बेजनीर ने बड़ी तफसील से अपने पिता के द्वारा इंदिरा गाँधी के सामने किये गये समर्पण को बिना किसी लाग लपेट के लिखा है …! . जुल्फिकार अली भुट्टो भाषण कला में बहुत ही माहिर था .. उसे पूरा कुरआन याद था और वो अपने भाषणों में खूब भड़काऊ बातें कहता था और भारत के खिलाफ चीखता चिल्लता था तथा बीच-बीच में कुरआन की आयतें भी बोलता था .. वो बार-बार कहता था कि हम घास की रोटी खायेंगे लेकिन कश्मीर के लिए ताउम्र लड़ेंगे .. . फिर जब लड़ाई में पोर्किसों की करारी हार हुई और भारतीय सेनाएं लाहौर में घुस गयीं और लाहौर को अपने कब्जे में ले लिया ..तब अमेरिका के दबाव में शिमला समझौता हुआ .. बेनजीर अपने पिता के साथ शिमला आई थी … बेनजीर ने लिखा है कि पिताजी बड़े चिंतित थे कि अब हमारे हाथ से पूरा कश्मीर भी जायेगा और साथ में लाहौर भी निकल जाएगा ..वो अपने दूतों के द्वारा मैमूना बेगम तक बार-बार संदेश भिजवाते थे कि समझौता कुछ इस तरह से कीजिये ताकि मैं अपने देश वापस लौटकर शर्मिंदा न हो जाऊं.. . लेकिन जब समझौता हुआ तब ज़ुल्फ़िकार ने होटल वापस आकर बेनजीर से कहा कि भारत तो बड़ा ही उदार निकला ..लाहौर तो छोड़ो पाक कब्जे वाली कश्मीर से भी मैमूना जी अपनी सेनाएं हटाने को तैयार है .. . शायद भारत ही इस धरती का एकमात्र ऐसा देश है जो युद्ध में जीती गयी जमीन को भी वापस कर चुका है .. लेकिन कभी युद्ध में छिनी गयी अपनी जमीन चीन से वापस नहीं ले सका .. . पाकिस्तान वापस जाने पर जुल्फिकार भुट्टो से पाक सेना बहुत नाराज थी .. सेना प्रमुख जनरल जिया उल हक ने तख्ता पलट करते हुए जुल्फिकार अली भुट्टो को पुरे खानदान सहित गिरफ्तार कर लिया .. बाद में बच्चों और पत्नी को छोड़ दिया और जुल्फिकार अली भुट्टो को फांसी दे दी. . पूरे विश्व की सेना में सबसे ज्यादा प्रोमोशन का रिकार्ड पोर्क सेना के जनरल ज़िया उल हक़ का है जो मात्र एक मामूली बटलर [खाना पकाने और सैनिकों का ख्याल रखने वाले] से शुरू करके सेना प्रमुख तक पहुँच गया था. . मज़े की बात ये है जी कि ज़ुल्फिकार अली भुट्टो, जिनकी मेहरबानी ने उसे बिना किसी ट्रेनिंग, योग्यता आदि के जनरल बनाया …सत्ता में आते ही सबसे पहले उसने अपने ही आका ज़ुल्फिकार अली भुट्टो को ही फांसी पर चढ़ा दिया ..! ज़ुल्फिकार अली भुट्टो, ज़िया उल हक़ की इनकी स्वामिभक्ति से इतने खुश था कि वो इसको हर महीने एक रैंक प्रोमोशन देता चला गया …! . जेल से जुल्फिकार अली ने ने कई बार भारतीय दूतावास तक संदेश भिजवाया था कि मैमूना जी, मुझे कैद से आजाद करवाइए … लेकिन मैमूना ने उन्हें संदेश दिया था कि भारत किसी भी आज़ाद देश के अंदरूनी मामलों में कोई दखल नहीं देता..! . असल में मैमूना भी जानती थी कि पाकिस्तान को कश्मीर ने नाम पर भुट्टो खानदान ने ही भड़काया है … पाक राजनीति में कश्मीर और भारत से दुश्मनी को मुद्दा बनाकर जुल्फिकार अली भुट्टो सबसे पहले सत्ता तक पहुंचा था ..! . कमीना सुवर,,,,लटक गया न फांसी के फंदे पर,,,,,, और कल्ले कश्मीर आधारित और भारत विरोधी राजनीति…. सुवर की औलाद,,,! :p . इसी बात पर सेकुलर सुवरों धीरे से बोलो सुभानल्लाह…😜😜😜 .

विपिन खुराना

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दो सहेलियाँ थी बड़ी पक्की वाली


दो सहेलियाँ थी बड़ी पक्की वाली…बोले तो एक दूसरे पर जान देने वाली …😘😘😘 खाना… पीना…उठाना बैठना काम काज सब साथ साथ सारे गाँव में उनकी दोस्ती के चर्चे थे…लोग उनकी दोस्ती की कसमें खाने लगे । एक दिन मुझ जैसा कोई स्मार्ट( दिमाग और शक्ल दोनों से ;-)…)लड़का अपने मामा जी के यहाँ गया उसने भी वहाँ उन सहेलियों की किस्से सुने । एक दिन बातों बातों में उस लड़के की शर्त गाँव वालो से लग गयी कि 5 मिनट में उनकी दोस्ती ख़तम करवा देगा। अगले दिन जब सहेलियां कूए से पानी भरने जा रही थी तो उनमें से वो एक से बोला कि वो कुछ कहना चाहता है … लड़की बोली ठीक है लड़का कान में कुछ कह कर चला गया। लड़के के जाने के बाद दूसरी सहेली मुस्कुराते हुऐ बोली “ क्या कह रहा था वो ”? लड़की भी मुस्कुराते हुए बोली… कुछ नहीं कुछ नहीं ! दूसरी बोली 7 -8 बार पूछने के बाद दूसरी बोली तू बताना नहीं चाहती । पहली बोली सच में उसने कुछ नहीं बोला ….. दूसरी बोली ठीक है मत बता तेरी मेरी दोस्ती ख़तम…!!! सारे गाँव में जिज्ञासा हुई की इसने क्या कहा दो दिन के कोतुलहल के बाद लड़का बोला कि वाकई मैंने इससे कुछ नहीं कहा … अब जब कुछ कहा ही नहीं तो ये क्या बताएगी ? उन सहेलियों के बीच सब कुछ था पर बिश्वास नहीं था…और सबसे जरूरी वही होता है… #कबीरा स्पीकिंग™