Posted in श्रीमद्‍भगवद्‍गीता

!! देवशयनी एकादशी !!


!! देवशयनी एकादशी !!

युधिष्ठिर ने पूछा : भगवन् ! आषाढ़ के शुक्लपक्ष में कौन सी एकादशी होती है ? उसका नाम और विधि क्या है? यह बतलाने की कृपा करें ।

भगवान श्रीकृष्ण बोले : राजन् ! आषाढ़ शुक्लपक्ष की एकादशी का नाम ‘शयनी’ है। मैं उसका वर्णन करता हूँ । वह महान पुण्यमयी, स्वर्ग और मोक्ष प्रदान करनेवाली, सब पापों को हरनेवाली तथा उत्तम व्रत है । आषाढ़ शुक्लपक्ष में ‘शयनी एकादशी’ के दिन जिन्होंने कमल पुष्प से कमललोचन भगवान विष्णु का पूजन तथा एकादशी का उत्तम व्रत किया है, उन्होंने तीनों लोकों और तीनों सनातन देवताओं का पूजन कर लिया । ‘हरिशयनी एकादशी’ के दिन मेरा एक स्वरुप राजा बलि के यहाँ रहता है और दूसरा क्षीरसागर में शेषनाग की शैय्या पर तब तक शयन करता है, जब तक आगामी कार्तिक की एकादशी नहीं आ जाती, अत: आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी से लेकर कार्तिक शुक्ल एकादशी तक मनुष्य को भलीभाँति धर्म का आचरण करना चाहिए । जो मनुष्य इस व्रत का अनुष्ठान करता है, वह परम गति को प्राप्त होता है, इस कारण यत्नपूर्वक इस एकादशी का व्रत करना चाहिए । एकादशी की रात में जागरण करके शंख, चक्र और गदा धारण करनेवाले भगवान विष्णु की भक्तिपूर्वक पूजा करनी चाहिए । ऐसा करनेवाले पुरुष के पुण्य की गणना करने में चतुर्मुख ब्रह्माजी भी असमर्थ हैं ।

राजन् ! जो इस प्रकार भोग और मोक्ष प्रदान करनेवाले सर्वपापहारी एकादशी के उत्तम व्रत का पालन करता है, वह जाति का चाण्डाल होने पर भी संसार में सदा मेरा प्रिय रहनेवाला है । जो मनुष्य दीपदान, पलाश के पत्ते पर भोजन और व्रत करते हुए चौमासा व्यतीत करते हैं, वे मेरे प्रिय हैं । चौमासे में भगवान विष्णु सोये रहते हैं, इसलिए मनुष्य को भूमि पर शयन करना चाहिए । सावन में साग, भादों में दही, क्वार में दूध और कार्तिक में दाल का त्याग कर देना चाहिए । जो चौमसे में ब्रह्मचर्य का पालन करता है, वह परम गति को प्राप्त होता है । राजन् ! एकादशी के व्रत से ही मनुष्य सब पापों से मुक्त हो जाता है, अत: सदा इसका व्रत करना चाहिए । कभी भूलना नहीं चाहिए । ‘शयनी’ और ‘बोधिनी’ के बीच में जो कृष्णपक्ष की एकादशीयाँ होती हैं, गृहस्थ के लिए वे ही व्रत रखने योग्य हैं – अन्य मासों की कृष्णपक्षीय एकादशी गृहस्थ के रखने योग्य नहीं होती । शुक्लपक्ष की सभी एकादशी करनी चाहिए ।

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!! देवशयनी एकादशी !!
 
युधिष्ठिर ने पूछा : भगवन् ! आषाढ़ के शुक्लपक्ष में कौन सी एकादशी होती है ? उसका नाम और विधि क्या है? यह बतलाने की कृपा करें ।
 
भगवान श्रीकृष्ण बोले : राजन् ! आषाढ़ शुक्लपक्ष की एकादशी का नाम ‘शयनी’ है।  मैं उसका वर्णन करता हूँ । वह महान पुण्यमयी, स्वर्ग और मोक्ष प्रदान करनेवाली, सब पापों को हरनेवाली तथा उत्तम व्रत है ।  आषाढ़ शुक्लपक्ष में ‘शयनी एकादशी’ के दिन जिन्होंने कमल पुष्प से कमललोचन भगवान विष्णु का पूजन तथा एकादशी का उत्तम व्रत किया है, उन्होंने तीनों लोकों और तीनों सनातन देवताओं का पूजन कर लिया । ‘हरिशयनी एकादशी’ के दिन मेरा एक स्वरुप राजा बलि के यहाँ रहता है और दूसरा क्षीरसागर में शेषनाग की शैय्या पर तब तक शयन करता है, जब तक आगामी कार्तिक की एकादशी नहीं आ जाती, अत: आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी से लेकर कार्तिक शुक्ल एकादशी तक मनुष्य को भलीभाँति धर्म का आचरण करना चाहिए । जो मनुष्य इस व्रत का अनुष्ठान करता है, वह परम गति को प्राप्त होता है, इस कारण यत्नपूर्वक इस एकादशी का व्रत करना चाहिए । एकादशी की रात में जागरण करके शंख, चक्र और गदा धारण करनेवाले भगवान विष्णु की भक्तिपूर्वक पूजा करनी चाहिए । ऐसा करनेवाले पुरुष के पुण्य की गणना करने में चतुर्मुख ब्रह्माजी भी असमर्थ हैं ।
 
राजन् ! जो इस प्रकार भोग और मोक्ष प्रदान करनेवाले सर्वपापहारी एकादशी के उत्तम व्रत का पालन करता है, वह जाति का चाण्डाल होने पर भी संसार में सदा मेरा प्रिय रहनेवाला है । जो मनुष्य दीपदान, पलाश के पत्ते पर भोजन और व्रत करते हुए चौमासा व्यतीत करते हैं, वे मेरे प्रिय हैं । चौमासे में भगवान विष्णु सोये रहते हैं, इसलिए मनुष्य को भूमि पर शयन करना चाहिए । सावन में साग, भादों में दही, क्वार में दूध और कार्तिक में दाल का त्याग कर देना चाहिए । जो चौमसे में ब्रह्मचर्य का पालन करता है, वह परम गति को प्राप्त होता है । राजन् ! एकादशी के व्रत से ही मनुष्य सब पापों से मुक्त हो जाता है, अत: सदा इसका व्रत करना चाहिए । कभी भूलना नहीं चाहिए । ‘शयनी’ और ‘बोधिनी’ के बीच में जो कृष्णपक्ष की एकादशीयाँ होती हैं, गृहस्थ के लिए वे ही व्रत रखने योग्य हैं - अन्य मासों की कृष्णपक्षीय एकादशी गृहस्थ के रखने योग्य नहीं होती । शुक्लपक्ष की सभी एकादशी करनी चाहिए ।

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Posted in हिन्दू पतन

भारत को महान देश कहा जाता


भारत को महान देश कहा जाता है लेकिन इस महान देश में आपको बेवकूफी के कुछ ऐसे उदहारण देखने को मिलेंगे जो दुनिया के किसी देश में नहीं हैं…क्या कभी सुना है की किसी देश के लोग उन लोगों को सम्मान के साथ पुकारते हों जिन्होंने उनपर आक्रमण किया,उनकी बहु बेटियों का निर्ममता से बलात्कार किया और जबरन उनके पूर्वजों का धर्म परिवर्तन कराया..नहीं न लेकिन भारत में तो ये आम बात है
जी हाँ हम मुग़ल शासकों की ही बात कर रहे हैं
कौन थे मुग़ल??क्या किया था उन्होंने भारतवासियों के साथ??क्या वे सम्मान के लायक हैं??
दोस्तों इस से बड़ी बेशर्मी की बात नहीं हो सकती हमारे लिए की हम उन लोगों को सम्मान का दर्जा दें जिन्होंने न सिर्फ भारत की संस्कृति को नष्ट किया बल्कि असहनीय यातनाएं देकर हमारे पूर्वजों का जबरन धर्म परिवर्तन करवाया…
आखिर क्या कारण है की हमारे हिन्दू भाई इन मुग़लों को इतनी इज्ज़त देते हैं??इसमें सबसे मुख्य कारण है हमारे इतहास को तोड़ मरोड़ कर हमारे सामने पेश किया जाना.९९% हिन्दू ये समझते हैं की मुग़ल भी हमारे महान क्रांतिकारियों में से ही एक हैं लेकिन ये उन महान क्रांतिकारियों का अपमान है जो हम उनकी तुलना इन नीच अधर्मियों के साथ करें…जहां एक तरफ हमारे शूरवीरों ने अपने बलिदान से हमें इन क्रूर शासकों से आज़ादी दिलाई वहीँ इन मुगलों ने बाहर से आकर हमारे धर्म,हमारे मंदिर हमारी संस्कृति को इतना नुक्सान पहुंचाया की उसका परिणाम हम आज भी झेल रहे हैं.
दूसरा मुख्य कारण है हमारे देश की फिल्म इंडस्ट्री जिन्होंने “मुग़ल ऐ आज़म” और “टीपू सुलतान” नाम की फिल्मे बना कर बची खुची संस्कृति को भी नष्ट कर दिया…इन फिल्मों में उन्हें शूरवीर बताया गया जबकि सत्य इसके बिलकुल विपरीत है.
आज हालात ऐसे हैं की अगर किसीको सही इतहास पढ़ाने जाओ तो कहता है नहीं नहीं ये सब गलत है जो फिल्म में है वही सत्य है…इस कदर हमारे भोले भाले भारतवासियों के दिमाग इस जहर को भर दिया गया है…
मेरी आपसे केवल यही विनंती है की अगर आपके दिलों थोडा सा भी सम्मान महाराज शिवाजी और रानी लक्ष्मीबाई जैसे हमारे महान पूर्वजों के लिए बचा है तो आज से प्रतिज्ञा लें की इस जूठे इतहास को अब नहीं मानेगे..और न ही औरों को मानने देंगे..

भारत को महान देश कहा जाता है लेकिन इस महान देश में आपको बेवकूफी के कुछ ऐसे उदहारण देखने को मिलेंगे जो दुनिया के किसी देश में नहीं हैं...क्या कभी सुना है की किसी देश के लोग उन लोगों को सम्मान के साथ पुकारते हों जिन्होंने उनपर आक्रमण किया,उनकी बहु बेटियों का निर्ममता से बलात्कार किया और जबरन उनके पूर्वजों का धर्म परिवर्तन कराया..नहीं न लेकिन भारत में तो ये आम बात है
जी हाँ हम मुग़ल शासकों की ही बात कर रहे हैं
कौन थे मुग़ल??क्या किया था उन्होंने भारतवासियों के साथ??क्या वे सम्मान के लायक हैं??
दोस्तों इस से बड़ी बेशर्मी की बात नहीं हो सकती हमारे लिए की हम उन लोगों को सम्मान का दर्जा दें जिन्होंने न सिर्फ भारत की संस्कृति को नष्ट किया बल्कि असहनीय यातनाएं देकर हमारे पूर्वजों का जबरन धर्म परिवर्तन करवाया...
आखिर क्या कारण है की हमारे हिन्दू भाई इन मुग़लों को इतनी इज्ज़त देते हैं??इसमें सबसे मुख्य कारण है हमारे इतहास को तोड़ मरोड़ कर हमारे सामने पेश किया जाना.९९% हिन्दू ये समझते हैं की मुग़ल भी हमारे महान क्रांतिकारियों में से ही एक हैं लेकिन ये उन महान क्रांतिकारियों का अपमान है जो हम उनकी तुलना इन नीच अधर्मियों के साथ करें...जहां एक तरफ हमारे शूरवीरों ने अपने बलिदान से हमें इन क्रूर शासकों से आज़ादी दिलाई वहीँ इन मुगलों ने बाहर से आकर हमारे धर्म,हमारे मंदिर हमारी संस्कृति को इतना नुक्सान पहुंचाया की उसका परिणाम हम आज भी झेल रहे हैं.
दूसरा मुख्य कारण है हमारे देश की फिल्म इंडस्ट्री जिन्होंने "मुग़ल ऐ आज़म" और "टीपू सुलतान" नाम की फिल्मे बना कर बची खुची संस्कृति को भी नष्ट कर दिया...इन फिल्मों में उन्हें शूरवीर बताया गया जबकि सत्य इसके बिलकुल विपरीत है.
आज हालात ऐसे हैं की अगर किसीको सही इतहास पढ़ाने जाओ तो कहता है नहीं नहीं ये सब गलत है जो फिल्म में है वही सत्य है...इस कदर हमारे भोले भाले भारतवासियों के दिमाग इस जहर को भर दिया गया है...
मेरी आपसे केवल यही विनंती है की अगर आपके दिलों थोडा सा भी सम्मान महाराज शिवाजी और रानी लक्ष्मीबाई जैसे हमारे महान पूर्वजों के लिए बचा है तो आज से प्रतिज्ञा लें की इस जूठे इतहास को अब नहीं मानेगे..और न ही औरों को मानने देंगे..
Posted in राजनीति भारत की - Rajniti Bharat ki

आइयेजानतेहैकिसतरहकांग्रेसनेरेलवेकोबर्बादकरदिया


Bharat Kalbi आइयेजानतेहैकिसतरहकांग्रेसनेरेलवेकोबर्बादकरदिया
भारतमेंइससमय 65000 km रेलवेलाइनबिछीहुईहैजिसमेसे 55000 km लाइनअंग्रेजोकेसमयसेहीबिछीहुयीहै।
2.कांग्रेसके 58 सालकेकार्यकालमेंमात्र 8000 km जबकि BJP के 6 सालकेकार्यकालमें 2000 km रेलवेलाइनबिछाईगई।जबकिहमारापड़ोसीदेशचीनप्रतिवर्ष 1000 km बुलेटट्रेनलाइनबिछारहाहै।
3.वोटरोंकीहमदर्दीपानेकेलिएकांग्रेसनेकाफीसालोंतकरेलवेकाकिरायानहींबड़ायागयाजबकिखर्चेबडतेरहेपरिणामयहहुआकिहमारीरेलवेहरसालऔषतन 26000 करोड़काघाटादेतीहैजोकिकेंद्रसरकारकोसब्सीडीकेरूपमेंदेनेपड़तेहैतबजाकररेलवेचलतीहै।
3.कुछदिनोंपहलेमोदीसरकारकेआनेकेबाद 14% किरायाबढायागया (80 km तककीयात्राकेकिराएमेंकोईपरिवर्तननहींकियागयाजिससेरोजानायात्राकरनेवालेयात्रियोंपरकोईफर्कनहींपड़े) जिससेरेलवेकीआयमेंप्रतिवर्ष 10000 करोड़रुपयेवृध्दिहोनेकाअनुमानहै।इसआयसेरेलवेकाघाटातोपूरानहींहोगापरन्तुसब्शीड़ीकेरूपमें 10000 करोड़रुपयेकमदेनेपड़ेगे।
4. इनबचेहुए 10000 करोड़रुपयोंसेदेशभरमें 2000km फोरलेनहाइवेबनायेजासकतेहै।लगभग 15-20 हजारस्कूलखोलेजासकतेहै।10-12 हजारकॉलेजखोलेजासकतेहै।
5.हमारीरेलवेघाटेमेंचलरहीहैयहएकहकीकतहैऔरइसहकीकतसेहमेंभागनानहींचाहिएक्योंकिइससचकोअनदेखाकरनेसेरेलवेकीस्थितिऔरज्यादाख़राबहोजाएगी।
6.अपनीसाखदांवपरलगाकरमोदीजीने 14% रेलकिरायाबड़ानेकाजोफैसलालियाहैयहएकप्रसंसनीयकदमहैक्योंकिउन्होंनेसमस्याकोटालनेकीबजायउसकासमाधानकियाहैएकअच्छेशासककीयहीविशेषताहोतीहै।
7.हमेंयहभीसमझानाचाहिएकीकिरायानबडायेजानेकेकारण 26000 करोड़रुपयेशब्सीड़ीकेरूपमेंदेनेपड़रहेहैवोभीतोहमारेहीपैसेहै।अबहमाराकर्तव्यहैकिएकसमझदारनागरिकहोनेकेनातेमोदीजीकेइसकदमकाहमस्वागतकरेंसमर्थनकरेंताकिदेशहितमेंवेअच्छेफैसलेलेनेमेंडरेंनहीं।
9.हमेंकांग्रेसियोंकीबातोंमेंआकरमोदीजीकाविरोधनहींकरनाचाहिएक्याहमभूलगएकीयेवाहीकांग्रेसहैजिसनेदेशकोलूटलूटकरखोखलाकरदियाहै।
अंतमेंहमयहीकहेंगेकिशुरुआतहोगईहै “अच्छेदिनजरूरआयेंगे”
पूरी post पड़नेकेलिएधन्यवाद

 

 

Posted in हिन्दू पतन

हिन्दू मुसलमान भाई भाई कहने वाले वही लोग है


हिन्दू मुसलमान भाई भाई कहने वाले वही लोग है जो अपनी बहनों व माँ को भी पत्नी बनाकर पूरी रात में प्रयोग करते ,,,,,, भाई भाई कैसे भाई….?
1. गूरू गोविंदसिंह जी के 2 बैटों को जिंदा दीवारों में दफन करने वाले को भाई कहेंगे,,,
2. गूरू तेगबहादूर जी को जलती आग के उपर 100 लीटर सरसों के तेल में समोसा, कचौरी की तरह जिंदा तल दिया ये कौनसे भाई कैसे भाई,,,,
3. कश्मीर से 3 लाख पंडितों को घर से बैघर अनाथ बना दिया हजारों को जिंदा जला दिया और हमारी माँ, बहनों को 50-50 मुसलमानों ने मिलकर बलात्कार करके बैर्हमी से कत्ल करने वाले कैसे भाई,,,,
4. आसाम में 2 लाख लोगों के घरों को आग के हवाले कर दिया और हजारों लोगों को जिंदा जलाकर राख कर दिया घर से बैघर अपने ही देश में कर दिया ये कैसे भाई,,,,
5. बंगाल में रातों रात 100 ट्रकों में तलवारे लेकर जिंदा हिन्दूऔ का कत्लेआम कर दिया से कैसे भाई,,,
6. 1947 में देश में 117 करोड़ गाय थी आज केवल 12 करोड़ गाय बची है यानी 105 करोड़ गायों को ये आपके भाई भाई कहे जाने वाले जिंदा ही खा गये और तो और क्या 1947 बाद किसी गाय ने बच्चे नहीं दिये वो कहाँ गया इसकी गणना असंभव है,,,
7. हैदराबाद में सूवरूद्दीन मवैसी 100 करोड़ हिन्दूऔ को काटने की बात करता है भगवान राम की माँ को वैस्या और ना जाने क्या क्या कहता है फिर भी आपके खून में उबाल नहीं ये कैसा भाई-चारा है,,,,
8. जाकिर नाईक कहता है है 100 करोड़ क़ाफ़िर यानी हिन्दूऔ को खत्म कर देना चाहिए और भगवान श्री गणेश जी और भगवान शिव जी को भी अभद्र गाली देता हो तो भी हिन्दू चूप क्यों – ये कैसा भाई-चारा,,,
9. सूवर आजम खान कहता है उतराखंड में कांग्रेस सरकार द्वारा मारे गये 60,000 लोग कूते थे,,

मृत हिन्दूऔ को कहता है की कूते मारे गये थे वहाँ तो,,,,
अगर हम एसे ही हजारों की लिस्ट है लिखने लगेंगे तो आपकी और हमारी जिंदगी केवल लिखने में ही खत्म हो जायेगी,,, अब हिन्दू जाग गया है,, इन कटवों के किसी भी बहकावे में नहीं आए,,, सावधानी से दुर्घटना से बचा जा सकेगा,,

जिस इलाके में मुल्ले 60% से ज्यादा हो जाते हैं वहाँ हिन्दू चिल्लाते हैं और तब उन्हे RSS/BJP/VHP /बजरंग दल/ याद आने लगता है।

हिन्दू मुसलमान भाई भाई कहने वाले वही लोग है जो अपनी बहनों व माँ को भी पत्नी बनाकर पूरी रात में प्रयोग करते ,,,,,, भाई भाई कैसे भाई....?
1. गूरू गोविंदसिंह जी के 2 बैटों को जिंदा दीवारों में दफन करने वाले को भाई कहेंगे,,,
2. गूरू तेगबहादूर जी को जलती आग के उपर 100 लीटर सरसों के तेल में समोसा, कचौरी की तरह जिंदा तल दिया ये कौनसे भाई कैसे भाई,,,,
3. कश्मीर से 3 लाख पंडितों को घर से बैघर अनाथ बना दिया हजारों को जिंदा जला दिया और हमारी माँ, बहनों को 50-50 मुसलमानों ने मिलकर बलात्कार करके बैर्हमी से कत्ल करने वाले कैसे भाई,,,,
4. आसाम में 2 लाख लोगों के घरों को आग के हवाले कर दिया और हजारों लोगों को जिंदा जलाकर राख कर दिया घर से बैघर अपने ही देश में कर दिया ये कैसे भाई,,,,
5. बंगाल में रातों रात 100 ट्रकों में तलवारे लेकर जिंदा हिन्दूऔ का कत्लेआम कर दिया से कैसे भाई,,,
6. 1947 में देश में 117 करोड़ गाय थी आज केवल 12 करोड़ गाय बची है यानी 105 करोड़ गायों को ये आपके भाई भाई कहे जाने वाले जिंदा ही खा गये और तो और क्या 1947 बाद किसी गाय ने बच्चे नहीं दिये वो कहाँ गया इसकी गणना असंभव है,,,
7. हैदराबाद में सूवरूद्दीन मवैसी 100 करोड़ हिन्दूऔ को काटने की बात करता है भगवान राम की माँ को वैस्या और ना जाने क्या क्या कहता है फिर भी आपके खून में उबाल नहीं ये कैसा भाई-चारा है,,,,
8. जाकिर नाईक कहता है है 100 करोड़ क़ाफ़िर यानी हिन्दूऔ को खत्म कर देना चाहिए और भगवान श्री गणेश जी और भगवान शिव जी को भी अभद्र गाली देता हो तो भी हिन्दू चूप क्यों - ये कैसा भाई-चारा,,,
9. सूवर आजम खान कहता है उतराखंड में कांग्रेस सरकार द्वारा मारे गये 60,000 लोग कूते थे,,

मृत हिन्दूऔ को कहता है की कूते मारे गये थे वहाँ तो,,,,
अगर हम एसे ही हजारों की लिस्ट है लिखने लगेंगे तो आपकी और हमारी जिंदगी केवल लिखने में ही खत्म हो जायेगी,,, अब हिन्दू जाग गया है,, इन कटवों के किसी भी बहकावे में नहीं आए,,, सावधानी से दुर्घटना से बचा जा सकेगा,,

जिस इलाके में मुल्ले 60% से ज्यादा हो जाते हैं वहाँ हिन्दू चिल्लाते हैं और तब उन्हे RSS/BJP/VHP /बजरंग दल/ याद आने लगता है।
Posted in छोटी कहानिया - १०,००० से ज्यादा रोचक और प्रेरणात्मक

भारत की सबसे पहली ट्रेन:


भारत की सबसे पहली ट्रेन:

करीब 153 साल पहले वडोदरा से ही नेरोगेज ट्रेन की शुरुआत हुई थी। लेकिन इस ट्रेन में कोई चलने वाला इंजन नहीं था। इस हल्की ट्रामवे को दो बैलों से खिंचवाया जाता था। ये बैल बहुत ही आसानी से ट्रामवे को खींचते थे, जिसमें पांच गुड्स कैरिज्स होते थे। ये एक जोड़ी बैल दो-तीन मील की एक घंटे में तय कर लेते थे।

बड़ोदा के शासक खांडेराव गायकवाड़ ने एक अंग्रेज इंजीनियर ए.डब्ल्यू फोर्ड से पहली डभोई-मियागांव रेल लाइन की डिजाइन तैयार करवाई थी और फिर इन्हीं की देखरेख में रेल लाइन का निर्माण करवाया था। इस लाइन का 2 फीट 6 इंच का गेज था, जिस पर एक हल्की ट्रामवे चलाई जाती थी।

भारत की सबसे पहली ट्रेन:

करीब 153 साल पहले वडोदरा से ही नेरोगेज ट्रेन की शुरुआत हुई थी। लेकिन इस ट्रेन में कोई चलने वाला इंजन नहीं था। इस हल्की ट्रामवे को दो बैलों से खिंचवाया जाता था। ये बैल बहुत ही आसानी से ट्रामवे को खींचते थे, जिसमें पांच गुड्स कैरिज्स होते थे। ये एक जोड़ी बैल दो-तीन मील की एक घंटे में तय कर लेते थे।

बड़ोदा के शासक खांडेराव गायकवाड़ ने एक अंग्रेज इंजीनियर ए.डब्ल्यू फोर्ड से पहली डभोई-मियागांव रेल लाइन की डिजाइन तैयार करवाई थी और फिर इन्हीं की देखरेख में रेल लाइन का निर्माण करवाया था। इस लाइन का 2 फीट 6 इंच का गेज था, जिस पर एक हल्की ट्रामवे चलाई जाती थी।
 
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एक सरोवर मेँ तीन दिव्य मछलियाँ रहती थीँ


एक सरोवर मेँ तीन दिव्य मछलियाँ रहती थीँ। वहाँ की तमाम मछलियाँ उन तीनोँ के प्रति ही श्रध्दा मेँ बँटी हुई थीँ।
एक मछली का नाम व्यावहारिकबुद्धि था, दुसरी का नाम मध्यमबुद्धि और तीसरी का नाम अतिबुद्धि था।
अतिबुद्धि के पास ज्ञान का असीम भंडार था। वह सभी प्रकार के शास्त्रोँ का ज्ञान रखती थी।
मध्यमबुद्धि को उतनी ही दुर तक सोचनेँ की आदत थी, जिससे उसका वास्ता पड़ता था। वह सोचती कम थी, परंपरागत ढंग से अपना काम किया करती थी।
व्यवहारिक बुद्धि न परंपरा पर ध्यान देती थी और न ही शास्त्र पर। उसे जब जैसी आवश्यकता होती थी निर्णय लिया करती थी और आवश्यकता न पड़नेँ पर किसी शास्त्र के पन्ने तक नहीँ उलटती थी।
एक दिन कुछ मछुआरे सरोवर के तट पर आये और मछलियोँ की बहुतायत देखकर बातेँ करनेँ लगे कि यहाँ काफी मछलियाँ हैँ, सुबह आकर हम इसमेँ जाल डालेँगे। उनकी बातेँ मछलियोँ नेँ सुनीँ।
व्यवहारिक बुद्धि नेँ कहा-” हमेँ फौरन यह तालाब छोड़ देना चाहिए। पतले सोतोँ का मार्ग पकड़कर उधर जंगली घास से ढके हुए जंगली सरोवर मेँ चले जाना चाहिये।”
मध्यमबुद्धि नेँ कहा- ” प्राचीन काल से हमारे पूर्वज ठण्ड के दिनोँ मेँ ही वहाँ जाते हैँ और अभी तो वो मौसम ही नहीँ आया है, हम हमारे वर्षोँ से चली आ रही इस परंपरा को नहीँ तोड़ सकते। मछुआरोँ का खतरा हो या न हो, हमेँ इस परंपरा का ध्यान रखना है।”
अतिबुद्धि नेँ गर्व से हँसते हुए कहा-” तुम लोग अज्ञानी हो, तुम्हेँ शास्त्रोँ का ज्ञान
नहीँ है। जो बादल गरजते हैँ वे बरसते नहीँ हैँ। फिर हम लोग एक हजार तरीकोँ से तैरना जानते हैँ, पानी के तल मेँ जाकर बैठनेँ की सामर्थ्यता है, हमारे पूंछ मेँ इतनी शक्ति है कि हम जालोँ को फाड़ सकती हैँ। वैसे भी कहा गया है कि सँकटोँ से घिरे हुए हो तो भी अपनेँ घर को छोड़कर परदेश चले जाना अच्छी बात नहीँ है। अव्वल तो वे मछुआरे आयेँगे नहीँ, आयेँगे तो हम तैरकर नीचे बैठ जायेँगी उनके जाल मेँ आयेँगे ही नहीँ, एक दो फँस भी गईँ तो पुँछ से जाल फाड़कर निकल जायेंगे। भाई! शास्त्रोँ और ज्ञानियोँ के वचनोँ के विरूध्द मैँ तो नहीँ जाऊँगी।”
व्यवहारिकबुद्धि नेँ कहा-” मैँ शास्त्रोँ के बारे मेँ नहीँ जानती , मगर मेरी बुद्धि कहती है कि मनुष्य जैसे ताकतवर और भयानक शत्रु की आशंका सिर पर हो, तो भागकर कहीँ छुप जाओ।” ऐसा कहते हुए वह अपनेँ अनुयायिओं को लेकर चल पड़ी।
मध्यमबुद्धि और अतिबुद्धि अपनेँ परँपरा और शास्त्र ज्ञान को लेकर वहीँ रूक गयीं । अगले दिन मछुआरोँ नेँ पुरी तैयारी के साथ आकर वहाँ जाल डाला और उन दोनोँ की एक न चली। जब मछुआरे उनके विशाल शरीर को टांग रहे थे तब व्यवहारिकबुद्धि नेँ गहरी साँस लेकर कहा-” इनके शास्त्र ज्ञान नेँ ही धोखा दिया। काश! इनमेँ थोड़ी व्यवहारिक बुद्धि भी होती।”
व्यवहारिक बुद्धि से हमारा आशय है कि किस समय हमेँ क्या करना चाहिए और जो हम कर रहे हैँ उस कार्य का परिणाम निकलनेँ पर क्या समस्यायेँ आ सकती हैँ, यह सोचना ही व्यवहारिक बुद्धि है। बोलचाल की भाषा में हम इसे कॉमन सेंस भी कहते हैं , और भले ही हम बड़े ज्ञानी ना हों मोटी- मोटी किताबें ना पढ़ीं हों लेकिन हम अपनी व्य्वयहारिक बुद्धि से किसी परिस्थिति का सामना आसानी से कर सकते हैं।

एक सरोवर मेँ तीन दिव्य मछलियाँ रहती थीँ। वहाँ की तमाम मछलियाँ उन तीनोँ के प्रति ही श्रध्दा मेँ बँटी हुई थीँ।
एक मछली का नाम व्यावहारिकबुद्धि था, दुसरी का नाम मध्यमबुद्धि और तीसरी का नाम अतिबुद्धि था।
अतिबुद्धि के पास ज्ञान का असीम भंडार था। वह सभी प्रकार के शास्त्रोँ का ज्ञान रखती थी।
मध्यमबुद्धि को उतनी ही दुर तक सोचनेँ की आदत थी, जिससे उसका वास्ता पड़ता था। वह सोचती कम थी, परंपरागत ढंग से अपना काम किया करती थी।
व्यवहारिक बुद्धि न परंपरा पर ध्यान देती थी और न ही शास्त्र पर। उसे जब जैसी आवश्यकता होती थी निर्णय लिया करती थी और आवश्यकता न पड़नेँ पर किसी शास्त्र के पन्ने तक नहीँ उलटती थी।
एक दिन कुछ मछुआरे सरोवर के तट पर आये और मछलियोँ की बहुतायत देखकर बातेँ करनेँ लगे कि यहाँ काफी मछलियाँ हैँ, सुबह आकर हम इसमेँ जाल डालेँगे। उनकी बातेँ मछलियोँ नेँ सुनीँ।
व्यवहारिक बुद्धि नेँ कहा-” हमेँ फौरन यह तालाब छोड़ देना चाहिए। पतले सोतोँ का मार्ग पकड़कर उधर जंगली घास से ढके हुए जंगली सरोवर मेँ चले जाना चाहिये।”
मध्यमबुद्धि नेँ कहा- ” प्राचीन काल से हमारे पूर्वज ठण्ड के दिनोँ मेँ ही वहाँ जाते हैँ और अभी तो वो मौसम ही नहीँ आया है, हम हमारे वर्षोँ से चली आ रही इस परंपरा को नहीँ तोड़ सकते। मछुआरोँ का खतरा हो या न हो, हमेँ इस परंपरा का ध्यान रखना है।”
अतिबुद्धि नेँ गर्व से हँसते हुए कहा-” तुम लोग अज्ञानी हो, तुम्हेँ शास्त्रोँ का ज्ञान
नहीँ है। जो बादल गरजते हैँ वे बरसते नहीँ हैँ। फिर हम लोग एक हजार तरीकोँ से तैरना जानते हैँ, पानी के तल मेँ जाकर बैठनेँ की सामर्थ्यता है, हमारे पूंछ मेँ इतनी शक्ति है कि हम जालोँ को फाड़ सकती हैँ। वैसे भी कहा गया है कि सँकटोँ से घिरे हुए हो तो भी अपनेँ घर को छोड़कर परदेश चले जाना अच्छी बात नहीँ है। अव्वल तो वे मछुआरे आयेँगे नहीँ, आयेँगे तो हम तैरकर नीचे बैठ जायेँगी उनके जाल मेँ आयेँगे ही नहीँ, एक दो फँस भी गईँ तो पुँछ से जाल फाड़कर निकल जायेंगे। भाई! शास्त्रोँ और ज्ञानियोँ के वचनोँ के विरूध्द मैँ तो नहीँ जाऊँगी।”
व्यवहारिकबुद्धि नेँ कहा-” मैँ शास्त्रोँ के बारे मेँ नहीँ जानती , मगर मेरी बुद्धि कहती है कि मनुष्य जैसे ताकतवर और भयानक शत्रु की आशंका सिर पर हो, तो भागकर कहीँ छुप जाओ।” ऐसा कहते हुए वह अपनेँ अनुयायिओं को लेकर चल पड़ी।
मध्यमबुद्धि और अतिबुद्धि अपनेँ परँपरा और शास्त्र ज्ञान को लेकर वहीँ रूक गयीं । अगले दिन मछुआरोँ नेँ पुरी तैयारी के साथ आकर वहाँ जाल डाला और उन दोनोँ की एक न चली। जब मछुआरे उनके विशाल शरीर को टांग रहे थे तब व्यवहारिकबुद्धि नेँ गहरी साँस लेकर कहा-” इनके शास्त्र ज्ञान नेँ ही धोखा दिया। काश! इनमेँ थोड़ी व्यवहारिक बुद्धि भी होती।”
व्यवहारिक बुद्धि से हमारा आशय है कि किस समय हमेँ क्या करना चाहिए और जो हम कर रहे हैँ उस कार्य का परिणाम निकलनेँ पर क्या समस्यायेँ आ सकती हैँ, यह सोचना ही व्यवहारिक बुद्धि है। बोलचाल की भाषा में हम इसे कॉमन सेंस भी कहते हैं , और भले ही हम बड़े ज्ञानी ना हों मोटी- मोटी किताबें ना पढ़ीं हों लेकिन हम अपनी व्य्वयहारिक बुद्धि से किसी परिस्थिति का सामना आसानी से कर सकते हैं।
 
Posted in हिन्दू पतन

हिन्दू अगर अब नही जगा तो बहुत देर हो जायेगी.


1761 मेँ भारत से एक हिस्सा अलग हुआ, इस्लामिक राष्ट्र बना – नाम है अफगानिस्तान!

1947 मेँ भारत से एक हिस्सा अलग हुआ, इस्लामिक राष्ट्र बना – नाम है पाकिस्तान!

1971 मेँ भारत का ही एक हिस्सा, इस्लामिक राष्ट्र बना – नाम हैँ बांग्लादेश!

1952 से 1990 के बीच भारत का एक राज्य इस्लामिक हो गया – नाम है कशमीर!… …

और अब उत्तरप्रदेश, आसाम और केरला इस्लामिक राज्य बनने की कगार पर है! और हम जब भी हिँदुओँ को जगाने की बात करते हैँ, सच्चाई बताते हैँ तो कुछ लोग हमेँ आर एस एस, वी एच पी और शिव-सेना, भाजपा वाला कहकर पल्ला झाङ लेते हैँ!
अब तो हद इतनी हो गई की राम नाम लेना भी पाप हो गया है हिन्दुस्तान में. अब हिन्दु अगर हिन्दुस्तान में राम नाम खुल कर नही ले सकता तो क्या पाकिस्तान में जाकर लेगा?

हिन्दू अगर अब नही जगा तो बहुत देर हो जायेगी.

1761 मेँ भारत से एक हिस्सा अलग हुआ, इस्लामिक राष्ट्र बना - नाम है अफगानिस्तान!

1947 मेँ भारत से एक हिस्सा अलग हुआ, इस्लामिक राष्ट्र बना - नाम है पाकिस्तान!

1971 मेँ भारत का ही एक हिस्सा, इस्लामिक राष्ट्र बना - नाम हैँ बांग्लादेश!

1952 से 1990 के बीच भारत का एक राज्य इस्लामिक हो गया - नाम है कशमीर!... ...

और अब उत्तरप्रदेश, आसाम और केरला इस्लामिक राज्य बनने की कगार पर है! और हम जब भी हिँदुओँ को जगाने की बात करते हैँ, सच्चाई बताते हैँ तो कुछ लोग हमेँ आर एस एस, वी एच पी और शिव-सेना, भाजपा वाला कहकर पल्ला झाङ लेते हैँ!
अब तो हद इतनी हो गई की राम नाम लेना भी पाप हो गया है हिन्दुस्तान में. अब हिन्दु अगर हिन्दुस्तान में राम नाम खुल कर नही ले सकता तो क्या पाकिस्तान में जाकर लेगा?

हिन्दू अगर अब नही जगा तो बहुत देर हो जायेगी.
Posted in नहेरु परिवार - Nehru Family

सोनिया गाँधी


दोस्तों आज NATIONAL HERRALD की केस मैं INCOME TAX की नोटिस सोनिया गाँधी को मिलने के बाद, सोनिया गाँधी ने ये आरोप लगाया की सरकार बदले की भाबना से काम कर रही है और ये राजनीती से प्रेरित है .
लेकिन जब मोदी जी को बीते दस साल से बार बार CBI के द्वारा नोटिस मिलरहा था और CBI घंटो जेरा करता था, और बाबा रामदेव को इनकम टैक्स से लेकर जितने भी केंद्रीय एजेंसी है सब से नोटिस मिल रहा था तब सारे कांग्रेस के नेता ये कह रहे थे की कानून अपना काम कर रही है इश्में सरकार की कोई हाथ हाथ नहीं
तो यहाँ सवाल उठता है, क्या इशसे पहले की सोनिया गाँधी के UPA सरकार जान बुझ कर मोदी जी , अमित सहा जी और बाबा रामदेव के ऊपर बदला ले रहा था परेसान कर रहा था ?
जैसे करनी वैसी भरनी .

दोस्तों आज NATIONAL HERRALD की केस मैं INCOME TAX की नोटिस सोनिया गाँधी को मिलने के बाद, सोनिया गाँधी ने ये आरोप लगाया की सरकार बदले की भाबना से काम कर रही है और ये राजनीती से प्रेरित है .
लेकिन जब मोदी जी को बीते दस साल से बार बार CBI के द्वारा नोटिस मिलरहा था और CBI घंटो जेरा करता था, और बाबा रामदेव को इनकम टैक्स से लेकर जितने भी केंद्रीय एजेंसी है सब से नोटिस मिल रहा था तब सारे कांग्रेस के नेता ये कह रहे थे की कानून अपना काम कर रही है इश्में सरकार की कोई हाथ हाथ नहीं
तो यहाँ सवाल उठता है, क्या इशसे पहले की सोनिया गाँधी के UPA सरकार जान बुझ कर मोदी जी , अमित सहा जी और बाबा रामदेव के ऊपर बदला ले रहा था परेसान कर रहा था ?
जैसे करनी वैसी भरनी .
Posted in गौ माता - Gau maata

हमारी संस्क्रति में गायें का महत्व……


हमारी संस्क्रति में गायें का महत्व……
हमारे बच्चों की किताब में गायें का पाठ्यकर्म होता है…..
गाय के गोबर मे 18 Micronutrients (पोषक तत्व )है, जो सभी खेत की मिट्टी को चाहिए. जैसे मैगनीज है, फोस्फोरस है, पोटाशियम है, कैल्शियम, आयरन, कोबाल्ट, सिलिकोन आदि आदि. रासायनिक खाद मे मुश्किल से तीन होते हैं तो गाय का खाद रासायनिक खाद से 10 गुना ज्यादा ताकतवर है…….
गाय के मूत्र से ओषधियाँ बनती है. Diabetes की ओषधि बनती है, Arthritis की ओषधि बनती है, Bronkitis, Bronchial Asthma, Tuberculosis, Osteomyelitis ऐसे करके 48 रोगो की ओषधियाँ बनती है. अमेरिका मे गौ मूत्र पर एक दो नहीं, तीन patent है……
सुप्रीम कोर्ट ने कहा “गौ रक्षा करना, सर्वंधन करना देश के प्रत्येक नागरिक का सांविधानिक कर्त्तव्य है. सरकार का तो है ही, नागरिकों का भी सांविधानिक कर्तव्य है…..
भगवान श्रीराम के गुरु वशिष्ठ के आश्रम में भगवान श्रीराम और अन्य शिष्य गायें की सेवा करते थे….
द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण गायें पालते थे और गोपाल कहलाये…….
गाये माता के शरीर में सभी देवता निवास करतें हैं…….
दोस्तों, 1951 की जनगणना के अनुसार भारत में 97 करोड़ गौ वँश था और आज 2001 में 23 करोड़ गौवंश बचा है. कांग्रेस ने 2011 में गौ वंश की अलग गणना नही कराई. इस लिएमेरे पास ताज़ा आंकड़ा नहीं है…..
दोस्तों ये पोस्ट ज्यादा से ज्यादा फैलाएं…..
गायें माता का आशीर्वाद पायें……
इतना फैला दो की मोदी जी को अपना 5-4-14 का वादा याद आये…….
Hamare is Rashtawadi Page se bhi jude “http://www.facebook.com/WeWantToBeNarendraModi

We want to be Narendra Modi.'s photo.
We want to be Narendra Modi.
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Posted in रामायण - Ramayan

अयोध्या मसले की जड़ नेहरु :-


अयोध्या मसले की जड़ नेहरु :-

नेहरु की विखंडनकारी महत्वाकांक्षा यही बताती है कि १९४९ में उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री गोविन्द वल्लभ पंत रामलला की मूर्ति जन्मभूमि पर रखवाने के पक्ष में थे

वही नेहरु उस स्थान से मूर्तियों को हटवाने की बात कह रहे थे।

देश के दो दिग्गजों के मध्य दोहरी कश्मकश का परिणाम यह हुआ कि फैज़ाबाद के तत्कालीन जिलाधिकारी के. के. नायर को इस्तीफा देना पड़ा,

वास्तव में नेहरु कभी चाहते ही नहीं थे, कि राम जन्मभूमि पर रामलला विराजमान हो।

जैसा कि राजेंद्र प्रसाद और सरदार पटेल के प्रयास से गुजरात के सोमनाथ मंदिर के
जीर्णोद्धार कि तर्ज पर अयोध्या के विवाद को भी समाप्त किया जा सकता था।

इतिहास गवाह रहा है कि अयोध्या, कश्मीर, पाकिस्तान और तिब्बत जैसे मुद्दों पर
जहां कही भी नेहरु ने अपने दूषित हाथ डाले वे मुद्दे आज भी आज भी एक ज्वलंत समस्याएं बनी हुई है।

शेयर करें मित्रगण ॰हरिः ॐ॰
जय महाकाल…!!!

अयोध्या मसले की जड़ नेहरु :- नेहरु की विखंडनकारी महत्वाकांक्षा यही बताती है कि १९४९ में उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री गोविन्द वल्लभ पंत रामलला की मूर्ति जन्मभूमि पर रखवाने के पक्ष में थे वही नेहरु उस स्थान से मूर्तियों को हटवाने की बात कह रहे थे। देश के दो दिग्गजों के मध्य दोहरी कश्मकश का परिणाम यह हुआ कि फैज़ाबाद के तत्कालीन जिलाधिकारी के. के. नायर को इस्तीफा देना पड़ा, वास्तव में नेहरु कभी चाहते ही नहीं थे, कि राम जन्मभूमि पर रामलला विराजमान हो। जैसा कि राजेंद्र प्रसाद और सरदार पटेल के प्रयास से गुजरात के सोमनाथ मंदिर के जीर्णोद्धार कि तर्ज पर अयोध्या के विवाद को भी समाप्त किया जा सकता था। इतिहास गवाह रहा है कि अयोध्या, कश्मीर, पाकिस्तान और तिब्बत जैसे मुद्दों पर जहां कही भी नेहरु ने अपने दूषित हाथ डाले वे मुद्दे आज भी आज भी एक ज्वलंत समस्याएं बनी हुई है। शेयर करें मित्रगण ॰हरिः ॐ॰ जय महाकाल...!!!