Posted in हिन्दू पतन

मित्रो जब आतंकवादी यासिर अराफात ने फिलिस्तीन राष्ट्र की घोषणा की तो फिलिस्तीन को सबसे पहले मान्यता देने वाला देश कौन था ?


मित्रो जब आतंकवादी यासिर अराफात ने फिलिस्तीन राष्ट्र की घोषणा की तो फिलिस्तीन को सबसे पहले मान्यता देने वाला देश कौन था ?

Abhishek Sharma

सउदी अरब — नहीं
पाकिस्तान —- नहीं
अफगानिस्तान — नहीं
भारत —— जी हाँ भारत!!

इंदिरा गाँधी ने मुस्लिम तुस्टीकरण के लिए सबसे पहले फिलिस्तीन को मान्यता दिया और यासिर अराफात जैसे आतंकवादी को नेहरु शांति पुरस्कार [5 करोड़ रूपये ] दिया , और राजीव गाँधी ने उसको इंदिरा गाँधी अंतर्राष्ट्रीय शांति पुरस्कार दिया .. राजीव गाँधी ने तो उसको पुरे विश्व में घुमने के लिए बोईंग 747 गिफ्ट में दिया था ..

अब आगे सुनिए —-
वही खुराफात सॉरी अराफात ने OIC [ Organisation of islamic countries ] में कश्मीर को पाकिस्तान का अभिन्न भाग बताया और बोला कि पाकिस्तान जब चाहे तब मेरे लड़ाके कश्मीर की आज़ादी के लिए लड़ेंगे ..

इतना ही नही जिस व्यक्ति को दुनिया के १०३ देश आतंकवादी घोषित किये हो और जिसने ८ विमानों का अपहरण किया हो और जिसने दो हज़ार निर्दोष लोगो को मारा हो ..ऐसे आतंकवादी यासिर अराफात को सबसे पहले भारत ने किसी अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार ने नवाजा .

जी हाँ .. इंदिरा गाँधी ने इसे नेहरु शांति पुरस्कार दिया जिसमे एक करोड रूपये नगद और दो सौ ग्राम सोने से बना एक शील्ड होता है .. आप सोचिये १९८३ मे मतलब आज से करीब ३२ साल पहले एक करोड रूपये की क्या वैल्यू होगी ?

फिर राजीव गाँधी ने इसे इंदिरा गाँधी अंतरराष्ट्रीय शांति पुरस्कार से नवाजा ..

फिर बाद मे यही यासिर अराफात कश्मीर के मामले पर खुलकर पाकिस्तान के साथ हो गया और इसने घूम घूमकर पूरे इस्लामीक देशो मे कहा कि फिलिस्तीन और कश्मीर दोनों जगहों के मुसलमान गैर मुसलमानों के हाथो मारे जा रहे है इसलिए पूरे मुस्लिम जगत को इन दोनों मामलो पर एकजुट होना चाहिए

कांग्रेस की सत्ता के लिए मुस्लिम वोट बैंक की गंदी और घटिया राजनीती ..दुष्परिणाम के रूप में कश्मीर का मुद्दा राजनैतिक न होकर मजहबी बना दिया गया और देश भर के शांतिदूत बेलगाम हो गए!!
Narayan saraswat

Posted in हास्यमेव जयते

श्रीमती जी की रात के दो बजे अचानक नींद खुली तो पाया कि पति बिस्तर पे नहीं है।


श्रीमती जी की रात के दो बजे अचानक नींद खुली तो पाया कि पति बिस्तर पे नहीं है।

 

जिज्ञासावश उठीं, खोजा,…

तो देखा डाइनिंग टेबल पर बै

ठे

पति जी कॉफी

का कप हाथ में ले कर,

विचारमग्न, दीवार को घूर रहे हैं।

 

पत्नी चुपचाप पति को कॉफी की चुस्की लेते हुए बीच-बीच में आँख से

आँसू पोंछते देखती रही।

 

फिर पति के पास गई और बोलीं, “क्या बात है, डियर? तुम इतनी रात

गए यहाँ क्या कर रहे हो..?”

 

पति जी ने कॉफी से नज़र उठाई। “तुम्हें याद है, 14 साल पहले जब

तुम सिर्फ 18 साल की थीं?”

 

पति बड़ी गम्भीरता से बोला..।

 

पत्नी पति के प्यार को देख कर भाव

विभोर हो गई, बोली, “हाँ, याद

है..।”

 

कुछ रुक कर पति जी बोले “याद है जब तुम्हारे जज पिता जी ने हमें

मेरी कार मे घुमते हुए देख लिया था’ । पत्नी हाँ हाँ.. याद है..।”

 

“याद है कैसे उन्होंने मेरी कनपटी पर

बन्दूक रख कर कहा था,

“या तो इस से शादी कर लो, या 14 साल के लिए अन्दर कर दूँगा..।”

“हाँ.. हाँ.. वह भी याद है।”

 

अपनी आँख से एक और आँसू पोंछते हुए पति बोला.. “

…”आज मैं छूट गया होता…!!”

 

Dedicate to All. Married

Posted in हास्यमेव जयते

एक बार एक लडके को अपनी ही


एक बार एक लडके को अपनी ही

कॉलेज कि

एक

लडकी से प्यार हो गया था लडके ने

लडकी

को

को दोस्त बनाया पर अपने प्यार का

इजहार

ना कर सका क्योँकी वो डरता था कि

कहीँ

लडकी ने मना कर दिया तो दोस्ती

भी टुट

जाऐगी और वो ऊससे कभी बात तक

नही

करेगी

ईसी वजह से वो लडका परपोज करनै से डरता

था उनकी दोस्ती जितनी

गहरी हो रही

थी

लडके का प्यार भी उतना ही गहरा

होता

गया

धीरे धीरे कॉलेज भी खतम

हौ गया पर लडके

ने

अपने प्यार का इजहार नही किया वो डर

उसे

प्यार का इजहार करने से रोक लेता था

कॉलेज

पुरा हो गया था इसलिए वो बाहर ही

मिलते

थे एक दिन लडके ने हिम्मत करके लडकी को

कॉल किया और कहॉ कि मुझे तुमसे कुछ

जरुरी

बात करनी है लडकी ने कहॉ कि मुझे

भी

तुमसे

कुछजरुरी बात करनी है होटल मै

मिलते है

लडका शाम को ये ठान कर गया कि आज मै

अपने

प्यार का इजहार करकै हि रहुँगा चाहै कुछ

भी

हो लडकी कहती है कि पहले तुम

अपनी बात

कहोगे या मै अपनी बात कहुँ लडका कहता है

कि पहले तुम ही कहो लडकी

कहती है कि

अगले

हप्ते मैरी शादी हौ रही

है और खासकर तुमे

जरुर आना है लडका ने ये शुनते ही जैसै दिल कै

अन्दर से आशमान कि टुटने कि आवाज आई

फिर

लडकी बोली कि अब तुम कहो लडके ने

कहाँ

कि

मैनै देर करदी शायद पहलै मै अपनी

बात करता

इतना कह कर लडका चला जाता है और

लडकी

अपनै घर चली जाती है दुसरै दिन

लडका

लडकी

को कॉल करके एक पार्क मै बुलाता है और

कहता है कि मै पढाई कै लिए अमेरीका जा

रहा हूँ मै तुम्हारी शादी मै

नही आ पाऊगाँ

इतना कह कर लडका रोते हुऐ जाता है तो

लडकी बस इतना कहती है कि जिससे

मै

शादी

करने जा रहुँ उसका यहाँ होना भी तो

जरुरी

है लडका कहता कि पर वो तो यहॉ है ना

लडकी कहती कि पागल मै तुमसे

शादी कर

रही

हूँ तेरे दौस्त ने मुझे 1 महिने पहले सब कुछ बता

दिया

Morl दोस्त होतो ऐसा

Posted in छोटी कहानिया - १०,००० से ज्यादा रोचक और प्रेरणात्मक

एक ब्राम्हण था, कृष्ण के


एक ब्राम्हण था, कृष्ण के

Rakesh Pandey 

मंदिर में बड़ी सेवा किया करता था।
.
उसकी पत्नी इस बात से
हमेशा चिढ़ती थी कि हर बात
में वह पहले भगवान को लाता।
.
भोजन हो, वस्त्र हो या हर चीज
पहले भगवान को समर्पित करता।
.
एक दिन घर में लड्डू बने।
.
ब्राम्हण ने लड्डू लिए
और भोग लगाने चल दिया।
.
पत्नी इससे नाराज हो गई,
.
कहने लगी कोई पत्थर की
मूर्ति जिंदा होकर तो खाएगी नहीं
जो हर चीज लेकर मंदिर की तरफ
दौड़ पड़ते हो।
.
अबकी बार बिना खिलाए न
लौटना, देखती हूं कैसे भगवान
खाने आते हैं।
.
बस ब्राम्हण ने भी पत्नी के
ताने सुनकर ठान ली कि बिना
भगवान को खिलाए आज मंदिर
से लौटना नहीं है।
.
मंदिर में जाकर धूनि लगा ली।
.
भगवान के सामने लड्डू रखकर
विनती करने लगा।
.
एक घड़ी बीती। आधा दिन बीता,
न तो भगवान आए न ब्राम्हण हटा।
.
आसपास देखने वालों
की भीड़ लग गई।
.
सभी कौतुकवश देखने
लगे कि आखिर होना क्या है।
.
मक्खियां भिनभिनाने लगी
ब्राम्हण उन्हें उड़ाता रहा।
.
मीठे की गंध से चीटियां
भी लाईन लगाकर चली आईं।
.
ब्राम्हण ने उन्हें भी हटाया,
फिर मंदिर के बाहर खड़े आवारा
कुत्ते भी ललचाकर आने लगे।
.
ब्राम्हण ने उनको भी खदेड़ा।
.
लड्डू पड़े देख मंदिर के
बाहर बैठे भिखारी भी आए गए।
.
एक तो चला सीधे
लड्डू उठाने तो ब्राम्हण ने
जोर से थप्पड़ रसीद कर दिया।
.
दिन ढल गया, शाम हो गई।
.
न भगवान आए, न ब्राम्हण उठा।
.
शाम से रात हो गई।
.
लोगों ने सोचा
ब्राम्हण देवता पागल हो गए हैं,
.
भगवान तो आने से रहे।
.
धीरे-धीरे सब घर चले गए।
.
ब्राम्हण को भी गुस्सा आ गया।
.
लड्डू उठाकर बाहर फेंक दिए।
.
भिखारी, कुत्ते,चीटी, मक्खी
तो दिनभर से ही इस घड़ी का
इंतजार कर रहे थे, सब टूट पड़े।
.
उदास ब्राम्हण भगवान को
कोसता हुआ घर लौटने लगा।
.
इतने सालों की सेवा बेकार
चली गई।कोई फल नहीं मिला।
.
ब्राम्हण पत्नी के ताने सुनकर सो गया।
.
रात को सपने में भगवान आए।
.
बोले-तेरे लड्डू खाए थे मैंने।
.
बहुत बढिय़ा थे, लेकिन अगर सुबह
ही खिला देता तो ज्यादा अच्छा होता।
.
कितने रूप धरने पड़े
तेरे लड्डू खाने के लिए।
.
मक्खी, चीटी, कुत्ता, भिखारी।
.
पर तुने हाथ नहीं धरने दिया।
.
दिनभर इंतजार करना पड़ा।
.
आखिर में लड्डू खाए
लेकिन जमीन से उठाकर
खाने में थोड़ी मिट्टी लग गई थी।
.
अगली बार लाए तो अच्छे से खिलाना।
.
भगवान चले गए।
.
ब्राम्हण की नींद खुल गई।
.
उसे एहसास हो गया।
.
भगवान तो आए थे खाने
लेकिन मैं ही उन्हें पहचान नहीं पाया।
.
बस, ऐसे ही हम भी भगवान
के संकेतों को समझ नहीं पाते हैं।
.
****मुझमें राम ,तुझमें राम
सबमें राम समाया,
सबसे करलो प्रेम जगतमें ,
कोई नहीं पराया….**

Posted in हिन्दू पतन

ग़ाज़ी बाबा


एक हत्यारे व् बलात्कारी को “ग़ाज़ी बाबा” बताकर, बहराइच में उसकी कब्र के आगे मत्था टेकते है हिन्दू
 http://www.dainikbharat.org/2017/01/blog-post_898.html
जिसने जिन्दा रहते हुए दारूल इस्लाम की स्थापना के लिए लाखों हिन्दुओँ का क़त्ल किया हो, क्या मरने के बाद वो हिन्दुओँ की मनोकामनाएं पूरी करेगा
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हम दोस्त के घर से वापस आने के लिए पैकिंग कर रहे थे, तभी मेरे दोस्त के पिताजी ने कहा बेटा कुछ दिन और रुक जाते अभी तो आपने बहराइच भी नही घुमा है, कल हम सभी बहु को लेकर “गाज़ी बाबा” की दरगाह पर जायेंगे आप लोग भी चलो, आप लोग बहराइच तक आये हो तो कम से कम गाज़ी
बाबा की दरगाह तो देखकर ही जाओ,
चूँकि मेरे दोस्तों ने तो मना किया की और कहा ‘अंकल हम फिर कभी आएंगे बहराईच तब गाज़ी बाबा की दरगाह घूम कर जायेंगे, अभी हमें जाना होगा’
लेकिन मैने अंकल से कहा की हम सभी कल आप लोगों के साथ जाएँगे।
मैंने रात में कई बार सोचा की इन सभी को सैयद सालार गाज़ी की सच्चाई समझाऊँ लेकिन फिर दिमाग़ में वोही बातें अटैक करने लगीं की हिंदुओ को इतनी आसानी से समझ में कहाँ आता है, अगर इतनी ही आसानी से हिन्दू समझ जाते तो हिन्दू 1200 साल ग़ुलाम कैसे रहते ।
अगले दिन सुबह मैने उन लोगों को सैयद सालार गाज़ी की सच्चाई समझाने की हल्की सी कोशिश की, और यह जानने की कोशिश की उन लोगों की उस मज़ार से क्या आस्था है लेकिन वो हिन्दू परिवार बहुत ही सहष्णु और सेक्युलर वादी था, उनके अनुसार वो दरगाह हिन्दू मुस्लिम एकता का प्रतीक था
अब हम सभी अपनी अपनी गाड़ियों में बैठकर जा रहे थे , मै थोड़ा उदास भी था क्योंकि मुझे ये देखकर दुःख हो रहा था की हिंदू इतना मूर्ख कैसे हो सकता है जो निरंतर मुस्लिमों के चँगुल में फँसता ही चला जा रहा हो, जो इनके स्लो पोइशन सूफिज्म के फ़ैलाये जाल से बाहर निकलने की कोशिश भी नही करता, आज हिन्दू जिस गाज़ी की पूजा कर रहा है उसके इतिहास को जानने की कोशिस भी नही करता।
दरगाह से काफ़ी दूरी पहले ही गाड़ियाँ रोक दी गयीं सभी लोग दरगाह जाने लगे, वहाँ जाकर पता चला की कितने हिन्दू आज भी अंध विश्वासी बन मज़ारों पर माथा टेक रहे हैं कुछ महंगी महँगी चादर चढ़ा रहे हैं और मन्नतें माँग रहे हैं, लेकिन वो हिन्दू ये नही जानते की जिसने जिन्दा रहते हुए केवल इस्लाम का परचम फ़ैलाने के लिए लाखों हिंदुओ को मारा हो वो मरने के बाद हिंदुओ की मन्नतें कैसे पूरी कर सकता है।
अब हम सभी वापिस आ रहे थे की रास्ते में एक शमसान घाट मिला मैंने अपनी गाड़ी शमसान घाट पर रोक दी और मैं माथा टेकते हुए शमसान घाट के अंदर गया अब मैंने सभी लोगों को बुलाया लेकिन कोई भी शमसान घाट में आने को तैयार नही था , फिर मैंने अंकल को बोला की अंकल जी प्लीज् अंदर आओ, आप सभी को कुछ बताना चाहता हूँ, अब अंकल जी बोले बेटा अगर शमसान घाट के अंदर आऊँगा तो फिर जाकर नहाना पड़ेगा और यहाँ भूत रहते हैं,
मैंने कहा अंकल जी आप को नहाना तो वैसे भी पड़ेगा क्योंकि आप ऑलरेडी एक शमसान घाट होकर आये हो और कब्र में लेटे हुए भूत से मन्नतें माँग कर आये हो।
आप आओ तो सही आपको कुछ बताना चाहता हूँ, अब एक एक करके सभी लोग शमसान घाट के अंदर आ गए,
अब मैंने बोलना शुरू किया की अंकल आप बताओ
“क्या कोई मुस्लिम जिसनें दारुल इस्लाम के लिए लाखों हिंदुओ का क़त्ल किया हो, क्या वो मरने के बाद हिंदुओ की मन्नतें पूरी करेगा”
आप जानते हो की सैयद सालार गाज़ी की क़ब्र के सामने हिंदुओ का माथा टेकना उन लाखों हिन्दू वीर योद्धाओं के साथ धौखा होगा जिन्होंने उस गाज़ी से लड़ते हुए अपने प्राण त्याग दिए,
आज के हिंदुओं का गाज़ी के सामने सर झुकाना उन लाखों माँओं के साथ विश्वासघात होगा जिन माँओं ने गाज़ी को रोकने के लिए अपने लाल खोए, उन अर्धांगिनियों के साथ विश्वासघात होगा जिन्होंने उस गाज़ी से लड़ने के लिये अपना सिंदूर उजाड़ा।
लाखों हिंदुओ को मारने वाले गाज़ी के सामने सर झुकाने से बेहतर, मैं शमसान घाट की उन आत्मा के सामने सर झुकाना बेहतर समझूँगा जिसनें अपने जीवन में किसी का क़त्ल नही किया हो,
फिर मैंने पूछा आप सभी क्या जानते हो “सैयद सालार गाज़ी” के बारे में कौन था वो, तो सुनों मैं आपको उसकी सच्चाई बताता हूँ
“आप सभी महमूद गज़नवी (गज़नी) के बारे में तो जानते ही होंगे, वही मुस्लिम आक्रांता जिसने सोमनाथ पर 17 बार हमला किया और भारी मात्रा में सोना हीरे-जवाहरात आदि लूट कर ले गया था।
महमूद गजनवी ने सोमनाथ पर आखिरी बार सन् 1024 में हमला किया था तथा उसने व्यक्तिगत रूप से सामने खड़े होकर शिवलिंग के टुकड़े-टुकड़े किये और उन टुकड़ों को अफ़गानिस्तान के गज़नी शहर की जामा मस्जिद की सीढ़ियों में सन् 1026 में भी लगवाया।
उसी लुटेरे महमूद गजनवी का ही भांजा था सैयद सालार मसूद उर्फ़ आपका गाज़ी बाबा,
यह बड़ी भारी सेना लेकर सन् 1031 में भारत आया। सैयद सालार मसूद उर्फ़ गाज़ी बाबा एक सनकी किस्म का धर्मान्ध इस्लामिक आक्रान्ता था।
महमूद गजनवी तो सिर्फ़ लूटने के लिये भारत आता था,
लेकिन सैयद सालार मसूद उर्फ़ गाज़ी बाबा भारत में विशाल सेना लेकर आया था उसका मक़सद भारतभूमि को “दारुल-इस्लाम” बनाकर रहना था, और इस्लाम का प्रचार पूरे भारत में करना था जाहिर है कि तलवार के बल पर।
सैयद सालार मसूद अपनी सेना को लेकर “हिन्दुकुश” पर्वतमाला को पार करके पाकिस्तान (आज के) के पंजाब में पहुँचा, जहाँ उसे पहले हिन्दू राजा आनन्द पाल शाही का सामना करना पड़ा, जिसका उसने आसानी से सफ़ाया कर दिया।
मसूद के बढ़ते कदमों को रोकने के लिये सियालकोट के राजा अर्जुन सिंह ने भी आनन्द पाल की मदद की लेकिन इतनी विशाल सेना के आगे वे बेबस रहे। मसूद धीरे-धीरे आगे बढ़ते-बढ़ते राजपूताना और मालवा प्रांत में पहुँचा, जहाँ राजा महिपाल तोमर से उसका मुकाबला हुआ, और उसे भी मसूद ने अपनी सैनिक ताकत से हराया। एक तरह से यह भारत के विरुद्ध पहला जेहाद ही युद्ध था जो भारत को इस्लामिक मुल्क़ बनाने के लिए हुआ था। सैयद सालार मसूद सिर्फ़ लूटने की नीयत से भारत नही आया था बल्कि बसने राज्य करने और इस्लाम को फ़ैलाने का उद्देश्य लेकर भारत आया था।
पंजाब से लेकर उत्तरप्रदेश के गांगेय इलाके को रौंदते, लूटते, हत्यायें-बलात्कार करते सैयद सालार मसूद अयोध्या के नज़दीक स्थित बहराइच पहुँचा, जहाँ उसका इरादा एक सेना की छावनी और राजधानी बनाने का था। इस दौरान इस्लाम के प्रति उसकी सेवाओं को देखते हुए उसे “गाज़ी बाबा” की उपाधि दी गई।
इस मोड़ पर आकर भारत के इतिहास में एक विलक्षण घटना घटित हुई, ज़ाहिर है कि इतिहास की पुस्तकों में जिसका कहीं जिक्र नहीं किया गया है।
इस्लामी खतरे को देखते हुए पहली बार भारत के उत्तरी इलाके के हिन्दू राजाओं ने एक विशाल गठबन्धन बनाया, जिसमें लगभग 20 राजा अपनी सेना सहित शामिल हुए और उनकी संगठित संख्या सैयद सालार मसूद की विशाल सेना से भी ज्यादा हो गई।
जैसी कि हिन्दुओ की परम्परा रही है, सभी राजाओं के इस गठबन्धन ने सालार मसूद के पास संदेश भिजवाया कि यह पवित्र धरती हमारी है और वह अपनी सेना के साथ चुपचाप भारत छोड़कर निकल जाये लेकिन सालार मसूद ने माँग ठुकरा दी उसके बाद ऐतिहासिक बहराइच का युद्ध हुआ, जिसमें संगठित हिन्दुओं की सेना ने सैयद मसूद की सेना को धूल चटा दी।
इस भयानक युद्ध के बारे में इस्लामी विद्वान शेख अब्दुर रहमान चिश्ती की पुस्तक मीर-उल-मसूरी में विस्तार से वर्णन किया गया है। उन्होंने लिखा है कि मसूद सन् 1033 में बहराइच पहुँचा, तब तक हिन्दू राजा संगठित होना शुरु हो चुके थे।
यह भीषण रक्तपात वाला युद्ध मई-जून 1033 में लड़ा गया। युद्ध इतना भीषण था कि सैयद सालार मसूद के किसी भी सैनिक को जीवित नहीं जाने दिया गया, यहाँ तक कि युद्ध बंदियों को भी मार डाला गया… मसूद का समूचे भारत को इस्लामी रंग में रंगने का सपना अधूरा ही रह गया।
बहराइच का यह युद्ध 14 जून 1033 को समाप्त हुआ।
जब फ़िरोज़शाह तुगलक बहराइच आया और मसूद के बारे में जानकारी पाकर वह बहुत प्रभावित हुआ और उसने उसकी कब्र को एक विशाल दरगाह और गुम्बज का रूप देकर सैयद सालार मसूद को “एक धर्मात्मा” के रूप में प्रचारित करना शुरु किया, एक ऐसा इस्लामी धर्मात्मा जो भारत में इस्लाम का प्रचार करने आया था।
इस इस्लामिक आक्रांता के आगे आप सभी माथा टेकते हो, जिसने अपने जीवित रहते हुए लाखों हिंदुओ को मारा हो क्या वो मरने के बाद हिन्दुओँ की मनोकामनाएं पूरी करेगा,
किसी के सामने सर झुकाने से पहले उसके इतिहास और चरित्र को तो जान लो फिर उसे सम्मान दो, जो भारतभूमि में भारत को सम्मान नही देता और हिन्दू धर्म को सम्मान नही देता, मैं उनके सामने अपना सर नही झुकाता।
अब सभी लोग शाँत थे तभी किरण भाभी ( जिनकी कल ही शादी हो कर आयी थी) ने कहा अशोक भैया आपका बहुत बहुत धन्यवाद जो आपने सैयद सालार मसूद उर्फ़ गाज़ी की सच्चाई बतायी, अब मैं अपने जीवन में कभी भी गाज़ी की दरगाह नही आऊँगी और नही कभी किसी को इस पिशाच की दरगाह पर आने दूँगी।
अब हम सभी अपनी अपनी गाड़ियों में वापिस घर जाने लगे, मेरे दोस्त मुझसे पूछ रहे थे की भाई तू हिंदुत्व को लेकर इतनी टेंशन क्यों लेता है, मैंने भी कहा की ख़ुद को और धर्म को बचाने के लिए किसी ना किसी को तो आगे आना ही होगा सो मैं इस युद्ध में एक सिपाही हूँ जो अपनी अंतिम साँस तक धर्म के लिए लड़ेगा।
Posted in भारत का गुप्त इतिहास- Bharat Ka rahasyamay Itihaas

नेहरू भले ही मर गया, पर कश्मीर में समस्या हमेशा हमेशा के लिए बना गया


नेहरू भले ही मर गया, पर कश्मीर में समस्या हमेशा हमेशा के लिए बना गया

ये जो जम्मू कश्मीर का आप नक्शा देख रहे है, ये जम्मू कश्मीर का पूरा नक्शा था, 1947 से पहले
भारत जब आज़ाद हुआ और मुसलमानो और गाँधी-नेहरू ने देश के टुकड़े किये, तो जो इस नक़्शे पर 7 नंबर वाला इलाका है, वो मुस्लिम बहुल था, वहां हिन्दुओ को बड़े पैमाने पर मारा गया, और पाकिस्तान ने वहां कब्ज़ा कर लिया
तबतक  जम्मू कश्मीर भारत में शामिल नहीं हुआ था, राजा थे हरी सिंह
जब उन्होंने देखा की 7 नंबर वाले इलाके पर जिहादियों ने कब्ज़ा कर लिया है, और पाकिस्तान उनके साथ है, वो श्रीनगर तक आ रहे है
तब जाकर हरी सिंह ने भारत में मिलने का मन बनाया और भारत में मिल गए
अब जानिये भारत में मिलने के बाद क्या क्या हुआ
नक्शे में दिखाया 7 नम्बर POK है जो कश्मीर का मात्र 1.7% है।
भारत में मिलने से पहले बस पाकिस्तान के कब्जे में यही इलाका था, जबकि नक्शे में दिखाया गया 5 नम्बर भी कश्मीर का हिस्सा है और इसे भी कश्मीर के राजा हरिसिंह भारत गणराज्य में विलय कर गए थे जिस पर पाकिस्तान ने तब कब्जा कर लिया था जब नेहरु ने अपनी फौजें वहां नहीं भेजी थीं। नेहरु ने गिलगिट-बाल्टिस्तान के लोगों के साथ धोखा किया था।
तो 5 नंबर वाला इलाका भी नेहरू द्वारा भारतीय फ़ौज न भेजे जाने के कारण पाकिस्तान ने कब्जा लिया, जो आज गिलगिट-बाल्टिस्तान है
.
उससे भी ज्यादा बड़ा गलत काम नेहरू ने इलाके नंबर 6 में किया। ये कश्मीर का 1.6 % भाग है जिसे “घाटी” कहते हैं। सिर्फ इस भाग को पुरे राज्य की दो तिहाई विधानसभा सीटें दी गईं हैं।
सिर्फ यही भाग जम्मू -कश्मीर में सरकार चुनता है, मतलब इस छोटी सी घाटी की सरकार बनाने में सबसे बड़ी भूमिका होती है, जबकि आपको बता दें की ये इलाका जम्मू से जनसख्याँ और छेत्रफल दोनों में छोटा था पर फिर भी नेहरू ने इस इलाके में यानि घाटी में सबसे ज्यादा विधानसभा सीट बनवा दी
इसका प्रमुख कारण ये था की, उस ज़माने में  भी ये इलाका मुस्लिम बहुल था, जबकि जम्मू हिन्दू बहुल
और नेहरू चाहता था की इतिहास में कभी जम्मू कश्मीर में हिन्दू मुख्यमंत्री बने ही नहीं, सिर्फ मुस्लिम ही पुरे जम्मू कश्मीर पर राज करे
और हुआ भी ऐसा, आजतक कोई भी हिन्दू जम्मू कश्मीर का मुख्यमंत्री नहीं बना है, चूँकि अधिकतर सीट कश्मीर में है, वैसे  हिन्दू को कश्मीर से भगाये जाने के बाद, कश्मीर में 99% मुसलमान ही है
इस घाटी को मुफ्तियों और अब्दुल्लाओं ने कब्जा में ले रखा है। यही भाग पाकिस्तानी आतंकवाद को पनाह देता है और आतंकवाद से लड़ने के नाम पर हर साल सिर्फ यही क्षेत्र केंद्र से लाखों करोड़ का पॅकेज लेकर गुलछर्रे उड़ा रहा है।
मुफ्तीज और अब्दुल्लाज की चमड़ी मोटी होती जा रही है और ये खुद आतंकवाद फैलवाकर सत्ता के साथ हर साल लाखों करोड़ों के विशेष पैकेज का खेल 70 साल से खेल रहे हैं। ये कहते हैं के ये बोर्डर का इलाका है जो बिलकुल झूँठ है। सिर्फ इस 1.6% भाग ने पूरे कश्मीर को अस्थिर कर रखा है।
ये हाल किया था नेहरू ने जम्मू कश्मीर का, नेहरू भले ही मर गया पर उसके कारनामो के कारण आज भी
भारत में अशांति मची हुई है