Posted in रामायण - Ramayan

भारत के बाहर थाईलेंड में आज भी संवैधानिक रूप में राम राज्य है l वहां भगवान राम के छोटे पुत्र कुश के वंशज सम्राट “भूमिबल अतुल्य तेज ” राज्य कर रहे हैं , जिन्हें नौवां राम कहा जाता है l


-भगवान राम का संक्षिप्त इतिहास-
वाल्मीकि रामायण एक धार्मिक ग्रन्थ होने के साथ एक ऐतिहासिक ग्रन्थ भी है , क्योंकि महर्षि वाल्मीकि राम के समकालीन थे , रामायण के बालकाण्ड के सर्ग ,70 . 71 और 73 में राम और उनके तीनों भाइयों के विवाह का वर्णन है , जिसका सारांश है।

मिथिला के राजा सीरध्वज थे , जिन्हें लोग विदेह भी कहते थे उनकी पत्नी का नाम सुनेत्रा ( सुनयना ) था , जिनकी पुत्री सीता जी थीं , जिनका विवाह राम से हुआ था l
राजा जनक के कुशध्वज नामके भाई थे l इनकी राजधानी सांकाश्य नगर थी जो इक्षुमती नदी के किनारे थी l इन्होंने अपनी बेटी
उर्मिला लक्षमण से, मांडवी भरत से, और श्रुतिकीति का विवाह शत्रुघ्न से करा दी थीl

केशव दास रचित ” रामचन्द्रिका “-पृष्ठ 354 ( प्रकाशन संवत 1715 ) .के अनुसार, राम और सीता के पुत्र लव और कुश, लक्ष्मण और उर्मिला के पुत्र अंगद और चन्द्रकेतु , भरत और मांडवी के पुत्र पुष्कर और तक्ष, शत्रुघ्न और श्रुतिकीर्ति के पुत्र सुबाहु और शत्रुघात हुए थे l

भगवान राम के समय ही राज्यों बँटवारा इस प्रकार हुआ था —
पश्चिम में लव को लवपुर (लाहौर ), पूर्व में कुश को कुशावती, तक्ष को तक्षशिला, अंगद को अंगद नगर, चन्द्रकेतु को चंद्रावतीl कुश ने अपना राज्य पूर्व की तरफ फैलाया और एक नाग वंशी कन्या से विवाह किया था l थाईलैंड के राजा उसी कुश के वंशज हैंl इस वंश को “चक्री वंश कहा जाता है l चूँकि राम को विष्णु का अवतार माना जाता है , और विष्णु का आयुध चक्र है इसी लिए थाईलेंड के लॉग चक्री वंश के हर राजा को “राम ” की उपाधि देकर नाम के साथ संख्या दे देते हैं l जैसे अभी राम (9 th ) राजा हैं जिनका नाम “भूमिबल अतुल्य तेज ” है।

थाईलैंड की अयोध्या–
लोग थाईलैंड की राजधानी को अंग्रेजी में बैंगकॉक ( Bangkok ) कहते हैं , क्योंकि इसका सरकारी नाम इतना बड़ा है , की इसे विश्व का सबसे बडा नाम माना जाता है , इसका नाम संस्कृत शब्दों से मिल कर बना है, देवनागरी लिपि में पूरा नाम इस प्रकार है –

“क्रुंग देव महानगर अमर रत्न कोसिन्द्र महिन्द्रायुध्या महा तिलक भव नवरत्न रजधानी पुरी रम्य उत्तम राज निवेशन महास्थान अमर विमान अवतार स्थित शक्रदत्तिय विष्णु कर्म प्रसिद्धि ”

थाई भाषा में इस पूरे नाम में कुल 163 अक्षरों का प्रयोग किया गया हैl इस नाम की एक और विशेषता ह l इसे बोला नहीं बल्कि गा कर कहा जाता हैl कुछ लोग आसानी के लिए इसे “महेंद्र अयोध्या ” भी कहते है l अर्थात इंद्र द्वारा निर्मित महान अयोध्या l थाई लैंड के जितने भी राम ( राजा ) हुए हैं सभी इसी अयोध्या में रहते आये हैं l

असली राम राज्य थाईलैंड में है-
बौद्ध होने के बावजूद थाईलैंड के लोग अपने राजा को राम का वंशज होने से विष्णु का अवतार मानते हैं , इसलिए, थाईलैंड में एक तरह से राम राज्य है l वहां के राजा को भगवान श्रीराम का वंशज माना जाता है, थाईलैंड में संवैधानिक लोकतंत्र की स्थापना 1932 में हुई।

भगवान राम के वंशजों की यह स्थिति है कि उन्हें निजी अथवा सार्वजनिक तौर पर कभी भी विवाद या आलोचना के घेरे में नहीं लाया जा सकता है वे पूजनीय हैं। थाई शाही परिवार के सदस्यों के सम्मुख थाई जनता उनके सम्मानार्थ सीधे खड़ी नहीं हो सकती है बल्कि उन्हें झुक कर खडे़ होना पड़ता है. उनकी तीन पुत्रियों में से एक हिन्दू धर्म की मर्मज्ञ मानी जाती हैं।

थाईलैंड का राष्ट्रीय ग्रन्थ रामायण है
यद्यपि थाईलैंड में थेरावाद बौद्ध के लोग बहुसंख्यक हैं , फिर भी वहां का राष्ट्रीय ग्रन्थ रामायण है l जिसे थाई भाषा में ” राम-कियेन ” कहते हैं l जिसका अर्थ राम-कीर्ति होता है , जो वाल्मीकि रामायण पर आधारित है l इस ग्रन्थ की मूल प्रति सन 1767 में नष्ट हो गयी थी , जिससे चक्री राजा प्रथम राम (1736–1809), ने अपनी स्मरण शक्ति से फिर से लिख लिया था l थाईलैंड में रामायण को राष्ट्रिय ग्रन्थ घोषित करना इसलिए संभव हुआ ,क्योंकि वहां भारत की तरह दोगले हिन्दू नहीं है ,जो नाम के हिन्दू हैं , लेकिन उनके असली बाप का नाम उनकी माँ भी नहीं बता सकती , हिन्दुओं के दुश्मन यही लोग है l

थाई लैंड में राम कियेन पर आधारित नाटक और कठपुतलियों का प्रदर्शन देखना धार्मिक कार्य माना जाता है l राम कियेन के मुख्य पात्रों के नाम इस प्रकार हैं-

राम (राम), 2 लक (लक्ष्मण), 3 पाली (बाली), 4 सुक्रीप (सुग्रीव), 5 ओन्कोट (अंगद), 6 खोम्पून ( जाम्बवन्त ) ,7 बिपेक ( विभीषण ), 8 तोतस कन ( दशकण्ठ ) रावण, 9 सदायु ( जटायु ), 10 सुपन मच्छा ( शूर्पणखा ) 11मारित ( मारीच ),12इन्द्रचित ( इंद्रजीत )मेघनाद , 13 फ्र पाई( वायुदेव ), इत्यादि l थाई राम कियेन में हनुमान की पुत्री और विभीषण की पत्नी का नाम भी है, जो यहाँ के लोग नहीं जानते l

थाईलैंड का राष्ट्रीय चिन्ह गरुड़
गरुड़ एक बड़े आकार का पक्षी है , जो लगभग लुप्त हो गया है l अंगरेजी में इसे ब्राह्मणी पक्षी (The brahminy kite ) कहा जाता है , इसका वैज्ञानिक नाम “Haliastur indus ” है l फ्रैंच पक्षी विशेषज्ञ मथुरिन जैक्स ब्रिसन ने इसे सन 1760 में पहली बार देखा था, और इसका नाम Falco indus रख दिया था, इसने दक्षिण भारत के पाण्डिचेरी शहर के पहाड़ों में गरुड़ देखा थाl इस से सिद्ध होता है कि गरुड़ काल्पनिक पक्षी नहीं है l इसीलिए भारतीय पौराणिक ग्रंथों में गरुड़ को विष्णु का वाहन माना गया है l चूँकि राम विष्णु के अवतार हैं , और थाईलैंड के राजा राम के वंशज है , और बौद्ध होने पर भी हिन्दू धर्म पर अटूट आस्था रखते हैं , इसलिए उन्होंने ” गरुड़ ” को राष्ट्रीय चिन्ह घोषित किया है l यहां तक कि थाई संसद के सामने गरुड़ बना हुआ है।

सुवर्णभूमि हवाई अड्डा
हम इसे हिन्दुओं की कमजोरी समझें या दुर्भाग्य , क्योंकि हिन्दू बहुल देश होने पर भी देश के कई शहरों के नाम मुस्लिम हमलावरों या बादशाहों के नामों पर हैं l यहाँ ताकि राजधानी दिल्ली के मुख्य मार्गों के नाम तक मुग़ल शाशकों के नाम पार हैं l जैसे हुमायूँ रोड , अकबर रोड , औरंगजेब रोड इत्यादि , इसके विपरीत थाईलैंड की राजधानी के हवाई अड्डे का नाम सुवर्ण भूमि हैl यह आकार के मुताबिक दुनिया का दूसरे नंबर का एयर पोर्ट है l इसका क्षेत्रफल 563,000 स्क्वेअर मीटर है। इसके स्वागत हाल के अंदर समुद्र मंथन का दृश्य बना हुआ हैl पौराणिक कथा के अनुसार देवोँ और ससुरों ने अमृत निकालने के लिए समुद्र का मंथन किया था l इसके लिए रस्सी के लिए वासुकि नाग, मथानी के लिए मेरु पर्वत का प्रयोग किया था l नाग के फन की तरफ असुर और पुंछ की तरफ देवता थेl मथानी को स्थिर रखने के लिए कच्छप के रूप में विष्णु थेl जो भी व्यक्ति इस ऐयर पोर्ट के हॉल जाता है वह यह दृश्य देख कर मन्त्र मुग्ध हो जाता है।

इस लेख का उदेश्य लोगों को यह बताना है कि असली सेकुलरज्म क्या होता है, यह थाईलैंड से सीखो l अपने धर्म की उपेक्षा करके और दुश्मनों की चाटुकारी करके सेकुलर बनने से तो मर जाना ही श्रेष्ठ हैl और जिन लोगों को खुद के राम भक्त होने पर गर्व है ! विचार करें !

Posted in श्रीमद्‍भगवद्‍गीता

मुझे मेरे सवालों के जवाब चर्च में नहीं बल्कि हिन्दू धर्म की गीता और उपनिषद से मिले : स्टार हघ जैकमैन


मुझे मेरे सवालों के जवाब चर्च में नहीं बल्कि हिन्दू धर्म की गीता और उपनिषद से मिले : स्टार हघ जैकमैन

मशहूर एक्शन मूवी सीरीज x-मैन फेम हॉलीवुड स्टार ह्यू जैकमैन इन दिनों हिन्दू धर्म को पूरी तरह फॉलो कर रहे हैं। वे ईसाई होने के बावजूद चर्च या बाइबिल की बजाय हिन्दू धर्म ग्रन्थ भगवद्गीता व् उपनिषद में शांति का मार्ग खोज रहे हैं।

खबर अनुसार सनातन धर्म से प्रभावित ह्यू जैकमैन का यहाँ तक कहना है कि – ” मुझे मेरे सवालों के जवाब चर्च नहीं गीता, उपनिषदों में मिले। “

एक अंग्रेजी अख़बार को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा – ” मुझे चर्च में ले जाया गया था और मेरे दिमाग में उठे प्रश्न मुझे परेशान करने लगे – तब मुझे कुछ ही जवाब मिले – मगर जैसे ही मैंने वैदिक विचारों, ग्रन्थों और तथ्यों को खोजा तो मुझे सब जवाब मिल गये और मैं पूरी तरह संतुष्ट हो पाया। ”

उन्होंने इस दौरान बताया कि वो हिन्दू आदि गुरु शन्कराचार्य व् महेश योगी से काफी प्रभावित हैं। वे बताते हैं कि जब से उन्होंने इन दोनों को पढना शुरू किया, उन्हें सनातन धर्म ग्रन्थों से लगाव होता चला गया।

इसके बाद उन्होंने भगवद्गीता और उपनिषद को पढना शुरू किया, जिनके लिए वो कहते हैं कि उन्हें इन दोनों में अपने जीवन के सभी प्रश्नों के जवाब मिल गये।

Posted in बॉलीवुड - Bollywood

दाऊद के इशारे पर बॉलीवुड में घुसाये जा रहे पाकिस्तानी, निकाले जा रहे हिन्दू कलाकार…..


दाऊद के इशारे पर बॉलीवुड में घुसाये जा रहे पाकिस्तानी,
निकाले जा रहे हिन्दू कलाकार…..

कुमार शानू ,उदित नारायण, अभिजीत, शान, सुखविंदर सिंह, सोनू निगम, अरजीत सिहं ।

आपने कभी ध्यान दिया है कि फ़िल्मों मे 92 के बाद से गायकों का करियर ग्राफ़ कैसा रहा है ??

याद है कुमार शानू जो करियर में पीक पर चढ़कर अचानक ही धुँध में खो गये ।

फिर आये अभिजीत, जिन्हे टाप पर पहुँचकर अचानक
ही काम मिलना बद हो गया

उदित नारायण भी उदय होकर समय से पहले अस्त हो गये।

उसके बाद सुखविंदर अपनी धमाकेदार आवाज से फलक पर छा गये और फिर अचानक ही ग्रहण लग गया

उसके बाद आये शान,और बुलंदियों को छूने के अचानक बाद ही कब नीचे आये पता ही नही लगा।

फिर सोनू निगम कब काम मिलना बंद हुआ, लोग समझ ही नही पाये ।

उसके बाद अरजीत सिंह जिनकी मखमली आवाज ने दिलो मे जगह बनानी शुरू ही की थी कि सलमान ने उन्हें पब्लिकली माफ़ी माँगने के बाद भी फिल्म सुलतान में उनके द्वारा गाया हुआ ‘जग घूमया’ जैसा गाना बाहर निकलवा दिया अौर उसी गाने को पाकिस्तानी गायक राहत फतेह अली खान से गवाया, अौर सिर्फ़ यही नहीं बाद में धीरे धीरे उसका करियर खतम करने की साज़िश चल रही है।

सारे ही गायकों को असमय बाहर का रास्ता दिखा दिया गया।

इसके उल्टा पहले चीख़ कर गाने वाले, क़व्वाली
गायक नुसरत फ़तेह अली खान क़व्वाली गाने के
लिये बुलाया जाता है, और पाकिस्तानी गायकों के लिये दरवाज़े खोल दिये जाते हैं। उसके बाद राहत फ़तेह अली खान आते हैं और बॉलीवुड में उन्हे लगातार काम मिलने लगता है और बॉलीवुड की वजह से सुपरहिट हो जाते है।

फिर नये स्टाईल के नाम पर आतिफ़ असलम आते हैं जिनको एक के बाद एक अच्छे गाने मिलने लगते हैं।

अली जाफ़र जैसे औसत गायक को भी काम मिलने में कोई दिक़्क़त नही आती ।

धीरे धीरे पाकिस्तानी हीरो हीरोइन को भी बॉलीवुड मे लाकर स्थापित किया जाने लगा और भारतियों को बाहर का रास्ता दिखाया जाने लगा

उरी हमले के बाद बैक डोर से चुपके से उन्हे लाने की चाल, कुछ भारतियों की नज़र मे आ गया और उन्होंने निंदा करने की माँग करने की, हिमाक़त कर डाली जो उन्हे नागवार गुज़री और वो पाकिस्तान वापस चले गये।

क्या आपको लगता है कि यह महज इत्तिफ़ाक़ है तो आप से बडा भोला कोइ नही

पूरा बॉलीवुड डी-कंपनी या पी-कंपनी (पाकिस्तान) के इशारों पर चलता है, और इसका इलाज है टोटल बॉयकाट।

सिर्फ़ देशभक्त कलाकारों का समर्थन करें।।

हम हमारे देश के लिए इतना तो कर सकते है। हम अपने रूपये को आतंकियो के हाथ मे न जाने दे।
हमारे ही रुपयो से हमारे ही बच्चो के लिए कफन का इन्तजाम तो न करें!!
अपने पैसे देश की बर्बादी में न लगा के देश के विकास अपने समाज के विकास में लगाएं साल में 100 फ़िल्में न देख के अच्छी 1 ही फिल्म देखें ,जेहादी सोच वाले शाहरुख़, महेश भट्ट, कपूर खानदान का बॉयकॉट करें जिन प्रोडक्ट की जेहादी ऐड करते हैं उसका बॉयकॉट करें, पर ध्यान रखें ये सब गुस्से या अराजकता से नहीं धैर्य से करना है।

Posted in राजनीति भारत की - Rajniti Bharat ki

सुप्रीम कोर्ट


Sanjay Dwivedi
​अभिषेक मनु सिंघवी का हाथ जैसे ही उस अर्द्धनग्न महिला के कमर के उपर पहुँचा , उनकी उँगलियाँ महिला के एकमात्र बचे अंतःवस्त्र के साथ क्रीड़ा करने लगी। थोड़ी देर बाद साहब ने उस अंतःवस्त्र के इलास्टिक की प्रत्यास्थता और उसकी अधिकतम सीमा को जाँचने के लिए उसे बार-बार खिंचने और छोड़ने लगे …परंतु जैसे ही अपने मुख्य उद्देश्य की पूर्ति हेतु खिंचाव की दिशा को उन्होंने नीचे की ओर किया , उस महिला ने चिहुँकते हुए बड़े प्यार से पूछा – ” जज कब बना रहे हो ? “…..बोलो ना डियर , “जज कब बना रहे हो” …???
अब साहब ने जो भी उत्तर दिया था वह सारा का सारा सीन उस सेक्स-सीडी में रिकॉर्ड हो गया …..और यही सीडी कांग्रेस के उस बड़े नेता और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी के राजनीतिक पतन का कारण बना। 

पिछले 70 सालों से जजों की नियुक्ति में सेक्स , पैसा , ब्लैक मेल एवं दलाली के जरिए जजों को चुना जाता रहा है।
अजीब बिडम्बना है कि हर रोज दुसरों को सुधरने की नसीहत देने वाले लोकतंत्र के दोनों स्तम्भ मीडिया और न्यायपालिका खुद सुधरने को तैयार नही हैं।
जब देश आज़ाद हुआ तब जजों की नियुक्ति के लिए ब्रिटिश काल से चली आ रही ” कोलेजियम प्रणाली ” भारत सरकार ने अपनाई…. यानी सीनियर जज अपने से छोटे अदालतों के जजों की नियुक्ति करते है। इस कोलेजियम में जज और कुछ वरिष्ठ वकील भी शामिल होते है। जैसे सुप्रीमकोर्ट के जज हाईकोर्ट के जज की नियुक्ति करते है और हाईकोर्ट के जज जिला अदालतों के जजों की नियुक्ति करते है ।
इस प्रणाली में कितना भ्रष्टाचार है वो लोगों ने अभिषेक मनु सिंघवी की सेक्स सीडी में देखी थी…. अभिषेक मनु सिंघवी सुप्रीमकोर्ट की कोलेजियम के सदस्य थे और उन्हें दिल्ली हाईकोर्ट के लिए जजों की नियुक्ति करने का अधिकार था… उस सेक्स सीडी में वो वरिष्ठ वकील अनुसुइया सालवान को जज बनाने का लालच देकर उसके साथ इलू इलू करते पाए गए थे , वो भी कोर्ट परिसर के ही किसी खोपचे में।
कलेजियम सिस्टम से कैसे लोगो को जज बनाया जाता है और उसके द्वारा राजनितिक साजिशें कैसे की जाती है उसके दो उदाहरण देखिये …….
पहला उदाहरण —
किसी भी राज्य के हाईकोर्ट में जज बनने की सिर्फ दो योग्यता होती है… वो भारत का नागरिक हो और 10 साल से किसी हाईकोर्ट में वकालत कर रहा हो …..या किसी राज्य का महाधिवक्ता हो ।
वीरभद्र सिंह जब हिमाचल में मुख्यमंत्री थे तब उन्होंने सारे नियम कायदों को ताक पर रखकर अपनी बेटी अभिलाषा कुमारी को हिमाचल का महाधिवक्ता नियुक्त कर दिया फिर कुछ दिनों बाद सुप्रीमकोर्ट के जजों के कोलेजियम में उन्हें हाईकोर्ट के जज की नियुक्ति कर दी और उन्हें गुजरात हाईकोर्ट में जज बनाकर भेज दिया गया। 

तब कांग्रेस , गुजरात दंगो के बहाने मोदी को फंसाना चाहती थी और अभिलाषा कुमारी ने जज की हैसियत से कई निर्णय मोदी के खिलाफ दिया …हालाँकि सुप्रीम कोर्ट ने बाद में उसे बदल दिया था।
दूसरा उदाहरण….
1990 में जब लालूप्रसाद बिहार के मुख्यमंत्री थे तब कट्टरपंथी मुस्लिम आफ़ताब आलम को हाईकोर्ट का जज बनाया गया…. बाद में उन्हे प्रोमोशन देकर सुप्रीमकोर्ट का जज बनाया गया…. उनकी नरेंद्र मोदी से इतनी दुश्मनी थी कि तीस्ता शीतलवाड़ और मुकुल सिन्हा गुजरात के हर मामले को इनकी ही बेंच में अपील करते थे… इन्होने नरेद्र मोदी को फँसाने के लिए अपना एक मिशन बना लिया था।
बाद में आठ रिटायर जजों ने जस्टिस एम बी सोनी की अध्यक्षता में सुप्रीमकोर्ट के चीफ जस्टिस से मिलकर आफ़ताब आलम को गुजरात दंगो के किसी भी मामलो की सुनवाई से दूर रखने की अपील की थी…. जस्टिस सोनी ने आफ़ताब आलम के दिए 12 फैसलों का डिटेल में अध्ययन करके उसे सुप्रीमकोर्ट के चीफ जस्टिस को दिया था और साबित किया था की आफ़ताब आलम चूँकि मुस्लिम है इसलिए उनके हर फैसले में भेदभाव स्पष्ट नजर आ रहा है। 

फिर सुप्रीमकोर्ट ने जस्टिस आफ़ताब आलम को गुजरात दंगो से किसी भी केस की सुनवाई से दूर कर दिया।
जजों के चुनाव के लिए कोलेजियम प्रणाली के स्थान पर एक नई विशेष प्रणाली की जरूरत महसूस की जा रही थी। जब मोदी की सरकार आई तो तीन महीने बाद ही संविधान का संशोधन ( 99 वाँ संशोधन) करके एक कमीशन बनाया गया जिसका नाम दिया गया National Judicial Appointments Commission (NJAC)

इस कमीशन के तहत कुल छः लोग मिलकर जजों की नियुक्ति कर सकते थे। 

A- इसमें एक सुप्रीम कोर्ट का मुख्य न्यायाधीश ,

B- सुप्रीम कोर्ट के दो सीनियर जज जो मुख्य न्यायाधीश से ठीक नीचे हों , 

C- भारत सरकार का कानून एवं न्याय मंत्री , 

D- और दो ऐसे चयनित व्यक्ति जिसे तीन लोग मिलकर चुनेंगे।( प्रधानमंत्री , मुख्य न्यायाधीश एवं लोकसभा में विपक्ष का नेता) ।
परंतु एक बड़ी बात तब हो गई जब सुप्रीम कोर्ट ने इस कमीशन को रद्द कर दिया , वैसे इसकी उम्मीद भी की जा रही थी। 

इस वाकये को न्यायपालिका एवं संसद के बीच टकराव के रूप में देखा जाने लगा ….भारतीय लोकतंत्र पर सुप्रीम कोर्ट के कुठाराघात के रूप में इसे लिया गया।

यह कानून संसद के दोनों सदनों में सर्वसम्मति से पारित किया गया था जिसे 20 राज्यों की विधानसभा ने भी अपनी मंजूरी दी थी।

सुप्रीम कोर्ट यह भूल गया थी कि जिस सरकार ने इस कानून को पारित करवाया है उसे देश की जनता ने पूर्ण बहुमत से चुना है।

सिर्फ चार जज बैठकर करोड़ों लोगों की इच्छाओं का दमन कैसे कर सकते हैं ? 

क्या सुप्रीम कोर्ट इतना ताकतवर हो सकता है कि वह लोकतंत्र में जनमानस की आकांक्षाओं पर पानी फेर सकता है ?
जब संविधान की खामियों को देश की जनता परिमार्जित कर सकती है तो न्यायपालिका की खामियों को क्यों नहीं कर सकती ?

यदि NJAC को सुप्रीम कोर्ट असंवैधानिक कह सकता है तो इससे ज्यादा असंवैधानिक तो कोलेजियम सिस्टम है जिसमें ना तो पारदर्शिता है और ना ही ईमानदारी ?

कांग्रेसी सरकारों को इस कोलेजियम से कोई दिक्कत नहीं रही क्योंकि उन्हें पारदर्शिता की आवश्यकता थी ही नहीं।

मोदी सरकार ने एक कोशिश की थी परंतु सुप्रीम कोर्ट ने उस कमीशन को रद्दी की टोकरी में डाल दिया।

शूचिता एवं पारदर्शिता का दंभ भरने वाले सुप्रीम कोर्ट को तो यह करना चाहिए था कि इस नये कानून (NJAC) को कुछ समय तक चलने देना चाहिए था…ताकि इसके लाभ हानि का पता चलता , खामियाँ यदि होती तो उसे दूर किया जा सकता था …परंतु ऐसा नहीं हुआ।
जज अपनी नियुक्ति खुद करे ऐसा विश्व में कहीं नहीं होता है सिवाय भारत के।

क्या कुछ सीनियर IAS आॅफिसर मिलकर नये IAS की नियुक्ति कर सकते हैं? 

क्या कुछ सीनियर प्रोफेसर मिलकर नये प्रोफेसर की नियुक्ति कर सकते हैं ? 

यदि नहीं तो जजों की नियुक्ति जजों द्वारा क्यों की जानी चाहिए ?
आज सुप्रीम कोर्ट एक धर्म विशेष का हिमायती बना हुआ है …
सुप्रीम कोर्ट गौरक्षकों को बैन करता है …सुप्रीम कोर्ट जल्लीकट्टू को बैन करता है …सुप्रीम कोर्ट दही हांडी के खिलाफ निर्णय देता है ….सुप्रीम कोर्ट दस बजे रात के बाद डांडिया बंद करवाता है …..सुप्रीम कोर्ट दीपावली में देर रात पटाखे को बैन करता है।

लेकिन ..

सुप्रीम कोर्ट आतंकियों की सुनवाई के रात दो बजे अदालत खुलवाता है ….सुप्रीम कोर्ट पत्थरबाजी को बैन नहीं करता है….सुप्रीम कोर्ट गोमांश खाने वालों पर बैन नहीं लगाता है ….ईद – बकरीद पर पर कुर्बानी को बैन नहीं करता है …..मुस्लिम महिलाओं के शोषण के खिलाफ तीन तलाक को बैन नहीं करता है।
और कल तो सुप्रीम कोर्ट ने यहाँ तक कह दिया कि तीन तलाक का मुद्दा यदि मजहब का है तो वह हस्तक्षेप नहीं करेगा। ये क्या बात हुई ? आधी मुस्लिम आबादी की जिंदगी नर्क बनी हुई है और आपको यह मुद्दा मजहबी दिखता है ? धिक्कार है आपके उपर ….।
अभिषेक मनु सिंघवी के विडियो को सोशल मीडिया , यू ट्यूब से हटाने का आदेश देते हो कि न्यायपालिका की बदनामी ना हो ? ….पर क्यों ऐसा ? …क्यों छुपाते हो अपनी कमजोरी ?
जस्टिस कर्णन जैसे पागल और टूच्चे जजों को नियुक्त करके एवं बाद में छः माह के लिए कैद की सजा सुनाने की सुप्रीम कोर्ट को आवश्यकता क्यों पड़नी चाहिए ? 

अभिषेक मनु सिंघवी जैसे अय्याशों को जजों की नियुक्ति का अधिकार क्यों मिलना चाहिए ? 

क्या सुप्रीम कोर्ट जवाब देगा ..?????
लोग अब तक सुप्रीम कोर्ट की इज्जत करते आए हैं , कहीं ऐसा ना हो कि जनता न्यायपालिका के विरुद्ध अपना उग्र रूप धारण कर लें उसके पहले उसे अपनी समझ दुरुस्त कर लेनी चाहिए। सत्तर सालों से चल रही दादागीरी अब बंद करनी पड़ेगी .. यह “लोकतंत्र” है और “जनता” ही इसका “मालिक” है।

Posted in यत्र ना्यरस्तुपूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता:

SAVE GIRL CHILD


ડૉક્ટર ની સામે એક કપલ બેઠું હતુ……., 
*”ડોક્ટર અમને છોકરી નથી જોઈતી !”*

જન્મ થનારા બાળકના પિતાએ કહ્યુ…
“તમને કેવી રીતે ખબર પડી કે છોકરી જ છે.???

ડોક્ટરે પૂછયુ….
” તમે ટેસ્ટ કરવાની ના પાડી એટલે અમે બાજુના રાજયમા જઈને સોનોગ્રાફી સેન્ટર મા ટેસ્ટ કરીને આવ્યા…

જન્મ થનારા બાળકના પિતા બોલ્યાં…
“તો પછી તમે ત્યાંજ કેમ એબોર્શન ના કરાવ્યુ …????

ડોક્ટર બોલ્યાં….
*”ત્યા એવી સગવડ નોહતી….ત્યાંથી તેમણે એક એડ્રેસ આપ્યુ હતુ*

*તે એક ડૉક્ટરનું જ હતુ..પણ તેમની ફિસ ખુબજ વધારે હતી…*
*ત્યારે વિચાર્યું કે તમે અમારા એક ઓળખીતા ડોક્ટર છો…લાખો કરતા હજારો માં કામ થઈ જાશે… માટે તમારી પાસે આવ્યા..* 

 જન્મ દેનારા પિતા બોલ્યાં…
*”હુ કાઈ તમને કસાઈ લાગુ છુ….???? પછી…*

*ડોક્ટરે સંયમ રાખીને આગળ બોલ્યાં…* 
*”અરે ભાઈ, તમને પહેલી પણ દીકરી જ છે ને…”*
આટલી વાર થી ચૂપ બેસેલી બાળકને જન્મ દેનારી માં બોલી……

*એટલે જ અમને બીજી છોકરી નથી જોઈતી…*

*બીજો છોકરો જ જોઇયે છે….બબ્બે છોકરી તો નહીં જ*

 
ડોક્ટરે માના ખોળામાં બેસેલી છોકરી સામે જોયુ….નિષ્પાપ, બોલકી આંખો, હસમુખો ખુબસુરત ચહેરો…,જાણે જોઈલો મનગમતી ક્યૂટ ઢીંગલી..,

ડોક્ટરની નજર પડતાજ….ઢીંગલી ડોક્ટર પાસે આવી ગઈ..ડોક્ટરે તરતજ તેને હર્ષભેર વહાલ કર્યું….,
ડોક્ટર કાય બોલતા ન હતા….એ જોઈને* છોકરીમા પિતા બોલ્યા.

*જે પણ ફિસ થશે તે સાહેબ અમે વ્યવસ્થિત આપીશુ..એ શિવાય આ વાત અમે ક્યાંય લીક નહી કરીશુ એની અમે ખાત્રી આપીયે છીયે.*
ડોક્ટરનો ચહેરો હવે લાલ ઘુમ થવા લાગ્યો.

જન્મ થનારા બાળક ના માતા-પિતાને કહ્યુ..

તમારો વિચાર પાક્કો છે…????

તમોને સાચ્ચેજ બે છોકરી નથી જોઈતી.??

ફરીથી વિચાર કરો.. 
બાળકીના પિતાએ કહ્યુ પાક્કો જ વિચાર છે…

બે છોકરી નથી જ જોઈતી….
*”ઠીક છે…તો માના પેટમાં રહેલી છોકરીને આપણે રહેવા દઈયે..* 
*અને આ પહેલી છોકરીને હુ મારી નાખુ* *એટલે તમને એક છોકરી જ રહેશે..*

*એમ કહીને ડોક્ટરે ટેબલ ઉપર પડેલી છરી ઉપાડીને પેલી છોકરીના ગળા ઉપર મૂકી દીધી…*
અને ત્યાં બેઠેલી છોકરીની માં અચાનક જોરથી ચીસ પાડીને બોલી….

*ડોક્ટર સાહેબ થોભો…*

*આ તમે શું કરી રહ્યા છો..??*

*તમે ડોક્ટર છો કે કસાઈ..????*
ડોક્ટર શાંતી થી મંદ-મંદ હસતા..તે બંને માં-બાપ જોતા હતા…અને નિષ્પાપ ઢીંગલી રમતી હતી….
*બે-જ પળ……ફક્ત* 
*બે-જ પળ શાંતી થી પસાર થયો…અને બંને માં-બાપને ભાન થયુ કે અમે શુ કરવા નીકળ્યા હતાં….આખો મામલો એમના ધ્યાનમા આવી ગયો…એમની ભૂલ એમને સમજાય ગઈ…અને એજ સમયે તેમણે ડોક્ટર પાસે માફી માંગી…..
*સાહેબ અમને માફ કરીદો…અમારી ભૂલ અમને સમજાય ગઈ*
*ખરે-ખર તો અમે કસાઈ બનવા નીકળ્યાં હતાં* 

આટલું કહીને તે કપલ ઉભા થઈને તેડેલી અને ગર્ભમાં રહેલી બંને રાજકન્યા સાથે ડોકરની કેબીન માથી બહાર નીકળતા જ હતા…
ત્યાં….ડોક્ટર સાહેબે બેસવાનો ઈશારો કર્યો

અને બોલ્યા…
*મારે તમને હજુ એક કાંઈ કહેવાનું રહી ગયુ છે.*

અને ઇ પણ તમનેજ કહેવાનુ ખાસ કારણ એ છે કે, મને તમારો આખરી નિર્ણય બદલ્યો તેની મને મનો-મન ખાત્રી થઈ એટલે જ કહેવુ છે.
*”અમારા વ્યવસાયમાં પણ એવા રાક્ષસી પ્રવૃતી ના પણ લોકો છે એ તો અમે અને ઘણા ખરા લોકો જાણે જ છે પણ તે આટલી નીચા સ્તરે આવી ગયા છે કે*
*સોનોગ્રાફી માં* 

*સ્પષ્ટ છોકરાનો ગર્ભ*

*દેખાતા હોવા છતાં..*
*ચંદ-રૂપિયા માટે આ ગર્ભ છોકરીનો છે એવું તમને કહેવામા આવ્યું છે*
*આટલુ સાંભળીને તે મા- બાપના પગમાંથી* 

*જમીન સરકી ગઇ…*

 

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*આ વાંચીને જો સારૂ લાગ્યું હોય તો આવા કપલને અને આગળ ગ્રુપમાં તમે જરૂર મોકલશો….*✍
*SAVE GIRL CHILD*