Posted in खान्ग्रेस, हिन्दू पतन

कांग्रेस के संस्थापक ए औ हयूम के बारे में:

यही अंग्रेज़ अफसर है जो अंग्रेजों की फौज में उसके ख़ुफ़िया विभाग का मुखिया (चीफ) था ।

1857 में देश की आज़ादी की पहली लड़ाई में इसने अपनी गुप्तचरी से हज़ारों क्रांतिकारियों को मौत के घाट उतार दिया था,परिणामस्वरूप अंग्रेज़ सरकार ने इस अंग्रेज़ अफसर को इटावा का कलेक्टर बनाकर पुरुस्कृत किया था।

इटावा में इसने दो दर्जन से अधिक विद्रोही किसान क्रांतिकारियों को कोतवाली में जिन्दा जलवा दिया था।

परिणामस्वरूप सैकड़ों गाँवों में विद्रोह का दावानल धधक उठा था।
इस अंग्रेज़ अफसर के खून के प्यासे हो उठे हज़ारों किसानों ने इस अंग्रेज़ अफसर का घर और ऑफिस घेर लिया था।

उन किसानों से अपनी जान बचाने के लिए यह अंग्रेज़ अफसर पेटीकोट साडी ब्लाउज़ और चूड़ी पहनकर, सिर में सिन्दूर और माथे पर बिंदिया लगाकर एक हिजड़े के भेष में इटावा से भागकर आगरा छावनी पहुंचा था।

अब यह भी जान लीजिये कि इस अंग्रेज़ अफसर का नाम एओ ह्यूम था।
और 1885 में इसी अंग्रेज़ अफसर ने उस कांग्रेस की स्थापना की थी जिसका नेता मल्लिकार्जुन खरगे है।

आज इस ऐतिहासिक सन्दर्भ का उल्लेख इसलिए क्योंकि लोकसभा में कांग्रेसी नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने दावा किया था कि “कांग्रेसियों के अलावा किसी कुत्ते ने भी आज़ादी की लड़ाई नहीं लड़ी।”

अतः सोचा कि संसद में 60000 की मफलर पहनकर आने वाले मल्लिकार्जुन खरगे को उसकी कांग्रेस के DNA की याद तो दिला ही दूं।

यदि आप उचित समझें तो कांग्रेस के इस DNA से हर उस भारतीय को अवश्य परिचित कराएं जो इससे परिचित नहीं है।

Posted in हिन्दू पतन

*गोवा इंक्विजीशन एक्ट*

*GOA का क्या मतलब है?*

गोवा पूछताछ 1560 – 1820 तक गोवा में लागू की गई थी। इसका मतलब लगभग 260 साल। यहाँ गोवा पूछताछ की मुख्य झलकियाँ हैं।

*1.)* गोवा में संस्कृत, मराठी, कोकणी भाषा साहित्य और हिन्दू धर्म ग्रन्थ का दहन किया जा रहा था!

*2.)* हिन्दू परिवारों में जब किसी बच्चे की माँ या पिता मर जाते थे तो बच्चों को चर्च और पादरी ले जाते थे और ईसाई धर्म में परिवर्तित कर देते थे। कभी कभी चर्च के लोग उनके परिवार की सम्पत्ति भी जब्त कर लेते थे!

*3.)* गाँव के सभी अधिकारी ईसाई होने चाहिए थे, हिन्दू गाँव के लोग अधिकारी होने लायक नहीं थे!

*4.)* हिन्दुओं को ग्राम सभाओं में निर्णय लेने का अधिकार नहीं था! निर्णय लेने का अधिकार केवल ईसाइयों को था, केवल ईसाई धर्म में उनके लिये था!

*5.)* कोर्ट में हिन्दुओं के दिए सबूत वैध नहीं थे, गवाही देने का अधिकार केवल ईसाइयों को था, उनके दिए सबूत वैध होते थे!

*6.)* जहाँ जहाँ हिन्दू मंदिर थे, उन्हें तुरंत तोड़ दिया! मंदिर तोड़ कर उस जगह चर्च बनाते थे!

*7.)* हिन्दुओं के लिए हिन्दू मूर्तियाँ रखना बहुत बड़ा अपराध था! हिन्दू अगर अपने घरों में मूर्तियाँ रखें तो उनकी सारी संपत्ति और पैसा चर्च वाले छीन लेते थे। हिन्दू अपने त्यौहार और अच्छे कार्यों को न मनाये!

*8.)* सभी गोवा को कोकणी, अपनी मातृभाषा नहीं बोलना चाहिए, सभी को केवल पुर्तगाली ही बोलना चाहिए!

*9.)* फ्रांसिस जेवियर ने हिंदुओं को सम्बोधित करते हुए कहा “हिन्दू एक जाति है जो अशुद्ध है। वे काले और बदसूरत होते हैं। हिन्दू जिन मूर्तियों को पूजते हैं वो शैतान हैं। वे मूर्तियां तेल और गंदे गंध की तरह है”।

*10.)* अगर पुर्तगालियों के कहे अनुसार ईसाई धर्म नहीं अपनाते तो हिंदुओं पर तरह तरह के अत्याचार करते। इनमें खासकर हिन्दू को जिंदा रहते जलाया जा रहा था। जीते जी चमड़ी झुकाई धमनियों में तेज वस्तुओं से घाव मारना। कीलों का छुरा घोंपना और हिन्दुओं को रस्सियों से मारना और उनकी जीभ काट देना। जले लोहे के धुयें से आँखो की रोशनी खो रही थी। जिन हिन्दुओं ने अपना धर्म नहीं बदला उनके पैर और हाथ तोड़ रहे थे।

*11.)* घरों में भगवान की मूर्ति रखने पर हिन्दुओं को होगी दस साल तक की जेल।

*12.)* हिन्दू के घर तुलसी का पौधा होना गुनाह है। कोठी पहनना और धोती पहनना भी अपराध है। इनको भी जेल की सजा है!

*13.)* पादरी विसारी एंटोनियो डी नोराहा ने गोवा पूछताछ के हिस्से के रूप में एक नया कानून पेश किया। हिन्दू मंदिर उस कानून के अनुसार बन्द होना चाहिए। नये मंदिर नहीं बनने चाहिए। पुराने मंदिरों की मरम्मत नहीं करनी चाहिए। इसी तरह हिन्दू मंदिरों में सोना और पैसा चर्च के कब्जे में आना चाहिए!

*14.)* इसी पादरी ने 1620 में कानून बनाया था कि हिन्दू शादी करना अपराध है, ईसाई धर्म में परिवर्तित हो जाए तो शादी करें या आजीवन अविवाहित रहे। इनकी योजना है कि धर्म परिवर्तन न करने वाले हिन्दू बिना बच्चों के विलुप्त हो जायेंगे।

*15.)* इस *गोवा इंक्विजीशन एक्ट* में लगभग 300 वर्षों से ऊपर बताये गये अत्याचार हिन्दुओं पर होते रहे हैं।

इस क्रूर कानून के कारण हजारों हिन्दुओं ने जबरन ईसाई धर्म अपनाया। हजारों हिन्दुओं को जिंदा जला कर फांसी दी गयी और कई लोगों ने अपना घर और संपत्ति खो दी थी। हजारों हिन्दू मंदिर तोड़े गए!

*16.)* और कुछ हिन्दू इन ईसाई धर्म कट्टरपंथीयों द्वारा की गई हिंसा बर्दाश्त नहीं कर पाते थे, गोवा छोड़कर भगवान की मूर्ति को गर्भ में लेकर दूसरी जगह चले जाते!

अगर हम गोवा में अब देखें, तो उन चर्चो की नींव हिन्दू कब्रों पर है, कई चर्च जो मंदिरों को ध्वस्त कर बनाए गए हैं!

*जयतु जयतु हिन्दू राष्ट्र*

Posted in छोटी कहानिया - १०,००० से ज्यादा रोचक और प्रेरणात्मक

પ્રદ્યુમનકુમાર મહાનંદિયા અત્યંત ગરીબ પરિવારમાં જન્મેલા હોવા છતાં પોતાની પ્રતિભાના જોરે દિલ્હીની વિખ્યાત ‘કોલેજ ઓફ આર્ટસ’ ના વિદ્યાર્થી બન્યા હતા. એમના પેઇન્ટિંગ એટલા સારા થતાં કે બધાને એવું થતું અમારું પેઇન્ટિંગ પ્રદ્યુમનકુમાર બનાવે તો કેવું સારું.

સ્વીડનની વતની એક છોકરી ચાર્લોટ વોન શેડવિન ભારતની મુલાકાતે આવી ત્યારે એ પણ પ્રદ્યુમનકુમારના પેઇન્ટિંગના પ્રેમમાં પડી અને પછી તો બંને એકબીજાના પ્રેમમાં પડ્યા. ચાર્લોટને સ્વીડન પરત ફરવાનું હતું એટલે એણે પ્રદ્યુમનકુમારને સ્વીડન આવી જવા કહ્યું. પ્રદ્યુમનકુમારને પણ સ્વીડન જવું હતું પરંતુ તેની પાસે ટીકીટ ભાડાના પૈસા નહોતા. ચાર્લોટ એની ટીકીટ લેવા અને બધો જ ખર્ચો ઉઠાવવા તૈયાર હતી પરંતુ સ્વમાની પ્રદ્યુમનકુમાર એ માટે તૈયાર નહોતા. પ્રદ્યુમનકુમારે ચાર્લોટ વચન આપ્યું કે હું મારી કમાણી માંથી ટીકીટ ખરીદી તારી પાસે આવી જઈશ.

એક વર્ષ વીતવા છતાં પ્રદ્યુમનકુમાર ટીકીટ ખરીદી શકે એટલી રકમ ભેગી ના કરી શક્યા. ટીકીટના પૈસા નહોતા પરંતુ પ્રિયતમાને આપેલું વચન પૂરું કરવાનું હતું એટલે પોતાનો માલસામાન વેંચી મળેલી રકમમાંથી એક સાયકલ ખરીદી અને સાયકલ લઈને જ ચાર્લોટને મળવા નીકળી પડ્યા. ભારતથી નીકળી અફઘાનિસ્તાન, ઈરાન, તુર્કી, બલ્ગેરિયા, યુગોસ્લાવિયા, જર્મની, ઓસ્ટ્રેલિયા અને ડેન્માર્ક થઈને ૬૦૦૦ કિલોમીટરની સાયકલયાત્રા કરીને પ્રદ્યુમનકુમાર સ્વીડન પહોંચ્યા.

પત્રકારે જ્યારે સાયકલયાત્રા વિશે પ્રદ્યુમનકુમારને પૂછ્યું ત્યારે એમણે કહ્યું, ‘ હું મારા પ્રેમ માટે જે કરી શકતો હતો તે મે કર્યું છે. મને સાયકલિંગ નહોતું ગમતું પણ મારી ગમતી વ્યક્તિને પામવા મે સાયકલિંગને ગમતું કર્યું.’ પ્રદ્યુમન અને ચાર્લોટના લગ્ન થયા અને આજે આ દંપતી તેના બે સંતાનો સાથે સુખમય જીવન વિતાવે છે.

મિત્રો, માત્ર સારા સારા મેસેજ મોકલવાથી કે ગીફ્ટો આપવાથી જ પ્રેમ વ્યક્ત થઈ શકે એવું બિલકુલ નથી. પ્રિયતમ માટે સર્વસ્વ સમર્પિત કરવાની ભાવના જાગે ત્યારે જ પ્રેમ સાર્થક થાય.


શૈલેષ સગપરીયા

Posted in छोटी कहानिया - १०,००० से ज्यादा रोचक और प्रेरणात्मक

ऐसा एक मां ही कर सकती है..

वाकया राजस्थान के उदयपुर का है। जिले के गांव सराडा की धापूबाई का अक्टूबर 2020 में 6 माह में प्रसव हो गया। प्रीमेच्योर बच्ची का वजन मात्र 760 ग्राम था और बचने की उम्मीद ना के बराबर थी।

मां ने बच्ची को किसी भी तरह बचाने की गुहार डॉक्टरों से लगाई। मां की ममता देख डॉक्टरों ने नवजात को कंगारू मदर केयर विधि से बचाने का तरीका अपनाया।

डॉक्टर ने बच्ची की मां से कहा कि बच्ची को लगातार 90 दिनों तक 18 घंटे कोख की तरह छाती से चिपका कर रखना होगा। मां तैयार हो गई।

मां से लगातार सपर्श का असर होने लगा और बच्ची का वजन बढ़ने लगा। जब उसका वजन दुगना हो गया तब उसे हॉस्पिटल से डिस्चार्ज किया गया। अब बच्ची बिल्कुल स्वस्थ है।

बच्ची की मां का कहना है कि मैंने 3 माह तक अस्पताल में रहकर हर रोज इसे छाती से चिपका कर रखा। सोते समय भी खुद से दूर नहीं करती थी। बहुत सी रातें बैठ बैठ कर गुजारी। हर पल उसकी सांसे और धड़कन महसूस करती थी।

वाकई में मां तो मां ही होती है। #re
❤️

Posted in छोटी कहानिया - १०,००० से ज्यादा रोचक और प्रेरणात्मक

સોન કઁસારીના દેરા



#સોન_કંસારીનાં_દેરા

મોરાણાના ધણી મૂળુભા મેરની એકની એક દીકરી. રૂપ એવું કે બરડા પંથકમાં ગવાય “કાઠિયાણી કેડ પાતળી,હલકતી માથે હેલ્ય; બરડાહંદી બજારમાં ઢળકતી જાણે ઢેલ્ય! ” દીકરી મોટી થઇ એટલે બાપને લગન કરવાની ચિંતા થઈ. પણ સોને શરત મૂકી. મને સમજી શકે એવો વર જોઇએ અને એટલા માટે મારી અધૂરી પંક્તિ પૂરી કરે એને હું વરીશ.
સોને પંક્તિ લખી: ‘ઘણ વણ ઘડીયાં,એરણ આભડીયાં નહીં. . ‘
પંક્તિ લઇને બારોટ હાલી નીકળ્યા ને પહોંચ્યા ઘૂમલી. ઘૂમલીની ગાદી યુવરાજ હલામણનાં હાથમાં પણ એ નાનો હતો એટલે કાકા શિયાજી જેઠવા સત્તા પર હતાં. હલામણે એ દુહો ઉકેલીને જવાબ લખ્યો: ‘ઘણ વણ ઘડીયાં,એરણ આભડીયાં નહીં. .સરવડ સ્વાંત તણે મળે તો મોતી નીપજે.. . . ‘ મળી ગયો મનનો માણીગર. . . પણ લવસ્ટોરીમાં ત્યાં જ ટ્વિસ્ટ આવ્યો. હલામણનાં હાથમાં સત્તા આવે એવી શિયાજીની ઇચ્છા ન હતી એટલે ખટપટ કરીને હલામણને તડીપાર કરી દેવાયો. બાવીસ બરડાનાં ધણીને રાજ છોડવું પડ્યું. હલામણ અને સોન નોખા પડી ગયા. . . 💔
વિરહની વેદનામાં વ્યાકુળ સોન મનડાનાં મીત હલામણને શોધવા નીકળી પડી. વર્ષો પછી હલામણ મળ્યો ત્યારે તેનો જીવનદીપ બૂઝાઇ ગયો હતો. સોને સાંવરિયા હલામણનાં ખાલી ખોળિયા સાથે લગ્ન કર્યા અને પછી હૈયાના હાર હલામણ સાથે જ પોતાની પણ અગ્નિદેવને આહુતિ ધરી દીધી. ગુજરાતી ફિલ્મ ‘સોન કંસારી’માં આ કથાનક જરા જુદી રીતે છે.
સોન અને હલામણ મળતાં હતાં એ દેરાં આજેય ઘૂમલીનાં ડુંગરે પડું પડું થતાં ઊભા છે. કોઇ નવા હલામણ કે સોન આવીને તેનો જિર્ણોદ્ધાર કરે તેની રાહમાં. . . પ્રેમની હર કથા કરુણાન્ત હોય છે. 😞

યતીન કનસારા

Posted in छोटी कहानिया - १०,००० से ज्यादा रोचक और प्रेरणात्मक

किवदंतियों के अनुसार लैला खूबसूरत लड़की नही थी, गरीब परिवार और सामान्य औसत की दिखने वाली लड़की थी। जबकि मजनू(कैस/कायस) खूबसूरत नौजवान और अमीर सुल्तान का पुत्र था। मदरसे दोनो साथ पढ़ते थे ,वंहा मजनू को लैला से प्यार हुआ , मौलवी ने मजनू को लाख समझाया कि पढ़ाई कर ले और यह प्यार-व्यार का चक्कर छोड़ दे। किन्तु, मजनू कँहा मनाने वाला था ! लगा रहा । कबीलाई भिन्नता होने के कारण लैला और मजनू का विवाह असम्भव था ,लैला को उसके घर वालो में कैद कर लिया । लैला से न मिल पाने के कारण मजनू एक दम पागल हो गया , वह दीवानों की तरह यंहा वंहा भटकने लगा।

उसकी दयनीय स्थिति को देखकर, मजनू के पिता ने उसके लिए सुंदर महिलाओं को लाइन में खड़ा कर दिया और उनमें कोई भी व कितनी भी महिलाओ के चयन की छूट दे दी , बदले में कहा कि वह लैला के बारे में सब भूल जाये । इन सुंदर महिलाओं के आगे बदसूरत लैला की क्या औकात!!”?

मजनू ने सुंदर महिलाओं की तरफ देखा भी नही और अपने अब्बा से कहा-” शुक्रिया! लेकिन लैला की सुंदरता को देखने के लिए, आपको मजनू की आंखों की आवश्यकता है, सिर्फ मैं ही देख सकता हूँ कि लैला कितनी सुंदर हैं। यदि अल्लाह भी मेरे पास आते है, तो मैं उनकी तरफ तभी देखूंगा यदि वे लैला के रूप में आयेंगें।”

लैला की शादी कंही और हो गई , मजनू पूरा पागल होके जंगल -वीराने लैला लैला पुकारता रहा । लैला भी मजनू के गम में मर गई और बाद में मजनू भी।