पहाड़ों के बीच एक पागलखाना हुआ करता था। दुनिया भर से जरूरतमंद लोग वहाँ इलाज के लिए आते थे। एक दिन किसी कारणवश हॉस्पिटल की सुरक्षा में कोई चूक हो गई और वहाँ से 89 रोगी भाग निकले।
सारे रोगी भाग कर पहाड़ों के नीचे बसे एक छोटे-शहर में छिप गए। जब हॉस्पिटल में ये बात पता चली तो हड़कंप मच गया। डॉक्टरों की टीम ने तुरंत एक प्लान बनाया और शहर की ओर निकल पड़े। शहर पहुँच कर डॉक्टरों और नर्सों ने बच्चों की तरह एक-दूसरे के पीछे रेलगाड़ी के डब्बों की तरह खड़े होकर बीच मार्केट में घूमने लगे,
“कू…छुक छुक छुक छुक..”
कुछ ही देर में भीड़ में से लोग बाहर निकल कर आने लगे और रेलगाड़ी के डब्बों की तरह जुड़ने लगे। 3-4 घंटों में पूरी रेलगाड़ी पुनः हॉस्पिटल में वापस चली गई।
थोड़ी देर बाद जब सारे डॉक्टर बैठ कर चैन की साँस ले रहे थे तभी एक नर्स भागते हुई आई और कहा,
“सर, एक बड़ी प्रॉब्लम हो गई है। हॉस्पिटल से भागे 89 लोग थे लेकिन शहर से रेलगाड़ी के डब्बों की तरह वापस 131 लोग लौटे हैं। अब क्या करें?”
डॉक्टर एक-दूसरे का चेहरा देख रहे थे और पहाड़ों में शोर घुल रहा था,
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रवि कांत