Posted in छोटी कहानिया - १०,००० से ज्यादा रोचक और प्रेरणात्मक

पहाड़ों के बीच एक पागलखाना हुआ करता था। दुनिया भर से जरूरतमंद लोग वहाँ इलाज के लिए आते थे। एक दिन किसी कारणवश हॉस्पिटल की सुरक्षा में कोई चूक हो गई और वहाँ से 89 रोगी भाग निकले।

सारे रोगी भाग कर पहाड़ों के नीचे बसे एक छोटे-शहर में छिप गए। जब हॉस्पिटल में ये बात पता चली तो हड़कंप मच गया। डॉक्टरों की टीम ने तुरंत एक प्लान बनाया और शहर की ओर निकल पड़े। शहर पहुँच कर डॉक्टरों और नर्सों ने बच्चों की तरह एक-दूसरे के पीछे रेलगाड़ी के डब्बों की तरह खड़े होकर बीच मार्केट में घूमने लगे,

“कू…छुक छुक छुक छुक..”

कुछ ही देर में भीड़ में से लोग बाहर निकल कर आने लगे और रेलगाड़ी के डब्बों की तरह जुड़ने लगे। 3-4 घंटों में पूरी रेलगाड़ी पुनः हॉस्पिटल में वापस चली गई।

थोड़ी देर बाद जब सारे डॉक्टर बैठ कर चैन की साँस ले रहे थे तभी एक नर्स भागते हुई आई और कहा,

“सर, एक बड़ी प्रॉब्लम हो गई है। हॉस्पिटल से भागे 89 लोग थे लेकिन शहर से रेलगाड़ी के डब्बों की तरह वापस 131 लोग लौटे हैं। अब क्या करें?”

डॉक्टर एक-दूसरे का चेहरा देख रहे थे और पहाड़ों में शोर घुल रहा था,

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#hiddenberg
#केकड़ा_राष्ट्र

रवि कांत

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भगवान और भक्त
कृष्ण भगवान का एक बहुत बड़ा भक्त हुआ लेकिन वो बेहद गरीब था।

एक दिन उसने अपने शहर के सब से बड़े “गोविन्द गोधाम” की महिमा सुनी और उसका वहाँ जाने को मन उत्सुक हो गया।

कुछ दिन बाद जन्माष्टमी आने वाली थी उसने सोचा मै प्रभु के साथ जन्माष्टमी “गोविन्द गोधाम” में मनाऊँगा।

गोंविंद गोधाम उसके घर से बहुत दूर था। जन्माष्टमी वाले दिन वो सुबह ही घर से चल पड़ा।

उसके मन में कृष्ण भगवान को देखने का उत्साह और मन में भगवान के भजन गाता जा रहा था।

रास्ते में जगह जगह लंगर और पानी की सेवा हो रही थी, वो यह देखकर बहुत आनंदित हुआ की वाह प्रभु आपकी लीला ! मैने तो सिर्फ सुना ही था कि आप गरीबो पर बड़ी दया करते हो आज अपनी आँखों से देख भी लिया।

सब गरीब और भिखारी और आम लोग एक ही जगह से लंगर प्रशाद पाकर कितने खुश है।

भक्त ऑटो में बैठा ही देख रहा था उसने सबके देने पर भी कुछ नही लिया और सोचा पहले प्रभु के दर्शन करूँगा फिर कुछ खाऊँगा ! क्योंकि आज तो वहाँ ग़रीबो के लिये बहुत प्रशाद का इंतेज़ाम किया होगा।

रास्ते में उसने भगवान के लिए थोड़े से अमरुद का प्रशाद लिया और बड़े आनंद में था भगवान के दर्शन को लेकर।

भक्त इतनी कड़ी धूप में भगवान के घर पहुँच गया और मंदिर की इतनी प्यारी सजावट देखकर भावविभोर हो गया।

भक्त ने फिर मंदिर के अंदर जाने का किसी से रास्ता पूछा।किसी ने उसे रास्ता बता दिया और कहा यह जो लाईने लगी हुई है आप भी उस लाइन में लग जाओ।

वो भक्त भी लाईन में लग गया वहाँ बहुत ही भीड़ थी पर एक और लाइन उसके साथ ही थी पर वो एकदम खाली थी।

भक्त को बड़ी हैरानी हुई की यहाँ इतनी भीड़ और यहाँ तो बारी ही नही आ रही और वो लाइन से लोग जल्दी जल्दी दर्शन करने जा रहे है।

उस भक्त से रहा न गया उसने अपने साथ वाले भक्त से पूछा की भैया यहाँ इतनी भीड़ और वो लाइन इतनी खाली क्यों है और वहाँ सब जल्दी जल्दी दर्शन के लिए कैसे जा रहे है वो तो हमारे से काफी बाद में आए है।

उस दूसरे भक्त ने कहा भाई यह VIP लाइन है जिसमे शहर के अमीर लोग है।

भक्त की सुनते ही आँखे खुली रह गई उसने मन में सोचा भगवान के दर पे क्या अमीर क्या गरीब यहाँ तो सब समान होते है।

कितनी देर भूखे प्यासे रहकर उस भक्त की बारी दरबार में आ ही गई और भगवान को वो दूर से देख रहा था और उनकी छवि को देखकर बहुत आनंदित हो रहा था।

वो देख रहा था की भगवान को तो सब लोग यहाँ छप्पन भोग चढ़ा रहे है और वो अपने थोड़े से अमरुद सब से छुपा रहा था।

जब दर्शन की बारी आई तो सेवादारो ने उसे ठीक से दर्शन भी नही करने दिए और जल्दी चलो जल्दी चलो कहने लगे। उसकी आँखे भर आई और उसने चुपके से अपने वो अमरुद वहाँ रख दिए और दरबार से बाहर चला गया।

दरबार के बाहर ही लंगर प्रशाद लिखा हुआ था। भक्त को बहुत भूख लगी थी सोचा अब प्रशाद ग्रहण कर लू ।

जेसे ही वो लंगर हाल के गेट पर पहुँचा तो 2 दरबान खड़े थे वहाँ उन्होंने उस भक्त को रोका और कहा पहले VIP पास दिखाओ फिर अंदर जा सकोगे।

भक्त ने कहाँ यह VIP पास क्या होता है मेरे पास तो नही है। उस दरबान ने कहा की यहाँ जो अमीर लोग दान करते है उनको पास मिलता है और लंगर सिर्फ वो ही यहाँ खा सकते हैं।

भक्त की आँखों में इतने आँसू आ गए और वो फूट फूट कर रोने लगा और भगवान से नाराज़ हो गया और अपने घर वापिस जाने लगा।

रास्ते में वो भगवान से मन में बातें करता रहा और उसने कहा प्रभु आप भी अमीरों की तरफ हो गए आप भी बदल गए प्रभु मुझे आप से तो यह आशा न थी और सोचते सोचते सारे रास्ते रोता रहा।

भक्त घर पर पहुँच कर रोता रोता सो गया।

भक्त को भगवान् ने नींद में दर्शन दिए और भक्त से कहा तुम नाराज़ मत होओ मेरे प्यारे भक्त

भगवान ने कहा अमीर लोग तो सिर्फ मेरी मूर्ति के दर्शन करते है।अपने साक्षात् दर्शन तो मै तुम जैसे भक्तों को देता हूँ …

और मुझे छप्पन भोग से कुछ भी लेंना देंना नही है मै तो भक्त के भाव खाता हूँ और उनके आँसू पी लेता हूँ और यह देख मै तेरे भाव से चढ़ाए हुए अमरुद खा रहा हूँ।

भक्त का सारा संदेह दूर हुआ

सुरेंद्र शर्मा

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एक व्यक्ति का दिन बहुत खराब गया. उसने रात को ईश्वर से फ़रियाद की.
व्यक्ति ने कहा,

‘भगवान, ग़ुस्से न हों तो एक प्रश्न पूछूँ ?

भगवान ने कहा,
‘पूछ, जो पूछना हो पूछ;….?

व्यक्ति ने कहा,
‘भगवान, आपने आज मेरा पूरा दिन एकदम खराब क्यों किया ?

भगवान हँसे ……
पूछा, पर हुआ क्या ?

व्यक्ति ने कहा,
‘सुबह अलार्म नहीं बजा, मुझे उठने में देरी हो गई……’

भगवान ने कहा, अच्छा फिर…..’

व्यक्ति ने कहा,
देर हो रही थी,उस पर स्कूटर बिगड़ गया. मुश्किल से रिक्शा मिली .’

भगवान ने कहा, अच्छा फिर……!’

व्यक्ति ने कहा,
टिफ़िन ले नहीं गया था, वहां केन्टीन बंद थी….एक सेन्डविच पर दिन निकाला, वो भी खराब थी ;

भगवान केवल हँसे…….

व्यक्ति ने फ़रियाद आगे चलाई , ‘मुझे काम का एक महत्व का फ़ोन आया था और फ़ोन बंद हो गया ;

भगवान ने पूछा…..’ अच्छा फिर….’

व्यक्ति ने कहा,
विचार किया कि जल्दी घर जाकर AC चलाकर सो जाऊं , पर घर पहुँचा तो लाईट गई थी .

भगवान…. सब तकलीफें मुझे ही. ऐसा क्यों किया मेरे साथ ?

भगवान ने कहा,
‘ देख , मेरी बात ध्यान से सुन .
आज तुझपर कोई आफ़त आनी थी.
मेरे देवदूत को भेजकर मैंने वह परेशानी रुकवाई . अलार्म बजे ही नहीं ऐसा किया . स्कूटर से एक्सीडेंट होने का डर था इसलिए स्कूटर बिगाड़ दिया . केन्टीन में खाने से फ़ूड पोइजन हो जाता .

फ़ोन पर बड़ी काम की बात करने वाला आदमी तुझे बड़े घोटाले में फँसा देता . इसलिए फ़ोन बंद कर दिया .

तेरे घर में आज शार्ट सर्किट से आग लगती, तू सोया रहता और तुझे ख़बर ही नहीं पड़ती . इसलिए लाईट बंद कर दी !

मैं हूं न …..,!

मैंने यह सब तुझे बचाने के लिए किया;

व्यक्ति ने कहा,
भगवान मुझसे भूल हो गई . मुझे माफ किजीए . आज के बाद फ़रियाद नहीं करूँगा ;

भगवान ने कहा,
माफी माँगने की ज़रूरत नहीं , परंतु विश्वास रखना कि मैं हूं न….,

मैं जो करूँगा , जो योजना बनाऊँगा वो तेरे अच्छे के लिए ही ।

जीवन में जो कुछ अच्छा – खराब होता है ; उसकी सही असर लम्बे वक़्त के बाद समझ में आती है.

मेरे कोई भी कार्य पर शंका न कर , बस श्रृद्धा रख .

जीवन का भार अपने ऊपर लेकर घूमने के बदले मेरे कंधों पर रख दे .

मैं हूं न……

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ज्ञान से भी आगे कुछ?

ऋषि भरद्वाज का समूचा जीवन तपस्या में व्यतीत हुआ। जीवन के अंतिम क्षणों में जब देवदूत उन्हें लेने आए तो उन्होंने देवदूतों का सर्वप्रथम आभार प्रकट किया व साथ ही उनसे अनुरोध के स्वर में कहा- “यदि आप सभी देव गण मुझ पर प्रसन्न हों तो कृपाकर मुझे भूलोक में ही जन्मने का सुअवसर पुनः प्रदान करें। स्वर्ग जाकर मैं क्या करूँगा।”

ऋषिवर की इस विचित्र इच्छा से देवदूतों को बड़ा आश्चर्य हुआ। इस कठोर निर्णय के पीछे का कारण जानने की जिज्ञासा में देवदूतों ने उनसे पूछ ही लिया– “ऋषिवर! तप का लक्ष्य स्वर्ग होता है, सो आपको मिल चुका है। तब तप किसलिए?” भरद्वाज मुस्कराए और अपना मंतव्य स्पष्ट करते कहने लगे- “ज्ञानसंचय के लिए देव गण। पूर्ण सत्य तक पहुँचने के लिए अभी विद्या की संपदा मेरे पास नहीं के बराबर है और उसके लिए अभी मैं और भी अनेक जन्मों तक तप करने का आकांक्षी हूँ।”
अपनी बात आगे बढ़ाते हुए ऋषिवर कहने लगे- “हे देव गण! आप तो जानते ही हैं कि ज्ञान स्वर्ग से ऊँचा है। स्वर्ग से क्षणिक विलास की सुविधाएँ तो प्राप्त की जा सकती हैं, किंतु शाश्वत आनंद का प्रदाता तो एकमात्र ज्ञान ही है।”

देव गण भरद्वाज के ज्ञान से अत्यंत प्रभावित हुए व उन्हें मनोवांछित गति ससम्मान प्रदान की।
सत्य कहा गया है कि ‘विद्यायाऽमृतमश्नुते’- (विद्या से अमरत्व की प्राप्ति होती है। Immortality is gained from learning! विवरणम् : ईशोपनिषद् /14) इसके समक्ष सारे संसार का वैभव यहाँ तक कि स्वर्ग का सुख भी तुच्छ है।

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*Positives in Negatives*!

A young woman was sitting at her dining table, worried about taxes to be paid, house-work to be done and to top it all, her extended family was coming over for festival lunch the next day. She was not feeling very thankful at that time.

As she turned her gaze sideways, she noticed her young daughter scribbling furiously into her notebook.

“My teacher asked us to write a paragraph on “Negative Thanks giving” for homework today.”

Said the daughter.

“She asked us to write down things that we are thankful for, things that make us feel not so good in the beginning, but turn out to be good after all.”

With curiosity, the mother peeked into the book. This is what her daughter wrote:

“I’m thankful for Final Exams, because that means school is almost over.

I’m thankful for bad-tasting medicine, because it helps me feel better.

I’m thankful for waking up to alarm clocks, because it means I’m still alive.”

It then dawned on the mother, that she had a lot of things to be thankful for!

She thought again…

She had to pay taxes but that meant she was fortunate to be employed.

She had house-work to do but that meant she had a shelter to live in.

She had to cook for her many family members for lunch but that meant she had a family with whom she could celebrate.

*Moral*: We generally complain about the negative things in life but we fail to look at the positive side of it.

What is the positive in your negatives? Look at the better part of life today and make ur everyday a great day. Good morning 🙏 🌄