Posted in खान्ग्रेस

Photo from Harshad Ashodiya


जब मनीष तिवारी बोल रहा था तो किसी को ये पेपर वहां लहराना चाहिए।
16 जुलाई 1947 का अखबार …हेड लाइन है कांग्रेस द्वारा भारत विभाजन योजना स्वीकृतियानी कि जो लोग मोहम्मद अली जिन्ना या मुस्लिम लीग को देश के बंटवारे का जिम्मेदार मानते हैं वह आधा सच है पूरा सच यह है कि देश के बंटवारे की पूरी योजना कांग्रेस पार्टी ने बनाई थी और उस समय के कांग्रेश के सर्वे सर्वा महात्मा गांधी और जवाहरलाल नेहरू के दिमाग की उपज थी कि देश को तोड़ दिया जाएउस समय कांग्रेस पार्टी के अधिवेशन में यह प्रस्ताव रखा गया था कि सभी हिंदू भारत में रहेंगे और जितने भी मुस्लिम हैं वह पाकिस्तान चले जाएंगे यह झूठ बोलकर मत विभाजन के द्वारा भारत के बंटवारे की योजना को स्वीकार कर लिया गया लेकिन जब देश बटा तब महात्मा गांधी ने यह कहना शुरू कर दिया कि भारत में जो भी मुसलमान रहना चाहे वह रह सकता है

Posted in छोटी कहानिया - १०,००० से ज्यादा रोचक और प्रेरणात्मक

प्रेरणा दायक कहानी

[09/12, 7:25 am] +91 75630 69511: जीवन की सचाई
एक आदमी की चार पत्नियाँ थी।
वह अपनी चौथी पत्नी से बहुत प्यार करता था और उसकी खूब देखभाल करता व उसको सबसे श्रेष्ठ देता।
वह अपनी तीसरी पत्नी से भी प्यार करता था और हमेशा उसे अपने मित्रों को दिखाना चाहता था। हालांकि उसे हमेशा डर था की वह कभी भी किसी दुसरे इंसान के साथ भाग सकती है।
वह अपनी दूसरी पत्नी से भी प्यार करता था।जब भी उसे कोई परेशानी आती तो वे अपनी दुसरे नंबर की पत्नी के पास जाता और वो उसकी समस्या सुलझा देती।
वह अपनी पहली पत्नी से प्यार नहीं करता था जबकि पत्नी उससे बहुत गहरा प्यार करती थी और उसकी खूब देखभाल करती।
एक दिन वह बहुत बीमार पड़ गया और जानता था की जल्दी ही वह मर जाएगा।उसने अपने आप से कहा,” मेरी चार पत्नियां हैं, उनमें से मैं एक को अपने साथ ले जाता हूँ…जब मैं मरूं तो वह मरने में मेरा साथ दे।”
तब उसने चौथी पत्नी से अपने साथ आने को कहा तो वह बोली,” नहीं, ऐसा तो हो ही नहीं सकता और चली गयी।
उसने तीसरी पत्नी से पूछा तो वह बोली की,” ज़िन्दगी बहुत अच्छी है यहाँ।जब तुम मरोगे तो मैं दूसरी शादी कर लूंगी।”
उसने दूसरी पत्नी से कहा तो वह बोली, ” माफ़ कर दो, इस बार मैं तुम्हारी कोई मदद नहीं कर सकती।ज्यादा से ज्यादा मैं तुम्हारे दफनाने तक तुम्हारे साथ रह सकती हूँ।”
अब तक उसका दिल बैठ सा गया और ठंडा पड़ गया।तब एक आवाज़ आई,” मैं तुम्हारे साथ चलने को तैयार हूँ।तुम जहाँ जाओगे मैं तुम्हारे साथ चलूंगी।”
उस आदमी ने जब देखा तो वह उसकी पहली पत्नी थी।वह बहुत बीमार सी हो गयी थी खाने पीने के अभाव में।
वह आदमी पश्चाताप के आंसूं के साथ बोला,” मुझे तुम्हारी अच्छी देखभाल करनी चाहिए थी और मैं कर सकता थाI”
दरअसल हम सब की चार पत्नियां हैं जीवन में।
[09/12, 7:26 am] +91 75630 69511: 1. चौथी पत्नी हमारा शरीर है।
हम चाहें जितना सजा लें संवार लें पर जब हम मरेंगे तो यह हमारा साथ छोड़ देगा।
2. तीसरी पत्नी है हमारी जमा पूँजी, रुतबा। जब हम मरेंगे
तो ये दूसरों के पास चले जायेंगे।
3. दूसरी पत्नी है हमारे दोस्त व रिश्तेदार।चाहेंवे कितने भी करीबी क्यूँ ना हों हमारे जीवन काल में पर मरने के बाद हद से हद वे हमारे अंतिम संस्कार तक साथ रहते हैं।
4. पहली पत्नी हमारी आत्मा है, जो सांसारिक मोह माया में हमेशा उपेक्षित रहती है।
यही वह चीज़ है जो हमारे साथ रहती है जहाँ भी हम जाये ।
कुछ देना है तो इसे दो….
देखभाल करनी है तो इसकी करो
प्यार करना है तो इससे करो
मिली थी जिन्दगी
किसी के ‘काम’ आने के लिए..
पर वक्त बीत रहा है
कागज के टुकड़े कमाने के लिए..
क्या करोगे इतना पैसा कमा कर..?
ना कफन मे ‘जेब’ है ना कब्र मे ‘अलमारी..’

Posted in छोटी कहानिया - १०,००० से ज्यादा रोचक और प्रेरणात्मक

0⃣9⃣❗1⃣2⃣❗2⃣0⃣1⃣9⃣
🚫गृह क्लेश क्यों होता है🚫
प्रेरक कहानी

संत कबीर रोज सत्संग किया करते थे । दूर-दूर से लोग उनकी बात सुनने आते थे । एक दिन सत्संग खत्म होने पर भी एक आदमी बैठा ही रहा । कबीर ने इसका कारण पूछा तो वह बोला, ‘मुझे आपसे कुछ पूछना है ।

मैं जानना चाहता हूं कि मेरे यहां गृह क्लेश क्यों होता है और वह कैसे दूर हो सकता है ?

कबीर थोड़ी देर चुप रहे, फिर उन्होंने अपनी पत्नी से कहा, ‘लालटेन जलाकर लाओ’ । कबीर की पत्नी लालटेन जलाकर ले आई । वह आदमी हैरान हो कर देखता रहा । सोचने लगा कि इतनी दोपहर में कबीर ने लालटेन क्यों मंगाई।

थोड़ी देर बाद कबीर बोले, ‘कुछ मीठा दे जाना’। इस बार उनकी पत्नी मीठे के बजाय नमकीन देकर चली गई । उस आदमी ने सोचा कि यह तो शायद पागलों का घर है । मीठा के बदले नमकीन, दिन में लालटेन

वह बोला, ‘कबीर जी, मैं चलता हूं ।’

कबीर ने पूछा, आपको अपनी समस्या का समाधान मिला या अभी कुछ शक बाकी है ? वह व्यक्ति बोला, मेरी समझ में कुछ नहीं आया ।

कबीर ने कहा, जैसे मैंनें लालटेन मंगवाई तो मेरी घरवाली कह सकती थी कि तुम क्या सठिया गए हो । इतनी दोपहर में लालटेन की क्या जरूरत । लेकिन नहीं, उसने सोचा कि जरूर किसी काम के लिए लालटेन मंगवाई होगी ।

मीठा मंगवाया तो नमकीन देकर चली गई । मैंनें भी सोचा कि हो सकता है घर में कोई मीठी वस्तु न हो । यही सोचकर मैं भी चुप रहा । इसमें तकरार क्या ? आपसी विश्वास बढ़ाने और तकरार में न फंसने से मुश्किल हालात अपने आप दूर हो गए। उस आदमी को हैरानी हुई, वह समझ गया कि कबीर ने यह सब उसे बताने के लिए किया था ।

कबीर ने फिर कहा, गृहस्थी में आपसी विश्वास से ही तालमेल बनता है । आदमी से गलती हो तो औरत संभाल ले और औरत से कोई त्रुटि हो जाए तो पति उसे नजर अंदाज कर दे, यही गृहस्थी का मूलमंत्र है

‘गुफ्तगू’ करते रहिये,
थोड़ी थोड़ी अपने घर वालों से…

‘वरना जाले’ लग जाते हैं,
अक्सर बंद मकानों में..!!
🙏🙏🏿🙏🏾 जय जय श्री राधे🙏🏽🙏🏼🙏🏻