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✍️कॉफी की शीशी.. एक दृष्टांत

एक युवा युगल के पड़ोस में एक वरिष्ठ नागरिक युगल रहते थे, जिनमे पति की आयु लगभग अस्सी वर्ष थी और पत्नी की आयु उनसे लगभग पांच वर्ष कम थी। युवा युगल उन वरिष्ठ युगल से बहुत अधिक लगाव रखते थे और उन्हें दादा दादी की तरह सम्मान देते थे। इसलिए हर रविवार को वो उनके घर उनके स्वास्थ्य आदि की जानकारी लेने और कॉफी पीने जाते थे।

युवा युगल ने देखा कि हर बार दादी जी जब कॉफ़ी बनाने रसोईघर में जाती थी तो कॉफ़ी की शीशी का ढक्कन को दादा जी से खुलवाती थी।

इस बात का संज्ञान लेकर युवा पुरुष ने एक ढक्कन खोलने के यंत्र को लाकर दादी जी को उपहार स्वरूप दिया ताकि उन्हें कॉफी की शीशी के ढक्कन को खोलने की सुविधा हो सके। उस युवा पुरुष ने ये उपहार देते वक्त इस बात की सावधानी बरती की दादा जी को इस उपहार का पता न चले। उस यंत्र के प्रयोग की विधि भी दादी जी को अच्छी तरह समझा दिया।

उसके अगले रविवार जब वो युवा युगल उन वरिष्ठ नागरिक के घर गया तो वो ये देख के आश्चर्य में रह गया कि दादी जी उस दिन भी कॉफी की शीशी के ढक्कन को खुलवाने के लिए दादा जी के पास लायी। युवा युगल ये सोचने लगे कि शायद दादी जी उस यंत्र का प्रयोग करना भूल गयी या वो यंत्र काम नही कर रहा!

जब उन्हें एकांत में अवसर मिला तो उन्होंने दादी जी से उस यंत्र के प्रयोग न करने का कारण पूछा। दादी जी के उत्तर ने उन्हें निशब्द कर दिया…..

दादी जी ने कहा, “ओह, कॉफी की शीशी के ढक्कन को मैं स्वयं भी अपने हाथ से, बिना उस यंत्र के प्रयोग के, आसानी से खोल सकती हूँ। पर मैं कॉफी की शीशी का ढक्कन उनसे इसलिए खुलवाती हूँ कि उन्हें ये अहसास रहे कि आज भी वो मुझसे ज्यादा मजबूत है और इसलिए हमारे घर के पुरुष है। इस बात से मुझे भी ये लाभ मिलता है कि मैं ये महसूस करती हूं कि मैं आज भी उन पर निर्भर हूँ और वो मेरे लिए आज भी बहुत महत्वपूर्ण व्यक्ति है। यही बात हम दोनों के स्नेह के बंधन को शक्ति प्रदान करती है। युगल की एकजुटता ही उनके सम्बन्ध की बुनियाद है। अब हम दोनों के पास अधिक आयु नही बची है इसलिए हमारी एकजुटता हम दोनों के लिए सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है।”

उस युवा युगल को एक बहुत ही महत्वपूर्ण सीख मिली। वरिष्ठ नागरिक (बुजुर्ग) चाहे घर मे, आय में कोई सहयोग न दे रहे हो पर उनके अनुभव हमे पल पल महत्वपूर्ण सीख देते रहते है

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