Posted in गौ माता - Gau maata

गाय की दोस्ती की मिसाल की एक सच्ची घटना है


गाय की दोस्ती की मिसाल की एक सच्ची घटना है..! वैसे आपने हीरा मोती के बारे में पढा़ ही होगा…! लेकिन यह घटना #तमिलनाडु के #मदुरई_शहर के #पलामेडु_गाँव की हैं। मदुरई के एक गाँव पलामेडू में एक किसान ने अपनी आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण अपनी दुधारु गाय #लक्ष्मी को एक ग्वाला से 20,000 में बेच देते हैं। जबकी लक्ष्मी उनके साथ जो पिछले चार साल से थी। लेकिन घर की तंगी के वजह से उन्हे मजबुरन लक्ष्मी को किसी और से बचना पडा़। लेकिन जब वो खरीदार लक्ष्मी को लेने आया तो कुछ वाक्या युँ हुआ कि अब वो चर्चा का विषय बन गया है। जब लक्ष्मी को ले जाने खरीदार आया और उसे अपनी गाडी़ में करके ले जाने लगा तो लक्ष्मी का एक दोस्त #मंजमलाई जो की वही के एक स्थानीय मंदिर का बैल है। वो पिछले चार सालों से लक्ष्मी के साथ खेलता, खाता था। इन चारो सालों में दोनो में दोस्ती इतनी गहरी है गई थी देखते बन रही थी आज। जब उसने देखा की लक्ष्मी को कोई और ले जा रहा है तब वह किसी भी हाल में लक्ष्मी को जाने नही दे रहा था। वो अपने दोस्त को वापस पाना चाहता था। मांजमलाई लक्ष्मी को छुडा़ने के लिए दौड़ते हुए आया और वाहन के चारों ओर घूमने लगा, घुमते रहा, घुमते रहा। और जब उसके घुमने के बावजूद भी जब खरीदार अपनी गाडी़ शुरू किया और जाने लगा तो, मंज़ामलाई उस वाहन के पीछे एक मील तक दौड़ लगाई…सिर्फ इसलिए कि, लक्ष्मी को वो किसी तरह रोक ले और उसे कहीं और न जाने दें। लेकिन खरीदार नहीं रूका और वो लक्ष्मी को अपने साथ ले गया और मंजामलाई को वहीं दौड़ता छोड़ दिया..!किसी ने इसका #वीडियो बना लिया और अपलोड कर अपलोड होते ही यह वीडियो तेजी वारल हुआ। विडियो देखने के बाद कई लोगों ने मणिकंदन को फोन करना शुरू कर दिया और वो चाहते थे इस किसान को उनकी गाय लक्ष्मी को वापस आ जाए जिसके लिए उन्हें पैसे देना चाहते थे, अब सुनिए अब उस दुग्ध फार्म वाले ग्वाले को लालच आ गया और उसने दोगुने दाम कर दिए लक्ष्मी के 20000 हजार की लक्ष्मी वो अब वो 40000 मांगने शुरू कर दिएजब यह खबर तमिलनाडु के सीएम के बेटे ओपी जयप्रदीप को पता चला तो उन्होने उस गाय को वापस लाए और मंदिर में फिर उस किसान को दे दिए। अब लक्ष्मी और मंजमलाई फिर से इकट्ठे होकर खेलते और खाते है..! गायें भावुक प्राणी हैं। वो भी हमारे जैसे भाव, प्यार साथ स्नेह और दर्द महसूस करते हैं। उन्हें भी प्यार का अनुभव होता है…💖💖💖

Posted in छोटी कहानिया - १०,००० से ज्यादा रोचक और प्रेरणात्मक

अब्राहम लिंकन के पिता जूते बनाते थे


अब्राहम लिंकन के पिता जूते बनाते थे, जब वह राष्ट्रपति चुने गये तो अमेरिका के अभिजात्य वर्ग को बड़ी ठेस पहुँची!सीनेट के समक्ष जब वह अपना पहला भाषण देने खड़े हुए तो एक सीनेटर ने ऊँची आवाज़ में कहा,

मिस्टर लिंकन याद रखो कि तुम्हारे पिता मेरे और मेरे परिवार के जूते बनाया करते थे!इसी के साथ सीनेट भद्दे अट्टहास से गूँज उठी! लेकिन लिंकन किसी और ही मिट्टी के बने हुए थे! उन्होंने कहा कि, मुझे मालूम है कि मेरे पिता जूते बनाते थे! सिर्फ आप के ही नहीं यहाँ बैठे कई माननीयों के जूते उन्होंने बनाये होंगे! वह पूरे मनोयोग से जूते बनाते थे, उनके बनाये जूतों में उनकी आत्मा बसती है! अपने काम के प्रति पूर्ण समर्पण के कारण उनके बनाये जूतों में कभी कोई शिकायत नहीं आयी! क्या आपको उनके काम से कोई शिकायत है? उनका पुत्र होने के नाते मैं स्वयं भी जूते बना लेता हूँ और यदि आपको कोई शिकायत है तो मैं उनके बनाये जूतों की मरम्मत कर देता हूँ! मुझे अपने पिता और उनके काम पर गर्व है!

सीनेट में उनके ये तर्कवादी भाषण से सन्नाटा छा गया और इस भाषण को अमेरिकी सीनेट के इतिहास में बहुत बेहतरीन भाषण माना गया है और उसी भाषण से एक थ्योरी निकली Dignity of Labour (श्रम का महत्व) और इसका ये असर हुआ की जितने भी कामगार थे उन्होंने अपने पेशे को अपना सरनेम बना दिया जैसे कि – कोब्लर, शूमेंकर, बुचर, टेलर, स्मिथ, कारपेंटर, पॉटर आदि। अमरिका में आज भी श्रम को महत्व दिया जाता है इसीलिए वो दुनिया की सबसे बड़ी महाशक्ति है।

वहीं हमारे देश भारत में जो श्रम करता है उसका कोई सम्मान नहीं है । यहाँ जो बिलकुल भी श्रम नहीं करता वो ऊंचा है। जो यहाँ सफाई करता है, उसे हेय समझते हैं और जो गंदगी करता है उसे ऊँचा समझते हैं। ऐसी गलत मानसिकता के साथ हम दुनिया के नंबर एक देश बनने का सपना सिर्फ देख तो सकते है, लेकिन उसे पूरा कभी नहीं कर सकते। जब तक कि हम श्रम को सम्मान की दृष्टि से नहीं देखेंगे। जातिवाद और ऊँच नीच का भेदभाव किसी भी राष्ट्र निर्माण के लिए बहुत बड़ी बाधा है।
-स्वामी यतींद्र आनंद