पीले रंग की साधारण सी साड़ी पहने, लोगों के जूते चप्पलों की रखवाली करके फुटकर पैसों से अपनी गुजर बसर करने वाली बांके बिहारी मंदिर मथुरा के बाहर बैठी इस महिला का परिचय कुछ ही समय बाद पूरा भारत जान जायेगा। कन्हैया के प्रति इनकी भक्ति व प्रेम के आगे हमारी सभी पूजा-अर्चना छोटी रह जाती हैं। मात्र 20 वर्ष की आयु में विधवा हुई महिला का नाम ही यशोदा है जो कि सार्थक भी है।
इनके चरण छूकर आशीर्वाद प्राप्त कर लेना भी किसी तीर्थ से कम नहीं, क्योंकि इन माता ने पिछले 30 वर्षों में 5,10,25,50 पैसे इकट्ठा करके, 40 लाख (4000000/-)रुपये की रकम से एक गौशाला व धर्मशाला का निर्माण शुरू कर डाला है।
शत शत नमन है कान्हा की इस माँ यशोदा को।
“बोलो वृंदावन बांके बिहारी लाल की
जय “