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अगर कोई मुस्लिम लड़का एक मशहूर सेलिब्रिटी बनता है तो उसकी पहली ख्वाहिश यही होती है कि वो एक हिन्दू लड़की से ही शादी करे।

ध्यान_दिजिए क्रिकेटर ज़हीर खान, मोहम्मद कैफ, मोहम्मद अजहरुद्दीन, युसूफ पठान, मंसूर अली खान पटौदी, फिल्म अभिनेता शाहरुख खान, आमिर खान, सैफ अली खान, राजनीतिज्ञ शाहनवाज़ खां और मुख्तार अब्बास नकवी और दुनिया भर के न जाने कितने मुस्लिम लोग जो मशहूर सेलिब्रिटी रहे और हिन्दू लड़कियों के पति बने।

काफी प्रचलित सीरिअल अभी विगत दो वर्ष पूर्व टीवी सीरियल में काम करने वाले एक मुस्लिम अभिनेता ने “ससुराल सिमर का” सीरियल में काम करने वाली टीवी अभिनेत्री दीपिका कक्कड़ से शादी की उन तमाम लोगों को यहां लिखा भी नहीं जा सकता लिस्ट इतनी लम्बी है लिखना असम्भव है।

दोषी कौन इसका?? इन मशहूर सेलिब्रिटी की शादी को लव जिहाद की संज्ञा नहीं दी जा सकती क्योंकि इन्होंने अपने मुस्लिम होने की पहचान को छुपाया नहीं! लड़की और उसके घर वालों को मालूम था कि वो एक मुस्लिम दामाद ला रहे हैं।

ये सच है कि जब ये पैसा, शोहरत और दौलत से लबरेज़ हुए तभी इन्हें हिन्दू लड़की बगैर अपनी पहचान छुपाए आसानी से हासिल हो गयी पर ये भी सच है कि अगर मुस्लिम लड़के सेलिब्रिटी न बन पाते तो लव जिहाद का रास्ता अखितयार करते हैं, अपनी पहचान छुपाकर हिन्दू नाम के साथ, कलावा बांधे हुए, चंदन लगाकर लड़की से मिलते,उसे अपवित्र कर शादी के लिए मजबूर करते।

हमारी मूर्खता लव जिहाद को तो हम तुरन्त इस्लामीकरण से जोड़ लेते हैं पर रज़ामन्दी से की गयी शादी में हमे इस्लामीकरण नहीं दिखता ?

मानसिक विचारधारा वास्तव में मुस्लिम नौजवान एक ऐसी मानसिकता के शिकार हैं कि अगर उन्हें किसी तरह एक हिन्दू लड़की हासिल हो जाये तो उनके जन्नत का रास्ता साफ है।

ये सोच एक मानसिक विकृति में बदल चुकी है जैसा कि मैं ऊपर लिख चुका हूँ कि मुस्लिम और ईसाई औरतें भी बहुत खूबसूरत होती हैं पर उस खूबसूरती को वो तरजीह न देकर हिन्दू लड़की को ज्यादा तरजीह देते हैं इससे उन्हें एक आत्मिक ख़ुशी भी मिलती है कि वो हिन्दू धर्म को नष्ट कर रहे हैं और अल्लाह के बताये रास्ते में अपना योगदान दे रहे हैं, क्योंकि लव ज़िहाद एक काफिर के कत्ल करने से भी बड़ा सबाब है वो कैसे देखिये-

( उदाहरण )
मान लो एक मोहल्ले मे ५० हिन्दू और ५० मुस्लिम हैं,
१. अब ज़िहादी अगर एक हिन्दू का कत्ल करता है तो
हिन्दू बचे ४९और मुस्लिम हुए ५०.=(१ बढ़त)
और जेल जाना अलग से लेकिन

२. लव ज़िहाद करने से हिन्दू हुए ४९ और मुस्लिम हो गये ५१=(२ बढ़त) य़ानी २ काफिर के कत्ल का शबाब और गुनाह भी नही।

३. अब आया तीसरा चरण उस हिन्दू लड़की से सुअर के जैसे ७ बच्चे पैदा करवाना, अब हिन्दू हुए ४९ और मुस्लिम हो गये ५८=(८ बढ़त) य़ानी ८ काफिर के कत्ल का शबाब और गुनाह भी नही!

और भी ज़ितना पैदा कर सको करते रहो, हिन्दू लड़की मरती है तो मरे, उसमे ज़िहादी का फायदा ही है फिर से शिकार पर निकलेगा फिर कोई हिन्दू लड़की का शिकार करेगा और फिर यही करता रहेगा बार बार, लगातार क्योंकि ये यो गुनाह ही नही है हमारे कानून मे, उल्टा उनको हक़ है।

बाकी जो सामान्यतः जनसंख्या बढेगी दोनो साइड वो अलग से, उसमे भी ज़िहादी कम से कम ४ गुना तेजी से बढायेंगे, उसकी गिनती करते करते तो गणना भी संभव नहीं।

चाहे एक आम मुस्लिम हो या कोई सेलिब्रिटी या राजनेता दोष उनमे एक पैसे का नही है सारा का सारा दोष हिन्दू समाज की लड़कियों एव उनके परिवार का है बस हम सही बात को पकड़ते नही है।

संजय वर्मा

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🚩🚩लीजिये एक नया जेहाद आ गया,नाम है

  • नम्बर जेहाद*👇👇

पूरे विश्व मे ये पहला उदाहरण है। दुनिया चकित है, केरल के महाज्ञानी छात्रों के नम्बर देख कर।
आज TV पर बताया गया कि केरल बोर्ड से 100% नम्बर लेकर आये चार हजार से ज्यादा छात्र छात्राओं ने दिल्ली वि वि मे फार्म भरा जिसमे एक ही कॉलेज मे, इतिहास मे 38, भूगोल मे 34, गणित मे 45, बायोलॉजी मे 51, अंग्रेजी मे 50 बच्चों को एडमिशन मिला। जितने भी केरल के छात्रों ने फार्म भरा सब के सब दाखिला पा गए। ये एक कॉलेज का परिणाम था बाकी चार हजार को भी अन्य कॉलेज मे दाखिला मिलना तय है ।
गौर तलब है कि गणित मे तो समझ मे आता है की 100% नंबर मिल सकते हैं , पर इतिहास, भूगोल, बायोलॉजी, और भाषा मे 100% नम्बर तो नामुमकिन ही है।
इस घोटाले को पकड़ा दिल्ली वि वि के प्रोफेसर राकेश पांडेय ने प्रो.पांडेय 2016 से ही इस बात पर गौर कर रहे थे , पर उनकी बात वि वि प्रशासन और मुख्य मंत्री तक ने नकार दी, तब उन्होंने ये मुद्दा TV पर उठाया तो हड़कंप मच गया, अब जाँच हो रही है।
ये पूरा खेल केरल की वाम पंथी सरकार का है जो नेहरू के मदरसे JNU की तरह दिल्ली वि वि को भी अपना अपराधी अड्डा बनाना चाह रही है।
वि वि के शिक्षकों का कहना है की केरल का ढिंढोरा पीटने वालों सुनो इन छात्रों की ना हिंदी अच्छी है ना ही अंग्रेजी भाषा, उनका उच्चारण ही गलत होता है जो समझ ने नही आता, और जब केरल की शिक्षा का स्तर बहुत ऊँचा बताया जाता है तो 2000 km दूर केरल से कमतर स्तर वाले दिल्ली क्यों आ रहे हैं ये छात्र ??
जब ये बात प्रोफेसर पांडेय ने उठाई तो उनको धमकी मिलना शुरू गयी, शशि थरूर जैसा आदमी उनकी आलोचना करने लगा, असल मे ये सारे वाम पंथी और कांग्रेस टुकड़े टुकड़े गैंग JNU की तरह दिल्ली वि वि को बना देना चाहते हैं, अब देखना ये है की ये हरकत भारत के और कौन कौन से वि वि मे की जा रही है।
सबसे खास बात ये है कि केरल मे आन लाईन परीक्षा भी नहीं हुई है। छात्र को व्यक्तिगत रूप से परीक्षा मे बैठना पड़ा था, जबकि आन लाइन परीक्षा देने वाले छात्रों जो किताबें देख कर और कंप्युटर रख कर परीक्षा दिये हैं उनको भी दो चार को ही 100% नम्बर मिले हैं।
इसके पूर्व UPSC मे उर्दू को माध्यम बना कर षड्यंत्र रचा गया था जिसमे जांचने वाले भी मुस्लिम ही होते हैं दूसरों को उर्दू आती ही नहीं तो जाँच भी उर्दू जानने वाले ही करते रहे। उसमे भी 100% नंबर देकर मुस्लिमों को IAS, IPS, आदि जगह पर 2009 से घुसेड़ रहे थे,
शाह फ़ैसल आदि ऐसे ही टॉपर बने थे।
केरल मे कानून की डिग्री मे शरिया कानून एक सब्जेक्ट है। अब ऐसे वकील कल को हाई कोर्ट, सुप्रीम कोर्ट मे पहुंचेंगे तो क्या हाल करेंगे भारतीय कानून का ये विचारणीय प्रश्न है।
जागो हिंदुओं जागो।🙏

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जैसलमेर में 1966 के बाद सामने नही आया कोई भी लव जेहाद का ममल्स

जैसलमेर में एक ब्राह्मण ने ऐसे लव जिहादियों की गर्दन ऐसे उतरवाई की तब से आज तक वहां कोई लव जिहाद का केस नहीं आया

जैसलमेर जिले के मुस्लिम गाँव सनावाडा में 1966 में हुई एक घटना बतला रहा हूँ।

मुस्लिम बाहुल्य गाँव था सनावाड़ा ,जहाँ का सरपंच मुस्लिम था। सरपंच का पुत्र जोधपुर में पढाई कर रहा था। गर्मी के अवकाश में लड़का अपने गाँव आया हुआ था।

पास के गाँव के एकमात्र श्रीमाली ब्राह्मण परिवार की कन्या सरपंच के पुत्र को भा गई। पहले तो पिता ने पुत्र को समझाया। धर्म और मजहब में अंतर बताया किन्तु जब पुत्र जिद्द पर अड़ गया तो सरपंच 10 मुसलमानों को साथ लेकर ब्राह्मण के घर गया और कन्या का हाथ (बलपूर्वक) अपने पुत्र के लिए माँगा।

ब्राह्मण परिवार पर तो मानो ब्रजपात हो गया हो।

किन्तु कुछ सोचकर ब्राह्मणदेव ने दो माह का समय माँगा।

दूसरे दिन हताश ब्राह्मणदेव पास के राजपूत गाँव में वहां के ठाकुर के निवास पर गये , और निवास के मुख्य द्वार के सामने फावड़े से मिटटी खोदने लगे।

बड़े ठाकुर साहब उस समय घर पर नहीं थे मगर 17 वर्षीय कुंवर और उनकी पिता जी घर में थे। जब ब्राह्मण द्वारा मिटटी खोदने की सुचना उन्हें मिली तो कुंवर ब्राम्हणदेव के पास गए और आदरपूर्वक मिट्टी खोदने का कारण पूछा।

ब्राह्मणदेव ने उत्तर दिया:- कुंवर जी, मैने सुना है धरती माता कभी बीज नहीं गंवाती। खोद कर देख रहा हूँ कि हमारे रक्षक क्षत्रिय समाज का बीज आज भी है या नष्ट हो चुका है ?

कुंवर पूरे 17 वर्ष के थे.. बात को समझ गए , उन्होंने ब्राह्मणदेव को वचन दिया कि आप निश्चिन्त रहें विप्रवर।

मैं कुँअर तरुण प्रताप सिंह आपको वचन देता हूँ कि आपके सम्मान हेतु प्राण दे दूँगा किन्तु पीछे नहीं हटूँगा। आप अतिथि घर में पधारें.. स्नान आदि करके भोजन करिए… तब तक पिताश्री भी आ जायेंगे। आपको निराश नहीं करेंगे।

जब ठाकुर साहब वापिस आये तो कुंवर ने पूरी बात बताई और वचन देने वाली बात भी बताई।

ठाकुर साहब ने ब्राह्मणदेव से कहा कि:- गुरूदेव , मैं आपको धन देता हूँ। आप कोई योग्य ब्राह्मण लड़का देख कर अपनी कन्या का रिश्ता तय कर लें। साथ ही मुसलमान सरपंच को उसी तिथी पर दो माह बाद बारात लेकर आपके घर आमंत्रित करें। बाकी का कार्य हम पूरा करेंगे।

दो माह बीते और बताये समय पर मुसलमान सरपंच भारी दलबल के साथ ब्राह्मण के घर बारात लेकर पहुँच गया।

तिलक के समय ठाकुर के तरुण कुंवर ने अपने दो चाचा के साथ मिल कर पहले वर का सर काटा और कटे सिर को लहराते हुए उसी विवाह मंडप में भयंकर रक्तपात मचाया।

वो मंजर कुछ ऐसा था जैसे मां दुर्गा का सनातनी सिंह पूरी ताकत से शिकार कर रहा हो…

उसके बाद कार्बाइन से गोली चला कर सभी बारातियों सहित सरपंच तमाम मुल्ला मुसल्लम को जहन्नुम पहुंचा दिया।

उस दिन का दिन और आज का दिन जैसलमेर में आज तक कोई लव जिहाद जेसी घटना नहीं हुई। कुंवर आज भी जीवित हैं। और पिगपुत्र उनको देख कर आज भी भय से कापते है।

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आपने पूरा पढा धन्यवाद आज जरूरत है जाति पाती का अलगाववाद खत्म कर एक एक हो जाने की🚩🚩

आज राजस्थान की वर्तमान हालत की वजह यही है, झूठी शान, जातिवाद में बंटा हिंदू, तभी अजमेर दरगाह पर हिंदू चादर चढ़ा रहे हैं, गद्दार, लुटेरे, धर्मांतरण, बलात्कार, हत्या करने वाले की कब्र पर, और महाराणा प्रताप, शिवाजी, पृथ्वीराज चौहान के वंशज कटुओं को काटने की बजाय, उनके iहाथों हलाल हो रहे बिरयानी खाकर, जागो हिन्दू जागो, संगठित हो, जाति से निकलो आज हिन्दुत्व का शत्रु मुसलमान है ना की आपका ही अन्य जाति में पैदा हुआ हिंदू भाई🚩🐂🙏🏻🐂

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लव #जिहाद

राजस्थान के जैसलमेर जिले के मुस्लिम गाँव सनावाडा में १९६६ में हुई एक घटना का वर्णन कर रहा हूँ .
मुस्लिम बहुल गाँव ,जहाँ का सरपंच मुस्लिम ,था ,सरपंच का पुत्र जोधपुर में पढाई कर रहा था ,गर्मी के अवकाश में लड़का अपने गाँव आया हुआ था .पास के गाँव के एकमात्र श्रीमाली ब्राह्मण परिवार की कन्या सरपंच के पुत्र को भा गई .पहले तो पिता ने पुत्र को समझाया ,धर्म और मजहब में अंतर बताया ,किन्तु जब पुत्र जिद्द पर अड़ गया तो सरपंच 10 मुसलमानों को साथ लेकर ब्राह्मण के घर गया और कन्या का हाथ अपने पुत्र के लिए माँगा /
ब्राह्मण परिवार पर तो मानो ब्रजपात हो गया हों .
किन्तु सोचकर ब्राह्मण ने दो माह का समय माँगा ,/
दुसरे दिन हतास ब्राह्मण पास के राजपूत गाँव में वहां के ठाकुर के निवास पर गया ,और निवास के मुख्य द्वार के सामने फावड़े से मिटटी खोदने लगा /
ठाकुर साहब उस समय घर पर नहीं थे .17 वर्षीय कुंवर और उनकी पता जी घर में थे ./जब ब्राह्मण द्वारा मिटटी खोदने की सुचना उन्हें मिली तो कुंवर ब्राम्हण के पास गए और मिटटी खोदने का कारन पूछा ./ब्राह्मण ने उत्तर दिया ,कुंवर जी मेने सुना है धरती माता कभी बीज नहीं गंवाती .खोद कर देख रहा हूँ कि क्षत्रिय समाज का बीज आज भी है या नष्ट हो चूका है .
कुंवर बात को समाज गए ,उन्होंने ब्राह्मण को वचन दिया कि आप निंचित रहे आपकी बात के लिए प्राण दे दूंगा किन्तु पीछे नहीं हटूंगा .आप अतिथि घर में पधारिये /स्नान आदि करके भोजन करिए .तब तक पिताश्री भी आ जायेंगे ./आपको निराश नहीं करेंगे /
जब ठाकुर साहब वापिस आये तो कुंवर ने पूरी बात बताई और वचन देने वाली बात भी बताई /
ठाकुर साहब ने ब्राह्मण से कहा कि मैं आपको धन देता हूँ ,आप कोई योग्य ब्राह्मण लड़का देख कर अपनी कन्या का रिश्ता तय कर लें .साथ ही मुसलमान सरपंच को दो माह बाद बारात लेकर आपके घर अमन्त्र्ण करें .बाकी का कार्य हम पूरा करेंगे /
बताये समय पर मुसलमान सरपंच भारी दलबल के साथ ब्राह्मण के घर बारात लेकर पहुँच गया ./ तिलक के समय ठाकुर के तरुण कुंवर ने अपने दो चाचा के साथ मिल कर पहले वर का सर काटा और उसके बाद कार्बाइन से गोली चला कर 17 बाराती सरपंच और मुल्ला को जहन्नुम पहुंचा दिया /
उस दिन का दिन और आज का दिन जैसलमेर में आज तक कोई लव जिहाद जेसी घटना नहीं हुई / कुंवर आज भी जीवित है .और मुसलमान उनको देख कर आज भी भय से कम्पते है /
मेरे सहपाठी भाई भीमसिंह ने मुझे कुंवर साहब से मिलवाया था
जय सनातन जय राजपुताना

सौजन्य:
तेजस अशोक भारती

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सावधान रहे..
आज आपको असम की विधायक रूमी नाथ की कहानी बताते हैं साथ ही ये भी समझने की कोशिश कीजियेगा की जिस भी हिन्दू परिवार में मुसलमान बैठने लगेगा उस परिवार की महिलाओं का हश्र यही होता है

असम में एक बड़े प्रतिष्ठित डॉक्टर थे राकेश कुमार सिंह इलाके के लोग उनका बहुत सम्मान करते थे क्योंकि वह क्षमतानुसार सब की सहायता करते थे, डॉक्टर साहब की पत्नी थी रूमी नाथ जिससे उन्हें 2 वर्ष की बेटी थी,

उन दिनों असम के एक मंत्री अहमद सिद्दीकी कि डॉक्टर साहब से जान पहचान हुई और अहमद सिद्दीकी का डॉक्टर साहब के घर आना जाना शुरु हुआ,
अहमद सिद्दीकी ने डॉक्टर साहब की प्रतिष्ठा का राजनितिक लाभ उठाने हेतु उनकी पत्नी रूमी नाथ को टिकट दिलवाकर MLA का चुनाव लड़वाने का सुझाव दिया,

अहमद सिद्दीकी यह जानता था की महिला होने के कारण और डॉ राकेश सिंह की प्रतिष्ठा और सम्मान के कारण क्षेत्र के अधिकांश वोट डॉक्टर राकेश सिंह की पत्नी रूमी नाथ को ही मिलेंगे और महिला उम्मीदवार होने के नाते महिला वोट तो रूमी नाथ को मिलने ही थे,

और जब चुनाव परिणाम आया तो आशानुरूप रूमी नाथ चुनाव जीत गई, अब इसके बाद अहमद सिद्दीकी का रूमी नाथ से प्रतिदिन से मिलना होता और धीरे धीरे अहमद सिद्दीकी ने रूमी नाथ का ब्रेनवाश करना शुरू किया,

अहमद सिद्दीकी ने रुमि का परिचय एक बांग्लादेशी मुस्लिम युवक जैकी ज़ाकिर से करवाया और उस युवक से रुमी को प्रेम जाल में फसाने को कहा,

और अब ज़ाकिर ने रोज़ रूमी से मिलने-जुलने का सिलसिला शुरू किया, कुछ समय बाद रूमी नाथ पूरी तरह से अहमद सिद्दीकी और जैकी ज़ाकिर के लव जेहाद के जाल में फंस गई, इसके बाद अहमद सिद्दीकी ने एक दिन रूमी नाथ को अपने बंगले पर बुलाया और वहां उसका धर्म परिवर्तन करवा कर उसे इस्लाम कबूल करवाया और उसका नया नाम रखा गया रबिया सुल्ताना, और रूमी नाथ ने बिना डॉक्टर राकेश सिंह को कुछ बताये, बिना अपनी 2 वर्ष कि बेटी की चिंता किए, बिना डिवोर्स लिए उस बांग्लादेशी युवक ज़ाकिर से निकाह कर लिया,

अहमद सिद्दीकी जानता था कि मामला संवेदनशील है अतः उसने रूमी नाथ और और उस बांग्लादेशी युवक ज़ाकिर को बांग्लादेश भिजवा दिया,

रूमी नाथ के पिता और पति दोनों प्रतिष्ठित व्यक्ति थे उन्होंने इस विषय को उठाया भी किंतु रूमी नाथ खुद एक विधायक थी, अतः कुछ ना हो सका, रूमीनाथ के पिता और उसके पति डॉ राकेश सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अहमद सिद्दीकी का नाम लिया और लोगों से अपने बच्चों बहु बेटियों को जिहादियों से दूर रखने को कहा,

कुछ दिनों बाद अहमद सिद्दीकी ने बांग्लादेश स्थित भारतीय दूतावास को चिट्ठी लिखकर जैकी जाकिर को वीजा देने को कहा, जिसके बाद रूमीनाथ से रुबिया सुल्ताना बनी रूमी अपने नए मुस्लिम बंगलादेशी शौहर को साथ लेकर वापस भारत आ गई और अपने क्षेत्र में अलग घर लेकर रहने लगी,

डॉ राकेश सिंह इस अपमान को सहन नहीं कर पाए और अपनी 2 साल की बच्ची को लेकर उत्तर प्रदेश चले गए, और रूमी नाथ के घर वालों ने उससे सारे संबंध तोड़ लिए,

रूमीनाथ और जाकिर 2 साल तक साथ रहे जिससे रूमी को एक लड़की हुई, और फिर जैसा कि हमेशा से होता है शांतिदूत जाकीर ने अपना असली रंग दिखाना शुरू कर दिया, रुमी के साथ रोज मार पिटाई होती, उसे प्रताड़ित किया जाता और जाकिर उससे उसके सारे पैसे छीन लेता, जिससे त्रस्त होकर रूमी नाथ ने ज़ाकिर के खिलाफ पुलिस में शिकायत करी और उसके बाद वो जाकिर से अलग हो गई,

अब रुमी को अपनी विधायकी और छवि का ख्याल आया और उसने इस्लाम को त्याग कर पुनः हिंदू धर्म स्वीकार किया, किंतु अब तक उसे जिहादियों की संगत में अपराध और गलत कामों की लत लग चुकी थी,
और अब वो सीधी साधी ग्रहणी रुमिनाथ पूरे भारत में सक्रिय एक कार चोरी करने वाले रैकेट की एक्टिव सदस्य बन चुकी थी, जो पूरे भारत से चोरी की जा रही महंगी गाड़ियां को अवैध रूप से असम में बेचने का गोरख धंधा चलाती थी,

इस सबके बीच चुनाव आए, और क्योंकि इस बार रूमी के साथ उसके पहले पति डॉ राकेश सिंह की प्रतिष्ठा नहीं थी, और अपने पहले पति और 2 वर्षीय बेटी को छोड़कर इस्लाम कुबूल करने, जाकिर से निकाह कर उसके साथ भागने के कारण जिन लोगों ने उसे पिछली बार वोट देकर उसे विजयी बनाया था,
उन लोगों ने इस बार उससे अपना समर्थन वापस ले लिया और परिणाम स्वरुप रूमीनाथ बुरी तरह से चुनाव हार गई, रूमी नाथ अब ज़ाकिर से पैदा हुई अपनी बेटी को लेकर अपने पिता और घर वालों के पास गयी किंतु उन्होंने उसे स्वीकारने से मना कर दिया,

और अब तक रुमी कार चोरी के रैकेट वाले केस में बुरी तरह से फंस चुकी थी, और उसके बाद उसे पुलिस द्वारा अरेस्ट कर लिया गया, ये थी कहानी एक हिन्दू ग्रहणी रूमी नाथ की जो जिहादी अहमद सिद्दीकी के इशारे पर विधायक बनी, फिर अपने पिता, घरवालों, अपने पति अपनी 2 वर्षीय बेटी को बिना बताए बिना डिवोर्स दिए उन्हें त्यागकर, अवैध सम्बन्धों और लव जिहाद में अंधी होकर राबिया सुल्ताना बनी और शांतिदूत ज़ाकिर की बीवी बन अपने घरवालों को छोड़कर बंग्लादेश भाग गई, बाद में उसके उसी प्रेमी जाकिर ने रोज़ उससे उसके पैसे छीनने शुरू किये प्रतिदिन उसकी पिटाई-कुटाई चालु की, उसके बाद रूमी उससे अलग होकर अपराध की दुनिया में घुस कार चोरी के रैकेट की सदस्य बनी फिर चुनाव भी हारी, घरवालों ने मुंह फेर लिया और आज जेल में है।
Yati Maa Chetnanand Sarswatiकी प्रतिलिपि

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यह_कहानी_नहीं_सच_है


#यह_कहानी_नहीं_सच_है .. वह थीं गोरी चिट्टी,खूबसूरत खत्री हिन्दू, एमबीबीएस,एमएस, #डॉक्टर, महिला रोग विभाग की विभागाध्यक्ष, इतना बड़ा पद और आयु बमुश्किल 30 वर्ष,अविवाहित !! डॉक्टर साहिबा अपनी स्वास्थ्य विभाग की कार से अस्पताल आती-जाती थी ! कार के ड्राइवर महबूब मियां उम्र 25-26 साल,पढ़ाई आठवी पास ,दरमियाना कद,रंग गेहुआ,अच्छा गठा शरीर !! पहले तो ड्राइवर,ड्राइवर की औकात में ही रहा,मगर धीरे- धीरे उसने लगभग नामुमकिन से काम यानी डॉक्टरनी साहिबा पर जेहाद ए मोहब्बत का दांव खेलना शुरू किया ! वर्दी उतर गई,शानदार लिवास में महबूब मियां रहने लगे,डॉक्टरनी की घरेलु मदद भी होने लगी ,डॉक्टरनी को बताया कि हम भी राजपूत हिंदु थे सिर्फ एक पीढ़ी पहले तक !! मगर ‘लोगों’ ने इतना सताया कि वालिद को इस्लाम कुबूल करना पड़ा,हालाँकि दिल से अभी तक हिंदु ही हैं .. बात आगे बढ़ी, इत्तेहाद,हिंदु-मुस्लिम एकता और खून के एक ही रंग की बाते भी महबूब मियां ने शुरू कीं ! शेरो-शायरी भी शुरू हुई, डॉक्टरनी को लगने लगा कि बेशक ड्राइवर है,सिर्फ आठ तक पढ़ा है,गरीब है मगर है ज़हीन और भरोसे लायक ! डॉक्टरनी खुलने लगीं , महबूब ने एक दिन बग़ैर डरे प्रेम निवेदन किया – डॉक्टरनी ने शायद कमज़ोर क्षणों में हाँ कर दी ! सम्बन्ध बने और गोपनीयता की दीवार के पीछे एक ऊंचाइयों तक पहुँच गए ! हिंदु-मुस्लिम की दीवार डॉक्टरनी ने तोड़ दी ! लेकिन महबूब का मकसद सिर्फ यहीं तक महदूद नहीं था ! सिर्फ 15 दिन में, खूबसूरत, MBBS, MS, खत्री हिंदु सरकारी डॉक्टर अपने परिवार के भरसक विरोध के वाबजूद ,कुछ ‘कमज़ोर क्षणों’ की बदौलत एक लफंगे मुस्लिम ड्राइवर के साथ निकाह करने के लिए मजबूर हो गई ! बुरका आया,नाम बदला !! मगर दोस्त, यह सच्चा किस्सा अभी भी खत्म नहीं हुआ ! डॉक्टरनी 5 साल में 3 मुस्लिम नामधारी बच्चों की माँ बन गईं ,ड्राइवर साहेब कभी -कभी तनखाह लेने अस्पताल जाते थे ! डॉक्टरनी ने बदनामी के चलते दूसरे शहर ट्रांसफर कराया ! मगर ड्राइवर ने लखनऊ से भागदौड़ और राजनीतिक संपर्कों के चलते पुनः डॉक्टरनी को वापस बुला लिया ! डॉक्टरनी ने सरकारी नौकरी के वाबजूद शहर के सबसे समृद्ध इलाके में अस्पताल खोल दिया ,और अस्पताल के मालिक बने महबूब मियां ड्राइवर ! ड्राइवर साहेब ,आज एक राजनीतिक दल के स्थानीय सर्वेसर्वा हैं,लखनऊ तक हनक है , लक्सरी गाड़ियों का काफिला है महबूब ‘ड्राइवर’ के पास ! महबूब मियां कई मज़हबी इदारों के मुतवल्ली हैं ! डॉक्टरनी सरकारी नौकरी छोड़ चुकी हैं और बुरका और हिजाब उनकी मज़हबी पहचान बन चुके हैं ! और आज भी महबूब मियां को पाल रही हैं, डॉक्टरनी की संपूर्ण अकूत संपत्ति ,महबूब मियां के नाम से है ! एक हिंदु औरत की आत्मा को मरे हुए 30 बरस हो चुके हैं !!

संजय द्विवेदी

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मगरमच्छ_से_लव लीपापोती की कोशिश काफी


#मगरमच्छ_से_लव लीपापोती की कोशिश काफी देर तक कामयाब हुई पर पूरी तरह नहीं #सुप्रीम_कोर्ट_ने_आखिरकार #NIA_को #लव_जिहाद की जांच के आदेश दे दिए हैं प्रगतिशील जनों का प्रचार कामयाब नहीं हुआ कि “लव जिहाद ” मुस्लिम द्वेषी भाजपा की काल्पनिक उड़ान है और यह मुद्दा सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के लिए उछाला जा रहा है देश की शीर्ष जांच एजेंसी एनआईए ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि कल्पना की उड़ान जैसा कुछ नहीं है इसमें, यह कड़वी हकीकत है शब्द नया था तो लोगों को लगा कि यह कोई नए किस्म का जिहाद है, बिलकुल नहीं, यह पांच दशक से जारी है और अब बहुत परिष्कृत रूप ले चुका है, उत्तर भारत में लोगों ने इसका नाम रांची की रहने वाली राष्ट्रीय बैडमिंटन चैंपियन तारा शाहदेव और रंजीत सिंह कोहली उर्फ रकीबुल हुसैन के मामले के बाद सुना, पर केरल व कनार्टक में यह ब्लू व्हेल हजारों युवतियों को लील चुकी है #लव_जिहाद_पिछले_45_साल_से_चल_रहा अभियान है, चार दशक पूर्व इसे मिस्र में कॉप्ट ईसाइयों के साथ आजमाया गया था, इस पर शोध करने वाले स्टीवन ब्राउन के मुताबिक धर्मांतरण के बाद इन लड़कियों की बाकायदा परेड निकाली जाती थी जिसमें आक्रामक इस्लामी नारे लगाए जाते थे, जानबूझ कर परेड को ईसाई मुहल्लों से गुजारा जाता था, बाकायदा कीमत तय होती थी और धर्मांतरित युवती के परिवार की जितनी सामाजिक प्रतिष्ठा होती थी, उसी हिसाब से जिहादी रोमियो को पैसे मिलते थे, वहां हालांकि इन सारी चीजों के लिए पैसे सरकार की खुफिया एजंसियों की तरफ से मिलते थे, यह रेट कार्ड बाकायदा भारत में भी है और धंधा जिहादी चंदे से चलता है #मेरा_धर्म_नीच_इस्लाम_सच्चा अगस्त 1994 में लंदन के वेंबले स्टेडियम में बाकायदा एक भव्य समारोह में एक सिख युवती को इस्लाम में दीक्षित किया गया, धर्मांतरित होने के तुरंत बाद उस युवती ने सिखों के बारे में बेहद अपमानजनक टिप्पणियां की जिसका वहां मौजूद 8000 लोगों ने तालियां बजाकर स्वागत किया, परेड भी निकाली गई, लंदन को जिहादी लंदनिस्तान यूं ही नहीं कहते, इसके बाद 1995 में ट्रैफल्गर में 2000 मुस्लिमों की भीड़ के बीच दो हिंदू युवतियों को धर्मांतरित किया गया, 2012 में बर्तानवी शहर रोथेरहैम में उजागर हुए सेक्स रैकेट ने पूरे देश को झकझोर दिया, संगठित इस्लामी गिरोहों ने कुछ ही बरसों में इस शहर के 1400 बच्चों को यौन शोषण का शिकार बनाया काहिरा के बाद से ही लव जिहाद का खास ठिकाना लंदन है, यहां खास तौर से हिंदू व सिख युवतियों को निशाना बनाया गया और इसकी जिम्मेदारी संभाली -हिज्ब उल तहरीर- ने, हिज्ब के पैसे से जिहादी रोमियो बाकायदा अखबारों में विज्ञापन देते हैं जिसमें खासतौर से एशियाई और सिख व हिंदू लड़कियों से प्रणय प्रस्ताव मांगे जाते हैं, और फिर उन्हें फंसाकर काहिरा की गलियों की तर्ज पर लंदन में हिंदुओं व सिखों को अपमानित किया जाता है, ब्राउन के मुताबिक पर नस्लीय और धार्मिक भेदभाव के आरोप के डर से पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की, हिज्ब की ओर से जारी दिशानिर्देशों में मुस्लिम युवकों को खासतौर से अनाथ, तलाकशुदा मां-बाप के बच्चों और बदसूरत लड़कियों को निशाना बनाने की सलाह दी गई है क्योंकि इनके आसानी से चंगुल में फंसने की संभावना रहती है #लव_जिहाद या रोमियो जिहाद #भारत_में सबसे पहले केरल व इससे सटे कर्नाटक के तटीय इलाके मंगलूर में चर्चा में आया जब यहां हिंदू व ईसाई युवतियों के लापता होने व उनके मुसलमान बन जाने की घटनाओं में अचानक उछाल आया, ईसाई व हिंदू संगठनों के कान खड़े हो गए, केरल में कैथोलिक ईसाई समुदाय के एक प्रमुख नेता फादर जानी कोचुमपरंबिल ने चर्च काऊंसिल के एक न्यूजलेटर में लिखा कि 2005 से 2009 के बीच केरल में तकरीबन चार हजार गैर मुस्लिम लड़कियों का मुस्लिम युवकों से विवाह कर उन्हें इस्लाम में धर्मांतरित किया जा चुका है, उन्होंने इस दौरान धर्मांतरित हो चुकीं 2868 लड़कियों की बाकायदा सूची भी जारी की, हालांकि हिंदू संगठन धर्मांतरित युवतियों की तादाद तीस हजार बताते हैं जो स्वाभाविक तौर पर ज्यादा है, पर सैयद वाजिद अली के आलेख- “लव जिहाद – ए मिथ ऑर मिशन” के आंकड़ों को कुछ हद तक सही माना जा सकता है, अली ने केरल पुलिस के क्राइम रिकार्ड ब्यूरो के आंकड़ों और कोच्चि विश्वविद्यालय के एडवांस्ड ला स्टडीज के सर्वेक्षण के आधार पर बताया कि केरल में 2006-07 के दौरान लापता लड़कियों की तादाद 2127 और 2008 में 2560 थी केरल कैथोलिक बिशप काउंसिल KCBC ने ईसाई अभिभावकों के लिए एक दिशानिर्देश जारी कर उन्हें अपनी बेटियों को जिहादी मजनुओं से सतर्क करने को कहा, केसीबीसी के विजिलेंस कमीशन फॉर सोशल हारमनी ने 2009 से ही इस बारे में ईसाइयों को जागरूक करने का अभियान छेड़ रखा है, केरल में इस मुद्दे पर ईसाई व हिंदू संगठनों में गजब का एका है, ग्लोबल काउंसिल आफ इंडियन क्रिश्चियन के मुताबिक लव जिहाद इस्लामीकरण के वैश्विक अभियान का हिस्सा है, कोच्चि स्थित #क्रिश्चियन_एसोसिएशन_फॉर_सोशल_एक्शन_तो कहता है कि लव जिहाद से मुकाबले के लिए वह #विश्व_हिंदू_परिषद_के_साथ_है इस मुद्दे पर होहल्ला तब बढ़ गया, जब 2009 में मामला केरल व कर्नाटक के उच्च न्यायालयों में पहुंचा, दोनों ही राज्यों की पुलिस ने हाई कोर्ट को बताया कि उनके राज्यों में गैर मुस्लिम युवतियों के लापता होने और उनके धर्मांतरण के मामलों में खासा इजाफा हुआ है पर इसके पीछे किसी संगठित साजिश के सबूत नहीं हैं, कर्नाटक हाई कोर्ट को अक्तूबर, 2009 में सौंपी गई सौपी गई रिपोर्ट में पुलिस ने कहा कि फिलहाल किसी संगठित साजिश के सबूत नहीं हैं पर लगता है कि कुछ मामलों में जबरन और पैसे का लालच देकर धर्मांतरण हुआ है, न्यामूर्ति केटी शंकरण ने सीआईडी की रिपोर्ट पर अविश्वास जताते हुए पूछा कि आखिर इतने बड़े पैमाने पर गुमशुदगी और धर्मांतरण की कोई वजह कैसे नहीं ? यह #सेक्यूलर_समुदाय के लिए अप्रत्याशित सवाल था, उन्होंने #आरोप_लगाया_कि #न्यायपालिका लव जिहाद को जबरन एक सत्य या साजिश के तौर पर स्थापित करना चाहती है और न्यायपालिका भी #सांप्रदायिक_हुए_जा_रही तारा-रकीबुल प्रकरण के बाद इसी एक मुद्दे को खास तौर से तवज्जो देते हुए न्यायपालिका तक को सांप्रदायिक साबित करने की कोशिश की गई, यह पहला मामला है जिसमें सीआईडी की रिपोर्ट इतनी पवित्र हो गई कि हाई कोर्ट के जज ने उस पर सवाल उठा कर गुनाह कर दिया ? हालांकि खुद पुलिस और खुफिया एजंसियों की रिपोर्टें एक बड़ी साजिश की ओर इशारा करती हैं, इनके मुताबिक यह विदेशी पैसे से चलने वाला वैश्विक इस्लामीकरण के अभियान का हिस्सा है, साबित करने के लिए सबूत भी हैं, कुछ साल पहले केरल के एनार्कुलम जेल में बंद वी नौशाद को सिम कार्ड पहुंचाने की कोशिश में चेरियन नाम की एक ईसाई महिला को गिरफ्तार किया गया, जांच में पता चला कि चेरियन पहले से विवाहित महिला थी और ये दोनों दुबई में मिले थे जहां नौशाद ड्राईवर का काम करता था, उसके प्रेमजाल में फंसने के बाद यह महिला चुपचाप दुबई से केरल भाग आई, नौशाद दक्षिण भारत में लश्कर के शीर्ष कमांडर वी नजीर का करीबी था और उस तक पहुंचने के लिए वह मादक पदार्थों की तस्करी के एक फर्जी केस में जेल में बंद हुआ, बाद में उसने नजीर के लिए ही चेरियन के मार्फत सिम कार्ड मंगवाए एक रिपोर्ट के मुताबिक लव जिहाद के चंगुल में फंसी अब तक 4000 से ज्यादा युवतियों को राष्ट्रविरोधी गतिविधियों का प्रशिक्षण दिया जा चुका है, बहुत सी युवतियां खाड़ी देशों के अमीर शेखों को बेच दी जाती हैं सितंबर 2012 में केरल के मुख्यमंत्री ओमन चांडी ने विधानसभा में बताया कि 2006 से अब तक 2500 युवतियां इस्लाम में धर्मांतरित हो चुकी हैं, लेकिन फिर भी बलात धर्मांतरण या लद जिहाद जैसी किसी चीज के बारे में कोई सबूत नहीं हैं, इस प्रमाणपत्र के पीछे मुस्लिम लीग के समर्थन से सरकार चलाने की मजबूरी थी, केरल में इस समूचे अभियान का सूत्रधार माने जाने वाले चरमपंथी संगठन पापुलर फ्रंट ऑफ इंडिया PFI ने इससे गदगद होकर कहा कि इस्लाम को बदनाम करने की साजिश बेनकाब हो गई है, साथ ही धर्मनिरपेक्षता और कानून के हवाले से कहा धर्मांतरण कोई अपराध नहीं, इस सेकुलरिज्म पर कौन न बलिहारी हो जाए जहां जिहाद व कानून एक ही घाट पर पानी पीएं उधर माकपा के कद्दावर नेता और केरल के पूर्व मुख्यमंत्री वी अच्युतानंदन सैकड़ों बार सार्वजनिक रूप से कहते रहे कि पीएफआई पैसे और धर्मांतरण के बूते अगले बीस साल में केरल के इस्लामीकरण पर आमादा है, उनके मुताबिक पैसे के बल पर लोगों को धर्मांतरित कर, उनसे विवाह कर और बच्चे पैदा कर केरल में मुस्लिमों की तादाद बढ़ाना चाहता है, कम्यिनस्टों ने कहा, बुढ़ापे में अच्युतानंदन का दिमाग ठसक गया है, वैसे कई रिपोर्टों में इसके लिए खाड़ी देशों से और यहां तक कि दाऊद इब्राहिम भाई की जेब से भी बड़े पैमाने पर पैसे आने की ओर इशारा किया जा चुका है…

आशीष रगुवंशी

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लव जिहाद


यक्ष युधिष्ठिर संवाद में यक्ष पूछते हैं- प्रभु यह लव जिहाद क्या है?                                                                       युधिष्ठिर बोलने के मूड में नहीं थे सो यह वाला विज्ञापन पकड़ा देते हैं।

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लव जेहाद


"हिन्दू लडकियां मुस्लिम युवाओं के बदले हुए नाम के बहकावे में ना आयें, किसी लड़के से मिलने ऐ पहले उसके बारे में पूरी जांच पड़ताल कर लें अन्यथा आप लव जेहाद का शिकार हो सकती हैं।।
#जागोरे"

हिन्दू लडकियां मुस्लिम युवाओं के बदले हुए नाम के बहकावे में ना आयें, किसी लड़के से मिलने ऐ पहले उसके बारे में पूरी जांच पड़ताल कर लें अन्यथा आप लव जेहाद का शिकार हो सकती हैं।।
‪#‎जागोरे‬

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Love jihad – PESHWA BAJI RAO JI AND MASTANI


VALENTINE SPECIAL ~ PESHWA BAJI RAO JI AND MASTANI !!

Peshwa Baji Rao (A.D.1720-1740) who popularized the concept of Hindu Pad Padshahi had married Mastani, the daughter of Raja Chhatrasal by a Muslim mistress. Her beauty and charm captivated the Peshwa so much that he always wanted to keep her by his side, whether in the war or at home. In 1734 she had borne him a son who was named Shamsher Bahadur.

But the Peshwa’s first wife, her sons, the Peshwa’s mother did not take allthis kindly, partly because of jealousy and partly on grounds of orthodoxy. It is said that Baji Rao took to drinking and consuming meat under her influence. The priests refused to invest Shamsher with a sacred thread and the Peshwa’s relatives succeeded in their contrivance to separate him from Mastani. The agony of separation had its effect on the Peshwa’s health, who died due to a virulent fever.

It is said that Mastani died soon thereafter with grief, while some say she committed sati on her husband’s funeral pyre. The Peshwa had assigned his Bundelkhand jagirs to Shamsher Bahadur who died fighting at Panipet in 1761.

VALENTINE SPECIAL ~ PESHWA BAJI RAO JI AND MASTANI !!

Peshwa Baji Rao (A.D.1720-1740) who popularized the concept of Hindu Pad Padshahi had married Mastani, the daughter of Raja Chhatrasal by a Muslim mistress. Her beauty and charm captivated the Peshwa so much that he always wanted to keep her by his side, whether in the war or at home. In 1734 she had borne him a son who was named Shamsher Bahadur. 

But the Peshwa's first wife, her sons, the Peshwa's mother did not take all this kindly, partly because of jealousy and partly on grounds of orthodoxy. It is said that Baji Rao took to drinking and consuming meat under her influence. The priests refused to invest Shamsher with a sacred thread and the Peshwa's relatives succeeded in their contrivance to separate him from Mastani. The agony of separation had its effect on the Peshwa’s health, who died due to a virulent fever. 

It is said that Mastani died soon thereafter with grief, while some say she committed sati on her husband’s funeral pyre. The Peshwa had assigned his Bundelkhand jagirs to Shamsher Bahadur who died fighting at Panipet in 1761.