“माँ” से बढ़कर कोई नहीं :-
पोस्ट के साथ लगी तस्वीर क्वींसलैंड में रहने वाली एक “माँ” फियोना सिम्पसन की है। फियोना अपनी एक वर्ष की बिटिया क्लारा के साथ शहर से बाहर जा रही थी के अचानक मूसलाधार बारिश शुरू हो गयी। फियोना गाड़ी चला रही थी और बिटिया क्लारा बगल की सीट पर आराम से सो रही थी। बारिश अब भयंकर रूप ले रही थी। अचानक बिजली ज़ोर से कड़की और फियोना ने गाड़ी को वहीं थाम दिया ।
सामने देखा तो मूसलाधार बारिश के साथ तेज़ हवायें चलने लगी थी। अगले ही क्षण फियोना की गाड़ी के सामने एक जोरदार धमाका हुआ। बिजली का खम्बा हवाओं के वेग से उखड़ कर सड़क पर गिर चुका था। फियोना ने दूसरी ओर नज़र दौड़ाई तो एक पेड़ जड़ से उखड़ कर नीचे गिर रहा था …!
तूफान ने दस्तक दे दी थी । इतने में शोर के कारण बिटिया की नींद खुल गयी। फियोना घबरा चुकी थी। उनका सामना एक Tornado ( बवंडर ) से हो रहा था।
अगले ही क्षण हवाओं के दबाव से गाड़ी का एक शीशा टूटा और फियोना की बाजू में जा लगा। फियोना की बाज़ू से लहू रिस रहा था और बगल में बिटिया शोर की घबराहट से ज़ोर ज़ोर से रो रही थी …!
फियोना ने बिटिया को गोद में उठाया और गाड़ी की पिछली सीट पर कूद गई। उसने बिटिया को अपने आप में ऐसे जकड़ लिया के अगर कुछ भी पदार्थ गाड़ी के अंदर आये तो बिटिया तक ना पहुंच पाये। दुर्भाग्यवश गाड़ी का पिछला शीशा भी ध्वस्त हो गया और कांच के टुकड़े फियोना की कमर में जा लगे।
तूफान बढ़ता जा रहा था । फियोना ने बिटिया को जकड़े रखा। इतने में ओले पड़ने शुरू हो गये। तेज़ हवा में बर्फीली ओले किसी गोली की तरह फियोना के शरीर पर लगते रहे। फियोना दर्द से चीख रही थी।
इतने में उसे दिखा के बिटिया के सर से थोड़ा खून बह रहा है। गाड़ी का सामने वाला शीशा भी टूट चुका था और तेज़ तूफान में ना जाने क्या क्या गाड़ी में आकर लग रहा था। फियोना ने बिटिया को और कस के जकड़ लिया ।
इसी बीच कांच के टुकड़े फियोना के शरीर को भेदते रहे और तेज़ रफ़्तार से टकराते ओले असहनीय दर्द देते रहे। परन्तु फियोना को अपनी परवाह ही कहाँ थी …!
उसके माथे पर चिंता की लकीरें तो बिटिया को लेकर थी। तूफान का सामना करते करते फियोना लगभग बेसुध हो गयी पर आखिरी दम तक बिटिया को बचाये रखा। एक कवच बन कर बिटिया से लिपटी रही।
तूफान शांत हुआ तो स्थानीय लोग मदद को आये। उन्हें गाड़ी में एक बेसुध माँ दिखी जिसके शरीर का एक एक हिस्सा ज़ख्मी हो चुका था और ढाल बनी माँ के नीचे एक बिटिया जिसके सर पर एक हल्की सी खरोंच आयी थी …!
यह तस्वीर घायल फियोना की है जब उन्हें हॉस्पिटल ले जाया गया। फियोना के शरीर के हर हिस्से से खून बह रहा था। कई जगह कांच के टुकड़े तक घुस गए थे । असहनीय दर्द था। डॉक्टर आये तो फियोना ने बिटीया को आगे कर दिया …! बोली “डॉक्टर …इसे देखिये इसके सर पर खरोंच है …!
यह बात वह माँ कह रही थी जिसका सारा शरीर ज़ख्मी था। इस असहनीय अवस्था में भी उसे अपनी बेटी की फिक्र लगी थी …!
परिस्थियां जो भी हों हर माँ अपने बच्चों के लिये हर समय समर्पित रहती है। उसे कभी अपने दुःखों की परवाह नहीं होती । उसे सिर्फ अपनी संतान के सुख की चाह होती है ..
दुनिया से जाने के लिए तो बहुत से रास्ते हैं…
पर दुनिया में आने के लिए सिर्फ एक रास्ता है ….”माँ” ।
सादर/साभार
सुधांशु
(जगदीश जी)
(अक्टूबर 2018 की सत्य घटना पर आधारित पोस्ट )
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