Posted in छोटी कहानिया - १०,००० से ज्यादा रोचक और प्रेरणात्मक, प्रेरणात्मक - Inspiration, भारत का गुप्त इतिहास- Bharat Ka rahasyamay Itihaas

“भागीरथ”वर्ष 1899-1900 में राजस्थान में एक बदनाम अकाल पड़ा था…विक्रम संवत १९५६ (1956) में ये अकाल पड़ने के कारण राजस्थान में इसे छप्पनिया-काळ कहा जाता है…एक अनुमान के मुताबिक इस अकाल से राजस्थान में लगभग पौने-दो करोड़ लोगों की मृत्यु हो गयी थी…पशु पक्षियों की तो कोई गिनती नहीं है…लोगों ने खेजड़ी के वृक्ष की छाल खा-खा के इस अकाल में जीवनयापन किया था…यही कारण है कि राजस्थान के लोग अपनी बहियों (मारवाड़ी अथवा महाजनी बही-खातों) में पृष्ठ संख्या 56 को रिक्त छोड़ते हैं…छप्पनिया-काळ की विभीषिका व तबाही के कारण राजस्थान में 56 की संख्या अशुभ मानी है….इस दौर में बीकानेर रियासत के यशस्वी महाराजा थे… गंगासिंह जी राठौड़(बीका राठौड़ अथवा बीकानेर रियासत के संस्थापक राव बीका के वंशज)….अपने राज्य की प्रजा को अन्न व जल से तड़प-तड़प के मरता देख गंगासिंह जी का हृदय द्रवित हो उठा…. गंगासिंह जी ने सोचा क्यों ना बीकानेर से पँजाब तक नहर बनवा के सतलुज से रेगिस्तान में पानी लाया जाए ताकि मेरी प्रजा को किसानों को अकाल से राहत मिले…नहर निर्माण के लिए गंगासिंह जी ने एक अंग्रेज इंजीनियर आर जी कनेडी (पँजाब के तत्कालीन चीफ इंजीनियर) ने वर्ष 1906 में इस सतलुज-वैली प्रोजेक्ट की रूपरेखा तैयार की…लेकिन….बीकानेर से पँजाब व बीच की देशी रियासतों ने अपने हिस्से का जल व नहर के लिए जमीन देने से मना कर दिया…. नहर निर्माण में रही-सही कसर कानूनी अड़चनें डाल के अंग्रेजों ने पूरी कर दी…महाराजा गंगासिंह जी ने परिस्थितियों से हार नहीं मानी और इस नहर निर्माण के लिए अंग्रेजों से एक लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी और जीती भी…बहावलपुर (वर्तमान पाकिस्तान) रियासत ने तो अपने हिस्से का पानी व अपनी ज़मीन देने से एकदम मना कर दिया…महाराजा गंगासिंह जी ने जब कानूनी लड़ाई जीती तो वर्ष 1912 में पँजाब के तत्कालीन गवर्नर सर डैंजिल इबटसन की पहल पर दुबारा कैनाल योजना बनी…लेकिन…किस्मत एक वार फिर दगा दे गई…इसी दरमियान प्रथम विश्वयुद्ध शुरू हो चुका था…4 सितम्बर 1920 को बीकानेर बहावलपुर व पँजाब रियासतों में ऐतिहासिक सतलुज घाटी प्रोजेक्ट समझौता हुआ…महाराजा गंगासिंह जी ने 1921 में गंगनहर की नींव रखी…26 अक्टूम्बर 1927 को गंगनहर का निर्माण पूरा हुआ….हुसैनवाला से शिवपुरी तक 129 किलोमीटर लंबी ये उस वक़्त दुनियाँ की सबसे लंबी नहर थी…गंगनहर के निर्माण में उस वक़्त कुल 8 करोड़ रुपये खर्च हुए…गंगनहर से वर्तमान में 30 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई होती है…इतना ही नहीं…वर्ष 1922 में महाराजा गंगासिंह जी ने बीकानेर में हाई-कोर्ट की स्थापना की… इस उच्च-न्यायालय में 1 मुख्य न्यायाधीश के अलावा 2 अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति भी की…इस प्रकार बीकानेर देश में हाई-कोर्ट की स्थापना करने वाली प्रथम रियासत बनी…वर्ष 1913 में महाराजा गंगासिंह जी ने चुनी हुई जनप्रतिनिधि सभा का गठन किया…महाराजा गंगासिंह जी ने बीकानेर रियासत के कर्मचारियों के लिए एंडोमेंट एश्योरेंस स्कीम व जीवन बीमा योजना लागू की…महाराजा गंगासिंह जी ने निजी बैंकों की सुविधाएं आम नागरिकों को भी मुहैय्या करवाई…महाराजा गंगासिंह जी ने बाल-विवाह रोकने के लिए शारदा एक्ट कड़ाई से लागू किया….महाराजा गंगासिंह जी ने बीकानेर शहर के परकोटे के बाहर गंगाशहर नगर की स्थापना की….बीकानेर रियासत की इष्टदेवी माँ करणी में गंगासिंह जी की अपने पूर्व शासकों की भाँति अपार आस्था थी… इन्होंने देशनोक धाम में माँ करणी के मंदिर का जीर्णोद्धार भी करवाया…महाराजा गंगासिंह जी की सेना में गंगा-रिसाला नाम से ऊँटों का बेड़ा भी था… इसी गंगा-रिसाला ऊँटों के बेड़े के साथ महाराजा गंगासिंह जी ने प्रथम व द्वितीय विश्वयुद्ध में अदम्य साहस शौर्य वीरता से युद्ध लड़े… इन्हें ब्रिटिश हुकूमत द्वारा उस वक़्त सर्वोच्च सैन्य-सम्मान से भी नवाजा गया…गंगासिंह जी के ऊँटों का बेड़ा गंगा-रिसाला आज सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) की शान है…. व देश सेवा में गंगा-रिसाला हर वक़्त मुस्तैद है….(बीकानेर महाराजा करणीसिंह… निशानेबाजी में भारत के प्रथम अर्जुन पुरस्कार विजेता)…(वर्तमान में करणीसिंह जी की पौत्री व बीकानेर राजकुमारी सिद्धि कुमारी जी (सिद्धि बाईसा) बीकानेर से भाजपा विधायक है)….कहते हैं माँ गंगा को धरती पे राजा भागीरथ लाये थे इसलिए गंगा नदी को भागीरथी भी कहा जाता है…21 वर्षों के लंबे संघर्ष और कानूनी लड़ाई के बाद महाराजा गंगासिंह जी ने अकाल से जूझती बीकानेर/राजस्थान की जनता के लिए गंगनहर के रूप रेगिस्तान में जल गंगा बहा दी थी…गंगनहर को रेगिस्तान की भागीरथी कहा जाता है…इसलिए…महाराजा गंगासिंह जी को मैं कलयुग का भागीरथ कहूँ तो इसमें अतिशयोक्ति नहीं होगी!!!!….चित्र- गंगा नहर परियोजना की खुदाई के दुर्लभ चित्र उस समय ऊँटगाड़ो की सहायता से नहर खुदाई का कार्य सम्पन्न हुआ था। नमन है उन कामगारों को जिनकी मदद से आज वीरान राजस्थान हरा भरा हुआ है।

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प्रशमः पथ्यानां श्रेष्ठम् ।

शांति परम पथ्यकारी है।

आचार्य चरक द्वारा जीवन को सार्थक व सुखी बनाने के लिये बताए गए अन्य सूत्र

आयुर्वेद सूत्र रूप में कुछ ऐसे कर्म या कार्य सुझाता है जो जीवन को बेहतर बनाते हैं। आज केवल अद्रव्य या नॉन-मटेरियल की चर्चा है। ये वस्तुतः ऐसे कर्म या कार्य हैं जो आपको सदैव रोगों से बचाव करते हैं। अगुआ या श्रेष्ठतम कर्मों में इन्हें गिना जाता है। कुछ उपयोगी सूत्र यहाँ दिये जा रहे हैं। रोचक बात यह भी हैं इन विषयों पर हुई समकालीन शोध इन्हें यथावत उपयोगी सिद्ध करती है।

  1. “व्यायामः स्थैर्यकराणां श्रेष्ठम्” – शरीर और मन को स्थिरता या दृढ़ता देने वाले कारकों में व्यायाम सर्वश्रेष्ठ है। व्यायाम कीजिये और निरोगी रहिये।
  2. “अतिमात्राशनमामप्रदोषहेतूनां श्रेष्ठम्” – आमदोष (ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस, इन्फ्लेमेशन, फ्री-रेडिकल आदि हानिकारक दोष) उत्पन्न करने वाले कारकों में अधिक मात्रा में भोजन करना सबसे प्रधान कारण है। ठूंसिये मत, मात्रा-पूर्वक भोजन कीजिये और स्वस्थ रहिये।
  3. “यथाग्न्यभ्यवहारोऽग्निसन्धुक्षणानां श्रेष्ठम्” – अग्नि को प्रदीप्त करने वाले कारकों में अग्नि के अनुसार भोजन ग्रहण करना सर्वश्रेष्ठ है। भूख को देखकर उचित मात्रा में खाइये| ठूंस ठूंस कर खाने से अग्नि कमज़ोर हो जाती है, और मन्दाग्नि समकालीन मेटाबोलिक समस्याओं का एक प्रमुख कारण है।
  4. “यथासात्म्यंचेष्टाभ्यवहारौ सेव्यानां श्रेष्ठम्” – सेवनीय कर्मों या ऐसे कार्य जो अवश्य ही किया जाना चाहिये, उनमें सात्म्य आहार-विहार (संयमित, संतुलित जीवनशैली) सर्वश्रेष्ठ है। जिन्दगी में करने को तो बहुत है पर संतुलित और संयमित जीवनशैली को प्राथमिकता दीजिये
  5. “कालभोजनमारोग्यकराणां श्रेष्ठम्” – नियत काल या समयानुसार भोजन करना, न कि जब इच्छा हो तब खाते रहना, आरोग्य देने में श्रेष्ठ है। दिन में अधिक से अधिक दो बार, नियत समय पर, भूख लगने पर भोजन लीजिये। आधुनिक वैज्ञानिक शोध भी इस समझ की ओर बढ़ रही है कि एक निर्धारित भोजन-काल में खाना-पीना लेना—न कि एड लिबिटम या जब मन आये तब—स्वस्थ रहने के लिये सबसे उत्तम रणनीति है।इसे टाइम-रिस्ट्रिक्टेड फीडिंग के नाम से जाना जाता है।अतः सदैव भूख लगाने पर उपयुक्त समय पर भोजन लीजिये, दिन भर बार बार मत खाते रहिये| दिन में अधिक से अधिक दो बार भोजन लीजिये| सदा-बीमार रहने की स्थिति से भी बचे रहेंगे।
  6. “वेगसन्धारणमनारोग्यकराणां श्रेष्ठम्” – अनारोग्य अर्थात शारीरिक और मानसिक रोगों को उत्पन्न करने वाले कारणों में मल-मूत्र आदि के वेगों को धारण करना सर्वाधिक खतरनाक है। मूत्र, मल, वीर्य, अपान वायु, उल्टी, छींक, डकार, जम्हाई, भूख, अश्रु, निद्रा और श्रम के बाद निःश्वास ऐसे वेग हैं जिन्हें दबा कर मत रखिये, ये बीमार करने में आगे तो हैं ही, सदा-बीमार रखने में भी अगुआ कारण हैं।
  7. “अनशनमायुषो ह्रासकराणां श्रेष्ठम्” – आयु का ह्रास करने वाले कारकों में खाना न खाना है। सही समय पर उचित मात्रा में छः रस युक्त उत्तम भोजन लीजिये, स्वस्थ रहेंगे।
  8. “प्रमिताशनं कर्शनीयानाम् श्रेष्ठम्” – कृश, कमजोर या दुर्बल करने वाले कारकों में खाना न खाना सबसे आगे है।
  9. “अजीर्णाध्यशनं ग्रहणीदूषणानां श्रेष्ठम्” – ग्रहणी को दूषित करने वाले कारकों में अजीर्ण में भोजन करना (पहले का खाया हुआ पचे बिना ही पुनः खाना खा लेना) सबसे आगे है। पहले खाया हुआ जब तक पच न जाये तब तक दुबारा भोजन मत लीजिये, अन्यथा पेट के तमाम रोग लग जायेंगे।
  10. “विषमाशनमग्निवैषम्यकराणां श्रेष्ठम्” – अग्नि को विषम करने वाले कारकों में समय पर खाना न खाना सबसे आगे है। अग्नि विषम होने पर तमाम रोग होने लगते हैं। भोजन के नियमित समय का ध्यान रखकर भोजन लीजिये।
  11. “विरुद्धवीर्याशनंनिन्दितव्याधिकराणां श्रेष्ठम्” – घटिया या निन्दित रोगों को उत्पन्न करने वाले कारकों में विरुद्धवीर्य (जैसे नीबू और दूध, मछली और दूध आदि) खाना लेना सबसे आगे है। इनसे बचिये।
  12. “प्रशमः पथ्यानां श्रेष्ठम्” – शांति सबसे बड़ा पथ्य है। मन को शांत रखिये, स्वस्थ रहेंगे। मन को दुखी करने वाले कारकों से दूर रहिये। शांति परम पथ्यकारी है। शांति से बेहतर कोई पथ्य नहीं।
  13. “आयासः सर्वापथ्यानां श्रेष्ठम्” – शक्ति से अधिक परिश्रम करना सबसे बड़ा अपथ्य या अहितकर है। औकात से ज्यादा करने के चक्कर में मत पड़िये, अन्यथा बीमार पड़ेंगे।
  14. “मिथ्यायोगो व्याधिकराणां श्रेष्ठम्” – किसी भी द्रव्य या कर्म का अति-योग या हीन-योग व्याधि उत्पन्न करने में सबसे आगे है। सम-योग कीजिये, स्वस्थ रहेंगे।
  15. “अयथाबलमारम्भःप्राणोपरोधिनां श्रेष्ठम्” – बल से अधिक काम करना प्राणों के लिये सर्वाधिक हानिकर है। औकात में रहिये, सुखी रहेंगे।
  16. “विषादो रोगवर्धनानां श्रेष्ठम्” – रोग को बढ़ाने वालों में शोक या विषाद सबसे प्रमुख कारक है। यदि कोई बीमारी है तो उसका उपचार कराना उपयोगी है, केवल चिंता करते रहने से से रोग और बढ़ेगा।
  17. “स्नानं श्रमहराणां श्रेष्ठम्” – थकान मिटाने के लिये स्नान सर्वश्रेष्ठ है।
  18. “हर्षः प्रीणनानां श्रेष्ठम्” – प्रसन्नता परम संतुष्टिदायक है| अच्छे अच्छे कार्य कीजिये, प्रसन्न रहिये।
  19. “शोकः शोषणानां श्रेष्ठम्” – शरीर को सुखाने वालों में चिंता या शोक सबसे प्रबल कारक है। चिंतित मत रहिये, चिंता देने वाले कारकों को दूर कीजिये।
  20. “निवृत्तिः पुष्टिकराणां श्रेष्ठम्” – पुष्टिकारकों में संतोष सर्वश्रेष्ठ है। आजीविका से जुड़ी हुई पूंजी (आर्थिक पूंजी, सामाजिक पूंजी, वित्तीय पूंजी, भौतिक पूंजी, मानवीय पूंजी, राजनैतिक पूंजी) जोड़ने का निरंतर उचित प्रयत्न कीजिये, किन्तु असंतुष्ट मत रहिये।
  21. “पुष्टिःस्वप्नकराणाम् श्रेष्ठम्” – पुष्टि नींद लाने वाले कारकों में सबसे श्रेष्ठ है।
  22. “अतिस्वप्नस्तन्द्राकराणां श्रेष्ठम्” – आलस्य बढ़ाने वाले कारकों में अत्यधिक नींद लेना सबसे अगुआ कारक है| प्रति रात सात घंटे सोयें, कम या ज्यादा ठीक नहीं है।
  23. “सर्वरसाभ्यासो बलकराणाम् श्रेष्ठम्” – सभी रसों से युक्त भोजन (मधुर, अम्ल, लवण, कटु, तिक्त, कषाय) बल करने वालों में श्रेष्ठ है। ध्यान दीजिये, नमक और चीनी कम खाइये, साबुत अनाज और फलों की मात्रा भोजन में बढ़ाइये। आयुर्वेद के अनुसार, मीठे में रोज केवल शहद, द्राक्षा, और अनार ही खाये जा सकते हैं, रिफाइंड चीनी, गुड़, या मिठाइयाँ तो कतई नहीं
  24. “एकरसाभ्यासो दौर्बल्यकराणां श्रेष्ठम्” – केवल एक रस का निरंतर सेवन दुर्बल करने वाले कारकों में सबसे आगे है।
  25. “मरुभूमिरारोग्यदेशानाम् श्रेष्ठम्” – रेगिस्तानी क्षेत्र रहने के लिये सर्वाधिक आरोग्यकारी है।
  26. “लौल्यं क्लेशकराणाम् श्रेष्ठम्” – क्लेश कराने या पचड़ा खड़ा करने में लालच से बढ़कर कुछ और नहीं।
  27. “अनिर्वेदो वार्तलक्षणानां श्रेष्ठम्” – मन की प्रसन्नता आरोग्य का सर्वश्रेष्ठ सूचक है।
  28. “विज्ञानमौषधीनां श्रेष्ठम्” – ठोस जानकारी सर्वश्रेष्ठ औषधि है। यथार्थ ज्ञान के बिना न तो स्वस्थ रह सकते और न ही रोगमुक्त हो सकते ।
  29. “शास्त्रसहितस्तर्कः साधनानां श्रेष्ठम्” – ज्ञान प्राप्त करने के साधनों में शास्त्र सहित पूर्व से उपलब्ध समस्त प्रकाशित वैज्ञानिक शोध के साथ तार्किक दृष्टि सर्वश्रेष्ठ है ।
  30. “अव्यवसायः कालातिपत्तिहेतूनां श्रेष्ठम्” – वक्त की बर्बादी करने के तरीकों में निठल्ले बैठने से बढ़िया और कुछ नहीं।
  31. “दृष्टकर्मता निःसंशयकराणाम् श्रेष्ठम्” – अनुभवजन्य-ज्ञान निःसंशय करने वाले कारकों में सर्वश्रेष्ठ है।
  32. “असमर्थता भयकराणां श्रेष्ठम्” – भय उत्पन्न करने वाले कारकों में असर्मथता सबसे भारी है।आजीविका को समग्र रूप से सुदृढ़ करने के लिये वित्तीय पूँजी (धनैषणा, धन-संपत्ति, सोना-चांदी आदि), भौतिक पूँजी (धनैषणा, मकान, वाहन आदि), प्राकृतिक पूँजी (धनैषणा, खेत-खलिहान, जल, जमीन, बाग़-बगीचे आदि), सामजिक पूँजी (सामाजिक सद्वृत्त, आपसी रिश्ते, मेलजोल की प्रगाढ़ता, मित्रता आदि), मानव पूँजी (प्राणैषणा, शिक्षा, ज्ञान, कौशल, स्वास्थ्य आदि), और आध्यात्मिक पूंजी (परलोकैषणा, सद्वृत्त, आचार रसायन) को बढ़ाते रहने का निरंतर जीवन भर ठोस प्रयत्न आवश्यक है। इससे सामर्थ्य में बढ़ोत्तरी, असमर्थता में कमी और परिणामस्वरूप भय नष्ट होगा। भय को नष्ट करना मानसिक रोगों का सबसे बड़ा निदान-परिवर्जन है।
  33. “असद्ग्रहणं सर्वाहितानां श्रेष्ठम्” – अनुचित, असत्य, मिथ्या या गलत को ग्रहण करना या उल्लू बन जाना सर्वाधिक अहितकारी है।
  34. “तद्विद्यसम्भाषा बुद्धिवर्धनानां श्रेष्ठम्” – विशेषज्ञों के साथ विचार-विमर्श बुद्धि बढ़ाने में श्रेष्ठ है।
  35. “आयुर्वेदोऽमृतानां श्रेष्ठम्” – जीवन देने वाले कारकों में आयुर्वेद सर्वश्रेष्ठ है।
  36. “अहिंसा प्राणिनां प्राणवर्धनानामुत्कृष्टतमं” – प्राणियों के प्राण बढ़ाने वाले कारकों में सबसे श्रेष्ठ अहिंसा है।
  37. “वीर्यं बलवर्धनानां उत्कृष्टतमम्” – बलवर्धन करने वालों में वीर्य (जोश, बहादुरी या वीर्य) सर्वोत्कृष्ट है।
  38. “विद्या बृंहणानाम् उत्कृष्टतमम्” – बृंहण या वृद्धि करने वालों कारकों में विद्या सर्वोत्कृष्ट है।
  39. “इन्द्रियजयो नन्दनानां उत्कृष्टतमम्” – समृद्धि करने वालों में इंद्रियों पर विजय सर्वोत्कृष्ट है ।
  40. “तत्त्वावबोधोहर्षणानां उत्कृष्टतमम्” – मन को प्रसन्न करने वाले कारकों में तत्वज्ञान या सच्चाई का ज्ञान सर्वोत्कृष्ट है।

चरकसंहिता में समाहित ये सूत्र हज़ारों वर्षों में असंख्य विद्वानों द्वारा अनुभूत हैं और यथावत सत्य सिद्ध हैं। इन सब सूत्रों में दी गयी बातों को अपने जीवन में उतारना जीवन को वास्तव में सुखी और सार्थक बना सकता है।

लेखक : डॉ. “दीप नारायण पाण्डेय”
(इंडियन फारेस्ट सर्विस में वरिष्ठ अधिकारी)
(यह लेखक के निजी विचार हैं और ‘सार्वभौमिक कल्याण के सिद्धांत’ से प्रेरित हैं।)

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ભગવાન નો ભાગ


નાનપણમાં બોરાં વીણવા જતા.
કાતરા પણ વીણતા.
કો’કની વાડીમાં ઘૂસી ચીભડાં ચોરતા.
ટેટા પાડતા.
બધા ભાઇબંધોપોતાનાં ખિસ્સામાંથી
ઢગલી કરતા ને ભાગ પાડતા-
-આ ભાગ ટીંકુનો.
-આ ભાગ દીપુનો.
-આ ભાગ ભનિયાનો, કનિયાનો…
છેવટે એક વધારાની ઢગલી કરી કહેતા-
‘આ ભાગ ભગવાનનો !’

સૌ પોતપોતાની ઢગલી
ખિસ્સામાં ભરતા,
ને ભગવાનની ઢગલી ત્યાં જ મૂકી
રમવા દોડી જતા.

ભગવાન રાતે આવે, છાનામાના
ને પોતાનો ભાગ ખાઇ જાય-એમ અમે કહેતા.

પછી મોટા થયા.
બે હાથે ઘણું ય ભેગું કર્યું ;
ભાગ પાડ્યા-ઘરના, ઘરવખરીના,
ગાય, ભેંસ, બકરીના.
અને ભગવાનનો ભાગ જુદો કાઢ્યો ?

રબીશ ! ભગવાનનો ભાગ ?
ભગવાન તે વળી કઇ ચીજ છે ?

સુખ, ઉમંગ, સપનાં, સગાઇ, પ્રેમ-
હાથમાં ઘણું ઘણું આવ્યું…

અચાનક ગઇ કાલે ભગવાન આવ્યા;
કહે : લાવ, મારો ભાગ…

મેં પાનખરની ડાળી જેવા
મારા બે હાથ જોયા- ઉજ્જ્ડ.
એકાદ સુકું તરણું યે નહીં.
શેના ભાગ પાડું ભગવાન સાથે ?
આંખમાં ઝળઝળિયાં આવ્યાં,
તે અડધાં ઝળઝળિયાં આપ્યાં ભગવાનને.

વાહ !- કહી ભગવાન મને અડ્યા,
ખભે હાથ મૂક્યો,
મારી ઉજ્જ્ડતાને પંપાળી,
મારા ખાલીપાને ભરી દીધો અજાણ્યા મંત્રથી.

તેણે પૂછ્યું : ‘કેટલા વરસનો થયો તું’
‘પચાસનો’ હું બોલ્યો
’અચ્છા…’ ભગવાન બોલ્યા : ‘૧૦૦ માંથી
અડધાં તો તેં ખરચી નાખ્યાં…
હવે લાવ મારો ભાગ !’
ને મેં બાકીનાં પચાસ વરસ
ટપ્પ દઇને મૂકી દીધાં ભગવાનના હાથમાં !
ભગવાન છાનામાના રાતે એનો ભાગ ખાય.

હું હવે તો ભગવાનનો ભાગ બની પડ્યો છું અહીં.
જોઉં છું રાહ-
કે ક્યારે રાત પડે
ને ક્યારે આવે છાનામાના ભગવાન
ને ક્યારે આરોગે ભાગ બનેલા મને
ને ક્યારે હું ભગવાનનાં મોંમાં ઓગળતો ઓગળતો…

– રમેશ પારેખ

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तू अपनी खूबियां ढूंढ,
कमियां निकालने के लिए
लोग हैं|

अगर रखना ही है कदम तो आगे रख,
पीछे खींचने के लिए
लोग हैं|

सपने देखने ही है तो ऊंचे देख,
निचा दिखाने के लिए
लोग हैं|

अपने अंदर जुनून की चिंगारी भड़का,
जलने के लिए
लोग हैं|

अगर बनानी है तो यादें बना,
बातें बनाने के लिए
लोग हैं|

प्यार करना है तो खुद से कर,
दुश्मनी करने के लिए
लोग है|

रहना है तो बच्चा बनकर रह,
समझदार बनाने के लिए
लोग है|

भरोसा रखना है तो खुद पर रख,
शक करने के लिए
लोग हैं|

तू बस सवार ले खुद को,
आईना दिखाने के लिए
लोग हैं|

खुद की अलग पहचान बना,
भीड़ में चलने के लिए
लोग है|

तू कुछ करके दिखा दुनिया को,
तालियां बजाने के लिए
लोग हैं|..
💐💐 Good Night 💐💐

मोहनलाल जैन

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જીવન જીવવાની જડીબુટ્ટી


જીવન જીવવાની જડીબુટ્ટી,………
૧ . દરરોજ ૧૦ થી ૩૦ મિનિટ
ચાલવા જાઓ અને હા, ચાલતી વખતે
ચહેરા પર હળવું સ્મિત હોય તો ઉત્તમ!
૨. દરરોજ ઓછામાં ઓછી ૧૦-30 મિનિટ
માટે એકાંતમાં બેસો.
૩. દરરોજ ૭ કલાક ઊંધો.
૪. જોશ, ઉત્સાહ અને કરૂણા આ ત્રણ
મહત્વના ગુણો છે જીવનમાં .
૫. નવી રમતો શિખો/રમો.
૬. ગયા વર્ષે કરતાં આ વર્ષે વધારે
પુસ્તકો વાંચો.
૭. ધ્યાન, યોગ અને પ્રાર્થના માટે સમય
ફાળવો .
૮. ૭૦થી વધારે ઉંમરના અને
૭થી ઓછી ઉંમરના લોકો સાથે સમય ગાળો.
દરરોજ શક્ય ન હોય તો અઠવાડિએ .
૯. જાગતાં સપનાં જુઓ.
૧૦. પ્લાન્ટ ( ફેકટરી )માં બનતી વસ્તુઓ
કરતાં પ્લાન્ટ ( છોડ)માં ઊગતી વસ્તુઓને
ખોરાકમાં મહત્વનું સ્થાન આપો.
૧૧. પુષ્કળ પાણી પીઓ.
૧૨. દરરોજ ઓછામાં ઓછા ત્રણ
વ્યક્તિના ચહેરા પર સ્મિત લાવો.
૧૩. ચર્ચા/નિંદા/કુથલીમાં સમય ન
બગાડો.
૧૪. ભૂતકાળ ભૂલી જાઓ. ખાસ કરીને પતિ /
પત્નીની ભૂલો. વર્તમાનકાળનો આનંદ લો .
૧૫. રાજાની જેમ સવારનો નાસ્તો કરો,
રાજકુમારની જેમ બપોરનું ભોજન લો અને
ભિખારી જેટલું રાત્રે જમો!
૧૬. દરેક દલીલની સામે
જીતી શકવાના નથી, મતભેદ
સ્વિકારી લો.
૧૭. સરખામણી કરવાનું છોડો. ખાસ કરીને
પતિ/પત્નીની સરખામણી .
૧૮. તમારા સુખનું કારણ ફક્ત તમે છો.
૧૯. દરેકને માફી બક્ષો. ક્ષમા વીરસ્ય
ભૂષણમ્
૨૦. બીજા લોકો તમારા માટે શું વિચારશે
એવા વિચાર છોડો.
૨૧. ભગવાન સૌનું ભલું કરશે.
૨૨. ગમે તેટલી સારી કે ખરાબ
પરિસ્થિતિ હશે, બદલાશે જરૂર.
૨૩. માંદા પડશો ત્યારે તમારો બૉસ
નહીં પણ તમારા મિત્રો તમારી સંભાળ
રાખશે, માટે મિત્રોના સંપર્કમાં રહો.
૨૪. નકામી, નઠારી અને જેમાંથી આનંદ ન
મળે તેવી વસ્તુઓથી દૂર રહો.
૨૫. ઈર્ષા સમયનો બગાડ છે. તમને જોઈતું
બધું તમારી પાસે છે.
૨૬. ઉત્તમ હજી આવવાનું બાકી છે.
૨૭. ગમે તેવો ખરાબ મૂડ હોય, ઊઠો, તૈયાર
થાઓ અને બહાર આંટો મારી આવો.
૨૮. દરરોજ સવારે ઊઠીને
ભગવાનનો આભાર માનો.
૨૯. આ જડીબુટ્ટીઓનું સેવન કરો અને
સગા વ્હાલાઓને પણ જણાવો.

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मुस्कुराहट का महत्व


*मुस्कुराहट का महत्व*

👉 _*अगर आप एक अध्यापक हैं और जब आप मुस्कुराते हुए कक्षा में प्रवेश करेंगे तो देखिये सारे बच्चों के चेहरों पर मुस्कान छा जाएगी।*_

👉 _*अगर आप डॉक्टर हैं और मुस्कराते हुए मरीज का इलाज करेंगे तो मरीज का आत्मविश्वास दोगुना हो जायेगा।*_

👉 _*अगर आप एक ग्रहणी है तो मुस्कुराते हुए घर का हर काम किजिये फिर देखना पूरे परिवार में खुशियों का माहौल बन जायेगा।*_

👉 _*अगर आप घर के मुखिया है तो मुस्कुराते हुए शाम को घर में घुसेंगे तो देखना पूरे परिवार में खुशियों का माहौल बन जायेगा।*_

👉 _*अगर आप एक बिजनेसमैन हैं और आप खुश होकर कंपनी में घुसते हैं तो देखिये सारे कर्मचारियों के मन का प्रेशर कम हो जायेगा और माहौल खुशनुमा हो जायेगा।*_

👉 _*अगर आप दुकानदार हैं और मुस्कुराकर अपने ग्राहक का सम्मान करेंगे तो ग्राहक खुश होकर आपकी दुकान से ही सामान लेगा।*_

👉 _*कभी सड़क पर चलते हुए अनजान आदमी को देखकर मुस्कुराएं, देखिये उसके चेहरे पर भी मुस्कान आ जाएगी।*_

🌺 _*मुस्कुराइए, 😊“क्यूंकि मुस्कराहट के पैसे नहीं लगते ये तो ख़ुशी और संपन्नता की पहचान है।*_”

🌺 _*मुस्कुराइए, 😊“क्यूंकि आपकी मुस्कराहट कई चेहरों पर मुस्कान लाएगी।*_”

🌺 *_मुस्कुराइए, 😊“क्यूंकि ये जीवन आपको दोबारा नहीं मिलेगा।_*”

🌺 *_मुस्कुराइए, 😊“क्योंकि क्रोध में दिया गया आशीर्वाद भी बुरा लगता है और मुस्कुराकर कहे गए बुरे शब्द भी अच्छे लगते हैं।_*”

🌺 _*मुस्कुराइए ,😊“क्योंकि दुनिया का हर आदमी खिले फूलों और खिले चेहरों को पसंद करता है।”*_

🌺 _*मुस्कुराइए, 😊“क्योंकि आपकी हँसी किसी की ख़ुशी का कारण बन सकती है।”*_

🌺 _*मुस्कुराइए,😊 “क्योंकि परिवार में रिश्ते तभी तक कायम रह पाते हैं जब तक हम एक दूसरे को देख कर मुस्कुराते रहते है”*_

*और सबसे बड़ी बात*

_*मुस्कुराइए, 😊 “क्योंकि यह मनुष्य होने की पहचान है। एक पशु कभी भी मुस्कुरा नही सकता।”*_

*_इसलिए स्वयं भी मुस्कुराए और औराें के चहरे पर भी मुस्कुराहट लाएं,_*

_*यही जीवन है।*_

_*आनंद ही जीवन है।।*_

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Top Qualities Of An Effective Leader


एक प्रभावी Leader में कौनसी Best Qualities होनी चाहिए

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Leader मतलब की नेता,जो नेतृत्व करता हो,जिसके पास 1 Team होती हे जो उसके नेतृत्व के अनुसार चलती हे,Leader Team Member के लिए Plan बनाता हे की किस तराह से अपने Target,Goal को Achive करना हे,वह अपनी Team को बताता हे की किस तरह से आगे बढना हे,ऐसी कौन सी चीजे हे जिसे करना हे और कौनसी चीजे हे जिनको नही करना हे,उसके उपर ही Success का सारा मदार होता हे.
एक Leader ही हे जो किसी Organisation,Party,Team को Bottom से Top पर पहुचा शकता हे,आपने भी देखा होगा की एक अच्छे Leader की वजह से कोई Company,Firm कहासे कहा पहुच जाती हे,कोई Political Party कहासे कहा पहुच जाती हे,कोई Team जैसे Marketing Team,Creicket Team,Footbol Team कहा से कहा पहुच जाती हे.
Leader जैसे की कोई राज्य का राजा,सेना का सेनापति, School क्लास का Monitor,गाव का सरपंच,Company का मालिक,Department Head,Manager,Officer,ऐसा कोई भी व्यक्ति जिसके निचे एक Team कार्यरत हो,एक अच्छा Leader अपनी Company,Organisation,Firm,Team को उठा शकता हे मतलब की उचाई पर पहुचा शकता हे तो एक बुरा Leader उसे डूबा भी शकता हे,आपने भी देखा होगा की एक बुरे Leader की वजह से किसी Company,Party,Team पर क्या Impact हुई होगी.
यह सब तो हमने Leader के बारेमे बात की लेकिन अब बात करते हे की उसके उंदर ऐसी कौन सी Qualities होनी चाहिए जिसकी वजह से वह एक Best और Effective Leader बन शकता हे.
Example वह मुख्य चीज नही हे जो लोगोको प्रभावित करती हे,वह केवल एक चीज हे-Albert Schweitzer

Top Qualities Of An Effective Leader

1.Inspiring
अपनी Team को यह महसूस करवाना की उसकी Team भी Company के Vision का एक महत्वपूर्ण भाग हे,Company का Vision अपनी Team के अच्छे Performance के बिना हासिल नही किया जा शकता.
2.Communication With Team
आपके क्या Expectations और क्या Vision हे उसका अपनी Team के सामने स्पस्ट रूपसे वर्णन करना,सभी एक ही Goal की और काम करे वह देखना,जिससे अपने Goal को आसानी से हासिल किया जा शके.
3.Confidence
आपका Confident और शांत रहना आपकी Team को भी मदद करेगा यह महसूस करवाने में की वह भी आपके जैसे रहे,इससे Team की Productivity बढ़ेगी.
4.Honesty
Team का विस्वास बढ़ाने के लिए Honest और पारदर्शी रहना महत्वपूर्ण हे,जिससे आपके Team Members आप पर ज्यादा भरोसा करेंगे.
5.Positivity
आप खुद और अपनी Team दोनोको नैतिक और उत्साहित तरीकेसे Positive रहना चाहिए,हम Positive रहकर किसी भी विपरीत परिस्थिति का डटकर सामना कर शकते हे.
6.Humility
अपनी Team के प्रति हमेशा नम्र रहे और उनकी सेवा में हमेशा अग्रेसर रहे,वह भी आपको Follow करना चाहते होंगे,उनकी किसीभी Problem का Sollution करनेमे हमेशा तत्पर रहे.
7.Fairness
दुसरो के साथ व्यवहार करते वक्त हमेशा Objective और  निष्पक्ष रहे,ऐसा नही होना चाहिए की कोई गलत हो और आप उसका साथ दे.
8.Commitment
आप जो बोलते हे वह करे,आपने Rowdy Rathod Film का Akshay Kumar वाला वह Dialogue तो सुना ही होगा “जो में बोलता हु वह में करता हु“,अपनी बातो से मुह न फेरे,इससे लोगो में आपका विस्वास बढेगा.
  • Effective Leadership केवल  एक पोजीशन और टाइटल नही हे
  • Leadership एक अधिकार नही हे लेकिन यह एक प्रभाव हे
  • केवल एक Leader,Head,Manager का Title किसीको Leader नहीं बनाता
जानिये एक मेनेजर और लीडर के बिचका फर्क
*Manager-संसाधनो को नियत करना,प्रोब्लेम्स सोल्व करना,Coordinate करना,प्रतिनिधित्व करना,Plans and Budget
*Leader-जवाबदारी लेना,दिशा दिखाना,सक्रिय रहना,Motivate और Inspire करना,प्रभाव डालना.
Management एंड Leadership तालमेल
संगठित,एफ्फेक्टिवे टीम वर्क,एम्प्लाइज को सशक्त करना,Employees में नवीनता लाना.
एक Effective Leader के अंदर क्या क्या Qualities होनी चाहिए वह अब तक तो आपको समजमे आ गया होगा,यदि आप एक Leader हे तो आपको सोचना चाहिए की इनमेसे ऐसी कौनसी Qualities हे जो आपके अंदर नहीं हे,अगर नही हे तो आपको अपने अंदर वह Develope करनी चाहिए और यदि हे तो बहुत अच्छी बात हे.
कौन नही चाहता की वह अपनी Field में आगे बढ़े,वह एक Leader बने,जो व्यकित यह चाहता हे उसे जरुर यह Qualities अपने अंदर विकसित कर लेनी चाहिए क्युकी आगे जाकर यह Qualities आपके बहुत काम में आएगी,आपको एक Effective Leader बनाएगी और आपकी हर जगह वाह वाह होगी.