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राम शलाका


ज्योतिष में श्री राम शलाका
प्रश्नावली का महत्त्व !!💐

श्री राम शलाका प्रश्नावली में २२५
खाने है इनका मूलांक २+२+५=९,
आता है जो कि अंक शास्त्र में सबसे
बड़ी संख्या है।

अब यदि २२५ को नौ से भाग दिया
जाय तो २५ कि संख्या हमे प्राप्त होती
है जिसका मूलांक २+५=७ आता है जो
कि ७ ग्रहों का ही रूप है।

गोस्वामी जी ने नौ चौपाई का प्रयोग इस
श्री राम शलाका प्रश्नावली में किया है।

एक एक चौपाई अलग अलग
ग्रह का प्रतिनिधित्व करती है।

गोस्वामी तुलसीदास जी का ज्योतिष
में महत्वपूर्ण स्थान है श्री राम चरित
मानस एक धार्मिक आस्था का प्रतीक
तथा पूज्यनीय ग्रन्थ होने के साथ साथ
ज्योतिषीय शास्त्र के रूप में भी अपनी
प्रतिष्ठा रखता है।

परम पूज्य गोस्वामी जी का ज्योतिष
के अंतर्गत गणित व फलित दोनों में
महत्वपूर्ण स्थान है।

गोस्वामी जी एक पूर्ण ज्योतिषी का
ज्ञान रखते थे,यह हमें श्री राम चरित
मानस में स्पष्ट दिखाई देता है।

श्री राम चरित मानस को यदि हम
ज्योतिष का मानस शास्त्र कहें तो
भी ठीक है गोस्वामी जी ने मानव
जाति के जीवन के सभी प्रश्नों के
उत्तर रामायण में स्पष्ट दिए है।

आज मैं श्री राम चरित मानस अंतर्गत
श्री राम शलाका प्रश्नावली के विषय में
बताने जा रहा हूं जिसमें कि गोस्वामी
जी ने गणित और फलित दोनों को ही
उपयोग कर प्रश्नों के उत्तर चौपाइयो
द्वारा दिए है।

अंक ज्योतिष के अनुसार सूर्य आदि
नवग्रहों को एक से लेकर नौ अंको के
बीच माना गया है।

श्री राम शलाका प्रश्नावली में नव
चौपाइयों को लेकर ही प्रत्येक प्रश्न
का समाधान कर फलित ज्योतिष
को सार्थक किया है।

इन नौ चौपाइयों में से तीन चौपाइयों
के अंतर्गत कार्य में संदेह दिखाया गया
है जो कि शनि,राहू, और केतु का फल
बताती है।

श्री राम शलाका प्रश्नावली में तीन
चौपाइयों में कार्य सिद्ध होना बताया
है जो कि चन्द्र,वृहस्पति और शुक्र का
फल हमारे सामने रखा है।

तथा श्री राम शलाका प्रश्नावली में
तीन चौपाइयों में अनिश्चय की स्थिति
रख कर सूर्य,मंगल और बुध के गुणों
को हमारे सामने रखा है।

श्री राम शलाका प्रश्नावली में गोस्वामी
जी ने तीन तीन चौपाई द्वारा फल को
बाँट कर अपने आत्म ज्ञान से सज
राज और तम का सन्देश दिया है।

श्री राम शलाका प्रश्नावली की रचना
कर गोस्वामी जी के भविष्यवक्ता के
ज्ञान का परिचय कराती है।

रामशलाका प्रश्नावली की नौ चौपाइयां ;-

होइहि सोइ जो राम रचि राखा।
को करि तर्क बढ़ावहिं साखा।।

कार्य पूर्ण होने में सन्देह है।
अतः उसे भगवान पर छोड़
देना चाहिए।

सुनु सिय सत्य असीस हमारी।
पूजिहि मन कामना तुम्हारी।।

प्रश्न उत्तम है।
कार्य सिद्ध होगा।

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा।
हृदयँ राखि कोसलपुर राजा।।

भगवान का स्मरण करके
कार्यारम्भ करें।
सफलता मिलेगी।

उधरहिं अंत न होइ निबाहू।
कालनेमि जिमि रावन राहू।।

इस कार्य में भलाई नही है।
कार्य की सफलता में सन्देह है।

बिधि बस सुजन कुसंगत परहीं।
फनि मनि सम निज गुन अनुसरहीं।।

खोटे मनुष्य का संग छोड़ दें।
कार्य पूर्ण होने में सन्देह है।

मुद मङ्गलमय संत समाजू।
जो जग जंगम तीरथराजू।।

प्रश्न उत्तम है।
कार्य सिद्ध होगा।

गरल सुधा रिपु करहिं मिताई।
गोपद सिंधु अनल सितलाई।।

प्रश्न बहुत श्रेष्ठ है।
कार्य सफल होगा।

बरुन कुबेर सुरेस समीरा।
रन सन्मुख धरि काहुँ न धीरा।।

कार्य पूर्ण होने में सन्देह है।

सुफल मनोरथ होहुँ तुम्हारे।
राम लखनु सुनि भये सुखारे।।

प्रश्न बहुत उत्तम है।
कार्य सिद्ध होगा।

प्रश्नोत्तर जानने की विधि ;-

सर्वप्रथम स्नानादि से निवृत होकर प्रभु
श्री राम का ध्यान करते हुए तथा श्रद्धा
विश्वासपूर्वक मनसे अभीष्ट प्रश्न का
चिंतन करते हुए मनचाहे कोष्ठक में
अंगुली या कोई शलाका रख देनी
चाहिए।

कोष्ठक में जो अक्षर हो उसे किसी
कोरे कागज पर लिख लें।

तदुपरांत आगे बढ़ते जाएँ तथा
प्रत्येक नवें कोष्ठक के अक्षरों को
क्रम से लिखते जाए।

कोष्ठक के अंत तक 9 चौपाई में के
किसी एक चौपाई का अंश सामने
आएगा।

उस चौपाई के अनुसार प्रश्नोत्तर
को जान लें।

ध्यान रहे कि किसी कोष्ठक में केवल
“आ” की मात्रा या संयुक्त अक्षर हैं।

क्रम से उन्हें भी अवश्य लिखें तभी
चौपाई का अंश पूरा होगा।

आवश्यकता है तो आस्था
और विश्वास की …….

श्री राम चरित मानस रुपी इस शास्त्र
को बड़ी श्रद्धा के साथ पीले रंग के
वस्त्र में लपेट कर घर में उचित स्थान
दे नित्य प्रति पूजन करें तो यह आपके
जीवन के सभी प्रश्नों का समाधान करने
में सक्षम है।

श्री रामायण जी की आरती ;-

आरती श्री रामायण जी की ।
कीरति कलित ललित सिय पी की ।।

गावत ब्रहमादिक मुनि नारद ।
बाल्मीकि बिग्यान बिसारद ।।
शुक सनकादिक शेष अरु शारद ।
बरनि पवनसुत कीरति नीकी ।।1
आरती श्री रामायण जी की……..।।

गावत बेद पुरान अष्टदस ।
छओं शास्त्र सब ग्रंथन को रस ।।
मुनि जन धन संतान को सरबस ।
सार अंश सम्मत सब ही की ।।2
आरती श्री रामायण जी की……..।।

गावत संतत शंभु भवानी ।
अरु घटसंभव मुनि बिग्यानी ।।
ब्यास आदि कबिबर्ज बखानी ।
कागभुशुंडि गरुड़ के ही की ।।3
आरती श्री रामायण जी की……..।।

कलिमल हरनि बिषय रस फीकी ।
सुभग सिंगार भगति जुबती की ।।
दलनि रोग भव मूरि अमी की ।
तात मातु सब बिधि तुलसी की ।।4
आरती श्री रामायण जी की……..।।

गोस्वामी जी को
शत् शत् नमन…ll

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Books on Vastu – सूचि पत्र


100 Different Sizes of House Plans As Per Vastu Shastra (Part 1) by A S Sethupathi
100 Different Sizes of House Plans As Per Vastu Shastra (Part 2) by A S Sethupathi
100 Different Sizes of House Plans As Per Vastu Shastra (Part 3) by A S Sethupathi
100 Different Sizes of House Plans As Per Vastu Shastra (Part 4) by A S Sethupathi
100 Different Sizes of House Plans As Per Vastu Shastra (Part 5) by A S Sethupathi
123 of Vaastu: Fundamentals and Importance (Sunder Vaastu) by Nilesh Shah
26 Secrets Of Feng Shui – Eloise Helm
500 Various Sizes of House Plans As Per Vastu Shastra: Choose Your Dream House by A S Sethupathi
A Guide To Color Symbolism – Jill Morton
A Quick Guide To The Five Elements – Stephanie Roberts
A Simple Guide to Vastu Sastra and Feng Shui by G R Narasimhan
Advance Vaastu
Anshuman krit Saral Vastu Gyan by Anshuman Srivastav
Architects Guide To Feng Shui – Cate Bramble
Astrology and Vastu Remedies for Happiness and Successful Life by Renu Sharma and Vishal Sharma
Bhrigu Nandi Nadi by R G Rao
Brighu Prashna Nadi by R G Rao
Bruhath Nadi Astrology from 204 Horoscopes as Secrets of Life by R G Rao
Core of Nadi Astrology by R G Rao
Cosmic Science of Vastu by N H Sahasrabudhe
Essence of Nadi Astrology by R G Rao
Feng Shui And Money – Eric Shaffert
Feng Shui For Homebuyers-Exterior
Feng Shui Matrix – Kartar Diamond
Feng Shui Secrets Revealed
Five Elements: Seeking Forgotten Wisdom by Ryszard Walus
Fortune Telling from Permutations and Combinations of Planets with Nadi by R G Rao
Fundamentals of Raos System of Nadi Astrology by R G Rao
God’S Law For Humans Dwarkadheesh Vastu – Ankit Mishra
Handbook of Vastu by B Niranjan Babu
Indian Architectural Theory And Practice Contemporary Uses Of Vastu Vidya -Vibhuti Chakrabarti
Kashyapa Hora Nadi Astrology by R G Rao
Lal Kitab Aur Vastu लाल-किताब और वास्तु (Hindi) by Pandit Krishan Ashant
Magic Cards Bedroom (Sunder Vaastu) by Nilesh Shah
Manushalaya Chandrika (Malyalam) – Dr Shrikrishna Jugnu
Mystic Science of Vastu by N H Sahasrabudhe
Natal Chart from the Palm : Planetary Positions According to Niryana System by R G Rao
Power of Vastu Shastra and Fengshui Paintings by Archana Deshpande
Profession from the Position of Planets by R G Rao
Quintessence Of Vastu Art And Architecture Forms Of Spirit And Atoms Of Consciousness
Remedial Vaastu for Homes by N H Sahasrabudhe
Remedial Vaastu for Shops,Offices and Industries by N H Sahasrabudhe
Sahasra Mahavastu by N H Sahasrabudhe
Secrets of Vastushastra by N H Sahasrabudhe and R D Mahatme
Sell Your Home Faster With Feng Shui – Holly Ziegler
Small House Plans As Per Vastu Shastra: (200 Different Sizes of Small House Plans Inside) by A S Sethupathi
Sunder Vaastu by Nilesh Shah
Temple Architecture – Devalaya Vastu
The Complete Idiot’S Guide To Feng Shui
The Journey of Vastu Shastra: Let’s Have More Money, Happiness and Growth in Life by Abhishek Goel
The Mahavastu – Vol 3 – J. J. Jones
The Mayamata Of Mayamuni – Mahamahopadhyaya T. Ganapati Sastri
The Vastuvidya – T. Ganapati Sastri
Transit of Planets on Thy Birth Chart by R G Rao
Vaastu Guidelines Do’s and Don’ts (Sunder Vaastu) by Nilesh Shah
Vaastuanant: Ancient Vaastu Shastra for Happy Family by Anant Gholam
Vasthu Sastra Guide (Indian Feng Shui) For Health, Wealth, Happiness, Harmonious Living and World Peace by T Selva
Vasthu Sastra Indian Feng Shui – T. Selva
Vastru Shastra: Most Important Tips by A S Sethupathi
Vastu – Sashikala Ananth
Vastu – मलयालम
Vastu Breathing Life Into Space – Dr. Robert E. Svoboda
Vastu Design
Vastu Dwara Bhavan Nirman वास्तु द्वारा भवन निर्माण (Hindi) by Om Prakash Kumravat
Vastu Guide for Small, Medium and Large Industries by A N Kumar
Vastu Guna Deepika – Malyalam
Vastu Living Creating A Home For The Soul.epub
Vastu Manage It Yourself – Dr. Pranav Pandya
Vastu Mandanam of Sutradhar Mandana by Anasuya Bhowmick
Vastu Sangraha Architectural Rituals – Pandit Rama Ramanuja Acari
Vastu Sastra – Vol 1 – D.N. Shukla
Vastu Sastra – Vol 2 – D.N. Shukla
Vastu Secrets in Modern Times for a Successful Life: Improve Your Health, Wealth And Relationships With Indian Feng Shui by Michael Dinuri
Vastu Shastra (Based on Classics) by Shanker Adawal
Vastu Shastra by Ayush Jha
Vastu Shastra: Complete Guidelines for the Construction of Dream House by Andy Sentara
Vastu Shastra: The Only Way to Success in Everything in Your Life by Rajendra N
Vastu.. The Scientific Way: Improve your Understanding of Vastushastra by Bharat Gandhi
Vastu: Astrology and Architecture by Gayatri Devi Vasudev
Vastu: Relevance to Modern Times by B Niranjan Babu
Vasturatnakosa – Prof. Dr. Priya Bala Shah
Vasturaviraajj – Dr. Raviraj Ahirrav
Vastusara Sangraha वास्तुसारसंग्रह (Hindi) by Kamal Kant Shukla
Vastushastra And THE 21st Century by Bharat Gandhi
Yearly Flying Star Feng Shui Success For The Year 2002
Your Destiny in Thumb by R G Rao
Your Face mirrors Fortune by R G Rao
Your Face mirrors Fortune by R G Rao
Your Fortune From Thy House: Vastu Shastra by R G Rao
गृह वास्तु प्रदीप – डॉ. शैलजा पाण्डेय
जैन वास्तु-विद्या – डॉ. गोपीलाल अमर
दिव्य तुलसी वास्तु दोष निवारक
द्वारिकाधीश वास्तु भवन निर्माण
धरती पर स्वर्ग साधन फेंग शुई – डॉ. सुरेश शर्मा
पिरेमिड वास्तु – डॉ. धरा भट्ट
पूर्व और उत्तर फेसिंग भवनो के नक्शे
ब्रुहदास्तुमाला – पं. श्री राम निहोर द्विवेदी
भवन भास्कर – गीताप्रेस
भारतीय वास्तु – पं. बिहारीलाल शुक्र
भारतीय वास्तु शास्त्र प्रतिमा-विज्ञान – डॉ. द्विजेन्द्रनाथ सुक्र
भारतीय वास्तु-शास्त्र – वास्तु विद्या तथा पुर-निवेश – द्विजेन्द्रनाथ शुक्र
भारतीय वास्तुशास्त्र का इतिहास – डॉ. विद्याधर
मनुष्यालयचन्द्रिका – डॉ. श्रीकृष्ण जुगनू
मयमतम – डॉ. शैलजा पाण्डेय
मयमतम्
मयमतम् – मंत्र
वास्तु कलानिधि – पध्मश्री प्रभाशंकर ओ. सोमपुरा
वास्तु पूजा पद्धति – चौखम्भा
वास्तु पूजा पद्धति तथा गृहे गृध दिपतनशान्ति पद्धति
वास्तु पूजा पद्धति प्रकाश – श्रीस्वामी शान्तिधर्मानंद सरस्वती
वास्तु मंगलम – पं. जगदीश शर्मा
वास्तु शान्ति प्रयोग – खेमराज – मंत्र
वास्तु सौख्य परि शीलन – डॉ. सुनील दत्त
वास्तुकला और भवन निर्माण – डॉ. उमेश पूरी ज्ञानेश्वर
वास्तुदोष कारण और निवारण – शशि मोहन बहल
वास्तुरत्नाकर-अहिबल चक्र सहित – विन्दयेश्वरीप्रसाद द्विवेदी
वास्तुसार प्रकरण – पं. भगवानदास जैन
विश्व कर्मा प्रकाश – बाबू किशनलाल द्वारकाप्रसाद
विश्वकर्मकृतायां वास्तुशास्त्रे वास्तुविद्याम – मंत्र
समरांगन सूत्रधार
सरल वास्तु शास्त्र
सुलभ वास्तु शास्त्र अथवा भवन निर्माण प्रणाली – रघुनाथ श्रीपाद देशपांडे
ફેંગ શુઈ અને વાસ્તુ – માસ્ટર રાજેશ ડી. શાહ
ફેંગ શુઈ સદ્ભાગ્ય માટેના ૮૦ સોનેરી માર્ગો – ડૉ. નીતિન પારેખ
વાસ્તુ તથાસ્તુ – રોહિત જીવાણી
વાસ્તુ પ્રસાર – રવીન્દ્ર ભાવસાર
વાસ્તુ રચના – ડૉ. ધર્મેશ એમ. મહેતા
વાસ્તુશાસ્ત્ર – વિજ્ઞાન કે અજ્ઞાન – ગોવિંદ મારૂ
વાસ્તુસાર – પદ્મશ્રી પ્રભાશંકર ઓઘડભાઈ સોમપુરા
શ્રી વાસ્તુવિદ્યાયા વાસ્તુ શાસ્ત્રે

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यदि गर्भ का बालक अधिकतर उदर के मध्य में रहता है तो वह नपुंसक है ,वाम भाग ( बाईं ) में रहता है तो कन्या तथा दक्षिण भाग ( दाये ) में रहता है तो पुरुष है ।

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शास्त्रों के अनुसार कौड़ी के विषय में यह मान्यता है कि लक्ष्मी और कौड़ी दोनों सगी बहने है। कौड़ी धारणकर्ता की माँ के रूप में रक्षा करती है। बुरी नजर व संकटो से बचाने की इसमे अदभुत क्षमता होती है।
वास्तु शास्त्र के अनुसार भवन निर्माण करते समय छत पर पहले कौड़ी डाली जाती है। फिर दरवाजे की चौखट के साथ भी सबसे पहले कौड़ियाँ ही बाँधी जाती है।

कौड़ी विश्वास का प्रतीक है और इसकी अनेक धार्मिक मान्यताएं भी है।

छोटे बच्चों के कंठुले में कौड़ी बांधी जाती है ताकि उसे नजर ना लगे।
विवाह के समय वर तथा वधु के हाथ में जो कंकण बांधे जाते है, कौड़ी उसमे अवश्य होती है।
भारत के दक्षिण क्षेत्रों में विवाह के समय जो संदूक दिया जाता है उसमे एक कौड़ी अवश्य डाली जाती है। ऐसा विश्वास है कि वधु की माँ के रूप में उसे हमेशा मान-सम्मान तथा संतुष्टि दिलाए।

अनेक क्षेत्रों में लक्ष्मी का श्रृंगार कौड़ियों से किया जाता है। कौड़ीओं का प्रयोग केवल भारत में ही नहीं बल्कि विदेशो में भी किया जाता है। यूनान की देवी वीनस को प्रसन्न करने के लिए वहां के निवासी उस पर कौड़ी ही अर्पण करते है।

आप यदि ओरिजनल कौड़ी को हमारे माध्यम से मंगवाना चाहते हैं ,तो आप हमें व्हाट्सएप करें——
#ओलीअमितः
9627710390

वाहन में कौड़ी रखने से ऐसा माना जाता है कि वाहन के स्वामी को वाहन के माध्यम से धन व समृद्धि प्राप्त होगी तथा वाहन दुर्घटना से भी बचा रहता है।

सड़क पर पड़ी हुई कौड़ी मिलना बहुत शुभ माना जाता है। ऐसी कौड़ी को संभाल कर घर में रखने से बरकत में वृद्धि होती है।

इसे श्री हनुमान जी के सिन्दूर से साफ़ व स्वच्छ करने के बाद प्रयोग में लाना चाहिए।

वाहन को बुरी नजर से बचाने के लिए कौड़ी को वाहन में सफ़ेद या काले धागे में बाँध कर सुविधा अनुसार कही भी लटका दें।

वास्तु दोष के निवारण के लिए इसे दरवाजे पर लटकाया जाता है।

घर में आर्थिक सम्पन्नता के लिए इसे अपने धन स्थान पर रखे अथवा घर की उत्तर दिशा में लटका सकते है।

यह ध्यान रखे कि कौड़ी हमेशा 11 या 21 या फिर 51 की संख्या में ही प्रयोग में लानी चाहिए।
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शंख


🌪🌪घर मे शंख हो तो ध्यान रखें इन ८ बातोंका 🐋🐋 हिंदू धर्म में शंख को घर में रखना बहुत शुभ माना गया है। इससे सुख-समृद्धि बढ़ती byहै। घर में रखे शंख के विषय में ये 8 बातें ध्यान रखने पर उससे प्राप्त होने वाली शुभता में वृद्धि होती है। जानते हैं शंख के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बातें-
1- शंख को पानी में नहीं रखना चाहिए।

2- शंख को धरती पर भी नहीं रखना चाहिए। शंख हमेशा एक साफ कपड़ा बिछाकर रखना चाहिए।

3- शंख के अंदर जल भरकर नहीं रखना चाहिए। पूजन के समय शंख में जल भरकर रखा जा सकता है। आरती के बाद इस जल का छिड़काव करने से शारीरिक व मानसिक विकारों से मुक्ति मिलता है। साथ ही, जीवन में सौभाग्य का उदय होने लगता है।

4- शंख को पूजा के स्थान पर रखते समय खुला हुआ भाग ऊपर की ओर होना चाहिए।
5- शंख को भगवान विष्णु, लक्ष्मी या बालगोपाल की मूर्ति के दाहिनी ओर रखा जाना चाहिए।

6- शंख को माता लक्ष्मी का रूप माना गया है। इसलिए शंख को पूूजन स्थान में उसी आदर के साथ पूजा जाना चाहिए। जिस आदर के साथ भगवान का पूजन किया जाता है।

7- आसानी से धन की प्राप्ति के लिए शंख को 108 चावल के दानों के साथ लाल कपड़े में लपेटकर तिजोरी में स्थापित करें।

8- घर में शंख ध्वनि का गुंजन सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाने वाला माना गया है। पूजन के समय रोजाना घर में शंख बजाना चाहिए।

  1. शंख-अति चमत्कारिक?

शास्त्रों में इसे अति चमत्कारिक बताया गया है। इन तीन प्रकार के शंखों के अलावा और भी अनेक प्रकार के शंख पाए जाते हैं जैसे लक्ष्मी शंख, गरुड़ शंख, मणिपुष्पक शंख, गोमुखी शंख, देव शंख, राक्षस शंख, विष्णु शंख, चक्र शंख, पौंड्र शंख, सुघोष शंख, शनि शंख, राहु एवं केतु शंख।

  1. शंख से वास्तु दोष मुक्ति का तरीका

शंख किसी भी दिन घर में लाकर पूजा स्थल में रखा जा सकता है। लेकिन शुभ मुहूर्त विशेष तौर पर होली, रामनवमी, जन्माष्टमी, दुर्गा पूजा, दीपावली के दिन अथवा रवि पुष्य योग या गुरू पुष्य योग में इसे पूजा स्थल में रखकर इसकी धूप-दीप से पूजा की जाए घर में वास्तु दोष का प्रभाव कम होता है। शंख में गाय का दूध रखकर इसका छिड़काव घर में किया जाए तो इससे भी सकारात्मक उर्जा का संचार होता है।

  1. क्या रहस्य है शंख बजाने का?

मंदिर में आरती के समय शंख बजते सभी ने सुना होगा परंतु शंख क्यों बजाते हैं? इसके पीछे क्या कारण है यह बहुत कम ही लोग जानते हैं। शंख बजाने के पीछे धार्मिक कारण तो है साथ ही इसके पीछे वैज्ञानिक कारण भी है और शंख बजाने वाले व्यक्ति को स्वास्थ्य लाभ भी मिलता है।शंख की उत्पत्ति कैसे हुई?

  1. धर्म ग्रंथ और शंख?

इस संबंध में हमारे धर्म ग्रंथ कहते हैं सृष्टी आत्मा से, आत्मा आकाश से, आकाश वायु से, वायु अग्रि से, आग जल से और जल पृथ्वी से उत्पन्न हुआ है और इन सभी तत्व से मिलकर शंख की उत्पत्ति मानी जाती है। शंख की पवित्रता और महत्व को देखते हुए हमारे यहां सुबह और शाम शंख बजाने की प्रथा शुरू की गई है।

  1. शंख बजाने का स्वास्थ्य लाभ?

शंख बजाने का स्वास्थ्य लाभ यह है कि यदि कोई बोलने में असमर्थ है या उसे हकलेपन का दोष है तो शंख बजाने से ये दोष दूर होते हैं। शंख बजाने से कई तरह के फेफड़ों के रोग दूर होते हैं जैसे दमा, कास प्लीहा यकृत और इन्फ्लून्जा आदि रोगों में शंख ध्वनि फायदा पहुंचाती है।

शंख बजाइये और रोगों से छुटकारा पाइये, जानिये कैसे…

  1. समुद्र मंथन और शंख?

समुद्र मंथन से प्राप्त चौदह रत्नों में एक रत्न शंख है। माता लक्ष्मी के समान शंख भी सागर से उत्पन्न हुआ है इसलिए इसे माता लक्ष्मी का भाई भी कहा जाता है।

  1. हिन्दू धर्म और शंख?

हिन्दू धर्म में शंख को बहुत ही शुभ माना गया है, इसका कारण यह है कि माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु दोनों ही अपने हाथों में शंख धारण करते हैं। जन सामान्य में ऐसी धारणा है कि, जिस घर में शंख होता है उस घर में सुख-समृद्धि आती है।

  1. वास्तु विज्ञान और शंख?

वास्तु विज्ञान भी इस तथ्य को मानता है कि शंख में ऐसी खूबियां है जो वास्तु संबंधी कई समस्याओं को दूर करके घर में सकारात्मक उर्जा को आकर्षित करता है जिससे घर में खुशहाली आती है।

  1. शंख की ध्वनि?

शंख की ध्वनि जहां तक पहुंचती हैं वहां तक की वायु शुद्ध और उर्जावान हो जाती है। वास्तु विज्ञान के अनुसार सोयी हुई भूमि भी नियमित शंखनाद से जग जाती है।

  1. रोग-कष्ट और शंख?

भूमि के जागृत होने से रोग और कष्ट में कमी आती है तथा घर में रहने वाले लोग उन्नति की ओर बढते रहते हैं। भगवान की पूजा में शंख बजाने के पीछे भी यह उद्देश्य होता है कि आस-पास का वातावरण शुद्ध पवित्र रहे।

  1. शंख के प्रकार?

शंख मुख्यतः तीन प्रकार के होते हैं -दक्षिणावर्ती, मध्यावर्ती और वामावर्ती। इनमें दक्षिणावर्ती शंख दाईं तरफ से खुलता है, मध्यावर्ती बीच से और वामावर्ती बाईं तरफ से खुलता है। मध्यावर्ती शंख बहुत ही कम मिलते हैं।

  1. शंख के जल से शालीग्राम?

शंख के जल से शालीग्राम को स्नान कराएं और फिर उस जल को यदि गर्भवती स्त्री को पिलाया जाए तो पैदा होने वाला शिशु पूरी तरह स्वस्थ होता है। साथ ही बच्चा कभी मूक या हकला नहीं होता।यदि शंखों में भी विशेष शंख जिसे दक्षिणावर्ती शंख कहते हैं इस शंख में दूध भरकर शालीग्राम का अभिषेक करें। फिर इस दूध को नि:संतान महिला को पिलाएं। इससे उसे शीघ्र ही संतान का सुख मिलता है।

  1. शंख और लाभ?

लाभ अनेक रोज सुबह दक्षिणावर्ती शंख में थोड़ा सा गंगा-जल डालकर सारे घर में छिड़कें भूत-प्रेत व दुरात्माओं से मुक्ति मिलती है और घर में सकारात्मक ऊर्जा प्रवेश करती हैं। एक कांच के कटोरे में लघु मोती शंख रखकर उसे अपने बिस्तर के नजदीक रखने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होकर प्रगाढ़ दाम्पत्य-सुख की अनुभूति होगी। पति-पत्नी इससे जल आचमन करके अपने माथे पर अभिषेक करे तो परस्पर वैमनस्य दूर होता है।

  1. घर में दक्षिणावर्ती शंख?

घर में दक्षिणावर्ती शंख का वास होने से लक्ष्मी का स्थायी वास होता है। दक्षिणावर्ती शंख का विधिपूर्वक पूजन करें तथा अपने व्यवसाय-स्थल पर रखें तो आप सदैव ऋण मुक्त रहेंगे। आप अपनी माता से चावल से भरा एक मोती शंख प्राप्त करें तथा उसे विदेश यात्रा संबंधी कागजात के स्थान पर रखे तो आपके समस्त विघ्न दूर हो जायेंगे। व्यापार स्थान में भगवान विष्णु की मूर्ति के नीचे एक दक्षिणावर्ती शंख रख कर इससे रोज पूजन करके गंगा जल अपने कार्यालय में छिड़कें तो समस्त बाधाएं समाप्त होकर व्यापार में उन्नति होने लगेगी। रात भर शंख में रखे जल का रोज सेवन करने से रोगों से स्वतः मुक्ति मिल जाती है। वह इस बात पर निर्भर है कि शंख कितनी शुद्धता व गुणवत्ता का है।

  1. दिक्कते और शंख?

शंख घिस कर नेत्र में लगाने से आंख की सूजन दूर होती है। शंख भस्म उचित अनुपात में सेवन करने से गुल्म शूल, पित्त, कफ, रूधिर प्लीहा आदि विकार नष्ट हो जाते हैं। फसलों को पानी देते समय किसी शुभ मुहूर्त में 108 शंखोदक भी मिला लें, फसल बढ़ेगी, अनाज बढ़ेगा। अनाज भंडार में कीड़ें-मकोड़ों से बचाने के लिए मंगलवार को शंखनाद करना चाहिए। त्वचा रोगों में शंख की भस्म को नारियल तेल में मिलाकर आक्रांत जगह पर नित्य लगा दें। स्नान करने के पश्चात थोड़ा पानी वहीं लगाकर पोछ दें।

  1. दिन, रात और शंख?

रात को शंख भस्म लगायें और सुबह स्नान के पश्चात् शंखोदक से साफ करें। शुद्ध शिलाजीत को गर्म दूध में अच्छी तरह मिलाकर इस मिश्रण को रोज रात को सोने के पूर्व शंख के जरिये पीने से स्मरण शक्ति व शारीरिक क्षमता में वृद्धि होगी। यदि शंख-भस्म के साथ करेले के रस में गाय का दूध सुबह सेवन किया जाए तो मधुमेह का रोग ठीक होता है। एक शंख में पानी भरकर रखें। रात्रि को भोजनोपरांत आधे घंटे बाद उस पानी को ग्रहण कर लें। 3 दिन ऐसा करने से पुराने कब्ज से भी मुक्ति प्राप्त होती है।

  1. शंख के फायदे?

यदि विष्णु शंख में गंगा जल भरकर रोहिणी, चित्रा व स्वाती नक्षत्रों में गर्भवती को पान करायें तो प्रसव में कोई कष्ट नहीं होगा। संतान भी स्वस्थ व पुष्ट होगी। अन्नपूर्णा शंख में गंगा जल भरकर सुबह-सबेरे पीने से स्वास्थ्य के विकार दूर होते हैं। वास्तव में शंख एक बहुत गुणी यंत्र है, उसे सदा घर में रखें। यदि शंख की पूजा नित्य तुलसी से ही करें तो घर में क्लेश, दुख-दारिद्रय तथा रोगों का प्रवेश नहीं होता। शंख का पानी यदि थोड़ा-थोड़ा पिया जाये तो हकलाना दूर होता है।

ओली अमित

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शिव सूत्र – बीज मंत्र


शिवसूत्र – बीज मंत्र ।

” नृत्यावसाने नटराज राजः ननाद ढक्वाम नवपंच वारम।
उद्धर्तु कामाद सनकादि सिद्धै एतत्विमर्शे शिव सूत्र जालम।”

अर्थात नृत्य की समाप्ति पर भगवान शिव ने अपने डमरू को विशेष दिशा-नाद में चौदह (नौ+पञ्च वारम) बार चौदह प्रकार की आवाज में बजाया। उससे जो चौदह सूत्र बजते हुए निकले उन्हें ही “शिव सूत्र” के नाम से जाना जाता है। सूत्र का मतलब है बीज । तंत्र मार्गमें सभी मंत्रोमे बीज मंत्र होते है । जैसे ऐं , गलौं, क्लीं , भं , ठं.... इस बीज का अर्थ तब ही समज आता है जब मंत्र साध्य होता है । जैसे कोई एक वृक्ष का बियां ( बीज ) दिखाए तो पता नही चलता ये कौनसा वृक्ष है । जब जमीनमे बोया जाता है और वृक्ष बाहर आता है तब वो दिखता है । ऐसे ही मंत्र जाप करते करते जब शरीरस्थ चक्रोमे मंत्र की ऊर्जा जाग्रत होने लगती है , तब उनका पूर्ण अर्थ समझ आता है । शिवजी के अनेक स्वरूपो की अलग अलग पोस्ट यहां दी है । सभी सोलह कला के सर्जक शिव है । संगीत , नृत्य , शास्त्र , शस्त्र , वनस्पति , खगोल , यज्ञ , पूजा , गृहस्थ , यंत्र , तंत्र , मंत्र ये सभी के सर्जक शिवजी के स्वरूपो की अलग अलग पोस्ट यहां प्रस्तुत की गई है । विश्व की कोई भी भाषा हो पर मुलाक्षर स्वर व्यंजन वो शिवजी के डमरू का नाद से प्रकट होकर विस्तृत हुवा है । डमरू के नाद को सूत्र कहते है

ये सूत्र निम्न प्रकार है-

(1)-अ ई उ ण (2)-ऋ ऌ क (3)-ए ओ ङ् (4)-ऐ औ च (5)-ह य व् र ट (6)- ल ण (7)- ञ् म ङ् ण न म (8)- झ भ य (9 )-घ ढ ध ष (10)- ज ब ग ड द स (11)- ख फ छ ठ थ च ट त व् (12)- क प य (13)- श ष स र (14)- ह ल

यदि इन्हें डमरू के बजने की कला में बजाया जाय तो बिलकुल स्पष्ट हो जाता है। यही से भाषा विज्ञान का मूर्त रूप प्रारम्भ होता है। पाणिनि के अष्टाध्यायी का अध्ययन करने या सिद्धांत कौमुदी का अध्ययन करने से सारे सूत्र स्पष्ट हो जायेगें। अस्तु यह एक अति दुरूह विषय है। तथा विशेष लगन, परिश्रम, मनन एवं रूचि से ही जाना जा सकता है। मैं सरल प्रसंग पर आता हूँ।

उपर्युक्त पाणिनीय सूत्रों की संख्या चौदह है। प्रत्येक सूत्र के अंत में जो वर्ण आया है। वह हलन्त है। अतः वह लुप्त हो गया है। वह केवल पढ़ने या छंद की पूर्ति के लिए लगाया गया है। वास्तव में वह लुप्त है। इन चौदहों सूत्रों के अंतिम चौदह अक्षर या वर्ण मिलकर पन्द्रहवां सूत्र स्वयं बन जाते है।

महा मृत्युंजय मंत्र इस सूत्र के साथ जाप करना हो तो मंत्र ;-

” ॐ ह्रौं जूँ सः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ त्र्यमबकम यजामहे सुगन्धिम्पुष्टि वर्द्धनम। उर्वारुकमिव बंधनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात। ॐ स्वः भुवः भू: ॐ सः जूं ह्रौं ॐ।”

चौदह सूत्र ;-

शिव सूत्र रूप मंत्र इस प्रकार है- ‘अइउण्‌, त्रृलृक, एओड्, ऐऔच, हयवरट्, लण्‌, ञमड.णनम्‌, भ्रझभञ, घढधश्‌, जबगडदश्‌, खफछठथ, चटतव, कपय्‌, शषसर, हल्‌।

  1. कहा जाता है बिच्छू के काटने पर इन सूत्रों से झाड़ने पर विष उतर खत्म हो जाता है.
  2. कहते हैं सांप के काटने पर जिस व्यक्ति को सांप ने काटा है अगर उसके कान में उच्च स्वर से इन सूत्रों का पाठ करें तो वह सही हो जाता है.
  3. आप सभी को बता दें कि ऊपरी बाधा का आवेश जिस व्यक्ति पर आया हो उस पर इन सूत्रों से अभिमन्त्रित जल डालने से आवेश खत्म हो जाता है.
  4. इसी के साथ इन सूत्रों को भोज पत्र पर लिखकर गले मे या हाथ पर बांधने से प्रैत बाधा खत्म हो जाती है.
  5. कहते हैं ज्वर, सन्निपात, तिजारी, चौथिया आदि इन सूत्रों द्वारा झाड़ने फूंकने से खत्म हो जाता है और उन्माद या मृगी आदि रोग से पीड़ित होने पर इन सूत्रों को झाड़ने से आराम हो जाता है.

अघोर

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काले तिल के टोटके


काले तिल के टोटके
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कार्यों में आ रही परेशानियों और दुर्भाग्य को दूर करने के लिए ज्योतिष शास्त्र की किताबों में कई तरह के टोटके या उपाय बताए गए हैं उन्हीं में से एक है काले तिल के असरकार और चमत्कारिक उपाय। आप भी जानिए…

1👉 राहु-केतु और शनि से मुक्ति हेतु
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कुंडली में शनि के दोष हों या शनि की साढ़ेसाती या ढय्या चल रहा हो तो प्रत्येक शनिवार को बहते जल की नदी में काले तिल प्रवाहित करना चाहिए। इस उपाय से शनि के दोषों की शांति होती है।आप काले तिल भी दान कर सकते हैं। इससे राहु-केतु और शनि के बुरे प्रभाव समाप्त हो जाते हैं। इसके अलावा कालसर्प योग, साढ़ेसाती, ढय्या, पितृदोष आदि में भी यह उपाय कारगर है।

2.👉 धन की समस्या दूर करने हेतु
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हर शनिवार काले तिल, काली उड़द को काले कपड़े में बांधकर किसी गरीब व्यक्ति को दान करें। इस उपाय से पैसों से जुड़ी समस्याएं दूर हो सकती हैं।
धनहानि रोकने हेतु : मुठ्ठी भर काले तिल को परिवार के सभी सदस्यों के सिर पर सात बार उसारकर घर के उत्तर दिशा में फेंक दें, धनहानि बंद होगी|

3.👉 बुरे समय से मुक्ति हेतु
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‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ का जप करते हुए प्रत्येक शनिवार को दूध में काले तिल मिलाकर पीपल पर चढ़ाएं। इससे कैसा भी बुरा वक्त चल रहा होगा तो वह दूर हो जाएगा।

4.👉 रोग कटे सुख मिले
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हर रोज एक लोटे में शुद्ध जल भरें और उसमें काले तिल डाल दें। अब इस जल को शिवलिंग पर ऊँ नम: शिवाय मंत्र जप करते हुए चढ़ाएं। जल पतली धार से चढ़ाएं और मंत्र का जप करते रहें। जल चढ़ाने के बाद फूल और बिल्व पत्र चढ़ाएं। इससे शनि के दोष तो शांत होंगे ही पुराने समय से चली आ रही बीमारियां भी दूर हो सकती हैं। दूसरा उपाय यह है कि शनिवार को यह उपय करें। जौ का 125 पाव (सवा पाव) आटा लें। उसमें साबुत काले तिल मिलाकर रोटी बनाएं। अच्छी तरह सेंके, जिससे वे कच्ची न रहें। फिर उस पर थोड़ा-सा तिल्ली का तेल और गुड़ डाल कर पेड़ा बनाएं और एक तरफ लगा दें। फिर उस रोटी को बीमार व्यक्ति के ऊपर से 7 बार वार कर किसी भैंसे को खिला दें। पीछे मुड़ कर न देखें और न कोई आवाज लगाए। भैंसा कहां मिलेगा, इसका पता पहले ही मालूम करके रखें। भैंस को रोटी नहीं खिलानी है।

5.👉 कार्य में सफलता हेतु
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अपने हाथ में एक मुट्ठी काले तिल लेकर घर से निकलें। मार्ग में जहां भी कुत्ता दिखाई दे उस कुत्ते के सामने वह तिल डाल दें और आगो बढ़ जाए। यदि वह काले तिल कुत्ता खाता हुआ दिखाई दे तो यह समझना चाहिए कि कैसा भी कठिन कार्य क्यों न हो, उसमें सफलता प्राप्त होगी।

6.👉 नजरदोष
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जब कभी किसी छोटे बच्चों को नजर लग जाती है तो, वह दूध उलटने लगता है और दूध पीना बन्द कर देता है, ऐसे में परिवार के लोग चिंतित और परेशान हो जाते है। ऐसी स्थिति में एक बेदाग नींबू लें और उसको बीच में आधा काट दें तथा कटे वाले भाग में थोड़े काले तिल के कुछ दाने दबा दें। और फिर उपर से काला धागा लपेट दें। अब उसी नींबू को बालक पर उल्टी तरफ से 7 बार उतारें। इसके पश्चात उसी नींबू को घर से दूर किसी निर्जन स्थान पर फेंक दें। इस उपाय से शीघ्र ही लाभ मिलेगा।

7.👉 आयु वृद्धि
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मंगल या शनिवार के दिन काले तिल, जौ का पीसा हुआ आटा और तेल मिश्रित करके एक रोटी पकावें, उसे अच्छी तरह से दोनों तरफ से सेकें, फिर उस पर तेल मिश्रित गुड़ चुपड़ कर व्यक्ति पर सात बार वारकर भैंसे को खिलावें।
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