ज्योतिष में श्री राम शलाका
प्रश्नावली का महत्त्व !!💐
श्री राम शलाका प्रश्नावली में २२५
खाने है इनका मूलांक २+२+५=९,
आता है जो कि अंक शास्त्र में सबसे
बड़ी संख्या है।
अब यदि २२५ को नौ से भाग दिया
जाय तो २५ कि संख्या हमे प्राप्त होती
है जिसका मूलांक २+५=७ आता है जो
कि ७ ग्रहों का ही रूप है।
गोस्वामी जी ने नौ चौपाई का प्रयोग इस
श्री राम शलाका प्रश्नावली में किया है।
एक एक चौपाई अलग अलग
ग्रह का प्रतिनिधित्व करती है।
गोस्वामी तुलसीदास जी का ज्योतिष
में महत्वपूर्ण स्थान है श्री राम चरित
मानस एक धार्मिक आस्था का प्रतीक
तथा पूज्यनीय ग्रन्थ होने के साथ साथ
ज्योतिषीय शास्त्र के रूप में भी अपनी
प्रतिष्ठा रखता है।
परम पूज्य गोस्वामी जी का ज्योतिष
के अंतर्गत गणित व फलित दोनों में
महत्वपूर्ण स्थान है।
गोस्वामी जी एक पूर्ण ज्योतिषी का
ज्ञान रखते थे,यह हमें श्री राम चरित
मानस में स्पष्ट दिखाई देता है।
श्री राम चरित मानस को यदि हम
ज्योतिष का मानस शास्त्र कहें तो
भी ठीक है गोस्वामी जी ने मानव
जाति के जीवन के सभी प्रश्नों के
उत्तर रामायण में स्पष्ट दिए है।
आज मैं श्री राम चरित मानस अंतर्गत
श्री राम शलाका प्रश्नावली के विषय में
बताने जा रहा हूं जिसमें कि गोस्वामी
जी ने गणित और फलित दोनों को ही
उपयोग कर प्रश्नों के उत्तर चौपाइयो
द्वारा दिए है।
अंक ज्योतिष के अनुसार सूर्य आदि
नवग्रहों को एक से लेकर नौ अंको के
बीच माना गया है।
श्री राम शलाका प्रश्नावली में नव
चौपाइयों को लेकर ही प्रत्येक प्रश्न
का समाधान कर फलित ज्योतिष
को सार्थक किया है।
इन नौ चौपाइयों में से तीन चौपाइयों
के अंतर्गत कार्य में संदेह दिखाया गया
है जो कि शनि,राहू, और केतु का फल
बताती है।
श्री राम शलाका प्रश्नावली में तीन
चौपाइयों में कार्य सिद्ध होना बताया
है जो कि चन्द्र,वृहस्पति और शुक्र का
फल हमारे सामने रखा है।
तथा श्री राम शलाका प्रश्नावली में
तीन चौपाइयों में अनिश्चय की स्थिति
रख कर सूर्य,मंगल और बुध के गुणों
को हमारे सामने रखा है।
श्री राम शलाका प्रश्नावली में गोस्वामी
जी ने तीन तीन चौपाई द्वारा फल को
बाँट कर अपने आत्म ज्ञान से सज
राज और तम का सन्देश दिया है।
श्री राम शलाका प्रश्नावली की रचना
कर गोस्वामी जी के भविष्यवक्ता के
ज्ञान का परिचय कराती है।
रामशलाका प्रश्नावली की नौ चौपाइयां ;-
होइहि सोइ जो राम रचि राखा।
को करि तर्क बढ़ावहिं साखा।।
कार्य पूर्ण होने में सन्देह है।
अतः उसे भगवान पर छोड़
देना चाहिए।
सुनु सिय सत्य असीस हमारी।
पूजिहि मन कामना तुम्हारी।।
प्रश्न उत्तम है।
कार्य सिद्ध होगा।
प्रबिसि नगर कीजै सब काजा।
हृदयँ राखि कोसलपुर राजा।।
भगवान का स्मरण करके
कार्यारम्भ करें।
सफलता मिलेगी।
उधरहिं अंत न होइ निबाहू।
कालनेमि जिमि रावन राहू।।
इस कार्य में भलाई नही है।
कार्य की सफलता में सन्देह है।
बिधि बस सुजन कुसंगत परहीं।
फनि मनि सम निज गुन अनुसरहीं।।
खोटे मनुष्य का संग छोड़ दें।
कार्य पूर्ण होने में सन्देह है।
मुद मङ्गलमय संत समाजू।
जो जग जंगम तीरथराजू।।
प्रश्न उत्तम है।
कार्य सिद्ध होगा।
गरल सुधा रिपु करहिं मिताई।
गोपद सिंधु अनल सितलाई।।
प्रश्न बहुत श्रेष्ठ है।
कार्य सफल होगा।
बरुन कुबेर सुरेस समीरा।
रन सन्मुख धरि काहुँ न धीरा।।
कार्य पूर्ण होने में सन्देह है।
सुफल मनोरथ होहुँ तुम्हारे।
राम लखनु सुनि भये सुखारे।।
प्रश्न बहुत उत्तम है।
कार्य सिद्ध होगा।
प्रश्नोत्तर जानने की विधि ;-
सर्वप्रथम स्नानादि से निवृत होकर प्रभु
श्री राम का ध्यान करते हुए तथा श्रद्धा
विश्वासपूर्वक मनसे अभीष्ट प्रश्न का
चिंतन करते हुए मनचाहे कोष्ठक में
अंगुली या कोई शलाका रख देनी
चाहिए।
कोष्ठक में जो अक्षर हो उसे किसी
कोरे कागज पर लिख लें।
तदुपरांत आगे बढ़ते जाएँ तथा
प्रत्येक नवें कोष्ठक के अक्षरों को
क्रम से लिखते जाए।
कोष्ठक के अंत तक 9 चौपाई में के
किसी एक चौपाई का अंश सामने
आएगा।
उस चौपाई के अनुसार प्रश्नोत्तर
को जान लें।
ध्यान रहे कि किसी कोष्ठक में केवल
“आ” की मात्रा या संयुक्त अक्षर हैं।
क्रम से उन्हें भी अवश्य लिखें तभी
चौपाई का अंश पूरा होगा।
आवश्यकता है तो आस्था
और विश्वास की …….
श्री राम चरित मानस रुपी इस शास्त्र
को बड़ी श्रद्धा के साथ पीले रंग के
वस्त्र में लपेट कर घर में उचित स्थान
दे नित्य प्रति पूजन करें तो यह आपके
जीवन के सभी प्रश्नों का समाधान करने
में सक्षम है।
श्री रामायण जी की आरती ;-
आरती श्री रामायण जी की ।
कीरति कलित ललित सिय पी की ।।
गावत ब्रहमादिक मुनि नारद ।
बाल्मीकि बिग्यान बिसारद ।।
शुक सनकादिक शेष अरु शारद ।
बरनि पवनसुत कीरति नीकी ।।1
आरती श्री रामायण जी की……..।।
गावत बेद पुरान अष्टदस ।
छओं शास्त्र सब ग्रंथन को रस ।।
मुनि जन धन संतान को सरबस ।
सार अंश सम्मत सब ही की ।।2
आरती श्री रामायण जी की……..।।
गावत संतत शंभु भवानी ।
अरु घटसंभव मुनि बिग्यानी ।।
ब्यास आदि कबिबर्ज बखानी ।
कागभुशुंडि गरुड़ के ही की ।।3
आरती श्री रामायण जी की……..।।
कलिमल हरनि बिषय रस फीकी ।
सुभग सिंगार भगति जुबती की ।।
दलनि रोग भव मूरि अमी की ।
तात मातु सब बिधि तुलसी की ।।4
आरती श्री रामायण जी की……..।।
गोस्वामी जी को
शत् शत् नमन…ll
