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“जय गौमाता,जय गौपाल”

आयुर्वेद ग्रंथों में हमारे ऋषि मुनियों ने पहले ही बता दिया गया था कि
*धोवन पानी पीने का वैज्ञानिक तथ्य और आज की आवश्यकता*

वायुमण्डल में प्राणवायु ऑक्सीजन की अधिकतम मात्रा *21%* है, लेकिन यह मात्रा भारत के किसी गाँव में *18 या 19%* से ज्यादा नही है और शहरों में तो *11 या 12°/*. तक ही है।
भारतीय गाय के ताज़ा गोबर में *प्राणवायु ऑक्सीजन की मात्रा 23%* है। जब इस गोबर को सुखा कर कण्डा बनाया जाता है तो इसमें *ऑक्सीजन की मात्रा बढ़कर 27% हो जाती है।* जब इस कण्डे को जलाकर जो राख बनतीं हैं तो इसमें *ऑक्सीजन की मात्रा बढ़कर 30% हो जाती है।* इसी को भस्म बना देने पर *प्राणवायु 46.6% हो जाती है*। जब भस्म को दोबारा जलाकर विशुद्ध भस्म बनाते हैं तो *इसमें 60% तक प्राणवायु आ जाता है।* जब कि मॉडर्न विज्ञान कहता है कि किसी भी वस्तु को प्रोसेस करने से उसमें हानि होती है।
*10 लीटर जल में अगर 25 ग्राम भस्म मिला दे तो जल शुद्ध होने के साथ उसमें सभी आवश्यक पोषक तत्वों की पूर्ति हो जाती है।*

*🏘️अपने घरमें गोबर कंडेका धुंआ कीजिये और राख को पीनेके पानीमें*

*अग्निहोत्र भस्म*
अग्निहोत्र गौ भस्म_को ध्यान से पढ़ेगें तो पायेंगे कि यह गौ-भस्म ( राख ) आपके लिए कितनी उपयोगी है।*
*साधू -संत लोग संभवतः इन्ही गुणों के कारण इसे प्रसाद रूप में भी देते थे।*
*जब गोबर से बनायीं गयी भस्म इतनी उपयोगी है तो गाय कितनी उपयोगी होगी यह आप सोच सकते है।*

*आपको एक लीटर पानी में 10-15 ग्राम यानि 3-4 चम्मच भस्म मिलाना है , उसके बाद भस्म जब पानी के तले में बैठ जाये फिर इसे पी लेना है।*
*इससे सारे पानी की अशुद्धि दूर हो जाएगी और आपको मिलेगा इतने पोषक तत्व।*
*यह लैबोटरी द्वारा प्रमाणित है।*
#तत्व_रूप / #ELEMENT_FORM
१. ऑक्सीजन O = 46.6 %
२. सिलिकॉन SI = 30.12 %
३. कैल्शियम Ca = 7.71 %
४. मैग्नीशियम Mg = 2.63 %
५. पोटैशियम K = 2.61 %
६. क्लोरीन CL = 2.43 %
७. एल्युमीनियम Al = 2.11 %
८. फ़ास्फ़रोस P = 1.71 %
९. लोहा Fe = 1.46 %
१०. सल्फर S =1.46 %
११. सोडियम Na = 1 %
१२. टाइटेनियम Ti = 0.19 %
१३. मैग्नीज Mn =0.13 %
१४. बेरियम Ba = 0.06 %
१५. जस्ता Zn = 0.03 %
१६. स्ट्रोंटियम Sr = 0.02 %
१७. लेड Pb = 0.02 %
१८. तांबा Cu = 80 PPM
१९. वेनेडियम V=72 PPM
२०. ब्रोमिन Br = 50 PPM
२१. ज़िरकोनियम Zr 38 PPM
*आक्साइड_रूप* :-
१. सिलिकाँन डाइऑक्साइड –
SIO2 = 64.44%
२. कैल्शियम ऑक्साइड
CaO =10.79 %
३. मैग्नीशियम ऑक्साइड
MgO = 4-37 %
४. एल्युमीनियम ऑक्साइड
AI2O3 = 3.99%
५. फास्फोरस पेंटाक्साइड
P2O5 = 3.93%
६. पोटेशियम ऑक्साइड
K2O = 3.14 %
७. सल्फर ऑक्साइड
SO3 = 2.79%
८. क्लोरीन CL=2.43 %
९. आयरन ऑक्साइड
Fe2O3=2.09%
१०. सोडियम ऑक्साइड
Na2O = 1.35 %
११. टाइटेनियम ऑक्साइड
TiO2 = 0.32%
१२. मैंगनीज ऑक्साइड
MnO = 0.17 %
१३. बेरियम ऑक्साइड
BaO = 0.07 %
१४. जिंक ऑक्साइड
ZnO = 0.03%
१५. स्ट्रोंटियम ऑक्साइड
SrO = 0.03%
१६. लेड ऑक्साइड
PbO = 0.02%
१७. वेनेडियम ऑक्साइड
V2O5 = 0.01 %
१८. कॉपर ऑक्साइड
CuO = 0.01%
१९. जिरकोनियम ऑक्साइड
ZrO2 =52 PPM
२०. ब्रोमिन Br = 50 PPM
२१. रुबिडियम ऑक्साइड
Rb2O = 32 PPM

*शरीर में आक्सीजन की मात्रा को बढ़ाने के लिए यह गोबर की भस्म बहुत उपयोगी है।*
स्वस्थ रहे, प्रसन्न रहे
आयुर्वेद अपनाये, सुरक्षित रहे

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ગાય વિષે થોડી જાણકારી…🐂🐂🐂

૧. ગાય માતા જે જગ્યા એ ઊભી રહી ને
ખુશીથી શ્વાસ લઈ શકે ત્યા વાસુદોષ પુરો થઈ જાય છે.

૨.જે જગ્યા એ ગાય માતા ખુશીથી ભાભરે એ જગ્યા એ દેવી દેવતા ફુલો વરસાવે છે.

૩. ગાય માતા ના ગળામા ટોકરી અવસ્ય બાધવી ગાયના ગળામા બાધેલી ટોકરી વાગવાથી ગાયમાતા ની આરતી થાય છે.

૪. જે માણસ ગાય ની સેવા પુજા કરે છે
તેના ઉપર આવનારુ બધુ દુંખ ગાય માતા હરી લે છે.

૫. ગાયમાતા ની ખરી મા નાગદેવતા નો વાસ હોય છે જે જગ્યા યે ગાય માતા ફરેછે તે જગ્યા એ સાંપ અને વિંછી કયારેય આવતા નથી.

૬.ગાય માતા ના છાંણ મા લક્ષ્મીજી નો વાસ હોય છે.

૭.ગાય માતા ની એક આંખ મા સુયૅ અને બીજી આંખ મા ચન્દ્ર દેવ નો વાસ હોય છે

૮. ગાય માતા ના દુધ મા સોનેરી તત્વો મળી આવે છે જે રોગો ની ક્ષ્મતા ને નાશ કરીનાખે છે.

૯.ગાય માતા ની પુછડી મા હનુમાનજી નો વાસ હોય છે. કોઈ પણ વ્યક્તિ ને ખરાબ નજર લાગે તો ગાય માતા ની પુછડી થી ઝાડો નાખવાથી નજર ઊતરી જાય છે.

૧૦.ગાય માતા ની પીઠ ઊપર એક કુંન્ધ આવેલી હોય છે એ કુંન્ધ ઊપર સુર્યકેતુ નામ ની નાળી હોય છે રોજ સવારે અડધો કલાક ગાય માતા ની કુંન્ધ ઊપર હાથ ફેરવવાથી રોગો નો નાશ થાય છે.

૧૧.એક ગાય માતા ને ચારો ખવડાવાથી તેત્રીશ કરોડ દેવી દેવતાઓ ને ભોગ ચડે છે.

૧૨.ગાય માતા ના દુધ.ધી.માખણ.દહી.છાણ.ગૌ મુત્ર થી બનાવેલ પંચગવ્વીય હજારો રોગો ની દવા છે આના સેવન થી અસાધારણ રોગ મટીજાય છે.

૧૩.જે માણસ ની ભાગ્ય રેખા સુતી હોય એ માણસે એની હથેડી મા ગોળ રાખી ગાય માતા ની જીભ થી ચટાડે ગાય માતા નીજીભ થી હથેડી પર રાખેલ ગોળ ને ચાટવા થી એ માણસ ની ભાગ્ય રેખા ખુલી જશે.

૧૪. ગાય માતા ના ચારેય પગની વચેથી નીકળી ને પરીક્રમા કરવાથી મનુષ્ય ભય મુક્ત થઈજાય છે.

૧૫.ગાય માતા ના ગર્ભ મા થી મહાન વિદ્વાન ધમઁ રક્ષક ગૌ કણજી મહરાજ પૈદા થયાતા.

૧૬. ગાય માતા ની સેવા માટે આ પ્રુથ્વી પર દેવી દેવતાઓયે અવતાર લીધોહતો.

૧૭.જયારે ગાય માતા વાછડા ને જન્મ આપે ત્યારે પેહલુ દુધ બાઝ સ્ત્રી ને પીવળાવા થી એનુ બાઝપણુ ખત્મ થઈજાય છે.

૧૮.સ્વસ્થ ગૌ માતા નુ ગૌ મુત્ર ને રોજ બેતોલા સાફ કપડામા ગાળી ને પીવાથી
બધા રોગ મટીજાય છે.

૧૯.ગાય માતા પ્રેમ ભરી નજરથી જેને જાેવે એના ઊપર ગાય માતા ની ક્રુપા થઈજાય છે.

૨૦. કાળી ગાય ની પુુજા કરવાથી નવ ગ્રહ શાન્ત રહે છે જે ધ્યાનપુરવક ધમૅ ની સાથે ગાય ની પુજા કરે છે એમને શત્રુ દોષ થી છુટકારો મલે છે..

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#उरुग्वे एक ऐसा देश है, जिसमे औसतन हर एक आदमी के पास 4 गायें हैं और पूरे विश्व में वो खेती के मामले में नम्बर वन की पोजीशन में है! सिर्फ 33 लाख लोगों का देश है और 1 करोड़ 20 लाख 🐄 गायें है!

हर एक #गाय के कान पर इलेक्ट्रॉनिक चिप लगा रखी है! जिससे कौन सी गाय कहाँ पर है, वो देखते रहते हैं! एक किसान मशीन के अन्दर बैठा फसल कटाई कर रहा है, तो दूसरा उसे स्क्रीन पर जोड़ता है कि फसल का डाटा क्या है..??
इकठ्ठा किये हुये डाटा के जरिए, #किसान प्रति वर्ग मीटर की पैदावार का स्वयं विश्लेषण करता हैं! 2005 में 33 लाख लोगों का देश, 90 लाख लोगों के लिए अनाज पैदा करता था और आज की तारीख में 2 करोड़ 80 लाख लोगों के लिये अनाज पैदा करता है!

उरुग्वे के सफल प्रदर्शन के पीछे देश, किसानों और पशुपालकों का दशकों का अध्ययन शामिल है! पूरी खेती को देखने के लिए 500 कृषि इंजीनियर लगाए गए हैं और ये लोग ड्रोन और सैटेलाइट से किसानों पर नजर रखते हैं, कि खेती का वही तरीका अपनाएँ जो निर्धारित है, यानि दूध, दही, घी औऱ मक्खन के साथ आबादी से कई गुना ज्यादा अनाज उत्पादन!
सब अनाज, दूध, दही, घी औऱ मक्खन आराम से निर्यात होते हैं और हर किसान लाखों में कमाता है! एक आदमी की कम से कम आय 1,25,000/= महीने की है, यानि 1,90,000 डॉलर सालाना!
इस देश का राष्ट्रीय चिन्ह #सूर्य 🌞 व राष्ट्रीय प्रगति चिन्ह #गाय 🐄 व #घोड़ा 🐎 हैं! उरूग्वे में गाय 🐄 की #हत्या पर तत्काल #फाँसी का #कानून है! धन्यवाद है, इस गौ-प्रेमी देश को!
मुख्य बात यह है कि ये सभी गो-धन #भारतीय हैं! जिसे वहाँ इण्डियन काउ के तौर पर जानते हैं!
” वंदे सुरभि धेनू मातरम्!

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आज भी मरणासन्न व्यक्ति को बाछी छुआया जाता है। उसके मुख में गङ्गा-जल डाला जाता है। गीता सुनायी जाती है। गायत्री फूँकी जाती है उसके कान में।

जानते हैं, मरणासन्न को बछिया क्यों छुआई जाती है? वह वैतरणी तिराती है। वैतरणी तो आप जानते ही होंगे।

लेकिन स्यात वास्तव में वैतरणी का निहितार्थ आप नहीं जानते।

स्वर्ग जो इसी धरती पर ही था, वहाँ भी आना-जाना लगा रहता था। और आर्य अपने साथ यात्रा में एक दुधारू गौ साथ ले जाते थे। गौ को साथ ले जाने का सरलतम उपाय है बछिया ले चलो, गाय पीछे से स्वयं आ जायेगी।

यात्रा में तब होटल और रेस्टोरेंट नहीं होते थे। रात वीराने में भी बितानी पड़ सकती थी। तो दुधारू गौ साथ हो तो दूध रात का आहार हो जाता था।

और यात्रा में आज जैसे सुपर हाइवे या नदियों पर आज की तरह पुल भी नहीं होते थे। संस्कृति उन्नत थी अवश्य, किन्तु सभ्यता में सुविधाओं का अभी अभाव था। मार्ग में नदियों पर उस पार जाने को नौका भी हर जगह नहीं होती थी।

जिस नदी के जिस घाट पर तरणी न हो, वहाँ हर नदी वैतरणी ही हुआ करती है। आज भी हर नदी के हर घाट पर तरणी अर्थात् नाव नहीं होती। वैतरणी अर्थात जहाँ तरणी न हो।

और गाय या उसकी बछिया की पूँछ पकड़ कर नदी को बिना तरणी के भी पार किया जा सकता है। न तैरना आता हो तो भी।

वही मान्यता चली आ रही है। स्वर्ग की यात्रा में गो साथ होनी ही चाहिये। तो बछिया साथ ले जाओ। गाय आ जायेगी पीछे पीछे।

गो वैतरणी तिराती थी, तब भी,

और तिरा रही है, अब भी।

गो, गङ्गा, गीता और गायत्री इन चार के प्रति जिसके या किसी के भी मन में हास्य के स्तर की भी अश्रद्धा है, तो वह और वे अपना विशेषण स्वयं चुन लें।

बकरी के प्रति आपकी जो बहुत श्रद्धा है उसका सम्मान है,

किन्तु गाय को जानवर न कहिये।

आज भी वह माता है मेरी।

माता है हमारी!

~ त्रिलोचन नाथ तिवारी जी

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भगवान कृष्ण ने किस ग्रंथ में कहा है ‘धेनुनामसिम’ मैं गायों में कामधेनु हूं?
श्रीमद् भगवतगीता |
‘चाहे मुझे मार डालो पर गाय पर हाथ न उठाओ’ किस महापुरुष ने कहा था?
बाल गंगाधर तिलक |
रामचंद्र ‘बीर’ ने कितने दिनों तक गौहत्या पर रोक लगवाने के लिए अनशन किया?
70 दिन |
पंजाब में किस शासक के राज्य में गौ हत्या पर मृत्यु दंड दिया जाता था?
पंजाब केसरी महाराज रणजीत सिंह |
गाय के घी से हवन पर किस देश में वैज्ञानिक प्रयोग किया गया?
रूस |
गोबर गैस संयंत्र में गैस प्राप्ति के बाद बचे पदार्थ का उपयोग किस में होता है?
खेती के लिए जैविक (केंचुआ) खाद बनाने में |
मनुष्य को गौ-यज्ञ का फल किस प्रकार होता है?
कत्लखाने जा रही गाय को छुड़ाकर उसके पालन-पोषण की व्यवस्था करने पर |
एक तोला (10 ग्राम) गाय के घी से यज्ञ करने पर क्या बनता है?
एक टन आँक्सीजन |
ईसा मसीहा का क्या कथन था?
एक गाय को मरना, एक मनुष्य को मारने के समान है |
प्रसिद् मुस्लिम संत रसखान ने क्या अभिलाषा व्यक्त की थी?
यदि पशु के रूप में मेरा जन्म हो तो मैं बाबा नंद की गायों के बीच में जन्म लूं |
पं. मदन मोहन मालवीय जी की अंतिम इच्छा क्या थी?
भारतीय संविधान में सबसे पहली धारा सम्पूर्ण गौवंश हत्या निषेध की बने |
भगवान शिव का प्रिय श्री सम्पन्न ‘बिल्वपत्र’ की उत्पत्ति कहा से हुई है?
गाय के गोबर से |
गौवंशीय पशु अधिनियम 1995 क्या है?
10 वर्ष तक का कारावास और 10,000 रुपए तक का जुर्माना |
गाय की रीढ़ में स्थित सुर्यकेतु नाड़ी से क्या होता है?
सर्वरोगनाशक, सर्वविषनाशक होता है |
देशी गाय के एक ग्राम गोबर में कम से कम कितने जीवाणु होते है?
300 करोड़ |
गाय के दूध में कौन-कौन से खनिज पाए जाते है?
कैलिशयम 200 प्रतिशत, फास्फोरस 150 प्रतिशत, लौह 20 प्रतिशत, गंधक 50 प्रतिशत, पोटाशियम 50 प्रतिशत, सोडियम 10 प्रतिशत, पाए जाते है |
‘गौ सर्वदेवमयी और वेद सर्वगौमय है’, यह युक्ति किस पुराण की है?
स्कन्द पुराण |
विश्व की सबसे बड़ी गौशाला का नाम बताइए?
पथमेड़ा, राजस्थान |
गाय के दूध में कौन-कौन से विटामिन पाए जाते है?
विटामिन C 2 प्रतिशत, विटामिन A (आई.क्यू) 174 और विटामिन D 5 प्रतिशत |
यदि हम गायों की रक्षा करेंगे तो गाय हमारी रक्षा करेंगी ‘यह संदेश किस महापरुष का है?
पंडित मदन मोहन मालवीय का |
‘गौ’ धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की धात्री होने के कारण कामधेनु है| इसका अनिष्ट चिंतन ही पराभव का कारण है| यह विचार किनका था?
महर्षि अरविंद का |
भगवान बालकृष्ण ने गायें चराने का कार्य किस दिन से प्रारम्भ किया था?
गोपाष्टमी से |
श्री राम ने वन गमन से पूर्व किस ब्राह्मण को गायें दान की थी?
त्रिजट ब्राह्मण को |
‘जो पशु हां तों कहा बसु मेरो, चरों चित नंद की धेनु मंझारन’ यह अभिलाषा किस मुस्लिम कवि की है?
रसखान |
‘यही देहु आज्ञा तुरुक को खापाऊं, गौ माता का दुःख सदा मैं मिटआऊँ‘ यह इच्छा किस गुरु ने प्रकट की?
गुरु गोबिंद सिंह जी ने |

अरुण शुक्ला

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આપણામાંથી મોટાભાગના ગાય અને ભેંસના દૂધમાં શું તફાવત છે તે સમજી શકતા નથી…*
મોટાભાગના લોકો જાણતા નથી.

🐃 ભેંસને કાદવ પસંદ છે.

🐂 ગાય તેના છાણમાં પણ બેસતી નથી. ગાયને શુદ્ધતા પસંદ છે.

🐃 જો તમે ભેંસને 2 કિમી દૂર લઈ જાઓ અને તેને છોડી દો. તે ઘરે પરત ફરશે નહીં. પાવર મેમરી શૂન્ય છે.

🐂 ભલે આપણે ગાયને 5 કિ.મી. દૂર, તે ઘરે પરત આવશે.
*ગાયના દૂધમાં સ્મરણ શક્તિ છે.

🐃 જો દસ ભેંસોને બાંધી દેવામાં આવે અને તેના બાળકોને છોડી દેવામાં આવે તો એક પણ બચ્ચું તેની માતાને ઓળખશે નહીં.
🐂 પણ ગાયનું વાછરડું, સો ગાયોની વચ્ચે માતાને ઓળખી શકે છે.

🐃 દૂધ કાઢતી વખતે ભેંસ પોતાનું બધુ જ દૂધ આપે છે.

*🐂 ગાય તેના બચ્ચા માટે થોડું દૂધ છુપાવે છે. જ્યારે બચ્ચું પીતું હોય ત્યારે જ તે સંગ્રહિત દૂધ છોડે છે. *ગાયના દૂધમાં કોમળતા હોય છે*

🐃 ભેંસ સૂર્ય કે ગરમી સહન કરી શકતી નથી.

🐂 ગાય મે-જૂનના સૂર્યનો પણ સામનો કરી શકે છે.

🐃 ભેંસ વિશાળ અને આળસુ છે અને ઝડપથી ચીસો પાડતી નથી. તેનું દૂધ ઘટ્ટ અને પચવામાં મુશ્કેલ છે. જ્યારે આપણે દૂધનું સેવન કરીએ છીએ ત્યારે આળસ અને અપચો થાય છે. વાછરડાને દૂધ આપતા સમયે માલિક દ્વારા ઉછેરવામાં આવે છે.

🐂 વાછરડાને જ્યારે માતાથી અલગ કરવામાં આવે છે ત્યારે તેને સંભાળવું ખૂબ મુશ્કેલ હોય છે. વાછરડાને માતાનું દૂધ પીધા પછી પણ આપણે દૂધ પીતી વખતે તેને નિયંત્રિત કરી શકતા નથી. તે કાળજી અને માયા તેના દૂધમાં વહેંચાયેલી છે.

ગાયની પીઠ પરની “સૂર્ય કેતુ ચેતા” જ્યારે તડકો હોય ત્યારે જાગૃત થાય છે. આ ચેતા સૂર્ય, તારા, ચંદ્ર અને બ્રહ્માંડમાંથી “કોસ્મિક એનર્જી” ગ્રહણ કરે છે. એટલા માટે ગાયના દૂધમાં રોગોને દૂર કરવાની શક્તિ હોય છે. બ્રહ્માંડમાં કોઈપણ જીવમાં આવી શક્તિ નથી.

વાસ્તવમાં, ગાયનું દૂધ પીવાથી તમારા શરીરને ગરમ કરતું નથી. ભેંસનું દૂધ ગાઢ હોય છે, જ્યારે તેનું સેવન કરવામાં આવે છે ત્યારે શરીર ગરમ થાય છે, અને આપણા શરીરમાં સુગર પણ વધે છે (જેરી દૂધમાં વધુ હોય છે) તે શુગરના દર્દીઓ માટે સારું નથી કારણ કે શુગર લેવલ વધે છે.
પરંતુ જ્યારે ગાયનું દૂધ પીવામાં આવે છે ત્યારે તે તેનાથી વિરુદ્ધ હોય છે.

આપણે દરેક વસ્તુમાં ચરબીનું પ્રમાણ જોઈએ છીએ. અમે એક જાહેરાતની સલાહને અનુસરીએ છીએ, કે શુદ્ધ તેલ કોલેસ્ટ્રોલનું કારણ નથી, અમે તે તેલનો ઉપયોગ કરીએ છીએ. પરંતુ હકીકત એ છે કે અમે ભેંસના દૂધમાં વધુ ચરબીયુક્ત સામગ્રી ચૂકવીને ઘરે મેળવીએ છીએ, જે કોલેસ્ટ્રોલનું પણ કારણ છે (ચરબીનું પ્રમાણ).
🐃 ભેંસના દૂધમાં ત્રીજા અને ચોથા પોષક તત્વો વરાળ થઈ જાય છે જ્યારે આપણે તેને સ્ટવ પર મૂકીને થોડું ગરમ ​​કરીએ છીએ.

🐂 ગાયના દૂધને ગમે તેટલી વખત ઉકાળવામાં આવે તો પણ તેના પોષક ગુણોનો નાશ થતો નથી.
🙏 કૃપા કરીને પ્રિયજનો સાથે શેર કરો
અમે તમારી કાળજી રાખીએ છીએ ❤️

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🍀 ગાય વિષે થોડી જાણકારી 🍀

૧. ગાય માતા જે જગ્યા એ ઊભી રહી ને
ખુશીથી શ્વાસ લઈ શકે ત્યા વાસુદોષ પુરો થઈ જાય છે.

૨.જે જગ્યા એ ગાય માતા ખુશીથી ભાભરે એ જગ્યા એ દેવી દેવતા ફુલો વરસાવે છે.

૩. ગાય માતા ના ગળામા ટોકરી અવસ્ય બાધવી ગાયના ગળામા બાધેલી ટોકરી વાગવાથી ગાયમાતા ની આરતી થાય છે.

૪. જે માણસ ગાય ની સેવા પુજા કરે છે
તેના ઉપર આવનારુ બધુ દુંખ ગાય માતા હરી લે છે.

૫. ગાયમાતા ની ખરી મા નાગદેવતા નો વાસ હોય છે જે જગ્યા યે ગાય માતા ફરેછે તે જગ્યા એ સાંપ અને વિંછી કયારેય આવતા નથી.

૬.ગાય માતા ના છાંણ મા લક્ષ્મીજી નો વાસ હોય છે.

૭.ગાય માતા ની એક આંખ મા સુયૅ અને બીજી આંખ મા ચન્દ્ર દેવ નો વાસ હોય છે

૮. ગાય માતા ના દુધ મા સોનેરી તત્વો મળી આવે છે જે રોગો ની ક્ષ્મતા ને નાશ કરીનાખે છે.

૯.ગાય માતા ની પુછડી મા હનુમાનજી નો વાસ હોય છે. કોઈ પણ વ્યક્તિ ને ખરાબ નજર લાગે તો ગાય માતા ની પુછડી થી ઝાડો નાખવાથી નજર ઊતરી જાય છે.

૧૦.ગાય માતા ની પીઠ ઊપર એક કુંન્ધ આવેલી હોય છે એ કુંન્ધ ઊપર સુર્યકેતુ નામ ની નાળી હોય છે રોજ સવારે અડધો કલાક ગાય માતા ની કુંન્ધ ઊપર હાથ ફેરવવાથી રોગો નો નાશ થાય છે.

૧૧.એક ગાય માતા ને ચારો ખવડાવાથી તેત્રીશ કરોડ દેવી દેવતાઓ ને ભોગ ચડે છે.

૧૨.ગાય માતા ના દુધ.ધી.માખણ.દહી.છાણ.ગૌ મુત્ર થી બનાવેલ પંચગવ્વીય હજારો રોગો ની દવા છે આના સેવન થી અસાધારણ રોગ મટીજાય છે.

૧૩.જે માણસ ની ભાગ્ય રેખા સુતી હોય એ માણસે એની હથેડી મા ગોળ રાખી ગાય માતા ની જીભ થી ચટાડે ગાય માતા નીજીભ થી હથેડી પર રાખેલ ગોળ ને ચાટવા થી એ માણસ ની ભાગ્ય રેખા ખુલી જશે.

૧૪. ગાય માતા ના ચારેય પગની વચેથી નીકળી ને પરીક્રમા કરવાથી મનુષ્ય ભય મુક્ત થઈજાય છે.

૧૫.ગાય માતા ના ગર્ભ મા થી મહાન વિદ્વાન ધમઁ રક્ષક ગૌ કણજી મહરાજ પૈદા થયાતા.

૧૬. ગાય માતા ની સેવા માટે આ પ્રુથ્વી પર દેવી દેવતાઓયે અવતાર લીધોહતો.

૧૭.જયારે ગાય માતા વાછડા ને જન્મ આપે ત્યારે પેહલુ દુધ બાઝ સ્ત્રી ને પીવળાવા થી એનુ બાઝપણુ ખત્મ થઈજાય છે.

૧૮.સ્વસ્થ ગૌ માતા નુ ગૌ મુત્ર ને રોજ બેતોલા સાફ કપડામા ગાળી ને પીવાથી
બધા રોગ મટીજાય છે.

૧૯.ગાય માતા પ્રેમ ભરી નજરથી જેને જાેવે એના ઊપર ગાય માતા ની ક્રુપા થઈજાય છે.

૨૦. કાળી ગાય ની પુુજા કરવાથી નવ ગ્રહ શાન્ત રહે છે જે ધ્યાનપુરવક ધમૅ ની સાથે ગાય ની પુજા કરે છે એમને શત્રુ દોષ થી છુટકારો મલે છે..

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गाय व भैंस के दूध में अंतर
जो बहुत कम लोग जानते हैं !

भैंस अपने बच्चे से पीठ फेर कर बैठती है चाहे उसके बच्चे को कुत्ते खा जायें वह नहीं बचायेगी,

जबकि गाय के बच्चे के पास अनजान आदमी तो क्या शेर भी आ जाये तो जान दे देगी, परन्तु जीते जी बच्चे पर आँच नही आने देगी।
इसीलिए उसके दूध में स्नेह का गुण भरपूर होता है।

भैंस को गन्दगी पसन्द है, कीचड़ में लथपथ रहेगी,,

पर गाय अपने गोबर पर भी नहीं बैठेगी उसे स्वच्छता प्रिय है।

भैंस को घर से 2 किमी दूर तालाब में छोड़कर आ जाओ वह घर नहीं आ सकती उसकी याददास्त जीरो है।

गाय को घर से 5 किमी दूर छोड़ दो।
वह घर का रास्ता जानती है,आ जायेगी।
गाय के दूध में #स्मृति तेज है।

दस भैंसों को बाँधकर 20 फुट दूर से उनके बच्चों को छोड़ दो, एक भी बच्चा अपनी माँ को नहीं पहचान सकता,

जबकि गौशालाओं में दिन भर गाय व बछड़े अलग-अलग शैड में रखते हैं, सायंकाल जब सबका माता से मिलन होता है तो सभी बच्चे (हजारों की स॔ख्या में) अपनी अपनी माँ को पहचान कर दूध पीते हैं, ये है गाय दूध की याददास्त।

जब भैंस का दूध निकालते हैं तो भैंस सारा दूध दे देती है,

परन्तु गाय थोड़ा-सा दूध ऊपर चढ़ा लेती है, और जब उसके बच्चे को छोड़ेंगे तो उस चढ़ाये दूध को उतार देती है।
ये गुण माँ के हैं जो भैंस मे नहीं हैं।

गली में बच्चे खेल रहे हों और भैंस भागती आ जाये तो बच्चों पर पैर अवश्य रखेगी…

लेकिन गाय आ जाये तो कभी भी बच्चों पर पैर नही रखेगी।

भैंस धूप और गर्मी सहन नहीं कर सकती…

जबकि गाय मई जून में भी धूप में बैठ सकती है।

भैंस का दूध तामसिक होता है….
जबकि गाय का सात्विक।

भैंस का दूध आलस्य भरा होता है, उसका बच्चा दिन भर ऐसे पड़ा रहेगा जैसेे भाँग खाकर पड़ा हो।
जब दूध निकालने का समय होगा तो मालिक उसे उठायेगा…

परन्तु गाय का बछड़ा इतना उछलेगा कि आप रस्सा खोल नहीं पायेंगे।

फिर भी लोग भैंस खरीदने में लाखों रुपए खर्च करते हैं….
जबकि गौमाता का दूध अमृत समान होता है।।

🙏जय गौमाता🙏