ABOUT FRAUDSTER ARUN SHOURIE:
लुटियंस मायाजाल का यह सच भी जानिए।
राजीव गांधी के साथ सुमन दुबे की गहरी दोस्ती तब हुई थी जब वो दून स्कूल में पढ़ता था। बाद में सुमन दुबे राजीव गांधी दरबार के सर्वाधिक शक्तिशाली नवरत्नों में शामिल हो गया था। राजीव गांधी की मृत्यु के पश्चात सुमन दुबे सोनिया गांधी का भी सर्वाधिक विश्वस्त सहयोगी साथी बन गया। नेहरू मेमोरियल म्यूज़ियम और लाइब्रेरी तथा राजीव गांधी फाउंडेशन एवं नेशनल हेराल्ड समेत लगभग उन सभी संस्थाओं में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी संभालने लगा जिनकी कर्ताधर्ता सोनिया गांधी है। यही कारण है कि नेशनल हेराल्ड केस में वो नामजद है तथा 19 दिसम्बर 2015 से वो जमानत पर बाहर है।
इसके अलावा सुमन दुबे की एक और बहुत महत्वपूर्ण पहचान भी है। अरुण शौरी का सगा साढ़ू है सुमन दुबे। अर्थात सुमन दुबे और अरुण शौरी की पत्नियां सगी बहने हैं। अधिकांश लोगों को, विशेषकर नई पीढ़ी को यह ज्ञात नहीं होगा कि राजीव गांधी को मिस्टर क्लीन की उपाधि सत्यवादी हरिश्चन्द्र के मीडियाई अवतार माननीय श्री अरुण शौरी जी ने ही दी थी। इसका ईनाम यह मिला था कि स्व. अटल जी और जॉर्ज फर्नांडिस पर ताबूत घोटाले का शत प्रतिशत झूठा आरोप लगाकर प्रचण्ड ताण्डव करती रही सोनिया गांधी और कांग्रेस ने तब शातिर चुप्पी साध ली थी जब उसी दौरान अटल सरकार के विनिवेश मंत्री के रूप में अरुण शौरी ने उदयपुर स्थित उस भव्य सरकारी होटल लक्ष्मी विलास पैलेस को केवल 7.52 करोड़ में “दिल्ली” के एक घराने को बेच डाला था जिस लक्ष्मी विलास पैलेस होटल की केवल जमीन मात्र की कीमत उस समय की सरकारी दरों के अनुसार 151 करोड़ रू थी। बाजार भाव इससे 5 गुना अधिक था।
सोनिया गांधी और कांग्रेस ने तब भी शातिर चुप्पी साध ली थी जब उसी दौरान अटल सरकार में मंत्री अरुण शौरी के विनिवेश विभाग ने मुंबई के सेंटूर एयरपोर्ट होटल को केवल 83 करोड़ रू में फिर से “दिल्ली” के ही एक मशहूर घराने को बेच दिया था। उस होटल को केवल 5 महीने बाद ही उस घराने ने 115 करोड़ में “सहारा” परिवार को बेच कर 32 करोड़ मुनाफा कमा डाला था. तब यह चर्चा खूब गर्म रही थी कि 115 करोड़ की रकम तो कागज़ी सौदे की है। इस रकम के अलावा नंबर दो में 150 करोड़ और वसूले गए हैं। यह केवल दो उदाहरण मात्र हैं। उस दौरान ऐसे उदाहरणों की लम्बी कतार लगा दी थी शौरी जी ने। लेकिन तब से लेकर अब तक, सोनिया, राहुल समेत किसी भी कांग्रेस नेता को अरुण शौरी के खिलाफ कभी एक शब्द भी बोलते हुए क्या सुना आपने.?
अब मोदी सरकार में उन सौदों की CBI जांच अवश्य हो रही है।
उपरोक्त के अलावा एक और रिश्ता भी जानिए समझिये। अरुण शौरी और सुमन दुबे का सगा साला है अजय शुक्ला नाम का तथाकथित पत्रकार।
सेना से निकाले जाने के बाद कांग्रेसी यूपीए राज में अजय शुक्ला पहले NDTV में नौकरी करता था। फिर दूरदर्शन का कर्ताधर्ता बन गया था। फिर रविशकुमार उस अजय शुक्ला को रक्षा विशेषज्ञ बताकर NDTV में बैठाने लगा । उसके भारत सरकार विरोधी, विशेषकर भारतीय सेना विरोधी ब्लॉग्स को पाकिस्तानी सेना और मीडिया की वेबसाइट्स प्रमुखता से छापती रहती हैं।
अंत मे बस इतना कि शत्रु खेमे में अपना आदमी ही हमारा शत्रु बनकर महत्वपूर्ण पद पर बना रहे…” इस कांग्रेसी भूमिका को शौरी ने बहुत बरसों तक बहुत शानदार ढंग से निभाया। इसके लिए शौरी को बधाई।😊
Category: खान्ग्रेस
अंग्रेजो के नौकर जस्टिस “आगा हैदर” ने भगत सिंह के पूरे केस की सुनवाई की थी और सजा भी लिखी थी. और सजा सुनाने के समय छुट्टी पर चले गए. सजा सुनाने का काम अंग्रेजों के एक अन्य नौकर जस्टिस शादीलाल ने किया था. आगा हुसैन और शादीलाल दोनों कांग्रेस से जुड़े हुए थे.
इससे पहले वीर सावरकर को भी कालापानी की सजा किसी अंग्रेज ने नहीं बल्कि अंग्रेजों के एक नौकर जस्टिस नारायण गणेश चंदावरकरे ने सुनाई थी जो कांग्रेस का पूर्व अध्यक्ष था.
जनरल डायर को जलियावाला बाग़ काण्ड से वरी करने वाली हंटर कमेटी का सदस्य पं. जगत नारायण मुल्ला मोती लाल नेहरू के घनिष्ठ मित्र और उनके छोटे भाई नन्दलाल नेहरू के समधी थे.
इसी कमेटी के दूसरे सदस्य सर चिमन सीतलवाड़ भी मोतीलाल नेहरू के ख़ास मित्र थे. देश आजाद होने के बाद प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने उनके पुत्र एम. सी. सीतलवाड़ को भारत का पहला अटार्नी जनरल (1950 से 1963) बनाया था. चिमन सीतलवाड़ तीस्ता चिमन सीतलवाड़ के सगे परदादा थे.
आज राहुल गांधी हर जगह सभा में कहते हैं नरेंद्र मोदी एक कायर प्रधानमंत्री हैं नरेंद्र मोदी एक कमजोर प्रधानमंत्री हैं नरेंद्र मोदी पाकिस्तान को जवाब नहीं दे सकते नरेंद्र मोदी चीन को जवाब नहीं दे सकते
मैंने कांग्रेस की कायरता के बारे में हजारों घटनाएं लिखें है
लेकिन आज मैं आपको एक ऐसी घटना के बारे में बता रहा हूं जिसे जानने के बाद आप कांग्रेसी नेताओं के मुंह पर थूक देंगे
यह कहानी है भारतीय नौसेना के कोमोडोर जैक शे की
कोमोडोर जैक शे 1965 की लड़ाई में बेहद बहादुरी से लड़ाई लड़े और 1965 के पहले वो कराची में भारतीय दूतावास में नेवल अटैची के तौर पर तैनात थे
कोमोडोर जैक शे पाकिस्तान में बहुत बड़े जासूसों का एक नेटवर्क बना रखा था और अपने जासूसों की मदद से उन्होंने भारतीय सेना की काफी मदद की और जब युद्ध छड़ी तब उन्होंने सभी जासूसों को पाकिस्तान से भगाने में काफी मदद किया
युद्ध खत्म होने के 3 महीने बाद उन्हें फिर से कराची के भारतीय दूतावास में नेवल अटैची के पद पर तैनात कर दिया गया
फिर 26 जनवरी 1966 को गणतंत्र दिवस के मौके पर कराची के भारतीय दूतावास में एक शानदार रंगारंग समारोह आयोजित किया गया था
बहुत सारे देशी-विदेशी पाकिस्तानी और दूसरे देशों के मेहमान भारतीय दूतावास में जुटे हुए थे फिर अचानक कोई चीज गिरने की तेज आवाज आई और जब सारे मेहमान भाग कर गए तो देखा नेवल अटैची कोमोडोर जैक शे बेहद बुरी हालत में मरणासन्न गिरे हुए थे दरअसल उन्हें किसी ने तीसरी मंजिल से नीचे फेंक दिया था
आनन-फानन में उन्हें कराची के एक हॉस्पिटल में एडमिट किया गया जहां पता चला कि उनके शरीर की एक भी हड्डी सलामत नहीं है फिर उनका इलाज चला वह बयान देने की स्थिति में आए तब उन्होंने बताया कि 15 से ज्यादा नकाबपोश आए जो पाकिस्तानी गुप्तचर एजेंसी आईएसआई के लोग थे और उन्हें बुरी तरह से टॉर्चर किया उन्हें मारा और उनकी हत्या करने की नियत से उन्हें नीचे फेंक दिया गया
कमोडोर जैक शे जब थोड़े ठीक हुए तब उन्हें दिल्ली लाया गया फिर दिल्ली के आर्मी हॉस्पिटल में उनका लंबा इलाज चला आप विश्वास नहीं करेंगे कि उनके शरीर पर 26 फ्रैक्चर थे लेकिन इतनी भीषण घटना के बावजूद भी तत्कालीन कांग्रेस सरकार जिसे कांग्रेसी कुत्ते दुर्गा की अवतार कहते हैं वह प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी एकदम खामोश नहीं जबकि यह सीधे-सीधे वियना समझौते और जिनेवा समझौते का उल्लंघन था जिसमें किसी भी दूतावास के कर्मचारी को वह भी मिलिट्री अटैची पर की हत्या की कोशिश करना एक बेहद गंभीर अपराध है
यहां तक की उस वक्त की कांग्रेस की केंद्र की कांग्रेस सरकार ने इस मुद्दे को किसी भी अंतरराष्ट्रीय फोरम पर भी नहीं उठाया
उस पार्टी में कोमोडोर जैक शे की बेटी डेबोरा एन शे भी उसी पार्टी में मौजूद थी वह खुद अपने मरणासन्न ने पिता को लेकर हॉस्पिटल गई थी उन्होंने इस पूरी घटना का वर्णन अपनी किताब इसके फ्रॉम पाकिस्तान में लिखा है।
Jitendra Pratap Singh ji




क्या आप जानते हैं भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और नागालैंड के चर्च के प्रमुख डॉक्टर वेरियर एल्विन के बीच में एक समझौता हुआ था इस समझौते के तहत नेहरू ने नागालैंड में किसी भी हिंदू संत या सन्यासी के प्रवेश पर रोक लगा दी गई थी और नागालैंड में किसी भी हिंदू मठ या मंदिर के बनने पर रोक लगा दी गई थी तथा नागालैंड में भारत के दूसरे राज्य के ईसाइयों को वहां की नागरिकता देने की बात थी लेकिन कोई हिंदू नागालैंड का नागरिकता नहीं ले सकता था
नेहरू और नागालैंड के चर्च के बीच में हुए इसी समझौते ने नागालैंड से हिंदू धर्म का समूल विनाश कर दिया और नागालैंड पूरी तरह से ईसाई मिशनरियों के कब्जे में चला गया और फिर चर्च ने नागालैंड में अपनी पकड़ मजबूत करते हुए 70 के दशक से अलगाववाद की हवा हवा दिया और कई आतंकवादी संगठन तैयार करके नागालैंड को भारत से अलग करने की मांग करने लगे।

कांग्रेस के संस्थापक ए औ हयूम के बारे में:
यही अंग्रेज़ अफसर है जो अंग्रेजों की फौज में उसके ख़ुफ़िया विभाग का मुखिया (चीफ) था ।
1857 में देश की आज़ादी की पहली लड़ाई में इसने अपनी गुप्तचरी से हज़ारों क्रांतिकारियों को मौत के घाट उतार दिया था,परिणामस्वरूप अंग्रेज़ सरकार ने इस अंग्रेज़ अफसर को इटावा का कलेक्टर बनाकर पुरुस्कृत किया था।
इटावा में इसने दो दर्जन से अधिक विद्रोही किसान क्रांतिकारियों को कोतवाली में जिन्दा जलवा दिया था।
परिणामस्वरूप सैकड़ों गाँवों में विद्रोह का दावानल धधक उठा था।
इस अंग्रेज़ अफसर के खून के प्यासे हो उठे हज़ारों किसानों ने इस अंग्रेज़ अफसर का घर और ऑफिस घेर लिया था।
उन किसानों से अपनी जान बचाने के लिए यह अंग्रेज़ अफसर पेटीकोट साडी ब्लाउज़ और चूड़ी पहनकर, सिर में सिन्दूर और माथे पर बिंदिया लगाकर एक हिजड़े के भेष में इटावा से भागकर आगरा छावनी पहुंचा था।
अब यह भी जान लीजिये कि इस अंग्रेज़ अफसर का नाम एओ ह्यूम था।
और 1885 में इसी अंग्रेज़ अफसर ने उस कांग्रेस की स्थापना की थी जिसका नेता मल्लिकार्जुन खरगे है।
आज इस ऐतिहासिक सन्दर्भ का उल्लेख इसलिए क्योंकि लोकसभा में कांग्रेसी नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने दावा किया था कि “कांग्रेसियों के अलावा किसी कुत्ते ने भी आज़ादी की लड़ाई नहीं लड़ी।”
अतः सोचा कि संसद में 60000 की मफलर पहनकर आने वाले मल्लिकार्जुन खरगे को उसकी कांग्रेस के DNA की याद तो दिला ही दूं।
यदि आप उचित समझें तो कांग्रेस के इस DNA से हर उस भारतीय को अवश्य परिचित कराएं जो इससे परिचित नहीं है।
इसे अवश्य पढ़िए और फिर सोचिये कि आखिर हमने पिछले इतने वर्षों में किनकी उपज को झेला …
ये फोटो उस अंग्रेज़ अफसर का है जो अंग्रेजों की फौज में उसके ख़ुफ़िया विभाग का मुखिया (चीफ) था. 1857 में देश की आज़ादी की पहली लड़ाई में इसने अपनी गुप्तचरी से हज़ारों क्रांतिकारियों को मौत के घाट उतार दिया था. परिणामस्वरूप अंग्रेज़ सरकार ने इस अंग्रेज़ अफसर को इटावा का कलेक्टर बनाकर पुरुस्कृत किया था. इटावा में इसने दो दर्जन से अधिक विद्रोही किसान क्रांतिकारियों को कोतवाली में जिन्दा जलवा दिया था. परिणामस्वरूप सैकड़ों गाँवों में विद्रोह का दावानल धधक उठा था. इस अंग्रेज़ अफसर के खून के प्यासे हो उठे हज़ारों किसानों ने इस अंग्रेज़ अफसर का घर और ऑफिस घेर लिया था. उन किसानों से अपनी जान बचाने के लिए यह अंग्रेज़ अफसर पेटीकोट साडी ब्लाउज़ और चूड़ी पहनकर, सिर में सिन्दूर और माथे पर बिंदिया लगाकर एक हिजड़े के भेष में इटावा से भागकर आगरा छावनी पहुंचा था.
अब यह भी जान लीजिये कि इस अंग्रेज़ अफसर का नाम एओ ह्यूम था और 1885 में इसी अंग्रेज़ अफसर ने उस कांग्रेस की स्थापना की थी जिसका नेता मल्लिकार्जुन खरगे है.
आज इस ऐतिहासिक सन्दर्भ का उल्लेख इसलिए क्योंकि लोकसभा में कांग्रेसी नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने दावा किया है कि कांग्रेसियों के अलावा किसी कुत्ते ने भी आज़ादी की लड़ाई नहीं लड़ी.
अतः मैंने सोचा कि मल्लिकार्जुन खरगे को उसकी कांग्रेस के DNA की याद तो दिला ही दूं.
आप मित्र भी यदि उचित समझें तो कांग्रेस के इस DNA से हर उस भारतीय को अवश्य परिचित कराएं जो इससे परिचित नहीं है.
Satish Chandra Mishra ji ke wall se Sabhar ..

इंदिरा का कमीनापन:
1981 में यूपी के पडरौना में इंदिरा गांधी की रैली थी
हेलीपेड से रैली स्थल तक ambassador कार में इंदिरा गांधी रवाना हुई लेकिन एंबेस्डर कार से उतरते समय उसके स्टील के मजबूत हैंडल में उनका शॉल फंस गया और उनका शॉल फट गया।
उनके पीए आर के धवन ने तुरंत ही दूसरा शॉल मैडम को दिया लेकिन इंदिरा गांधी ने आर के धवन से शॉल लेने से इंकार कर दिया और कहा कि मैं इस फटी हुई शॉल में ही रैली को संबोधित करूंगी ।
फिर वो मंच पर पहुंची भाषण दिया और जान-बूझकर अपना फटा हुआ शॉल पब्लिक के सामने की ओर रखा फिर भाषण के बीच में उन्होंने बोला यह जेपी, राजनारायण , चौधरी चरण सिंह, मुरारजी देसाई जैसे लोग कलफ लगा हुआ कुर्ता पहनते हैं और मुझे देखिए यह फटी हुई शॉल ही है मेरे पास और आपका प्यार और स्नेह ।
पब्लिक जैसे पागल हो गई तालियों की तड़तड़ाहट से पूरा मैदान गूंज उठा .. फिर इंदिरा गांधी अंबेस्डर कार में बैठकर हेलीपैड पर गई फिर हेलीकॉप्टर से गोरखपुर गई फिर गोरखपुर से प्लेन से दिल्ली रवाना हो गई।
कसम से यह पूरा खानदान नौटंकीबाजो का है और पीढ़ी-दर-पीढ़ी इनकी नौटंकी चलती रहती है न जाने कब हम भारतीय इस नीच खानदान की सच्चाई समझेंगे और इन्हें भारत से मार भगाएंगे।
🇮🇳🇮🇳🇮🇳सुभाष चंद्र गोहल
कोई पत्रकार राहुल गांधी से यह नहीं पूछ रहा कि राहुल जी जब तक नरेंद्र मोदी भारत के प्रधानमंत्री नहीं बने थे तब तक आप की नानी आपकी दोनों मौसी दोनों मौसी के पति बच्चे यानी आप का इटली का पूरा खानदान दिल्ली में रहता था उनको 3 सरकारी बंगले किस हैसियत से इलाट किए गए थे और वह किस हैसियत से तमाम सरकारी कार्यक्रम में शामिल होते थे ??
और नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के 15 दिन के बाद यह पूरा माइनों खानदान किसी चोर की तरह इटली क्यों चला गया ??
आज राहुल गांधी नानी से मिलने के बहाने बार-बार इटली आते हैं लेकिन कभी 10 साल कांग्रेस के सत्ता के दौरान और उसके पहले जब राजीव गांधी प्रधानमंत्री थे तब यह धूर्त इटली नहीं जाते थे क्योंकि सोनिया गांधी के मायके का पूरा खानदान दिल्ली में रहता था और लुटियंस जोन में पांच बंगले उन्हें रहने को दिए गए थे
यहां तक कि सोनिया गांधी के बचपन का दोस्त क्वात्रोची भी सोनिया गांधी के साथ रहता था सोनिया गांधी की मां पाउलो माइनो सरकारी कार्यक्रम में भाग लेती थी राष्ट्रपति भवन में कई सरकारी कार्यक्रम में शामिल होती थी पूरी सरकारी मशीनरी उनके आगे पीछे घूमती थी
सोनिया गांधी की तीन बहने हैं जिसमें से दो बहने तो भारत में ही रहती थी और एक बहन का रोम और मिलान में बहुत बड़ा एंटीक स्टोर है
और कई पुरातत्वविद ने इस बात का खुलासा किया था कि भारत से कई म्यूजियम में दुर्लभ चीजों को प्रदर्शनी के बहाने विदेश ले जाया जाता था और फिर वहां बड़े नाटकीय ढंग से उन्हें चोरी हुआ दिखा दिया जाता था और बाद में पता चलता था कि वह सोनिया गांधी के बहन के स्टोर में बिकने के लिए गया है
इस तरह से भारत की तमाम बेशकीमती दुर्लभ मूर्तियां तमाम आर्टीफैक्ट्स विदेशों में प्रदर्शनी के बहाने ले जाए गए और वहां चोरी की नौटंकी बता कर सोनिया गांधी के बहन के स्टोर में पहुंचा दिया गया था,



काशी गुप्ता
कोई पत्रकार राहुल गांधी से यह नहीं पूछ रहा कि राहुल जी जब तक नरेंद्र मोदी भारत के प्रधानमंत्री नहीं बने थे तब तक आप की नानी आपकी दोनों मौसी दोनों मौसी के पति बच्चे यानी आप का इटली का पूरा खानदान दिल्ली में रहता था उनको 3 सरकारी बंगले किस हैसियत से इलाट किए गए थे और वह किस हैसियत से तमाम सरकारी कार्यक्रम में शामिल होते थे ??
और नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के 15 दिन के बाद यह पूरा माइनों खानदान किसी चोर की तरह इटली क्यों चला गया ??
आज राहुल गांधी नानी से मिलने के बहाने बार-बार इटली आते हैं लेकिन कभी 10 साल कांग्रेस के सत्ता के दौरान और उसके पहले जब राजीव गांधी प्रधानमंत्री थे तब यह धूर्त इटली नहीं जाते थे क्योंकि सोनिया गांधी के मायके का पूरा खानदान दिल्ली में रहता था और लुटियंस जोन में पांच बंगले उन्हें रहने को दिए गए थे
यहां तक कि सोनिया गांधी के बचपन का दोस्त क्वात्रोची भी सोनिया गांधी के साथ रहता था
सोनिया गांधी की मां पाउलो माइनो सरकारी कार्यक्रम में भाग लेती थी राष्ट्रपति भवन में कई सरकारी कार्यक्रम में शामिल होती थी पूरी सरकारी मशीनरी उनके आगे पीछे घूमती थी
सोनिया गांधी की तीन बहने हैं जिसमें से दो बहने तो भारत में ही रहती थी और एक बहन का रोम और मिलान में बहुत बड़ा एंटीक स्टोर है
और कई पुरातत्वविद ने इस बात का खुलासा किया था कि भारत से कई म्यूजियम में दुर्लभ चीजों को प्रदर्शनी के बहाने विदेश ले जाया जाता था और फिर वहां बड़े नाटकीय ढंग से उन्हें चोरी हुआ दिखा दिया जाता था और बाद में पता चलता था कि वह सोनिया गांधी के बहन के स्टोर में बिकने के लिए गया है
इस तरह से भारत की तमाम बेशकीमती दुर्लभ मूर्तियां तमाम आर्टीफैक्ट्स विदेशों में प्रदर्शनी के बहाने ले जाए गए और वहां चोरी की नौटंकी बता कर सोनिया गांधी के बहन के स्टोर में पहुंचा दिया गया था।
11 भविष्यवाणियां सत्य होती दिख रहीं हैं..!
1. एक दिन आएगा जब वोट के लिए कांग्रेसी नेता कोट पर जनेऊ पहनेंगे ~ सावरकर जी १९५९
2. एक दिन पूरे देश पर भाजपा का राज होगा
~ अटल जी १९९९ संसद में
3. मैं कांग्रेस मुक्त भारत करके रहूंगा ~ मोदी जी २०१०
4. मै आज कांग्रेस छोड रहा हूं , पर मै शपथ लेता हूं कि मै इसी कांग्रेसी विचारधारा के विरुद्ध ऐसा संगठन खडा करूंगा जो इसका नामोनिशान मिटाकर रख देगा , चाहे इसके लिये 100 साल क्यों न लगे , 800 साल की गुलामी मे 100 साल और सही पर यही संगठन भारत को फिर अखंड भारत बनाकर रहेगा …
— प. पू. केशव बलिराम हेडगेवार , संस्थापक एवं प्रथम सरसंघचालक
१९२२
नागपुर
5. अगर मैं प्रधानमंत्री बना तो सबसे पहले काले धन और आतंकवाद को समाप्त करने के लिये 500 और 1000 के नोट अचानक बंद कर दूंगा
— नरेंद्र मोदी , २००७ , गुजरात में
6. भारत सरकार 500 और 1000 के नोट अचानक बंद करें , देश की आधी समस्या कुछ ही साल मे खत्म हो जायेंगी
— बाबा रामदेव २००६ से २०१३ तक कई बार कहा
7. जिस दिन मरा हुवा हिंदुत्व गर्व से कहेगा मैं हिंदु हूं उस दिन अमेरिका भी भारत की परंपराओं के सामने नतमस्तक होगा और कहेगा कि फलां देश को समझाओ
— स्वामी विवेकानन्द , १८९३ , शिकागो , अमेरिका में
( सनद रहे दो दिन पहले UN ने भारत से कहा है कि उत्तर कोरिया का इलाज सिर्फ भारत कर सकता है , अमेरिका नहीं)
8. आज गौहत्याबंदी आंदोलन मे संसद के सामने इंदिरा गांधी ने एक घंटे में 400 साधुओं को गोली चलाकर मार डाला
मैं कांग्रेस पार्टी को श्राप देता हूं कि एक दिन हिमालय मे तपश्चर्या कर रहा एक साधू आधुनिक वेशभूषा मे इसी संसद को कब्जा करेगा और कांग्रेसी विचारधारा को नष्ट कर देगा …यह एक ब्राह्मण का श्राप है और ब्राह्मण का श्राप कभी खाली नहीं जाता ..
— करपात्री महाराज , संसद के सामने रोते और साधुवों की लाशें उठाते हुवे , १९६६
9. कांग्रेस पार्टी वोटबैंक के लिये इतनी नीचे गिर जायेगी कि वो JNU जैसे नेहरू के वामपंथी सेक्स केंद्र के नारों का समर्थन करेगी और गौहत्या का समर्थन खुलेआम करेगी
स्वयं को नक्सली साबित करेगी
— डॉ सुब्रमण्यम स्वामी , आप की अदालत में ,२००९
10. कांग्रेस को मै खत्म करूंगा , एक ऐसा आदमी (मोदी) संघ से निकालूंगा जो कांग्रेस का अंतिम संस्कार करेगा
– डॉ सुब्रमण्यम स्वामी , १९८४ , संसद में जब उनका Citizen Charted प्रस्ताव नकारा गया
11. नरेंद्र मोदी ही भारत का भविष्य है , 2002 , गुजरात दंगों का दोष उसपर मत दो , वो निष्पाप है , अटलजी और RSS को कहता हूं वे उन्हें continue करें वरना भारत से हिंदुत्व खत्म हो जायेगा
— बालासाहब ठाकरे , 6 जून 2002 , उसके बाद 9 जून को अटलजी ने गोवा में नरेंद्र मोदी जी को continue किया , वरना आज हमें ऐसा PM नहीं मिलता