अंग्रेजो के नौकर जस्टिस “आगा हैदर” ने भगत सिंह के पूरे केस की सुनवाई की थी और सजा भी लिखी थी. और सजा सुनाने के समय छुट्टी पर चले गए. सजा सुनाने का काम अंग्रेजों के एक अन्य नौकर जस्टिस शादीलाल ने किया था. आगा हुसैन और शादीलाल दोनों कांग्रेस से जुड़े हुए थे.
इससे पहले वीर सावरकर को भी कालापानी की सजा किसी अंग्रेज ने नहीं बल्कि अंग्रेजों के एक नौकर जस्टिस नारायण गणेश चंदावरकरे ने सुनाई थी जो कांग्रेस का पूर्व अध्यक्ष था.
जनरल डायर को जलियावाला बाग़ काण्ड से वरी करने वाली हंटर कमेटी का सदस्य पं. जगत नारायण मुल्ला मोती लाल नेहरू के घनिष्ठ मित्र और उनके छोटे भाई नन्दलाल नेहरू के समधी थे.
इसी कमेटी के दूसरे सदस्य सर चिमन सीतलवाड़ भी मोतीलाल नेहरू के ख़ास मित्र थे. देश आजाद होने के बाद प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने उनके पुत्र एम. सी. सीतलवाड़ को भारत का पहला अटार्नी जनरल (1950 से 1963) बनाया था. चिमन सीतलवाड़ तीस्ता चिमन सीतलवाड़ के सगे परदादा थे.